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CkkWaVsa Tkhou ds eksrh - Aatmik Sandeshaatmik-sandesh.com/as/wp-content/uploads/Baatein... · िमटेअंधेरा, जग हो उजाला, िमल जुल हम

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    अपन ेअपन ेिह द ूभाईिह द ूभाई--बहन को बहन को परमे र परमे र के मे के मे का सुसमाचार कैस ेसुनायका सुसमाचार कैस ेसुनाय

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  • बाँटें जीवन के मोती हद ूभाई-बहन को परमे र के मे का सुसमाचार कैस ेसनुाय

    कॉपीराइट © 2008, बजेृश चोरो टया पहला संःकरण 2008 इस पुःतक में िलखे सभी बाइबल वचन, बाइबल सोसायट ऑफ़ इं डया ारा ह द में ूकािशत ‘प वऽ बाइबल’ (The Holy Bible, Hindi O.V. Re-edited, ISBN 81-221-2141-1) से िलये गये ह। सवािधकार सरु त इस पुःतक का कोई भी भाग त य को बदलकर कसी भी प में लेखक क िल खत अनुमित के बना नह ं संचा रत कया जा सकता है। त य को बदले बना सुसमाचार ूचार के उ ेँय से इस क़ताब क फोटोकॉपी इ या द करने क अनुमित लेखक क ओर से इसी अिधकार सूचना में द जाती है। ूकाशक: बजेृश चोरो टया [email protected]

    मू य: 40 पये

  • ःमिृत

    मे रे दादाजी ःव . ौी रामदेव चोरो टया क याद में

  • सम पत

    यह क़ताब ूभु यीश ुमसीह को तथा प वऽ आ मा को सम पत है ज ह ने मुझे अपने असीम अनमुह से मरेे पाप क मा तथा अनतंकाल का जीवन दया है।

    कमरे क ठंडक में बैठकर कताब िलखना एक बात है और सेवा- ऽै में रहकर, सुसमाचार को दन-दपहर में मो के भूखेु - यासे लोग तक पहँचाना और बात है। म अपने आप को उन सब भाईु -बहन के सम कुछ भी नह ं पाता हँ जो सभी कमीू -घ टय तथा शार रक यातनाओ ंको सहते हये भी मसीह का सुसमाचार लोग तक पहँचात ेह। म उनके समपण को ु ुनमन करता हँ और यह कताब उनको भी सम पत करता हँ। ू ू

    अंत में इसे म अपन ेउन सभी हंद भाईू -बहन को भी सम पत करता हूँ ज ह ने ूभु यीशु पर व ास कया है और अब अपने ूयजन तक यह स चाई पहँचाना चाहते हु । मेरा ूयास है क म ूभ ु यीशु मसीह का मो दान का ससुमाचार पहँचाने के सह तर क के बारे में एक ःप तःवीर ुदे सकँू खास तौर पर उन सेवक को जो सेवा- ऽै में रहकर सुसमाचार ूचार करते ह।

  • आभार

    कताब को िलखना और उसे सह प देना अकेले य का काम नह ं है और बहत से लोग इस काम में मेरे सहभागी रहे ह। ु सवूथम तो म परमे र का ह ध यवाद करता हँ ज होने मझेु न िसफ ूइस कताब को िलखने क ूेरणा द ब क परेू समय अपने प वऽ आ मा के ारा अगवुाई द और मेरा मागदशन कया जससे म इसे िलख सका। म उन सभी मसीह अगवु का बहत आभार हँ जनसे मने मसीह जीवन ु ूक बहत सी बातें सीखी ह और आज इस यो य बन पाया हँ क कुछ बातें ु ूिनचोड़ के प में इस पःुतक में िलख दँ। मनेू बहन र ँम, पाःटर पीटर कु व ला, म रयम आंट , पाःटर डक लै स, साधना आंट , पाःटर देवे ि, संगीता द द , भाई राजकुमार, पाःटर अरनेःट व टर, पाःटर ूभ,ु भाई िशंय थॉमसन तथा अकंल ज़ैक पुनेन आ द अगवु से बहत कुछ सीखा है ुऔर मने आर. ए. टॉरे, ड . एल. मूड (जीवनी), डे वड (पॉल) य गी चो, वॉचमैन नी, बली माहम, रक वॉरेन तथा ज़कै पुनेन का सा ह य काफ पढ़ा है और म उनसे ूभा वत हँ तथाू इन सभी के िलये ूभ ुका बड़ा ध यवाद करता हँ।ू इस पुःतक में िलखी बहत सी बातें ऐसे अनेक व ान ुलोग के ारा मझेु द गई िश ाओं तथा अनभुव का सार है। म उन सभी भाइय तथा बहन का ध यवाद करना चाहता हूँ जो मरेे इस ूयास को साथक करने में ूाथनाओ ंमें मेरे साथ रहे। अपने उन सभी िमऽ और सहायक का भी म आभार य करना चाहता हूँ ज होनें इस क़ताब क आरंिभक ूितलीपी को पढ़कर अपन े वचार य कए। मेर प ी ूेरणा के िलये भी म ूभु का ध यवाद करता हूँ जसके ूेम तथा साथ के बना शायद ह म अपनी इस कताब को परू कर पाता।

  • ूःतावना

    बाँटें जीवन के मोती, हम आओ ऐसा सखु बाँटें,

    िमटे अंधेरा, जग हो उजाला, िमल जुल हम जीवन बाँटें

    जग में दःखु है, और समःया, जीवन पाप का जाल है, पापमय हम इस संसार में, ूभु यीश ुक खुिशयाँ बाँटें

    ऐसी प वऽता िमले सबको, जग में द खयाराु हो ना कोई, जगत योित परम ईश-पुऽ का, मो दान का सच बतलादें

    ना तो कम से, ना ह धम से, ना दान-पु य संःकार से,

    िमले मो हर उस मनुं य को, जो यीशु में व ास करे

    पाप से हम मन फरा लें यीश ुपर व ास करें

    जीवन जल बपितःमा लें, और नया ज म आदान करें

    पाप से मु , मन में शांित,

    ई र के वरदान ह, यीश ुमसीह जो जीवन देते, अनंतकाल तक मा य है

    "...जो कोई तमुसे तु हार आशा के वषय में पछेू, उसे उ र देने के िलये सवदा तयैार रहो, पर नॆता और भय के साथ... "

    [1 पतरस 3:15] हम सभी क बुलाहट है क हम परमे र को जाने। उसे चखने और जान लेने के बाद उसपर व ास कर आ ाका रता का जीवन बतायें। ूभ ुयीश ुक बहत ु सी आ ाओ ंमें स ेएक बहत मह वपूण आ ा है ु (म ी 28:18-20) क हम परमे र के रा य का सुसमाचार जाित जाित और देश देश के लोग तक पहँचायेंु और उ हें चेला बनायें और वो बातें मानना िसखाये जो हम मानते ह।

