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TaittirÁya-ÓraÉyaka, Page 1 of 30 - 25.11.2005 - www.sanskritweb.net/yajurveda TaittirÁya-ÓraÉyaka Edited by Subramania Sarma, Chennai Proofread Version of November 2005 Chapter 10 [[10-0-0]] सह ना॑ववत ु। सह नौ॑ भन। सह वी॒य ॑ करवावहै। तजि ना॒वधी॑तम मा िव॑िषा॒वहै ॒॒ ̎शाि॒ शाि॒ शाि॑॥ [[10-1-1]] अ॑ पा॒र भव॑न नाक॑ पृ म॑हतो मही॑यान। शबण ोती िष समनिव॑ः जाप॑ितरित गभ॑ अः यि॑िद िच ैित सव यि॑वा अिध िव॑ िनष॒ः। तदव भत भ॑मा इद तदर॑ परम ो॑म। यना॑वत िदव॑ मह यना॑िदप॑ित तज॑सा॒ ाज॑सा च। यम॑मि कवयो॒ वय॑ि यदर॑ परम जाः। यत॑ सता जगत॑ सती॒ तोय॑न जी॒वाच॑सज भा ̎म। यदोष॑धीिभः पषा ̎िवव॑श भतािन॑ चराचरािण॑। अत॑ पर ना॒दणी॑यस ं॒ िपरा ̎र यह॑तो महा ं॒ ̎म। यद॑कममन॑प िव ॑ परा॒ण तम॑स पर॑ात॥ १॥ [[10-1-2]] तदवत समा॑दव परम क॑ वी॒नाम। ॒ं इा॒पत ब॑धा जा॒त जाय॑मान ििब॑भित भव॑न नािभ॑ तदवािा॒यसय चमा ̎

Taittiriya Aranyaka Prapathaka 10

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TaittirÁya-ÓraÉyaka Edited by Subramania Sarma, Chennai

Proofread Version of November 2005

Chapter 10 [[10-0-0]]

सह नाववत । सह नौ भन। सह वीय करवावह। तजि नावधीतम मा िविषावह । ॐ शाि शाि शाि॥ [[10-1-1]]

अ पार भवन म नाक प महतो महीयान। शबण ोती िष समनिवः जापितरित गभ अः । यििद स च िव चित सव यिवा अिध िव िनषः। तदव भत त भमा इद तदर परम ोम। यनावत ख च िदव मह च यनािदपित तजसा ाजसा च। यममि कवयो वयि यदर परम जाः। यत सता जगत सती तोयन जीवाचसज भा म। यदोषधीिभः पषा श िववश भतािन चराचरािण। अत पर नादणीयस िह परा र यहतो महा म। यदकममनप िव पराण तमस परात॥ १॥ [[10-1-2]]

तदवत त समादव परम कवीनाम। इापत बधा जात जायमान िव िबभित भवन नािभ । तदवािायसय चमा ।

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तदव शबममत त तदाप जापितः। सव िनमषा जिजञर िवत पषादिध। कला मताः काा ाहोराऽा सवशः। अधमासा मासा ऋतववसर काम। स आप घ उभ इम अिरमथो सव । ननम न ितयच न म पिरजमभत। न तश कन त नाम महश ॥ २॥ [[10-1-3]]

न सश ितित पम न चषा पयित कनन म। दा मनीषा मनसाऽिभलो य एन िवरमता भवि। अभतो िहरणयगभ इौ। एष िह दवः िदशोऽन सवा पव िह जात उ गभ अः। स िवजायमान जिनमाणः खा िित िवतोमखः। िवतत िवतोमखो िवतोह उत िवतात। स बाा नमित स पतऽावापिथवी जनयव एक । वनयिा भवनािन िवाऽ िव भवकनीळम। यििद स च िव चक स ओत ोत िवभः जास। तोच अमत न िवाव नाम िनिहत गहास॥ ३॥ [[10-1-4]]

ऽीिण पदा िनिहता गहास यद सिवतः िपता सत । स नो बजिनता स िवधाता धामािन वद भवनािन िवा । यऽ दवा अमतमानशानातीय धामा रय। पिर ावापिथवी यि सः पिर लोकािर िदश पिर सव । ऋत त िवतत िवच तदपयदभवजास। परी लोकारी भतािन परी सवा िदशो िदश। जापितः थमजा ऋतानाऽऽानमिभसबभव। सदसितमत ियिम का म। सिन मधामयािसषम।

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उी जातवदोऽपनिित मम॥ ४॥ [[10-1-5]]

पश ममावह जीवन च िदशो िदश। मा नो िहसीजातवदो गाम पष जगत। अिबद आगिह िौया मा पिरपातय। पष िव सहॐा महादव धीमिह। तो िः चोदयात। तषाय िवह महादवाय धीमिह। तो िः चोदयात। तषाय िवह वबतणडाय धीमिह। तो दिः चोदयात। तषाय िवह चबतणडाय धीमिह॥ ५॥ [[10-1-6]]

तो निः चोदयात। तषाय िवह महासनाय धीमिह। तणमखः चोदया त। तषा य िवह सवणपाय धीमिह। तो गडः चोदयात। वदानाय िवह िहरणयगभाय धीमिह। तो चोदयात। नारायणाय िवह वासदवाय धीमिह। तो िवः चोदया त। वळनखाय िवह तीद ाय धीमिह॥ ६॥ [[10-1-7]]

