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1 पचदशी पचदशी पचदशी पचदशी (ववेक ववेक ववेक ववेक – करण करण करण करण) थकार : ी वारय वामी यायाकार : वामी शंकरानद ॐ तसत् ी परमामने नम: ी पचदशी तावना तावना तावना तावना मानव मा के लए कयाणकार जीवन जीने का वधान वेद मे संहत है। वेद क ह अितम शा वेदात है। उसे उपनषद भी कहते ह। उसका परम पव ान मनय को सब कमष से म कर आनद , शाित और पणता दान कर देता है। बद लोग ाचन काल से ह उसका आदर करते आ रहे ह। पहले यह ान भारत म ह केित था, कत अब संसार क सभी भाषाओं म यह ान उपलध है। वैानक वकास के साथ आवागमन और सपक के साधन बढे और उसी के साथ यह ान भी दर -दर फैला। अय देश म इसका आदर होते देखकर हम भारतवासय ने भी अपने पवज के ारा आिजत इस सप का मय समझा और इसका अययन कर इसे अपने जीवन म लाने का यास कर रहे ह। वेद और उपनषद क भाषा तथा उनक शैल कछ जटल है अथवा यह कह क आधनक भाषाओं का योग कर रहे मनय के लए उनक भाषा अयास से बाहर होने के कारण कठन तीत होती है। इस समया का नवारण करने का यास पहले भी हआ है औ र अब भी हो रहा है। इसी कारण वेदात के नये-नये थ क रचना होती रहती है। शंकराचाय जी ने उपनष आद आष थ पर भाय लखकर

Panchadashi

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Panchadashi - Book on Vedanta

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Page 1: Panchadashi

1

ीीीी पचदशीपचदशीपचदशीपचदशी

(ववक ववक ववक ववक ndashndashndashndash करण करण करण करण))))

थकार ी वारय वामी

यायाकार वामी शकरानद

ॐ तसत

ी परमामन नम

ी पचदशी

तावनातावनातावनातावना

मानव मा क ampलए क)याणकार जीवन जीन का वधान वद म सहत ह वद क0

ह अितम ampश3ा वदात ह उस उप5नषद भी कहत ह8 उसका परम पव 9ान

मनय को सब क)मष स म= कर आनद शाित और पणAता दान कर दता ह बBद लोग ाDचन काल स ह उसका आदर करत आ रह ह8 पहल यह 9ान भारत मE ह किFत था Gकत अब ससार क0 सभी भाषाओ मE यह 9ान उपलIध ह

व9ा5नक वकास क साथ आवागमन और सJपकA क साधन बढ और उसी क साथ

यह 9ान भी दर-दर फला अय दशN मE इसका आदर होत दखकर हम भारतवाampसयN न भी अपन पवAजN क Qारा आिजAत इस सJपR का म)य समझा और इसका

अBययन कर इस अपन जीवन मE लान का यास कर रह ह8

वद और उप5नषदN क0 भाषा तथा उनक0 शल कछ जVटल ह अथवा यह कहE Gक आध5नक भाषाओ का योग कर रह मनयN क ampलए उनक0 भाषा अXयास स बाहर होन क कारण कVठन तीत होती ह इस समया का 5नवारण करन का यास

पहल भी हआ ह औ र अब भी हो रहा ह इसी कारण वदात क नय-नय थN क0

रचना होती रहती ह शकराचायA जी न उप5नषZ आVद आषA थN पर भाय ampलखकर

2

उनका तापयA प[ Gकया ह और उहNन वदात-दशAन पर अनक थ भी ampलख

ह8 उनक बाद उनक ampशयN और अनया5ययN न भी इस Vदशा म यास जार रखा

उनक0 रचनाओ मE ी वारय वामी क कई थ बड महवपणA और या5ता^

ह8 व भगवान शकराचायA Qारा थापत ग_रमठ क आचायA पद पर सन १३७७ स

१३८६ तक आसीन रह व वद-भाय रच5यता ी सायण क भाई थ और वय भी बड

वQान थ उहोन पचदशी सवAदशAन-सह ी शकर Vदिfवजय जीवन-मg= ववक

अनभ5त काश ववरण मय सह उप5नषZ दपका आVद कई थ ampलख ह8

hfhiय ववक पतक क रच5यता भगवान शकराचायA ह8 अथवा वारय वा मी इस

वषय म ववाद ह

ी वारय वामी क0 अय सभी रचनाओ क0 अप3ा पचदशी अDधक लोकय

हई ह इसम अQत वदात का 5नjपण kमबl प[ और सवतार हआ ह यप इसम वरोधी मतN क खडन का यास नह Gकया गया ह Gफर भी 5तपा वषय

को प[ करन क ampलए उनमE दोष अवiय Vदखाय गय ह8 थ का मय उmiय वदात मE jDच रखन वाल यg=यN को उसका सखपवAक सJयक 9ान कराना ह ह

लखक न इस वषय का माण उप5नषZ माना ह इसampलए मN को उnत करन म

कोई सकोच नह Gकया गया ह तकA उप5नषZ 5तपाVदत सय का अनगामी रहा ह तदनoप अनभव ा^ करना उसका अितम माण ह उसक साथ वदात 9ान का फल जड़ा हआ ह qr और आमा क एकव 9ान क अनभव मE ह ककयता मg= और परमानद क0 उपलिIध ह

हमार समत दखN का अितम कारण अ9ान ह अ9ान क कारण ह हम अपन

सवjप को भलकर असत शरर आVद को ह अपना oप मान बठ ह8 दहामबिBद

क कारण हम वकार मरणधमाA और 3F बन गय जगत क वषयN को सय

सखदायी और म)यवान समझ कर उनमE आस= हो गय यह sा5त बन रहन तक

दख स छटकारा नह हो सकता

वदात-दशAन sा5त और दख स म= होन क ampलए वचार और ववक का मागA शत करता ह ववक बिBद सत -असत का वtषण करती ह यवहार क छोट स

दायर मE हम सब ववकवान ह8 Gकत द खNGक आयितक 5नवR क ampलए इतना ववक पयाA^ नह ह घर क भीतर एक बाampलका सफाई करत समय इतना ववक

रखती ह Gक अनपयोगी कड़ा vया ह िजस घर क बाहर फE क दना चाVहए उपयोगी वतओ को वह सभाल कर घर म रखती ह Gकत जब उसक0 मा उस पडोसी क घर खलन नह जान दती तो उस यह समझना कVठन हो जाता ह Gक इसमE मा का vया

ववक ह बड होन पर वह जान जाती ह Gक उसका vया रहय था वय मा बनन

3

पर वह अपनी पी को उसी कार क0 ampश3ा दती ह वदात -दशAन हमE ववकवान

बनन क ampलए इसक आग ल जाता ह वह समत वy को अपन वचार का वषय

बनाकर सत-असत का ववक करन क ampलए _रत करता ह यह ववक का अितम

oप ह

सभी वदात थN मE सत और असत क0 प_रभाषायE दकर अपन बाहर-भीतर उनGक

पहचान करन Gक Gkया बताई गयी ह यहा अपनी सRा स वत jप मE वमान

5नय और 5नवAकार वत को सत वीकार Gकया जाता ह इन ल3णN वाल वत एक ह ह उस आमा कहत ह8 वह परमामा या qr ह इसक अ5त_र= जो कछ नाम-oपामक भाampसत होता ह वह असत या ampमzया ह हमार समया यह ह Gक हम

असत नामoपामक वकारN को ह सत समझत ह8 और उह को अपनी सRा

समझत ह8

इस असत क मायाजाल स 5नकल कर अपन वातवक आम -वoप को

खोजना और पहचानना ह वदात क अनसार हमार जीवन का चरम लय ह इसक ampलए अनक उपाय बताय जात ह8 उनमE स कछ अवथाय ववक पचकोश ववक

F[ाhय ववक महाभत ववक आVद ह8 इन उपायN स अपना वह वoप ampमल जाता ह िजस जानकर हम अपन को अमर पणA अभय और आनदमय पात ह8

Bयान दन क0 बात यह ह Gक ववक वचार क0 यह Gkया हम वत oप स

अपना कर कभी सफल नह हो सकत इस मागA पर सफलतापवAक आग बढ लोगN का अनभव ह Gक अयDधक वल3ण पjष भी अपन आप वचार कर आम9ान नह ा^ कर सकत उहE पवA सफलता ा^ आम9ानी पjषN क मख स वदात 9ान का वण करत हए उ प5नषZ आVद थN का अBययन और उनक महावाvयN क अथA

का Dचतन करना चाVहए वण क Qारा 9ान होता ह Gक हमार पवA धारणायE ampमzया थी उनका याग कर अब नयी धारणायE बनानी चाVहए यह कायA करन क

ampलए मनन करन क0 Gkया उपयोगी ह इस कार वण और मनन क अXयास स

आम9ान होन पर उसक0 5न|ा बनाय रखन का यास 5नVदBयासन ह योग-दशAन

मE यय एकतानता को Bयान कहत ह8 और वदात मE वह 5नVदBयासन ह

उRम अDधका_रयN को वण मा स ह आम9ान हो सकता ह Gकत अय साधकN को मनन और 5नVदBयासन का अXयास करना अप3त होता ह ारिJभक साधक

को आम-Dचतन एक क)पना मा तीत होती ह Gकत उस शा~ सJमत मान कर 5नरतर करत रहन स वतत आमा Gक उपलिIध होती ह साधना क फलवoप

4

आम-सा3ाकार होना और उसमE त5^ का अ नभव कवल क)पना या ampमzया धारणा नह ह उसका माण यह ह Gक Gकसी अय 9ान क Qारा उसका बाध नह होता

आम9ानी पoष ह जीवनम= ह वह शरर मE रहत हए मg= का आनद अनभव करता ह यप उस अपन ampलए शरर क0 अप3ा नह रहती Gकत वह शर र क0

सहायता स अय लोगN को अपनी अनभ5तयN क Qारा मागA -दशAन द सकता ह

इसampलए जीवम= पjष अपन आप मE परqr परमामावoप ह8 और समाज क ampलए बीच समF मE खड दप तJभ क समान उवल आदशA ह8 उह क Qारा मानवता

का वकास होता ह और यह जगत सवAसाधारण क ampलए रहन योfय बनता ह

पचदशी थ क पFह अBयायN मE ी वारय वामी न इस वदात

वा का वतत ववचन Gकया ह सभी अBयाय अपन आप मE पणA होत हए भी व सब ampमलकर थ को सब कार स उपयोगी बना दत ह8 सJपणA थ तीन भाग मE वभ= ह थम पाच अBयाय ववक नाम स दसर पाच अBयाय दप नाम स और

अितम पाच अBयाय आनद नाम स अampभVहत Gकए गए ह8 इसस 9ात होता ह Gक

ववक नामक अBयाओ मE सत वत क0 खोज क0 गयी ह दप नामक अBयाओ मE

उस सत का अनभव कराया गया ह और आनद नामक अBयाओ मE उस वत क आनद का 5नoपण ह हम यह भी कह सकत ह8 Gक समत थ मE परमामा का

ह 5तपादन Gकया गया ह ववक नामक थम पचक मE उसक सत वoप का दप

नामक दसर पचक मE उसक Dचत वoप का और अितम आनद नामक पचक मE

उसक आनद वoप का 5तपादन Gकया गया ह इसी kम स हम ववक Qारा

असत वत का याग कर सत वjप आमा को पहचानन का यास करत ह8 Gफर

उसक Dचत वoप का अनभव कर उसक आनदवoप तक पहच जात ह8 अपन

आमा मE ह परमानद का अनभव कर पणAता ा^ हो जाती ह

यक-तव-ववक नामक पहल अBयाय मE सJपणA थ का सार तत कर Vदया गया ह उसी का वतार शष समत अBयायN मE हआ ह दसरा अBयाय पचमहाभत -ववक ह इसमE परमामा क0 शg= माया स समत पाचभौ5तक स[ क0 उपR Vदखा कर सवoप परमामा और असत या ampमzयाoप स[ क बीच ववक Gकया गया ह इस ववक स उपन 9ान-h[ मE एक सवoप परमामा ह सवA

Vदखाई दन लगता ह मायामय जगत 5तरोVहत हो जाता ह इसी क साथ सम त

भौ5तक vलश भी समा^ हो जात ह8 और जीवभाव का भी अत हो जाता ह (२१०४)

5

पचकोश-ववक क Qारा भी हम इसी 5नणAय पर पहचत ह8 उसका वतत वणAन तीसर अBयाय मE ह अनमय आVद पाच कोश हमार सवoप आमा पर एक कार

क आवरण ह8 मज क0 घास स उसक0 पRया हटाकर जस अदर क0 सीक 5नकाल

ल जाती ह अथवा सVदAयN मE पहन हए अनक व~N को एक -एक कर उतार दत ह8

और अपन शरर तक पहच जात ह8 उसी कार अनमय ाणमय मनोमय व9ानमय

और आनदमय कोशN को अनामा समझ कर जब हम अपनी h[ अपन 5नय

अितव क0 और फरत ह8 तो हमE अपन आमा का अनभव होता ह

चौथ अBयाय मE ईyरकत और जीवकत दो कार क0 स[यN का वणAन Gकया गया ह पहल स[ जगत और दसर स[ ससार जीव न वय ससार क0 रचना कर अपन

ampलय समया उपन क0 ह यVद शा~ 9ान स वह अपना ससार 5नरत कर द तो

उस म= होन मE दर नह यहा ससार का वणAन बड प[ oप मE हआ ह

पाचवा अBयाय चार महावाvयN का ववचन कर आमा और परमामा क0 एकता का

5नoपण करता ह

छठा अBयाय Dचदप ह उसम व~ पर बन Dच का h[ात दकर कटथ पर नाम -

oपामक जगत क0 रचना बताई गयी ह व~ पर रगो क Qारा जड़ भampम जल पवAत

क0 रचना और पश प3ी मनय आVद चतन णयN क0 रचना Vदखाई जाती ह8 इसी कार कटथ परमामा पर आDत होकर समत जगत का वतार हआ ह जगत तो कभी ह कभी नह भी ह Gकत कटथ सदा वमान ह उसका 5नषध नह हो सकता यह कटथ ह सबका आमा ह इस सवoप आमाका 9ान ह पणAता ह त5^दप नामक सातवE अBयाय मE इसी पणAता का वणAन ह इसी मE परम त5^ ह बहदारयक उप5नषZ का एक tोक आमान चVQजानीयात (४४१२) 9ानी क0