  • बाँटें जीवन के मोती में मने यह बतान ेक कोिशश क है क हम कैसे इस प वऽ बुलाहट में सहभागी हो सकते ह। हमें कन बात का यान रखना चा हय ेऔर कौन कौन सी ऐसी बातें ह जनका हम उपयोग न ह करें तो बेहतर है। इस कताब क मु य वषयवःतु उस धम वशेष के लोग तक ससुमाचार पहँचाने क है जनमें से म भी ु आया हँ। अपने अनभुव तथा परमे र क ूूेरणा के अनुसार मन ेउन वषय को छूने क कोिशश क है जसके कारण बहत बार ु हममें से कई भाई-ब हन तथा अनेक सुसमाचार ूचारक इस मत से जुड़े लोग में पैठ बनान ेमें असमथ रहते ह या कई बार उनक धािमक भावनाओं को ठेस पहुँचाकर उनसे दँमनी मोल ले बैठते ह। अनजाने में वे ुन िसफ अपने िलये ब क आगे भी ससुमाचार ूचार के सारे माग में ग डे खोद लेते ह। बहत बार जानकार के अभाव में ु ऐसा हो जाता है। इस कताब में मन ेऐसे कई पहलओुं को छुआ है जससे सेवा- ऽै में काय करन ेवाले सेवक लाभ उठा सकते ह। मेरा ज म हंद ूप रवार में हआ ु है, इसिलए म समझ सकता हँ क जब ूकोई मसीह का ससुमाचार थोपने क कोिशश करता है तो मन में कैसी कैसी भावनायें उठती ह। म मिूतपजूक तो नह ं रहा पर अपन ेधम तथा अपनी संःकृित से मझेु हमेशा से ूेम रहा है। वे ूचारक जो आ मक उ ार के अलावा कसी भी दसरे संदभ में बात करने लगते ह ू (और खास तौर पर बना उसक पूर जानकार के) तो वे एक द वार अपने और सनुनेवाले के बीच खड़ कर लेत ेह जसे पार करना दंकर हो जाता है। ु मने ऐसे वषय को भी छूने क चे ा क है। इस पुःतक में कई जगह पर मने ूचिलत हंद के ऐसे श द का ूयोग कया है जनका उपयोग आ या मक कताब में कया जाता है। साधना, स संग, सतगु , ई र, आःथा, ज मो सव आ द ऐसे ह कुछ श द ह। शु में आपको ये थोड़े अटपटे लग सकत ेह पर उनको समझ लनेे से आपको एक राःता िमलेगा जसका इःतेमाल कर आप उनके बीच में जगह बना सकें गे।

  • य द आप हंद समाज से जुड़े लोग के बीच में ूभ ु यीश ु के ूेम क ूखुशखबर बाँटते ह, या बाँटने क इ छा रखते ह तो मरे परमे र से ूाथना है क इस कताब के पढ़ने पर आपको वो बातें सीखने को िमलें जो परमे र आपक सेवा को फलवंत करने क िलये आपको िसखाना चाहता है। य द आप हंद प रवार से मसीह व ास में आये व ासी ह और अपने ूप रवार, दोःत तथा रँतेदार क िचंता करते ह क कस ूकार कन बात का यान रखते हए कैसे आप उन तक यह सुसमाचार पहँचायेंु ु , तो आपके िलये भी मेर ूाथना है क ूभु आपको भी यान रखने यो य मु य बातें िसखायें और आपके प रिचत के बीच में आपके गवाह सनुाने को आशी षत करें ता क बहत सी आ मायें नाश होन ेसे बच जायें।ु

  • वषय-सचूी

    ifjp; 13 पृ भूिम .......................................................................................................14

    lPpk lqlekpkj D;k gS 23 सुसमाचार या है.......................................................................................24

    Lqklekpkj izpkj dk Hkkjrh;dj.k 29 भारतीयकरण क आवँयकता ....................................................................30 सुसमाचार ूचार का भारतीयकरण ............................................................33 यीशु मसीह तथा बाइबल का हंदकरणू .....................................................37

    fojks/k D;ksa gksrk gS 41 हंद ूधम या है? .......................................................................................41 हंद ूधम में आचरण ..................................................................................44 वरोध य होता है? ..................................................................................51 इस वषय में या ूाथना करें ..................................................................58

    Xkokgh vkSj lqlekpkj izpkj lsok 63 गवाह तथा ससुमाचार ूचार .....................................................................63 गवाह तथा ससुमाचार – कुछ गहराई क बातें ........................................67 बात कैसे शु करें ......................................................................................73 य गत गवाह ारा सेवा ........................................................................76

    esjh O;fDrxr xokgh 81 गवा हयाँ......................................................................................................86

    D;k vki rS;kj gSa 99 स चा सेवक कौन है ................................................................................100

    fu"d"kZ 105 यान रखन ेयो य दस मु य बातें..........................................................106

  • 1 ifjp;

    संसार क परू जनसं या के छठे भाग को शरण देने वाला हमारा देश, भारत व वधताओ ंसे भरा हआ देश है। चाहे आप ूाकृितक सौ दयु क ओर देखें, रहन-सहन, खान-पान, भाषा, सःंकृित, रंग- प या कुछ ओर, हर चीज में व वधता होते हए भीु एकता है। अनेक जाितय और धम क ज मभूमी यह देश धािमक भाईचारे क एक िमसाल रहा है। मरेे याल में पूरे व में कोई ऐसा देश नह ं होगा जसक अपने आप क एक धरोहर हो, एक इितहास। - इतनी व वधताओ ंके बीच ऐसी एकता। या म एक याली तःवीर बना रहा हूँ?

    इस ह देश में तो जाितगत छूआछूत, दहेज, क या-ॅूण ह या, ॅःटाचार तथा अमीर-गर ब में भेदभाव जैसे दानव भी वकराल प धारण कये इंसािनयत को ह चकनाचूर कर रहे ह। हाँ, ये दोन ह तःवीरे हमारे भारत देश क ह ह। अिश ा, गर बी, बेरोजगार तथा अंध व ास ने बहत से ऐसे पाप को इस देश में ज म दया ु

  • बाँटें जीवन के मोती 14

    है जो लोग को ई र से तो दर कर ह रहे ह उनको सवनाश क ओर भी ूधकेल रहे ह। परंत ु फर भी, इस बात में कोई संदेह नह ं है क भारत में एक बात तो है – यहा ँधम सतह नह ं है जो कनार पर रहे, धम यहाँ क नस नस में है। कोई ूकृित को मानता है, तो कोई देवी-देवताओ ंको; कोई मूित-पूजा करता है तो कोई साधना। कोई अमतृवाणी सुनता है तो कोई स संग। कोई अ ेत को मानता है तो कोई कहता है क कण कण में ई र का वास है। धम यहाँ क सःंकृित के साथ इतना अदंर तक जुड़ गया है क काम में धम है, नाम में धम है, र ित रवाज में धम है, ज म और मरण में धम है, नहाने धोने में धम है, खाने और खलाने में भी धम है। देखा जाये तो धम यहाँ जीवन जीने का एक तर का है। ूभु यीश ुमसीह का परमे र के ूेम का, मानवजाित को पाप- मा का और मो पाकर ःवग रा य में सदैव रहने का एकै र य (एक ह ई र को मानने वाले) सुसमाचार शु से लेकर अब तक इस बहई र य ु (बहत से ुई र और देवी-देवताओ ंको मानन े वाले) देश में जगह बनान े के िलये जूझता रहा है। जब तक हम यहाँ क संःकृित को ना जाने और धम तथा संःकृित के बीच के बहत बार क अंतर को ना पहचानेु , सुसमाचार काय को आगे बढ़ा पाना मु ँकल है और सह मायनो में अपने हंद भाईय और ूबहन को परमे र के ूेम के बारे में बता पाना क ठन है।

    पृ भिूम व के सबसे बड़े लोकतंऽ, हमारे देश भारत क जनसं या 100 करोड़ से ऊपर है और जनसं या क से यह व का दसरा सबस ेबड़ा देश है। ूजस र तार से यहाँ क जनसं या बढ़ रह है, माना जा रहा है क सन ्2015 तक भारत ससंार का सबसे यादा जनसं या वाला देश हो जायेगा। यह धम तथा कम क जमीन है। व के कर ब कर ब सभी मु य धम का तथा उनक िश ाओं का यहाँ आदर कया जाता है। यहाँ एक ओर एक-ई र

