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वृक्ष पुराण

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Page 1: वृक्ष पुराण

वृक्ष-पुराण

पाठ - प्रदर्श�न

Page 2: वृक्ष पुराण

पाठ - सारांर्श

वृक्ष- हमारे पर्याा�वरण का एक बहुत महत्वपूण� हिहस्सा है

आजप्रगती और विवकास के

लि�ए वनो का विवनार्श

पूव� का�वृक्षों के प्रवित मि"त्रवत

ऐव" श्रधा

इस पाठ में चार हिकस्म के हिहन्दुस्तानी वृक्षों से जुड़ी मान्र्याताओं और कथाओं की चचा�

बरगद आम बेल जामुन

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बरगद बरगद / वट / बेविनयन ट्री

१. यह एक पविवत्र वृक्ष "ाना जाता है जिजसके पत्ते नही तोड़ते २. बरगद का पेड़ वित्रदेवो का प्रतीक है जिजसकी छा� विवष्णु, जडे़ ब्रह्मा और र्शाखाए ँलिर्शव जी "ानी जाती हैं३. इसे धन के देवता 'कुबेर' का विनवास "ाना जाता है४. �ोग "ानते हैं विक हर रविववार �क्ष्"ीजी इस वृक्षा को मि"�ने जाती हैं५. विहन्दुस्तानी औरतें 'वट-साविवत्री' का व्रत रखती हैं जिजस"ें वह बरगद की परिरक्र"ा करते हुए अपने पवित की �ंबी आयु के लि�ए पूजा करती हैं६. बरगद एक सदाबहार पेड़ है जो हज़ारों सा�ों तक जीविवत रहता है७. भारत "ें कई स्थानो पर बरगद के वृक्ष कई सौ "ीटर घेरे वा�े हैं

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आ" आ" / आम्र / "ैंगो

१. विहन्दुस्तान "ें कई हज़ार सा�ों से पाए जाने वा�ा यह वृक्ष श्री हनु"ान जी श्री�ंका से �ाए थे२. हिहंदुओं का विवश्वास है विक आ" का वृक्ष सभी "नोका"नाओं को पूरा करता हैं३. विववाह के "ंडप आ" के पत्तों से सजाए जाते हैं ऐसा "ानना है विक लिर्शव-पाव�ती का विववाह आ" के पेड़ के नीचे हुआ था४. �ोग यह भी "ानते हैं विक जब कोई लिर्शर्शु जन्" �ेता है तो आ" के पेड़ "ें नये पत्ते अंकुरिरत होते हैं, इसलि�ए जिजस घर "ें लिर्शर्शु का जन्" होता है तो घर-द्वार पर आ" के पते्त बाँधे जाते हैं

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बे� बे� / विबल्व / वुड-ऐप�

१. बे� के पते्त लिर्शव जी के पूजन "ें छडाए जाते हैं२. बंगा� "ें दुगा� पूजा के दिदनो "ें बे� की र्शाखा के स्पर्श� से जगाया जाता है३. जहाँ बे� और बेर एक साथ विनक�ें वहाँ "ाना जाता है विक ज� का स्तोत्र हो सकता है४. बे� के वृक्ष को �क्ष्"ीजी का विनवास "ाना जाता है५. बे� के गूदे का र्शरबत स्वादिदष्ट व पेट के रोगों के लि�ए �ाभदायक होता है६. इसकीजड़ें बुखार उतारने "ें का" आती हैं७. इसके और अनेक उपयोग हैं

एक अनोखी और "जे़दार कहानी-�ोग कहते हैं विक गंजे आद"ी को बे� के पेड़ के नीचे नही जाना चाविहए क्योंविक

बे� का पेड़ गंजे आद"ी से आकर्षिaंत हो उसपे अपना फ� फेक देता है

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जा"ुन जा"ुन / जम्बू / ब्�ैक प्�", इंविडयन ब्�ैक बैरी

१. यह एक विवर्शा� वृक्ष है२. यह कृष्णा व गणेर्श के सन्दभ� "ें एक पविवत्र पेड़ "ाना जाता है३. बोध ध"� "ें भी जा"ुन की "हत्वता है४. बाद�ों के देवता '"ेघ' ने धरती पर जा"ुन के रूप "ें जन्" लि�या५. इसके पत्तों का बदनवर बना कर �ोग अपने घर के द्वार पर �गतें हैं६. ब्राह"नों को इसकी छाया "ें भोजन कराते हैं७. इसका फ� वनो "ें पर्शु-पॅक्षिक्षयो का "नपसंद भोजन है८. जा"ुन के फ�ों का र्शरबत और लिसरका बनाया जाता है९. इसके बीजों से विडविबयेदिटस की औaमिध बनाने "ें उपयोग की जाती है