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izokg पिलानी नवंबर 18, 2014 मंगलवार ओएससस रयू कमेटी म हुए खुलासे आके टाइप काउ टर राइक वर सरगम एच.डी.सी. तुसत– A Trial of Silence मालवीय भवन बैडसम टन सतयोसगता थम वषीय सिकोण हमसे सडये ऑनलाइन: hp://hpconline- bits.weebly.com/ अंदर देखिये पबट्स म बहती ख़बर की धारा की तुपत:- संपादकीय :- तो कभी घूमने के लिए िेचर म ही पहच जाना। कु छ ऐसे ह पहिे लदन के एहसास, कु छ खे , कु छ मीठे , पर लदि के बेहद पास। ओएलसस के अते ही मती के मूड म अ जाना, बेनी दयाि के शो म नाचना और N2O म खुिकर हसना, टॉिस पर जमकर िज़ीज़ खाने का िुफ ईठाना, और िावा के बूथ पर ऄतर गी फोटोस लख चवाना। कु छ ऐसे ह पहिे लदन के एहसास, कु छ खे , कु छ मीठे , पर लदि के बेहद पास। पहिी बार द लनया को खुद के नज़ररये से देखना, लकसी और की सहायता के लबना, खुद से ही सब काम करना, केवि ऄयापाक से ही नह सीलनयससे भी बहत कुछ सीखना, और नौकरी के लिए नह, लज़ दगी के लिए तैयार होना। कु छ ऐसे ह पहिे लदन के एहसास, कु छ खे , कु छ मीठे , पर लदि के बेहद पास। 8 हिी ेस पररवार अभय, आतिफ़, पारस, खुशबू, अनंि, अतन तम, राजेश, सोनाली, आति णय, आकृ ति, रजि, अंतकिा, यशवधन, इलाी, सुयश, ांजल, यशाति, सम, वीण, आवेश तववेक, गोतव, तयंक, नीतिशा, मुतिका, ऐयाध, तनत, रोतहि, वैभव, तशवांक, लोके श, अंचल सतलल, सुयश, मयूर, िषार, अतभनव, तशवांगी, कमल, आति, तनलेश। लपिानी के मौसम ने आधर बीच ऄपना लमजाज बदिा है, जहा एक तरफ गमस हवाओ ने ऄपना रख बदिा है वह द सरी तरफ सदस हवाओ के थपेड़े शुऱ हो चुके ह| कहा जाता है लक मनुय की लज़ दगी म भी मौसम कतरह ईतार-चढ़ाव अते रहते ह, कभी लनराशा के ऱप म सदस हवाओ के थपेड़े झेिने पड़ते ह तो कभी खुशी के पि के ऱप म बाररश की बू द आस बोलझि लज़ दगी म नए रस घोिने िगती है| लनलित ही आसी घु िे हए रस के साथ हम लमिती है आस लज़ दगी के स घषस म डटे रहने की मता| सदल म दबे जबात अफा ढूढते ह, कु छ अनकहे ल लब तक आने की राह ढूढते ह, कु छ रा नर से बया होने की उ ढूढते ह, कु छ अनसुलझे पहलू इस जलजली धूप म तसवुर के साय की पनाह ढूढते ह, सदद शब म याद की रजाई म सुकू न ढूढते ह, कु छ परदे अनजान राह म इस उलझी हुए दगी की म सल ढूढते ह, जहा चार ओर ससफद खामोशी है, तनहाई है, सनाटे ह, उस राह पर ये नादान पदे सबखरे हुए खुसशय के दो-चार पल ढूढते ह|| आस बदिे मौसम के साथ बदिा है लपिानी वालसय का लमजाज, तभी तो आन वालसय ने लमड-सेम की खुमारी ईतारकर लबट्स के सा कृलतक महोसव ओएलसस म ऄपने ऄलभन लम के साथ मनोर जन तथा ईसुकता से सराबोर लवलभन अयोजन का जमकर िुफ़ ईठाया| वही ऄब समय है ऄपने कुछ लिय वररस के लवदाइ समारोह का तालक लज़ दगी के ियेक ण म ईह यह स था, यहा के लनवासी, यहा की अबोहवा ईनके जेहन म ऄपनी एक ऄिग जगह बनाए रखे| आन भावुक ण म लनलित ऱप से हम ईह यह लवास लदिाते ह लक ईनकी समत लवरासत तथा पर परा को हम सहेज कर रखगे तथा अने वािी पीलढ़य के सम हम ऄपने आस स था को आससे बेहतर ऱप म िदलशसत करगे| आसी समया तराि म कुछ िोग को नइ लजमेदारी लमि रही है, नए कतसय का अभास हो रहा है| आन लजमेदारी के साथ ईनके ऄलधकार े भी बढ़ रहे ह, परतु आन ऄलधकार के साथ यह अवयक है लक वे ऄपने कसय से भिी- भालत पररलचत हो| यलक अज का मनुय जहा एक तरफ ऄपने ऄलधकार को िेकर बेहद स जीदा है वह द सरी ओर ऄपने कसय के िलत िापरवाह है, और शायद यह सलदय से चिी अ रही मनुय समाज की लवडबना रही है| आन समत अयोजन के आतर अने वािी महवपूणस परीाओ की भी धमक पष सुनाइ दे रही है| जो ऄभी भी आस धमक से बेलफ होकर ऄपना यान लकसी ऄय गलतलवलधय पर कलित लकए हए ह तो लनलित ही वे ऄपने राह से भटक रहे ह| यही वह समय है जब ईह ऄपने लज़ दगी के आन महवपूणस वष म तय की गइ िाथलमकता पर पुनलवसचार करने की अवयकता है| ऄ त म- आज हमने सफर से ये महसूस सकया, जो नह समला उसका अब है शु सिया, जो समला है उसकी क हम करते चल, जो खो गया उसका दम भला अब कयू भर? वत होता नह मेहरबा हर कदम पर सफ़र के , सफर कयू हो ये सोच कर परेशा सक खो सदए पल जीवन के, जब मेहरबानी वत की हाथ अपने आएगी, तब क़ै द करके उसको ये दगी भी मुकु राएगी।

प्रवाह अंक 4 : १८ नवम्बर

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  • izokg 18, 2014

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    A Trial of Silence

    :

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