  • 15 प रचय

    को मानने वाले मु ःलम तथा ईसाईय का देश है, ई र को ना मानकर िनवाण को ह लआय मानने वाल का देश है तो यह 33 करोड़ देवी-देवताओ ंको मानने वाल का भी देश है। यह वो जगह है जहाँ ‘कण कण में भगवान’ माना जाता है, ‘सबका मािलक एक है’ का सदेंश दया जाता है और ‘सभी माग एक ह ह’ क िश ा द जाती है। आ या म क बहत ु पुरानी धरोहर रखने वाले इस देश में ई र क भ के अलग अलग माग क अनेक धारायें अनवरत बहती ह जो दर दर तक ू ू (सात समंुदर पार भी) अपनी छाप छोड़ने लगी है। कर ब 220 मु य बोिलय वाला यह देश ई र को अलग अलग नाम तथा ःव प में देखने का तथा उसमें ौ ा रखने का आद है। यादातर लोग कम पढ़े िलखे और गर ब ह और रोट , कपड़ा और मकान क जुगत में ह ज दगी काट देते ह। पाप- मा तथा मो -ूाि जैसे ऊँचे मसले उनके जीवन क पहँच से बाहर क चीज हु , परंत ुई र में सभी लोग ौ ा रखते ह और ूेम तथा भ के साथ दये गये स संग का आदर करते ह। भारत उन देश में से एक है जसका उ लेख परमे र के वचन में भी िमलता है (एःथेर 1:1)। परंतु दःख क बात यह है क ु परमे र का वचन अभी इस देश में नह ं रच पाया है। मेरा अिभूाय यह कतई भी नह ं है क ‘येन केन ूकारेण’ ( कसी भी ूकार) इस देश के सभी लोग को ईसाई बना दया जाये। नह ं, कतई भी नह ं। बाइबल साफ साफ कहती है क बुलाये हए तो बहत ह परंत ुचुने हए बहत ु ु ु ुथोड़े। हमारा काम धम-प रवतन नह ं है। हालां क इितहास में बहत बार ऐसा ुसुना गया है क साम, दाम, द ड, भेद नीित के ारा ऐसे ूयास कय ेगये ह, परंतु न तो यह इस पुःतक का वषय है और न ह यीश ुमसीह क िश ा। हमारा काम है, 100 करोड़ से ऊपर क आबाद वाले इस देश में, परमे र के महान ूेम के बारे में बताना। जो व ास करेगा वो उ ार पायेगा। घोड़े को पानी तक लाना ह हमारा काम है, पानी पीना या ना पीना उसक मज । हम कसी भी य को वो चीज जो हमें दख रह है, दखाने का ूयास

  • बाँटें जीवन के मोती 16

    उसक ओर ईशारा करके कर सकत ेह, परंतु वो उसे ठ क-ठ क देख सके, और उसे वाःत वक प में वसैा ह देखे जसैा हम देख रहे ह, उसके िलये यह ज़ र है क हमारे बताने के बाद वो ःवय ंभी उस वःत ुको देखना का इ छुक बने और समझने का ूयास करे। हम कसी पर अपनी कोई बात या

    कोण थोप नह ं सकते, पर हाँ, जब मौका िमले तो उसे सह ूकार स ेसमझान े ( जस तर के से वो समझ सकता है) और ठ क-ठ क दखाने का ूयास तो हमें ज़ र करना पड़ता है। परंत ुहमें यह समझन े क आवँयकता है क हंद य क समझ और ूसोच में आपक सोच क तलुना में बड़ा अंतर है। ससुमाचार क बातें आपको लगता ह क आप सरल श द में समझा रहे ह और सामने वाला य ज़ र समझ रहा होगा, यह एक भार भलू भी हो सकती है। एक ह श द क आपक और एक हंद य क समझ में बड़ा अंतर हो सकता है। ूउ ार अथवा मो क आपक समझ और हंद य क समझ अलग हैू , आप जहाँ इस ेपाप से मु तथा अनतं जीवन के प में देखत ेह, एक हंद के िलये ू इसका अथ ज म-मरण के चब से छुटकारा है।

    ई र को देखने का और उसक भ करन ेका उसका तर का भी आपसे अलग है, जहाँ आप एक ह ई र को मानते ह, एक हंद य के िलये ूकण कण में भगवान है (ब क उसका मानना होता है क भगवान उसके अंदर ह है जसक खोज साधना के ारा करनी है), वह एक या बहत से ुदेवी-देवताओ ंको मानने वाला होता है, और कसी दसरे को भी अपनाने ूतथा आदर करने में देर नह ं करता। जहाँ आपके िलये बाइबल एकमाऽ धमपुःतक है जो ई र से सबंंिधत सभी ू तथा बात का संपणू जवाब है, हंद धम क कोई एक वचारधारा नह ंू है, वह एक खुले मैदान क तरह है जसमें आप जस भी दशा में जतना भी दौड़ सकें वो ह आपका कम है और उसी आधार पर आपका अगला ज म िनधा रत हो जायेगा। आप जहाँ एक ज म, मृ य,ु याय (दंड - नक अथवा आशीष - ःवग) में व ास करते ह, एक हंद य कमू के आधार पर 84 लाख योिनय में अथात ज म के बाद ज म लेने में व ास करता ह। जहाँ हमारे िलये ूभ ुयीशु हमारे मसीह व ास के ूवतक (शु करने वाले) ह, हंद धम का ू

  • 17 प रचय

    अपने आप में कोई एक ूवतक नह ं है। हंद लोग बहत से धािमक ू ुकायकलाप और सःंकार करते ह पर उनका उ व (शु आत) कहाँ से हईु , यह नह ं समझते। हम जतना परमे र के वचन को मह व देत ेह उतना ह वे कम को ूधानता देते ह, और संभव है क बहत से लोग आपको ऐसे ुिमलें ज ह न ेकभी कोई धमशा नह ं पढ़ा। हंद धम में लोग अपनेू ज म के आधार पर जाितय में बँटे हए ह और ुहरेक जाित के अपने सःंकार, देवी-देवता तथा मा यतायें होती ह। यादातर हंद लोग ई र को अनेक प में देखने के आद हू , और य क बहत से ुदेवी-देवताओं का ःवभाव उम भी होता है, इसिलये वे उनसे डरते भी ह, और इसीिलये ूभु यीश ुको सबके साथ मानने में उ हें कोई द कत नह ं होती, वे यीशु का िचऽ बा क देवताओं के साथ लगाकर उसक पूजा कर सकते ह, परंत ुसब कुछ छोड़कर िसफ यीश ुमसीह के पीछे चलना उनको बड़ भयकंर बात लगती है। उ हें लगता है क इससे उनके ःथानीय अथवा कुल के देवता या कोई और भगवान नाराज़ हो गये तो या होगा, और इसिलये वे आसानी स ेमसीह को उ ारकता महण नह ं कर पाते। इ ह ं सब बात के कारण आपको ससुमाचार बाँटते व सुनने वाले क मनो ःथित को समझना बहत ज़ र है।ु एक बात और जो ूभ ुने ूकाशन के प में हमें लै य यवःथा तथा िगनती क पुःतक में से िसखाई है वह यह है क बहत से संःकार तथा र ित रवाज ुजो आज हंद धम में ूचिलत ह उनक शु आत कैसे हई और य उनका ू ुपालन कया जाना चा हये यह बहत से ु ह दओंु को नह ं मालूम परंत ुअसल में बाइबल के पुराने िनयम से हमें उनक पूर जानकार िमलती है। जैसे पूजा करते समय घंट का बजाना, आरती तथा धूप करना, ितलक करना, पानी में डबक लगानाु , मुंडन कराना, पशु-बिल, परुो हत को भेंट आ द ऐसे काम ह जनको बहत लोग ु करते तो ह पर समझते नह ं क य करते ह जब क हमें बाइबल के परुान ेिनयम में उनका परूा ववरण िमलता है। भारत के प म तथा म य-पूव के वासी ‘आय’ जो क पुरान ेिनयम क कई बात को जानते थे, भारत में आये और अपने पूजा-अचना के तर के भी िसखाय।े