तो नारिसहः चोदयात। भाराय िवह महितकराय धीमिह। तो आिदः चोदयात। वानराय िवह लालीलाय धीमिह।

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तो अिः चोदयात। काायनाय िवह ककमािर धीमिह। तो िगः चोदया त। सहॐपरमा दवी शतमला शताकरा। सव हरत म पाप वा नाशनी। काणडााणडारोही पषःपष पिर॥ ७॥ [[10-1-8]]

एवा नो व तन सहॐण शतन च। या शतन तनोिष सहॐण िवरोहिस। ता दवीक िवधम हिवषा वयम। अबा रथबा िवबा वसरा। िशरसा धारियािम र मा पदपद। भिमधनधरणी लोकधािरणी। उताऽिस वराहण कन शतबाना। मिक हन म पाप यया त कतम। मिक दाऽऽिस कायपनािभमिता। मिक दिह म पि िय सव ितितम॥ ८॥ [[10-1-9]]

मिक ितित सव त िनणद मिक। तया हतन पापन गािम परमा गितम। यत इ भयामह ततो नो अभय किध। मघविध तव त ऊतय िविषो िवमधो जिह। िदा िवशितवऽहा िवमधो वशी। वष पर एत निदा अभयकरः। ि न इो वौवाि न पषा िववदाः। ि ना अिरनिमि नो बहितदधात। आपामपलभमा धिनिशमीवामा ऋजीषी। सोमो िवातसा वनािन नावािग ितमानािन दभः॥ ९॥

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[[10-1-10]]

जजञान थम पराि सीमत चो वन आवः। स बिया उपमा अ िवात योिनमसत िवव । ोना पिथिव भवा नरा िनवशनी। या नशम सथा । गारा राधषा िनपा करीिषणी म। ईिर सवभताना तािमहोपय िौयम । ौीम भजत। अलीम नयत। िवमखा व दवाछोिभिरमाोकाननपजमजयन। महा इो वळबाः षोडशी शम यत॥ १०॥ [[10-1-11]]

ि नो मघवा करोत ह पाान यो ऽाि। सोमान रण क णिह णत। कीव य औिशजम। शरीर यजञशमल कसीद ति सीदत यो ऽाि। चरण पिवऽ िवतत पराण यन पतरित तािन। तन पिवऽण शन पता अित पाानमराित तरम। सजोषा इ सगणो मि सोम िपब वऽहर िवान। जिह शऽ रप मधो नदाथाभय कणिह िवतो नः। सिमऽा न आप ओषधय िमऽा भयासय ऽाि य च वय िः। आपो िह ा मयोभवा न ऊज दधातन॥ ११॥ [[10-1-12]]

मह रणाय चस। यो विशवतमो रस भाजयतह न । उशतीिरव मातर । ता अर गमाम वो य याय िजथ। आपो जनयथा च नः।

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िहरणयग वण प तीथ म दिह यािचतः। यया भमसाधना पाप ितमहः। य मनसा वाचा कमणा वा त कतम। त इो वणो बहितिवता च पन पन पनः। नमोऽय ऽफसमत नम इाय नमो वणाय नमो वाणय नमोऽः॥ १२॥ [[10-1-13]]

यदपा बर यदम यदशा तदपगतात। अाशनादतीपानाच उमाितमहा त। तो वणो राजा पािणना वमशत। सोऽहमपापो िवरजो िनमो मिकिषः। नाक पमा ग सलोकताम। याफस वण पनाघमषणः । इम म गग यमन सरित शतिि ोम सचता पिया। अिसिया मध िवतयाऽऽजकीय णा सषोमया। ऋत च स चाभी ापसोऽजायत। ततो रािऽरजायत तत समिो अणवः॥ १३॥ [[10-1-14]]

समिादणवा दिध सवसरो अजायत। अहोराऽािण िवदधि िमषतो वशी। सयाचमसौ धाता यथापवमकयत। िदव च पिथव चािरमथो सव । यिथा रजमािर िवरोदसी। इमा दापो वणः पनाघमषणः। पन वसवः पनात वणः पनाघमषणः। एष भत म भवन गोा। एष पणयकता लोकानष मोिहरणमय म। ावापिथोिहरणमय सिौत सव॥ १४॥ [[10-1-15]]

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स नव िशशािध। आि वलित ोितरहमि। ोितवलित ाहमि। योऽहमि ाहमि। अहमि ाहमि। अहमवाह मा जहोिम ाहा । अकायकायवकीण नो णहा गतगः। वणोऽपामघमषणा ापामयत। रजोभिम मा रोदय वदि धीरा । आबासमिः थम िवधमजनयजा भवन राजा । वषा पिवऽ अिध सानो अ बहसोमो वावध सवान इ ॥ १५॥ पराशो िनिहत गहास मम चबतणडाय धीमिह तीद ाय धीमिह पिर ितित दभयत दधातनाो ऽणववो राजक च॥ १॥ िो ि दि नि षणमख एव च। गडो िव नारिस हथव च। आिदोऽि िग बमण ादशािस॥ म म व च म स व ना व भा व काायनाय॥ [[10-2-1]]

जातवदस सनवाम सोममरातीयतो िनदहाित वद । स न पषदित गािण िवा नावव िस िरताऽिः। तामिवणा तपसा वल वरोचन कमफलष जा म। गा दवी शरणमह प सतरिस तरस नम । अ पारया नो अाििभरित गािण िवा । प पी बला न उव भवा तोकाय तनयाय शयोः। िवािन नो गहा जातवदि न नावा िरताऽितपिष। अ अिऽ वनसा गणानो ऽाक बोिवता तनना म। पतनािजत सहमानमममि वम परमासधा त। स न पषदित गािण िवा ामवो अितिरताऽिः।

