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Thirukkural in Hindi तिरक रळ (िमिल से हिदी) 1/30 यान : I prostrate before the Bhagwan and Guru Thiruvalluvar (तिऱवलूवर) to give Thirukkural (तिरकू रळ) wonderful treasure to Humanity भाग–१: धम - काड अयाय 1. ईवर-िुति 1 अर सबके आहद ि , िअकार का थान अखिल लोक का आहद ि, रिा आहद भगवान 2 वयोपाजन भी भला, या आयेगा काि ।ीपद पर सया के , यहद नहि कया णाि 3 दय-पि-गि ईश के , पाद-पि पाय ।ेयकर वरलोक ि , चिरीवी रि ाय 4 राग-वेष विीन के , िरणाचि लोग ।दुि दे उनको कभी, भव-बाधा का रोग 5 रििे ि ईश के , सय भन ि मलि ।अानाचि किज दो, उनको कर मलि 6 पिेिय-तनि कये , भु का कया वधान ।धिज -पथ के पचथक , ि चिर आयुिान 7 ईवर उपिारहिि का, निी पदाय-युि ।िो तनिय सभव निी , िना चििा-िि 8 धिज-मसधु करणेश के , शरणागि िधय ।उसे छोड दुि-मसधु को, पार पाये अय 9 तनिय इिय सश ि, 'मसर' िके वल नाि ।अटगुणी के िरण पर, यहद नहि कया णाि 10 भव-सागर विार से , पािे ि तनिार ।ईश-शरण बन ीव ि, कर निी पाये पार अयाय 2 . वषाज - िि11 उचिि सिय की से , ीववि िससार ।िानी ािी ििभी, अि ि की धार 12 आिारी को अति रचि, अनऱप आिार ।व ि कर किर वय , बनिी िआिार 13 बादल-दल बरसे निी , यहद िसि ि ि।लचध-चधरे भूलोक ि , ुि से िआति ि 14 कषजक से िि ि , ििलाया ाय ।धन-वषाज -सपवि की, कि िियहद आय 15 वषाज ििआति बल, सब को कर बरबाद ।किर दुखिय का साथ दे , करे विी आबाद 16 बना ि आकाश से , रिखिि रिखिि ।िरभरी ि नोक भी, आयेगी निी 17 घटा घटा कर मलध को, यहद करे किर दान ।ववि ि बडे सिुि का, पानी उिरा ान 18 देवाराधन तनय का, उसव सहिि अिद ।व ििभूमि पर, िावेगा बद 19 इस वि ि ससार ि , दान पुय िकिज ।यहद पानी बरसे निी , हटक दोन किज 20 नीर बना भूलोक का, िले यापार ।कभी कसी ि नहि हटके , वषाज बन आिार अयाय 3. सयासी- िहििा 21 सदािार सपन , यहद यति ि वे ेठ ।धिजशार सब िनिे , उनकी िहििा ेठ 22 यति-िहििा को आकने , यहद िकोई यन ।ग ि ि ि--गणन सि, िििवि यन 23 ि-ि के ान से , िण कया सयास ।उनकी िहििा का बि ि, ि रिा काश 24 अकु श से ान के , इिय रािे आप ।ानी वि वर लोक का, बी बनेगा आप 25 िइिय-तनिी, उसकी शि अथाि ।वगाजधीवर इि ि, इसका रिा गवाि 26 करिे दुकर किज ि , ि साधु िि।दुकर नहि कर सके , अधि लोक वे ान 27 पशज ऱप रस गध ', शद मिला कर पि ।सििे इके ि, सििे विी पि 28 भाषी विन अिोध की, ििहििा मसध ।गूढ़ िउनके किे , ि कर मसध 29 सगुण ऱपी अिल पर, ि िढ़े सुान ।उनके का िभी, सिना दुकर ान 30 करिे ि सब ीव से , करणािय यविार ।किलािे ि ििभी, साधु दया-आगार अयाय 4. धिज पर आि 31 ििधिज ि, धन दे विी अिेय ।उससे बढ़ कर ीव को, िया कोई ेय 32 बढ़ कर किी सुधिज से , अय कु छ भी ेय ।भूला िउससे बडा, और कु छ अेय 33 यथाशि करना सदा, धिजयुि िकिज ।िन से िसे विन से , सवज रीिसे धिज। 34 िका िना िरहिि, इिना ििधिज ।बाकी सब के वल रिे , ठाट-बाट के किज 35 िलोभ किर कटु विन, और लन ये ि।इनसे बि कर ि , विी धिज का सार 36 'बाद कर िरिे सिय', सोि , कर धिज ।ान ाय छोड ि, चिर सगी िधिज 37 धिज-किज के सुिल का, या िहिये िाण ।मशववकाऱढ़, किार के , अिर से िान 38 बना गँवाए यथज हदन, िकरो यहद धिज ।ि-िगज को रोकिा, मशलाऱप वि धिज 39 धिज-किज से ि , विी सिी सुि-लाभ ।अय किज से सुि निी , िकीतिज का लाभ 40 करने योय िनुय के , धिज-किज िि।तनदनीय किज ि , वजनीय िान अयाय 5. गािजय 41 धिजशील आिी, िछोड कर ि।थर आयदािा रिा, उनको िअदीन downloaded from www.pmlogy.com

Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

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Page 1: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)130

धयान I prostrate before the Bhagwan and Guru Thiruvalluvar (तिरवललवर) to give Thirukkural

(तिरककरळ) wonderful treasure to Humanity

भागndash१ धरम- कााड

अधयाय 1 ईशवर-सिति1 अकषर सबक आहद ि ि अकार का सथान अखिल लोक का आहद िो रिा आहद भगवान 2 ववदयोपारजन भी भला कया आयगा काि शरीपद पर सतयाजञ क यहद नहिि ककया परणाि 3 हदय-पदzwjि-गि ईश क पाद-पदzwjि रो पाय शरयसकर वरलोक ि चिररीवी रि राय 4 राग-दवष वविीन क िरणाचशरि रो लोग दःि न द उनको कभी भव-बाधा का रोग 5 रो रिि ि ईश क सतय भरन ि मलपि अजञानाचशरि किज दो उनको कर न मलपि

6 पििनदनिय-तनगरि ककय परभ का ककया ववधान धिज-पिथ क पचथक रो िो चिर आयषिान 7 ईशवर उपिारहिि का निीि पदाशरय-यकि िो तनशिय सिभव निीि िोना चिनिा-िकि

8 धिज-मसनध करणश क शरणागि ि धनय उस छोड दि-मसनध को पारzwj न पाय अनय 9 तननदषिय इनदनिय सदश िी मसर ि कवल नाि अषटगणी क िरण पर यहद नहिि ककया परणाि

10 भव-सागर ववसिार स पाि ि तनसिार ईश-शरण बबन रीव िो कर निीि पाय पार

अधयाय 2 वषाज- िितव11 उचिि सिय की वनदषट स रीववि ि सिसार िानी रािी ि िभी वनदषट अिि की धार 12 आिारी को अति रचिरzwj अननरप आिार वनदषि सनदषट कर किर सवयि बनिी ि आिार 13 बादल-दल बरस निीि यहद िौसि ि िक रलचध-चधर भलोक ि कषि स िो आति िक 14 कषजक रन स िि ि िल न िलाया राय धन-वषाज-सिपवि की कि िोिी यहद आय 15 वषाज ि िी आति परबल सब को कर बरबाद किर दखियो का साथ द कर विी आबाद 16 बबना िए आकाश स ररिखिि ररिखिि वनदषट िरर भरी िण नोक भी आयगी निीि दनदषट 17 घटा घटा कर रमलzwjध को यहद न कर किर दान ववसिि बड सिि का पानी उिरा रान 18 दवाराधन तनतय का उतसव सहिि अििद वनदषट न िो िो भमि पर िो रावगा बिद 19 इस ववसिि सिसार ि दान पणय िप किज यहद पानी बरस निीि हटक न दोनो किज 20 नीर बबना भलोक का जयो न िल वयापार कभी ककसी ि नहिि हटक वषाज बबन आिार

अधयाय 3 सनयासी- िहििा21 सदािार सिपनन रो यहद यति िो व शरषठ धिजशासर सब िानि उनकी िहििा शरषठ 22 यति-िहििा को आिकन यहद िो कोई यतन रग ि िि-रन-गणन सि िोिा ि वि यतन 23 रनि-िोकष क जञान स गरिण ककया सनयास उनकी िहििा का बिि रग ि रिा परकाश 24 अिकश स दढ़ जञान क इनदनिय राि आप जञानी वि वर लोक का बीर बनगा आप 25 रो ि इनदनिय-तनगरिी उसकी शनदकि अथाि सवगाजधीशवर इनि िी इसका रिा गवाि 26 करि दषकर किज ि रो ि साध ििान दषकर रो नहिि कर सक अधि लोक व रान 27 सपशज रप रस गनध औ शबद मिला कर पिि सिि इनक ितव रो सिि विी परपिि 28 भाषी विन अिोध की रो ि िहििा मसदध गढ़ ििर उनक कि रग ि कर परमसदध 29 सदगण रपी अिल पर रो ि िढ़ सरान उनक कषण का िोध भी सिना दषकर रान 30 करि ि सब रीव स करणािय वयविार किलाि ि िो िभी साध दया-आगार

अधयाय 4 धिज पर आगरि31 िोकषपरद िो धिज ि धन द विी अिय उसस बढ़ कर रीव को ि कया कोई शरय 32 बढ़ कर किीि सधिज स अनय न कछ भी शरय भला िो उसस बडा और न कछ अशरय 33 यथाशनदकि करना सदा धिजयकि िी किज िन स िन स विन स सवज रीिी स धिज34 िन का िोना िल रहिि इिना िी ि धिज बाकी सब कवल रि ठाट-बाट क किज 35 िोध लोभ किर कटविन और रलन य िार इनस बि कर रो िआ विी धिज का सार 36 बाद कर िरि सिय सोि न यो कर धिज रान राय रब छोड िन चिर सिगी ि धिज 37 धिज-किज क सिल का कया िाहिय परिाण मशववकारढ़ किार क अििर स ि रान 38 बबना गवाए वयथज हदन िब करो यहद धिज रनि-िागज को रोकिा मशलारप वि धिज 39 धिज-किज स रो िआ विी सिी सि-लाभ अनय किज स सि निीि न िो कीतिज का लाभ 40 करन योगय िनषय क धिज-किज िी िान तननदनीय रो किज ि वरजनीय िी रान

अधयाय 5 गािजसय41 धिजशील रो आशरिी गिी छोड कर िीन नदसथर आशरयदािा रिा उनको गिी अदीन

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)230

42 उनका रकषक ि गिी रो िोि ि दीन रो अनाथ ि और रो ििरन आशरयिीन 43 वपिर दव किर अतिचथ रन बनध सवयि मिल पाि इनक परति किजवय का भरण धिज ि साि 44 पापभीर िो धन किा बाट यथोचिि अिश रो भोग उस परष का नषट न िोगा विश 45 परि- यकि गािजसय िो िथा धिज स पणज िो सििो वि धनय ि िथा सिल स पणज 46 धिज िागज पर यहद गिी िलायगा तनर धिज गरिण कर वि ककसमलय किर अपराशरि धिज 47 भरण गिसथी धिज का रो भी कर गिसथ साधकगण क िधय वि िोिा ि अगरसथ 48 अचयि रि तनर धिज पर सबको िला सराि कषिाशील गािजसय ि िापसय स अिाि 49 रीवन िी गािजसय का किलािा ि धिज अचछा िो यहद वि बना रन-तननदा बबन धिज 50 इस रग ि ि रो गिी धिजतनषठ ितििान दवगणो ि सवगज क पावगा समिान

अधयाय 6 सिधमिजणी51 गहिणी-गण-गण परापि कर परष-आय अनसार रो गि-वयय करिी विी सिधमिजणी सिार 52 गण-गण गिणी ि न िो गहय-किज क अथज ससिपनन िो कयो न िो गि-रीवन ि वयथज 53 गहिणी रिी सधमिजणी िो कया रिा अभाव गहिणी निीि सधमिजणी ककसका निीि अभाव 54 सरी स बढ़ कर शरषठ िी कया ि पान योगय यहद िो पातिवरतय की दढ़िा उसि योगय 55 पर सिी न दव को पर रग तनर कि ि उसक किन पर lsquoबरसrsquo बरस िघ िरिि 56 रकषा कर सिीतव की पोषण करिी कािि गि का यश भी रो रि सरी ि वि अशरािि 57 परकोटा पिरा हदया इनस कया िो रकष सरी हिि पातिवरतय िी िोगा उिि रकष 58 यहद पािी ि नाररया पति परा कर शान िो उनका सरधाि ि िोिा ि बििान 59 नदरसकी पतनी को निीि घर क यश का िान नहिि तननदक क सािन गति शादजल सिान 60 गि का रयििगल कि गहिणी की गण-िान उनका सदभषण कि पाना सतसनिान

अधयाय 7 सििान-लाभ61 बदचधिान सनिान स बढ़ कर ववभव सयोगय िि िो िानग निीि ि पान क योगय 62 साि रनि िक भी उस छ नहिि सकिा िाप यहद पाव सििान रो शीलवान तनषपाप 63 तनर सििान-सकिज स सवयि धनय िो रान अपना अथज सधी कि ि अपनी सििान 64 ननि तनर सििान क िाथ ववलोडा भाि दवो क भी अिि का सवाद करगा िाि 65 तनर मशश अिग-सपशज स िन को ि सि-लाभ टटी- िटी बाि स शरति को ि सि-लाभ 66 िरली-नाद िधर कि सिधर वीणा-गान ििलाना सििान का रो न सना तनर कान 67 वपिा कर उपकार यि नदरसस तनर सििान पिडडि-सभा-सिार ि पाव अगरसथान 68 ववदयारजन सििान का अपन को द िोष उसस बढ़ सब रगि को दगा वि सििोष 69 पर रनन पर रो िआ उसस बढ़ आननद िा को िो रब वि सन ििापरष तनर ननद 70 पर वपिा का यि कर बदल ि उपकार `धनय धनय इसक वपिाrsquo यिी कि सिसार

अधयाय 8 परि-भाव71 अगजल ि कया रो रि परिी उर ि पयार घोषण करिी साफ़ िी िचछ नयन-रल-धार 72 परि-शनय रन सवाथजरि साध सब तनर काि परिी अनयो क मलय तयाग िडडी-िाि 73 मसदध िआ वपरय रीव का रो िन स सियोग मिलन-यतन-िल परि स किि ि बध लोग 74 मिलनसार क भाव को रनन करगा परि वि िरी को रनि द रो ि उिि कषि 75 इिलौककक सि भोगि तनशरयस का योग परिपणज गािजसय का िल िान बध लोग 76 साथी कवल धिज का िानपरि अरान राण कर वि परि िी अधिज स भी रान 77 कीड अनदसथवविीन को िलसगा जयो धिज पराणी परि वविीन को भसि करगा धिज 78 नीरस िर िर भमि पर कया िो ककसलय-यकि गिी रीव वसा सिि परि-रहिि िन-यकि 79 परि दि ि यहद निीि बन भािर का अिग कया िल िो यहद पास िो सब बािर क अिग 80 परि-िागज पर रो िल दि विी सपराण ििज-लपटी अनदसथ ि परि-िीन की िान

अधयाय 9 अतिचथ-सतकार81 योग-कषि तनबाि कर िला रिा घर-बार आदर करक अतिचथ का करन को उपकार 82 बािर ठिरा अतिचथ को अनदर बठ आप दवािि का कयो न िो भोरन करना पाप 83 हदन हदन आय अतिचथ का करिा रो सतकार वि रीवन दाररिय का बनिा निीि मशकार

84 िि परसनन िो रो कर योगय अतिचथ-सतकार उसक घर ि इनदनदरा करिी सदा बिार 85 खिला वपला कर अतिचथ को अननशष रो िाय ऐसो क भी िि को काि बोया राया 86 परापि अतिचथ को पर कर और अतिचथ को दि रो रििा वि सवगज का अतिचथ बनगा नक 87 अतिचथ-यजञ क सिल की िहििा का नहिि िान नदरिना अतिचथ ििान ि उिना िी वि िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)330

88 कहठन यतन स रो रडा सब धन िआ सिापि यो रोव नदरनको निीि अतिचथ-यजञ-िल परापि 89 तनधजनिा सिपवि ि अतिचथ-उपकषा रान ििज रनो ि ििज यि पायी रािी बान 90 सिघा lsquoअतनचिrsquo पषप को िो वि िरिा राय िि िला कर िाकि सि अतिचथ-िि राय

अधयाय 10 िधर-भाषण91 रो िि स ितवजञ क िो कर तनगजि शबद परि-मसकि तनषकपट ि िधर विन व शबद 92 िन परसनन िो कर सिी करन स भी दान िि परसनन भाषी िधर िोना उिि िान 93 ल कर िि ि सौमयिा दिा भर वपरय भाव बबला हदzwjगि िद विन यिी धिज का भाव 94 दि-वधजक दाररदरय भी छोड रायगा साथ सि-वधजक वपरय विन यहद बोल सब क साथ 95 िदभाषी िोना िथा नमर-भाव स यकि सचि भषण िनर क अनय निीि ि उकि 96 िोगा हरास अधिज का सधिज का उतथान िन िन कर यहद शभ विन कि िधरिा-सान 97 िधर शबद सिसकारयि पर को कर वरदान वकिा को नय-नीति द करिा पणय परदान 98 ओछापन स रहिि रो िीठा विन परयोग लोक िथा परलोक ि दिा ि सि-भोग 99 िधर विन का िधर िल रो भोग िद आप कटक विन किर कयो कि रो दिा सििाप

100 रिि सिधर विन क कट किन की बान यो िी पकका छोड िल कचिा गरिण सिान अधयाय 11 किजञिा

101 उपकि िए बबना कर यहद कोइ उपकार द कर भ सर-लोक भी िकि न िो आभार 102 अति सिकट क सिय पर ककया गया उपकार भ स अचधक ििान ि यदयवप अलपाकार 103 सवाथजरहिि कि िदद का यहद गण आिका राय उदचध-बडाई स बडा वि गण िाना राय 104 उपकति तिल भर िी िई िो भी उस सरान िान ऊि िाड सि सिल इसी ि रान 105 सीमिि नहिि उपकार िक परतयपकार- परिाण नदरिनी उपकि-योगयिा उिना उसका िान 106 तनदोषो की मिरिा कभी न राना भल आपद-बिध सनि को कभी न िरना भल 107 नदरसन दःि मिटा हदया उसका सनि सवभाव साि रनि िक भी सिरण करि ििानभाव 108 भला निीि ि भलना रो भी िो उपकार भला यिी िट भलना कोई भी अपकार 109 ितया सि कोई कर अगर बडी कछ िातन उसकी इक उपकार-सिति कर िातन की िातन 110 रो भी पािक नर कर सिभव ि उदधार पर ि निीि किघन का सिभव िी तनसिार

अधयाय 12 िधयसथिा111 िधयसथिा यथषट ि यहद िो यि सिसकार शर मिर औrsquo अनय स नयायोचिि वयविार 112 नयायतनषठ की सिपदा बबना िए कषयशील विश विश का वि रि अवलिबन नदसथतिशील 113 िरन स तनषपकषिा रो धन मिल अननि भला भल िी वि कर िरना उस िरनि 114 कोई ईिानदार ि अथवा बईिान उन उनक अवशष स िोिी यि पििान 115 सिपननिा ववपननिा इनका ि न अभाव सजरन का भषण रिा नयायतनषठिा भाव 116 सवजनाश िरा िआ यो रान तनधाजर िक नयाय-पथ यहद िआ िन ि बरा वविार 117 नयायवान धमिजषठ की तनधजनिा अवलोक िानगा नहिि िीनिा बदचधिान का लोक 118 सि रिा पर िो िला जयो िोल सािान भषण ििानभाव का पकष न लना िान 119 किना सीधा विन ि िधयसथिा ज़रर दढ़िा स यहद िो गयी चिि-वििा दर 120 यहद रिि पर िाल को अपना िाल सिान वखणक कर वाणीजय िो विी सिी ि रान

अधयाय 13 सियमzwjशीलिा121 सियि दिा िनर को अिर लोक का वास िोक असियि नरक ि करिा सतयानास 122 सियि की रकषा करो तनचध अनिोल सिान शरय निीि ि रीव को उसस अचधक ििान 123 कोई सियिशील िो अगर रानकर ितव सियि पा कर िानयिा दगा उस िितव 124 बबना टल तनर धिज स रो िो सियिशील पवजि स भी उचििर िोगा उसका डील 125 सियि उिि वसि ि रन क मलय अशष वि भी धतनको ि रि िो वि धन सववशष 126 पििनदनिय-तनगराि ककया कछआ सि इस रनि िो उसस रकषा सदढ़ िोगी सािो रनि 127 िाि औरोको निीि रि ल वश ि रीभ शबद-दोष स िो दिी यहद न वशी िो रीभ 128 एक बार भी कटविन पििाय यहद कषट सतकिो क सिल सब िो रायग नषट 129 घाव लगा रो आग स सिभव ि भर राय िोट लगी यहद रीभ की कभी न िोटी राय 130 िोध दिन कर रो िआ पिडडि यिी सिथज धिज-दव भी रोििा बाट भट क अथज

अधयाय 14 आिारशीलिा 131 सदािार-सिपननिा दिी सब को शरय िब िो पराणो स अचधक रकषणीय वि जञय 132 सदािार को यतन स रिना सहिि वववक अनशीलन स पायगा विी सिायक एक

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)430

133 सदािार-सिपननिा ि कलीनिा रान िक यहद आिार स नीि रनि ि िान 134 सिभव ि किर अधययन भल गया यहद वद आिारचयि ववपर क िोगा कल का छद 135 धन की जयो ईषयाजल क िोिी निीि सिदचध आिारिीन की निीि कलीनिा की वदचध 136 सदािार दषकर सिि धीर न िीिि िाथ पररभव रो िो रान कर उसकी चयति क साथ 137 सदािार स िी रिी ििा कीतिज की परानदपि उसकी चयति स िो रिी आति तननदा की परानदपि 138 सदािार क बीर स िोिा सि उतपनन कदािार स िी सदा िोिा िनर ववपनन 139 सदािारयि लोग िो िि स कर भी भल किन को असिथज ि बर विन परतिकल 140 नदरनको लोकािार की अनगति का नहिि जञान जञािा िो सब शासर क रानो उनि अरान

अधयाय 15 परदार- ववरति

141 परपतनी-रति-िढ़िा ि नहिि उनि रान धिज-अथज क शासर का नदरनको ितवजञान 142 धिज-भरषटो ि निी ऐसा कोई िढ़ रसा अनयदवार पर िडा रिा रो िढ़ 143 दढ़ ववशवासी मिर की सरी स पापािार रो करिा वो ििक स मभनन निीि ि यार 144 कया िोगा उसको अिो रिि ववभव अनक यहद रति िो पर-दार ि ितनक न बदचध वववक 145 पर-पतनी-रि रो िआ सलभ सिि तनशशिक लग रि चिर काल िक उसपर अमिट कलिक 146 पाप शरिा और भय तननदा मिल कर िार य उसको छोड निीि रो करिा वयमभिार 147 रो गिसथ पर-दार पर िोव नहिि आसकि िाना रािा ि विी धिज-किज अनरकि 148 पर-नारी नहिि िाकना ि धीरिा ििान धिज िार नहिि सिि का सदािरण भी रान 149 सागर-बलतयि भमि पर कौन भोगय क योगय आमलिगन पर- नारर को रो न कर वि योगय 150 पाप- किज िाि कर धिज िागज को छोड पर-गहिणी की ववरति िो िो वि गण बरोड

अधयाय 16 कषिाशीलिा151 कषिा कषिा कर जयो धर रो िोदगा िोड तननदक को करना कषिा ि सधिज बरोड 152 अचछा ि सब काल ि सिना अतयािार किर िो उसको भलना उसस शरषठ वविार 153 दाररद ि दाररिय ि अतिचथ-तनवारण-बान सिन ििज की ििजिा बल ि भी बल रान 154 अगर सवज-गण-पणजिा ििको छोड न राय कषिा-भाव का आिरण ककया लगन स राय 155 परतिकारी को रगि िो िान निीि पदाथज कषिशील को वि रि सवणज सिान पदाथज 156 परतिकारी का िो िज़ा एक हदवस ि अनि कषिाशीला को कीतिज ि लोक-अिि पयजनि 157 यदयवप कोई आपस करिा अनचिि किज अचछा उस पर कर दया करना निीि अधिज 158 अििकार स ज़यादिी यहद िर ववपरीि करिा कोई िो उस कषिा-भाव स रीि 159 सिनयासी स आचधक ि ऐस गिी पववर सिन कर रो नीि क कटक विन अपववर 160 अनशन िो रो िप कर यदयवप साध ििान पर-कटविन-सहिषण क पीछ पाव सथान

अधयाय 17 अनसयिा161 रलन- रहिि तनर िन रि ऐसी उिि बान अपनाव िर एक नर धिज आिरण िान 162 सबस ऐसा भाव िो रो ि ईषयाज- िकि िो उसक सि ि निीि भागय शरषठिा यकि 163 धिज- अथज क लाभ की नदरसकी ि निीि िाि पर-सिदचध स िश न िो करिा ि वि डाि 164 पाप- किज स िातनया रो िोिी ि रान ईषयाजवश करि निीि पाप- किज धीिान 165 शर न भी िो ईषयज का करन को कछ िातन रलन िार पयाजपि ि करन को अति िातन 166 दान दि कर रो रल उस सहिि पररवार रोटी कपड को िरस मिटि लग न बार 167 रलनवाल स सवयि रल कर रिा अदीन अपनी जयषठा क उस करिी विी अधीन 168 ईषयाज रो ि पावपनी करक शरी का नाश नरक-अनदगन ि िोक कर करिी सतयानास 169 रब िोिी ईषयाजल की धन की वदचध अपार िथा िातन भी साध की िो करना सवविार 170 सि-सिदचध उनकी निीि रो िो ईषयाजयकि सि-सिदचध की इति निीि रो िो ईषयाजिकि

अधयाय 18 तनलोभिा171 नयाय-बदचध को छोड कर यहद िो पर-धन-लोभ िो कर नाश कटमब का िोगा दोषारोप 172 नयाय-पकष क तयाग स नदरनको िोिी लार लोमभि पर-धन-लाभ स करि निीि अकार 173 नशवर सि क लोभ ि व न कर दषकतय नदरनको इचछा िो रिी पान को सि तनतय 174 रो ि इनदनियनदरि िथा जञानी भी अकलिक दाररदवश भी लालिी िोि निीि अशिक 175 िीि ववसिि जञान स कया िोगा उपकार लालिवश सबस कर अनचिि वयविार 176 ईश-कपा की िाि स रो न धिज स भरषट दषट-किज धन-लोभ स सोि िो वि नषट 177 िािो िि सिपवि को लालि स उतपनन उसका िल िोिा निीि कभी सगण-सिपनन 178 तनर धन का कषय िो निीि इसका कया सदपाय अनयो की सिपवि का लोभ ककया नहिि राय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)530

179 तनलोभिा गरिण कर धिज िान धीिान शरी पिि उनक यिा यकि काल थल रान 180 अवविारी क लोभ स िोगा उसका अनि लोभ- िीनिा- ववभव स िोगी ववरय अननि