  • बाँटें जीवन के मोती 18

    जी हाँ, भारत के असली देशवासी ि वड़ जाित के लोग जो गहरे वण के होते थे जनपर 2500 ईसा पूव गौरवण के आय (ईरान अथवा अ य प मी देश से आये वदेशी आबमणकार ) ने आबमण कया और उ हें पराःत कर द ण क तरफ धकेल दया। इितहास के व ान मानते ह क हड़ पा संःकृित (2600 – 1700 ईसापूव) भारत के ि वड़ ारा ःथा पत क गई थी जो क िसंधू घाट के आसपास का ैऽ था जसे िसंध ुघाट स यता भी कहा जाता है। इसका मु य ऽै भारत के गजुरात व राजःथान तथा पा कःतान के िसंध पजंाब व बलूिचःतान में माना गया है, पर इसके बहत ुसे अवशेष अफगािनःतान तथा तकुमेिनःतान तक भी िमले ह। मेसोपोटािमया स यता (5000 – 700 ईसापूव) में राजा उर, अँशरू जाित, ह ी तथा िमौी लोग का ज़ब िमलता है जो क बाइबल में भी िलखे ह। यह बात इस बात को समझने के िलये काफ है क ईरान तथा प म से आये य ेआय लोग ई र क उपासना के अपने तर के लेकर भारत ूदेश में आये। ि वड ( ज हें बाद में दःय ु भी कहा गया) ःथानीय लोग थे जो ूकृित तथा मिूतय क उपासना करते थे उनको आय ने ई र उपासना के अपने तर के िसखाये जो सभंवतः यहोवा परमे र के बताय ेहय ेकई िनयम ुको जानते थे और मानते थे। कुछ दन पहले एक भाई को ईरानी भाषा बोलते देख मुझे बहत आ य हआ ु ुय क मुझ ेकर ब कर ब सार बात समझ में आ रह थी, हालां क कुछ श द एकदम अलग थे, फर भी म समझ पा रहा था। मुझे इस वाकये से यह बात समझने में देर नह ं लगी क आय का आगमन एक कपोलक पत बात नह ं है। मुझे इससे यह बात भी समझ में आ गई क य द ण भारत क भाषाओं (ि वड़ भाषायें - तिमल, क नड़, तेलुग,ु तलु ु तथा मळयालम) क तलुना में हंद भाषा ईरानी से यादा िमलती जुलती है। इन सब बात क पूर जानकार रखकर जब आप बात करेंगे तो आपके हंद ूिमऽ आपके ान से भी ूभा वत ह गे और संभवतः और जानने में िच लें। हंद धम ू के मानने वाले जहाँ ान को बहत ूधानता देतेु ह, बाइबल िसखाती है क परमे र का भय मानना आ मक बु , ान तथा समझ क शु आत है (नीितवचन 1:7, 9:10, भजनसं हता 111:10) और परमे र हम

  • 19 प रचय

    जैसे साधारण लोग से जगत के असाधारण व ान को भी शिमदा करा सकता है। एक और समझने वाली बात यह है क हमार नज़र आकँड़ पर नह ं होनी चा हये। परमे र को भीड़ नह ं, आ मा और स चाई से उसक आराधना करन े वाले स चे भ चा हये। स चे चेले जो अपन े गु का पूरा पूरा अनुसरण करते ह और ई र क मज़ पर ह चलना चाहते ह । भारतवष में ूभु यीश ुमसीह का ससुमाचार पहँचाने में एक नह ं बहत सी ु ुकावटे ह ज हें पहचान कर उनका िनवारण कर आगे बढ़ना ज़ र है। उनमें वराट जनसं या, व वध सःंकृितयाँ, वशाल ऽैफल (देश क ल बाई और चौड़ाई), अनेक भाषायें, बहई रवादु , ई र को पाने के अ या य तर के शािमल ह। सरकार आकँड़ के हसाब से भारत क कुल जनसं या का िसफ 2.3 ूितशत भाग ह ईसाई है। यह आँकड़ा न तो हमें दःखी करना चा हये ुऔर न खशु – य क उनमें से कतने ूभु को य गत प में कतने लोग जानते ह यह हमें नह ं पता। और न ह हमें यह पता है क इन आँकड़ के अलावा अ य धम में ऐसे कतने लोग ह ज होने धमातरण तो नह ं कया पर ूभ ुयीशु में व ास करत ेह और परमे र के ूेम में भ का जीवन बताते ह। सन 2007 के बीच का एक आँकड़ा म यहाँ देना चाहता हँ जो क जॉनसन ूतथा तीसज़ेन (Johnson and Tieszen)* ारा अ ू बर 2007 में एक शोध के अंतगत इक ठा कया गया है। यह अ य व ािसय के कसी भी मसीह (अथवा ईसाई) य के स पक में होने का ूितशत को ूदिशत करता है।

    धम अथवा ौणेी के लोग जो कसी मसीह (ईसाई) य को य गत प से जानते ह

    एिशया में पूर दिनयाु

    बौ लोग 13.7% 14.1% हंद लोग ू 13.9% 14.1% मु ःलम लोग 10.4% 13.3% अधािमक लोग 14.7% 31.6% ूकृित अथवा अ य देसी धम को मानने वाले 15.8% 30.3%

    * http://www.lausanneworldpulse.com/research.php/856 (For full article, including research methodology, see Evangelical Missions Quarterly, October 2007, 494-502.)

  • बाँटें जीवन के मोती 20

    इन आँकड़ से एक बात तो समझ में आती है क दिनया में ु कतने ह ऐसे भी लोग ह जो य गत तौर पर कसी भी ईसाई या मसीह य को जानते ह नह ं ह तो फर मसीह के बारे में तो वो कैसी ह सुनेंगे। कैनेड़ा के ूचारक औसवा ड जे ःमथ का कहना है क हम मसीह के दसरे ूआगमन क बात करते ह जब क आधी दिनया ु से यादा लोग अभी ूभु यीशु के ूथम आगमन स ेभी अजंान है। हरेक मसीह य को इस बात को समझना चा हये क वो िसफ मसीह लोग से ह िमऽता ना करें ब क हंद लोग को भीू अपना िमऽ बनायें और फर धीरे धीरे उनसे ई र के बारे में बात करें। यू ँतो परमे र ःवपन , दशन तथा अ य ससुमाचार ूचार के साधन से लोग तक सुसमाचार पहँचाता हैु , परंतु हर सद में इंसान से इंसान तक इसके पहँचने क तादाद ुह यादा रह है, इसिलय े हमें तो अपनी ज मेदार समझनी ह होगी, ता क मसीह का रा य शीय आ सके। हमारे देश का लगभग 80 ूितशत भाग हंद है जनको परमे र तक ूपहँचने का माग बतानेु का ूयास आप कर रहे ह। इतनी बड़ सं या से भी हतो सा हत होने क कोई बात नह ं है। इसमें बहत से ऐसे लोु ग ह जो अब मसीह को य गत तौर पर जानते ह और उसका अनसुरण करते ह। यह आपका उ ेँय है क लोग स चे ई र को पहचाने और उसक कृपा से पाप-मा तथा मो (उ ार) ूा करें।