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ोिष कमीयो अरष सनाच होता न सिस। ा चा तनव िपया च सौभगमायज। गोिभजमयजो िनिष तव िवोरनसचरम। नाक पमिभ सवसानो वव लोक इह मादयाम॥ १६॥ िरताऽिािर च॥ २॥ [[10-3-1]]

भरमय पिथ ा हा भवोऽ वायवऽिराय ाहा सवरमािदाय िदव ाहा भभववर चमस िदाहा नमो दवधा िपतो भभववरमोम॥ १७॥॥ ३॥ [[10-4-1]]

भरय पिथ ाहा भवो वायवऽ िराय ाहा सवरािदाय िदव ाहा भभववमस िदाहा नमो दवधा िपतो भभववर ओम॥ १८॥॥ ४॥ [[10-5-1]]

भरय च पिथ च महत च ाहा भवो वायव चािराय च महत च ाहा सवरािदाय च िदव च महत च ाहा भभववमस च नऽ िद महत च ाहा नमो दवधा िपतो भभववमहरोम॥ १९॥॥ ५॥ [[10-6-1]]

पािह नो अ एनस ाहा। पािह नो िववदस ाहा। यजञ पािह िवभावसो ाहा। सव पािह शतबतो ाहा॥ २०॥॥ ६॥ [[10-7-1]]

पािह नो अ एकया। पात ितीयया। पाज ततीयया।

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पािह गीिभतसिभवसो ाहा ॥ २१॥॥ ७॥ [[10-8-1]]

यछसामषभो िवपछो ाािववश। सतािशयः परोवाचोपिनषिदो इियाय ऋिषो नमो दवधा िपतो भभववछ ओम॥ २२॥॥ ८॥ [[10-9-1]]

नमो ण धारण म अिनराकरण धारियता भयास कणयोौत मा यो व ममाम ओम॥ २३॥॥ ९॥ [[10-10-1]]

ऋत तप तपौत तपशा तपो दमपशमपो दान तपो यजञ तपो भभववतपा तप ॥ २४॥॥ १०॥ [[10-11-1]]

यथा व सपित राो वा व पणय कमणो राो वाित यथाऽिसधारा कतऽविहतामवबाम यव यव हवा िवियािम कत पितामीवममतादाान जग त॥ २५॥॥ ११॥ [[10-12-1]]

अणोरणीयाहतो महीयानाा गहाया िनिहतोऽ जोः । तमबत पयित वीतशोको धातः सादा िहमानमीशम। स ाणाः भवि ता ािचषिमध िजाः। स इम लोका यष चरि ाणा गहाशया िनिहतास। अतमिा िगरय सवऽा िसववपाः। अत िवा ओषधयो रसा च यनष भतिराा। ा दवाना पदवीः कवीनामिषिवाणा मिहषो मगाणा म। यनो गाणा िधितवनाना सोम पिवऽमित रभ। अजामका लोिहत शलका ब जा जनयी सपाम। अजो को जषमाणोऽनशत जहा ना भभोगामजो ऽः॥ २६॥

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[[10-12-2]]

हसशिचषसरिरसोता विदषदितिथरोणसत। नषरसतसोमसदब जा गोजा ऋतजा अििजा ऋत बहत। घत िमिमिर घतम योिनघत िौतो घतमव धाम। अनधमावह मादय ाहाकत वषभ वि हम। समिािममधमा उदारपाशना सममतमानट। घत नाम ग यदि िजा दवानाममत नािभ । वय नाम वामा घतनािजञ धारयामा नमोिभः। उप ा णवमान चतगोऽवमीौर एतत। चािर गा ऽयो अ पादा शीष स हासो अ। िऽधा बो वषभो रोरवीित महो दवो मा आिववश॥ २७॥ [[10-12-3]]

िऽधा िहत पिणिभगमान गिव दवासो घतमिव। इ एक सय एक जजान वनादक धया िनतः। यो दवाना थम परािािधयो िो महिष । िहरणयगभ पयत जाय मान स नो दवशभया ायन। यार नापरमि िकिचााणीयो न ायो ऽि कित। व इव ो िदिव ितकनद पण पषण सव म। न कमणा न जया धनन ागनक अमतमानशः । परण नाक िनिहत गहाया िवाजदततयो िवशि। वदािवजञानसिनिताथाासयोगातयशसा । त लोक त परा काल परामतािरमयि सव । द िवपाप परम मभत यणडरीक परमस म। तऽािप द गगन िवशोकिदपािसतम। यो वदादौ रः ोो वदा च ितितः। त कितलीन य पर महरः॥ २८॥ अजोऽ आिववश सव चािर च॥ १२॥ [[10-13-1]]

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सहॐ शीष दव िवा िवशभवम। िव नारायण दवमर परम पदम। िवत परमि िव नारायण हिरम। िवमवद पषिमपजीवित। पित िवार शात िशवमयतम। नारायण महाजञय िवाान परायणम। नारायणः परो ोितराा नारयणः परः। नारायणः पर त नारायणः परः। नारायणः परो ाता ान नारायणः परः। यच िकिचजगसव यत ौयतऽिप वा॥ २९॥ [[10-13-2]]