अधयाय 19 अवपशनिा181 नाि न लगा धिज का कर अधमिजक काि किर भी अचछा यहद विी पाय अवपशन नाि 182 नानदसिवाद कर धिज परति करिा पाप अिणड उसस बदिर वपशनिा समिि िस पािणड 183 िगली िा कर कया नदरया िापलस िो साथ भला ितय िो िो लग शासर- उकि िल िाथ 184 कोई िि पर िी कि यदयवप तनदजय बाि किो पीठ पीछ निीि रो न सचिितिि बाि 185 परविन-लीन सधिज क हदय धिज स िीन भणडा इसका िोड द पशनय िी िलीन 186 परदषक यहद ि बना ििि ि रो दोष उनि िन सबस बर वि करिा ि घोष 187 रो करि नहिि मिरिा िधर विन िस बोल अलग कराव बनध को परोकष ि कट बोल 188 मिरो क भी दोष का घोषण नदरनका धिज रान अनयो क परति कया कया कर ककिज 189 कषिाशीलिा धिज ि यो करक सवविार कया ढोिी ि भमि भी िगलिोर का भार 190 परतछिानवषण सदश यहद दि तनर दोष ति अववनाशी रीव का कयो िो दि स शोष

अधयाय 20 वथालाप-तनषध191 बि रन सन करि घणा यो रो कर परलाप सवज रनो का वि बन उपिासासपद आप 192 बदचधिान रनवनद कसमिि ककया परलाप अवपरय करनी मिर परति करन स अति पाप 193 लमबी-िौडी बाि रो िोिी अथज-वविीन घोवषि करिी ि विी वकिा नीति-वविीन 194 सिसकि निीि तनरथज ि सभा िधय ि उकि करि ऐस शबद ि सगण व नीति-ववयकि 195 तनबिल शबद अगर कि कोई िरररवान िो राव उसस अलग कीतिज िथा समिान 196 नदरसको तनबिल शबद ि रििी ि आसनदकि कि ना ि उसको िनर किना थोथा वयनदकि 197 कि भल िी साधरन किीि अनय क शबद िगर इसी ि ि भला कि न तनबिल शबद 198 उिि िल की परि का नदरनि िोगा जञान ििा परयोरन रहिि वि बोलग नहिि रान 199 ितवजञानी परष रो िाया-भरि स िकि ववसिति स भी ना कि वि रो अथज-ववयकि 200 किना ऐसा शबद िी नदरसस िोव लाभ किना िि ऐसा विन नदरसस कछ नहिि लाभ

अधयाय 21 पाप-भीरिा201 पाप-किज क िोि स डर न पापी लोग उसस डरि ि विी पणय-परष रो लोग 202 पाप- किज दिरनक ि यि ि उनकी रीि पावक स भीषण सिि सो िोना भयभीि 203 शरषठ बदचधििा कि करक सधी वविार अपन ररप का भी कभी नहिि करना अपकार 204 ववसिति स भी नर निीि सोि पर की िातन यहद सोि िो धिज भी सोि उसकी िातन 205 lsquoतनधजन ि िrsquo यो सिि कर न कोई पाप अगर ककया िो किर मिल तनधजनिा-अमभशाप 206 दि स यहद दषकिज क बिन की ि राय अनयो क परति दषटिा कभी निीि की राय 207 अति भयकारी शर स सिभव ि बि राय पाप-किज की शरिा पीछा ककय सिाय 208 दषट- किज रो भी कर यो पायगा नाश छोड बबन पौरो िल छाि कर जयो वास 209 कोई अपन आपको यहद करिा ि पयार कर निीि अतयलप भी अनयो का अपिार 210 नाशरहिि उसको सिि रो िरकर सनिागज पाप-किज िो नहिि कर पकड निीि किागज

अधयाय 22 लोकोपकाररिा211 उपकारी नहिि िािि पाना परतयपकार बादल को बदला भला कया दिा सिसार 212 बि परयतन स रो रडा योगय वयनदकि क पास लोगो क उपकार हिि ि वि सब धन-रास 213 ककया भाव तनषकाि स रनोपकार सिान सवगज िथा भ लोक ि दषकर रान 214 जञािा मशषटािार का ि िनषय सपराण िि लोगो ि अनय की चगनिी िोिी रान 215 पानी भरा िडाग जयो आव रग का काि ििा सधी की सिपदा ि रन-िन-सि धाि 216 मशषट रनो क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय जयो वकषवर पाव िल-सिपवि 217 िक बबन जयो वकष का दवा बन िर अिग तयो धन िो यहद वि रि उपकारी क सिग 218 सािानदरक किजवय का नदरन सजरन को जञान उपकति स नहिि िकि दाररदवश भी रान 219 उपकारी को ि निीि दररििा की सोि lsquoि किकतय निीि िआrsquo उस यिी सिकोि 220 लोकोपकाररिा ककय यहद िोगा िी नाश अपन को भी बि कर िय-लायक वि नाश

अधयाय 23 दान221 दना दान गरीब को ि यथाथज ि दान परतयाशा परतिदान की ि अनय ि तनदान 222 िोकष-िागज िी कयो न िो दान- गरिण अशरय यदयवप िोकष निीि मिल दान-धिज िी शरय 223 lsquoदीन-िीन िrsquo ना कि करिा ि यो दान कवल परापय कलीन ि ऐसी उिि बान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)230

42 उनका रकषक ि गिी रो िोि ि दीन रो अनाथ ि और रो ििरन आशरयिीन 43 वपिर दव किर अतिचथ रन बनध सवयि मिल पाि इनक परति किजवय का भरण धिज ि साि 44 पापभीर िो धन किा बाट यथोचिि अिश रो भोग उस परष का नषट न िोगा विश 45 परि- यकि गािजसय िो िथा धिज स पणज िो सििो वि धनय ि िथा सिल स पणज 46 धिज िागज पर यहद गिी िलायगा तनर धिज गरिण कर वि ककसमलय किर अपराशरि धिज 47 भरण गिसथी धिज का रो भी कर गिसथ साधकगण क िधय वि िोिा ि अगरसथ 48 अचयि रि तनर धिज पर सबको िला सराि कषिाशील गािजसय ि िापसय स अिाि 49 रीवन िी गािजसय का किलािा ि धिज अचछा िो यहद वि बना रन-तननदा बबन धिज 50 इस रग ि ि रो गिी धिजतनषठ ितििान दवगणो ि सवगज क पावगा समिान

अधयाय 6 सिधमिजणी51 गहिणी-गण-गण परापि कर परष-आय अनसार रो गि-वयय करिी विी सिधमिजणी सिार 52 गण-गण गिणी ि न िो गहय-किज क अथज ससिपनन िो कयो न िो गि-रीवन ि वयथज 53 गहिणी रिी सधमिजणी िो कया रिा अभाव गहिणी निीि सधमिजणी ककसका निीि अभाव 54 सरी स बढ़ कर शरषठ िी कया ि पान योगय यहद िो पातिवरतय की दढ़िा उसि योगय 55 पर सिी न दव को पर रग तनर कि ि उसक किन पर lsquoबरसrsquo बरस िघ िरिि 56 रकषा कर सिीतव की पोषण करिी कािि गि का यश भी रो रि सरी ि वि अशरािि 57 परकोटा पिरा हदया इनस कया िो रकष सरी हिि पातिवरतय िी िोगा उिि रकष 58 यहद पािी ि नाररया पति परा कर शान िो उनका सरधाि ि िोिा ि बििान 59 नदरसकी पतनी को निीि घर क यश का िान नहिि तननदक क सािन गति शादजल सिान 60 गि का रयििगल कि गहिणी की गण-िान उनका सदभषण कि पाना सतसनिान

अधयाय 7 सििान-लाभ61 बदचधिान सनिान स बढ़ कर ववभव सयोगय िि िो िानग निीि ि पान क योगय 62 साि रनि िक भी उस छ नहिि सकिा िाप यहद पाव सििान रो शीलवान तनषपाप 63 तनर सििान-सकिज स सवयि धनय िो रान अपना अथज सधी कि ि अपनी सििान 64 ननि तनर सििान क िाथ ववलोडा भाि दवो क भी अिि का सवाद करगा िाि 65 तनर मशश अिग-सपशज स िन को ि सि-लाभ टटी- िटी बाि स शरति को ि सि-लाभ 66 िरली-नाद िधर कि सिधर वीणा-गान ििलाना सििान का रो न सना तनर कान 67 वपिा कर उपकार यि नदरसस तनर सििान पिडडि-सभा-सिार ि पाव अगरसथान 68 ववदयारजन सििान का अपन को द िोष उसस बढ़ सब रगि को दगा वि सििोष 69 पर रनन पर रो िआ उसस बढ़ आननद िा को िो रब वि सन ििापरष तनर ननद 70 पर वपिा का यि कर बदल ि उपकार `धनय धनय इसक वपिाrsquo यिी कि सिसार

अधयाय 8 परि-भाव71 अगजल ि कया रो रि परिी उर ि पयार घोषण करिी साफ़ िी िचछ नयन-रल-धार 72 परि-शनय रन सवाथजरि साध सब तनर काि परिी अनयो क मलय तयाग िडडी-िाि 73 मसदध िआ वपरय रीव का रो िन स सियोग मिलन-यतन-िल परि स किि ि बध लोग 74 मिलनसार क भाव को रनन करगा परि वि िरी को रनि द रो ि उिि कषि 75 इिलौककक सि भोगि तनशरयस का योग परिपणज गािजसय का िल िान बध लोग 76 साथी कवल धिज का िानपरि अरान राण कर वि परि िी अधिज स भी रान 77 कीड अनदसथवविीन को िलसगा जयो धिज पराणी परि वविीन को भसि करगा धिज 78 नीरस िर िर भमि पर कया िो ककसलय-यकि गिी रीव वसा सिि परि-रहिि िन-यकि 79 परि दि ि यहद निीि बन भािर का अिग कया िल िो यहद पास िो सब बािर क अिग 80 परि-िागज पर रो िल दि विी सपराण ििज-लपटी अनदसथ ि परि-िीन की िान

अधयाय 9 अतिचथ-सतकार81 योग-कषि तनबाि कर िला रिा घर-बार आदर करक अतिचथ का करन को उपकार 82 बािर ठिरा अतिचथ को अनदर बठ आप दवािि का कयो न िो भोरन करना पाप 83 हदन हदन आय अतिचथ का करिा रो सतकार वि रीवन दाररिय का बनिा निीि मशकार

84 िि परसनन िो रो कर योगय अतिचथ-सतकार उसक घर ि इनदनदरा करिी सदा बिार 85 खिला वपला कर अतिचथ को अननशष रो िाय ऐसो क भी िि को काि बोया राया 86 परापि अतिचथ को पर कर और अतिचथ को दि रो रििा वि सवगज का अतिचथ बनगा नक 87 अतिचथ-यजञ क सिल की िहििा का नहिि िान नदरिना अतिचथ ििान ि उिना िी वि िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)330

88 कहठन यतन स रो रडा सब धन िआ सिापि यो रोव नदरनको निीि अतिचथ-यजञ-िल परापि 89 तनधजनिा सिपवि ि अतिचथ-उपकषा रान ििज रनो ि ििज यि पायी रािी बान 90 सिघा lsquoअतनचिrsquo पषप को िो वि िरिा राय िि िला कर िाकि सि अतिचथ-िि राय

अधयाय 10 िधर-भाषण91 रो िि स ितवजञ क िो कर तनगजि शबद परि-मसकि तनषकपट ि िधर विन व शबद 92 िन परसनन िो कर सिी करन स भी दान िि परसनन भाषी िधर िोना उिि िान 93 ल कर िि ि सौमयिा दिा भर वपरय भाव बबला हदzwjगि िद विन यिी धिज का भाव 94 दि-वधजक दाररदरय भी छोड रायगा साथ सि-वधजक वपरय विन यहद बोल सब क साथ 95 िदभाषी िोना िथा नमर-भाव स यकि सचि भषण िनर क अनय निीि ि उकि 96 िोगा हरास अधिज का सधिज का उतथान िन िन कर यहद शभ विन कि िधरिा-सान 97 िधर शबद सिसकारयि पर को कर वरदान वकिा को नय-नीति द करिा पणय परदान 98 ओछापन स रहिि रो िीठा विन परयोग लोक िथा परलोक ि दिा ि सि-भोग 99 िधर विन का िधर िल रो भोग िद आप कटक विन किर कयो कि रो दिा सििाप

100 रिि सिधर विन क कट किन की बान यो िी पकका छोड िल कचिा गरिण सिान अधयाय 11 किजञिा

101 उपकि िए बबना कर यहद कोइ उपकार द कर भ सर-लोक भी िकि न िो आभार 102 अति सिकट क सिय पर ककया गया उपकार भ स अचधक ििान ि यदयवप अलपाकार 103 सवाथजरहिि कि िदद का यहद गण आिका राय उदचध-बडाई स बडा वि गण िाना राय 104 उपकति तिल भर िी िई िो भी उस सरान िान ऊि िाड सि सिल इसी ि रान 105 सीमिि नहिि उपकार िक परतयपकार- परिाण नदरिनी उपकि-योगयिा उिना उसका िान 106 तनदोषो की मिरिा कभी न राना भल आपद-बिध सनि को कभी न िरना भल 107 नदरसन दःि मिटा हदया उसका सनि सवभाव साि रनि िक भी सिरण करि ििानभाव 108 भला निीि ि भलना रो भी िो उपकार भला यिी िट भलना कोई भी अपकार 109 ितया सि कोई कर अगर बडी कछ िातन उसकी इक उपकार-सिति कर िातन की िातन 110 रो भी पािक नर कर सिभव ि उदधार पर ि निीि किघन का सिभव िी तनसिार

अधयाय 12 िधयसथिा111 िधयसथिा यथषट ि यहद िो यि सिसकार शर मिर औrsquo अनय स नयायोचिि वयविार 112 नयायतनषठ की सिपदा बबना िए कषयशील विश विश का वि रि अवलिबन नदसथतिशील 113 िरन स तनषपकषिा रो धन मिल अननि भला भल िी वि कर िरना उस िरनि 114 कोई ईिानदार ि अथवा बईिान उन उनक अवशष स िोिी यि पििान 115 सिपननिा ववपननिा इनका ि न अभाव सजरन का भषण रिा नयायतनषठिा भाव 116 सवजनाश िरा िआ यो रान तनधाजर िक नयाय-पथ यहद िआ िन ि बरा वविार 117 नयायवान धमिजषठ की तनधजनिा अवलोक िानगा नहिि िीनिा बदचधिान का लोक 118 सि रिा पर िो िला जयो िोल सािान भषण ििानभाव का पकष न लना िान 119 किना सीधा विन ि िधयसथिा ज़रर दढ़िा स यहद िो गयी चिि-वििा दर 120 यहद रिि पर िाल को अपना िाल सिान वखणक कर वाणीजय िो विी सिी ि रान

अधयाय 13 सियमzwjशीलिा121 सियि दिा िनर को अिर लोक का वास िोक असियि नरक ि करिा सतयानास 122 सियि की रकषा करो तनचध अनिोल सिान शरय निीि ि रीव को उसस अचधक ििान 123 कोई सियिशील िो अगर रानकर ितव सियि पा कर िानयिा दगा उस िितव 124 बबना टल तनर धिज स रो िो सियिशील पवजि स भी उचििर िोगा उसका डील 125 सियि उिि वसि ि रन क मलय अशष वि भी धतनको ि रि िो वि धन सववशष 126 पििनदनिय-तनगराि ककया कछआ सि इस रनि िो उसस रकषा सदढ़ िोगी सािो रनि 127 िाि औरोको निीि रि ल वश ि रीभ शबद-दोष स िो दिी यहद न वशी िो रीभ 128 एक बार भी कटविन पििाय यहद कषट सतकिो क सिल सब िो रायग नषट 129 घाव लगा रो आग स सिभव ि भर राय िोट लगी यहद रीभ की कभी न िोटी राय 130 िोध दिन कर रो िआ पिडडि यिी सिथज धिज-दव भी रोििा बाट भट क अथज

अधयाय 14 आिारशीलिा 131 सदािार-सिपननिा दिी सब को शरय िब िो पराणो स अचधक रकषणीय वि जञय 132 सदािार को यतन स रिना सहिि वववक अनशीलन स पायगा विी सिायक एक

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)430

133 सदािार-सिपननिा ि कलीनिा रान िक यहद आिार स नीि रनि ि िान 134 सिभव ि किर अधययन भल गया यहद वद आिारचयि ववपर क िोगा कल का छद 135 धन की जयो ईषयाजल क िोिी निीि सिदचध आिारिीन की निीि कलीनिा की वदचध 136 सदािार दषकर सिि धीर न िीिि िाथ पररभव रो िो रान कर उसकी चयति क साथ 137 सदािार स िी रिी ििा कीतिज की परानदपि उसकी चयति स िो रिी आति तननदा की परानदपि 138 सदािार क बीर स िोिा सि उतपनन कदािार स िी सदा िोिा िनर ववपनन 139 सदािारयि लोग िो िि स कर भी भल किन को असिथज ि बर विन परतिकल 140 नदरनको लोकािार की अनगति का नहिि जञान जञािा िो सब शासर क रानो उनि अरान

अधयाय 15 परदार- ववरति

141 परपतनी-रति-िढ़िा ि नहिि उनि रान धिज-अथज क शासर का नदरनको ितवजञान 142 धिज-भरषटो ि निी ऐसा कोई िढ़ रसा अनयदवार पर िडा रिा रो िढ़ 143 दढ़ ववशवासी मिर की सरी स पापािार रो करिा वो ििक स मभनन निीि ि यार 144 कया िोगा उसको अिो रिि ववभव अनक यहद रति िो पर-दार ि ितनक न बदचध वववक 145 पर-पतनी-रि रो िआ सलभ सिि तनशशिक लग रि चिर काल िक उसपर अमिट कलिक 146 पाप शरिा और भय तननदा मिल कर िार य उसको छोड निीि रो करिा वयमभिार 147 रो गिसथ पर-दार पर िोव नहिि आसकि िाना रािा ि विी धिज-किज अनरकि 148 पर-नारी नहिि िाकना ि धीरिा ििान धिज िार नहिि सिि का सदािरण भी रान 149 सागर-बलतयि भमि पर कौन भोगय क योगय आमलिगन पर- नारर को रो न कर वि योगय 150 पाप- किज िाि कर धिज िागज को छोड पर-गहिणी की ववरति िो िो वि गण बरोड

अधयाय 16 कषिाशीलिा151 कषिा कषिा कर जयो धर रो िोदगा िोड तननदक को करना कषिा ि सधिज बरोड 152 अचछा ि सब काल ि सिना अतयािार किर िो उसको भलना उसस शरषठ वविार 153 दाररद ि दाररिय ि अतिचथ-तनवारण-बान सिन ििज की ििजिा बल ि भी बल रान 154 अगर सवज-गण-पणजिा ििको छोड न राय कषिा-भाव का आिरण ककया लगन स राय 155 परतिकारी को रगि िो िान निीि पदाथज कषिशील को वि रि सवणज सिान पदाथज 156 परतिकारी का िो िज़ा एक हदवस ि अनि कषिाशीला को कीतिज ि लोक-अिि पयजनि 157 यदयवप कोई आपस करिा अनचिि किज अचछा उस पर कर दया करना निीि अधिज 158 अििकार स ज़यादिी यहद िर ववपरीि करिा कोई िो उस कषिा-भाव स रीि 159 सिनयासी स आचधक ि ऐस गिी पववर सिन कर रो नीि क कटक विन अपववर 160 अनशन िो रो िप कर यदयवप साध ििान पर-कटविन-सहिषण क पीछ पाव सथान

अधयाय 17 अनसयिा161 रलन- रहिि तनर िन रि ऐसी उिि बान अपनाव िर एक नर धिज आिरण िान 162 सबस ऐसा भाव िो रो ि ईषयाज- िकि िो उसक सि ि निीि भागय शरषठिा यकि 163 धिज- अथज क लाभ की नदरसकी ि निीि िाि पर-सिदचध स िश न िो करिा ि वि डाि 164 पाप- किज स िातनया रो िोिी ि रान ईषयाजवश करि निीि पाप- किज धीिान 165 शर न भी िो ईषयज का करन को कछ िातन रलन िार पयाजपि ि करन को अति िातन 166 दान दि कर रो रल उस सहिि पररवार रोटी कपड को िरस मिटि लग न बार 167 रलनवाल स सवयि रल कर रिा अदीन अपनी जयषठा क उस करिी विी अधीन 168 ईषयाज रो ि पावपनी करक शरी का नाश नरक-अनदगन ि िोक कर करिी सतयानास 169 रब िोिी ईषयाजल की धन की वदचध अपार िथा िातन भी साध की िो करना सवविार 170 सि-सिदचध उनकी निीि रो िो ईषयाजयकि सि-सिदचध की इति निीि रो िो ईषयाजिकि

अधयाय 18 तनलोभिा171 नयाय-बदचध को छोड कर यहद िो पर-धन-लोभ िो कर नाश कटमब का िोगा दोषारोप 172 नयाय-पकष क तयाग स नदरनको िोिी लार लोमभि पर-धन-लाभ स करि निीि अकार 173 नशवर सि क लोभ ि व न कर दषकतय नदरनको इचछा िो रिी पान को सि तनतय 174 रो ि इनदनियनदरि िथा जञानी भी अकलिक दाररदवश भी लालिी िोि निीि अशिक 175 िीि ववसिि जञान स कया िोगा उपकार लालिवश सबस कर अनचिि वयविार 176 ईश-कपा की िाि स रो न धिज स भरषट दषट-किज धन-लोभ स सोि िो वि नषट 177 िािो िि सिपवि को लालि स उतपनन उसका िल िोिा निीि कभी सगण-सिपनन 178 तनर धन का कषय िो निीि इसका कया सदपाय अनयो की सिपवि का लोभ ककया नहिि राय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)530

179 तनलोभिा गरिण कर धिज िान धीिान शरी पिि उनक यिा यकि काल थल रान 180 अवविारी क लोभ स िोगा उसका अनि लोभ- िीनिा- ववभव स िोगी ववरय अननि

अधयाय 19 अवपशनिा181 नाि न लगा धिज का कर अधमिजक काि किर भी अचछा यहद विी पाय अवपशन नाि 182 नानदसिवाद कर धिज परति करिा पाप अिणड उसस बदिर वपशनिा समिि िस पािणड 183 िगली िा कर कया नदरया िापलस िो साथ भला ितय िो िो लग शासर- उकि िल िाथ 184 कोई िि पर िी कि यदयवप तनदजय बाि किो पीठ पीछ निीि रो न सचिितिि बाि 185 परविन-लीन सधिज क हदय धिज स िीन भणडा इसका िोड द पशनय िी िलीन 186 परदषक यहद ि बना ििि ि रो दोष उनि िन सबस बर वि करिा ि घोष 187 रो करि नहिि मिरिा िधर विन िस बोल अलग कराव बनध को परोकष ि कट बोल 188 मिरो क भी दोष का घोषण नदरनका धिज रान अनयो क परति कया कया कर ककिज 189 कषिाशीलिा धिज ि यो करक सवविार कया ढोिी ि भमि भी िगलिोर का भार 190 परतछिानवषण सदश यहद दि तनर दोष ति अववनाशी रीव का कयो िो दि स शोष

अधयाय 20 वथालाप-तनषध191 बि रन सन करि घणा यो रो कर परलाप सवज रनो का वि बन उपिासासपद आप 192 बदचधिान रनवनद कसमिि ककया परलाप अवपरय करनी मिर परति करन स अति पाप 193 लमबी-िौडी बाि रो िोिी अथज-वविीन घोवषि करिी ि विी वकिा नीति-वविीन 194 सिसकि निीि तनरथज ि सभा िधय ि उकि करि ऐस शबद ि सगण व नीति-ववयकि 195 तनबिल शबद अगर कि कोई िरररवान िो राव उसस अलग कीतिज िथा समिान 196 नदरसको तनबिल शबद ि रििी ि आसनदकि कि ना ि उसको िनर किना थोथा वयनदकि 197 कि भल िी साधरन किीि अनय क शबद िगर इसी ि ि भला कि न तनबिल शबद 198 उिि िल की परि का नदरनि िोगा जञान ििा परयोरन रहिि वि बोलग नहिि रान 199 ितवजञानी परष रो िाया-भरि स िकि ववसिति स भी ना कि वि रो अथज-ववयकि 200 किना ऐसा शबद िी नदरसस िोव लाभ किना िि ऐसा विन नदरसस कछ नहिि लाभ

अधयाय 21 पाप-भीरिा201 पाप-किज क िोि स डर न पापी लोग उसस डरि ि विी पणय-परष रो लोग 202 पाप- किज दिरनक ि यि ि उनकी रीि पावक स भीषण सिि सो िोना भयभीि 203 शरषठ बदचधििा कि करक सधी वविार अपन ररप का भी कभी नहिि करना अपकार 204 ववसिति स भी नर निीि सोि पर की िातन यहद सोि िो धिज भी सोि उसकी िातन 205 lsquoतनधजन ि िrsquo यो सिि कर न कोई पाप अगर ककया िो किर मिल तनधजनिा-अमभशाप 206 दि स यहद दषकिज क बिन की ि राय अनयो क परति दषटिा कभी निीि की राय 207 अति भयकारी शर स सिभव ि बि राय पाप-किज की शरिा पीछा ककय सिाय 208 दषट- किज रो भी कर यो पायगा नाश छोड बबन पौरो िल छाि कर जयो वास 209 कोई अपन आपको यहद करिा ि पयार कर निीि अतयलप भी अनयो का अपिार 210 नाशरहिि उसको सिि रो िरकर सनिागज पाप-किज िो नहिि कर पकड निीि किागज

अधयाय 22 लोकोपकाररिा211 उपकारी नहिि िािि पाना परतयपकार बादल को बदला भला कया दिा सिसार 212 बि परयतन स रो रडा योगय वयनदकि क पास लोगो क उपकार हिि ि वि सब धन-रास 213 ककया भाव तनषकाि स रनोपकार सिान सवगज िथा भ लोक ि दषकर रान 214 जञािा मशषटािार का ि िनषय सपराण िि लोगो ि अनय की चगनिी िोिी रान 215 पानी भरा िडाग जयो आव रग का काि ििा सधी की सिपदा ि रन-िन-सि धाि 216 मशषट रनो क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय जयो वकषवर पाव िल-सिपवि 217 िक बबन जयो वकष का दवा बन िर अिग तयो धन िो यहद वि रि उपकारी क सिग 218 सािानदरक किजवय का नदरन सजरन को जञान उपकति स नहिि िकि दाररदवश भी रान 219 उपकारी को ि निीि दररििा की सोि lsquoि किकतय निीि िआrsquo उस यिी सिकोि 220 लोकोपकाररिा ककय यहद िोगा िी नाश अपन को भी बि कर िय-लायक वि नाश

अधयाय 23 दान221 दना दान गरीब को ि यथाथज ि दान परतयाशा परतिदान की ि अनय ि तनदान 222 िोकष-िागज िी कयो न िो दान- गरिण अशरय यदयवप िोकष निीि मिल दान-धिज िी शरय 223 lsquoदीन-िीन िrsquo ना कि करिा ि यो दान कवल परापय कलीन ि ऐसी उिि बान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 3: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)330

88 कहठन यतन स रो रडा सब धन िआ सिापि यो रोव नदरनको निीि अतिचथ-यजञ-िल परापि 89 तनधजनिा सिपवि ि अतिचथ-उपकषा रान ििज रनो ि ििज यि पायी रािी बान 90 सिघा lsquoअतनचिrsquo पषप को िो वि िरिा राय िि िला कर िाकि सि अतिचथ-िि राय

अधयाय 10 िधर-भाषण91 रो िि स ितवजञ क िो कर तनगजि शबद परि-मसकि तनषकपट ि िधर विन व शबद 92 िन परसनन िो कर सिी करन स भी दान िि परसनन भाषी िधर िोना उिि िान 93 ल कर िि ि सौमयिा दिा भर वपरय भाव बबला हदzwjगि िद विन यिी धिज का भाव 94 दि-वधजक दाररदरय भी छोड रायगा साथ सि-वधजक वपरय विन यहद बोल सब क साथ 95 िदभाषी िोना िथा नमर-भाव स यकि सचि भषण िनर क अनय निीि ि उकि 96 िोगा हरास अधिज का सधिज का उतथान िन िन कर यहद शभ विन कि िधरिा-सान 97 िधर शबद सिसकारयि पर को कर वरदान वकिा को नय-नीति द करिा पणय परदान 98 ओछापन स रहिि रो िीठा विन परयोग लोक िथा परलोक ि दिा ि सि-भोग 99 िधर विन का िधर िल रो भोग िद आप कटक विन किर कयो कि रो दिा सििाप