    यह पृ भूिम अपने आप में इस बात को समझाने के िलये काफ है क हमारा लआय कन तक पहँचना है। एक ऐसा देश जसक अपनी एक ुसंःकृित है, अपना एक इितहास है और जो आज भी जीवन के हर ऽै में िनत नया इितहास िलख रहा है। इसमें भी ऐसे लोग जो ई र को हर प में, हर रंग में, हर भाषा में देखने के िलय ेतैयार ह, और अपने सभी ई र के साथ ूभ ुयीश ुका भी ःवागत करन ेको तयैार ह। म जानता हँ क यह ूहमारा उ ेँय नह ं है, पर म मानता हँ क हमें िसफ स य का ान कराना ूहै, फर स य ःवतः ह उ हें अ य बंधन स ेमु करेगा (यहू ना 8:32)।

  • 21 प रचय

    उन तक पहँचने के िलये उनके तौरतर क और र ित रु वाज को जानना (मानना नह ं) ज़ र है। ऐसे तर को का इःतेमाल करके जससे आप उ हें नाराज न करें ब क उनक भावनाओ ंका आदर करते हए देशी िलबास में ुजब आप सुसमाचार को पहँचायेंगे तो वह ज़ र महण होगा।ु यान रखें क हंद धम तथा उसक िश ायें बहत व वध हू ु – हरेक हंद मूितपूजक नह ं ूहोता, कोई ई र को मूत प में पूजता है तो कोई अमूत क साधना करता है। उसके वचार तथा वचारधारा का यान रखते हए ह आपको सुसमाचार ुसुनाना होगा। दसरा यह क अ य धम क अपे ा हंद धम काफ लचीला ू ूऔर सतत वकाशशील है, इसिलये नय ेनये धमगु नये वचार ूितपा दत करते ह और यह बढ़ता जाता है, इसिलय ेइसमें ढ़ वाद बात स े लेकर आधुिनक आ या मकता सब कुछ पाया जाता है, इसका यान भी हमें रखना ज़ र है। बाइबल हमको िसखाती है क पौलुस ने सह तर का इःतमेाल कया - “ य क सब से ःवतऽं होन ेपर भी म ने अपने आप को सब का दास बना दया है क अिधक लोग को खींच लाऊँ। म यह दय के िलये यहद बना ू ूक यह दय को खींच लाऊँ। जो लोग यवःथा के अधीन ह उनके िलये म ूयवःथा के अधीन न होने पर भी यवःथा के अधीन बना क उ हें जो यवःथा के अधीन ह, खींच लाऊँ। यवःथाह न के िलय ेम जो परमे र क यवःथा के अधीन हूँ, यवःथाह न सा बना क यवःथाह न को खींच लाऊँ। म िनबल के िलये िनबल सा बना क िनबल को खींच लाऊँ। म सब मनुं य के िलये सब कुछ बना क कसी न कसी र ित से कई एक का उ ार कराऊँ।”

    [1 कु र थय 9:19-22] य द हमारा आधार बाइबल है तो हमारा माग तो तय है। हमें बस व ास के साथ कदम बढ़ान ेक आवँयकता है।

  • 2 lPpk lqlekpkj D;k gS

    पहली बात तो यह श द ‘सुसमाचार’ ह बहत के प ले नह ं पड़ताु । ऐसा नह ं है क यह श द गलत है या सनुाने वाले क मंशा गलत है। पर उसे सुनने वाले के ःतर पर जाकर समझाना ह सह ससुमाचार है। आप इसे खुशखबर कह सकते ह, शुभ-संदेश कह सकते ह, ई र के ूेम का समाचार कह सकत ेह, मो का माग कह सकते ह, कहने का मतलब यह है क सामने वाले क मनो ःथित को समझकर और उसके ःतर पर जाकर सुनाया गया ससुमाचार ह फलवंत होता है। िसफ कसी को सुना देना भर काफ नह ं है, जैसा हम में से कई लोग करते ह ब क उसके समझ में आने तक उसे अ या य तर क से बताते रहना ज़ र है। दसरे यह बातू ऐसी भाषा तथा श द में बताई जानी चा हये जो उसे समझ में आये। एक चीनी य को हंद में सुनाया गया ससुमाचार

  • बाँटें जीवन के मोती 24

    जैसे बेकार है, ठ क उसी ूकार एक हंद य को उसक समझ में आन ेूवाले श द के बना सुनाया गया ससुमाचार कई बार बेकार चला जाता है। दसर बात येू क मन े "स चा सुसमाचार" य िलखा है? या कोई झूठा सुसमाचार भी होता है?

    ससुमाचार या है पापी मनुं य के िलये परमे र के ूेम का समाचार, जसमें हम पापमय वःतु ःथित को समझाते ह, पाप- मा के िलये प ाताप क आवँयकता तथा ई र क कृपा का वणन करते ह और मानवजाित के मो (उ ार) के िलये (और उनके पाप क क मत चकुाने के िलये) ई र क अपने पुऽ के मानव प में भेजने क , उसके बिलदान, मृ य ुतथा पुन थान क योजना का खलुासा अपने सामने बठेै अ व ासी भाई या बहन से करत े ह, यह स चा सुसमाचार है। “इसी कारण म ने सब से पहले तु हें वह बात पहँचा दु , जो मझेु पहँची थी ुक प वऽशा के वचन के अनसुार यीश ुमसीह हमारे पाप के िलये मर गया और गाड़ा गया, और प वऽशा (भ वंयवा णय ) के अनसुार तीसरे दन जी भी उठा और कैफा को तब बारह को दखाई दया। फर वह पाँच सौ से अिधक भाइय को एक साथ दखाई दया...”

    [1 कु र थय 15:3-8] अब आप इसको कैसे करते ह, यह आप पर िनभर करता है। उ ार के स चे सुसमाचार में से कसी भी भाग को िनकाल देना एक समझौता है जो क उसे अधरूा बना देता है। ऐसी खुशखबर के अलावा और कसी भी तरह क खुशखबर , जैसे बीमा रय से छुटकारा, जीवन क मु ँकल प र ःथितय का ख म हो जाना, नौकर िमल जाना, आशीषें िमलना, सुख-शांित िमलना, ई र से धन-संपदा पाना इ याद सब अधरू खुशखबर है, और य द अंत तक पाप- मा तथा अनंत जीवन के समाचार से परू न क जाये तो झठू खशुखबर ठहरती है।