अबिह तसव ा नारायणिःतः। अनमय किव समिऽ िवशवम। पकोशतीकाश दय चाधोमखम। अधो िना िवता नाामपिर ितित। वालमालाकल भाती िवायतन महत। सत िसलािभ लाकोशसिभम। ता सिषर स ति सव ितितम। त म महानििवािचिवतोमखः। सोऽमभिवभजिाहारमजरः किवः। ितयगमधशायी रमय सता। सा पयित दहमापादतलमगः। त म वििशखा अणीयो ा वितः। नीलतोयदमािखव भारा। नीवारशकवी पीता भा णपमा। तािशखाया म परमा ा वितः। स स िशव हिर ोऽरः परमराट॥ ३०॥ अिप वा सता ष॥ १३॥

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[[10-14-1]]

आिदो वा एष एतणडल तपित तऽ ता ऋचचा मणडल स ऋचा लोकोऽथ य एष एतिणडलऽिचदत तािन सामािन स साा लोकोऽथ य एष एति णडलऽिचिष पषािन यज िष स यजषा मणडल स यजषा लोकषा ऽव िवा तपित य एषो ऽरािद िहरणमय पषः॥ ३१॥॥ १४॥ [[10-15-1]]

आिदो व तज ओजो बल यशौोऽमाा मनो ममनम ो िमऽो वायराकाशः ाणो लोकपालः कः िक क तसमममतो जीवो िव कतमयभ तदमत एष पष एष भतानामिधपितणाय सलोकतामाोतासामव दवताना साय सािता समानलोकतामाोित य एव वद पिनषत॥ ३२॥॥ १५॥ [[10-16-1]]

िनधनपतय नमः। िनधनपतािकाय नमः। ऊाय नमः। ऊिलगाय नमः। िहरणयाय नमः। िहरणयिलगाय नमः। सवणाय नमः। सवणिलगाय नमः। िदाय नमः। िदिलगाय नमः॥ ३३॥ [[10-16-2]]

भवाय नमः । भविलगाय नमः। शवाय नमः। शविलगाय नमः। िशवाय नमः। िशविलगाय नमः।

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वलाय नमः। वलिलगाय नमः। आाय नमः। आिलगाय नमः। परमाय नमः। परमिलगाय नमः। एतसोम सय सविलग ापयित पािणम पिवऽम॥ ३४॥॥ १६॥ [[10-17-1]]

सोजात पािम सोजाताय व नमो नम । भवभव नाितभव भव माम। भवोवाय नम ॥ ३५॥॥ १७॥ [[10-18-1]]

वामदवाय नमो ाय नमौाय नमो िाय नम कालाय नम कलिवकरणाय नमो बलिवकरणाय नमो बलाय नमो बलमथनाय नमवभतदमनाय नमो मनोनाय नम ॥ ३६॥॥ १८॥ [[10-19-1]]

अघोर ोऽथ घोर ो घोरघोरतरः। सवव शव ो नम अ िपः॥ ३७॥॥ १९॥ [[10-20-1]]

तषाय िवह महादवाय धीमिह। तो िः चोदयात॥ ३८॥॥ २०॥ [[10-21-1]]

ईशानविवानामीरवभताना ािधपितणोऽिधपिता िशवो म अ सदािशवोम॥ ३९॥॥ २१॥ [[10-22-1]]

नमो िहरणयबाहव िहरणयवणाय िहरणयपाय िहरणयपतयऽिकापतय उमापतय पशपतय

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नमो नमः॥ ४०॥॥ २२॥ [[10-23-1]]

ऋत स पर पष किपगलम। ऊरत िवपा िवपाय व नमो नम ॥ ४१॥॥ २३॥ [[10-24-1]]

सव व ि िाय नमो अ। पषो व िहो नमोनम । िव भ त भवन िचऽ बधा जात जायमान च यत। सव ष ि िाय नमो अ॥ ४२॥॥ २४॥ [[10-25-1]]

कििाय चतस मीढमाय तस। वोचम शतम द। सव ष ि िाय नमो अ॥ ४३॥॥ २५॥ [[10-26-1]]

य वककिहोऽहवणी भवित वाातयिथो िति॥ ४४॥॥ २६॥ [[10-27-1]]

कण पाज इित पच॥ ४५॥॥ २७॥ [[10-28-1]]

अिदितदवा गवा मना िपतरोऽसराषा सवभताना माता मिदनी महता मही सािवऽी गायऽी जगव पी बला िवा भता कतमा काया सा समतित विसः॥ ४६॥॥ २८॥ [[10-29-1]]

आपो वा इद सव िवा भतााप ाणा वा आप पशव आपोऽमापोऽमतमाप साडापो िवराडाप रा डापछा ापो ोतीापो यज ाप समाप सवा दवता आपो भभव सवराप ओम॥ ४७॥॥ २९॥

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[[10-30-1]]

आप पन पिथव पिथवी पता पनात माम। पन णित पता पनात माम॥ यिमभो या िरत मम। सव पन मामापोऽसता च ितमह ाहा॥ ४८॥॥ ३०॥ [[10-31-1]]

अि मा म मपतय मकतः। पापो राम। यदा पापमकाषम। मनसा वाचा हााम। पामदरण िशा। अहद वत। यिच िरत मिय। इदमह माममतयोनौ। स ोितिष जहोिम ाहा॥ ४९॥॥ ३१॥ [[10-32-1]]