100 रिि सिधर विन क कट किन की बान यो िी पकका छोड िल कचिा गरिण सिान अधयाय 11 किजञिा

101 उपकि िए बबना कर यहद कोइ उपकार द कर भ सर-लोक भी िकि न िो आभार 102 अति सिकट क सिय पर ककया गया उपकार भ स अचधक ििान ि यदयवप अलपाकार 103 सवाथजरहिि कि िदद का यहद गण आिका राय उदचध-बडाई स बडा वि गण िाना राय 104 उपकति तिल भर िी िई िो भी उस सरान िान ऊि िाड सि सिल इसी ि रान 105 सीमिि नहिि उपकार िक परतयपकार- परिाण नदरिनी उपकि-योगयिा उिना उसका िान 106 तनदोषो की मिरिा कभी न राना भल आपद-बिध सनि को कभी न िरना भल 107 नदरसन दःि मिटा हदया उसका सनि सवभाव साि रनि िक भी सिरण करि ििानभाव 108 भला निीि ि भलना रो भी िो उपकार भला यिी िट भलना कोई भी अपकार 109 ितया सि कोई कर अगर बडी कछ िातन उसकी इक उपकार-सिति कर िातन की िातन 110 रो भी पािक नर कर सिभव ि उदधार पर ि निीि किघन का सिभव िी तनसिार

अधयाय 12 िधयसथिा111 िधयसथिा यथषट ि यहद िो यि सिसकार शर मिर औrsquo अनय स नयायोचिि वयविार 112 नयायतनषठ की सिपदा बबना िए कषयशील विश विश का वि रि अवलिबन नदसथतिशील 113 िरन स तनषपकषिा रो धन मिल अननि भला भल िी वि कर िरना उस िरनि 114 कोई ईिानदार ि अथवा बईिान उन उनक अवशष स िोिी यि पििान 115 सिपननिा ववपननिा इनका ि न अभाव सजरन का भषण रिा नयायतनषठिा भाव 116 सवजनाश िरा िआ यो रान तनधाजर िक नयाय-पथ यहद िआ िन ि बरा वविार 117 नयायवान धमिजषठ की तनधजनिा अवलोक िानगा नहिि िीनिा बदचधिान का लोक 118 सि रिा पर िो िला जयो िोल सािान भषण ििानभाव का पकष न लना िान 119 किना सीधा विन ि िधयसथिा ज़रर दढ़िा स यहद िो गयी चिि-वििा दर 120 यहद रिि पर िाल को अपना िाल सिान वखणक कर वाणीजय िो विी सिी ि रान

अधयाय 13 सियमzwjशीलिा121 सियि दिा िनर को अिर लोक का वास िोक असियि नरक ि करिा सतयानास 122 सियि की रकषा करो तनचध अनिोल सिान शरय निीि ि रीव को उसस अचधक ििान 123 कोई सियिशील िो अगर रानकर ितव सियि पा कर िानयिा दगा उस िितव 124 बबना टल तनर धिज स रो िो सियिशील पवजि स भी उचििर िोगा उसका डील 125 सियि उिि वसि ि रन क मलय अशष वि भी धतनको ि रि िो वि धन सववशष 126 पििनदनिय-तनगराि ककया कछआ सि इस रनि िो उसस रकषा सदढ़ िोगी सािो रनि 127 िाि औरोको निीि रि ल वश ि रीभ शबद-दोष स िो दिी यहद न वशी िो रीभ 128 एक बार भी कटविन पििाय यहद कषट सतकिो क सिल सब िो रायग नषट 129 घाव लगा रो आग स सिभव ि भर राय िोट लगी यहद रीभ की कभी न िोटी राय 130 िोध दिन कर रो िआ पिडडि यिी सिथज धिज-दव भी रोििा बाट भट क अथज

अधयाय 14 आिारशीलिा 131 सदािार-सिपननिा दिी सब को शरय िब िो पराणो स अचधक रकषणीय वि जञय 132 सदािार को यतन स रिना सहिि वववक अनशीलन स पायगा विी सिायक एक

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)430

133 सदािार-सिपननिा ि कलीनिा रान िक यहद आिार स नीि रनि ि िान 134 सिभव ि किर अधययन भल गया यहद वद आिारचयि ववपर क िोगा कल का छद 135 धन की जयो ईषयाजल क िोिी निीि सिदचध आिारिीन की निीि कलीनिा की वदचध 136 सदािार दषकर सिि धीर न िीिि िाथ पररभव रो िो रान कर उसकी चयति क साथ 137 सदािार स िी रिी ििा कीतिज की परानदपि उसकी चयति स िो रिी आति तननदा की परानदपि 138 सदािार क बीर स िोिा सि उतपनन कदािार स िी सदा िोिा िनर ववपनन 139 सदािारयि लोग िो िि स कर भी भल किन को असिथज ि बर विन परतिकल 140 नदरनको लोकािार की अनगति का नहिि जञान जञािा िो सब शासर क रानो उनि अरान

अधयाय 15 परदार- ववरति

141 परपतनी-रति-िढ़िा ि नहिि उनि रान धिज-अथज क शासर का नदरनको ितवजञान 142 धिज-भरषटो ि निी ऐसा कोई िढ़ रसा अनयदवार पर िडा रिा रो िढ़ 143 दढ़ ववशवासी मिर की सरी स पापािार रो करिा वो ििक स मभनन निीि ि यार 144 कया िोगा उसको अिो रिि ववभव अनक यहद रति िो पर-दार ि ितनक न बदचध वववक 145 पर-पतनी-रि रो िआ सलभ सिि तनशशिक लग रि चिर काल िक उसपर अमिट कलिक 146 पाप शरिा और भय तननदा मिल कर िार य उसको छोड निीि रो करिा वयमभिार 147 रो गिसथ पर-दार पर िोव नहिि आसकि िाना रािा ि विी धिज-किज अनरकि 148 पर-नारी नहिि िाकना ि धीरिा ििान धिज िार नहिि सिि का सदािरण भी रान 149 सागर-बलतयि भमि पर कौन भोगय क योगय आमलिगन पर- नारर को रो न कर वि योगय 150 पाप- किज िाि कर धिज िागज को छोड पर-गहिणी की ववरति िो िो वि गण बरोड

अधयाय 16 कषिाशीलिा151 कषिा कषिा कर जयो धर रो िोदगा िोड तननदक को करना कषिा ि सधिज बरोड 152 अचछा ि सब काल ि सिना अतयािार किर िो उसको भलना उसस शरषठ वविार 153 दाररद ि दाररिय ि अतिचथ-तनवारण-बान सिन ििज की ििजिा बल ि भी बल रान 154 अगर सवज-गण-पणजिा ििको छोड न राय कषिा-भाव का आिरण ककया लगन स राय 155 परतिकारी को रगि िो िान निीि पदाथज कषिशील को वि रि सवणज सिान पदाथज 156 परतिकारी का िो िज़ा एक हदवस ि अनि कषिाशीला को कीतिज ि लोक-अिि पयजनि 157 यदयवप कोई आपस करिा अनचिि किज अचछा उस पर कर दया करना निीि अधिज 158 अििकार स ज़यादिी यहद िर ववपरीि करिा कोई िो उस कषिा-भाव स रीि 159 सिनयासी स आचधक ि ऐस गिी पववर सिन कर रो नीि क कटक विन अपववर 160 अनशन िो रो िप कर यदयवप साध ििान पर-कटविन-सहिषण क पीछ पाव सथान

अधयाय 17 अनसयिा161 रलन- रहिि तनर िन रि ऐसी उिि बान अपनाव िर एक नर धिज आिरण िान 162 सबस ऐसा भाव िो रो ि ईषयाज- िकि िो उसक सि ि निीि भागय शरषठिा यकि 163 धिज- अथज क लाभ की नदरसकी ि निीि िाि पर-सिदचध स िश न िो करिा ि वि डाि 164 पाप- किज स िातनया रो िोिी ि रान ईषयाजवश करि निीि पाप- किज धीिान 165 शर न भी िो ईषयज का करन को कछ िातन रलन िार पयाजपि ि करन को अति िातन 166 दान दि कर रो रल उस सहिि पररवार रोटी कपड को िरस मिटि लग न बार 167 रलनवाल स सवयि रल कर रिा अदीन अपनी जयषठा क उस करिी विी अधीन 168 ईषयाज रो ि पावपनी करक शरी का नाश नरक-अनदगन ि िोक कर करिी सतयानास 169 रब िोिी ईषयाजल की धन की वदचध अपार िथा िातन भी साध की िो करना सवविार 170 सि-सिदचध उनकी निीि रो िो ईषयाजयकि सि-सिदचध की इति निीि रो िो ईषयाजिकि

अधयाय 18 तनलोभिा171 नयाय-बदचध को छोड कर यहद िो पर-धन-लोभ िो कर नाश कटमब का िोगा दोषारोप 172 नयाय-पकष क तयाग स नदरनको िोिी लार लोमभि पर-धन-लाभ स करि निीि अकार 173 नशवर सि क लोभ ि व न कर दषकतय नदरनको इचछा िो रिी पान को सि तनतय 174 रो ि इनदनियनदरि िथा जञानी भी अकलिक दाररदवश भी लालिी िोि निीि अशिक 175 िीि ववसिि जञान स कया िोगा उपकार लालिवश सबस कर अनचिि वयविार 176 ईश-कपा की िाि स रो न धिज स भरषट दषट-किज धन-लोभ स सोि िो वि नषट 177 िािो िि सिपवि को लालि स उतपनन उसका िल िोिा निीि कभी सगण-सिपनन 178 तनर धन का कषय िो निीि इसका कया सदपाय अनयो की सिपवि का लोभ ककया नहिि राय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)530

179 तनलोभिा गरिण कर धिज िान धीिान शरी पिि उनक यिा यकि काल थल रान 180 अवविारी क लोभ स िोगा उसका अनि लोभ- िीनिा- ववभव स िोगी ववरय अननि

अधयाय 19 अवपशनिा181 नाि न लगा धिज का कर अधमिजक काि किर भी अचछा यहद विी पाय अवपशन नाि 182 नानदसिवाद कर धिज परति करिा पाप अिणड उसस बदिर वपशनिा समिि िस पािणड 183 िगली िा कर कया नदरया िापलस िो साथ भला ितय िो िो लग शासर- उकि िल िाथ 184 कोई िि पर िी कि यदयवप तनदजय बाि किो पीठ पीछ निीि रो न सचिितिि बाि 185 परविन-लीन सधिज क हदय धिज स िीन भणडा इसका िोड द पशनय िी िलीन 186 परदषक यहद ि बना ििि ि रो दोष उनि िन सबस बर वि करिा ि घोष 187 रो करि नहिि मिरिा िधर विन िस बोल अलग कराव बनध को परोकष ि कट बोल 188 मिरो क भी दोष का घोषण नदरनका धिज रान अनयो क परति कया कया कर ककिज 189 कषिाशीलिा धिज ि यो करक सवविार कया ढोिी ि भमि भी िगलिोर का भार 190 परतछिानवषण सदश यहद दि तनर दोष ति अववनाशी रीव का कयो िो दि स शोष

अधयाय 20 वथालाप-तनषध191 बि रन सन करि घणा यो रो कर परलाप सवज रनो का वि बन उपिासासपद आप 192 बदचधिान रनवनद कसमिि ककया परलाप अवपरय करनी मिर परति करन स अति पाप 193 लमबी-िौडी बाि रो िोिी अथज-वविीन घोवषि करिी ि विी वकिा नीति-वविीन 194 सिसकि निीि तनरथज ि सभा िधय ि उकि करि ऐस शबद ि सगण व नीति-ववयकि 195 तनबिल शबद अगर कि कोई िरररवान िो राव उसस अलग कीतिज िथा समिान 196 नदरसको तनबिल शबद ि रििी ि आसनदकि कि ना ि उसको िनर किना थोथा वयनदकि 197 कि भल िी साधरन किीि अनय क शबद िगर इसी ि ि भला कि न तनबिल शबद 198 उिि िल की परि का नदरनि िोगा जञान ििा परयोरन रहिि वि बोलग नहिि रान 199 ितवजञानी परष रो िाया-भरि स िकि ववसिति स भी ना कि वि रो अथज-ववयकि 200 किना ऐसा शबद िी नदरसस िोव लाभ किना िि ऐसा विन नदरसस कछ नहिि लाभ

अधयाय 21 पाप-भीरिा201 पाप-किज क िोि स डर न पापी लोग उसस डरि ि विी पणय-परष रो लोग 202 पाप- किज दिरनक ि यि ि उनकी रीि पावक स भीषण सिि सो िोना भयभीि 203 शरषठ बदचधििा कि करक सधी वविार अपन ररप का भी कभी नहिि करना अपकार 204 ववसिति स भी नर निीि सोि पर की िातन यहद सोि िो धिज भी सोि उसकी िातन 205 lsquoतनधजन ि िrsquo यो सिि कर न कोई पाप अगर ककया िो किर मिल तनधजनिा-अमभशाप 206 दि स यहद दषकिज क बिन की ि राय अनयो क परति दषटिा कभी निीि की राय 207 अति भयकारी शर स सिभव ि बि राय पाप-किज की शरिा पीछा ककय सिाय 208 दषट- किज रो भी कर यो पायगा नाश छोड बबन पौरो िल छाि कर जयो वास 209 कोई अपन आपको यहद करिा ि पयार कर निीि अतयलप भी अनयो का अपिार 210 नाशरहिि उसको सिि रो िरकर सनिागज पाप-किज िो नहिि कर पकड निीि किागज

अधयाय 22 लोकोपकाररिा211 उपकारी नहिि िािि पाना परतयपकार बादल को बदला भला कया दिा सिसार 212 बि परयतन स रो रडा योगय वयनदकि क पास लोगो क उपकार हिि ि वि सब धन-रास 213 ककया भाव तनषकाि स रनोपकार सिान सवगज िथा भ लोक ि दषकर रान 214 जञािा मशषटािार का ि िनषय सपराण िि लोगो ि अनय की चगनिी िोिी रान 215 पानी भरा िडाग जयो आव रग का काि ििा सधी की सिपदा ि रन-िन-सि धाि 216 मशषट रनो क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय जयो वकषवर पाव िल-सिपवि 217 िक बबन जयो वकष का दवा बन िर अिग तयो धन िो यहद वि रि उपकारी क सिग 218 सािानदरक किजवय का नदरन सजरन को जञान उपकति स नहिि िकि दाररदवश भी रान 219 उपकारी को ि निीि दररििा की सोि lsquoि किकतय निीि िआrsquo उस यिी सिकोि 220 लोकोपकाररिा ककय यहद िोगा िी नाश अपन को भी बि कर िय-लायक वि नाश

अधयाय 23 दान221 दना दान गरीब को ि यथाथज ि दान परतयाशा परतिदान की ि अनय ि तनदान 222 िोकष-िागज िी कयो न िो दान- गरिण अशरय यदयवप िोकष निीि मिल दान-धिज िी शरय 223 lsquoदीन-िीन िrsquo ना कि करिा ि यो दान कवल परापय कलीन ि ऐसी उिि बान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 4: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)430

133 सदािार-सिपननिा ि कलीनिा रान िक यहद आिार स नीि रनि ि िान 134 सिभव ि किर अधययन भल गया यहद वद आिारचयि ववपर क िोगा कल का छद 135 धन की जयो ईषयाजल क िोिी निीि सिदचध आिारिीन की निीि कलीनिा की वदचध 136 सदािार दषकर सिि धीर न िीिि िाथ पररभव रो िो रान कर उसकी चयति क साथ 137 सदािार स िी रिी ििा कीतिज की परानदपि उसकी चयति स िो रिी आति तननदा की परानदपि 138 सदािार क बीर स िोिा सि उतपनन कदािार स िी सदा िोिा िनर ववपनन 139 सदािारयि लोग िो िि स कर भी भल किन को असिथज ि बर विन परतिकल 140 नदरनको लोकािार की अनगति का नहिि जञान जञािा िो सब शासर क रानो उनि अरान

अधयाय 15 परदार- ववरति

141 परपतनी-रति-िढ़िा ि नहिि उनि रान धिज-अथज क शासर का नदरनको ितवजञान 142 धिज-भरषटो ि निी ऐसा कोई िढ़ रसा अनयदवार पर िडा रिा रो िढ़ 143 दढ़ ववशवासी मिर की सरी स पापािार रो करिा वो ििक स मभनन निीि ि यार 144 कया िोगा उसको अिो रिि ववभव अनक यहद रति िो पर-दार ि ितनक न बदचध वववक 145 पर-पतनी-रि रो िआ सलभ सिि तनशशिक लग रि चिर काल िक उसपर अमिट कलिक 146 पाप शरिा और भय तननदा मिल कर िार य उसको छोड निीि रो करिा वयमभिार 147 रो गिसथ पर-दार पर िोव नहिि आसकि िाना रािा ि विी धिज-किज अनरकि 148 पर-नारी नहिि िाकना ि धीरिा ििान धिज िार नहिि सिि का सदािरण भी रान 149 सागर-बलतयि भमि पर कौन भोगय क योगय आमलिगन पर- नारर को रो न कर वि योगय 150 पाप- किज िाि कर धिज िागज को छोड पर-गहिणी की ववरति िो िो वि गण बरोड

अधयाय 16 कषिाशीलिा151 कषिा कषिा कर जयो धर रो िोदगा िोड तननदक को करना कषिा ि सधिज बरोड 152 अचछा ि सब काल ि सिना अतयािार किर िो उसको भलना उसस शरषठ वविार 153 दाररद ि दाररिय ि अतिचथ-तनवारण-बान सिन ििज की ििजिा बल ि भी बल रान 154 अगर सवज-गण-पणजिा ििको छोड न राय कषिा-भाव का आिरण ककया लगन स राय 155 परतिकारी को रगि िो िान निीि पदाथज कषिशील को वि रि सवणज सिान पदाथज 156 परतिकारी का िो िज़ा एक हदवस ि अनि कषिाशीला को कीतिज ि लोक-अिि पयजनि 157 यदयवप कोई आपस करिा अनचिि किज अचछा उस पर कर दया करना निीि अधिज 158 अििकार स ज़यादिी यहद िर ववपरीि करिा कोई िो उस कषिा-भाव स रीि 159 सिनयासी स आचधक ि ऐस गिी पववर सिन कर रो नीि क कटक विन अपववर 160 अनशन िो रो िप कर यदयवप साध ििान पर-कटविन-सहिषण क पीछ पाव सथान

अधयाय 17 अनसयिा161 रलन- रहिि तनर िन रि ऐसी उिि बान अपनाव िर एक नर धिज आिरण िान 162 सबस ऐसा भाव िो रो ि ईषयाज- िकि िो उसक सि ि निीि भागय शरषठिा यकि 163 धिज- अथज क लाभ की नदरसकी ि निीि िाि पर-सिदचध स िश न िो करिा ि वि डाि 164 पाप- किज स िातनया रो िोिी ि रान ईषयाजवश करि निीि पाप- किज धीिान 165 शर न भी िो ईषयज का करन को कछ िातन रलन िार पयाजपि ि करन को अति िातन 166 दान दि कर रो रल उस सहिि पररवार रोटी कपड को िरस मिटि लग न बार 167 रलनवाल स सवयि रल कर रिा अदीन अपनी जयषठा क उस करिी विी अधीन 168 ईषयाज रो ि पावपनी करक शरी का नाश नरक-अनदगन ि िोक कर करिी सतयानास 169 रब िोिी ईषयाजल की धन की वदचध अपार िथा िातन भी साध की िो करना सवविार 170 सि-सिदचध उनकी निीि रो िो ईषयाजयकि सि-सिदचध की इति निीि रो िो ईषयाजिकि

अधयाय 18 तनलोभिा171 नयाय-बदचध को छोड कर यहद िो पर-धन-लोभ िो कर नाश कटमब का िोगा दोषारोप 172 नयाय-पकष क तयाग स नदरनको िोिी लार लोमभि पर-धन-लाभ स करि निीि अकार 173 नशवर सि क लोभ ि व न कर दषकतय नदरनको इचछा िो रिी पान को सि तनतय 174 रो ि इनदनियनदरि िथा जञानी भी अकलिक दाररदवश भी लालिी िोि निीि अशिक 175 िीि ववसिि जञान स कया िोगा उपकार लालिवश सबस कर अनचिि वयविार 176 ईश-कपा की िाि स रो न धिज स भरषट दषट-किज धन-लोभ स सोि िो वि नषट 177 िािो िि सिपवि को लालि स उतपनन उसका िल िोिा निीि कभी सगण-सिपनन 178 तनर धन का कषय िो निीि इसका कया सदपाय अनयो की सिपवि का लोभ ककया नहिि राय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)530

179 तनलोभिा गरिण कर धिज िान धीिान शरी पिि उनक यिा यकि काल थल रान 180 अवविारी क लोभ स िोगा उसका अनि लोभ- िीनिा- ववभव स िोगी ववरय अननि

अधयाय 19 अवपशनिा181 नाि न लगा धिज का कर अधमिजक काि किर भी अचछा यहद विी पाय अवपशन नाि 182 नानदसिवाद कर धिज परति करिा पाप अिणड उसस बदिर वपशनिा समिि िस पािणड 183 िगली िा कर कया नदरया िापलस िो साथ भला ितय िो िो लग शासर- उकि िल िाथ 184 कोई िि पर िी कि यदयवप तनदजय बाि किो पीठ पीछ निीि रो न सचिितिि बाि 185 परविन-लीन सधिज क हदय धिज स िीन भणडा इसका िोड द पशनय िी िलीन 186 परदषक यहद ि बना ििि ि रो दोष उनि िन सबस बर वि करिा ि घोष 187 रो करि नहिि मिरिा िधर विन िस बोल अलग कराव बनध को परोकष ि कट बोल 188 मिरो क भी दोष का घोषण नदरनका धिज रान अनयो क परति कया कया कर ककिज 189 कषिाशीलिा धिज ि यो करक सवविार कया ढोिी ि भमि भी िगलिोर का भार 190 परतछिानवषण सदश यहद दि तनर दोष ति अववनाशी रीव का कयो िो दि स शोष

अधयाय 20 वथालाप-तनषध191 बि रन सन करि घणा यो रो कर परलाप सवज रनो का वि बन उपिासासपद आप 192 बदचधिान रनवनद कसमिि ककया परलाप अवपरय करनी मिर परति करन स अति पाप 193 लमबी-िौडी बाि रो िोिी अथज-वविीन घोवषि करिी ि विी वकिा नीति-वविीन 194 सिसकि निीि तनरथज ि सभा िधय ि उकि करि ऐस शबद ि सगण व नीति-ववयकि 195 तनबिल शबद अगर कि कोई िरररवान िो राव उसस अलग कीतिज िथा समिान 196 नदरसको तनबिल शबद ि रििी ि आसनदकि कि ना ि उसको िनर किना थोथा वयनदकि 197 कि भल िी साधरन किीि अनय क शबद िगर इसी ि ि भला कि न तनबिल शबद 198 उिि िल की परि का नदरनि िोगा जञान ििा परयोरन रहिि वि बोलग नहिि रान 199 ितवजञानी परष रो िाया-भरि स िकि ववसिति स भी ना कि वि रो अथज-ववयकि 200 किना ऐसा शबद िी नदरसस िोव लाभ किना िि ऐसा विन नदरसस कछ नहिि लाभ

अधयाय 21 पाप-भीरिा201 पाप-किज क िोि स डर न पापी लोग उसस डरि ि विी पणय-परष रो लोग 202 पाप- किज दिरनक ि यि ि उनकी रीि पावक स भीषण सिि सो िोना भयभीि 203 शरषठ बदचधििा कि करक सधी वविार अपन ररप का भी कभी नहिि करना अपकार 204 ववसिति स भी नर निीि सोि पर की िातन यहद सोि िो धिज भी सोि उसकी िातन 205 lsquoतनधजन ि िrsquo यो सिि कर न कोई पाप अगर ककया िो किर मिल तनधजनिा-अमभशाप 206 दि स यहद दषकिज क बिन की ि राय अनयो क परति दषटिा कभी निीि की राय 207 अति भयकारी शर स सिभव ि बि राय पाप-किज की शरिा पीछा ककय सिाय 208 दषट- किज रो भी कर यो पायगा नाश छोड बबन पौरो िल छाि कर जयो वास 209 कोई अपन आपको यहद करिा ि पयार कर निीि अतयलप भी अनयो का अपिार 210 नाशरहिि उसको सिि रो िरकर सनिागज पाप-किज िो नहिि कर पकड निीि किागज

अधयाय 22 लोकोपकाररिा211 उपकारी नहिि िािि पाना परतयपकार बादल को बदला भला कया दिा सिसार 212 बि परयतन स रो रडा योगय वयनदकि क पास लोगो क उपकार हिि ि वि सब धन-रास 213 ककया भाव तनषकाि स रनोपकार सिान सवगज िथा भ लोक ि दषकर रान 214 जञािा मशषटािार का ि िनषय सपराण िि लोगो ि अनय की चगनिी िोिी रान 215 पानी भरा िडाग जयो आव रग का काि ििा सधी की सिपदा ि रन-िन-सि धाि 216 मशषट रनो क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय जयो वकषवर पाव िल-सिपवि 217 िक बबन जयो वकष का दवा बन िर अिग तयो धन िो यहद वि रि उपकारी क सिग 218 सािानदरक किजवय का नदरन सजरन को जञान उपकति स नहिि िकि दाररदवश भी रान 219 उपकारी को ि निीि दररििा की सोि lsquoि किकतय निीि िआrsquo उस यिी सिकोि 220 लोकोपकाररिा ककय यहद िोगा िी नाश अपन को भी बि कर िय-लायक वि नाश

अधयाय 23 दान221 दना दान गरीब को ि यथाथज ि दान परतयाशा परतिदान की ि अनय ि तनदान 222 िोकष-िागज िी कयो न िो दान- गरिण अशरय यदयवप िोकष निीि मिल दान-धिज िी शरय 223 lsquoदीन-िीन िrsquo ना कि करिा ि यो दान कवल परापय कलीन ि ऐसी उिि बान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 5: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)530

179 तनलोभिा गरिण कर धिज िान धीिान शरी पिि उनक यिा यकि काल थल रान 180 अवविारी क लोभ स िोगा उसका अनि लोभ- िीनिा- ववभव स िोगी ववरय अननि

अधयाय 19 अवपशनिा181 नाि न लगा धिज का कर अधमिजक काि किर भी अचछा यहद विी पाय अवपशन नाि 182 नानदसिवाद कर धिज परति करिा पाप अिणड उसस बदिर वपशनिा समिि िस पािणड 183 िगली िा कर कया नदरया िापलस िो साथ भला ितय िो िो लग शासर- उकि िल िाथ 184 कोई िि पर िी कि यदयवप तनदजय बाि किो पीठ पीछ निीि रो न सचिितिि बाि 185 परविन-लीन सधिज क हदय धिज स िीन भणडा इसका िोड द पशनय िी िलीन 186 परदषक यहद ि बना ििि ि रो दोष उनि िन सबस बर वि करिा ि घोष 187 रो करि नहिि मिरिा िधर विन िस बोल अलग कराव बनध को परोकष ि कट बोल 188 मिरो क भी दोष का घोषण नदरनका धिज रान अनयो क परति कया कया कर ककिज 189 कषिाशीलिा धिज ि यो करक सवविार कया ढोिी ि भमि भी िगलिोर का भार 190 परतछिानवषण सदश यहद दि तनर दोष ति अववनाशी रीव का कयो िो दि स शोष