  • 25 स चा सुसमाचार या है

    आजकल बहत से लोग िसफ यह ूचार करत े ह क ूभ ुु यीश ु में बस व ास कर लेना काफ है (आप प ाताप करें या न करें, ूभु यीश ुक आधीनता में चलें या न चलें), यह भी गलत है। शैतान तथा उसक द ुआ माए ंभी जानते ह क परमे र एक ह है (याकुब 2:19) और यह क यीशु मसीह मतृक में से जी उठने वाला जी वत ई र है, वे उसके नाम से काँपते भी ह, परंतु उनमें और एक व ासी चेले में फर या अंतर है, यह क व ासी चेला अपने पाप से प ाताप कर यीशु को अपना ूभ ु(सतगु ) जानकर उसक आ ाका रता में जीवन बताने का िनणय लेता है जब क शैतान और उसक आ मायें हमेशा परमे र के वरोध में बने रहते ह। िसफ बु से यीश ुको जी वत ई र मान लेना ऐसा है जैसे कसी लड़क को कोई लड़का पसदं आ जाये और वो उससे शाद कये बना ह उसे अपना पित मानने लगे। या िसफ उसके मान लेने भर से ऐसा हो जायेगा, नह ं। उसके िलये उसे सबके सामने अंगीकार करना होता है और अपने िनणय स ेउसके साथ शाद का संबंध बनाना होता है ता क वो काननून उसक प कहलाये। कई लोग कह देते ह क ई र ूेम है, यह अधूरा सुसमाचार है और जब तक पूरा न हो जाये, अस य यािन झूठा ससुमाचार कहलाता है। ूभु यीश ु ने हरेक आ यकम के बाद यह कहा क कसी को न बताना। ता क लोग ऐसा न समझ लें क बस वो द ा माु िनकालने वाला जादगर हैू , या बीमा रय से ठ क करने वाला कोई वै , या फर माग दखान ेवाला कोई गु । ूभु यीश ु ने अपने चेल से पछूा क लोग मुझे या कहते ह, तो कसी ने कहा, भ वंयव ा, कोई बोला यहु ना या एिलयाह। परंत ुूभ ुन ेफर पूछा क तुम मुझे या समझते हो और पतरस के यह कहने पर क आप परमे र के पुऽ मसीह (छुड़ानेवाला) ह, तब ूभ ु ने कहा क यह उसपर परमे र के ारा ूकािशत कया गया और यह स य है, बा क सब झूठ। हमें बीमा रय स ेछुटकारा दलाने वाल,े और नौकर दलाने वाले और धन-संपदा देने वाले यीश ुका सुसमाचार नह ं बताना है, ब क पाप से मा दलाने वाले ईश-पुऽ यीश ुका ससुमाचार बताना है जो मरकर जी वत हो गया और आज ःवग रा य में िसंहासन पर बैठा है ता क आने वाले समय में मतृक का और जी वत का याय करे।

  • बाँटें जीवन के मोती 26

    म यह नह ं कह रहा हँ क य को ूभु यीश ुको जान लेने के बाद ू अ य दिनयावी ज़ रतेंु /आशीषें नह ं िमल सकती ह, ब क यह बताने क कोिशश कर रहा हँ क इन बात के िलये कोई ूभ ुयीश ुपर व ास करे परंत ुपाप ूक समःया को ना समझे, ना उनसे तौबा (प ाताप) करे और न ह उनसे मा मांगे, तो उसका उ ार नह ं हो सकता और अ ततः हम उसे ई र क

    संतान बनान ेके बजाय "नक क दगनीु संतान" (म ी 23:15) बना डालेंगे। इसिलय ेहमें सतक रहने क ज़ रत है क हम या सुसमाचार सुना रहे ह। हमें पाप से प ाताप, परमे र के ूेम, ूभ ुयीश ुके इंसान प में आने का ूयोजन, उनक िश ायें, उनक मृ य,ु उनका फर जी उठने और जी वत ःवग में उठा िलया जाने क खुशखबर लोग को सनुानी है। अब उनका लह ूहमें हमारे अधम को धोकर साफ करता है और हमें पाप मा तथा मो देता है, यह बात ःप तौर पर बतान ेक ज़ रत है। कई बार हम यह बताना भलू जाते ह क परमे र कतना प वऽ तथा ूेमी है, और कई बार यह क वो एक यायी परमे र भी है। वह पाप लेकर कसी को ःवग में आने क इज़ाजत नह ं देगा और जो उसके दये हए पाप मा के एकमाऽ ुराःते को ठुकरा देते ह, उनका वो भी ितरःकार कर देगा। परमे र ने सभी को ववेक दया है जो उनको चेताता रहता है क उ ह ने अपने जीवन में पाप कये ह। जैसे ह आप पाप के वषय में बात करेंगे, आपके सामन े बैठा य समझ जायेगा। ले कन बना प वऽ आ मा के कोई यह नह ं कह सकता क यीश ुमसीह ह ूभ ुहै, इसिलये अलग अलग लोग अलग अलग तर क स ेइस बात का खंडन करन ेक कोिशश करते ह। इस सुसमाचार को आप कैसे उन तक पहँचायेु , यह ह एक मह वपूण मसला है। सामने वाले य क सोच को समझे बना, उसके धरातल पर पैर रखे बना "मसीह श द " में सुनाया गया ससुमाचार बहत से लोग के ुअंदर तक नह ं पहँच पाता है।ु म यहाँ ऐसे लोग क बात नह ं कर रहा हँ ूजो दःख सेु , प र ःथितय से टटे हए थेू ु , और ढंढते हए मसीह के नज़द क ू ुआ गये और ूाथनाओ ंके उ र होते देख तुरंत व ास करने लगे, ऐसे लोग को बचाने के िलये तो ूभ ुका ध यवाद हो, परंतु म आम लोग के बारे में

  • 27 स चा सुसमाचार या है

    बात कर रहा हूँ, जो अपन ेरोजाना का जीवन जी रहे ह। मामलूी परेशािनयाँ तो उनके जीवन में भी ह गी पर वो बदहवास होकर कह ं कोई हल नह ं ढंढ ूरहे ह – जैसे आपका दधवालाू , परचूनी क दकानवालाु , अखबार बाँटनेवाला, टै सी/बस/ऑटो साइवर, आपके साथ बस-ःटेंड पर खड़े लोग, खेत में काम करत े कसान, ईमारत बनाते मज़दरू, ऑ फस में आपके साथ करने वाले लोग, आपके मैनेजर या अफसर, हॉटल तथा रे ां का ःटाफ जहाँ आप जाते ह, पेशॉल पंप वाला, स जीवाला तथा अ य ऐसे लोग। अपने चार ओर नज़र दौड़ाइये और दे खये कतने ह लोग आपके दखेंगे जो अपनी परेशानी लकेर आपके पास नह ं आयेंगे, आप को उनके पास जाना होगा। म समझता हँ क ूभ ुयीशु ने इसका एक ू अ छा उदाहरण हमको दया है। ांत का उपयोग ससुमाचार सुनान ेका यादा कारगर तर का है, बजाय

    इसके, क हम सामन ेवाले के कम-का ड , तौर-तर क , संःकार , ई र के बारे में उसक समझ का वंलेषण करें और फर बाइबल के िस ा त समझायें। ूभ ुयीश ुमसीह यादातर रोजाना क प र ःथितय में से ांत उठाकर लोग को ःवग के रा य के बारे में बताया करते थे। मजदरू, बीज बोने वाला, राई, पेड़, पहाड़, भेड़, द हनु , द या ये सारे श द बहत सरलताु के साथ आम आदमी को परमे र के रा य के बारे में बताते थे जनको धम क तथा परुाने िनयम क बहत जानकार नह ं थी।ु मेले में भटक गये एक ब चे क अपने पता स ेिमलने क कहानी जसमें ब चा अपनी सीिमत बु के कारण उसको ढंढ नह ं सकताू , हमार ःथित को ःप प से ूकट कर सकती है। इस कहानी के साथ आप ूभ ुयीशु हम पा पय के ढंढने आने और हमें पाप से िनजात दलाने क सार बात ूसरल श द में आप बता सकत ेह। एक यायाधीश और उसके सामन ेलाये गये उसके अपने अपराधी पुऽ के िलये जज का कत य िनभाते हए उस पर ुकड़ा द ड देने और फर जज क कुस छोड़कर उसका द ड खदु चकुा देन ेक कहानी हमारे पता परमे र के हमारे िलये ूेम को ःप र ित से दशा सकती है जसमें हमें कसी धम क बात को बीच में लाने क ज़ रत नह ं पड़ती है। ब क म सच कहँ तो हमें धमू -प रवतन का वरोध ह ूकट करना चा हये ता क सनुने वाला भी समझ जाये क हम धम के नह ं अ पतु