सय मा म मपतय मकतः। पापो राम। यिािऽया पापमकाषम। मनसा वाचा हााम। पामदरण िशा। रािऽदवत। यिच िरत मिय। इदमह माममतयोनौ। सय ोितिष जहोिम ाहा॥ ५०॥॥ ३२॥ [[10-33-1]]

ओिमकार ।

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अिदवता इाषम। गायऽ छ परमा सपम। साय िविनयोगम॥ ५१॥॥ ३३॥ [[10-34-1]]

आयात वरदा दवी अर सितम। गायऽ छसा मातद जष म। यदात पाप तदा ितमयत। यिािऽयात पाप तिािऽया ितमयत। सववण महादिव सािव सरित ॥ ५२॥॥ ३४॥ [[10-35-1]]

ओजोऽिस सहोऽिस बलमिस ाजोऽिस दवाना धामनामाऽिस िवमिस िवायवमिस सवायरिभभर गायऽीमावाहयािम सिवऽीमावाहयािम सरतीमावाहयािम छषनावाहयािम िौयमावाहयािम गायिऽया गायऽीो िवािमऽ ऋिषिवता दवताऽिमख ा िशरो िवदय ििशखा पिथवी योिनः ाणापानानोदानसमाना साणा तवणा सायायनसगोऽा गायऽी चतिव शरा िऽपदा षटकि पचशीषपनयन िविनयोग । ओ भः। ओ भवः। ओ सवः। ओ महः। ओ जनः। ओ तपः॥ ओ सम। ओ तसिवतवर णय भग दव धीमिह। िधयो यो न चोदयात। ओमापो ोती रसोऽमत भभववरोम॥ ५३॥॥ ३५॥ [[10-36-1]]

उम िशखर जात भा पवतमधिन। ाणोऽनजञा ता ग दिव यथासखम।

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तो मया वरदा वदमाता चोदयी पवन िजाता। आयः पिथा ििवण वचस म दा जात लोकम॥ ५४॥॥ ३६॥ [[10-37-1]]

घिणय आिदो न भा वारम। मध रि तिस म। स व तिसमापो ोती रसोऽमत भभववरोम॥ ५५॥॥ ३७॥ [[10-38-1]]

मत माम। मधमत माम। मव मधमत माम। या सोम जा वसोऽिभ सो अहम। हह। या सोम ाणा ाजहोिम । िऽसपणमयािचत ाणाय दात। हा वा एत नि। य ा णािसपण पठि। त सोम ावि। आसहॐाि पनि। ओम॥ ५६॥॥ ३८॥ [[10-39-1]]

मधया । मध मधया । मव मध मधया । अा नो दव सिवतः जावावीौभगम। परा िय सव। िवािन दव सिवतिरतािन परासव। यि त आसव। मध वाता ऋतायत मध रि िसवः।

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माीनोषधीः। मध नमतोषिस मधमािथव रज। मध ौर नः िपता। मध माो वनितमधमा अ सय । माीगावो भव नः। य इम िऽसपणमयािचत ाणाय दात। णहा वा एत नि। य ा णािसपण पठि। त सोम ावि। आसहॐा ि पनि। ओम॥ ५७॥॥ ३९॥ [[10-40-1]]

मधवा । मध मधवा । मव मध मधवा । ा दवाना पदवीः कवीनामिषिवाणा मिहषो मगाणा म। यनो गाणा िधितवनाना सोम पिवऽमित रभ। हसशिचषसरिरसोता विदषदितिथरोणसत। नषरसतसोमसदब जा गोजा ऋतजा अििजा ऋत बहत। ऋच ा च ा सिमवि सिरतो न धना । अदा मनसा पयमानाः। घत धारा अिभचाकशीिम। िहरणययो वतसो म आसाम। तिसपण मधकलायी भजा मध दवता ः। तासत हरय तीर धा हाना अमत धारा म। य इद िऽसपणमयािचत ाणाय दात। वीरहा वा एत नि। य ा णाि सपण पठि। त सोम ावि।

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आसहॐाि पनि। ओम॥ ५८॥॥ ४०॥ [[10-41-1]]

मधा दवी जषमाणा न आगा िाची भिा समनमाना। या जा नदमाणा ा हदम िवदथ सवीरा । या ज ऋिष भवित दिव या ा गतौीत या । या जिऽ िवत वस सा नो जष ििवणो न मध॥ ५९॥॥ ४१॥ [[10-42-1]]

मधा म इो ददात मधा दवी सरती। मधा म अिनावभावाधा परॐजा। अरास च या मधा गवष च यन । दवी मधा सरती स मा मधा सरिभजषता ाहा॥ ६०॥॥ ४२॥ [[10-43-1]]

आ मा मधा सरिभिवपा िहरणयवणा जगती जगा। ऊजती पयसा िपमाना सा मा मधा सतीका जषाम॥ ६१॥॥ ४३॥ [[10-44-1]]

मिय मधा मिय जा मिजो दधात मिय मधा मिय जा मयी इिय दधात मिय मधा मिय जा मिय सय ाजो दधात॥ ६२॥॥ ४४॥ [[10-45-1]]

अपत मरमत न आगवतो नो अभय कणोत। पण वनतिरवािभ न शीयता रियचता नशचीपित ॥ ६३॥॥ ४५॥ [[10-46-1]]

पर मो अन परिह पा य इतरो दवयाना त। चत णवत त वीिम मा न जा रीिरषो मोत वीरान॥ ६४॥॥ ४६॥ [[10-47-1]]