इस िथ5त का वणAन करता ह और यह २९८ tोकN का अBयाय उसी एक tोक क0

याया करता ह

कटथदप नामक आठवE अBयाय मE कटथ आमा का पन 5नoपण Gकया ह और

उसक सवाADध|ान 5नवAकार 5नलप और अवनाशी ल3णN क0 तकA क Qारा थापना

क0 ह उRम अDधकार पjष वचार Qारा ह उसका 9ान ा^ कर लत ह8 Gकत

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 2: Panchadashi

2

उनका तापयA प[ Gकया ह और उहNन वदात-दशAन पर अनक थ भी ampलख

ह8 उनक बाद उनक ampशयN और अनया5ययN न भी इस Vदशा म यास जार रखा

उनक0 रचनाओ मE ी वारय वामी क कई थ बड महवपणA और या5ता^

ह8 व भगवान शकराचायA Qारा थापत ग_रमठ क आचायA पद पर सन १३७७ स

१३८६ तक आसीन रह व वद-भाय रच5यता ी सायण क भाई थ और वय भी बड

वQान थ उहोन पचदशी सवAदशAन-सह ी शकर Vदिfवजय जीवन-मg= ववक

अनभ5त काश ववरण मय सह उप5नषZ दपका आVद कई थ ampलख ह8

hfhiय ववक पतक क रच5यता भगवान शकराचायA ह8 अथवा वारय वा मी इस

वषय म ववाद ह

ी वारय वामी क0 अय सभी रचनाओ क0 अप3ा पचदशी अDधक लोकय

हई ह इसम अQत वदात का 5नjपण kमबl प[ और सवतार हआ ह यप इसम वरोधी मतN क खडन का यास नह Gकया गया ह Gफर भी 5तपा वषय

को प[ करन क ampलए उनमE दोष अवiय Vदखाय गय ह8 थ का मय उmiय वदात मE jDच रखन वाल यg=यN को उसका सखपवAक सJयक 9ान कराना ह ह

लखक न इस वषय का माण उप5नषZ माना ह इसampलए मN को उnत करन म

कोई सकोच नह Gकया गया ह तकA उप5नषZ 5तपाVदत सय का अनगामी रहा ह तदनoप अनभव ा^ करना उसका अितम माण ह उसक साथ वदात 9ान का फल जड़ा हआ ह qr और आमा क एकव 9ान क अनभव मE ह ककयता मg= और परमानद क0 उपलिIध ह

हमार समत दखN का अितम कारण अ9ान ह अ9ान क कारण ह हम अपन

सवjप को भलकर असत शरर आVद को ह अपना oप मान बठ ह8 दहामबिBद

क कारण हम वकार मरणधमाA और 3F बन गय जगत क वषयN को सय

सखदायी और म)यवान समझ कर उनमE आस= हो गय यह sा5त बन रहन तक

दख स छटकारा नह हो सकता

वदात-दशAन sा5त और दख स म= होन क ampलए वचार और ववक का मागA शत करता ह ववक बिBद सत -असत का वtषण करती ह यवहार क छोट स

दायर मE हम सब ववकवान ह8 Gकत द खNGक आयितक 5नवR क ampलए इतना ववक पयाA^ नह ह घर क भीतर एक बाampलका सफाई करत समय इतना ववक

रखती ह Gक अनपयोगी कड़ा vया ह िजस घर क बाहर फE क दना चाVहए उपयोगी वतओ को वह सभाल कर घर म रखती ह Gकत जब उसक0 मा उस पडोसी क घर खलन नह जान दती तो उस यह समझना कVठन हो जाता ह Gक इसमE मा का vया

ववक ह बड होन पर वह जान जाती ह Gक उसका vया रहय था वय मा बनन

3

पर वह अपनी पी को उसी कार क0 ampश3ा दती ह वदात -दशAन हमE ववकवान

बनन क ampलए इसक आग ल जाता ह वह समत वy को अपन वचार का वषय

बनाकर सत-असत का ववक करन क ampलए _रत करता ह यह ववक का अितम

oप ह

सभी वदात थN मE सत और असत क0 प_रभाषायE दकर अपन बाहर-भीतर उनGक

पहचान करन Gक Gkया बताई गयी ह यहा अपनी सRा स वत jप मE वमान

5नय और 5नवAकार वत को सत वीकार Gकया जाता ह इन ल3णN वाल वत एक ह ह उस आमा कहत ह8 वह परमामा या qr ह इसक अ5त_र= जो कछ नाम-oपामक भाampसत होता ह वह असत या ampमzया ह हमार समया यह ह Gक हम

असत नामoपामक वकारN को ह सत समझत ह8 और उह को अपनी सRा

समझत ह8

इस असत क मायाजाल स 5नकल कर अपन वातवक आम -वoप को

खोजना और पहचानना ह वदात क अनसार हमार जीवन का चरम लय ह इसक ampलए अनक उपाय बताय जात ह8 उनमE स कछ अवथाय ववक पचकोश ववक

F[ाhय ववक महाभत ववक आVद ह8 इन उपायN स अपना वह वoप ampमल जाता ह िजस जानकर हम अपन को अमर पणA अभय और आनदमय पात ह8

Bयान दन क0 बात यह ह Gक ववक वचार क0 यह Gkया हम वत oप स

अपना कर कभी सफल नह हो सकत इस मागA पर सफलतापवAक आग बढ लोगN का अनभव ह Gक अयDधक वल3ण पjष भी अपन आप वचार कर आम9ान नह ा^ कर सकत उहE पवA सफलता ा^ आम9ानी पjषN क मख स वदात 9ान का वण करत हए उ प5नषZ आVद थN का अBययन और उनक महावाvयN क अथA

का Dचतन करना चाVहए वण क Qारा 9ान होता ह Gक हमार पवA धारणायE ampमzया थी उनका याग कर अब नयी धारणायE बनानी चाVहए यह कायA करन क

ampलए मनन करन क0 Gkया उपयोगी ह इस कार वण और मनन क अXयास स

आम9ान होन पर उसक0 5न|ा बनाय रखन का यास 5नVदBयासन ह योग-दशAन

मE यय एकतानता को Bयान कहत ह8 और वदात मE वह 5नVदBयासन ह

उRम अDधका_रयN को वण मा स ह आम9ान हो सकता ह Gकत अय साधकN को मनन और 5नVदBयासन का अXयास करना अप3त होता ह ारिJभक साधक

को आम-Dचतन एक क)पना मा तीत होती ह Gकत उस शा~ सJमत मान कर 5नरतर करत रहन स वतत आमा Gक उपलिIध होती ह साधना क फलवoप

4

आम-सा3ाकार होना और उसमE त5^ का अ नभव कवल क)पना या ampमzया धारणा नह ह उसका माण यह ह Gक Gकसी अय 9ान क Qारा उसका बाध नह होता

आम9ानी पoष ह जीवनम= ह वह शरर मE रहत हए मg= का आनद अनभव करता ह यप उस अपन ampलए शरर क0 अप3ा नह रहती Gकत वह शर र क0

सहायता स अय लोगN को अपनी अनभ5तयN क Qारा मागA -दशAन द सकता ह

इसampलए जीवम= पjष अपन आप मE परqr परमामावoप ह8 और समाज क ampलए बीच समF मE खड दप तJभ क समान उवल आदशA ह8 उह क Qारा मानवता

का वकास होता ह और यह जगत सवAसाधारण क ampलए रहन योfय बनता ह

पचदशी थ क पFह अBयायN मE ी वारय वामी न इस वदात

वा का वतत ववचन Gकया ह सभी अBयाय अपन आप मE पणA होत हए भी व सब ampमलकर थ को सब कार स उपयोगी बना दत ह8 सJपणA थ तीन भाग मE वभ= ह थम पाच अBयाय ववक नाम स दसर पाच अBयाय दप नाम स और

अितम पाच अBयाय आनद नाम स अampभVहत Gकए गए ह8 इसस 9ात होता ह Gक

ववक नामक अBयाओ मE सत वत क0 खोज क0 गयी ह दप नामक अBयाओ मE

उस सत का अनभव कराया गया ह और आनद नामक अBयाओ मE उस वत क आनद का 5नoपण ह हम यह भी कह सकत ह8 Gक समत थ मE परमामा का

ह 5तपादन Gकया गया ह ववक नामक थम पचक मE उसक सत वoप का दप

नामक दसर पचक मE उसक Dचत वoप का और अितम आनद नामक पचक मE

उसक आनद वoप का 5तपादन Gकया गया ह इसी kम स हम ववक Qारा

असत वत का याग कर सत वjप आमा को पहचानन का यास करत ह8 Gफर

उसक Dचत वoप का अनभव कर उसक आनदवoप तक पहच जात ह8 अपन

आमा मE ह परमानद का अनभव कर पणAता ा^ हो जाती ह

यक-तव-ववक नामक पहल अBयाय मE सJपणA थ का सार तत कर Vदया गया ह उसी का वतार शष समत अBयायN मE हआ ह दसरा अBयाय पचमहाभत -ववक ह इसमE परमामा क0 शg= माया स समत पाचभौ5तक स[ क0 उपR Vदखा कर सवoप परमामा और असत या ampमzयाoप स[ क बीच ववक Gकया गया ह इस ववक स उपन 9ान-h[ मE एक सवoप परमामा ह सवA

Vदखाई दन लगता ह मायामय जगत 5तरोVहत हो जाता ह इसी क साथ सम त

भौ5तक vलश भी समा^ हो जात ह8 और जीवभाव का भी अत हो जाता ह (२१०४)

5

पचकोश-ववक क Qारा भी हम इसी 5नणAय पर पहचत ह8 उसका वतत वणAन तीसर अBयाय मE ह अनमय आVद पाच कोश हमार सवoप आमा पर एक कार

क आवरण ह8 मज क0 घास स उसक0 पRया हटाकर जस अदर क0 सीक 5नकाल

ल जाती ह अथवा सVदAयN मE पहन हए अनक व~N को एक -एक कर उतार दत ह8

और अपन शरर तक पहच जात ह8 उसी कार अनमय ाणमय मनोमय व9ानमय

और आनदमय कोशN को अनामा समझ कर जब हम अपनी h[ अपन 5नय

अितव क0 और फरत ह8 तो हमE अपन आमा का अनभव होता ह

चौथ अBयाय मE ईyरकत और जीवकत दो कार क0 स[यN का वणAन Gकया गया ह पहल स[ जगत और दसर स[ ससार जीव न वय ससार क0 रचना कर अपन

ampलय समया उपन क0 ह यVद शा~ 9ान स वह अपना ससार 5नरत कर द तो

उस म= होन मE दर नह यहा ससार का वणAन बड प[ oप मE हआ ह

पाचवा अBयाय चार महावाvयN का ववचन कर आमा और परमामा क0 एकता का

5नoपण करता ह

छठा अBयाय Dचदप ह उसम व~ पर बन Dच का h[ात दकर कटथ पर नाम -

oपामक जगत क0 रचना बताई गयी ह व~ पर रगो क Qारा जड़ भampम जल पवAत

क0 रचना और पश प3ी मनय आVद चतन णयN क0 रचना Vदखाई जाती ह8 इसी कार कटथ परमामा पर आDत होकर समत जगत का वतार हआ ह जगत तो कभी ह कभी नह भी ह Gकत कटथ सदा वमान ह उसका 5नषध नह हो सकता यह कटथ ह सबका आमा ह इस सवoप आमाका 9ान ह पणAता ह त5^दप नामक सातवE अBयाय मE इसी पणAता का वणAन ह इसी मE परम त5^ ह बहदारयक उप5नषZ का एक tोक आमान चVQजानीयात (४४१२) 9ानी क0

इस िथ5त का वणAन करता ह और यह २९८ tोकN का अBयाय उसी एक tोक क0

याया करता ह

कटथदप नामक आठवE अBयाय मE कटथ आमा का पन 5नoपण Gकया ह और

उसक सवाADध|ान 5नवAकार 5नलप और अवनाशी ल3णN क0 तकA क Qारा थापना

क0 ह उRम अDधकार पjष वचार Qारा ह उसका 9ान ा^ कर लत ह8 Gकत

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 3: Panchadashi

3

पर वह अपनी पी को उसी कार क0 ampश3ा दती ह वदात -दशAन हमE ववकवान

बनन क ampलए इसक आग ल जाता ह वह समत वy को अपन वचार का वषय

बनाकर सत-असत का ववक करन क ampलए _रत करता ह यह ववक का अितम

oप ह

सभी वदात थN मE सत और असत क0 प_रभाषायE दकर अपन बाहर-भीतर उनGक

पहचान करन Gक Gkया बताई गयी ह यहा अपनी सRा स वत jप मE वमान

5नय और 5नवAकार वत को सत वीकार Gकया जाता ह इन ल3णN वाल वत एक ह ह उस आमा कहत ह8 वह परमामा या qr ह इसक अ5त_र= जो कछ नाम-oपामक भाampसत होता ह वह असत या ampमzया ह हमार समया यह ह Gक हम

असत नामoपामक वकारN को ह सत समझत ह8 और उह को अपनी सRा

समझत ह8

इस असत क मायाजाल स 5नकल कर अपन वातवक आम -वoप को

खोजना और पहचानना ह वदात क अनसार हमार जीवन का चरम लय ह इसक ampलए अनक उपाय बताय जात ह8 उनमE स कछ अवथाय ववक पचकोश ववक

F[ाhय ववक महाभत ववक आVद ह8 इन उपायN स अपना वह वoप ampमल जाता ह िजस जानकर हम अपन को अमर पणA अभय और आनदमय पात ह8

Bयान दन क0 बात यह ह Gक ववक वचार क0 यह Gkया हम वत oप स

अपना कर कभी सफल नह हो सकत इस मागA पर सफलतापवAक आग बढ लोगN का अनभव ह Gक अयDधक वल3ण पjष भी अपन आप वचार कर आम9ान नह ा^ कर सकत उहE पवA सफलता ा^ आम9ानी पjषN क मख स वदात 9ान का वण करत हए उ प5नषZ आVद थN का अBययन और उनक महावाvयN क अथA