अधयाय 20 वथालाप-तनषध191 बि रन सन करि घणा यो रो कर परलाप सवज रनो का वि बन उपिासासपद आप 192 बदचधिान रनवनद कसमिि ककया परलाप अवपरय करनी मिर परति करन स अति पाप 193 लमबी-िौडी बाि रो िोिी अथज-वविीन घोवषि करिी ि विी वकिा नीति-वविीन 194 सिसकि निीि तनरथज ि सभा िधय ि उकि करि ऐस शबद ि सगण व नीति-ववयकि 195 तनबिल शबद अगर कि कोई िरररवान िो राव उसस अलग कीतिज िथा समिान 196 नदरसको तनबिल शबद ि रििी ि आसनदकि कि ना ि उसको िनर किना थोथा वयनदकि 197 कि भल िी साधरन किीि अनय क शबद िगर इसी ि ि भला कि न तनबिल शबद 198 उिि िल की परि का नदरनि िोगा जञान ििा परयोरन रहिि वि बोलग नहिि रान 199 ितवजञानी परष रो िाया-भरि स िकि ववसिति स भी ना कि वि रो अथज-ववयकि 200 किना ऐसा शबद िी नदरसस िोव लाभ किना िि ऐसा विन नदरसस कछ नहिि लाभ

अधयाय 21 पाप-भीरिा201 पाप-किज क िोि स डर न पापी लोग उसस डरि ि विी पणय-परष रो लोग 202 पाप- किज दिरनक ि यि ि उनकी रीि पावक स भीषण सिि सो िोना भयभीि 203 शरषठ बदचधििा कि करक सधी वविार अपन ररप का भी कभी नहिि करना अपकार 204 ववसिति स भी नर निीि सोि पर की िातन यहद सोि िो धिज भी सोि उसकी िातन 205 lsquoतनधजन ि िrsquo यो सिि कर न कोई पाप अगर ककया िो किर मिल तनधजनिा-अमभशाप 206 दि स यहद दषकिज क बिन की ि राय अनयो क परति दषटिा कभी निीि की राय 207 अति भयकारी शर स सिभव ि बि राय पाप-किज की शरिा पीछा ककय सिाय 208 दषट- किज रो भी कर यो पायगा नाश छोड बबन पौरो िल छाि कर जयो वास 209 कोई अपन आपको यहद करिा ि पयार कर निीि अतयलप भी अनयो का अपिार 210 नाशरहिि उसको सिि रो िरकर सनिागज पाप-किज िो नहिि कर पकड निीि किागज

अधयाय 22 लोकोपकाररिा211 उपकारी नहिि िािि पाना परतयपकार बादल को बदला भला कया दिा सिसार 212 बि परयतन स रो रडा योगय वयनदकि क पास लोगो क उपकार हिि ि वि सब धन-रास 213 ककया भाव तनषकाि स रनोपकार सिान सवगज िथा भ लोक ि दषकर रान 214 जञािा मशषटािार का ि िनषय सपराण िि लोगो ि अनय की चगनिी िोिी रान 215 पानी भरा िडाग जयो आव रग का काि ििा सधी की सिपदा ि रन-िन-सि धाि 216 मशषट रनो क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय जयो वकषवर पाव िल-सिपवि 217 िक बबन जयो वकष का दवा बन िर अिग तयो धन िो यहद वि रि उपकारी क सिग 218 सािानदरक किजवय का नदरन सजरन को जञान उपकति स नहिि िकि दाररदवश भी रान 219 उपकारी को ि निीि दररििा की सोि lsquoि किकतय निीि िआrsquo उस यिी सिकोि 220 लोकोपकाररिा ककय यहद िोगा िी नाश अपन को भी बि कर िय-लायक वि नाश

अधयाय 23 दान221 दना दान गरीब को ि यथाथज ि दान परतयाशा परतिदान की ि अनय ि तनदान 222 िोकष-िागज िी कयो न िो दान- गरिण अशरय यदयवप िोकष निीि मिल दान-धिज िी शरय 223 lsquoदीन-िीन िrsquo ना कि करिा ि यो दान कवल परापय कलीन ि ऐसी उिि बान

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 6: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)630

224 याचिि िोन की दशा िब िक रि ववषणण रब िक यािक का वदन िोगा निीि परसनन 225 कषधा-तनयनरण रो रिा िपोतनषठ की शनदकि कषधा-तनवारक शनदकि क पीछ िी वि शनदकि 226 नाशक-भक दररि की कर मिटा कर दर वि धतनको को ियन हिि बनिा कोष ज़रर 227 भोरन को रो बाट कर ककया करगा भोग उस निीि पीडडि कर कषधा भयिकर रोग 228 धन-सिगरि कर िो रिा रो तनदजय धनवान द कर िोि िषज का कया उसको नहिि जञान 229 सवयि अकल रीिना पति ज क िि यािन करन स अचधक तनशिय दि का िि 230 िरन स बढ़ कर निीि दि दन क अथज सिद विी रब दान ि दन को असिथज

अधयाय 24 कीतिज231 दना दान गररब को रीना कर यश-लाभ इसस बढ़ कर रीव को और निीि ि लाभ 232 करिा ि सिसार िो उसका िी गण-गान यािक को रो दान ि कछ भी कर परदान 233 हटकिी ि सिसार ि अनपि कीतिज ििान अववनाशी कवल विी और न कोई रान 234 यहद कोई भलोक ि पाय कीतिज ििान दवलोक िो ना कर जञानी का गण-गान 235 हरास बन यशवदचधकर ितय बन अिरतव जञानवान बबन और ि सिभव न यि िितव 236 रनिा िो यो रनि िो नदरसि िोव नाि रनि न िोना ि भला यहद न किाया नाि 237 कीतिजिान बन ना नदरया कढ़िा सवयि न आप तननदक पर कढ़ि िए कयो िोिा ि िाप 238 यहद नहिि मिली परिपरा नदरसका ि यश नाि िो रग ि सब क मलय विी रिा अपनाि 239 कीतिजिीन की दि का भ रब ढोिी भार पावन परभि उपर का कषय िोिा तनधाजर 240 तननदा बबन रो री रिा रीववि विी सरान कीतिज बबना रो री रिा उस िरा िी रान

अधयाय 25 दयालिा241 सवज धनो ि शरषठ ि दयारप सिपवि नीि रनो क पास भी ि भौतिक सिपवि 242 सि-पथ पर िल परि कर दयावरिी बन राय धिज-ववविन सकल कर पाया विी सिाय 243 अनधकारिय नरक ि रिा न सि लवलश दयापणज का िो विा िोिा निीि परवश 244 सब रीवो को पालि दयावरिी रो लोग पराण-भयिकर पाप का उनि न िोगा योग 245 दःि- ददज उनको निीि रो ि दयातनधान पवन सििररि उवजरा ििान भमि परिाण 246 रो तनदजय ि पापरि यो किि धीिान िर कर व परषाथज को भल दःि ििान 247 परापय निीि धनरहिि को जयो इिलौककक भोग परापय निीि परलोक का दयारहिि को योग 248 तनधजन भी िल-िल सयाि धनी बन राय तनदजय ि तनधजन सदा काया पलट न राय 249 तनदजय-रन-कि सकि पर अगर वविारा राय ितव-दशज जयो अजञ का वि िो राना राय 250 रोब रिाि तनबल पर तनदजय कर वविार अपन स भी परभल क समिि िद लािार

अधयाय 26 िास- वरजन251 िास-वदचध अपनी सिि रो िािा पर िास कस दयािजिा-सगण रििा उसक पास 252 धन का भोग उनि निीि रो न करग कषि िासािारी को निीि दयालिा का नि 253 जयो सशसर का िन कभी िोिा निीि दयाल रि रि िाव िास रो उसक िन का िाल 254 तनदजयिा ि रीववध दया अहििसा धिज करना िासािार ि धिज िीन दषकिज 255 रकषण ि सब रीव का वरजन करना िास बि नरक स वि निीि रो िािा ि िास 256 वध न करग लोग यहद करन को आिार आमिष लावगा निीि कोई ववियकार 257 आमिष िो इक रनि का वरण ि यो सवविार यहद िोगा िो िाहिए िरना िासािार 258 रीव-िनन स तछनन रो िि शरीर ि िास दोषरहिि ितवजञ िो िायग नहिि िास 259 यजञ िज़रो कया ककया द द िवन यथषट ककसी रीव को िनन कर िास न िाना शरषठ 260 रो न करगा रीव-वध और न िासािार िाथ रोड सारा रगि करिा उस रिार

अधयाय 27 िप261 िप तनयिो को पालि सिना कषट ििान रीव-िातन-वरजन िथा िप का यिी तनशान 262 िप भी बस उनका रिा नदरनको ि वि परापि यतन वथा उसक मलय यहद िो वि अपरापि 263 भोरनाहद उपिार स िपसी सवा-धिज करन हिि कया अनय सब भल गय िप-किज 264 दिदायी ररप का दिन वपरय रन क उतथान सिरण िार स िो सक िप क बल अमलान 265 िप स सब कछ परापय ि रो िाि नदरस काल इसस िप-साधन यिा करना ि ितकाल 266 विी परष किकतय ि रो करिा िप-किज कर कािवश अनय सब सविातनकारक किज 267 िप िप कर जयो सवणज की िोिी तनिजल कानदनि िपन िाप स िी िपी ििक उठ उस भाति 268 आति-बोध नदरनको िआ करक वश तनर रीव उनको करि विदना शष रगि क रीव 269 नदरस िपसी को परापि ि िप की शनदकि ििान यि पर भी उसकी ववरय सिभव ि ि रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 7: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)730

270 तनधजन रन-गणना अचधक इसका कौन तनदान िप नहिि करि बिि रन कि ि िपोतनधान अधयाय 28 मियािार

271 वििक क आिार को मियापणज ववलोक पािो भि शरीरगि िस द िन ि रोक 272 उचि गगन सि वष िो कया आवगा काि सिि- बिि यहद िन कर रो ि दवषि काि 273 ििा साध का वष धर दिन-शनदकि नहिि िाय वयाघर-ििज आढ िए िि िर जयो गाय 274 रिि िापस भस ि करना पापािार िाड-आड चिडडिार जयो पिछी पकड िार 275 lsquoि ववरकिrsquo कि रो िनर करिा मियािार कषट अनको िो उस सवयि कर चधककार 276 िोि-िकि िन िो निीि ि तनिजि की बान मियािारी क सदश तनषठर निीि ििान 277 बािर स ि लामलिा ि घिघिी सिान उसका काला अगर सि अनदर ि अजञान 278 निा िीथज ि ठाट स रिि िापस भस मितयािारी ि बिि हदय शदध नहिि लश 279 टढ़ी वीणा ि िधर सीधा िीर कठोर वस िी कति स परि ककसी साध की कोर 280 साधक न यहद िर हदया रग-तननदनदि सब काि उसको ििडा या रहटल बनना ि बकाि

अधयाय 29 असिय281 तननदनदि रीवन स अगर इचछा ि बि राय िोरी स पर-वसि की हदय बिाया राय 282 िोरी स पर-सिपदा पान का कवविार लाना भी िन ि बरा ि यि पापािार 283 िोरी-कि धन ि रि बढ़न का आभास पर उसका सीिारहिि िोिा िी ि नाश 284 िोरी क परति लालसा रो िोिी अतयनि िल पोन क सिय पर दिी दःि अननि 285 ि गिलि की िाक ि पर-धन की ि िाि दयाशीलिा परि की लोभ न पकड राि 286 िौयज-किज परति ि नदरनि रििी अति आसनदकि ियाजदा पर हटक उनि िलन को नहिि शनदकि 287 ियाजदा को पालि रो रिि सजञान उनि िोिा ि निीि िोरी का अजञान 288 जयो ियाजदा-पाल क िन ि नदसथर ि धिज तयो परवििना-पाल क िन ि वििक किज 289 नदरनि िौयज को छोड कर औrsquo न ककसी का जञान ियाजदा बबन किज कर मिटि िभी अरान 290 चिरो को तनर दि भी ढकल कर द छोड पालक को असिय वरि सवगज न दगा छोड

अधयाय 30 सतय291 पररभाषा ि सतय की विन ववतनगजि िातन सतय-कथन स अलप भी न िो ककसी को गलातन 292 मिया-भाषण यहद कर दोषरहिि कलयाण िो यि मिया-कथन भी िानो सतय सिान 293 तनर िन सिि रब सवयि िठ न बोल आप बोल िो किर आप को तनर िन द सििाप 294 िन स सतयािरण का रो करिा अभयास रग क सब क हदय ि करिा ि वि वास 295 दान-पणय िप-किज भी करि ि रो लोग उनस बढ़ ि हदय स सि बोल रो लोग 296 मिया-भाषण तयाग सि रिा न कीतिज-ववकास उसस सारा धिज-िल पाय बबना परयास 297 सतय-धिज का आिरण सतय-धिज िी िान अनय धिज सब तयागना अचछा िी ि रान 298 बाहzwjय-शदधिा दि को दिा िी ि िोय अनिः करण-ववशदधिा परकट सतय स रोय 299 दीपक सब दीपक निीि नदरनस िो िि-नाश सतय-दीप िी दीप ि पाव साध परकाश 300 ििन अनसनधान स नदरिन पाय ितव उनि कोई सतय सि पािा निीि िितव

अधयाय 31 अिोध301 रिा िल वश िोध का कर उसका अवरोध अवश िोध का कया ककया कया न ककया उपरोध 302 वश न िल रब िोध का िब ि िोध िराब अगर िल बश किर विी सबस रिा िराब 303 ककसी वयनदकि पर भी कभी िोध न कर रा भल कयोकक अनथो का विी िोध बनगा िल 304 िास और उललास को िनन करगा िोध उसस बढ़ कर कौन ि ररप रो कर ववरोध 305 रकषा हिि अपनी सवयि बिो िोध स साफ़ यहद न बिो िो िोध िी िमि करगा साफ़ 306 आचशरि रन का नाश रो कर िोध की आग इषट-बनध-रन-नाव को रलायगी वि आग 307 िानय वसि सि िोध को रो िान वि राय िाथ िार जयो भमि पर िोट स न बि राय 308 अनदगनजवाला रलन जयो ककया अतनषट यथषट किर भी यहद सिभव िआ िोध-दिन ि शरषठ 309 रो िन ि नहिि लायगा कभी िोध का खयाल िनिािी सब वसिए उस परापय ितकाल 310 रो िोि अति िोधवश ि व ििक सिान तयागी ि रो िोध क तयकि-ितय सि िान

अधयाय 32 अहििसा311 िप-परापर धन भी मिल किर भी साध-सरान िातन न करना अनय की िान लकषय ििान 312 बरा ककया यहद िोध स किर भी सध-सरान ना करना परतिकार िी िान लकषय ििान 313 lsquoबरा ककया कारण बबनाrsquo करक यिी वविार ककया अगर परतिकार िो िोगा दःि अपार 314 बरा ककया िो कर भला बरा भला किर भल पानी पानी िो रिा बस उसको यि शल

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 8: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)830

315 िान नहिि पर दःि को यहद तनर दःि सिान िो िोिा कया लाभ ि रिि ितवजञान 316 कोई सिि रब सवयि बरा िलाना किज अनयो पर उस किज को निीि कर यि धिज 317 ककसी वयनदकि को उलप भी रो भी सिय अतनषट िनपवजक करना निीि सबस यिी वररषठ 318 नदरसस अपना अहिि िो उसका ि दढ़ जञान किर अनयो का अहिि कयो करिा ि नादान 319 हदया सबर अनय को यहद ििन सििाप विी िाप किर साि को ििपर आव आप 320 रो दःि दगा अनय को सवयि कर दःि-भोग दःि-वरजन की िाि स दःि न द बधलोग

अधयाय 33 वध-तनशध321 धिज-कतय का अथज ि पराणी-वध का तयाग पराणी-िनन हदलायगा सवज-पाप-िल-भाग 322 िाना बाट कषधािज को पालन कर सब रीव शासरकार िि ि यिी उिि नीति अिीव 323 पराणी-िनन तनषध का अदवविीय ि सथान िदननिर िी शरषठ ि मिया-वरजन िान 324 लकषण कया उस पिथ का नदरसको कि सपिथ रीव-िनन वरजन कर रो पथ विी सपिथ 325 रीवन स भयभीि िो रो िोि ि सिि वध-भय स वध तयाग द उनि विी िििि 326 िाथ उठावगा निीि रीवन-भकषक काल उस रीवन पर रो रि वध-तनषध-वरि-पाल 327 पराण-िातन अपनी िई िो भी िो तनर धिज अनयो क वपरय पराण का कर न नाशक किज 328 वध-िलक धन परानदपि स यदयवप िो अति परय सिि ििातिा को विी धन तनकषट ि जञय 329 पराणी-ितया की नदरनि तनकषटिा का भान उनक िि ि वचधक रन ि िणडाल िलान 330 रीवन नीि दररि िो नदरसका रगण शरीर किि बथ उसन ककया पराण-ववयकि शरीर

अधयाय 34 अतनतयिा331 रो ि अतनतयवसिए तनतय वसि सि भाव अलपबदचधवश रो रिा ि यि नीि सवभाव 332 रिग-भमि ि जयो रि दशजक गण की भीड रड परिर सिपवि तयो छट यथा वि भीड 333 धन की परकति अतनतय ि यहद पाव ऐशवयज िो करना ितकाल िी तनतय धिज सब वयज 334 काल-िान सि भासिा हदन ि आरी-दािि सोिो िो वि आय को िीर रिा ददाजनि 335 रीभ बिद िो हििककया लगन स िी पवज िटपट करना िाहिय रो ि किज अपवज 336 कल रो था बस आर िो परापि ककया पिितव पाया ि सिसार न ऐसा बडा िितव 337 अगल कषण कया री रि इसका ि नहिि बोध चिििन कोहटन अनचगनि करि रि अबोध 338 अिडा िट िआ अलग िो पिछी उड राय वसा दिी-दि का नािा राना राय 339 तनिा सि िी रातनय िोिा ि दिानि रगना सि ि रनन किर तनिा क उपरानि 340 आतिा का कया ि निीि कोई सथायी धाि सो िो रििी दि ि भाड का सा धाि

अधयाय 35 सिनयास341 जयो जयो मिटिी रायगी नदरस नदरसि आसनदकि तयो तयो िदzwjगि दःि स िकि िो रिा वयनदकि 342 सिनयासी यहद बन गया यिीि कई आननद सिनयासी बन सिय पर यहद िोना आननद 343 दढ़िा स करना दिन पििनदनियगि राग उनक पररक वसि सब करो एकदि तयाग 344 सवजसिग का तयाग िी िप का ि गण-िल बनधन किर िप भिग कर बन अववदया-िल 345 भव- बनधन को काटि बोिा िी ि दि किर औरो स िो किो कयो सिबनध- सनि 346 अििकार ििकार को नदरसन ककया सिापि दवो को अपरापय भी लोक करगा परापि 347 अनासकि रो न िए पर ि अति आसकि उनको मलपट दःि सब और कर नहिि तयकि 348 पणज तयाग स पा िक िोकष- धाि व धनय भव- बाधा क राल ि िस िोि- वश अनय 349 मिटि िी आसनदकि क िोगी भव स िनदकि बनी रिगी अनयथा अतनतयिा की भनदकि 350 वीिराग क राग ि िो िरा अनराग सदढ़ उसी ि रागना नदरसस पाय ववराग

अधयाय 36 ितवजञान351 मिया ि रब सतय का िोिा भरि स भान दिा ि भव-दःि को भरििलक वि जञान 352 िोि-िकि िो पा गय तनिजल ितवजञान भव-िि को वि दर कर द आननद ििान 353 नदरसन सिशय-िकि िो पाया जञान-परदीप उसको प वी स अचधक रििा िोकष सिीप 354 वशीभि िन िो गया िई धारणा मसदध किर भी ितवजञान बबन िल िोगा नहिि मसदध 355 ककसी िरि भी कयो निीि भास अिक पदाथज िय-बोध उस वसि का रानो जञान पथाथज 356 नदरसन पाया शरवण स यिीि ितव का जञान िोकष-िागज ि अगरसर िोिा वि धीिान 357 उपदशो को िनन कर सतय-बोध िो राय पनरजनि की िो उनि चिनिा नहिि रि राय 358 रनि-िल अजञान ि उसक तनवारणाथज िोकष-िल परिाथज का दशजन जञान पथाथज 359 रगदाशरय को सिि यहद बनो सवयि तनमलजपि नाशक भावी दःि सब कर कभी नहिि मलपि 360 काि िोध औrsquo िोि का न िो नाि का योग िीनो क मिटि मिट किज-िलो का रोग

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 9: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)930

अधयाय 37 िषणा का उनिलन361 सवज रीव को सवजदा िषणा-बीर अिक पदा करिा ि विी रनि-िरण की िक

362 रनि-नाश की िाि िो यहद िोनी ि िाि िाि-नाश की िाि स परी िो वि िाि 363 िषणा-तयाग सदश निीि यिा शरषठ धन-धाि सवगज-धाि ि भी निीि उसक सि धन-धाि 364 िाि गई िो ि विी पववरिा या िनदकि करो सतय की िाि िो िोगी िाि-वविनदकि 365 किलाि व िकि ि रो ि िषणा-िकि सब परकार स अनय सब उिन निीि वविकि 366 िषणा स डरि बि ि यि धिज ििान न िो िसाय राल ि पा कर असावधान 367 िषणा को यहद कर हदया परा नषट सिल धिज-किज सब आ मिल इचछा क अनकल 368 िषणा-तयागी को कभी िोगा िी नहिि दःि िषणा क वश यहद पडिोगा दःि पर दःि 369 िषणा का यहद नाश िो रो ि दःि कराल इस रीवन ि भी िनर पाव सि चिरकाल 370 िषणा को तयागो अगर नदरसकी कभी न िनदषट विी दशा द िनदकि रो रिी सदा सनिनदषट

अधयाय 38 परारबध371 अथज-वदचध क भागय स िो आलसय-अभाव अथज-नाश क भागय स िो आलसय सवभाव 372 अथज-कषयकर भागय िो कर बदचध को िनद अथज-वदचधकर भागय िो कर ववशाल अिनद 373 गढ़ शासर सीि बिि किर भी अपना भागय िनद बदचध का िो अगर िावी िािदय अभागय 374 रगि-परकति ि तनयतिवश दो परकार स मभनन शरीयि िोना एक ि जञान-परानदपि ि मभनन 375 धन अरजन करि सिय ववचधवश यि िो राय बरा बनगा सब भला बरा भला बन राय 376 कहठन यतन भी ना रि रो न रिा तनर भाग तनकाल निीि तनकलिा रो ि अपन भाग 377 भागय-ववदयायक क ककय बबना भागय का योग कोहट ियन क बाद भी दलजभ ि सि-भोग 378 दःि बद रो ि उनि यहद न हदलाव दव सि स विचिि दीन सब बन ववरकि िदव 379 रििा ि सि-भोग ि िल द रब सतकिज गडबड करना ककसमलय िल द रब दषकिज 380 बढ़ कर भी परारबध स कया ि शनदकि ििान रयी विी उसपर अगर िाल िलाव आन

भागndash२ अरम- कााड

अधयाय 39 ििीश िहििा381 सनय राषर धन मिरगण दगज अिातय षडिग राराओि ि मसिि ि नदरसक िो य सिग 382 दानशीलिा तनडरपन बदचध िथा उतसाि इन िारो स पणज िो सवभाव स नरनाि 383 धयज िथा अववलिबना ववदया भी िो साथ य िीनो भ पाल को कभी न छोड साथ 384 रारधिज स चयि न िो दर अधिज तनकाल वीरधिज स चयि न िो िानी विी नपाल 385 कर उपाय धन-वदचध का अरजन भी कर िब रकषण किर ववतनयोग ि सकषि रो वि भप 386 दशजन नदरसक सलभ ि और न विन कठोर ऐस नप क राजय की शिसा िो बररोर 387 रो वपरय वियि दान कर हढिा रकषण-भार बनिा उसक यश सहिि िनिािा सिसार 388 नीति बरि कर भप रो करिा ि रन-रकष पररा िानिी ि उस ईश िलय परतयकष 389 नदरस नप ि बि कणज कट शन का सिसकार उसकी छरचछाि ि हटकिा ि सिसार 390 पररा-सरकषण वपरय विन िथा सशासन दान इन िारो स पणज नप ििीप-दीप सिान

अधयाय 40 मशकषा391 सीि सीिन योगय सब भरि सिशय बबन सीि कर उसक अनसार किर योगय आिरण ठीक 392 अकषर किि ि नदरस नदरसको किि आक दोनो रीववि िनर क किलाि ि आि 393 किलाि ि नरयि रो ि ववदयावान िि पर रिि घाव दो रो ि अपढ़ अरान 394 िषजपरद िोिा मिलन चिनिारनक ववयोग ववदवजरन का धिज ि ऐसा गण-सियोग 395 धनी सिकष दररि सि िक िक िो कर दीन मशकषकषि बनना शरषठ ि तनकषट ववदयािीन 396 नदरिना िोदो पमलन ि उिना नीर-तनकास नदरिना मशकषकषि नर बन उिना बदचध-ववकास 397 अपना ि ववदवान का कोई पर या रार किर कयो रििा ितय िक कोई अपढ़ अकार 398 रो ववदया इक रनि ि नर स पायी राय साि रनि िक भी उस करिी विी सिाय 399 िषज िि अपन मलय वस रग हिि रान उस ववदया ि और रि िोि ि ववदवान 400 मशकषा-धन ि िनर हिि अकषय और यथषट अनय सभी सिपविया िोिी ि नहिि शरषठ

अधयाय 41 अमशकषा401 सभा-िधय यो बोलना बबना पढ़ सदगरनथ ि पास का िल जयो बबन िौसर का बिध 402 यो ि अपढ़ िनषय की भाषण-पटिा-िाि जयो दोनो किरहिि की सरीतव-भोग की िाि 403 अपढ़ लोग भी िातनय उिि गण का भौन ववदवानो क सािन यहद साधग िौन 404 बिि शरषठ िी कयो न िो कभी ििज का जञान ववदवजरन का िो उस निीि मिलगा िान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 10: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1030

405 िान यहद कोई अपढ़ बदचधिान िी आप मिट भाव वि रब कर बध स वािाजलाप 406 रीववि िार रिा अपढ़ और न कछ वि रान उतपादक रो ना रिी ऊसर भमि सिान 407 सकषि बदचध नदरसकी निीि परतिभा निीि अनप मिटटी की सहठ ितिज सि उसका खिलिा रप 408 मशकषकषि क दाररिय स करिी अचधक ववपवि ििज रनो क पास रो रिी िई सिपवि

409 उचछ राति का कयो न िो िो भी अपढ़ अरान नीि ककनि मशकषकषि सदश पािा नहिि समिान 410 नर स पश की रो रिा िलना ि अति भद अधयि सदzwjगरनथ क िथा अपढ़ ि भद

अधयाय 42 शरवण411 धन धन ि िो शरवण-धन रििा अचधक परधान सभी धनो ि धन विी पािा शीषजसथान 412 कानो को रब ना मिल शरवण रप रस पान हदया राय िब पट को कछ भोरन का दान 413 नदरनक कानो को मिला शरवण रप ि भोग िवव क भोरी दव सि भवव ि ि व लोग 414 यदयवप मशकषकषि ि निीि कर शरवण सवववक कलािि दशा ि वि उस दगा सिाय टक 415 किसलन पर िलि िए जयो लाठी की टक तयो ि िरररवान क िि क वि सवववक 416 शरवण करो सदववषय का नदरिना िी िो अलप अलप शरवण भी िो िमि दगा िान अनलप