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वात ाण मनसा ऽारभामह जापित यो भवन गोपाः। स नो मोायता पा हसो ोजीवा जरामशीमिह॥ ६५॥॥ ४७॥ [[10-48-1]]

अमऽभयादध यम बहत अिभशरमचः। ौहतामिना ममवानाम िभषजा शचीिभः ॥ ६६॥॥ ४८॥ [[10-49-1]]

हिर हरमनयि दवा िवशान वषभ मतीनाम। सपमन मदमागादयन मा िववधीिवबम॥ ६७॥॥ ४९॥ [[10-50-1]]

शरििमान उभौ लोकौ सनमहम। उभयो लकयोाऽित म तरा हम॥ ६८॥॥ ५०॥ [[10-51-1]]

मा िछदो मो मा वधीमा म बल िववहो मा मोषीः। जा मा म रीिरष आयम नचस ा हिवषा िवधम॥ ६९॥॥ ५१॥ [[10-52-1]]

मा नो महामत मा नो अभक मा न उमत मा न उितम। मा नो वधीः िपतर मोत मातर िया मा ननवो ि रीिरषः॥ ७०॥॥ ५२॥ [[10-53-1]]

मा नोक तनय मा न आयिष मा नो गोष मा नो अष रीिरषः। वीराा नो ि भािमतो वधीहिवो नमसा िवधम त॥ ७१॥॥ ५३॥ [[10-54-1]]

जापत न द ताो िवा जातािन पिर ता बभव। याम जमो अ वय ाम पतयो रयीणाम॥ ७२॥॥ ५४॥ [[10-55-1]]

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िदा िवशितवऽहा िवमधो वशी। वष पर एत निदा अभयकरः॥ ७३॥॥ ५५॥ [[10-56-1]]

क यजामह सगि पिवधनम। उवाकिमव बनाोमीय मामता त॥ ७४॥॥ ५६॥ [[10-57-1]]

य त सहॐमयत पाशा मो माय हव। ताजञ मायया सवानवयजामह॥ ७५॥॥ ५७॥ [[10-58-1]]

मव ाहा मव ाहा॥ ७६॥॥ ५८॥ [[10-59-1]]

दवकतनसोऽवयजनमिस ाहा । मनकतनसोऽवयजनमिस ाहा । िपतकतनसोऽवयजनमिस ाहा । आकतनसोऽवयजनमिस ाहा । अकतनसोऽवयजनमिस ाहा । अतनसोऽवयज नमिस ाहा । यिवा च न चनकम तावयजनमिस ाहा । यप जामतनकम तावयजनमिस ाहा । यसष जामतनकम तावयजनमिस ाहा । यिा सािवा सनकम तावयजनम िस ाहा । एनस एनसोऽवयजनमिस ाहा॥ ७७॥॥ ५९॥ [[10-60-1]]

यो दवाकम िजया ग मनसो वा यती दवहडनम। अरा वायो नो अिभ नायत तिदनो वसवो िनधतन ाहा ॥ ७८॥॥ ६०॥ [[10-61-1]]

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कामोऽकाषमो नमः। कामोऽकाषामः करोित नाह करोिम कामः कता नाह कता काम कारियता नाह कारियता एष त काम कामाय ाहा॥ ७९॥॥ ६१॥ [[10-62-1]]

मरकाष मो नमः। मरकाषः करोित नाह करोिम मः कता नाह कता म कारियता नाह कारियता एष त मो मव ाहा॥ ८०॥॥ ६२॥ [[10-63-1 ]]

ितलाजहोिम सरसा सिपाार मम िच रम ाहा॥ गावो िहरणय धनमपान सवषा िौय ाहा॥ िौय च ल च पि च कीित चाऽऽनणयताम। णय बपऽताम। ौामध जा ददात ाहा॥ ८१॥॥ ६३॥ [[10-64-1]]

ितलाः कािलातािलाौा वशानगाः। ितलाः पन म पाप यििचिरत मिय ाहा॥ चोरा नवौा हा गतगः। गोय सरापान णहा ितला शाि शमय ाहा॥ ौी ली पी कीित चाऽऽनणयताम। णय बपऽताम। ौामध जञा त जातवदददात ाहा॥ ८२॥॥ ६४॥ [[10-65-1]]

ाणापानानोदानसमाना म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। वानौोऽिजायाणरतो बाकितका म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। ममा सिधरमदोमजाायवोऽीिन म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा।

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िशरःपािणपादपापो दरजघिशोपपायवो म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। उि पष हिरत िपगल लोिहताि दिह दिह ददापियता म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा॥ ८३॥॥ ६५॥ [[10-66-1]]

पिथजो वायराकाशा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। शशपरसगा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। मनोवाकायकमािण म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। अभावरहकार ितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। आा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। अराा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा। परमाा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भया स ाहा। ध ाहा । िपासाय ाहा । िविव ाहा । ऋिवधानाय ाहा । कषो ाय ाहा । िपासामल ामलीनाशयाहम। अभितमसमि च सवािणद म पाान ाहा। अमयाणमयमनोमयिवजञानमयमानमयमाा म शा ोितरह िवरजा िवपाा भयास ाहा॥ ८४॥॥ ६६॥ [[10-67-1]]

अय ाहा । िव ो दवाहा । ीवाय भमाय ाहा । ीवितय ाहा । अयतितय ाहा । अय िकत ाहा ।

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धमाय ाहा । अधमाय ाहा । अाहा । ओषिधवनित ाहा॥ ८५॥ [[10-67-2]]