का Dचतन करना चाVहए वण क Qारा 9ान होता ह Gक हमार पवA धारणायE ampमzया थी उनका याग कर अब नयी धारणायE बनानी चाVहए यह कायA करन क

ampलए मनन करन क0 Gkया उपयोगी ह इस कार वण और मनन क अXयास स

आम9ान होन पर उसक0 5न|ा बनाय रखन का यास 5नVदBयासन ह योग-दशAन

मE यय एकतानता को Bयान कहत ह8 और वदात मE वह 5नVदBयासन ह

उRम अDधका_रयN को वण मा स ह आम9ान हो सकता ह Gकत अय साधकN को मनन और 5नVदBयासन का अXयास करना अप3त होता ह ारिJभक साधक

को आम-Dचतन एक क)पना मा तीत होती ह Gकत उस शा~ सJमत मान कर 5नरतर करत रहन स वतत आमा Gक उपलिIध होती ह साधना क फलवoप

4

आम-सा3ाकार होना और उसमE त5^ का अ नभव कवल क)पना या ampमzया धारणा नह ह उसका माण यह ह Gक Gकसी अय 9ान क Qारा उसका बाध नह होता

आम9ानी पoष ह जीवनम= ह वह शरर मE रहत हए मg= का आनद अनभव करता ह यप उस अपन ampलए शरर क0 अप3ा नह रहती Gकत वह शर र क0

सहायता स अय लोगN को अपनी अनभ5तयN क Qारा मागA -दशAन द सकता ह

इसampलए जीवम= पjष अपन आप मE परqr परमामावoप ह8 और समाज क ampलए बीच समF मE खड दप तJभ क समान उवल आदशA ह8 उह क Qारा मानवता

का वकास होता ह और यह जगत सवAसाधारण क ampलए रहन योfय बनता ह

पचदशी थ क पFह अBयायN मE ी वारय वामी न इस वदात

वा का वतत ववचन Gकया ह सभी अBयाय अपन आप मE पणA होत हए भी व सब ampमलकर थ को सब कार स उपयोगी बना दत ह8 सJपणA थ तीन भाग मE वभ= ह थम पाच अBयाय ववक नाम स दसर पाच अBयाय दप नाम स और

अितम पाच अBयाय आनद नाम स अampभVहत Gकए गए ह8 इसस 9ात होता ह Gक

ववक नामक अBयाओ मE सत वत क0 खोज क0 गयी ह दप नामक अBयाओ मE

उस सत का अनभव कराया गया ह और आनद नामक अBयाओ मE उस वत क आनद का 5नoपण ह हम यह भी कह सकत ह8 Gक समत थ मE परमामा का

ह 5तपादन Gकया गया ह ववक नामक थम पचक मE उसक सत वoप का दप

नामक दसर पचक मE उसक Dचत वoप का और अितम आनद नामक पचक मE

उसक आनद वoप का 5तपादन Gकया गया ह इसी kम स हम ववक Qारा

असत वत का याग कर सत वjप आमा को पहचानन का यास करत ह8 Gफर

उसक Dचत वoप का अनभव कर उसक आनदवoप तक पहच जात ह8 अपन

आमा मE ह परमानद का अनभव कर पणAता ा^ हो जाती ह

यक-तव-ववक नामक पहल अBयाय मE सJपणA थ का सार तत कर Vदया गया ह उसी का वतार शष समत अBयायN मE हआ ह दसरा अBयाय पचमहाभत -ववक ह इसमE परमामा क0 शg= माया स समत पाचभौ5तक स[ क0 उपR Vदखा कर सवoप परमामा और असत या ampमzयाoप स[ क बीच ववक Gकया गया ह इस ववक स उपन 9ान-h[ मE एक सवoप परमामा ह सवA

Vदखाई दन लगता ह मायामय जगत 5तरोVहत हो जाता ह इसी क साथ सम त

भौ5तक vलश भी समा^ हो जात ह8 और जीवभाव का भी अत हो जाता ह (२१०४)

5

पचकोश-ववक क Qारा भी हम इसी 5नणAय पर पहचत ह8 उसका वतत वणAन तीसर अBयाय मE ह अनमय आVद पाच कोश हमार सवoप आमा पर एक कार

क आवरण ह8 मज क0 घास स उसक0 पRया हटाकर जस अदर क0 सीक 5नकाल

ल जाती ह अथवा सVदAयN मE पहन हए अनक व~N को एक -एक कर उतार दत ह8

और अपन शरर तक पहच जात ह8 उसी कार अनमय ाणमय मनोमय व9ानमय

और आनदमय कोशN को अनामा समझ कर जब हम अपनी h[ अपन 5नय

अितव क0 और फरत ह8 तो हमE अपन आमा का अनभव होता ह

चौथ अBयाय मE ईyरकत और जीवकत दो कार क0 स[यN का वणAन Gकया गया ह पहल स[ जगत और दसर स[ ससार जीव न वय ससार क0 रचना कर अपन

ampलय समया उपन क0 ह यVद शा~ 9ान स वह अपना ससार 5नरत कर द तो

उस म= होन मE दर नह यहा ससार का वणAन बड प[ oप मE हआ ह

पाचवा अBयाय चार महावाvयN का ववचन कर आमा और परमामा क0 एकता का

5नoपण करता ह

छठा अBयाय Dचदप ह उसम व~ पर बन Dच का h[ात दकर कटथ पर नाम -

oपामक जगत क0 रचना बताई गयी ह व~ पर रगो क Qारा जड़ भampम जल पवAत

क0 रचना और पश प3ी मनय आVद चतन णयN क0 रचना Vदखाई जाती ह8 इसी कार कटथ परमामा पर आDत होकर समत जगत का वतार हआ ह जगत तो कभी ह कभी नह भी ह Gकत कटथ सदा वमान ह उसका 5नषध नह हो सकता यह कटथ ह सबका आमा ह इस सवoप आमाका 9ान ह पणAता ह त5^दप नामक सातवE अBयाय मE इसी पणAता का वणAन ह इसी मE परम त5^ ह बहदारयक उप5नषZ का एक tोक आमान चVQजानीयात (४४१२) 9ानी क0

इस िथ5त का वणAन करता ह और यह २९८ tोकN का अBयाय उसी एक tोक क0

याया करता ह

कटथदप नामक आठवE अBयाय मE कटथ आमा का पन 5नoपण Gकया ह और

उसक सवाADध|ान 5नवAकार 5नलप और अवनाशी ल3णN क0 तकA क Qारा थापना

क0 ह उRम अDधकार पjष वचार Qारा ह उसका 9ान ा^ कर लत ह8 Gकत

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 4: Panchadashi

4

आम-सा3ाकार होना और उसमE त5^ का अ नभव कवल क)पना या ampमzया धारणा नह ह उसका माण यह ह Gक Gकसी अय 9ान क Qारा उसका बाध नह होता

आम9ानी पoष ह जीवनम= ह वह शरर मE रहत हए मg= का आनद अनभव करता ह यप उस अपन ampलए शरर क0 अप3ा नह रहती Gकत वह शर र क0

सहायता स अय लोगN को अपनी अनभ5तयN क Qारा मागA -दशAन द सकता ह

इसampलए जीवम= पjष अपन आप मE परqr परमामावoप ह8 और समाज क ampलए बीच समF मE खड दप तJभ क समान उवल आदशA ह8 उह क Qारा मानवता

का वकास होता ह और यह जगत सवAसाधारण क ampलए रहन योfय बनता ह

पचदशी थ क पFह अBयायN मE ी वारय वामी न इस वदात

वा का वतत ववचन Gकया ह सभी अBयाय अपन आप मE पणA होत हए भी व सब ampमलकर थ को सब कार स उपयोगी बना दत ह8 सJपणA थ तीन भाग मE वभ= ह थम पाच अBयाय ववक नाम स दसर पाच अBयाय दप नाम स और

अितम पाच अBयाय आनद नाम स अampभVहत Gकए गए ह8 इसस 9ात होता ह Gक

ववक नामक अBयाओ मE सत वत क0 खोज क0 गयी ह दप नामक अBयाओ मE

उस सत का अनभव कराया गया ह और आनद नामक अBयाओ मE उस वत क आनद का 5नoपण ह हम यह भी कह सकत ह8 Gक समत थ मE परमामा का

ह 5तपादन Gकया गया ह ववक नामक थम पचक मE उसक सत वoप का दप

नामक दसर पचक मE उसक Dचत वoप का और अितम आनद नामक पचक मE

उसक आनद वoप का 5तपादन Gकया गया ह इसी kम स हम ववक Qारा

असत वत का याग कर सत वjप आमा को पहचानन का यास करत ह8 Gफर

उसक Dचत वoप का अनभव कर उसक आनदवoप तक पहच जात ह8 अपन

आमा मE ह परमानद का अनभव कर पणAता ा^ हो जाती ह

यक-तव-ववक नामक पहल अBयाय मE सJपणA थ का सार तत कर Vदया गया ह उसी का वतार शष समत अBयायN मE हआ ह दसरा अBयाय पचमहाभत -ववक ह इसमE परमामा क0 शg= माया स समत पाचभौ5तक स[ क0 उपR Vदखा कर सवoप परमामा और असत या ampमzयाoप स[ क बीच ववक Gकया गया ह इस ववक स उपन 9ान-h[ मE एक सवoप परमामा ह सवA

Vदखाई दन लगता ह मायामय जगत 5तरोVहत हो जाता ह इसी क साथ सम त

भौ5तक vलश भी समा^ हो जात ह8 और जीवभाव का भी अत हो जाता ह (२१०४)

5

पचकोश-ववक क Qारा भी हम इसी 5नणAय पर पहचत ह8 उसका वतत वणAन तीसर अBयाय मE ह अनमय आVद पाच कोश हमार सवoप आमा पर एक कार

क आवरण ह8 मज क0 घास स उसक0 पRया हटाकर जस अदर क0 सीक 5नकाल

ल जाती ह अथवा सVदAयN मE पहन हए अनक व~N को एक -एक कर उतार दत ह8

और अपन शरर तक पहच जात ह8 उसी कार अनमय ाणमय मनोमय व9ानमय

और आनदमय कोशN को अनामा समझ कर जब हम अपनी h[ अपन 5नय

अितव क0 और फरत ह8 तो हमE अपन आमा का अनभव होता ह

चौथ अBयाय मE ईyरकत और जीवकत दो कार क0 स[यN का वणAन Gकया गया ह पहल स[ जगत और दसर स[ ससार जीव न वय ससार क0 रचना कर अपन

ampलय समया उपन क0 ह यVद शा~ 9ान स वह अपना ससार 5नरत कर द तो

उस म= होन मE दर नह यहा ससार का वणAन बड प[ oप मE हआ ह

पाचवा अBयाय चार महावाvयN का ववचन कर आमा और परमामा क0 एकता का

5नoपण करता ह

छठा अBयाय Dचदप ह उसम व~ पर बन Dच का h[ात दकर कटथ पर नाम -

oपामक जगत क0 रचना बताई गयी ह व~ पर रगो क Qारा जड़ भampम जल पवAत

क0 रचना और पश प3ी मनय आVद चतन णयN क0 रचना Vदखाई जाती ह8 इसी कार कटथ परमामा पर आDत होकर समत जगत का वतार हआ ह जगत तो कभी ह कभी नह भी ह Gकत कटथ सदा वमान ह उसका 5नषध नह हो सकता यह कटथ ह सबका आमा ह इस सवoप आमाका 9ान ह पणAता ह त5^दप नामक सातवE अBयाय मE इसी पणAता का वणAन ह इसी मE परम त5^ ह बहदारयक उप5नषZ का एक tोक आमान चVQजानीयात (४४१२) 9ानी क0

इस िथ5त का वणAन करता ह और यह २९८ tोकN का अBयाय उसी एक tोक क0

याया करता ह

कटथदप नामक आठवE अBयाय मE कटथ आमा का पन 5नoपण Gकया ह और

उसक सवाADध|ान 5नवAकार 5नलप और अवनाशी ल3णN क0 तकA क Qारा थापना

क0 ह उRम अDधकार पjष वचार Qारा ह उसका 9ान ा^ कर लत ह8 Gकत

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

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ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

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जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

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समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

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वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

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भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

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याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 5: Panchadashi

5

पचकोश-ववक क Qारा भी हम इसी 5नणAय पर पहचत ह8 उसका वतत वणAन तीसर अBयाय मE ह अनमय आVद पाच कोश हमार सवoप आमा पर एक कार

क आवरण ह8 मज क0 घास स उसक0 पRया हटाकर जस अदर क0 सीक 5नकाल

ल जाती ह अथवा सVदAयN मE पहन हए अनक व~N को एक -एक कर उतार दत ह8

और अपन शरर तक पहच जात ह8 उसी कार अनमय ाणमय मनोमय व9ानमय

और आनदमय कोशN को अनामा समझ कर जब हम अपनी h[ अपन 5नय

अितव क0 और फरत ह8 तो हमE अपन आमा का अनभव होता ह

चौथ अBयाय मE ईyरकत और जीवकत दो कार क0 स[यN का वणAन Gकया गया ह पहल स[ जगत और दसर स[ ससार जीव न वय ससार क0 रचना कर अपन

ampलय समया उपन क0 ह यVद शा~ 9ान स वह अपना ससार 5नरत कर द तो

उस म= होन मE दर नह यहा ससार का वणAन बड प[ oप मE हआ ह

पाचवा अBयाय चार महावाvयN का ववचन कर आमा और परमामा क0 एकता का

5नoपण करता ह

छठा अBयाय Dचदप ह उसम व~ पर बन Dच का h[ात दकर कटथ पर नाम -

oपामक जगत क0 रचना बताई गयी ह व~ पर रगो क Qारा जड़ भampम जल पवAत

क0 रचना और पश प3ी मनय आVद चतन णयN क0 रचना Vदखाई जाती ह8 इसी कार कटथ परमामा पर आDत होकर समत जगत का वतार हआ ह जगत तो कभी ह कभी नह भी ह Gकत कटथ सदा वमान ह उसका 5नषध नह हो सकता यह कटथ ह सबका आमा ह इस सवoप आमाका 9ान ह पणAता ह त5^दप नामक सातवE अBयाय मE इसी पणAता का वणAन ह इसी मE परम त5^ ह बहदारयक उप5नषZ का एक tोक आमान चVQजानीयात (४४१२) 9ानी क0