417 रो रन अनसिधान कर रि बि-शरि साथ यदयवप भल िोिवश कर न रड की बाि 418 शरवण शरवण करक भला तछद न गय रो कान शरवण-शनदकि रिि िए बिर कान सिान 419 नदरन लोगो को ि निीि सकषि शरवण का जञान नमर विन भी बोलना उनको दषकर रान 420 रो रान बबन शरवण रस रििा नदरहzwjवा-सवाद िाि रीय या िर उसस सि न ववषाद

अधयाय 43 बदचधििा421 रकषा हिि क नाश स बदचधरप औरार ि भी ररपओि क मलय दगजि दगज आपार 422 िनिाना रान न द पाप-िागज स थाि िन को लाना सपथ पर रिा बदचध का काि 423 िाि नदरसस भी सन कोई भी िो बाि ितव-बोध उस बाि का बदचध यकििा जञाि 424 कि परभावकर ढिग स सगि बना सववविार सधी सिििा अनय क सकषि कथन का सार 425 िरी उिि रगि की करि ि धीिान खिल कर सकिािी निीि सधी-मिरिा बान 426 रसा लोकािार ि उसक िी उपयकि रो करना ि आिारण विी सधी क यकि 427 बदचधिान व ि नदरनि ि भववषय का जञान बदचधिीन व ि नदरनि परापि निीि वि जञान 428 तनभजयिा भिवय स ि रडिा का नाि भय रिना भिवय स रिा सधी का काि 429 रो भावी को रान कर रकषा करिा आप दःि न द उस पराजञ को भयकारी सििाप 430 सब धन स सिपनन ि रो िोि ितििान िाि सब कछ कयो न िो ििज दररि सिान

अधयाय 44 दोष-तनवारण431 काि िोध िद दोष स रो िोि ि िकि उनकी रो बढ़िी िई िोिी िहििा-यकि 432 िाथ िीििना दान स रिना मिया िान नप का अति दाकषकषणय भी िानो दोष अिान 433 तननदा का डर ि रोनि तिलभर तनर अपराध िोिा िो बस िाड सि िान उस अगाध 434 बिकर रिना दोष स लकषय िान अतयिि परि शर ि दोष िी रो कर दगा अिि 435 दोष उपनदसथति पवज िी ककया न रीवन रकष िो वि मिटिा ि यथा भसा अनदगन सिकष 436 दोष-िकि कर आपको बाद पराया दाष रो दि उस भप ि िो सकिा कया दोष 437 रो धन ि आसकि ि बबना ककय किजवय रििा उसक पास रो वयथज राय वि िवय 438 धनासनदकि रो लोभ ि वि ि दोष ववशश |अनिगजि उनक निीि नदरिन दोष अशष 439 शरषठ सिि कर आपको कभी न कर अमभिान िाि न िो उस किज की रो न कर कलयाण 440 भोगगा यहद गपि रि िनिािा सब काि ररपओि का षडzwjयिर िब िो राव बकाि

अधयाय 45 सतसिग-लाभ441 जञानवदध रो बन गय धिज-सकषि को रान िरी उनकी ढ़िग स पा लो िितव रान 442 आगि दःि तनवार कर भावी दःि स राण करि रो अपना उनि करक आदर-िान 443 दलजभ सब ि ि यिी दलजभ भागय ििान सवरन बनाना िान स रो ि परष ििान 444 करना ऐसा आिरण नदरसस परष ििान बन राव आतिीय रन उिि बल यि रान 445 आि बना कर सचिव को ढोिा शासन-भार सो नप िन ल सचिव को करक सोि वविार 446 योगय रनो का बनध बन करिा रो वयविार उसका कर सकि निीि शर लोग अपकार 447 दोष दि कर डाटन रब ि मिर सयोगय िब नप का करन अहिि कौन शर ि योगय 448 डािट-डपटि मिर की रकषा बबन नरकि ि शर बबना भी िातनकर पा रािा ि अिि 449 बबना िलधन वखणक रन पावग नहिि लाभ सििर-आशरय रहिि नप कर न नदसथरिा लाभ 450 बिि रनो की शरिा करन ि रो िातन उसस बढ़ सतसिग को िरन ि ि िातन

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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Page 11: Thirukkural in Hindi 1/30 सेहिन्दी

Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1130

अधयाय 46 कसिग-वरजन451 ओछो स डरना रिा उिि रन की बान गल लगाना बनध सि ि ओछो की बान 452 मिटटी गणानसार जयो बदल वारर-सवभाव सिगति स तयो िनर का बदल बदचध-सवभाव 453 िनोरनय ि िनर का पराकि इनदनियजञान ऐसा यि यो नाि िो सिग-रनय ि रान 454 िनोरनय सा दीििा भल बर का जञान सिग-रनय रििा िगर नर का ऐसा जञान 455 िन की िोना शदधिा िथा किज की शदचध दोनो का अवलिब ि सिगति की पररशदचध 456 पाि सतसनिान ि नदरनका ि िन शदध वविल किज िोिा निीि नदरनका रिग ववशदध 457 िन की शदचध िनषय को दिी ि ऐशवयज सतसिगति िो किर उस दिी सब यश वयज 458 शदध चििवाल सविः रिि साध ििान सतसिगति किर भी उनि करिी शनदकि परदान 459 चिि-शदचध परलोक का दिी ि आननद विी शदचध सतसिग स िोिी और बलनद 460 साथी कोई ि निीि साध- सिग स उचि बढ़ कर कसिग स निीि शर िातनकर िचछ

अधयाय 47 सवविाररि कायज-कशलिा461 कर वविार वयय-आय का करना लाभ-वविार किर िो परवि कायज ि करक सोि-वविार 462 आपिो स कर ििरणा करिा सवयि वविार उस किी को ि निीि कछ भी असाधय कार 463 ककिना भावी लाभ िो इसपर द कर धयान परी-नाशक किज िो करि नहिि ितििान 464 अपयश क आरोप स रो िोि ि भीि शर न करि किज व सपषट न नदरसकी रीि 465 टट पड रो शर पर बबन सोि सब ििज शर-गलि हिि िो बन कयारी जयो वि किज 466 करिा अनचिि किज िो िोिा ि नर नषट उचिि किज को छोडिा िो भी िोिा नषट 467 िोना परवि किज ि करक सोि-वविार lsquoिो कर परवि सोि लrsquo ि यि गलि वविार 468 रो भी साधय उपाय बबन ककया रायगा यतन कई सिथजक कयो न िो िाली िो वि यतन 469 बबन रान गण शर का यहद उसक अनकल ककया गया सदपाय िो उसस भी िो भल 470 अनपयकि रो ि िमि रग न कर सवीकार करना अतनिध कायज िी करक सोि-वविार

अधयाय 48 शनदकि का बोध471 तनर बल ररप-बल कायज-बल साथी-बल भी रान सोि-सिि कर िाहिय करना कायज तनदान 472 साधय कायज को सिि कर सिि कायज हिि जञय रि कर धावा रो कर उसको कछ न अरय 473 बोध निीि तनर शनदकि का वश िो कर उतसाि कायज शर कर बीि ि मिट कई नरनाि 474 शानदनि-यकि बरबाि बबन तनर बल िान न रान अिमिनय भी रो रि शीघर मिटगा रान 475 िोर-पिि स िी सिी छकडा लादा राय यहद लादो वि अतयचधक अकष भगन िो राय 476 िढ़ा उचििि डाल पर किर भी रोश अनिि करक यहद आग बढ़ िोगा रीवन-अिि 477 तनर धन की िारा सिि करो रीिी स दान रीन को ि कषि स उचिि िागज वि रान 478 ििग रिा िो कछ निीि धन आन का िागज यहद ववसिि भी ना रिा धन रान का िागज 479 तनर धन की सीिा सिि यहद न ककया तनवाजि रीवन सिदध भासिा िो रायगा िबाि 480 लोकोपकाररिा िई धन-सीिा नहिि रान िो सीिा सिपवि की शीघर मिटगी रान

अधयाय 49 सिय का बोध481 हदन ि उलल पर ववरय पा लिा ि काक नप नदरगीष को िाहिय उचिि सिय की िाक 482 लगना रो ि कायज ि अवसर को पििान शरी को रान स रकड रििी रससी रान 483 ि कया कायज असाधय भी यहद अवसर को रान समिचिि साधन क सहिि करिा कायज सरान 484 िाि िो भलोक भी आ रायगा िाथ सिय सिि कर यहद कर यकि सथान क साथ 485 नदरनको तननदशिि रप स ववशव-ववरय की िाि उचिि सिय की िाक ि व ि बपरवाि 486 रििा ि यो मसकड नप रिि िए बबसाि जयो िढ़ा पीछ िट करन को आघाि 487 रठि न िट परगट कर ररप-अति स नरनाि पर कढ़ि ि व सधी दि सिय की राि 488 ररप को असिय दि कर मसर पर ढो सिभाल मसर क बल चगर वि मिट आि अनदनिि काल 489 दलजभ अवसर यहद मिल उसको िोन पवज करना कायज उसी सिय रो दषकर था पवज 490 बक सि रिना मसकड कर रब करना नहिि वार िोि-िार उसकी यथा पा कर सिय परिार

अधयाय 50 सथान का बोध491 कोई काि न कर शर िथा न कर उपिास रब िक ररप को घरन सथल की ि नहिि आस 492 शर-भाव स पषट औrsquo रो िो अति बलवान उनको भी गढ़-रकष िो बि िल कर परदान 493 तनबजल भी बन कर सबल पाव रय-समिान यहद ररप पर धावा कर ख़ोर सरकषकषि सथान 494 ररप तनर ववरय वविार स धो बठ ग िाथ सथान सिि यहद कायज ि रडि दढ नरनाथ 495 गिर रल ि िगर की अनयो पर िो रीि रल स बािर अनय सब पाव रय ववपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1230

496 भारी रथ दढ िियि िल न सागर पार सागरगािी नाव भी िल न भ पर िार 497 तनभजय क अतिररकि िो िाहिय न सिकार उचिि रगि पर यहद कर िब सोि कर कार 498 यहद पािा लघ-सनय-यि आशरय सथल अनकल उसपर िढ़ बि-सनय यि िोगा नषट सिल 499 सदढ़ दगज साधन बडा ि नहिि ररप क पास किर भी उसक कषर ि मभडना वयथज परयास 500 नदरस तनभजय गररार क दनिलगन बरछि गीदड भी िार उस रब दलदल ि क द

अधयाय 51 परि कर ववशवास करना501 धिज-अथज औrsquo काि स मिला पराण-भय िार इन उपधाओि स परि ववशवसि ि वविार 502 रो कलीन तनदोष िो तननदा स भयभीि िथा लरीला िो विी ववशवसि ि पनीि 503 जञािा ववमशषट शासर क औrsquo तनदोष सवभाव किर भी परिो िो उनि नहिि अजञिा-अभाव 504 परि गणो को किर परि दोषो को भी छान उनि बििायि परि उसस कर पििान 505 िहििा या लतघिा सिी इनकी करन राि नर क तनर तनर किज िी बन कसौटी साि 506 ववशवसनीय न िातनय बनधिीन रो लोग तननदा स लनदजरि न ि सनि शनय व लोग 507 ििज रनो पर परिवश रो करिा ववशवास सभी िरि स वि बन रडिा का आवास 508 परि बबन अजञाि पर ककया अगर ववशवास सितिि को चिरकाल िक लनी पड असास 509 ककसी वयनदकि पर िि करो परि बबन ववशवास बशक सौपो योगय यद करन पर ववशवास 510 परि बबन ववशवास भी औrsquo करक ववशवास किर करना सनदि भी दि ि चिर नाश

अधयाय 52 परि कर कायज सौपना511 भल-बर को परि रो करिा भला पसिद उसक योगय तनयनदकि को करना सिी परबनध 512 आय-वदचध-साधन बढ़ा धन-वदजधक कर कायज ववघन परि रो टालिा विी कर नप-कायज 513 परि बदचध दढ़-चिििा तनलोभिा-सनीति िारो नदरसि पणज िो उसपर करो परिीति 514 सभी िरि की परि सयोगय हदि रो लोग उनि कायज तनबािि ववकि बन बि लोग 515 रो करिा ि धयज स िब सिि सदपाय उस छोड वपरय बनध को कायज न सौपा राय 516 किाज का लकषण परि परि किज की रीति सियोनदरि कर काल स सौपो सहिि परिीति 517 इस साधन स वयनदकि यि कर सकिा यि कायज पररशीलन कर इस िरि सौप उस वि कायज

518 यहद पाया इक वयनदकि को परि कायज क योगय िो किर उस तनयकि कर पदवी दना योगय 519 ितपरिा-वश कायज ि िआ मिर वयविार उसको सिि अनयिा िो शरी राव पार 520 रार-भतय यहद ववकि नहिि ववकि न िोगा रार रोज़ परिना िाहिय नप को उसका कार

अधयाय 53 बनधओि को अपनाना521 यदयवप तनधजन िो गय पिल कि उपकार किि रि बिान कर कवल नािदार 522 बनध-वगज ऐसा मिल नदरसका परि अटट िो वि द सिपवि सब नदरसकी वदचधअटट 523 मिलनसार रो ि निीि रीवन उसका वयथज िट बबन ववसिि िाल जयो भरिा रल स वयथज 524 अपन को पाया धनी िो िल िो यि परापि बनध-ििडली तघर रि यो रिना बन आपि 525 िधर विन रो बोलिा करिा भी ि दान बनधवगज क वगज स तघरा रिगा रान 526 ििादान करि िए रो ि िोध-वविकि उसक सि भ ि निीि बनधवगज स यकि 527 बबना तछपाय काव कर कौआ िािा भोजय रो ि उसी सवभाव क पाि ि सब भोगय 528 सब को सि दि निीि दि कषििा एक इस गण स सथायी रि नप क बनध अनक 529 बनध बन रो रन रि िोड यहद बनधतव अनबन का कारण मिट िो बनिा बनधतव 530 कारण बबन रो बबछड कर लौट कारण साथ साध-पति ज कर नप उस परि मिला क साथ

अधयाय 54 अववसिति531 अमिि िषज स िसि िो रिना असावधान अमिि िोध स भी अचधक िातन करगा रान 532 जयो ि तनतयदाररििा करिी बदचध-ववनाश तयो ि असावधानिा करिी कीतिज-ववनाश 533 रो ववसिि ि व निीि यश पान क योग रग ि यो ि एकिि शासरकार सब लोग 534 लाभ निीि ि दगज स उनको रो भयशील वस उनको ना भला रो ि ववसितिशील 535 पिल स रकषा न की रि कर असावधान ववपदा आन पर रिा पछिािा अजञान 536 सब रन स सब काल ि अववसिरण की बान बरिी राय अिक िो उसक ि न सिान 537 रि कर ववसिति क बबना सोि-सिि कर कायज यहद करिा ि िो उस कछ नहिि असाधय कायज 538 करना शरदधा-भाव स शासरकार-सिि काि रिा उपकषक यहद न कर साि रनि बकाि 539 रब अपन सििोष ि िसि बनग आप गिलि स रो ि मिट उनि वविारो आप 540 बना रिगा यहद सदा लकषय िार का धयान अपन इनदचछि लकषय को पाना ि आसान

अधयाय 55 सशासन

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1330

541 सबस तनदाजकषकषणय िो सोि दोष की रीिी उचिि दणड तनषपकष रि दना िी ि नीति 542 रीववि ि जयो रीव सब िाक िघ की ओर पररा िाक कर री रिी रारदणड की ओर 543 बराििण-पोवषि वद औrsquo उसि परसिि धिज इनका नदसथर आधार ि रारदणड का धिज 544 पररा-पाल रो िो रिा ढोिा शासन-भार पाव पकड उस भप क हटकिा ि सिसार 545 ि नदरस नप क दश ि शासन सनीतिपणज साथ िौमसिी वनदषट क रि उपर भी पणज 546 ररा को भाला निीि रो दिा ि रीि रारदणड िी द ववरय यहद उसि ि सीध 547 रकषा सार रगि की करिा ि नरनाथ उसका रकषक नीति ि यहद वि िल अबाध 548 नयाय कर नहिि सोि कर िथा भट भी कषट ऐसा नप िो कर पतिि िोिा िद िी नषट 549 रन-रकषण कर शर स करिा पालन-किज दोषी को द दणड िो दोष न पर नप-धिज 550 यथा तनरािा िि को रिन िसल ककसान ितय-दणड नप का उनि रो ि दषट ििान

अधयाय 56 िर-शासन551 ितयार स भी अचधक वि रारा ि िर रो रन को िरान कर कर पाप भरपर 552 भाला ल कर िो िड डाक की जयो िाग रारदणडयि की रिी तयो मभकषा की िाग 553 हदन हदन नीति वविार कर नप न कर यहद रार हरासोनिि िोिा रि हदन हदन उसका रार 554 नीतििीन शासन कर बबन सोि नरनाथ िो वि पररा व ववि को िो बठ इक साथ 555 उिपीडडि रन रो पड रब वदना अपार शरी का नाशक शासर ि कया न नर-रल-धार 556 नीतिपणज शासन रि नप का वश चिरकाल नीति न िो िो भप का यश न रि सब काल 557 अनावनदषट स दःि रो पािी भमि अिीव दयावनदषट बबन भप की पाि ि सब नदरव 558 अति दःिद ि सधनिा रिन स धनिीन यहद अनयायी रार क रिना पड अधीन 559 यहद रारा शासन कर रारधिज स िक पानी बरसगा निीि ऋि ि बादल िक 560 षटकिी को सिति निीि दध न दगी गाय यहद रन-रकषक भप स रकषा की नहिि राय

अधयाय 57 भयकारी किज न करना561 भप विी रो दोष का करक उचिि वविार योगय दणड स इस िरि किर नहिि िो वि कार 562 रारशरी चिरकाल यहद रिना िाि साथ हदिा दणड की उगरिा करना िद आघाि 563 यहद भयकारी किज कर कर पररा को रसि तनशिय रलदी कर वि िो रावगा असि 564 नदरस नप की दषकीतिज िो lsquoरारा ि अति िरrsquo अलप आय िो रलद वि िोगा नषट ज़रर 565 अपरसनन नदरसका वदन भट निीि आसान जयो अपार धन भि-वश उसका धन भी रान 566 कट भाषी यहद िो िथा दया-दनदषट स िीन ववपल ववभव नप का मिट ितकषण िो नदसथतििीन 567 कट भाषण नप का िथा दना दणड अिान शर-दिन की शनदकि को तघसिी रिी रान 568 सचिवो की न सलाि ल किर िोन पर कषट आग-बबला नप िआ िो शरी िोगी नषट 569 दगज बनाया यहद निीि रकषा क अनरप यदध तछडा िो िकबका शीघर मिट वि भप 570 ििो को ििरी रि यहद शासक बि िर उनस औrsquo नहिि भमि को भार रप भरपर

अधयाय 58दया-दनदषट571 करणा रपी सोििी सषिा रिी अपार नप ि उसक रारि हटकिा ि सिसार 572 करणा स ि िल रिा सािसाररक वयविार रो नर उसस रहिि ि कवल भ का भार 573 िल न िो िो गान स िान कर कया काि दया न िो िो दनदषट ि दग आय कया काि 574 करणा कमलि नयन निीि सिचिि सीिाबदध िो कया आव काि व िि स रि सिबनध 575 आभषण ि नर का करणा का सदzwjभाव उसक बबन रान उस कवल िि पर घाव 576 रिन पर भी आि क नदरसक ि नहिि आि यथा ईि भ ि लगी नदरसक भी ि आि 577 आििीन िी ि िनर यहद न आि का भाव आियकि ि आि का िोिा भी न अभाव 578 िातन बबना तनर धिज की करणा का वयविार रो कर सकिा ि उस रग पर ि अचधकार 579 अपनी कषति भी रो कर उसपर करणा-भाव धारण कर करना कषिा नप का शरषठ सवभाव 580 दि मिलाि गरल भी िा राि वि भोग वाछनीय दाकषकषणय क इचछक ि रो लोग

अधयाय 59 गपििर-वयवसथा581 रो अपन िर ि िथा नीतिशासर ववखयाि य दोनो तनर नर ि नप को िोना जञाि 582 सब पर रो रो घहटि िो सब बाि सब काल रारधिज ि रानना िारो स ितकाल 583 बाि िरो स रानि आशय का नहिि जञान िो उस नप की ववरय का िागज निीि ि आन 584 रारकिजिारी सवरन िथा शर रो वाि सब क सब को परिना रिा गपििर-काि 585 रप दि कर शक न िो आि िई तनभीक किीि कि नहिि ििज को सकषि वि िर ठीक 586 साध वष ि घस िल पिा लगाि ििज किर कछ भी िो िप रि यिी गपििर-किज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1430

587 भद लगान ि ििर किर रो बाि जञाि उनि सिशयरहिि िो विी भहदया खयाि 588 पिा लगा कर भद का लाया यहद इक िार भद लगा किर अनय स िलना कर सवीकार 589 िर िर को रान निीि यो कर शासन-किज सतय िान रब िीन िर कि एक सा ििज 590 िल आि रासस का करना िि समिान अगर ककया िो भद को परकट ककया िद रान

अधयाय 60 उतसाियकििा591 धनी किान योगय ि यहद िो धन उतसाि उसक बबन यहद अनय धन िो िो कया परवाि 592 एक सवतव उतसाि ि सथायी सवतव ज़रर असथायी रि अनय धन िो रायग दर 593 रििा नदरनक िाथ ि उििग का नदसथर ववि lsquoववि गयाrsquo किि िए ना िो अधीर-चिि 594 नदरस उतसािी परष का अिल रि उतसाि ववि िल उसक यिा पछ-िाछ कर राि 595 रलर-नाल उिनी बडी नदरिनी रल की थाि नर िोिा उिना बडा नदरिना िो उतसाि 596 रो वविार िन ि उठ सब िो उचि वविार यदयवप मसदध न उचििा वविल न व सवविार 597 दगजति ि भी उदयिी िोि निीि अधीर घायल भी शर-रामश स गर रििा ि धीर 598 lsquoिि िो ि इस रगि ि दानी ििा धरीणrsquo कर सकि नहिि गवज यो रो ि रोश-वविीन 599 यदयवप ववशालकाय ि िथा िज़ ि दािि डरिा ि गर बाघ स िोन पर आिािि 600 सचिी शनदकि िनषय की ि उतसाि अपार उसक बबन नर वकष सि कवल नर आकार

अधयाय 61 आलसयिीनिा601 रब िि स आलसय क आचछाहदि िो राय अकषय दीप कटिब का ििद ििद बि राय 602 रो िाि तनर विश का बना रि उतकषज नाश कर आलसय का करि उसका धषज 603 गोद मलय आलसय को रो रड कर ववलास िोगा उसक पवज िी राि-विश का नाश 604 रो ससिी ि िगन िो यतन बबना सववशष िो उनका कल नषट िो बढ़ दोष तनःशष 605 दीघजसरिा ववसिरण ससिी तनिा-िाव रो रन िाि डबना िारो ि वपरय नाव 606 सावजभौि की शरी सवयि िाि आव पास िो भी रो ि आलसी पाव नहिि िल ख़ास 607 ससिी-वपरय बन यतन सहठ करि नहिि रो लोग डािट िथा उपिास भी सनि ि व लोग 608 घर कर ल आलसय यहद रि कलीन क पास उसक ररप क वश उस बनायगा वि दास 609 ससिी-पालन बान का कर दगा यहद अिि विश और परषाथज ि लग दोष िो अिि 610 क़दि बढ़ा कर ववषण न नदरस ककया था वयापि वि सब आलसिीन नप कर एकदि परापि

अधयाय 62 उदयिशीलिा611 दषकर यि यो सििकर िोना निीि तनरास रानो योगय ििानिा दगा सिि परयास 612 ढीला पडना यतन ि कर दो बबलकल तयाग तयागग रो यतन को उनि कर रग तयाग 613 यतनशीलिा रो रिी उिि गणसवरप उसपर नदसथि ि शरषठिा परोपकार सवरप 614 यो ि उदयिरहिि का करना परोपकार कोई कायर वयथज जयो िला रिा िलवार 615 नदरस न सि की िाि ि किज-पति ज ि िाि सििभ बन वि थाििा मिटा बनधरन-आि 616 बढ़िी धन-सिपवि की कर दिा ि यतन दाररिय को घसड कर दिा रि अयतन 617 करिी ि आलसय ि काली जयषठा वास यतनशील क यतन ि किला का ि वास 618 यहद ववचध नहिि अनकल ि िो न ककसी का दोष िब रान जञािवय को यतन न करना दोष 619 यदयवप मिल न दववश इनदचछि िल रो भोगय शरि दगा पाररशरमिक तनर दि-शरि-योगय 620 ववचध पर भी पाि ववरय रो ि उदयिशील सिि यतन करि िए बबना ककय कछ ढील

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश 622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 63 सिकट ि अनाकलिा621 रब दि-सिकट आ पड िब करना उललास ितसि कोई ना कर मभड कर उसका नाश

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1530

622 रो आवगा बाढ़ सा बदचधिान को कषट िनोधयज स सोिि िो राव वि नषट 623 दि-सिकट रब आ पड दिी न िो रो लोग दि-सिकट को दि ि डालग व लोग 624 ऊबट ि भी िीििि बल सदष रो राय उसपर रो दि आ पड उस दि पर दि आय 625 दि तनरििर िो रिा किर भी धयज न राय ऐसो को यहद दि िआ उस दि पर दि आय 626 धन पा कर आगरि सहिि रो नहिि करि लोभ धन िो कर कया खिनन िो कभी करग कषोभ 627 दि दि का लकषय िो िोिी ि यो रान कषबध न िोि दि स रो ि परष ििान 628 ववचधवश िोिा दि ि यो नदरसको ि जञान िथा न सि की िाि भी दिी न िो वि पराण 629 सि ि सि की िाि स रो न करगा भोग दःिी िोकर दःि ि वि न करगा शोक 630 दि को भी सि सदश िी यहद ल कोई िान िो उसको उपलबध िो ररप स िातनि िान

अधयाय 64 अिातय631 साधन काल उपाय औrsquo कायजमसदचध दससाधय इनका शरषठ ववधान रो करिा विी अिातय 632 दढ़िा कल-रकषण िथा यतन समशकषा जञान पाि गणो स यकि रो विी अिातय सरान 633 िट डालना शर ि पालन िरी-भाव लना बबछडो को मिलायोगय आिातय-सवभाव 634 ववशलषण करिा िथा परि कायज को साधय दढ़िा पवजक ििरणा दिा योगय अिातय 635 धिज रान सियि सहिि जञानपणज कर बाि सदा सिििा शनदकि को साथी ि वि खयाि 636 शासर रानि रो रिा सकषि बदचध का भौन उसका करि सािना सकषि परशन अति कौन 637 यदयवप ववचधयो का रिा शासर रीति स जञान किर भी करना िाहिय लोकरीति को रान 638 ितया कर उपदश की िद िो अजञ नरश किर भी धिज अिातय का दना दढ़ उपदश 639 िातन वविार तनकट रि यहद दिरी एक उसस सिर कोहट ररप िानो बढ़ कर नक 640 यदयवप िि स सोि कर शर कर सब किज नदरनि दढ़ कषििा निीि कर अधरा किज

अधयाय 66 किज-शदचध651 साथी की पररशदधिा द दिी ि परय किो की पररशदधिा दिी ि सब शरय 652 सदा तयागना िाहिय रो ि ऐस किज कीतिज-लाभ क साथ रो दि ि नहिि धिज 653 lsquoउननति करनी िाहियrsquo यो नदरनको िो राग तनर गौरव को िातनकर कर किज व तयाग 654 यदयवप सिकट-गरसि िो नदरनका तनशिल जञान तनिदय किज किर भी सधी निीि करग रान 655 नदरसस पशिािाप िो करो न ऐसा कायज अगर ककया िो किर भला ना कर ऐसा कायज 656 रननी को भिी सिी यदयवप दिा राय सजरन-तननदनदि कायज को िो भी ककया न राय 657 दोष विन कर परापि रो सजरन को ऐशवयज उसस अति दाररिय िी सिना उसको वयज 658 वरज ककय बबन वजयज सब रो करिा दषकिज कायज-पति ज िी कयो न िो पीडा द व किज 659 रला अनय को परापि सब रला उस वि राय िो कर भी सतसिपदा पीछ िल द राय 660 छल स धन को रोड कर रिन की िदबीर कचि मिटटी कलश ि भर रिना जयो नीर