  • बाँटें जीवन के मोती 28

    जीवन के तथा मन के प रवतन में िच रखते ह ता क उसका अधम से प रवतन हो जाये और वह मृ य ुसे जीवन में ूवेश कर सके। बाइबल में दये उड़ाऊँ पुऽ तथा बीज बोन ेवाले का ांत बहत से ई र के ुखो जय को स य, माग तथा जीवन अथात ूभ ुयीशु (यूह ना 14:6) का और अतंतः परमे र पता का व ःवग का दशन करा सकता है। प ाताप, व ास, पाप- मा तथा परमे र के ूेम तक लाने वाला समाचार ह स चा सुसमाचार है।

  • 3

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    Hkkjrh;dj.k कई लोग संदभ करण को ठ क नह ं मानते परंतु यह एक कड़वा स य है क वदेशी याले में देसी लोग को सुसमाचार भाता नह ं है। बहत बार हम वदेशी तर के से ुसुसमाचार सुनात ेह और उस पर तड़का यह क हम अपने वदेशी सहायक को बुलायें और सुसमाचार सुनने वाल क भीड़ (या फर उनके आकँड़े) उनको दखायें। हंद जनमानस को सबसे खलने वाली चीज यह है और इसी कारण यह ूदंूचार कया जाता है क यह एक वदेशी धम है और ु "बाहर" से आ रहे पैसे से भारत में धम-प रवतन कया जा रहा है। सार सृ का रचने वाला परमे र वदेशी नह ं है, यह बात धािमक समझ रखने वाले और ई र का भय मानने वाले इंसान को समझाना क ठन नह ं है, परंतु इसके िलये हमें अपनी संःकृित में बने रहते हयेु , अपने आस-पड़ोस

  • बाँटें जीवन के मोती 30

    के लोग क भावनाओ ंका स मान करते हए ूभ ुयीश ुमसीह का सुसमाचार ुउनको सुनाना होगा।

    भारतीयकरण क आवँयकता समझने वाली बात यह है क राजा राममोहन राय जैसे कतने ह हंद ूूवतक ने भारतीय समाज (खास तौर पर हंद)ू क वधवा ववाह, दहेज, क या ॅणू-ह या, बाल- ववाह आ द कुर ितय के उ मलून के िलये बड़े कदम उठाये, और उनका ऐसा वरोध नह ं हआ जतना मसीह यत काु । हालां क इसके कई कारण हो सकते ह, जनमें से एक आप यह भी कह सकते ह, क शैतान को बा क सब चीज से इतना फक नह ं पड़ता जतना क मसीह के ूचार से – सह बात है। इसके अलावा अपने अित सुद घकालीन (बहत लंबे समय केु ) इितहास में अनेक वकृितय का िशकार बनता हआ ह दु ूसमाज अःपृँ यता (जाितगत छूआछूत) को आज भी धम का अंग मानता है। यह बात हमारे समाज क रग-रग और नस-नस में बहतु गहर बैठ चुक है जसके कारण समाज का एक तबका स दय से पसता चला आ रहा है। गु नानकदेव, आचाय रामानुज, गु बसवे र, शंकरदेव, ःवामी दयान द, नारायण गु , वनायक दामोदर सावरकर, गांधीजी सर खे अ य अनके महापु ष के अथक ूयास भी इसे ख म करन े में अपया िस द हए ह।ु डॉ टर अ बेड़कर, योितराव फुले आ द नेताओं ने हंद धम में हो रहे ूअःपृँ यता (जाितगत भेदभाव - छूआछूत) का वरोध कया, और कुछ हद तक समाज ने इन बात को महण भी कया है। यह बात भी कुछ हद तक सह है क अपने ह घर में छूआछूत का जहर सहते शूि ने यीश ुमसीह के ईश-ूेम के ससुमाचार को सबसे पहले और बड़ माऽा में महण कया है। तौभी यह बात भी सच है क मसीह व ास सबके िलये है और हमें इसे जाित और वण का भेद कये बना सुनने वाले के अनभुव तथा जीवन मू य को यान में रखते हएु सुनाना है। व में बड़े बड़े नेता मा, समता और शांित के नाम पर नोबल परुःकार तक जीत रहे ह जब क ूभु यीश ुका समता का अथात इंसान में जाित

  • 31 सुसमाचार ूचार का भारतीयकरण

    इ या द के कारण से भेद न करने का, ूेम का, मा का, शांित का तथा मो का सुसमाचार इन सब बात से बढ़कर है। यह इंसान को इस जगत में आशी षत और इस जगत के बाद अनतंकाल का जीवन ःवग में बतान ेका माग बताता है। ई र को य गत प से पहचानना, प ाताप कर मादान पाना और जीवन प रवतन (और ॑दय प रवतन) ह सार

    समःयाओ ं(जो सब पाप के ह कारण है) का िनदान है। हमें बस इसे सह प में अपने भाई-बहन तक पहँचाने क ज़ रत है।ु

    साध ूसंुदर िसहं ने कहा क मसीह यत आन द, शांित तथा आशा से भरपरू जीवन जीने का एक तर का है, और उ ह न ेयह भी कहा क वदेशी याले में आप भारत को सुसमाचार नह ं दे सकते। वे ःवयं भगवा व में भारतीय साध ूक वेश-भूषा में रहते थे। दान-द णा में िमले भोजन से गजुारा करते थे अ यथा भूखे ह रह लेते थे और गाँव-गाँव जाकर मसीह के ूेम का स संग सुनाया करते थे। हममें से कतने लोग अपने सारे ऐशो-आराम छोड़कर ूभु के िलये सवःव योछावर करन ेके िलये तयैार ह? म यह नह ं कह रहा हूँ क हम सबको साध ूबन जाना चा हये ब क मेरा ू हमार तयैार के बारे में है। या हम सच में कसी भी क मत पर ूभ ुयीश ुका ससुमाचार सब तक पहँचानाु चाहत ेह? जसैा मने पहले िलखा क पौलसु (1 कु र थय 9:19-22) हमें इसी बात के िलये उ सा हत करता है। एक देसी भारतीय य को ‘मसीह का ससुमाचार’ एक दसरेू मह क बात लगती है। जो भाषा इःतेमाल करन ेके हम आद हो जात ेह, वो भाषा और उसमे ूयोग कये गये कई श द देसी भारतीय और हंद ूसमझ से बाहर ह। इन श द में सुसमाचार सुनाना और उनस ेयह अपे ा करना क वो समझ लें और उसी समय ‘अपना जीवन मसीह को दे दें’, वैसा ह है जैसे एक अंमेज य को केले के प े पर द ण ‘अ पम’ या राजःथानी दाल-बाट दे द जाये और बना छुर -काँटा दये उससे कहा जाये क वो खाये, पसंद करे, तार फ करे और हमेशा के िलये इस भोजन को और इसके परोसने के तर के को अपना ले।