इस िथ5त का वणAन करता ह और यह २९८ tोकN का अBयाय उसी एक tोक क0

याया करता ह

कटथदप नामक आठवE अBयाय मE कटथ आमा का पन 5नoपण Gकया ह और

उसक सवाADध|ान 5नवAकार 5नलप और अवनाशी ल3णN क0 तकA क Qारा थापना

क0 ह उRम अDधकार पjष वचार Qारा ह उसका 9ान ा^ कर लत ह8 Gकत

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 6: Panchadashi

6

मBयम अDधकार Dचतन Qारा अपना DचR उसमE थापत करत ह8 इस Dचतन

कया का वणAन Bयानदप नामक नवE अBयाय मE Gकया गया ह उसमE सJवाद और

वसJवाद sम का अतर बता कर यह Vदखाया गया ह क0 Bयान-साधना सJवाद

sम का एक कार ह और उसस सत क0 ा5^ होना सहज वाभवक ह 5नगAण qr का Dचतन करन पर Dचतनीय वत यप मन क0 क)पना ह Gकत उसक फलवoप सवoप qr क0 उपलिIध होती ह

दसवE अBयाय मE 5नया5नय और F[ा-hय का ववक करन मE दप क काश मE हो

रह नाटक का उदाहरण Vदया गया ह राज-सभा मE दपक जल रहा ह राजा तथा

अय सभासद आकर अपन आसनN पर बठत ह8 नय करन वाला समाज और वादक आकर अपना नाटक ारJभ करत ह8 राजसभा मE उपिथत य सभी लोग दपक क

काश स काampशत होत ह8 सभा समा^ होती ह और सब लोग चल जात ह8 क3

खाल हो जाता ह उस भी दपक काampशत करता ह इसी कार सा3ी चतय

अतकरण क0 सभी वRयN को काampशत करता ह और सष^ावथा या तरयावथा मE उनक न होन को भी काampशत करता ह वह सा3ी चतय वRयN क होन या न होन स Gकसी कार भावत नह होता वह सदा 5नलप ह रहता ह

आमा आनदवoप भी ह इसक आनद का अनभव करना ह आम9ान ह तकA Qारा भी ampसBद Gकया जा सकता ह क0 आमा परम मवoप होन क कारण

आनदवoप ह इस वषय का ववचन अितम पाच अBयायN मE Gकया गया ह इस

कार समत थ वदात क सभी प3N का गहराई स वतत ववचन करता ह

इसस साधकN को वचार और Dचतन कर अपन लय तक पहचन म बड़ी सवधा होती ह इसampलए वदात-साधकN क बीच यह थ बहत चampलत उपयोगी और ampसl

हआ ह

-वामी शकरानद

मधना

कानपर २०९२१७

१० ampसतJबर - १९९४

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

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ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

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जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 7: Panchadashi

7

ॐ तसतॐ तसतॐ तसतॐ तसत

ी परमाी परमाी परमाी परमामन नममन नममन नममन नम

अBयाय अBयाय अBयाय अBयाय ११११

यकयकयकयक----तवतवतवतव----ववकववकववकववक

मगलाचरणमगलाचरणमगलाचरणमगलाचरण

थकार ी वारय वामी न थ क0 रचना ारJभ करन क पवA दो tोकN मE परमामवoप गj क0 वदना क0 ह इस मगलाचरण कहत ह8 इसका उmiय थ का 5नवAन समा^ होना और अBययन करन वालN क ampलए क)याणकार होना ह

यह ampश[जन परJपरा भी ह

नमनमनमनम ीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमनीशकरानद गjपादाJबजमन

सवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAणसवलास महामोह ाहासक कमAण

वलास सVहत महामोह oपी ाह का ास कर जाना ह िजसका मय काम ह ऐस शकरानद गj पादाJबजN को म8 नमका र करता ह

याया - ी वारय वामी क गj ह8 ी शकरानद महाराज उनका मरण कर और उनक चरण कमलN क0 वदना कर थ ारJभ Gकया जाता ह गj -वदना मE

उनक0 मVहमा भी गाई गयी ह साथ ह उनक 5त अपनी भिvR भी kट क0 गयी

ह इसस यह सDचत होता ह Gक गj का मय कायA ampशय क मोह का नाश करना ह और ampशय को इसका अDधकार बनन क ampलए गj -चरणN मE hढ भg= रखनी चाVहए

कोई भी वा गj -कपा स ह ा^ होती ह वदात 9ान तो गj स ह ा^ होता ह गj क0 कपा स ह अ9ान न[ होकर दय मE शBद 9ान और आनद का काश होता ह8 इसampलए अBयाम वा क िज9ास ampशय को अपन गj मE ईyर भाव रखकर भg= करनी चाVहए

यय दव परा भg=यAथा दव तथा गरौ

तयत कDथता थाA काशत महामन

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 8: Panchadashi

8

िजस महामा क दय मE परमामा क 5त परम भg= हो और वसी ह भg= गj मE भी हो उस शा~ मE कह गय धमA अथA काम और मो3 oप अथA अथवा 5त मE कDथत वचनN का अथA काampशत होता ह

5तया आमा और परमामा क0 एकता का 9ान क राती ह गj -कपा स वह 9ान दय मE कट होता ह 5तयN न वय इस बात पर बल Vदया ह छादोfय उप5नषZ क अनसार आचायAवान पjषो वद -अथाAत आचायA (गj ) क0 सवा करन वाल

को ह यह 9ान ा^ होता ह मडक उप5नषZ मE कहा गया ह Gक तव 9ान क0

िज9ासा होन पर गj क पास जाना चाVहए तVQ9ानाथ स

गjमवाampभगछसampमपाण ोय qr5न|म-अथाAत िज9ास को हाथ मE सampमधा लकर ोय और qr5न| गj क0 शरण म जाना चाVहए इस 5त -वचन मE सj क ल3ण भी बता Vदय गय ह8

जो वत िजसक पास होती ह उसी स ampमल सकती ह द_रF मनय धनवान स ह धन ा^ कर सकता ह बध हय मनय को वह छडा सकता ह जो वय छटा हो यVद दो यg= दो खJभN मE रसी स बध हN तो व म= होन मE एक दसर क0 सहायता नह कर सकत उनक अ5त_र= जब कोई तीसरा म= मनय उनक पास आय और उन पर कपा कर तभी व म= हो सकत ह8 इसी कार गj होन का वह अDधकार ह जो वय मोहम= ह िजसन शाi का अBययन Gकया ह वह दसर को उसका अBययन करन मE सहायता कर सकता ह मडक और कठोप5नषZ मE बध हय मनय का h[ात दकर यह tोक कहा गया ह -

अवायमतर वतAमाना

वय धीरा पिडJमयमाना

दFJयमाणा प_रयित मढा

अधनव नीयमाना यथाधा

अवा क भीतर रहत हय भी अपन आपको बlमान और वQान मानन वाल व

मखA लोग नाना यो5नयN मE चारN ओर भटकत हए ठक उसी कार ठोकरE खात ह8

जस अध मनय क Qारा चलाय जान वाल अध अपन लय तक नह पहचत

तापयA यह ह Gक मनय को ऐस गj क पास जाना चाVहए िजसक 9ान क न खल हN और वय मोहम= होकर आमानद मE रमण कर रहा हो ी शकरानद महाराज ऐस ह गj ह8 उनक चरण कमलN क0 कपा स मोह और उसक प_रणामवoप होन वाल दख आVद सब ampमट जात ह8 वारय वामी को इसका यg=गत अनभव ह

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 9: Panchadashi

9

ससार-सागर क जल मE कमल भी उपन होत ह8 और मगर भी मगर सभी जल-

जतओ को खा जाता ह Gकत कमल को नह खाता कमल जल मE रहत हए भी उसस असग रहता ह इसी कार गj और ampशय दोनN ससार मE पड तीत होत ह8 Gकत ampशय तो मछल बन कर मोहoपी मगर क मख मE दब जाता ह Gकत गj कमल बन कर जल क ऊपर खला सन रहता ह वह अपनी सगध और शोभा सब और वक0णA करता ह वह अपना आदशA तत कर ampशय को असग और 9ानवान बनन क0 रणा दता ह आयA क0 बात यह ह Gक ाह जस भयकर मोह

को अ5त कोमल चरण-कमल भी स जान मE समथA ह8 तापयA यह ह Gक इस

भयकर kर ससार पर वजय पान क ampलए उसस भी अDधक दधAषA बनन क0 न आवiयकता ह और उDचत ह ह कोमल सिवक भाव आिजAत कर दया 3मा और

भg= Qारा ह उस पर वजय पायी जा सकती ह एक छोट अ9ान को न[ करन क

ampलए एक बडा अ9ान समथA नह होता अ9ान को 9ान ह न[ कर सकता ह

कमल और ाह क oपक गj-कपा क0 मVहमा भी सDचत करत ह8 ऐसा ampसl ह Gक भगवान शकरचायA न अपन मदम5त ampशय तोटक को अपनी कपा स 9ानवान बना

Vदया अय ampशय िजस उप3ा क0 h[ स दखत थ वह तोटक छद का रच5यता

बन गया उसक मख स सहसा tोकN का शl उचारण सनकर सभी लोग आयA मE रह गय अत गj -कपा स असभव भी सभव बन जाता ह

इस tोक क0 रचना इतनी कशलता स हई ह Gक इसक Qारा थ का अनबध चत[य भी सDचत हो जाता ह थ क0 रचना क ारJभ मE थकार अपनी क5त क वषय मE चार सचनायE दता ह उह अनबध चत[य कहत ह8 वषय सJबध योजन और

अDधकार-इन चारN का सJबध ह अनबध ह वदात थN का 5तपा वषय

आमा और qr क0 एकता होती ह इस tोक मE शकर qr ह और आनद आमा

ह दोनN क0 एकता शकरानद ह वषय और थ का सJबध 5तपा-5तपादक

सबध ह थ का योजन उसक0 रचना का उmiय होता ह महामोह का नाश और

आम9ान क Qारा परमानद क0 5^ कराना ह इसका योजन सDचत होता ह यVद कहो Gक इस योजन स तो पहल ह अनक थN क0 रचना हो चक0 ह तो अगल

tोक मE कहEग सखबोधाय अथाAत सरलता स आम9ान होना ह इसका वशष

योजन ह अDधकार वह ह िजसका दय मE गj -चरणN क0 भg= ह अितम दो

योजनN का वतत उ)लख अगल tोक मE Gकया गया ह

तपादाJबoह QQ सवा5नमAल चतसाम

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 10: Panchadashi

10

सखबोधाय तवय ववकोsय वधीयत२ उन दोनN पाद-पN क0 सवा स िजनका DचR 5नमAल हो गया ह उहE सखपवAक तव

का 9ान करान क ampलए इस ववक क0 रचना क0 जा रह ह याया-तपाद-उन ी शकरानद महाराज क चरण िजनका उ)लख पछल tोक मE

हो चका ह वहा गj -पादाJबजमन पद एक वचन मE रखा गया था याकरण क

जा5तवादकवचनम 5नयम स एक जा5त क0 अनक वतओ क ampलए एक वचन का

योग हो सकता ह यहा QQ कहकर गj क दोनN पदN क0 ओर Bयान Vदलाया गया

ह व दोनN चरण 9ान और वराfय ह8 उनक0 सवा करन स DचR 5नमAल होता ह और

आम-सख का अनभव होता ह DचR वषयN क मल स मलन होता ह उस साफ

Gकय बना उस पर आम-9ान का रग नह चढता वषयN मE राग न रहन स DचR

5नमAल हो जाता ह और उसमE परमामा का काश कट हो जान स आनद छा जात

ह ववक वराfय षसJपR और मम3व साधन चतय कहलात ह8 इन गणN स

सJपन पjष तव9ान का अDधकार होता ह अत इह गणN को अDधकार पjष

का ल3ण भी मानत ह8 5नय और अ5नय वत क0 पहचान करन वाल बिBद का

नाम ह ववक वषय सख क0 अ5नयता समझ कर उनका राग याग दना वराfय

ह शम दम उपर5त 5त5त3ा Bदा और समाधान य षसJपRया ह8 अBयाम पथ

पर इह क बल पर ग5त होती ह इसampलए इहE आBयािमक सJपR कहत ह8

कमA-बधन और उसस ा^ होन वाल जम-मय क दखN को हय समझकर उनस

छटकारा पान क0 बल इछा का नाम मम3ा ह ऐस DचR-शBद अDधकार को तवबोध करान क ampलए थकार यक-तव-ववक

नामक इस करण क0 रचना करत ह उपाDध रVहत 5नमAल शBद वत को तव

कहत ह8 यहा तव का तापयA सिचदानद घन परqr ह वह अपना सवoप ह

शरर आVद उपाDधयN स पथक कर उसका अनभव ा^ करना तव-ववक ह

आमआमआमआम चतनाचतनाचतनाचतना क0क0क0क0 5नयता5नयता5नयता5नयता

जीव का शn वoप आमा ह सत Dचत और आनद उसक ल3ण ह8 यिvR और

अनभव क Qारा इनका बोध करान क ampलए पहल आमा क0 सयता ampसn करत ह8

इस Gkया स 9ात स अ9ात क0 ओर जात ह8 शIदपशाAदयो वा वDचयाजागर पथक

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 11: Panchadashi

11

ततो वभ=ातसवदकoयान ampभत३ प[ यवहार वाल जात अवथा मE 9ान क वषयभत शIद पशA आVद वषय

अलग-अलग धमA वाल होन स व एक दसर स अलग-अलग ह8 Gकत उनस पथक

रहन वाला उनका सवत एकoप होन क कारण भद वाला नह होता ह याया--जीव क0 तीन अवथायE ह8-जात वन और सष5^ जब शरर मE िथत

होकर इVFयN स बा जगत का 9ान हो तो वह जादावथा ह जब इVFया मन म

लय हो जाती ह8 और मन स वषयN का 9ान होता ह तो उस वनावथा कहत ह8

मन क भी लन होन पर जब वषयN का 9ान नह होता तो वह सष5^ अवथा ह पहल जात अवथा मE हो रह 9ान का वचार करE इस समय ो वक न िजहा