रोदवजनाहा । गा ाहा । अवसान ाहा । अवसानपिताहा । सवभताहा । कामाय ाहा । अिराय ाहा । यदजित जगित यच चित नाो भागोऽय ना ाहा । पिथ ाहा । अिराय ाहा ॥ ८६॥ [[10-67-3]]

िदव ाहा । सयाय ाहा । चमस ाहा । नऽाहा । इाय ा हा। बहतय ाहा । जापतय ाहा । ण ाहा । धा िपताहा । नमो िाय पशपतय ाहा ॥ ८७॥ [[10-67-4]]

दवाहा ।

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िपतधाऽ। भतो नम । मन ो हा। जापतय ाहा । परमिन ाहा । यथा कपशतधारहॐधारो अितः। एवा म अ धा सहॐधारमितम। धनधा ाहा। य भताः चरि िदवान बिलिमो िवतद ा । तो बिल पिकामो हरािम मिय पि पिपितदधात ाहा ॥ ८८॥ ओषिधवनिताहाऽिराय ाहा नमो िाय पशपतय ाहा िवतद ा एक च॥ ६७॥ [[10-68-1]]

ओ त। ओ तायः। ओ तदाा। ओ तसम। ओ तसव म। ओ तरोन मः। अरित भतष गहाया िवमितष। यजञ वषारिम ि िव जापितः। तदाप आपो ोती रसोऽमत भभववरोम॥ ८९॥॥ ६८॥ [[10-69-1]]

ौाया ाण िनिव ोऽमत जहोिम। ौायामपान िनिवोऽमत जहोिम। ौाया ान िनिवोऽमत जहोिम। ौायामदान िनिवोऽमत जहोिम। ौाया समान िनिवोऽमत जहोिम।

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िण म आाऽमताय। अमतोपरणमिस। ौा या ाण िनिवोऽमत जहोिम। िशवो मा िवशादाहाय। ाणाय ाहा । ौायामपान िनिवोऽमत जहोिम। िशवो मा िवशादाहाय। अपानाय ाहा । ौाया ान िनिवोऽमत जहोिम। िशवो मा िवशादाहाय। ानाय ा हा। ौायामदान िनिवोऽमत जहोिम। िशवो मा िवशादाहाय। उदानाय ाहा । ौाया समान िनिवोऽमत जहोिम। िशवो मा िवशादाहाय। समानाय ाहा । िण म आाऽमताय। अमतािपधानमिस॥ ९०॥॥ ६९॥ [[10-70-1]]

ौाया ाण िनिवयामत तम। ाणमनााय। ौायामपान िनिवयामत तम। अपानमनााय। ौाया ान िनिवयामत तम। ानमनााय। ौायामदान िनिवयामत तम। उदानम नााय। ौाया समान िनिवयामत तम।

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समानमनााय॥ ९१॥॥ ७०॥ [[10-71-1]]

अगमाऽः पषोऽग च समािौतः। ईशव जगतः भः ीणाित िवभक॥ ९२॥॥ ७१॥ [[10-72-1]]

वा आस। नसोः ाणः। अो । कणयोौोऽ म। बावोबल म। ऊवोरोज । अिरा िवागािन तनः। तनवा म सह नम अ मा मा िह सीः॥ ९३॥॥ ७२॥ [[10-73-1]]

वयपणा उपसिर ियमधा ऋषयो नाधमानाः। अप ामणिह प ि चममािधयऽव बान॥ ९४॥॥ ७३॥ [[10-74-1]]

ाणाना मिरिस िो मा िवशाकः। तनाना ाय॥ ९५॥॥ ७४॥ [[10-75-1]]

नमो िाय िवव मम पािह॥ ९६॥॥ ७५॥ [[10-76-1]]

म िभमाशश िणमममनिर। वन मोषधी नणा नपत जायस शिच ॥ ९७॥॥ ७६॥ [[10-77-1]]

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िशवन म सि ोनन म सि सभतन म सि वचसन म सि यजञिमन सि ोप त यजञ नम उप त नम उप त नमः॥ ९८॥॥ ७७॥ [[10-78-1]]

स पर पर स सन न सवगाोकाव कदाचन सता िह स ता स रम तप इित तपो नानशनार यि पर तपधष तराधष तापिस रम दम इित िनयत चािरणाम रम शम इरणय मनयमाम रम दानिमित सवािण भतािन श सि दानााितर ता ान रम धम इित धमण सविमद पिरगहीत धमाा ितर ताम रम जन इित भया सािया जाय ताियाः जनन रमऽय इाह तादय आधाताः अिहोऽिमाह तादिहोऽ रम यजञ इित यजञो िह दवाा जञ रम मानसिमित िवा सा िा स एव मानस रम ास इित ा ा िह परः परो िह ा तािन वा एतावरािण परा िस ास एवारचय एव वद पिनषत॥ ९९॥॥ ७८॥ [[10-79-1]]