  • बाँटें जीवन के मोती 32

    एक वदेशी गोरे आदमी को, जो छुर -काँटे से खाना खाने का आद है, उसे आप एकाएक हाथ से वो खाना खाने को मजबरू करें जो उसे खाने क आदत नह ं है और न ह उसका ःवाद उसने पहले कभी चखा है, कतना तकस मत होगा? वो खाना अ छा है इसमें कोई दो राय नह ं है और न ह इस बात में कोई शक है क ‘हम तो ऐसे ह खाते रहे ह’, पर फर भी, हम जस बात में सहज महससू करते ह, यह ज़ र नह ं है क कोई और भी उसमें सहज महसूस करे। एक उ र भारतीय के िलय ेद ण भारत का खाना उतना ह अजीब महसूस होता है जतना क द ण भारतीय के िलये उ र भारत का। अपने एक िमऽ के साथ रहते हएु हमने इस बात को बहतु गहराई से महसूस कया। हमारे कुछ द ण भारतीय िमऽ मेरे हाथ के कुछ यजंन बहतु पसदं करते थे परंत ु जब उ ह ने वो ह यजंन बनाय े तो उसमे ना रयल का तेल डाल दया। मेर प ूेरणा ने बड़े मन से जो इतना ःवा द छोले क स जी बनाई, वो अपने इस िमऽ को देने पर हमें यह सुनने को िमला, ‘बस, इसमें कर प ा और पड़ जाता तो मज़ा आ जाता’। म और मेर प यू ँतो द ण भारतीय खाना (इडली-दोसा आ द) बहतु पसंद करते ह और अपने घर में भी कभी कभी सांभर-दोसा बनाते ह, परंत ुजब कभी हम द ण भारतीय रे ाँ में उ र भारतीय यजंन ऑडर करना चाहते ह, तो ूेरणा उसके बनान ेक विध भी साथ ह में पूछ लेती है क कह ं ऐसा न हो क वे ना रयाल के तेल में और कर प ा डाल के उ र भारतीय स जी का बेंड बजा डालें। यं य के तौर पर कह इस बात में एक गहरा संदेश छुपा है। म न तो द ण भारत के खलाफ हूँ और न ह उनके खान-पान के तौरतर क के, परंत ु मेरे कहने का मतलब िसफ इतना है क जैसे एक ह देश के वासी होते हएु भी हममें इतना अंतर है जसके कारण एक दसरेू से सामंजःय बठाने में हमें द कत होती है तो फर आ या म तो फर ‘अंदर क बात है’।

  • 33 सुसमाचार ूचार का भारतीयकरण

    ससुमाचार ूचार का भारतीयकरण हम कस चीज का भारतीयकरण (संदभ करण) करें - सुसमाचार का या सुसमाचार ूचार करन ेके तर के का? ूभु यीश ुमसीह का उ ार असीिमत है और समय क सीमाओ ंमें नह ं बांधा जा सकता। पाप मा के िलये प ाताप तथा उ ार के िलये ूभु यीश ुपर व ास करने के ससुमाचार का, जो सदैव हरेक के िलये ूासंिगक रहता है, को बदलना ठ क नह ं है। हमें स चाई को तोड़ने मरोड़ने क ज़ रत नह ं है। ब क म तो यह कहता हँ क सुसमाचार में कसी ूकार क िमलावट या ूबदलाव असल में एक पाप है तथा वधम (cult) को पैदा करता है। ज़ रत इस बात क है क ससुमाचार क स चाई को उस समाज और प रवेश में ढालकर बतायें जसमें हम ूचार कर रहे ह। ऐसी भाषा और तौर-तर क का इःतेमाल करना, जनसे आम हंद य अनजान हैू , अ ततः बेकार सा बत होता है, जब क उस भाषा तथा तर के का इःतेमाल करना ौयेःकर है जसे आम आदमी समझता है, और ःवीकार करता है। एक हंद य से बात करते समय य द बार बार ूभु यीश ुमसीह को आप ू‘ई र’ नाम से स बोिधत करने के बजाय ‘खुदा’ या ‘खुदावंद’ बोलें तो आप सुनन ेवाले के मन में जगह बनान ेके बजाय एक दरू पैदा कर सकते ह य क उसे लगेगा क आप अपने धम तथा ई र से दर होकर कुछ और ूह बन गये ह, आपका तो स यानाश हो ह गया है अब आप उसका भी स यानाश कर देंगे। उसको ऐसी गलतफहमी न हो उसके िलय ेसह श द का चयन बहत ज़ र हैु , जैसे क मु ःलम के िलये नया िनयम ‘इंजील’ कहला सकता है, इॐायली य के िलये यीशु ‘यशुवा’, उसी ूकार एक हंद के िलये उ ार को ू ‘मो ’, सुसमाचार को ‘शुभ-संदेश’, मसीह गीत को

    ‘भजन’, ूचार को ‘स संग’, तथा बसमस अथवा बड़े दन को ‘यीश ुजयंती’ या ‘ूभु यीश ुज मो सव’ कहा जा सकता है ता क उ हें समझ आये। ऐसा होने पर ह वे इसस ेआ मीयता महसूस कर सकते ह और फर उसमें अपनी इ छा से भाग ले सकत ेह तथा उसे महण कर सकते ह।

  • बाँटें जीवन के मोती 34

    इस बारे में एक बार आ या मक ट वी चैनल ‘आःथा’ पर देखे उस कायबम क झलक आज भी मझेु याद है जसमें भाई िशंय थॉमसन न ेपहले सःंकृत भाषा में नये िनयम का अंश पढ़ा और फर उसक या या बड़े शांत ःवर में क । यह तर का मझेु बहत अ छा लगाु । आम हंद य ूको कोट-पेंट में पुल पट से ऊँची आवाज में ूचार करने वाले पा ा य तौरतर क के ूचारक के बजाय भारतीय वेश-भूषा में बठेै, शांत ःवभाव से नॆ भाषा में ई र ूेम तथा आ या म क िश ा देता गु यादा भाता है। साध ूसुदंर िसहं ने यह तर का अपनाया और बहत सी आ माओ ंको जीत ुिलया। वरोध तो उनका भी हआु , परंतु अपने जीवनकाल में उ ह ने बड़ सं या में लोग को ूभ ुके रा य क ओर फेरा। म यह नह ं कहना चाहता हँ क जो पहले तर के से ूचार कर रहे हू , उनका ूचार गलत है। सुसमाचार तो एक ह है, प वऽ आ मा भी एक ह है और उ ार भी। उस तर के से भी बहत सी आ मायें बच रह हु , जनके िलये ूभ ुका ध यवाद हो, परंत ुम आम जनमानस क बात कर रहा हँ जसमें मसीह ूका ससुमाचार या तो पहँच नह ं रहा या पैठ नह ं बना पा रहा। चच में खड़े ुहोकर आप ूचार करें इसका म वरोध नह ं कर रहा हूँ, ब क गली-मोह ल तथा जनसाधारण के बीच (अपने पड़ोिसय और रँतदेार के बीच) में सुसमाचार ूचार (evangelism) के तर के पर अपने वचार य कर रहा हँ।ू संदभ करण (या अपने मामले में – भारतीयकरण) का मतलब है सुसमाचार क स चाई को सुनन े वाले क समझ, बु -ःतर, सःंकृित को यान में रखते हए उसक ह भाषा में उस तक पहँचाना ता क वो समझ सके। ु ुसंदभ करण का मतलब यह कतई भी नह ं है क कठोर लगने वाली बात को हम नकार दें (जैसे क पितत मनुंय क पापमय ःथित, तथा पाप का दंड – नक), या उस पर कुछ आवरण चढ़ाकर उस े पेश करें ता क सामने वाला उसे आसानी से िनगल सके। इसका मतलब यह है क स य को ऐसे पहँचाया जाये क वो सु मझ में आ सके। कई बार हमें स चाई जानने क इ छा रखने वाले से शा ाथ (सकारा म