और नाampसका स kमश शIद पशA oप रस और गध पाच वषयN का 9ान होता ह

जगत क0 सभी वतओ का 9ान इह पाच oपN म होता ह वषयN क पाच oप होन

क कारण 9ान भी पाच कार का होता ह जस शIद9ान पशA 9ान आVद Gकत

शn 9ान एक ह ह वह एक 9ान शIद हण करन पर शIद9ान ह और पशA

हण करन पर पशA9ान ह हम अपन अनभव स जानत ह8 Gक हमार एक 9ान मE

ह शIद आVद वषय एक क बाद एक आत ह8 वषय बदलत रहत ह8 Gकत उनको

हण करन वाला एक ह रहता ह वषय क बदलन क साथ 9ान नह बदलता जस

एक Gकलो बाट स एक Gकलो गह तौलन क बाद एक Gकलो चीनी और Gफर एक

Gकलो दाल तौलत ह8 तो तौल हई वत बदलती जाती ह Gकत एक Gकलो का बाट

वह रहता ह वस ह एक ह 9ान स सब वषय जान जात ह8 वषयN क बदलन पर

9ान नह बदलता इस कार वषयN क0 अनकता दखकर हम कह सकत ह8 Gक वषय वभ= ह8 उनमE

भद ह Gकत 9ान अवभ= ह उसम भद नह ह नाना oप वषय 9ान क0 उपाDध

ह8 जस घट मठ आVद आकाश क0 उपाDधया ह8 एक अवभ= आकाश घट क0 उपाDध

स घटाकाश और मठ क0 उपाDध स मठाकाश कहलाता ह इसी कार एक ह

अवभ= 9ान शIद क0 उपाDध स शIद9ान और oप क0 उपाDध स oप9ान समझा

जाता ह तापयA यह ह Gक जात अवथा मE वषयN का अनभव करत समय वषयN

क0 अनकता प_रवतAनशीलता और उनक गतागत वभाव को पहचान कर 9ान क0

एकता अप_रवतAनशीलता और 5नयता को समझन का यास करना चाVहय इसी

9ान क0 डोर को पकडकर हम आग आम9ान क0 ओर बढEग इस 9ान क शn

वoप का 9ान ह आम9ान ह

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 12: Panchadashi

12

जात अवथा मE 9ान क एकव को पहचान कर वनावथा मE भी उसी 9ान क0

एकता दखनी चाVहए- तथा वनS व त न िथर जागर िथरम

तZ भदोSततयो सवत एकoपा न ampभत४ वन मE भी तQत ह यहा व वषय िथर नह होत Gकत जात अवथा मE

िथर होत ह8 इसampलय दोनN अवथाओ मE भद ह Gकत दोनN अवथाओ का सवत

(9ान)एक oप ह उसमE भद नह ह याया-वनावथा मE भी वषयN क0 अनकता और 9ान क0 एकता उसी कार ह

जस जात अवथा मE-तथा वन वन मE जात क समान शIद पशA आVद

वषयN का 9ान होता ह वषयN क0 उपाDध स वह नाना कार का भाampसत होन पर

भी 9ान तवत एक ह ह यक वषय क साथ 9ान प_रव5तAत या वकत नVह

होता यVद दोनN अवथाओ मE वषयN क0 ampभनता और 9ान क0 एकता ह तो उन

अवथाओ मE अतर vया ह अतर यह ह Gक जात अवथा क वषय िथर ह8

सोकर उठन पर हम 5नय अपना वह कमरा वह मज वह कस पात ह8 जो हमन

सोन क पहल छोड़ी थी इनमE िथरता Vदखाई दती ह ऐसी िथरता वन क0

वतओ मE नह ह हर बार वन मE व वतयE बदल हई Vदखाई दती ह8 हम वहा

यह अनभव नह करत Gक हमन जो वत कल यहा वन मE दखी थी वह आज

Gफर दख रह ह8 यप हम कभी-कभी एक ह समान दो बार वन दख सकत ह8

Gफर भी उसस वन क0 वतओ क0 िथरता ampसBद नह हो जाती इसक अ5त_र=

वन क0 वतयE दखत-दखत गायब हो जाती ह8 और नई-नई कट भी होती रहती

ह8 यVद कह पडा हआ एक jपया Vदखाई दता ह तो हम सोचत ह8 Gक शायद आस-

पास और भी jपय पड हN इतना सोचत ह अय अनक jपय Vदखाई दन लगत ह8

यप वहा नह थ तो भी कट हो जात ह8 यद शका होती ह Gक हमार जब स य

jपय Dगर न जायE तो सचमच हमE अपनी जब खाल ampमलती ह तापयA यह ह Gक

वनावथा क वषय जात क0 अप3ा अिथर और 3णक होत ह8 यह दोनN

अवथाओ क अनभव का अतर ह वन क0 वतओ का अिथर वभाव दखकर ह हम वन को ampमzया कहत ह8

जात क0 वतयE उसक0 अप3ा अDधक िथर ह8 इसampलय हम इस सय समझत ह8

vया इन दोनN अवथाओ का 9ान एक दसर स ampभन ह vया वन का 9ान दसरा

ह और जात का 9ान दसरा ह vया वन का 9ान भी वन क0 वतओ क

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 13: Panchadashi

13

समान अिथर और नyर ह यप वन क वषय ampभन-ampभन कार क और

अिथर ह8 तो भी उनका 9ान एकoप और िथर ह इसampलए यप वन ampमzया

समझा जाता ह Gकत वन का 9ान ampमzया नह होता वन का 9ान भी वह ह

जो जात मE हम वषय स पथक कर शBद oप मE अनभव करत ह8 एक ह 9ान

स हम वन और जात क0 पथक अवथाओ का अनभव करत ह8 जो जात का

F[ा ह वह वन का F[ा ह अपन एक ह 9ान मE हम दोनN अवथाओ को आत-

जात दखत ह8 इसampलए 9ान क0 एकता जात स वन तक एक समान ह यह 9ान सष5^ अवथा मE भी या^ ह यह Vदखान क ampलए पहल सष5^ अवथा क

वषय मE बतात ह8- स^ोिथतय सौष^ तमबोधो भवम5त

सा चावबBद वषयाSव बBद तRदा तम ५ सोकर उठ पjष को सष5^ अवथा क अ9ान का बोध होता ह उस म5त कहत ह8

वह म5त अनभव Gकय गय वषय क0 ह vयNGक वह अ9ान उस अवथा मE अनभव

हआ था याया--भारतीय दाशA5नकN न य3 आVद 9ान क छ साधन मान ह8 व छ

माण य3 अनमान उपमान शIद अथाAपR और अनपलिIध ह8 म5त 9ान का

सा3ात साधन नह ह वह Gकसी माण स ा^ पवA 9ान क0 पनरावR ह पहल

कभी दखी हई वत यVद कालातर मE पन बिBद मE आती ह तो उस म5त कहत

ह8 म5त 9ान यह ampसBद करता ह क0 हमन वह 9ान पहल कभी माण स ा^

Gकया था सोकर जागन पर हमE म5त होती ह Gक अभी कछ दर पहल इतनी नीद मE सोत रह

Gक कछ भी पता न चला कोई वन भी नह Vदखाई Vदया सोत समय कछ भी न

जान पान क0 म5त यह ampसBद करती ह Gक कछ काल पहल यह हमारा अनभवजय

9ान था इसस ampसBद होता ह Gक सष5^ मE कछ न 9ात होन का 9ान रहता ह

वहा 9ान का अभाव नह ह कवल 9ान क वषय का अभाव ह वषय का अभाव

तम oप मE भाampसत होता ह सष5^ अवथा मE रहन वाला शBद 9ान वह ह जो जात और वन अवथाओ मE

था-

स बोधो वषयाZ ampभनो न बोधावनबोधवत

एव थानयSयका सवRQVmनातर ६

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 14: Panchadashi

14

वह बोध वषय स ampभन ह Gकत जस वन का बोध ampभन नVह ह वस ह जात

क 9ान स यह ampभन नह ह इन तीनN अवथाओ मE 9ान एक ह ह उसी कार

दसर Vदन भी वह एक 9ान रहता ह

याया--सष5^ अवथा का उ)लख करत हय कहत ह8 Gक वह बोध वषय स ampभन

ह वहा वषय कछ भी भाampसत न होना अथाAत वषय का अभाव ह वह भी 9ान स

जान जाता ह 9ान और वषय का अभाव दोनN पथक ह8 जस शIद और उसका 9ान

पथक ह अत 9ान सष5^ मE भी ह Gकत वह वषय क अभाव मा को काampशत

करता ह यह 9ान जात और वन अवथाओ क 9ान स पथक नह ह 9ान

तीनN अवथाओ मE एक ह ह

वषय भद स हमार तीन अवथायE ह8 जब हमE िथर वषयN का 9ान होता ह तो

वह जात अवथा ह जब अिथर वषयN का 9ान होता ह तो वह वन अवथा ह

जब िथर-अिथर Gकसी वषय का बोध नह होता तो वह सष5^ अवथा ह इन

तीनN क0 जानकार 9ान मE ह होती ह इसस ampसBद होता ह Gक एक ह 9ान तीनN

अवथाओ मE वमान रहता ह उसमE भद और पथकता कभी नह होती वह

5नरतर शावत और 5नय ह

चौबस घट अथाAत एक Vदन-रात मE तीन ह अवथायE होती ह8 उन तीनN अवथाओ

मE 9ान सतत बना रहता ह इस शBद 9ान क0 5नरतरता पहचाननी चाVहए जस

यह एक Vदन-रात मE अखड और सतत बना रहता ह वस ह वह दसर Vदन-रात भी

बना रहता ह उसका न अभाव होता ह और न वह बदलता ह ह

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 वयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपतावयकाशoपता

मासाIदयगक)पष गतागJयवनकधा

नोद5त नातमयका सवदषा वयभा७

अनक बार आन-जान वाल मास वषA यग और क)प तक बना उVदत और अत हए

यह 9ान एक ह रहता ह और वह वय काश वoप ह

याया--पछल tोकN मE यह Vदखाया गया ह Gक एक Vदन क0 जात आVद तीन

अवथाओ मE 9ान एक ह ह वह दसर Vदन भी उसी कार एक ह इसी kम स यह

समझा जा सकता ह Gक 9ान मास पयAत एक ह रहता ह ऐसा कोई कारण नह

Vदखाई दता िजसस एक या दो मास बाद 9ान क0 5नरतरता न[ हो जाय इसampलए

यह समझना चाVहय Gक एक क बाद एक आन वाल च वशाख आVद मासN मE

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 15: Panchadashi

15

भव वभाव आVद चौसठ सवसरN मE सतयग आVद चारN यगN मE तथा qाr वाराह

आVद क)पN म 9ान एक ह बना रहता ह वह न कभी उपन होता Vदखाई दता ह

और न कभी लय होता हआ इसampलए 9ान 5नय ह 9ान का यह ल3ण वय 9ान

स ह जाना जाता ह vयNGक 9ान वय काश वoप ह

यVद कहो Gक शIद 9ान क बाद पशA या oप का 9ान होता ह अथाAत एक 9ान न[

होकर दसरा 9ान उपन होता ह तो ऐसा कहना उDचत नह ह हम पहल ह दख

चक ह8 Gक वषय (शIद आVद) आत जात ह8 उनका उदय-अत होता ह Gकत 9ान

एक ह रहता ह वह बार-बार न[ होकर उVदत नह होता

यVद 9ान को उVदत और न[ होन वाला मानो तो यह बताना होगा Gक उसक उदय-

अत का 9ाता कौन ह यVद कहो Gक 9ान ह 9ान क उदय-अत का 9ाता ह तो

यह मानना उDचत नह ह 9ान का उदय होन स पवA और उसक न[ होन क बाद

उसका जानन वाला उसस पथक होना चाVहय तभी वह 9ान सJभव होगा इस

समया स बचन क ampलए यVद कहो Gक एक 9ान क उदय-अत का जानन वाला

दसरा 9ान हो सकता ह तो यह भी उDचत वचार नह ह हम दखत ह8 Gक 9ान और

उसक Qारा काampशत होन वाल वषय तो पथक ह8 Gकत 9ान मE न भद ह और न

उसक0 दो पथक सRायE ह8 यह अनभव स ampसn ह ह तकA स भी ampसn हो सकता ह

यVद 9ान का 9ाता दसरा 9ान मानE तो उसका 9ाता भी उसस पथक अय 9ान

मानना आवiयक हो जायगा इस kम का कह अत न होगा और अनावथा नामक

दोष उपिथत होगा इसampलय 9ान को एक ह मानना तकA सगत ह

9ान क एक होन और उसक अप_रवतAनीय होन का बोध उसी 9ान स होता ह 9ान

एक कार का Vदय काश ह जस सयA का काश वय अपन को काampशत करता

ह उस काampशत करन क ampलए दपक आVद Gकसी अय काश क0 आवiयकता नह

होती वस ह 9ान वत अपन को काampशत करता ह उस काampशत करन क ampलए

Gकसी अय 9ान क0 आवiयकता नह ह इसampलए 9ान को वय काशवoप

समझना चाVहए

आमाआमाआमाआमा क0क0क0क0 परमानदतापरमानदतापरमानदतापरमानदता

इयमामा परानद परमापद यत

मा न भव Vह भयासampम5त मामनीयत8

यह 9ान आमा ह परममापद होन क कारण यह परमानद वoप ह ऐसा

कभी न हो Gक म न रह म8 सदा रह इस कार आमा मE म Vदखाई दता ह

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 16: Panchadashi

16

याया--वह 9ान िजसमE ववध वषयN और तीनN अवथाओ का बोध होता ह 5नय

और वय काश ह हम उस अपन आप स अपथक अनभव करत ह8 इसampलय यह

आमा ह यVद म8 अपन को 9ान स पथक मान तो मझ वीकार करना पड़गा Gक

म8 या तो जड़ ह या Gफर उस 9ान स पथक दसरा कोई 9ान ह अपन को जड़

मानकर म8 Gकसी 9ान को अपना 9ान वीकर नह कर सकता 9ान स पथक अपन

को जड़ मानना भी वदतो याघात दोष ह यह कहना उसी कार ह जस म8 कह Gक

मर मह मE िजहा नह ह इसीampलय म8 अपन को 9ान स पथक मान ह नह सकता

यVद म8 कह Gक म8 वषयN को हण करन वाल 9ान स पथक कोइ दसरा 9ान ह तो

यह मानना पड़गा Gक इन दोनN 9ानN मE वभाजक रखा vया ह यह हम दख चक ह8

Gक 9ान का ल3ण अवभ= रहना ह जो यिकDचत वभाजन तीत होत ह8 व 9य

क0 उपाDध क कारण भाampसत होत ह8 9ान वत अवभाय ह इसampलए यह मानना

उDचत ह Gक 9ान मझस अampभन ह और वय काampशत होन क कारण 9ान स ह

9ान का अनभव हो रहा ह एक शIद मE कह सकत ह Gक 9ान आमा ह

हम सब िजस 9ान का आमभाव स अनभव कर रह ह8 इसका एक महवपणA ल3ण

आनद भी ह आमा को परम आनदवoप ampसn करन क ampलए इस tोक मE

आचायA एक तकA तत करत ह8 व कत ह8 Gक आमा परम ी5त का पा होन क

कारण परमानदवoप ह हम सबस अDधक म अपन आप स करत ह8 इसस यह

ampसn होता ह Gक सबस अDधक सख आमा म ह ह हमE 5नवAवाद oप स वीकार

करना होगा Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह आमा का ल3ण आनद ह

और मन मE आमा का 5तबJब ी5त बनकर अनभत होता ह इसampलए सभी पjषN

को सख स ी5त होती ह

आमा क0 परमयता ampसn करन क ampलए इस tोक मE आचायA यह तकA दत ह8--

मानभव Vह भयासम -- ऐसा न हो Gक म8 न होऊ वरन सवAदा रह--हमार यह कामना

ampसn करती ह Gक म8 अपन स सवाADधक म करता ह यप शरर आमा नह ह

Gफर भी उसमE sाितजय आमभाव क कारण उस भी न[ नह होन दना चाहत

शरर तो मलभाड क समान हय ह Gकत आमभाव क कारण ह उसमE यता

लगती ह वतत शn 9ान ह आमा ह और उसी मE परम यता होन क कारण

वह परम आनद भी ह

कभी लोगN मE अपन 5त घणा भी दखी जाती ह व आमfला5न क कारण अपना

वनाश ह करन को उत हो जात ह8 उनक0 यह घणा अपन शरर मन बn क ampलए

होती ह अथवा उनस Gकय गय कम क ampलए होती ह 9ानवoप आमा क ampलए नह

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 17: Panchadashi

17

होती इसampलए व शरर को न[ कर अपनी fला5न स छटकारा चहत ह8 शरर और

तजय fला5न स म= होकर व अपन शBद आमा का वनाश नह करना चाहत

इसampलए यह 5नणAय पvका ह Gक आमा परम मवoप और परम आनदवoप ह

आमा मE परम म होन क कारण उसक आनदवoप होन का माण 5त भी दती

ह उस उnत करत हए आचायA कहत ह8-

तमामाथAमय नवमयाथAमाम5न

अततपरम तन परमानदताSSमन9

वह म अय भी आमा क ampलए ह ह Gकत आमा मE जो म ह वह अय क

ampलए नह ह इसampलए आमा का म परम म ह इस कारण आमा क0

परमानदता ampसn होती ह

याया--हम दख चक ह8 Gक सख और ी5त का 5नय सJबध ह जहा कह सख

का अनभव होता ह उसी क 5त हमार ी5त भी होती ह इसampलए िजस वत या

यg= मE सख पान क0 आशा होती ह उसी स म Gकया जाता ह दख स ीती

Gकसी को नह ह न कोई दख चाहता ह और न कोई दख दन वाल वत चाहता ह

इस 5नयम स हम अपनी ी5त को दखकर सख का ोत खोज सकत ह8 वह ोत

हमE चाह सख कभी न द Gकत उसमE सख क0 क)पना ह हमार मन मE उसक 5त

ी5त उपन कर दती ह यVद हमार मन मE Gकसी वत या यg= क 5त ी5त ह

तो यह 5नय मान लना चाVहए Gक उसमE सख ा^ करन क0 आशा करत ह8

मान लो हमE धन मE ी5त ह हम अपन मन मE उस ी5त का अनभव करत ह8

इसस यह सकत ampमलता ह Gक हम धन म सख दन क0 सामzयA समझत ह8 इसी

कार यVद हम मकान या फनचर म ी5त करत ह8 या गाय घोड आVद पश म ी5त

रखत ह8 तो वहा भी सख क0 आशा करत ह यVद माता-पता या प5त-पी या प -

पौ मE हमार ी5त ह तो वहा भी हम सख पान क0 आशा रखत ह8 यह मनोव9ान

का एक सरल ampसnात ह

इस ampसnात को समझना कVठन नह ह Gकत इसी क साथ एक ampसnात यह भी

ह Gक िजस वत को सखदायी समझ कर ी5त करत ह8 वह ी5त उसी वत क हत

नह होती वरन अतत अपन ampलए होती ह हमE धन मE जो ी5त ह वह कवल धन

क ampलए नह ह वरन वह धन हमE सख द तभी उसम ी5त ह इसका अथA यह ह Gक

पहल मझ अपन म ी5त ह तब अपन ampलए अय वतओ या यg=यN मE ी5त ह

हमार ी5त सकडN वतओ और सकडN Vदशाओ मE बट हो सकती ह Gकत वह सब

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 18: Panchadashi

18

अत मE अपन ampलए ह ह इसस यह ampसn होता ह Gक सबस अDधक म हम अपन

स ह यVद ऐसा ह तो सबस अDधक सख भी अपन आप मE ह होना चाVहए

अपन आप मE सबस अDधक सख और ी5त शा~ स भी माणत होती ह

बहदारयक उपनषZ मE या9व)vय ऋष अपनी पी मयी को आम9ान क0 ampश3ा

दत हए कहत ह8--

सहोवाच न वा अर पय कामाय प5त यो भव5त आमनत कामाय प5त यो

भव5त न वा अर जायाय कामाय जाया या भव5त आमनत कामाय जाया या

भव5त न वा अर पाणा कामाय प या भवित आमनत कामाय पा या

भवित न वा अर वRय कामाय वR य भव5त आमत कामाय वR य

भव5त न वा अर पशना कामाय पशव या भवयामनत कामाय पशव या

भवित

उहोन कहा-अर म5य यह 5नय ह Gक प5त क योजन क ampलए प5त य नVह

होता अपन ह योजन ampलए प5त य होता ह पी क योजन क ampलए पी य

नह होती अपन ह योजन क ampलए पी य होती ह पN क योजन क ampलए प

य नVह होत अपन ह योजन क ampलए प य होत ह धन क योजन क ampलए

धन य नह होता अपन ह योजन क ampलए धन य होता ह पशओ क ampलए पश

य नह होत अपन ह योजन क ampलए पश य होत ह8

या9व)vय आग कहत ह8 Gक सबक योजन क ampलए सब य नVह होत अपन ह

योजन क ampलए सब य होत ह8 यह आमा परम मवoप ह यह दशAनीय

वणीय मन5नय और Bयान करन योfय ह

इस पर भाय ampलखत हए भगवान शकराचायA कहत ह8--तमा)लोक ampसBदमतत-

आमव य नायत-अत इस लोक मE ampसn ह Gक आमा ह य ह अय कछ

नह आमा परम मवoप ह इसampलए यह परमानदवoप भी ह

इसक अ5त_र= आचायA यह भी कहत ह Gक हम अपन आमा मE जो म ह वह

अपन ampलए ह ह उसका योजन कोई अय वत या यg= नह ह हमार आमम

या आमर3ा का योजन यह नह ह Gक इसका लय Gकसी अय यg= को सख

पहचाना हो यVद कदाDचत ऐसा होता तो हम उसी को परममापद मानत जब हम

दखत ह8 Gक अपना म सबक 5त होत हए भी अतत वह अपन ampलए ह ह और

अपना म भी अपन ampलए ह ह तो यह 5नय हो जाता ह Gक आमा परम

मवoप ह

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 19: Panchadashi

19

म और सख का 5नय सJबध होन क कारण यह भी ampसn हो जाता ह Gक परम

मवoप आमा ह परम आनदवoप ह

इस कार हम अपनी िजस चतना का सहज oप मE अनभव कर रह ह8 यह हमार

आमा ह और सत-Dचत तथा आनद इसक ल3ण ह8

आमाआमाआमाआमा औरऔरऔरऔर qrqrqrqr क0क0क0क0 एकताएकताएकताएकता

पछल सात tोकN मE आमा को सिचदानदवoप ampसn करन क बाद अब आमा

और qr क0 एकता 5तपादन करत ह8-

इथ सिचपरानद आमा यvया तथावधम

पर qr तयोvय यतषपVदiयत 10

इस कार यg= Qारा आमा सत-Dचत और परानदoप (ampसn हआ ) उसी वDध

परqr भी ह इसampलए उन दोनN क0 एकता का उपदश उप5नषदN मE Gकया गया ह

याया--पछल सत tोकN मE आचायA न यg= Qारा ampसn कर Vदया Gक हम अपनी

िजस चतना का अनभव करत ह8 यह हमरा वoप ह हमारा यह आमवoप सZ

Dचत और परमानद वoप ह आमा 5नय अवनाशी और अवकार होन क कारण

बाध रVहत ह य उसक सत होन क ल3ण ह8 यह 9ान वoप बोधवoप और

अपन आप स अनभव मE आनवाला ह इसampलए यह Dचवoप ह हमE अपन इस

वoप स सबस अDधक म ह इसampलए यह आनद वoप ह आमा मE हमE य तीन

ल3ण ampमलत ह8 इन तीन ल3णN स य= अपन वoप को पहचान लना ह

आमा9ान ह (दखय भगवान शकराचायA क आमबोध आVद करण थ)

5तयN मE यह तीन ल3ण qहम क बताय गय ह8 तRरय उप5नषZ क0 5त इस

कार ह--सयसयसयसय 9ानमनत9ानमनत9ानमनत9ानमनत qrqrqrqrरसोरसोरसोरसो वववव सससस--qr सय 9ान वoप और अनत

ह वह रस (आनद) ह अय उप5नषदN मE भी qr क यह ल3ण बताय गय ह8

इस कार जब आमा क वह ल3ण ampसn होत ह8 जो qr क ह8 तो आमा और qr

एक ह वत होना चाVहय आचायA इस सय का 5तपादन करत ह8 अत हमE यह

समझना चाVहय Gक हम िजस अशरर आमा का अनभव सत Dचत और आनद

वoप अनभव करत ह8 वह सवाAमा और अनत होन क कारण qr ह यहा यह

शका न करनी चाVहय Gक qr तो qहRर ह परमामा ह भला वह म8 कस हो सकता

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 20: Panchadashi

20

ह जस घटाकाश और महाकाश मE भद नह ह वस ह आमा और qr मE भद नह

आचायA अपन मत क0 प[ करन क ampलए उस उप5नषदN मE भी उपVद[ कहत ह8

समत उप5नषदN मE आमा और qr का एकता का 5तपादन Gकया गया ह

तवमampस (छादो० 6-8-7) अह qJहािम (ब० 1-4-10) अयमामा qr (व० 2-5-19)

qr वद qrव भव5त (मड ० 3-2-9) सव तZ qr अयमामा qr (माड० 1-2)