अधयाय 67 किज ि दढ़िा661 दढ़ रिना िी किज ि िन की दढ़िा रान दढ़िा किलािी निीि रो ि दढ़िा आन 662 दषट न करना यहद िआ िो किर न िो अधीर िि यि ि नीतिजञ का दो पथ िान िीर 663 परकट ककया किाजनि ि िो ि योगय सधीर परकट ककया यहद बीि ि दगा अननि पीर 664 किना िो सब क मलय रििा ि आसान करना रो रसा कि ि दससाधय तनदान 665 कीतिज हदला कर सचिि को किज-तनषठिा-बान नप पर डाल परभाव वि पावगी समिान 666 सिकनदलपि सब वसिए यथा ककया सिकलप सिकलपक का रायगा यहद वि दढ़-सिकलप 667 तिरसकार करना निीि छोटा क़द अवलोक िलि भारी यान ि अकष-आखण सि लोग 668 सोि सिि तनशिय ककया करन का रो किज हििक बबन अववलमब िी कर दना वि किज 669 यदयवप िोगा बिि दि दढ़िा स काि सि-िल दायक िी रिा नदरसका शभ पररणाि 670 अनय ववषय ि सदढ़िा रिि सचिव सरान यहद दढ़िा नहिि किज की रग न करगा िान

अधयाय 68 किज करन की रीति671 तनशिय कर लना रिा वविार का पररणाि िातन करगा दर स रकना तननदशिि काि 672 रो ववलमब क योगय ि करो उस सववलमब रो िोना अववलमब िी करो उस अववलमब 673 रिा रिा वश िल सक भलाकायज िो राय वश न िल िो कीनदरय सिभव दि उपाय 674 किज-शष रिना िथा शर रनो ि शष अनदगन-शष सि िी कर दोनो िातन ववशष 675 धन साधन अवसर िथा सथान व तननदशिि किज पािो पर भरि क बबना वविार कर कर किज 676 साधन ि शरि ववघन भी परा िो रब किज पराप लाभ ककिना बडा दि इनि कर किज 677 ववचध ि किी को यिी रब करिा ि किज उसक अति ििजजञ स गरिण कर वि ििज

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1630

678 एक किज करि िए और किज िो राय िद गर स िद-िि गर रस पकडा राय 679 करन स हिि कायज भी मिरो क उपयकि शर रनो को शीघर िी मिर बनाना यकि 680 भीति सििकर सवरन की ििरी रो किज़ोर सिचध करग निन कर ररप यहद ि बरज़ोर

अधयाय 69 दि681 सनिशीलिा उचिकल नप-इनदचछि आिार रार-दि ि िाहिय यि उिि सिसकार 682 परि बदचधिानी िथा वाकशनदकि सवववक य िीनो अतनवायज ि रारदि को एक 683 ररप-नप स रा रो कर तनर नप की रय-बाि लकषण उसका वि रि ववजञो ि ववखयाि 684 दि कायज हिि वि िल नदरसक रि अधीन मशकषा अनसिधानयि बदचध रप य िीन 685 परष विन को तयाग कर कर सिनदनवि बाि लाभ कर वपरय बोल कर विी दि ि जञाि 686 नीति सीि िर िो तनडर कर परभावकर बाि सियोचिि रो रान ल विी दि ि जञाि 687 सथान सिय किजवय भी इनका कर सवविार बाि कर रो सोि कर उिि दि तनिार 688 शदध आिरण सिग-बल िथा धयज य िीन इनक ऊपर सतयिा लकषण दि परवीण 689 नप को रो सिदशवि यो िो वि गण-मसदध भल िक भी तनिदय वि कि न वि दढ़-चिि 690 िाि िो पराणानि भी तनर नप का गण-गान करिा रो भय क बबना दि उसी को रान

अधयाय 70 रारा स योगय वयविार691 दर न पास न रि यथा िापो उसी परकार भाव-बदलि भप स करना ि वयविार 692 रारा को रो वपरय रि उनकी िो नहिि िाि उसस सथायी सिपदा हदलायगा नरनाि 693 यहद बिना ि िो बिो दोषो स ववकराल सिाधान सभव निीि शक करि नरपाल 694 कानािसी साथ िी िसी अनय क साथ ििारार क साथ ि छोडो इनका साथ 695 तछप सनो िि भद को पछो िि कया बाि परकट कर यहद नप सवयि िो सन लो वि बाि 696 भाव सिि सियजञ िो छोड घखणि सब बाि नप-िनिािा ढिग स कि आवशयक बाि 697 नप स वाितछि बाि कि िगर तनरथजक बाि पछ िो भी बबन कि सदा तयाग वि बाि 698 lsquoछोट ि य बनध िrsquo यो नहिि कर अपिान ककया राय नरपाल का दव िलय समिान 699 lsquoनप क वपरय िि बन गयrsquo ऐसा कर सवविार रो ि तनशिल बदचध क कर न अवपरय कार 700 lsquoचिरपररचिि िrsquo यो सिि नप स दवयजविार करन का अचधकार िो करिा िातन अपार

अधयाय 71 भावजञिा701 बबना कि रो रान ल िि-ििा स भाव सदा रिा वि भमि का भषण ििानभाव 702 बबना ककसी सिदि क हदयनदसथि सब बाि रो रान िानो उस दव िलय साकषाि 703 िनोभाव िि-भाव स रो रानिा तनिार अिगो ि कछ भी हदला करो उस सवीकार 704 बबना कि भावजञ ि उनक सि भी लोग आकति ि िो ि िगर रि मभनन व लोग 705 यहद नहिि राना भाव को िि-ििा अवलोक अिगो ि स आि का कया िोगा उपयोग 706 बबनदमबि करिा सिहटक जयो तनकट वसि का रिग िन क अतिशय भाव को िि करिा बहिरिग 707 िि स बढ़ कर बोधयि ि कया वसि ववशष पिल वि बबनदमबि कर परसननिा या दवष 708 बीिी सिि दिकर यहद ऐसा नर परापि अमभिि उसक िो िड रिना ि पयाजपि 709 बिलायग नर िी शर-मिर का भाव अगर मिल रो रानि दग का मभनन सवभाव 710 रो किि ि lsquoिि रिrsquo सकषि बदचध स धनय िान-दणड उनका रिा कवल नर न अनय

अधयाय 72 सभा-जञान711 शबद-शनदकि क जञानयि रो ि पावन लोग सिि सभा को सोि कर करना शबद-परयोग 712 शबदो की शली सिि नदरनको ि अचधकार सभासदो का दि रख़ बोल सपषट परकार 713 उदयि िो रो बोलन सभा-परकति स अजञ भाषण ि असिथज व शबद-रीति स अजञ 714 पराजञो क समिि रिो िि भी पराजञ सरान ििो क समिि बनो िन सिद सिान 715 भल गणो ि ि भला जञानी गररन िधय आग बढ़ बोल निीि ऐसा सियि पय 716 ववदवानो क सािन नदरनका ववसिि जञान रो पा गया कलिक वि योग-भरषट सिान 717 तनपण पारिी शबद क रो ि उनक पास ववदविा शासरजञ की पािी िब परकाश 718 बदचधिान क सािन रो बोलिा सरान कयारी बढ़िी िसल की यथा सीििना रान 719 सजरन-िणडल ि कर रो परभावकर बाि ििज-सभा ि भल भी कर न कोई बाि 720 यथा उडला अिि ि आिगन ि अपववर भाषण दना ि विा रिा न गण ि मिर

अधयाय 73 सभा ि तनभीकिा721 शबद शनदकि क जञानयि रो रन ि तनदोष पराजञ-सभा ि ढब सिि कर न शबद सदोष 722 रो परभावकर ढ़िग स आनदरजि शासर-जञान परगट ववजञ-सिि वि ववजञो ि ववदवान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1730

723 शर-िधय िरि तनडर मिलि सलभ अनक सभा-िधय भाषण तनडर करि दलजभ एक 724 ववजञ-िधय सवजञान की कर परभावकर बाि अपन स भी ववजञ स सीिो ववशष बाि 725 सभा-िधय तनभीक िो उिर दन ठीक शबद-शासर किर धयान स िकज -शासर भी सीि 726 तनडर निीि ि रो उनि िाड स कया काि सभा-भीर रो ि उनि पोथी स कया काि 727 सभा-भीर को परापि ि रो भी शासर-जञान कायर-कर रण-भमि ि िीकषण िडग सिान 728 रि कर भी बि शासरववद ि िी नहिि उपयोग ववजञ-सभा पर असर कर कि न सक रो लोग 729 रो िोि भयभीि ि ववजञ-सभा क बीि रिि शासरजञान भी अनपढ़ स ि नीि 730 रो परभावकर ढ़िग स कि न सका तनर जञान सभा-भीर वि ििक सि यदयवप ि सपराण

अधयाय 74 राषर731 अकषय उपर सयोगय रन हरासिीन धनवान मिल कर रिि ि रिा ि वि राषर ििान 732 अति धन स किनीय बन नाशिीनिा यकि परिर उपर िोिी रिा राषर विी ि उकि 733 एक साथ रब आ पड िब भी सि सब भार दिा रो रारसव सब ि वि राषर अपार 734 भि अपार न ि रिा रोग तनरििर ि न और न नाशक शर भी शरषठ राषर की सन 735 िोि निीि ववमभनन दल नाशक अििर-वर नप-कि टक िनी निीि विी राषर ि ख़र 736 नाश न िोिा यहद िआ िो भी उपर यथषट नदरसि कि िोिी निीि वि राषरो ि शरषठ 737 कप सरोवर नद-नदी इनक पानी सिग सनदसथि पवजि सदढ़ गढ़ बनि राषर-सअिग 738 परिर उपर नीरोगिा परसननिा ऐशवयज और सरकषा पाि ि राषर-अलिकति वयज 739 राषर विी नदरसकी उपर िोिी ि बबन यतन राषर निीि वि यहद उपर िोिी ि कर यतन 740 उपयजकि साधन सभी िोि िए अपार पररा-भप-सदzwjभाव बबन राषर रिा बकार

अधयाय 75 दगज741 आिािक को दगज ि साधन िितवपणज शरणाथी-रकषक विी रो ररप-भय स िणज 742 िखण सि रल िर भमि औrsquo रिगल घना पिाड किलािा ि दगज वि रब िो इनस आड 743 उिा िौडा और दढ़ अगमय भी अतयिि िारो गणयि दगज ि यो किि ि गरनथ 744 अति ववसिि िोि िए रकषणीय थल ििग दगज विी रो शर का करिा नषट उििग 745 रो रििा दरय ि रििा यथषट अनन अििरसथ हटकि सलभ दगज विी सिपनन 746 किलािा ि दगज वि रो रि सभी पदाथज दिा सिकट काल ि योगय वीर रकषाथज 747 वपल पड कर या घर कर या करक छलतछि नदरसको िचथया ना सक ि वि दगज ववचिर 748 दगज विी यहद ििर ररप घरा डाल घोर अििरसथ डट कर लड पाव रय बरज़ोर 749 शर-नाश िो यदध ि ऐस शसर परयोग करन क साधन रिा ि गढ़ विी अिोघ 750 गढ़-रकषक रण-कायज ि यहद ि निीि सिथज अतयिि गढ़ कयो न िो िोिा ि वि वयथज

अधयाय 76 ववि-साधन-ववचध751 धन रो दिा ि बना नगणय को भी गणय उस छोड कर िनर को गणय वसि नहिि अनय 752 तनधजन लोगो का सभी करि ि अपिान धनवनो का िो सभी करि ि समिन 753 धनरपी दीपक अिर दिा िआ परकाश िनिािा सब दश िल करिा ि नि-नाश 754 पाप-िागज को छोडकर नयाय रीति को रान अनदरजि धन ि सिद औrsquo करिा धिज परदान 755 दया और वपरय भाव स परापि निीि रो ववि रान दो उस लाभ को रि न उसपर चिि 756 धन नदरसका वाररस निीि धन िगी स परापि ववनदरि शर का भट-धन धन ि नप हिि आपि 757 रनिािा ि परि रो दयारप मशश सषट पामलि िो धन-धाय स िोिा ि बि पषट 758 तनर धन रिि िाथ ि करना कोई कायज चगरर पर िढ़ गर-सिर का ईकषण सदश वविायज 759 शर-गवज को चिरन िर शासर रो मसदध धन स बढ़ कर ि निीि सो सिगरि कर ववि 760 धिज काि दोनो सलभ मिलि ि इक साथ नयायानदरजि धन परिर िो लगिा नदरसक िाथ

अधयाय 77 सनय-िािातमय761 सब अिगो स यकि िो कषि स रो तनभीक रयी सनय ि भप क ऐशवयो ि नीक 762 छोटा किर भी ववपद ि तनभजय सिना िोट यि सािस सिभव निीि िल सनय को छोड 763 िि-शर सिि सि गरर िो कया कषट सपजरार ििकारि िोि ि सब नषट 764 अववनाशी रिि िए छल का िो न मशकार पशिनी सािस रिा विी सनय तनधाजर 765 िोचधक िो यि आ मभड किर भी िो कर एक रो सिथज िठ-भड ि सनय विी ि नक 766 शौयज िान ववशवसििा करना सदzwjवयविार य िी सना क मलय रकषक गण ि िार 767 िढ़ आन पर शर क वयि सिि रि वयि रोक िढ़ाई िद िढ़ यिी सनय की रि 768 यदयवप सििारक िथा सिन शनदकि स िीन िडक-भडक स पायगी सना नाि धरीण

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1830

769 लगािार करना घणा कषय िोना औrsquo दनय नदरसि य िोि निीि पािा रय वि सनय 770 रिन पर भी सनय ि अगखणि सथायी वीर सथायी वि रििा निीि बबन सनापति धीर

अधयाय 78 सनय-सािस771 डट रिो िि शरओ िर अचधप सिकष डट कर कई मशला िए िर अचधप सिकष 772 वन ि शश पर रो लगा धरन स वि बाण गर पर िक भाल को धरन ि ि िान 773 तनदजय सािस को कि ििा धीरिा सार सिकट ि उपकार ि उसकी िीकषण धार 774 कर-भाला गर पर िला किरा िोरि अनय िीिि भाल छािी लगा िवषजि िआ सधनय 775 िदध नर यहद दि कर ररप का भाल-परिार िपक ग िो कया निीि वि वीरो को िार 776 lsquoगिरा घाव लगा निीिrsquo ऐस हदन सब वयथज बीि तनर हदन गणन कर यो िानिा सिथज 777 रग वयापी यश िािि पराणो की नहिि िाि ऐसो का धरना कडा शोभाकर ि वाि 778 पराण-भय-रहिि वीर रो रब तछडिा ि यदध सािस िो कर ना रक नप भी रोक िदध 779 परण रिन हिि पराण भी छोडग रो िणड कौन उनि परण-भिग का द सकिा ि दणड 780 दग भर आय भप क सन नदरसका दिािि गरिण योगय ि िाग कर उसका रसा अिि

अधयाय 79 िरी781 करन को िरी सदश कति ि कौन ििान दलजभ-रकषक शर स उसक कौन सिान 782 पराजञ मिरिा यो बढ़ यथा दर का िाद ििज मिरिा यो घट जयो पनो क बाद 783 करि करि अधययन अचधक सिद जयो गरनथ पररिय बढ़ बढ़ सरन की िरी द आननद 784 िसी-िल करना निीि िरी का उपकार आग बढ़ अति दि कर करना ि िटकार 785 पररिय औrsquo सिपकज की निीि ज़ररि यार दिा ि भावकय िी िरी का अचधकार 786 कवल िि खिल राय िो िरी किा न राय सिी मिरिा ि विी नदरसस री खिल राय 787 िला सपथ पर मिर को िटा कपथ स दर सि सकिी दि ववपद ि िरी विी ज़रर 788 जयो धोिी क खिसकि थाि उस ल िसि मिर विी रो दःि िो िो िट कर द पसि 789 यथा शनदकि सब काल ि भद बबना उपकार करन की कषििा सदढ़ ि िरी-दरबार 790 lsquoऐस य िर मलयrsquo lsquoि ि इनका यारrsquo िरी की िहििा गयी यो करि उपिार

अधयाय 80 िरी की परि791 राि बबन िरी सदश िातन निीि ि अनय मिर बना िो छट निीि नदरसि वि सौरनय 792 परि परि कर रो निीि ककया गया सौिादज िरण हदलािा अनि ि यो करिा वि आिज 793 गण को कल को दोष को नदरिन बनध अनलप उन सब को भी परि कर कर िरी का कलप 794 रो लनदजरि बदनाि स रिि ि कलवान कर लो उनकी मिरिा कर भी िलय-परदान 795 खिडकी द कर या रला सििाव वयविार ऐस सिथज को परि िरी कर सवीकार 796 िोन पर भी ववपद क बडा लाभ ि एक मिर-िि सब िापिा िान-दिड वि एक 797 ििो क सौिादज स बि कर िरना साफ़ इसको िी नर क मलय किा गया ि लाभ 798 ऐस किज न सोचिय नदरनस घट उििग मिर न िो रो दि ि छोड रायगा सिग 799 ववपद सिय रो बनध रन साथ छोड द आप िरण सिय भी वि सिरण हदल को दगा िाप 800 तनिजल िरररवान की िरी लना रोड कछ द सिी अयोगय की िरी दना छोड

अधयाय 81 चिर-िरी801 रो कछ भी अचधकार स करि ि रन इषट तिरसकार बबन िानना िरी किो धतनषठ 802 िि स करना कायज ि िरी का िी अिग फ़ज़ज सिि सजरन उस िान सहिि उििग 803 तनर कि सि रो मिर का साचधकार कि काि यहद सवीकि िोिा निीि चिर-िरी कया काि 804 पछ बबन िक िान कर मिर कर यहद कायज वािछनीय गण क मलय िान वि सवीकायज 805 दःिरनक यहद कायज ि करि मिर सरान अति िक़ या अजञान स यो करि ि रान 806 चिरपररचिि घन मिर स यदयवप िआ अतनषट ियाजदी छोड निीि वि मिरिा धतनषठ 807 सनिी सनि-परिपरा रो करि तनवाजि मिर कर यहद िातन भी िज़ न उसकी िाि 808 मिर-दोष को ना सन ऐस मिर धतनषठ िान उस हदन को सिल दोष कर रब इषट 809 अववनदचछनन चिर-मिरिा रो रिि ि यार उनका सनि िर न रो उनि कर रग पयार 810 िरी का गण पालि चिरपररचिि का सनि रो न िर उस सरन स कर शर भी सनि

अधयाय 82 बरी िरी811 यदयवप अतिशय मिर सि हदिि ि गणिीन बढ़न स वि मिरिा अचछा यहद िो कषीण 812 पा या िो कर कया िआ अयोगय का सौिादज रो िरी कर सवाथजवश िर द रब नहिि सवाथज 813 मिर बन रो गणन कर सवाथज-लाभ का िान धन-गािक गखणका िथा िोर एक सा रान

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)1930

814 अनभयसि िय यदध ि पटक िल जयो भाग ऐसो क सौिादज स एकाकी बडभाग 815 िचछ मिरिा ववपद ि रो दिी न सिाय ना िोन ि ि भला िोन स भी िाय 816 अति धतनषठ बन ििज का िो रान स इषट सििदार की शरिा लािो गणा वररषठ 817 िासय-रमसक की मिरिा करन स भी परापि भल बन दस कोहट गण ररप स रो िो परापि 818 यो असाधय कि साधय को रो करिा न सिाय िपक स उस ढोग की िरी छोडी राय 819 किना कछ करना अलग नदरनकी ि यि बान उनकी िरी िायगी सपन ि भी रान 820 घर पर िरी पालि सभा-िधय चधककार रो करि व ितनक भी तनकट न आव यार

अधयाय 83 कपट-िरी821 अििरिग िरी निीि पर कवल बहिरिग अवसर पा वि पीटिी पकड तनिाई ढ़िग 822 बनध सदश पर बनध नहिि उनकी िरी-बान ि पररविजनशील िी नारी-चिि सिान 823 सदzwjगरिथो का अधययन यदयवप ककया अनक शर कभी िोग निीि सनि-िना सवववक 824 िि पर िधर िसी सहिि हदय वर स पर ऐस लोगो स डरो य ि वििक कर 825 नदरसस िन मिलिा निीि उसका सन वि िार ककसी ववषय ि िि सिि उस भरोसा पार 826 यदयवप बोल मिर सि हििकर विन गढ़िि शर-विन की वयथजिा िोिी परकट िरिि 827 सिक ि आपवि का धनष निन की बान सो ररप-विन-ववनमरिा तनर हििकर िि रान 828 रड िाथ ि शर क तछप रििा िचथयार वसी िी ररप की रिी रदन-अशर-रल-धार 829 रो अति िरी परकट कर िन ि करिा िास िश कर िरी भाव स करना उसका नाश 830 शर मिर रसा बन रब आव यि काल िि पर िरी परकट कर िन स उस तनकाल

अधयाय 84 िढ़िा831 ककसको किना िढ़िा रो ि दारण दाग िातनपरद को गरिण कर लाभपरद का तयाग 832 परि िढ़िा िढ़ ि रानो उस परमसदध उन सब ि आसनदकि िो रो ि किज तनवषदध 833 तनदजयिा तनलजजरिा तनववजिार का भाव पोषण भी नहिि पोषय का य ि िढ़ सवभाव 834 शासरो का कर अधयपन अथज रानि गढ़ मशकषक भी पर नहिि वशी उनस बडा न िढ़ 835 साि रनि रो यािना मिल नरक क गिज िढ़ एक िी ि बना लन ि ससिथज 836 परववचध-जञान बबन िढ़ यहद शर करगा काि वि पिनगा िथकडी बबगडगा िी काि 837 रि राय िो परिर धन अगर िढ़ क पास भोग करग अनय रन परररन िो उपवास 838 लगना ि सिपवि का एक िढ़ क िसि पागल का िोना यथा िाडी पी कर िसि 839 पीडा िो दिी निीि रब िोिी ि भिग सो िढ़ो की मिरिा ि अति िधर परसिग 840 सधी-सभा ि िढ़ का घसना ि यो ख़र जयो रिना धोय बबना सवचछ सर पर पर

अधयाय 85 अिमzwjिनय-िढ़िा841 सबस बरा अभाव ि सदबदचध का अभाव दतनया अनय अभाव को नहिि िानिी अभाव 842 बदचधिीन नर हदय स करिा ि यहद दान परातिगरािी का सकि वि और निीि कछ रान 843 नदरिनी पीडा िढ़ नर तनर को दिा आप ररप को भी सिभव निीि दना उिना िाप 844 िीन-बदचध ककसको कि यहद पछोग बाि सवयि िान lsquoिि ि सधीrsquo भरि ि पडना जञाि 845 अपहठि ि जयो पहठि का वयिनदरि करना भाव सपहठि ि भी दोष बबन रनि सिशय-भाध 846 मिटा न कर तनर दोष को गोपन कर अजञान ढकना पट स गिय को अलप बदचध की बान 847 परकट कर ितििीन रो अति सिसय की बाि अपन पर िद िी बडा कर लगा आघाि 848 सििान पर ना कर और न सिि आप िरण सिय िक रीव वि रिा रोग-अमभशाप 849 सििाि नासिि को रि नासिि आप सििदार सा नासिि सवयि हदिगा आप 850 रग नदरसक अनदसितव को lsquoिrsquo कि लिा िान रो न िानिा वि रिा रग ि परि सिान

अधयाय 86 ववभद851 सब रीवो ि िट िी किि ि बध लोग अनमिल-भाव-अनथज का पोषण करिा रोग 852 कोई अनमिल भाव स किज कर यहद पोि अहिि न करना ि भला भद-भाव को सोि 853 रििा ि दःिद बडा भद-भाव का रोग उसक वरजन स मिल अिर कीतिजका भोग 854 दःिो ि सबस बडा ि ववभद का दःि रब िोिा ि नषट वि िोिा सि िी सकि 855 उठि दि ववभद को िट कर रि सिथज उसपर कौन सिथज रो सोि रय क अथज 856 भद-वदचध स िानिा मिलिा ि आननद रीवन उसका िक कर िोगा नषट िरनि 857 करि रो दबजदचध ि भद-भाव स परति ितव-दशज उनको निीि रो दिा ि रीि 858 िट कर रिना भद स दिा ि सिपवि उसस अड कर रीिना लािा पास ववपवि 859 भद-भाव नहिि दििा िो िोिी सिपवि अचधक दिना ि उस पाना ि आपवि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2030

860 िोिी ि सब िातनया भद-भाव स परापि िरी स शभ नीति का उिि धन ि परापि अधयाय 87 शरिा-उतकषज

861 बलवानो स िि मभडो करक उनस वर किज़ोरो की शरिा सदा िािना ख़र 862 परि रहिि तनर बल रहिि सबल सिाय न पास कर सकिा ि ककस िरि शर शनदकि का नाश 863 अनमिल ि कि रस ि कायर और अरान उसपर रय पाना रिा ररप को अति आसान 864 िोधी िो किर हदय स रो द भद तनकाल उसपर रय सबको सलभ सब थल ि सब काल 865 नीतिशासर रो ना पढ ववचधवि कर न काि दरजन तनिदा-भय-रहिि ररप हिि ि सि-धाि 866 रो रििा िोधानध ि कािी भी अतयनि ि उसका शरतव िो वािछनीय साननद 867 करक कायाजरमभ रो करिा किर परतिकल तनशिय उसकी शरिा करना द भी िल 868 गणवविीन रिि िए यहद ि भी बिदोष िो ि वि साथी रहिि ररप को ि सििोष 869 यहद वरी कायर िथा नीतिशासर अजञाि उनस मभडि उचि सि छोडग नहिि साथ 870 अनपढ़ की कर शरिा लघिा स रय-लाभ पान ि असिथज रो उस निीि यश-लाभ

अधयाय 88 सर-शनदकि का जञान871 ररपिा नािक ि विी असभयिा-अवगाि िसी-िज़ ि भी िनर उसकी कर न िाि 872 धन-िल-धारी कषक स करो भल िी वर वाणी-िल-धर कषक स करना छोडो वर 873 एकाकी रि रो कर बिि रनो स वर पागल स बढ़ कर रिा बदचधिीन वि िर 874 मिर बना कर शर को रो करिा वयविार िहििा पर उस सभय की हटकिा ि सिसार 875 अपना िो साथी निीि ररप ि दो िद एक िो उनि स ल बना उचिि सिायक एक 876 पवज-जञाि िो परि कर अथवा िा अजञाि नाश-काल ि छोड दो शर-मिरिा बाि 877 दःि न कि उस मिर स यहद िद उस न जञाि परकट न करना शर स किज़ोरी की बाि 878 ढ़िग सिि कर किज का तनर बल को कर ििड अपनी रकषा यहद कर ररप का मिट घििड 879 रब पौधा ि काटना रो िर कािटदार बढ़न पर घायल कर छदक का कर दार 880 रो ररपओि क दपज का कर सकि नहिि नाश तनशिय ररप क िकि िोिा उनका नाश

अधयाय 89 अनिवर881 छाया रल भी ि बर रब करि ि िातन सवरन-भाव भी ि बर यहद दि ि गलातन 882 डरना िि उस शर स रो ि िडग सिान डर उस ररप क िल स रो ि मिर सिान