ाजापो हािणप णय जापित िपतरमपससार िक भगवः परम वदीित त ोवाच सन वायरावाित सनािदो रोचत िदिव स वाचः िता स सव ितित ता स परम वदि तपसा दवा दवतामम आयपसष यवरिवपसा सपाणदामारातीपिस सव ितित ताप परम वदि दमन दााः िकिषमवधि दमन चािरणवरगमो भताना राधष दम सव ितित ताम परम वदि शमन शाािशवमाचरि शमन नाक मनयोऽिवमो भताना राधषम सव ितित ताम परम वदि दान यजञाना वथ दिणा लोक दातार सवभतापजीवि दाननारातीरपानद दान न िषो िमऽा भवि दान सव ितित ता ान परम वदि धम िव जगतः िता लोक धिम जा उपसपि धमण पापमपनदित धम सव ितित ता म परम वदि जनन व िता लोक साध जाया तानः िपतणामनणो भवित तदव ता अनण ता जनन परम वदयो व ऽयी िवा दवयान पा गाहप ऋिथवी रथरमाहायपचन यजरिर वामदमाहव नीयाम सवग लोको बहादीरम वदिहोऽ साय ातगहाणा िनिति सत यजञबतना ायण सवग लोक ोितादिहोऽ परम वदि यजञ इित यजञन िह दवा िदव गता य जञनासरानपानद यजञन िषो िमऽा भवि यजञ सव

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ितित ता जञ परम वदि मानस व ाजाप पिवऽ मानसन मनसा साध पयित मानसा ऋषयः जा असज मानस सव ितित ता ानस पर म वदि ास इामनीिषणो ाण ा िव कतमयभः जापितवसर इित सवसरोऽसावािदो य एष आिद पष परमी ाा यािभरािदपित रिमिभािभ पजो वषित पजनौ षिधवनतय जाय ओषिधवनितिभर भवन ाणाः ाणबल बलन तपपसा ौा ौया मधा मधया मनीषा मनीषया मनो मनसा शािशाा िच िचन ित ा ार ारण िवजञान िवजञान नाान वदयित ताद ददसवा णयतािन ददाााणा भवि भताना ाणमनो मनस िवजञान िवजञानादानो योिन वा एष पषः पचधा पचाा यन सविमद ोत पिथवी चािर च ौ िदशावारिदशा स व सविमद जग स भत स भ िजजञासल ऋतजा रियाौा सो महापसोविराजञाा तमव मनसा दा च भयो न ममपयािह िवाा ासमषा तपसामितिरमा वसरणवो िवभरिस ाण मिस सधाता मिस िवधजोदामिरिस वचदामिस सय ोदामिस चमस उपयामगहीतोऽिस ण ा महस ओिमाान यजीतत महोपिनषद दवाना ग य एव वद णो मिहमानमाोित ता णो मिहमानिमपिनषत॥ १००॥॥ ७९॥ [[10-80-1]]

तव िवषो यजञाा यजमानौा पी शरीरिममरो विदलमािन बिहवदिशखा दय यप काम आ मः पश पोऽिदमशमियता दिणा वाघोता ाण उाता चरयमनो ा ौोऽमीावियत सा दीा यदाित तिवयिबित तद सोमपान यिमत तपसदो यसचरपिवशित च स वय यख तदाहवनीयो या ाितरितयद िवजञान तजहोित यसाय ातरि तसिमध यातमिदन साय च तािन सवनािन य अहोराऽ त दशपणमासौ य ऽमासा मासा त चातमाािन य ऋतव पशबा य सवसरा पिरवसरा तऽहगणाववदस वा एतसऽ यरण तदवभथ एत जरामयमिहोऽ सऽ य एव िवानदगयन मीयत दवानामव मिहमान गाऽऽिद साय गथ यो दिण मीय त िपतणामव मिहमान गा चमस साय सलोकतामाोतौ व स याचमसो मिहमानौ ाणो िवानिभजयित ता णो मिहमानमाोित ता णो मिहमानिमपिनषत॥ १०१॥॥ ८०॥ अकपचाशरश त जातवदस चतदश भर भरय भरय चकमक पािह पािह चािर

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चािर यछसा नमो ण ऋत तपो यथा वकमकमणोरणीया ति शहॐशीष षिवशितरािदो वा एष आिदो व तज एकमक िन धनपतय ऽयोिवशितोजात ऽीिण वामदवायकमघोर षाय ईशानो नमो िहरणयबाहव एकमकमत स सव व चािर कििाय ऽीिण य वककती कण पाजोऽिदितरापो वा इदमकमकमाप पन चाय ि सय नव नवोिमित चायायात पचौजोऽिस दशोम चािर घिणीिण मत मा या हा ादश मधयाऽा न इम णहा मधवा ा दवानािमद वीरहामका िव शितर का िवशितमधा दवी मधा म इािर चाया मा मधा मिय मधामकमपत पर वात ाणममऽभयािर शरि मा िछदो मो मा नो महा मा नोक जापत िदा क य त सहॐमयत मव ाहक दवकतकादश यो दवा कामोऽकाषरकाष ितलाजहोिम गाविौय जाः पच ितलाः काोर ौीः जञात जातवद ाणवािर उि पच पिथवीशमनोवाााऽराा परमाा म धऽमय पचदशाय ाहकचािरशद नव ौाया ाण िनिवोऽमत जहोिम चतिव शितौाया ाण िनिवयामत तशागमाऽः पषो वा आसौ वय पणाः ाणाना मिरिस नमो िायक म िभ िशवन म सि स ाजापवमकमकमशीितः॥ ८०॥ अपार ि न पािह नो अ एकयाऽऽिदो वा एष ऋत समोिमा मा मधा मा नोक ितलाजहोिम ौाया ाण िनिवय तवमकोरशतम॥ १०१॥ [[10-0-0]]

सह नाववत। सह नौ भन। सह वीय करवावह। तजि नावधीतम मा िविषावह । ॐ शाि शाि शाि॥