इयाVद ऐस अगणत उnरण Vदय जा सकत ह8 य 5त वचन ह एक मा ऐस

साधन ह8 िजनस qr 9ान होता ह और ा^ हए 9ान म hढता आती ह कव)य

उप5नषZ का एक म इस कार ह-

यपर qr सवाAमा वyयायतन महत

समासमतर 5नय तवमव वमव तत

जो पर qr ह सब का आमा ह वy का आधार ह सम स अDधक सम ह और

शाyत ह वह तम हो और तम ह वह ह

इस म मE कहा गया ह Gक िजस qr को सवाAमा सवाAधार और सवAयापी बताया

जाता ह वह तम स कह दर नह ह वह सवाAमा ह तो तJहारा भी आमा ह तम

अपन आप को जो 5नय चतन तव अनभव करत हो वह qr ह तम अपन को

उसस अलग समझ हए हो यह तJहारा sम ह यVद कोई कह Gक तवमampस का अथA

तय वम अampस--तम उसक हो जो तमस ampभन ह तम वह नह हो बि)क उसक

अश हो तो उसस सावधान करन क ampलए ह तत और वम को उलट पलट कर

आमा और qr क0 एकता hढ कर द गयी ह qहRर होन स जो qr ह वह अपन

मE वय oप स अनभत होन क कारण आमा ह और सJपणA जगत का आधार होन

स परमामा ह

वतत हर यg= अपन आप को जानता ह vयNGक वह चतन ह 9ान वoप ह

Gकत उस यह 9ात नह होता Gक वह तो अपन शn oप मE परमामा ह यह 9ान

5त यg= और अनभव माण स ा^ होता ह अगल tोक मE बतात ह8 Gक अपन

आमा Gक यथाथA 9ान मE बाधा vया ह

अभान न पर म भान न वषय पहा

अतो भानsयभाताsसौ परमानदतामन11

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 21: Panchadashi

21

यVद आमा क0 परमानदता का भान न हो तो आमा क ampलए परम म नह हो

सकता और यVद उसका भान हो तो वषयN क0 इछा नह होगी इसampलए आमा क0

परमानदता का भान होत हए भी (उसका प[) भान नह होता ह

याया--यg= माण और शा~ माण स यह तो ampसn हो गया Gक हम अपन

सवoप मE परqr परमामा ह8 इसampलए 5नय म= और आनद वoप ह8 Gकत

अब दखना चाVहए Gक हम अपन अनभव म vया पात ह8 vया हम अपन अततAम

मE परमानद का रस ल रह ह8 vया हम कोई अभाव और दख पीड़ा नह द रहा ह

यVद हम अपन आप स परम म हयह वाभावक और सय ह तो हम वय

आनद वoप होना ह चाVहए अयथा म और सख क 5नय सJबध का 5नयम

विछन होता ह Gकत अनभव स यह ampसBद नह होता यVद हम आमानद का

अनभव करत तो वषयN क0 कामना होन का cent ह नह था हमE जो 3F वषय

सखN क0 कामना होत ह उसस ampसn होता ह Gक हमE आम क आनद का प[ 9ान

नह ह

आमा क आनद-ampसध मE वास करन वाला कभी वषय सखN क0 ओस चाटन क0

इछा नह कर सकता वषय सख 3णक ह8 और उनक साथ दख भी ampमला रहता

ह इहE तो कए का खारा जल समझना चाVहए उस ा^ करन म क[ और पीन म

बवाद लगता ह ऐस सखक0 कामना तो वह करगा िजस अमत का मधर सागर

उमडता और लहराता हआ नह ampमला ह हमार यह वषयासg= vयN ह

इस cent क समाधान म आचायA कहत ह8 Gक वतत हम अपन आमा का भान होत

हए उसक0 परमानदता का अनभव नह होता हम अपनी सRा का अपनी चतना का

अनभव तो करत ह8 Gकत उसक0 अनतता पणAता और आनदता का अनभव नह

करत

ऐसा vयN ह

अBयतवगAमBयथ पाBययन शIदवत

भानयभान भानय 5तबधनययत 12

अBययन करन वाल वाDथAयN क वगA मE वमान प क अBययन क शIद क

समान भान होत हए भी अभान होता ह भान का 5तबध होन पर अभान होना

उDचत ह ह

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 22: Panchadashi

22

याया--9ान सदा प[ oप मE ह होता ह ऐसा 5नयम नह ह अप[ 9ान भी हो

सकता ह इस कार क अनक h[ात हो सकत ह8 जहा वत का 9ान प[ oप स

नह होता मघाछाVदत सयA का कछ काश रहता ह उसी स 9ात होता ह क0 यह

Vदन का समय ह रा नह ह Gकत यह 9ात नह होता Gक सयA इस समय आकाश

मE कहा िथत ह मघ हटन पर उस प[ दखा जा सकता ह

यहा आचायA वाथ वगA मE बठ अपन प क0 अप[ Bव5न का h[ात दत ह8 मान

लE Gकसी वालय मE कछ छा एक साथ वद पाठ कर रह ह8 उनक0 सबक0 ampमल-

जल Bव5नया उपन हो रह ह8 उसी समय एक वाथ का पता अपन प स

ampमलन आता ह वह Qार पर खडा वाDथAयN क0 Bव5न Bयान स सनकर यह 5नय

करता ह Gक इस वगA म मर प क भी Bव5न हो रह ह वह अपन प क शIद

सनत हए भी प[ oप स नह सन पाता vयNGक अय बालकN क0 Bव5नया उस

5तबDधत कर दती ह8

इसी कार अपन आमा का आनद अपन आपम परम म होन क कारण भाampसत

तो होता ह Gकत वह प[ अनभव म नह आता इसस 9ात होता ह Gक उसक

साथ कोई 5तबध अवiय ह 5तबध रहन तक हमE अपन आनद प[ अनभव नह

होता और हम सासा_रक सख पाकर अपन को सखी बनाना चाहत ह8

5तबध5तबध5तबध5तबध काकाकाका ल3णल3णल3णल3ण

5तबध का वoप प[ करन क ampलए अब उसका ल3ण बतात ह8-

5तबधोSित भाती5त यवहाराहAवत5न

तिनरय वjBदय तयोपादनमयत 13

यवहार क योfय वत क होन और भाampसत होन का 5नषध करक उसक वjBद

नह ह और नह भाampसत होती ह ऐसा यवहार उपन करन का नाम 5तबध ह

याया--यह 5तबध क0 प_रभाषा ह यह वदात का एक महवपणA शIद ह उसका

यहा पहल बार योग करन का कारण उसक0 प_रभाषा दकर उस प[ करत ह8

इसका तापयA यथावत न समझ पान पर आग का वचार सह न होगा

यवहार क योfय वत को हम सत मानत ह8 उस वत क0 सRा होती ह इसीampलए

हम कहत ह8 Gक वह ह उसक होन का माण यह होता ह Gक वह वत भाampसत

होती ह उदाहरण क oप मE घट यवहार क योfय वत ह उसमE हम अपन

उपयोग क ampलए जल भरकर रख सकत ह8 ऐसा घट यVद हमार पास ह तो वह हमE

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 23: Panchadashi

23

Vदखाई दगा हम आखN स घट दखत ह8 उस हाथ स उठाकर सरोवर क जल मE

डबोकर जल भर लात ह8 इस कार हम घट का यवहार करत समय उसका सRा

पात ह8 और उस दखत-छत भी ह8

यह यवहार म आन वाला घट यVद Gकसी अधर कमर मE रखा हो तो अधर क

कारण हम उसक पास खड रहकर भी उस दख नह पायEग हम यह कहEग Gक घट

भाampसत नह होता इसampलए यहा घट नह ह घट क वषय म यह हमारा वjn 9ान

ह ऐसा वjn या वपरत 9ान 5तबध क कारण उपन होता ह

यVद घट हमार 5नकट वमान हो उस पर काश हो और हमार पास उस दखन क

ampलए न हN तो वह घट अ5नवायA oप स हम Vदखाई दगा काश क अभाव मE

अधकार उस ढक लगा अधकार 5तबध बनकर हमE घट दखन म बाधा डालगा इस

कार 5तबध यवहायA वत क0 सRा को आछाVदत करता ह उस वत को न[ नह

करता यह भी Bयान रखना चाVहए Gक यVद कोइ वत आकाश कसम क समान

यवहार योfय नह ह तो वहा िथ5त दसर होगी उसक न भाampसत होन क ampलए

5तबध क0 आवiयकता नह होती अयवहायA वत तो अपनी असRा क कारण

भाampसत नह होती

इसampलए 5तबध का एक ल3ण यह भी ह Gक वह वमान रहन पर िजस यवहायA

वत को भाampसत नह होन दता उस वह वय हटकर भाampसत करा दता ह यVद हम

5तबध हटा दE तो वह वमान वत जो पहल भाampसत नह होती थी अब भाampसत

होन लगगी वह वत हमE अा^ नह ह 5तबध क हटन पर उस वत का Vदखाई

दना ह ा^ होन क समान तीत होता ह

आमानदआमानदआमानदआमानद काकाकाका 5तबध5तबध5तबध5तबध

तय हत समानाampभहार प Bव5नौ

इहानाVदरवव यामोहक5नबधनम 14

प क शIद क वण मE जस सब वाDथAयN क एक साथ बोलन क Bव5न 5तबधक

ह वस ह यहा (आमा क0 परमानदता जानन म) यामोह का एक मा कारण

अवा ह

याया--पीछल बारहवE tोक मE अBयतवगA मE प क अBययन शIद का अप[ होना

बताया गया था यह भी कहा गया था Gक उस अप[ता का कारण 5तबध था अब

5तबध क0 प_रभाषा दन क बाद कहत ह8 Gक उस h[ात मE अनक बालकN क0 उठ

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 24: Panchadashi

24

हई समवत Bव5न ह 5तबध ह उसी क कारण प क0 Bव5न प[ oप स नह

सनाई दती

हमारा मय वचारणीय वषय आमा क आनद क0 अती5त का कारण ह ती

और यिvR स माणत आमा का आनद हमE अनभव मE vयN नह आता हम

आनद वoप होकर भी दखी vयN होत ह8

यापक एक qr अवनासी सत चतन घन आनदरासी

अस भ poundदय अछत अवकार सकल जीव जग दन दखार

आचायA कत ह8 Gक इसका कारण 5तबध ह हो सकता ह यहा अनाVद अवा ह

हमार आमानद क0 5तबधक ह उसी स यह यामोह उपन हआ ह Gक हम वय

आनदवoप होत हए भी उस भल गय और तछ वषयN क0 कामना करन लग

मोह वह अवथा ह िजसमE सत वत क0 ती5त नह होती और उसक थान मE

असत वत ह सत भाampसत होन लगती ह मोह का यापक oप यामोह ह उसक

भाव मE हम दघA काल मE भटक रह ह8

अवाअवाअवाअवा क0क0क0क0 उपRउपRउपRउपR

5तबध का कारण अवा ह और अवा का कारण क5त ह इसampलए अब क5त

का 5नoपण करत ह8

Dचदानदमयqr 5तबJबसमिवता

तमोरज सवगणा क5तVQAवधा च सा15

Dचदानदमय qr क 5तबJब स समिवत क5त सव रजस और तमस गणN

वाल ह और वह दो कार क0 ह

याया--qr का ल3ण सत Dचत और आनद शा~ ampसBद ह क5त उसक0 शिvR

ह वह तीन कार क0 ह सव रजस और तमस oप य तीनN गण उस समय

साJयावथा मE होत ह8 जब क5त qr मE अय= oप स वमान होती ह तीनN

गणN का पथक -पथक और अपन oप मE वमान रहना उनक0 साJयावथा ह इन

तीनN क ampमलन पर ह स[ का ारJभ होता ह स[ मE जो कछ भी भद और

नानाव Vदखाई दता ह वह गणामक क5त क ह कारण ह सीमायE और अ)पता

भी इन गणN क0 ह उपR ह

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 25: Panchadashi

25

qr अनत और पणA ह वह अखड ह अपनी अनतता क कारण वह तीनN गणN

मE भी या^ रहता ह क5त qr क0 शg= होन क कारण और उसमE सवA qr

या^ होन क कारण क5त qr स पथक और वत नह हो सकती समत स[

मE दोनN का होना वाभावक और अ5नवायA ह

सवाVद गण परमामा का अत5नAVहत शg= होन क कारण अयत सम ह8 उहE

पzवी आVद क समान थल पदाथA नह समझना चाVहए हम अपनी वR या oDच

स उनक0 समता करत हए उहE समझन का यास कर सकत ह8 सवगण मE 9ान

और सख क0 रजोगण मE तणा कमA और दख क0 तथा तमोगण मE आलय माद

और अ9ान क0 वR ह इन गणN क पथक होन क0 अवथा मE शBद सवगण

उपलIध होना चाVहए उस हम एक वगA मE रख सकत ह8 जब तीनN गण वampभन

अनपात मE ampमलEग तो अनक गणाम क इकाइया बन जायEगी इस h[ स क5त दो

कार क0 हो गयी - एक तो शBद सवमयी और दसर ampमDत गणमयी अब दखE

क0 इनमE या^ अनत चतय vया oप उपिथत करता ह

सवशBcurrenBयवशिBदXया मायाsव च त मत

मायावJबो वशीकय ता यासवA9 ईyर16

सवगण क0 शिBद और अशिBद क कारण (क5त क) माया और अवा दो भद

मान गय ह8 इनमE स माया मE पड़ा (Dचदानद qr का) 5तबJब सवA9 ईyर ह

माया उसक वश मE ह

याया--शBद सव गण क0 क5त माया कहलाती ह उसमE रजस या तमस ampमDत

नह ह इन गणN क ampमल जान पर सव गण मampलन हो जाता ह अब इस अवा

कहत ह8 यह माया और अवा क0 प_रभाषायE ह8 इन शIदN का जहा कह योग हो

वहा इनका यह अथA समझना चाVहए

क5त qr क0 शg= ह Gकत qr अनत ह क5त सीampमत ह क5त क0 ससीमता

क कारण उसक0 सRा qr मE एक दशीय मानी जाती ह क5त क तीन अग ह8

उसका एक अग सव ह इसampलए वह ससीम ह qr अनत होन क कारण सवA

या^ ह इसampलए वह सवगणoपा क5त मE भी या^ ह यहा सवगण क सयोग

स qr ईyर कहलाता ह इस ईyर को सव गण स प_रिछन कह सकत ह8

आचायA क मत स सव गण मE qr का 5तवJब ईyर ह

ईश का अथA ह वामी सबस बड़ा वामी होन पर वह ईyर कहलाता ह वामी का

वाampमव तभी माना जाता ह जब उसक अDधकार मE या शासन मE कछ हो िजस

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 26: Panchadashi

26

माया क सयोग स qr को ईyरव ा^ होता ह वह माया ईyर क अधीन रहती ह

शg= का शg=वान क अधीन रहना वाभावक भी ह इसीampलए आचायA वशीकय

कहकर माया को ईyर क वश मE बतात ह8

शBद सव गण qr क सत Dचत और आनद ल3णN को आवत नह करता इसampलए

उसमE 5तविJबत चतय बाDधत या 5तबDधत नह होता यह कारण ह Gक ईyर

क 9ान मE कोई कमी नह आती वह सवA9 रहता ह सवA मायारDचत नानाव का

सचक ह और 9 qr क0 9ानवoपता का qr सवA का 9ाता होकर सवA9 ह और

सवA9ता ईyर का ल3ण ह जस qr क तीन ल3ण ह8 सत Dचत और आनद वस

ह ईyर क तीन ल3ण ह8-सवA9ता सवAशg=मRा और सवाAतरयाampमव ईyर माया क

अतवAत होकर उसका 5नयमन करता ह

अवावशगवयतQDचयादनकधा

सा कारणशरर याा9ताampभमानवान 17

Gकत दसरा अवा क वश मE हआ Dचदामा जीव ह वह अवा क0 वDचता स

अनक कार का होता ह अवा कारण शरर ह और उसका अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह

याया--सवगण क साथ रजस और तमस ampमDत होन पर अवा क0 उपR होती

ह तमस स आवरण और रजस स व3प होता ह इन दोनN क कारण उसमE या^

Dचदानद qr आवत हो जाता ह उसका बोध या अनभव न होना ह अवा ह

गणामक अवा मE 5तबिJबत qr जीव कहलाता ह जीव को अपन qr वoप

का 9ान न रह जान क कारण वह अ)प9 और अ)पशg=वान रह जाता ह वह

अपन को क5त क अधीन अनभव करन लगता ह

सव गण मE रजस और तमस वampभन अनपातN मE ampमल सकता ह पचास 5तशत

सव क साथ पचीस-पचीस 5तशत रजस और तमस हो सकत ह8 उतन ह सव क

साथ तीस और बीस 5तशत रजस और तमस भी हो सकत ह8 और पचास 5तशत

रजस क साथ चालस और दस 5तशत सव और तमस भी हो सकत ह8 इस कार

य अनपात अगणत हो सकत ह8 इस कार क अनपातN क0 एक इकाई अय इकाई

स गण और वभाव मE ampभन होगी इसampलए उनका अampभमानी जीव कोई दव होगा

तो कोई मनय कोई पश होगा तो कोई प3ी जीवN क0 अनकता और उनक ववध

वभावN क0 याया इसी स हो जाती ह

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 27: Panchadashi

27

जीव क0 अवा उसका कारण शरर ह अवा गणा मक ह इसampलए कारण शरर

मE सव रजस और तमस तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE रहत ह8 य तीनN