883 बिना अनि शर स उनक िा कर रास मिटटी-छदक जयो कर थका दि व नाश 884 िन ि बबना लगाव क यहद िो अनिवर बनध-भद-कारक कई करिा ि वि गर 885 यहद िोिा बनधतव ि कोई अनिवर ितयरनक रो सो कई करिा ि वि गर 886 आचशरि लोगो स तनरी यहद िोिा ि वर सदा असिभव िो रिा बिना नाश-बगर 887 डबबा-ढककन योग सि रिन पर भी िल गि ि अनिवर िो िो िोगा नहिि िल 888 रिी स तघस कर यथा लोिा िोिा कषीण गि भी अनिवर स िोिा ि बलिीन 889 अति छोटा िी कयो न िो तिल ि यथा दरार किर भी अनिवर िो ि िी ववनाशकार 890 नदरनस िन मिलिा निीि रीवन उनक सिग एक िोपडी ि यथा रिना सहिि भरिग

अधयाय 90 बडो का उपिार न करना891 सकषि की करना निीि कषििा का अपिान रकषा हिि रो कायज ि उनि यिी ििान 892 आदर न कर ििान का कर अगर वयविार िोगा उस ििान स दारण दःि अपार 893 करन की साियज ि रब िाि िब नाश उनका अपिारी बनो यहद िािो तनर नाश 894 करना रो असिथज का सिथज का नक़सान ि वि यि को िाथ स करना जयो आहzwjवान 895 रो पराििी भप क बना कोप का पार बि कर रि सकिा किा किीि न रकषा िार 896 रल रान पर आग स बिना सिभव रान बििा निीि ििान का रो करिा अपिान 897 िपशरषठ ि रो ििा यहद करि ि कोप कया िो धन सिपवि की और ववभव की ओप 898 रो ििान िअिल सि करि अगर वविार रग ि शाशवि सि धनी मिटिा सि पररवार 899 उिि वरिधारी अगर िोि ि नारार मिट रायगा इनि भी गवा बीि ि रार 900 िपशरषठ यहद िदध िो रिि बडा परभाव रिि बड सिाय भी िोिा निीि बिाव

अधयाय 91 सरी-वश िोना901 सरी पर रो आसकि ि उनको मिल न धिज अथाजथी क हिि रिा घखणि वसि वि किज 902 सरी लोलप की सिपदा वि ि पौरष-तयकि लजरासपद बन कर बडी लनदजरि करिी सखि 903 डरन की रो बान ि सरी स दब कर नीि सदा रिी लजरारनक भल रनो क बीि 904 गहिणी स डर ि नदरस औrsquo न िोकष की मसदचध उसकी किज-ववदगधिा पािी निीि परमसदचध

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2130

905 पतनी-भीर सदा डर करन स वि कायज सजरन लोगो क मलय रो िोि सतकायज 906 रो डरि सरी-सकि ध स रो ि बास सिान यदयवप रिि दव सि उनका ि नहिि िान 907 सरी की आजञा पालिा रो पौरष तनलजजर उसस बढ कर शरषठ ि सरी का सरीतव सलजर 908 िार ििी वितछि विी करि ि रो किज भरि किी न मिर की करि निीि सधिज 909 धिज-किज औrsquo परिर धन िथा अनय रो काि सरी क आजञापाल को इनका नहिि अिराि 910 नदरनका िन िो किजरि औrsquo रो िो धनवान सरी-वमशिा स उनि कभी न ि अजञान

अधयाय 92 वार-वतनिा911 िाि निीि ि परिवश धनिलक ि िाि ऐसी सरी का िधर वि ल लिा ि आि 912 िधर विन ि बोलिी िोल लाभ का भाग वशया क वयविार को सोि सिागि तयाग 913 पण-सरी आमलिगन रिा यो िठा िी रान जयो मलपट िि-कोषठ ि िरद स अनरान 914 रििा ि परिाथज ि नदरनका िनोतनयोग अथज-अचथजनी िचछ सि करि नहिि व भोग 915 सिर बदचध क साथ ि नदरनका ववमशषट जञान पणय-सरी का िचछ सि भोगग नहिि रान 916 रप-दपि िो िचछ सि रो दिी ि बि तनर यश-पालक शरषठ रन गल लग नहिि िि 917 करिी ि सिभोग रो लगा अनय ि चिि उसस गल लग विी नदरसका िििल चिि 918 रो सरी ि िायाववनी उसका भोग ववलास अवववकी रन क मलय रिा िोहिनी-पाश 919 वशया का कि धा िदल भवषि ि रो िब िढ-नीि उस नरक ि रिि ि कर डब 920 दवध-िना वयमभिाररणी िदय रए का िल लकषिी स रो तयकि ि उनका इनस िल

अधयाय 93 िदय-तनषध921 रो िध पर आसकि ि िोि ि समिान शर कभी डरि निीि उनस कछ भय िान 922 िदय न पीना यहद वपय विी वपय सोतसाि साध रनो क िान की नदरस निीि परवाि 923 िा क समिि भी रिी िद-िििा िराब िो किर समिि साध क ककिनी बरी शराब 924 रग-तनिहदि अति दोषयि रो ि शराबिोर उनस लजरा-सनदरी िि लिी ि िोड 925 ववसिति अपनी दि की िय करना द दाि यो रान बबन किज-िल कर दना ि काि 926 सोि रन िो ििक स िोि ि नहिि मभनन ववष पीि रन स सदा िदयप रि अमभनन 927 रो लक-तछप िध पान कर िोि िोश-िवास भद रान पर-रन सदा करि ि पररिास 928 lsquoिध पीना राना निीिrsquo िर दना यि घोष पीन पर िट िो परकट िन ि गोवपि दोष 929 िदयप का उपदश स िोना िोश-िवास दीपक ल रल-िगन की करना यथा िलाश 930 बबना वपय रिि सिय िद-िसि को तनिार ससिी का पीि सवयि करिा कयो न वविार

अधयाय 94 रआ931 िाि रए की िो निीि यदयवप रय सवाधीन रय भी िो कािटा सदश नदरस तनगलिा िीन 932 लाभ रआरी एक कर किर सौ को िो राय वि भी कया सि परानदपि का रीवन-पथ पा राय 933 पासा ि क सदा रिा करि धन की आस उसका धन औrsquo आय सब िल शर क पास 934 करिा यश का नाश ि द कर सब दि-राल और न कोई दयि सि बनायगा कि गाल 935 पासा रआ-घर िथा िसय-कशलिा िान रए को िठ स पकड तनधजन िए तनदान 936 रआरप जयषठा नदरनि िि ि लिी डाल उनि न मिलिा पट भर भोग दि कराल 937 दयि-भमि ि काल सब रो करना ि वास करिा पिक धन िथा शरषठ गणो का नाश 938 पररि मिया-किज ि करक धन को नषट दया-धिज का नाश कर रआ हदलािा कषट 939 रोटी कपडा सिपदा ववदया औrsquo समिान पािो नहिि उनक यिा नदरनि रए की बान 940 िोि िोि धन सभी यथा रए ि िोि सिि सिि दःि भी ि रीन ि िोि

अधयाय 95 औषध941 वािाहदक नदरनको चगना शासरजञो न िीन बढ़ि घटि दःि द करक रोगाधीन 942 िाहदि का पिना सिि किर द भोरन-दान िो िन को नहिि िाहिय कोई औषध-पान 943 रीणज िआ िो िाइय रान उचिि पररिाण दिवान हिि ि विी चिराय का सािान 944 रीणज कआ यि रान किर िब लग यहद भि िाओ रो रो पय ि रिि धयान अिक 945 करिा पयािार का सियि स यहद भोग िो िोिा नहिि रीव को कोई दःिद रोग 946 भला सिि मिि भोर का रीि िो सि-वास वस हटकिा रोग ि अति पट क पास 947 राठरानदगन की शनदकि का बबना ककय सवविार यहद िाि ि अतयाचधक बढ़ि रोग अपार 948 ठीक सिि कर रोग कया उसका सिि तनदान सिि यनदकि किर शिन का करना यथा ववधान 949 रोगी का वय रोग का काल िथा ववसिार सोि सििकर वदय को करना ि उपिार 950 रोगी वदय दवा िथा िीिारदार सिग िार िरि क िो रि वदय शासर क अिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2230

अधयाय 96 कलीनिा951 लजरा बरकरण-एकिा इन दोनो का रोड सिर मिल नहिि और ि बस कलीन को छोड 952 सदािार लजरा िथा सचिाई य िीन इन सब स वविमलि कभी िोि निीि कलीन 953 सपरसनन िि वपरय विन तनिदा-वरजन दान सचि शरषठ कलीन ि िारो का सिसथान 954 कोहट कोहट धन िी सिी पाय परष कलीन िो भी व करि निीि रि किज रो िीन 955 िाथ िीििना िी पड यदयवप िो कर दीन छोड व न उदारिा नदरनका कल परािीन 956 पालन करि री रि रो तनिजल कल धिज यो रो ि व ना कर छल स अनचिि किज 957 रो रन बड कलीन ि उन पर लगा कलिक नभ ि िनि-कलिक सि परकहटि िो अििग 958 रिि सगण कलीन क रो तनकल तनःसनि उसक कल क ववषय ि िोगा िी सिदि 959 अिकर करिा ि परकट भ क गण की बाि कल का गण कल-राि की वाणी करिी जञाि 960 रो िाि अपना भला पकड लजरा-रीि रो िाि कल-कातन को सब स रि ववनीि

अधयाय 97 िान961 रीववि रिन क मलय यदयवप ि अतनवायज किर भी रो कल-िातनकर िर दना व कायज 962 रो ि पाना िािि कीतिज सहिि समिान यश-हिि भी करि निीि रो कल-हिि अपिान 963 सववनय रिना िाहिय रिि अति सिपनन िन कर रिना िाहिय रिि बडा ववपनन 964 चगरि ि रब छोडकर तनर समिातनि सथान नर बनि ि यो चगर मसर स बाल सिान 965 अलप घिघिी िार भी करि रो दषकाि चगरर सि ऊि कयो न िो िोि ि बदनाि 966 न िो कीतिज की परानदपि िो न िो सवगज भी परापि तनिदक का अनिर बना िो औrsquo कया िो परापि 967 तनिदक का अनिर बन रीवन स भी िय lsquoजयो का तयो रि िर गयाrsquo किलाना ि शरय 968 नाश काल ि िान क रो कलीनिा-सतव िन-रकषकषि-रीवन भला कया दगा अिरतव 969 बाल कटा िो तयाग द ििरी-िग तनर पराण उसक सि नर पराण द रकषा-हिि तनर िान 970 रो िानी रीि निीि िोन पर अपिान उनक यश को पर कर लोक कर गण-गान

अधयाय 98 ििानिा971 िानव को ववखयाति द रिना सहिि उििग lsquoरीयग उसक बबनाrsquo ि यो कथन कलक 972 सभी िनर ि रनि स िोि एक सिान गण-ववशष किर सि निीि किज-भद स रान 973 छोट नहिि िोि बड यदयवप नदसथति ि उचि तनिली नदसथति ि भी बड िोि ि नहिि िचछ 974 एक तनषठ रििी िई नारी सिी सिान आति-सियिी रो रिा उसका िो बििान 975 रो रन ििानभव ि उनको ि यि साधय कर िकना ि रीति स रो ि कायज असाधय 976 छोटो क िन ि निीि िोिा यो सवविार पाव गण नर शरषठ का कर उनका सतकार 977 लगिी ि सिपननिा रब ओछो क िाथ िब भी अतयािार िी कर गवज क साथ 978 ि िो ििानभाविा ववनयशील सब पवज अिमिनय िो िचछिा करिी ि अति गवज 979 अिमिनयिा-िीनिा ि ििानिा बान अिमिनयिा-सीिव िी ओछापन ि रान 980 दोषो को दना तछपा ि ििानिा-भाव दोषो की िी घोषणा ि िचछि- सवभाव

अधयाय 99 सवजगण-पणजिा981 रो सब गण ि पालि सिि योगय किजवय उनको अचछ कायज सब सिर बन किजवय 982 गण-शरषठिा-लाभ िी ििापरष को शरय अनय लाभ की परानदपि स शरय न कछ भी जञय 983 लोकोपकाररिा दया परि िया औrsquo साि सगणालय क थािि ििभ ि य पाि 984 वध-तनषध-वरि-लाभ िी िप को रिा परधान पर-तनिदा वरजन रिी गणपणजिा ििान 985 ववनयशीलिा रो रिी बलवानो का सार ि ररप-ररपिा नाश-हिि सजरन का िचथयार 986 कौन कसौटी रो परि रान गण-आगार ि वि गण रो िान ल नीिो स भी िार 987 अपकारी को भी अगर ककया निीि उपकार िोिा कया उपयोग ि िो कर गण-आगार 988 तनधजनिा नर क मलय िोिा नहिि अपिान यहद बल ि नदरसको कि सवज गणो की िान 989 गण-सागर क कल सि रो ियाजदा-पाल ियाजदा छोड निीि यदयवप यगानि-काल 990 घटिा ि गण-पणज का यहद गण का आगार िो ववसिि सिसार भी ढो सकिा नहिि भार

अधयाय 100 मशषटािार991 मिलनसार रिि अगर सब लोगो को िान पाना मशषटािार ि किि ि आसान 992 उिि कल ि रनि औrsquo परि पणज वयविार दोनो मशषटािार क ि िी शरषठ परकार 993 न िो दि क िल स शरषठ रनो का िल आतिाओि क योगय िो ि सिसकति का िल 994 नीति धिज को िािि रो करि उपकार उनक मशषट सवभाव को सराििा सिसार 995 िसी िल ि भी निीि तनिदा करना इषट पर-सवभाव जञािा रि ररपिा ि भी मशषट

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2330

996 मशषटो क आधार पर हटकिा ि सिसार उनक बबन िो वि मिल मिटटी ि तनधाजर 997 यदयवप ि रिी सदश िीकषण बदचध-तनधान िानव-सिसकति क बबना नर ि वकष सिान 998 मिर न रि रो शर ि उनस भी वयविार सभय परष का नहिि ककया िो वि अधि वविार 999 रो रन कर सकि निीि परसनन िन वयविार हदन ि भी िि ि पडा ि उनका सिसार

1000 रो ि परापि असभय को धन-समपवि अिय कलश-दोष स िट गया शदध दध सि जञय भागndash३ काम- कााड

अधयाय 101 तनषिल धन1001 भर कर घर भर परिर धन रो करिा नहिि भोग धन क नाि ििक ि रब ि नहिि उपयोग 1002 lsquoसब िोिा ि अथज सrsquo रि कर ऐसा जञान कि रसी क िोि स परि-रनि िो िलान 1003 लोलप सिगरि िार का यश का निीि वविार ऐस लोभी का रनि ि प वी को भार 1004 ककसी एक स भी निीि ककया गया रो पयार तनर अवशष सवरप वि ककसको कर वविार 1005 रो करि नहिि दान िी करि भी नहिि भोग कोहट कोहट धन कयो न िो तनधजन ि व लोग 1006 योगय वयनदकि को कछ न द सवयि न करिा भोग ववपल सिपदा क मलय इस गण का नर रोग 1007 कछ दिा नहिि अधन को ऐसो का धन राय कवारी रि अति गणविी जयो बढ़ी िो राय 1008 अवपरय रन क पास यहद आचशरि िो सिपवि गराि-िधय ववष-वकष जयो पाव िल-सिपवि 1009 परि-भाव िर कर िथा भाव धिज स रनय आति-िोि कर रो रिा धन िचथयाि अनय 1010 उनकी कषखणक दररििा रो नािी धनवान रल स िाली रलद का ि सवभाव सिान

अधयाय 102 लजराशीलिा1011 लनदजरि िोना किज स लजरा रिी बिौर सििी कलािगना-सलभ लजरा ि कछ और 1012 अनन वसर इतयाहद ि सब क मलय सिान सजरन की ि शरषठिा िोना लजरावान 1013 सभी पराखणयो क मलय आशरय िो ि दि रििी ि गण-पणजिा लजरा का शभ गि 1014 भषण ििानभाव का कया नहिि लजरा-भाव उसक बबन गिभीर गति कया नहिि रोग-िनाव 1015 लनदजरि ि रो दि तनर िथा पराया दोष उनको कििा ि रगि lsquoयि लजरा का कोषrsquo 1016 लजरा को घरा ककय बबना सरकषण-योग िािग नहिि शरषठ रन ववसिि रग का भोग 1017 लजरा-पालक तयाग द लजरा क हिि पराण लजरा को छोड निीि रकषकषि रिन रान 1018 अनयो को लनदजरि कर करि ऐस किज उसस िद लनदजरि निीि िो लनदजरि िो धिज 1019 यहद िक मसदधानि स िो िोगा कल नषट सथाई िो तनलजजरिा िो िो सब गण नषट 1020 कठपथली ि सर स ि रीवन-आभास तयो ि लजरािीन ि ििनय का तनवास

अधयाय 103 विशोतकषज-ववधान1021 lsquoिाथ न िीिि किज स रो कल हिि किजवय इसक सि नहिि शरषठिा यो ि रो िनिवय 1022 सि परयतन गिभीर िति य दोनो िी अिश कियाशील रब ि सिि उननि िोिा विश 1023 lsquoकल को अननि ि करrsquo कििा ि दढ बाि िो आग बढ़ किर कस दव बटाव िाथ 1024 कल हिि रो अववलमब िी ि परयतन ि िर अनरान िी यतन वि बन सिलिा पर 1025 कल अननति हिि दोष बबन नदरसका ि आिार बनध बनान को उस घर रिा सिसार 1026 सवयि रतनि तनर विश का पररपालन का िान अपनाना ि िनर को उिि पौरष रान 1027 ििावीर रणकषर ि जयो ि नदरमिदार तयो ि सयोगय वयनदकि पर तनर कटिब का भार 1028 कल-पालक का ि निीि कोई अवसर िास आलसवश िानी बन िो िोिा ि नाश 1029 रो िोन दिा निीि तनर कटिब ि दोष उसका बन शरीर कया दि-ददो का कोष 1030 योगय वयनदकि कल ि निीि रो थािगा टक रड ि ववपदा काटि चगर राय कल नक

अधयाय 104 कवष1031 कवष-अधीन िी रग रिा रि अनयो ि घणज सो कवष सबस शरषठ ि यदयवप ि शरिपणज 1032 रो कवष की कषििा बबना करि धिध अनय कषक सभी को विन कर रगि-धरी सि गणय 1033 रो रीववि ि िल िला उनका रीवन धनय िक कर िा पी कर िल उनक पीि अनय 1034 तनर नप छरचछाि ि कई छरपति शान छाया ि पल धान की लाि सौमय ककसान 1035 तनर कर स िल रोि कर िाना नदरनि सवभाव िाग नहिि रो िागिा दग बबना दराव 1036 िाथ खििा यहद कषक का उनकी भी नहिि टक रो ऐस किि रि lsquoिि ि तनसपि एकrsquo 1037 एक सर की सि यहद पाव सर िो धल िटzwjठी भर भी िाद बबन िोगी फ़सल अिल 1038 िि रोिन स अचधक िाद डालना शरषठ बाद तनराकर सीििना किर भी रकषण शरषठ 1039 िल कर यहद दि निीि िामलक द कर धयान गहिणी रसी रठ कर भमि करगी िान 1040 lsquoिि दररि िrsquo यो कर ससिी ि आलाप भमि रप दवी उस दि िसगी आप

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2430

अधयाय 105 दररििा1041 यहद पछो दाररदरय सि दःिद कौन ििान िो दःिद दाररदरय सि दाररििा िी रान 1042 तनधजनिा की पावपनी यहद रििी ि साथ लोक िथा परलोक स धोना िोगा िाथ 1043 तनधजनिा क नाि स रो ि आशा-पाश कलीनिा यश का करएक साथ िी नाश 1044 तनधजनिा पदा कर कलीन ि भी ढील नदरसक वश वि कि उठ िीन विन अशलील 1045 तनधजनिा क रप ि रो ि दि का िाल उसि िोिी ि उपर कई िरि की साल 1046 यदयवप अनसिधान कर कि ितव का अथज किर भी परविन हदन का िो रािा ि वयथज 1047 नदरस दररि का धिज स कछ भी न अमभपराय रननी स भी अनय सि वि िो दिा राय 1048 कि गाली रो कर िकी कल िरा सििार अयोगी कया आर भी करन उसी परकार 1049 अनिराल ि आग क सोना भी ि साधय आि िपकना भी ज़रा दाररद ि नहिि साधय 1050 भोगय-िीन रि हदन का लना नहिि सनयास िाड-निक का यि बन करन हिि ि नाश

अधयाय 106 यािना1051 यािन करन योगय िो िो िागना ज़रर उनका गोपन-दोष िो िरा कछ न कसर 1052 यचिि िीज़ यहद मिल बबना हदय दि-दवनद यािन करना िनर को दिा ि आननद 1053 िला हदय रिि िए रो िानग िान उनक समिि रा िड यािन ि भी शान 1054 नदरनि सवपन ि भी lsquoनिीिrsquo किन की नहिि बान उनस यािन भी रिा दना िी सि रान 1055 समिि िोन िार स बबना ककय इनकार दािा ि रग ि िभी यािन ि सवीकार 1056 उनि दि नदरनको निीि lsquoनाrsquo कि सिना कषट दःि सभी दाररदरय क एक साथ िो नषट 1057 बबना ककय अविलना दि रन को दि िन िी िन आननद स रिा िषज-अतिरक 1058 शीिल थलयि ववपल रग यहद िो यािक-िीन कठपथली सि वि रि िलिी सराधीन 1059 रब कक परतिगरि िािि मिल न यािक लोग दािाओि को कया मिल यश पान का योग 1060 यािक को िो िाहिय गरिण कर अिोध तनर दररििा-दःि िी कर उस यि बोध

अधयाय 107 यािना-भय1061 रो न तछपा कर परि स करि दान यथषट उनस भी नहिि िागना कोहट गना ि शरषठ 1062 यहद ववचध की करिार न भीि िाग नर िाय िारा िारा किर विी नषट-भरषट िो राय 1063 lsquoतनधजनिा क दःि को कर िाग कर दरrsquo इस वविार स िरिर और न ि कछ िर 1064 दाररदवश भी यािना नदरस निीि सवीकार भरन उसक पणज-गण कािी नहिि सिसार 1065 पका िाड िी कयो न िो तनिजल नीर सिान िान स शरि स किा बढ़ कर िधर न रान 1066 यदयवप िाग गाय हिि पानी का िी दान यािन स बदिर निीि नदरहवा को अपिान 1067 यािक सबस यािना यिी कक रो भर सवाग यािन करन पर न द उनस कभी न िाग 1068 यािन रपी नाव यहद रो रकषा बबन नगन गोपन की िटटान स टकराय िो भगन 1069 हदल गलिा ि खयाल कर यािन का बदिाल गल बबना िी नषट िो गोपन का कर खयाल 1070 lsquoनिीिrsquo शबद सन रायगी यािक रन की रान गोपन करि िनर क किा तछपग पराण

अधयाय 108 नीििा1071 ि िनषय क सदश िी नीि लोग भी दशय ििन िो दिा निीि ऐसा रो सादशय 1072 चिनिा धिाजधिज की निीि हदय क बीि सो बढ़ कर धिजजञ स भागयवान ि नीि 1073 नीि लोग ि दव सि कयोकक तनरिकश रीव व भी करि आिरण िनिानी बबन सीिव 1074 िनिौरी ऐसा मिल रो अपन स िवज िो उसस बढ़ िद सिि नीि करगा गवज 1075 नीिो क आिार का भय िी ि आधार भय बबन भी कछ िो रि यहद िो लाभ-वविार 1076 नीि िनर ऐसा रिा रसा वपटिा ढोल सवयि सन रो भद ि ढो अनयो को िोल 1077 गाल-िोड घसा बबना रो िलाय िाथ िाडग नहिि अधि रन तनर िठा भी िाथ 1078 सजरन पराथजन िार स दि ि िल-दान नीि तनिोडो ईि सि िो दि रस-पान 1079 िाि पीि पिनि दि पराया िोष तछिानवषण-ििर रो नीि तनकाल दोष 1080 नीि लोग ककस योगय िो आयग कया काि सिकट िो िो िट सवयि बबक कर बन गलाि

अधयाय 109 सौनदयज की पीडा1081 कया यि ि दवािगना या सववशष ियर या नारी कि डल-सरी िन ि भरि ि िर 1082 दनदषट मिलाना सिन का िोि दनदषट-तनपान िो कर िद िडी यथा िढ़ आय दल साथ 1083 पिल दिा ि निीि अब दिा यि कौन लडि ववशाल नरयि वि ि सरी-गण-भौन 1084 िगधा इस सरी-रतन क हदिी दगो की रीि िाि दशजक-पराण ि यो ि गण ववपरीि 1085 कया यि ि या आि ि या ि िगी सरिग इस िगधा की दनदषट ि ि िीनो का ढिग

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2530

1086 ऋर िो टढ़ी भकहटया िना कर द छाि िो इसकी आि िि हिला न लगी आि 1087 अनि किो पर नारर क पडा रिा रो पाट िद-गर क दग ढ़ािकिा िि-पट सि वि ठाट 1088 उजरवल िाथ स अिो गयी शनदकि वि रीि मभड बबना रण-भमि ि नदरसस ररप िो भीि

1089 सरल दनदषट िररणी सदश औrsquo रििी रो लार उसक हिि गिन बना पिनाना कया कार 1090 िषजक ि कवल उस रो करिा ि पान दशजक को िषजक निीि िध िो काि सिान

अधयाय 110 सिकि सििना1091 इसक कररार नयन रिि ि दो दनदषट रोग एक उस रोग की दवा दसरी दनदषट 1092 आिि बिा कर दिना ितनक िि कषण काल अदजध निीि सियोग का उसस अचधक रसाल 1093 दिा उसन दि कर िका मलया रो सीस वि कयारी ि परि की दना था रल सीिि 1094 ि दि िो डालिी दनदषट भमि की ओर ना दि िो दि िद िन ि रिी हिलोर 1095 सीध वि निीि दििी यदयवप िरी ओर सकिािी सी एक दग िन ि रिी हिलोर 1096 यदअवप वि अनमभजञ सी करिी ि कट बाि बाि निीि ि िदध की िट िोिी यि जञाि 1097 रषट दनदषट ि शर सि कटक विन सपरीति हदिना िानो अनय रन परिी रन की रीति 1098 ि दि िो नदसनगध िो कर ििद वि िास सकिारी ि उस सिय एक रिी छवी ख़ास

1099 उदासीन िो दिना िानो िो अनरान परिी रन क पास िी रििी ऐसी बान 1100 नयन नयन मिल दिि यहद िोिा ि योग विनो का िि स कि ि नहिि कछ उपयोग

अधयाय 111 सियोग का आननद1101 पििनदनिय सि रप औrsquo सपशज गिध रस शबद उजजवल िडी स सरी इसि सब उपलबध 1102 रोगो की िो ि दवा उनस अलग पदाथज रो सिन का रोग ि दवा विी रोगाथज 1103 तनर दतयिा िद सकि ध पर सोि रो आराि उसस कया रिणीय ि किल-नयन का धाि 1104 िटन पर दिी रला तनकट गया िो शीि आग किा स पा गयी बाला यि ववपरीि 1105 इनदचछि जयो इनदचछि सिय आकर द आननद पषपालिकि कशयि ि बाला क सकि ध 1106 लगन स िर बार ि नवरीवन का सपिद बन िए ि अिि क इस िगधा क सकि ध 1107 सवगि ि सवपादथज का यथा बाट कर भोग रिा गिए रिग की बाला स सियोग 1108 आमलिगन रो यो रिा बीि िवा-गति बिद दोनो को वपरय औrsquo वपरया दिा ि आननद

1109 िान िनावन मिलनसि य रो ि िल-भोग परि-पाश ि रो पड उनको ि यि भोग 1110 िोि िोि जञान क यथा जञाि अजञान मिलि मिलि सिन स िोिा परणय-जञान

अधयाय 112 सौनदयज वणजन1111 र अतनचि ि धनय ि ि ि कोिल पराण िरी रो ि वपरयििा ििस िदिर रान 1112 बि-रन-दषट सिन सदश इसक दग को िान र िन यहद दिो सिन िि िो भरमिि अरान 1113 पललव िन िोिी रदन पराकि गिध सगिध भाला कररारा नयन नदरसक बास-सकि ध 1114 कवलय दल यहद दििा सोि िका कर सीस इसक दग सि िि निीि िोिी उसको िीस 1115 धारण ककया अतनचि को बबना तनकाल वनि इसकी कहट हिन ना बर ििगल बारा-वनद 1117 कषय पाकर किर पणज िो शोमभि रिा ियिक इस नारी क वदन पर रििा किा कलिक 1118 इस नारी क वदन सि ििक सक िो िाद परि-पार िरा बन चिररीवी रि िाद 1119 सिन-नयन यि वदन सि यहद िोन की िाि सबक समिि िनि ि ििक न बपरवाि 1120 िद अतनचि का िल औrsquo ििसी का िद िल बाला क िद पाद हिि रि गोिर शल

अधयाय 113 परि-परशिसा1121 िधर भावषणी सिन का मसि रद तनःसि नीर यो लगिा ि िधर वि जयो िध-मिचशरि कषीर 1122 रसा दिी दि का िोिा ि समबनध वसा िर नारर क बीि रिा समबनध 1123 पिली ि पिली अरी िट राओ यि रान िरी लमलि ललाटयि पयारी को नहिि सथान 1124 रीना सि ि पराण हिि बाला रब सियोग िरना सि उसक मलय िोिा अगर ववयोग 1125 लडि दग यि बाल क गण यहद राऊ भल िब िो कर सकिा सिरण पर रािा नहिि भल 1126 दग ि स तनकल निीि िर सभग सरान िपकी ल िो िो न दि व ि सकषि पराण 1127 यो वविार कर नयन ि करि वास सरान निीि आिरिीि िि नयन तछप रायग रान 1128 यो वविार कर हदय ि करि वास सरान िान स डर ि गरि रल रायग रान 1129 िपकी ल िो जञाि ि िोग नाथ ववलीन पर इसस पररन उनि किि परि वविीन 1130 यदयवप हदल ि वपरय सदा रि िज़ ि लीन पररन किि िर िल किि परि वविीन

अधयाय 114 लजरा-तयाग-कथन1131 रो ििन पर परि रस सि वदना िाय lsquoिडलrsquo-सरकषा क बबना उनि न सबल सिाय

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2630

1132 आतिा और शरीर भी सि न सक रो आग िढ़ lsquoिडलrsquo पर धयज स करक लजरा तयाग 1133 पिल िर पास थीि सधीरिा और लार कािी रन नदरसपर िढ़ विी lsquoिडलrsquo ि आर 1134 िरी थी लजरा िथा सधीरिा की नाव उस बिा कर ल गया भीषण काि-बिाव 1135 िाला सि िडी सर नदरस बाला क िाथ उसन सिधया-ववरि-दि हदया lsquoिडलrsquo क साथ 1136 कटिी िगधा की वरि आिो ि िी राि अदजध-राबर ि भी lsquoिडलrsquo आिा िी ि याद 1137 काि-वदना रलचध ि रििी िगन यथषट किर भी lsquoिडलrsquo न रो िढ उस सरी स नहिि शरषठ 1138 सियि स रििी िथा दया-पार अति वाि यि न सोि कर तछप न रि परकट िआ ि काि 1139 िरा काि यिी सिि सबको वि नहिि जञाि नगर-वीचथ ि घििा ि िसिी क साथ 1140 रि भकि-भोगी निीि यथा िकी ि भोग िसि िर दिि बदचध िीन रो लोग

अधयाय 115 परवाद-रिाना1141 परिलन िआ परवाद का सो हटकिा वपरय पराण इसका िर भागय स लोगो को नहिि जञान 1142 सिन-नयन-यि बाल की दलजभिा नहिि रान इस पर न अिवाि िो की ि िि परदान 1143 कया िर लायक निीि पररन-जञाि परवाि परापि ककय बबन मिलन िो िई परापि सी बाि 1144 पररन क अपवाद स बढ़ रािा ि काि घट रायगा अनयथा िो कर तनर गण-नाि 1145 िोि िोि िसि जयो वपरय लगिा िध-पान िो िो परकट परवाद स िधर काि की बान 1146 वपरय स कवल एक हदन िई मिलन की बाि लककन िनिगरिण सि वयापक िआ परवाद 1147 पररन-तनिदा िाद ि िा का कट वि नीर इनस पोवषि रोग यि बढ़िा रिा अधीर 1148 काि-शिन की सोिना कर अपवाद परिार अनदगन-शिन घी डाल कर करना सदश वविार 1149 अपवाद स कयो डर रब कर अभय परदान सब को लनदजरि कर गय छोड िि वपरय पराण 1150 तनर वाितछि अपवाद का पर कर रिा परिार िाि िो वपरय नाथ भी कर दग उपकार

अधयाय 116 ववरि-वदना1151 अगर बबछड राि निीि िि रिाओ नाथ रो नदरय उनस किो िट किरन की बाि 1152 पिल उनकी दनदषट िो दिी थी सि-भोग ववरि-भीति स दिद ि अब उनका सियोग 1153 ववजञ नाथ का भी कभी सिभव रिा परवास सो करना सिभव निीि इनपर भी ववशवास 1154 छोड िलग यहद सदय कर तनभजय का घोष रो दढ़-वि ववशवामसनी उसका ि कया दोष 1155 बिा सक िो यो बिा नदरसस िल न नाथ किर मिलना सिभव निीि छोड गय यहद साथ 1156 ववरि बिान िक िए इिन तनठर सिथज परि करग लौट कर यि आशा ि वयथज 1157 नायक न रो छोड कर गिन ककया वि बाि वलय कलाई स पतिि कया न कर ववखयाि 1158 उस पर ि रिना दिद रिा न साचथन लोग उसस भी बढ़ कर दिद वपरय स रिा ववयोग 1159 छन पर िी िो रला सकिी ि बस आग काि-जवर सि वि रला सकिी कया कर तयाग 1160 दिद ववरि को िानिी चिनिा वयाचध न नक ववरि-वदना सिन कर रीववि रिीि अनक

अधयाय 117 ववरि-कषिा की वयथा1161 यथा उलीि सोि का बढ़िा रि बिाव बढ़िा ि यि रोग भी यहद ि कर तछपाव 1162 गोपन भी इस रोग का ि नहिि वश की बाि किना भी लजरारनक रोगकार स बाि 1163 िरी दबली दि ि पराणरप रो डािड लटक उसक छोर ि काि व लजरा कािड 1164 काि-रोग का िो रिा पारावार अपार पर रकषक बडा निीि उसको करन पार 1165 रो दि ि वदना रि कर वपरय रन िर कया कर बठ ग अिो यहद रिि ि वर 1166 रो ि बस यि काि िो सि का पारावार पीडा द िो दःि ि उसस बडा अपार 1167 पार न पािी पर कर काि-सिि ििान अदजध राबर ि भी तनववड रिी अकली रान 1168 सला रीव सब को रिी दया-पार यि राि इसको ििको छोड कर और न कोई साथ 1169 य राि रो आरकल लमबी िई अथोर तनषठर क नषठयज स ि िद अचधक कठोर 1170 िल सकि ि वपरय क यिा यहद िट हदय सिान निीि िरि बाढ़ ि यो िर दग रान

अधयाय 118 नरो का आिरिा स कषय1171 अब राि ि कयो नयन सवयि हदिा आराधय िि िआ यि रोग ि रो बन गया असाधय 1172 सोि सिि बबन नयन वपरय को उस हदन दि अब कयो िोि ि वयनदकि रिि कछ न वववक 1173 नयनो न दिा सवयि आिरिा क साथ अब रो रोि ि सवयि ि िासयासपद बाि 1174 ििि रर उतपनन कर असाधय औrsquo अतनवायज सि गय ना कर सक दग रोन का कायज 1175 काि-रोग उतपनन कर सागर स ववसिार नीिद न पा िर नयन सिि दःि अपार 1176 ओिो यि अति सिद ि ििको दि ि डाल अब य दग सिि सवयि यि दि िो बिाल 1177 हदल पसीर थ दिि सदा उनि दग सकि सि राय दग-सरोि अब सि सि पीडा सखि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2730

1178 विन िार स परि कर हदल स ककया न परि उस रन को दि बबना नरो को नहिि कषि 1179 ना आव िो नीिद नहिि आव नीिद न आय दोनो िालो ि नयन सिि ि अति िाय 1180 िर सि नदरनक नयन वपटि ढोल सिान उसस पररन को निीि कहठन भद का जञान

अधयाय 119 पीलापन-रतनि पीडा1181 वपरय को रान क मलय समिति दी उस काल अब रा कर ककसस कि तनर पीलापन-िाल 1182 पीलापन यि गवज कर lsquoि ि उनस परापिrsquo िढ़ कर िरी दि ि िो रािा ि वयापि 1183 पीलापन औrsquo रोग का करक व परतिदान िरी छवव औrsquo लार का ल कर िल सदान 1184 उनक गण का सिरण कर करिी ि गण-गान किर भी पीलापन िढ़ा िो कया यि धोिा न 1185 वि दिो राि बबछड िर वपरयिि आपि यि दिो इस दि पर पीलापन ि वयापि 1186 दीपक बिन की यथा िि की रो ि िाक वपरय-आमलिगन ढील पर पलापन की िाक 1187 आमलिगन करक रिी करवट बदली थोर उस कषण रि कर छा गया पीलापन यि घोर 1188 lsquoयि ि पीली पड गयीrsquo यो करि ि बाि इस तयाग कर व गय यो करि नहिि बाि 1189 िि िना कर िो गय यहद सकशल िो नाथ िो िरा िन भी रि पीलापन क साथ 1190 अचछा ि पाना सवयि पीलापन का नाि वपरय का िरना बनधरन यहद न कर बदनाि

अधयाय 120 ववरि-वदनातिरक1191 नदरसस अपना पयार ि यहद पािी वि पयार बीर रहिि िल परि का पािी ि तनधाजर 1192 रीवो का करिा रलद जयो रल द कर कषि पराण-वपयार का रिा पराण-वपरया स परि 1193 नदरस नारी को परापि ि पराण-नाथ का पयार lsquoरीऊगीrsquo यो गवज का उसको ि अचधकार 1194 उसकी वपरया बनी निीि रो उसका ि परय िो बििानया नारर भी पणयवति नहिि जञय 1195 पयार ककया िन नदरनि यहद िद ककया न पयार िो उनस कया िो सक िरा कछ उपकार 1196 परि एक-िरफ़ा रि िो ि दिद अपार दोय िरफ़ िो िो सिद जयो डिडी पर भार 1197 रि कर सकिय एक ि रिा िदन बददज कया वि सििगा निीि िरा दःि व ददज 1198 वपरयिि स पाय बबना उसका िधिय बन रग ि रीिी सरी सदश कोई तनषठर ि न 1199 परि रहिि वपरयिि रि यदयवप ि यि जञाि कणज िधर िी रो मिल उनकी कोई बाि 1200 परि िीन स कहठन रर किन को ियार र हदल ि चिररीव रि सिा सिि अपार

अधयाय 121 सिरण ि एकानििा-दःि1201 सिरण िार स द सक अकषय परिाननद सो िो िध स काि ि बढ़ कर िधर अिनद 1202 दि-नाशक उसका सिरण नदरसस ि तनर परि रो सिदायक िी रिा ककसी िाल ि परि 1203 छीिका िी ि िाििी छीिक गयी दब साथ सिरण ककया िी िािि भल गय कया नाथ 1204 उनक हदल ि कया रिा िरा भी आवास िर हदल ि ओि ि उनका सदा तनवास 1205 तनर हदल स ििको िटा कर पिर का साज़ िर हदल आि सदा आिी कया नहिि लार 1206 मिलन-हदवस की वपरय सहिि सिति स ि सपराण उस सिति क बबन ककस िरि रि सकिी सपराण 1207 िि जञाि नहिि भलना हदय रलािी याद भलगी ि भी अगर रान कया िो बाद 1208 ककिनी िी सिति ि कर िोि नहिि नाराज़ करि ि वपरय नाथ िो इिना बडा मलिाज़ 1209 lsquoमभनन न ििrsquo नदरसन किा उसकी तनदजय बान सोि सोि िलि बन िर य वपरय पराण 1210 बबछड गय सिबदध रि रो िर वपरय कािि रब िक दि न ल नयन डब न रय रय िािद

अधयाय 122 सवपनावसथा का वणजन1211 वपरयिि का रो दि बन आया सवपनाकार उसका ि कस कर यगय अतिचथ-सतकार 1212 यहद सन िरी पराथजना दग िो तनिावान दि सि बिन की कथा वपरय स कि बिान 1213 रागरि रिन पर कपा करि निीि सरान दशजन दि सवपन ि िब िो रििी पराण 1214 रागरति ि करि निीि नाथ कपा कर योग िोर सवपन न ला हदया सो उसि सि-भोग 1215 आिो ि रब िक रि रागरति ि सि-भोग सपन ि भी सि रिा रब िक दशजन-योग 1216 यहद न रि यि रागरण िो िर वपरय नाथ रो आि ि सवपन ि छोड न राव साथ 1217 कपा न कर रागरण ि तनषठर रि सरन पीडडि करि ककसमलय िि सवपन ि पराण 1218 गल लगाि नीिद ि पर रब पडिी राग िब हदल क अनदर सरन िट राि ि भाग 1219 रागरति ि अपरापि को कोसगी व वाि नदरनक वपरय न सवपन ि मिल न हदया आराि 1220 यो किि वपरय का िि रागरति ि नहिि योग सपन ि ना दिि कया इस पर क लोग

अधयाय 123सिधया दशजन स1221 िरी सािि चिराय िो ि नहिि सिधयाकाल बयाि िओि की रान ि लिा अनदनिि काल 1222 िरी सािि चिराय िो ि तनषपरभ ववभरानि िर वपरय क सि तनठर ि कया िरा कानि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2830

1223 कि वपि सिधया तनषपरभा ििको बना ववरकि आिी ि दिी िि पीडा अति िी सखि 1224 वध करन क सथान ि जयो आि रललाद तयो आिी ि सािि भी रब रिि नहिि नाथ 1225 िन कया कछ कर हदया पराि का उपकार वस िो कया कर हदया सिधया का उपकार 1226 पीडडि करना सािि का िब था िि न जञाि गय निीि थ बबछडकर रब िर वपरय नाथ 1227 काि-रोग िो सबि को पा कर कली-मलवास हदन भर िकमलि शाि को पािा पषय-ववकास 1228 दि बनी ि सािि का रो ि अनल सिान गोप-बासरी ि विी घािक भी सािान 1229 रब आवगी सािि बढ़ करक िति को घणज सारा पर िति-घणज िो दि स िोव िणज 1230 भराितिििी इस सािि ि अब िक बििी रान धन-गरािक का सिरण कर िली रायगी रान

अधयाय 124 अिगचछवव-नाश1231 वपरय की सिति ि रो िि दि द गय सदर रोि नयन सिन तनरि लनदजरि ि बनर 1232 पील पड कर रो नयन बरस रि ि नीर िानो किि तनठरिा वपरय की रो बपीर 1233 रो कि ध िल रि रब था वपरय-सियोग िानो करि घोषणा अब ि दसि ववयोग 1234 सवणज वलय राि खिसक कश ि कि ध पीन वपरय-ववयोग स पवज की छवव स ि व िीन 1235 वलय सहिि सौनदयज भी नदरन कि धो को नषट तनषठर क नषठयज को व किि ि सपषट 1236 सकि ध मशचथल िडी सहिि दि िि रो आप कििी ि उनको तनठर उसस पािी िाप 1237 यि आिानदन सकि ध का रो िोिा ि कषाि सना तनठर को र हदय पाओ कयो न सनाि 1238 आमलिगन क पाश स मशचथल ककय रब िाथ ितकषण पीला पड गया सकिारी का िाथ

1239 ज़रा िवा रब घस गयी आमलिगन क िधय िगधा क पील पड शीि बड दग सदय 1240 उजजवल िाथ स रतनि पीलापन को दि पीलापन को नर क िआ दःि-अतिरक

अधयाय 125 हदय स कथन1241 रोग-शिन हिि र हदय रो यि िआ असाधय कया न किोग सोि कर कोई औषध साधय 1242 हदय नदरओ िि नाथ िो करि ि नहिि पयार पर िि िोि िो वयचथि यि िढ़िा अपार 1243 र हदल बठ सिरण कर कयो िो दि ि िर दःि-रोग क रनक स सनि-सिरण ि दर 1244 नरो को भी ल िलो अर हदय यि रान उनक दशजन क मलय िाि िरी रान 1245 यदयवप िि अनरकि ि व ि नहिि अनरकि र हदल यो तनिजि सिि िो सकि कया तयकि 1246 रब वपरय दि मिलन सि गया निीि ि रठ हदल ि रो अब िदध ि वि ि कवल िठ 1247 अर सहदल िर काि को या लजरा को तयाग ि िो सि सकिी निीि इन दोनो की आग 1248 र िर हदल यो सिि निीि दयािज सरान बबछड क पीछ लगा चिनिागरसि अरान 1249 िर अनदर रब रिा वपरयिि का आवास र हदल उनका सिरण कर राव ककसक पास 1250 किर न मिल यो िर हदया उनको हदल ि ठौर दन स ि िो रिी अभयनिर छवव और

अधयाय 126 धयज-भिग1251 लार-िटिनी यकि ि िनोधयज का दवार ििडन करना ि उस यि रो काि-कठार 1252 काि एक तनदजय रिा रो हदल पर कर रार अदजध राबर क सिय भी करवािा ि कार 1253 काि तछपान यतन िो ि करिी ि रान परकट िआ तनदश बबन वि िो छीिक सिान 1254 कििी थी lsquoि धतिििीrsquo पर िि काि अपार परकट सभी पर अब िआ गोपनीयिा पार 1255 उनक पीछ रा लग रो िर गय सरान काि-रोचगणी को निीि इस बििति का जञान 1256 उनक पीछ लग रि िल गय रो तयाग काि-रोग को यो हदया यि िरा बडभाग 1257 करि य वपरय नाथ रब कािनदचछि सब कार िब यि जञाि न था िि एक वसि ि लार 1258 बििायािय िोर क रो ि नयिय बन िरी धति को िोडन कया िोि नहिि सन 1259 िली गई ि रठन ककनि हदय को दि वि परवि ि मिलन हिि गल लगी िो एक 1260 अनदगन-दि िजरा यथा नदरनका हदल िविान उनको वपरय क पास रि कया सिभव ि िान

अधयाय 127 उनकी उतकि ठा1261 छ कर चगनि ववरि हदन तघस अिगमलया कषीण िथा नर भी िो गय राि दि छवव-िीन 1262 उजजवल भषण सनदजरि यहद ि भल आर चगर बाि स िडडया औrsquo िोऊ छवव-सार 1263 ववरय-कािना स िल साथ मलय उतसाि सो अब भी रीिी रिी lsquoलौटगrsquo यो िाि 1264 परि सहिि ि लौटि बबछड गय रो नाथ उिड रिा यो सोि कर हदय िशी क साथ 1265 वपरयिि को ि दि ल आिो स भरपर किर पीलापन सकि ध का िो रायगा दर 1266 वपरय आव िो एक हदनयो कर ल रसपान नदरसस परा िी मिट दःिद रोग तनदान 1267 नर सदश वपरय आ मिल िो कर बठ िान या आमलिगन िी कर या दोनो ि पराण 1268 कियाशील िो यदध कर रारा पाव रीि सपतनीक िि भोर द सिधया हिि सपरीि

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तिरककरळ (िमिल स हिनदी)2930

1269 नदरस परवासी परष क परतयागि का सोि एक रोज़ ि साि सि लिबा िोिा रोज़ 1270 परापय िई या परापि िी या िो भी सियोग हदय भगन िो िल बसी िो कया िो उपयोग

अधयाय 128 इिचगि स बोध1271 रिन पर भी कर तछपा ियाजदा को पार ि िर िी नर कछ किन का ियार 1272 छवव भरिी ि आि भर बास सदश ि सकि ध िगधा ि ि िढ़िा नारी-सलभ अििद 1273 अनदर स जयो दीििा िाला-िखण ि सि बाला छवव ि दीििा कछ सिकि परसि 1274 बद कली ि गिध जयो रििी ि िो बिद तयो इिचगि इक बिद ि िगधा-नदसिति ि ििद 1275 बाला न िडी-सरी ििस ककया दराव दःि तनवारक इक दवा रििा ि वि िाव 1276 द कर अतिशय मिलन सि दना दःि तनवार सिारक भावी ववरि का औrsquo तननदषपरय वयविार 1277 नायक शीिल घाट का बबछड राय यि बाि िर पिल िो गयी इन वलयो को जञाि 1278 कल िी गय ववयकि कर िर पयार नाथ पीलापन िन को मलय बीि गय हदन साि 1279 वलय दि किर सकि ध भी िथा दि तनर पाव यो उसन इिचगि ककया साथ गिन का भाव 1280 काि-रोग को परगट कर नयनो स कर सन यािन करना िो रिा सरीतव-लबध गण सरण

अधयाय 129 मिलन-उतकि ठा1281 िद िोना सिति िार स दशजन स उललास य गण निीि शराब ि रि काि क पास 1282 यहद आवगा काि िो बढ़ कर िाड सिान तिल भर भी नहिि िाहिय करना वपरय स िान 1283 यदयवप िनिानी कर बबन आदर की सन वपरयिि को दि बबना नयनो को नहिि िन 1284 गयी रठन री सिी करक िान-वविार िरा हदल वि भल कर मिलन को ियार 1285 किी को नहिि दिि यथा आिरि अकष उनकी भल न दििी रब ि नाथ सिकष 1286 रब वपरय को ि दििी निीि दििी दोष ना दि िो दििी कछ न छोड कर दोष 1287 कद यथा परवाि ि बाढ़ बिािी रान तनषिलिा को रान कर कया िो करि िान 1288 तननदापरद दि कयो न द िदयप को जयो पान तयो ि वििक र िि िरी छािी रान

1289 िदिर िो कर सिन स रो रििा ि काि बबरल रन को परापि ि उसका शभ पररणाि 1290 उतकि हठि ििस अचधक रिी मिलन हिि बाल िान हदिा कर नयन स गल लगी ितकाल

अधयाय 130 हदय स रठना1291 उनका हदल उनका रिा दि उनका साथ उस दि भी हदय ि कयो नहिि िर साथ 1292 वपरय को तनिजि दि भी lsquoव नहिि िो नाराज़rsquo यो वविार कर ि िला र हदल उनक पास 1293 र हदल रो ि कषट ि उनक ि नहिि इषट सो कया उनका वपछलगा बना यथा तनर इषट 1294 र हदल ि िो रठ कर बाद न ल सि-सवाद ििस कौन कर अभी ितसमबनधी बाि 1295 न मिल िो भय या मिल िो भिवय ववयोग िरा हदल ि चिर दिी ववयोग या सियोग 1296 ववरि दशा ि अलग रि रब करिी थी याद िानो िरा हदल िि िािा था रि साथ 1297 िढ हदय बििति रहिि निीि भलिा नाथ ि भली तनर लार भी पड कर इसक साथ 1298 नाथ-उपकषा तनिदय ि यो करक सवविार करिा उनका गण-सिरण यि हदल रीवन-पयार

1299 सिकट िोन पर िदद कौन करगा िाय रब कक तनरी हदल आपना करिा निीि सिाय 1300 बनध बन नहिि अनय रन ि यि सिर वविार रब अपना हदल िी निीि बनिा नािदार

अधयाय 131 िान1301 आमलिगन करना निीि ठिरो करक िान दि िि उनको ज़रा सिि िाप अिान 1302 जयो भोरन ि निक िो परणय-कलि तयो रान ज़रा बढ़ाओ िो उस जयादा निक सिान 1303 अगर िना कर ना मिलो रो करिी ि िान िो वि दखिया को यथा दना दि ििान 1304 उस िनाया यहद निीि रो कर बठी िान सिी वलली का यथा िल काटना रान 1305 कसि-नरयि वपरयििा रठ अगर यथषट शोभा दिी सरन को नदरनक गण ि शरषठ 1306 परणय-कलि यहद नहिि िआ और न थोडा िान कचिा या अति पकव सि काि-भोग-िल रान 1307 lsquoकया न बढ़गा मिलन-सिrsquo यो ि शिका-भाव परणय-कलि ि इसमलय रििा दिद सवभाव 1308 lsquoपीडडि िrsquo यो सिििी वपरया निीि रि राय िो सिन स वदना कया िी िल िो राय

1309 छाया क नीि रिा िो ि सिधर नीर वपरय स िो िो िधर ि परणय कलि-िासीर 1310 सि गयी रो िान स और रिी बबन छोि मिलनचछा उसस रिा िर हदल का िोि

अधयाय 132 िान की सकषििा1311 सभी नदसरया सि भाव स करिीि दग स भोग र ववट िर वकष स ि न कर सियोग 1312 िि बठी थीि िान कर छीिक गय िब नाथ यो वविार lsquoचिर रीवrsquo कि िि कर लगी बाि 1313 धर डाल का िल िो यो िोिी नाराज़ दशजनाथज औrsquo नारर स करि ि यि सार

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Thirukkural in Hindi

तिरककरळ (िमिल स हिनदी)3030

1314 lsquoसब स बढ़rsquo िन किा lsquoिि करि ि पयारrsquo lsquoककस ककस सrsquo कििी िई लगी रठन यार 1315 यो किन पर- िि निीि lsquoबबछडग इस रनिrsquo भर लायी दग सोि यि कया िो अगल रनि 1316 lsquoसिरण ककयाrsquo िन किा िो कयो बठ भल यो कि मिल बबना रिी पकड िान का िल 1317 छीिका िो कि शभ विन िभी बदल दी बाि lsquoकौन सिरण कर छीिक दीrsquo कि रोयी सववषाद 1318 छीिक दबािा ि रिा रोयी कि यि बन अपनी रो करिी सिरण उस तछपाि ि न 1319 अगर िनाऊ िो सिी यो कि िोिी रषट करि िोग अनय को इसी िरि स िषट 1320 दि यहद ि िगध िो यो कि करिी रार दि रि ि आप सब हदल ि ककस वविार

अधयाय 133 िान का आननद1321 यदयवप उनकी भल नहिि उनका परणय-ववधान परररि करिा ि िि करन क हिि िान 1322 िान रतनि लघ दःि स यदयवप वपरय का परि िरिा रािा ि ज़रा किर भी पािा कषि 1323 मिटzwjटी-पानी मिलन सि नदरस वपरय का सिपकज उनस िोि कलि स बढ़ कर ि कया सवगज 1324 मिलन साधय कर बबछडन दिा नहिि रो िान उसस आववभजि िो हतसिोटक सािान 1325 यदयवप वपरय तनदोष ि िदल वपरया का सकि ध छट रि रब मिलन स िब ि इक आननद 1326 िान स िाया िआ पिना सिकर रान काि-भोग हिि मिलन स अचधक सिद ि िान 1327 परणय-कलि ि रो ववनदरि उस रिा रय योग वि िो राना रायगा रब िोगा सियोग 1328 सवद-रनक सललाट पर मिलन रनय आननद परणय-कलि कर कया मिल किर वि िि अिनद 1329 रतनाभरण सरी वपरया कर और भी िान कर िनौिी िि यथा बढ़ राबर का िान 1330 रिा काि का िधर रस परणय-कलि अवगाि किर उसका ि िधर रस िधर मिलन सोतसाि

Millions thanks to that unknown Atma who translated this wonderful Tamil literature in Hindi शि शि वनदनIf somebody tells me the name of translator I will be more than happy to include his name here

Statue of Bhawan Thiruvalluvar

at Kanyakumari Tamilnadu

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