गण अपन अदर वमान Dचदामा को प_रिछन करत ह8 इसampलए व शरर क

समान ह8 शरर शIद स ह सकत ampमलता ह Gक शीयAत इ5त शररम--जो न[ हो

जाय वह शरर ह अवा का शरर भी वा अथाAत 9ान स न[ हो जाता ह

अवा रहन पर जीव अपन वoप को नह जानता और वह क5त क बधन मE

रहता ह 9ान क Qारा अवा न[ हो जान पर जीव qroप हो जाता ह

जीव क तीन शरर ह8--कारण सम और थल सम और थल शररN का वणAन

आग करEग यहा आचायA यह बता दत ह8 Gक कारण शरर का अampभमानी जीव ा9

कहलाता ह ा9 का अथA ह म8 कछ नह जानता इसampलए अवा का अampभमानी

ा9 होना ह चाVहए

इस वचार क अनसार ईyर और ा9 तवत qr ह8 शBद सव क0 उपाDध स

9ानवान qr ईyर ह और मampलन सव क0 उपाDध स अ9ानवान हो कर वह qr

ा9 ह क5त वतार क0 h[ स दोनN एक ह तर क ह8

कारण शरर Gकसी कायA क0 सचना दता ह उसक कायA ह8--सम और थल शरर

अत अब उनका वणAन करत ह8

तम ाधानकततZ भोगायyरा9या

वयपवन तजोsJब भवो भता5न ज9र18

ा9 क भोग हत ईyर क0 आ9ा स तमोगण धान क5त स आकाश वाय अिfन

जल और पzवी (पाच सम ) भतN क0 उपR होती ह

याया--शBद सव धान चतय ईyर ह और मampलन सव धान चतय जीव ह

जीव मE सव क साथ रजोगण होन क कारण उस सख -दख भोगना वाभावक ह

सव का फल सख और रजस का फल दख ह जीव क साथ जब तक इन गणN क0

उपाDध ह उस सख-दख भोगना अ5नवायA ह सखसखसखसख ----ददददखखखख सा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारोसा3ाकारो भोगभोगभोगभोग सख -दख

क स3ाकार या अनभव का नाम ह भोग ह तमस जीव क आनद वoप को

आवत Gकय रहता ह

सख -दख का भो=ा ा9 (कारण शरराampभमानी जीव) ह भोग क ampलए भोfय पदाथA

और उनस सJपकA करन वाल इिFयN आVद क0 आवiयकता होती ह उहE उपलIध

करान क ampलए ईyर क0 आ9ा स क5त उनक0 रचना करती ह ईyर सवA9 होन क

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 28: Panchadashi

28

नात और जीवN का भोग दाता होन क कारण जानता ह Gक जीव को भोग क ampलए

Gकन साधनN क0 आवiयकता ह ईyर क0 इछा ह उसक0 आ9ा ह उसक इछा

करत ह उसक अधीन माया अपन तमस धान अश स स[ ारJभ कर दती ह यह

स[ कायA वस ह होता ह जस हम अपन मन मE एक सदर नगर क0 क)पना करE

और मन उस नगर का तकाल 5नमाAण कर द 5त वचन ह सससस ई3तई3तई3तई3त एकोएकोएकोएकोSहहहह

बहयामबहयामबहयामबहयाम --उसन इछा क0 Gक म8 एक स बहत हो जाऊ इस रचना-Gkया स यह भी

सकत ampमलता ह Gक यह समत स[ ईyर क0 क)पना मा ह ईyर सवAशg=मान

होन क कारण उसक0 क)पना भी 3F जीव क ampलए सh ढ़ और िथर तीत होता ह

क5त क0 सभी रचानाओ मE तीनN गण Gकसी न Gकसी अनपात मE ampमल रहत ह8

जीव क कारण शरर मE सव क0 धानता ह और रजस-तमस कम अनपात मE ह

तमस क0 धानता रखकर जब उसमE सव और रजस कम अनपात मE ampमलत ह8 तो

आकाश वाय अिfन जल और पzवी इन पाच सम भौ5तक पदाथ क0 उपR होती

ह य भौ5तक पदाथA व नह ह िजहE हम अपनी आखो क बाहर दखत ह8 य तो

थल भत पदाथA ह8 सम पच महाभत उसी तर क0 रचना ह िजस तर का हमारा

अतकरण यह अगल tोक मE प[ करत ह8-

सवाशसवाशसवाशसवाश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFयkमाBदिFय पचकमपचकमपचकमपचकम

ोवग3ोवग3ोवग3ोवग3 रसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायतरसनbrvbarाणायमपजायत 19

उन पचभतN क सवगण क पाच अशो स kमश ो वक न रसना और brvbarाण इन

पाच 9ान इिFयN क0 उपR होती ह

याया--सम पचमहाभतN स समत सम शरर क0 रचना होती ह सम शरर मE

पाच 9ानिFया अतकरण पाच कमिF या और पाच ाण ह8 इनमE स पहल

9ानिFयN क0 उपR का वणAन करत ह8 पहल इिFयN का यथाथA oप पहचान लना

चाVहए हम अपन शरर मE जो 5छF दखत ह8 व शरर क Qार ह8 जात अवथा मE

वहा इिFया िथत रहकर बा जगत स सJपकA करती ह8 इन QारN को इिFयN क

गोलक कहत ह8 इिFयN का oप सम ह वन दखत समय हम िजन इिFयN का

योग करत ह8 व थल मE भाampसत होन वाल इिFया नह ह इसी स हमE इिFयN

क वातवक वoप का 9ान हो सकता ह

िजन इिFयN स वषय हण करना होता ह उह 9ानिFया कहत ह8 9ान सव

गण का ल3ण ह इसampलए वषयN का 9ान हण करन वाल इिFयN मE सवगण

अवiय होना चाVहए सम पचभत यप तमस धान ह8 Gकत उनमE सव और

रजस भी ampमDत ह इन पाचN भतN स सव धान अश हण करक kमश पाच

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 29: Panchadashi

29

इिFयN क0 रचना होती ह आकाश स ो वाय स वक अिfन स न जल स रसना

और पzवी स brvbarाण इVFय क0 उपR होती ह

आकाश क0 तमाा शIद ह और शIद का हण ो स होता ह इसampलए आकाश

शIद और ो का एक यfम ह इनक तीनN घटकN का भद गणN क यनाDधक

अनपात क कारण ह यह kम सभी इVFयN क साथ समझना चाVहए िजतनी सम

शIदाVद तमाायE ह8 उतनी ह सम इिFया ह8 तभी व उहE हण कर सकती ह8

अब अतकरण क0 उपR बतात ह8-

तरततरततरततरतकरणकरणकरणकरण सवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदनसवsectवARभदन तिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधातिcurrenQधा

मनोमनोमनोमनो वमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZवमशAoपयाZ बिBदबिBदबिBदबिBद यािनयािमकायािनयािमकायािनयािमकायािनयािमका20

उह (पाचN महाभतN क सिJमampलत सवाश) स अतकरण क0 उपR होती ह वR

क भद स वह दो कार का ह उनमE स वमशA (सक)प-वक)प) oप मन ह और

5नय oप बिBद ह

याया--सम पचभतN क सवाश स पाच 9ानिFयN क0 उपR हई और वह पाचN

सवास ampमलकर अतकरण बन जात ह8 अतकरण भी सव धान ह इसी स वह

इिFयN Qारा ा^ वषयN को हण कर उहE एक0कत करता ह और उनका 5नय

कर उस पर 5तGkया करता ह हमार सामन एक पप रखा ह नN स वह पखड़ी

आकार का और लाल रग का Vदखाई दता ह हाथ स छ कर उसक0 कोमलता 9ात

होती ह नाampसका स उसक0 गध ampमल रह ह पप स ा^ होन वाल य तीन वषय

तीन इिFयN क Qारा हमार अदर पहचत ह8 वहा इन तीनN वषयN को मन एक0कत

कर सगDधत कोमल लाल पप क0 रचना कर लता ह यह पप क0 मानampसक

अनक5त ह िजस वR कहत ह8

पप क0 मानampसक वR 5नampमAत होन पर हम cent करत ह8 Gक यह कौन पप ह यह

गलाब ह या गEदा जब तक हम कछ 5नय नह कर पात वह वR मन कहलाती ह

मन Qारा उठाय cent पर अतकरण काम करना ारJभ करता ह वह पवA 9ान स

मन क0 वR क0 तलना करता ह इस कार क पप को हम पहल गलाब नाम स

जान चक ह8 उसक0 म5त क बल पर हम 5नय करत ह8 Gक यह गलाब का पप

ह अब अतकरण क0 यह गलाब oप वR प[ और 5नित हो गयी इसल इस

बिBद कहत ह8

बिBद पवA अनभव क0 आधार पर यह भी बताती ह क0 गलाब क0 सगध सखद ह

इसampलए सामन उपिथत गलाबको हण कर उसका सख पान क ampलए उस नाampसका

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 30: Panchadashi

30

क पास लाना चाVहए बिBद अपना आदश मन को दती ह और मन हाथ को आदश

दकर पप उठवा लता ह इस समय हाथ क0 कमिFय और उसक0 शg= क0

आवiयकता होती ह

अब बतात ह8 क0 कमिFय क0 उपR कस होती ह-

रजNरजNरजNरजNSशशशश पचampभतषापचampभतषापचampभतषापचampभतषा kमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाणkमाकमिFयाण तततत

वाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5नवाvपाणपादपायपथाampभधाना5न ज9रज9रज9रज9र21

Gकत उन पाच (सम भतN ) क रजोगण धान अश स kमश वाणी हाथ पर गदा

और ampलग नाम क0 पाच कमिFया उपन होती ह

याया--रजोगण रागामक ह उसस तणा आसg= और कमA का उumlभव होता ह

इसampलए गणा मक सम पचमहाभतN क रजसाश स पाच कमिFयN क0 उपR

होती ह आकाश क रजोगण वाल भाग स वाणी वाय क रजोगण वाल भाग स हाथ

अिfन क रजोगण वाल भाग स पग जल क रजोगण वाल भाग स ampलग और पzवी

क रजोगण वाल भाग स गदा क0 उपR होती ह आकाश क0 तमाा शIद ह और

शIद क0 उपR वाणी करती ह इसampलए आकाश शIद और वाणी का सJबध ह

इसी कार अय सभी इिFयN क0 उपR और वभाव समझन चाVहए

कमिFयN का वoप 9ानिFयN क समान सम ह थल शरर क हाथ-पर आVद

अग उन इिFयN क वासथान या गोलक ह8 हाथ इिFय क सGkय होन पर थल

शरर का हाथ कहलान वाला अग कायA करता Vदखाई दता ह सभी कमिFया मन क

अधीन ह8 मन क कायA करन पर इिFया और इिFयN क कायA करन पर शरर कायA

करता ह

इस कार पच महाभतN क रजसाश स पथक -पथक कमिFयN क0 उपR होती ह

अब बतात ह8 Gक उनक एक0कत रजसाश स ाण क0 उपR होती ह-

तततत सवsectसवsectसवsectसवsect सVहतसVहतसVहतसVहत ाणोाणोाणोाणो विRभदासविRभदासविRभदासविRभदास पचधापचधापचधापचधा

ाणोाणोाणोाणोSपानपानपानपान समानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौसमानोदानयानौ चचचच तततत पनपनपनपन22

पच महाभतN क उन सब रजसाशो क एक साथ ampमलन स ाण क0 उपR होती ह

वRभद स वह पाच कार का ह-ाण अपान समान उदान और यान

याया--सम पचमहाभतN क पथक -पथक रजसाशN क एक साथ ampमलन स ाण

शg= क0 उपR होती ह यह सब शरर मE सभी 9ानिFयN और कमिFयN मE तथा

31

अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

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अतकरण मE या^ होकर Gkया उपन करता ह ाण एक सामाय शg= ह वह

िजस अग मE या^ होता ह वहा उस अग क अनoप Gkया उपन करता ह ाण

वाणी मE िथत होकर शIद उपन करता ह हाथ मE िथत होकर Gकसी वत को

पकड़न और उठान क कायA करता ह और परN मE िथत होकर चलन का काम करता

ह न आVद इिFयN मE भी यह उनक सचालन का कायA करता ह

यप ाण एक ह Gकत काय क अनoप उसक पाच नाम मय ह8 व3 मE िथत

ाण फफड़N को सचाampलत कर yास को बाहर 5नकालता और अदर ल जाता ह

इसका नाम ाण ह गदा आVद अधोभाग मE रहकर जब ाण मलम का वसजAन

करता ह तो उस अपान कहत ह8 नाampभ मE रहकर ाण अनपाचन और र= सचार

का काम करता ह तो वह समान कहलाता ह उदान कहलान वाला ाण मन-बिBद

को शg= दता ह और मितक को सGkय करता ह शरर याग क समय वह जीव

को शरर स बाहर 5नकालता ह और अय शरर मE ल जाता ह समत शरर मE

या^ होकर उस सश= और सतampलत बनाय रखन वाला ाण यान ह पलकN का

झपना जमहाई और अगड़ाई आVद Gkया भी ाण क Qारा ह होती ह8 कछ वQानN न

उनको भी पथक नाम Vदय ह8 एक ह ाण क0 य वampभन वRया ह

समसमसमसम शररशररशररशरर

सम शरर को ampलग शरर भी कहत ह8 अब उसका प_रचय दत ह8-

बिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाणबिBदकमिFयाण पचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसापचकमAनसा DधयाDधयाDधयाDधया

शररशररशररशरर स^दशampभस^दशampभस^दशampभस^दशampभ समसमसमसम ति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयतति)लगमयत 23

पाच 9ानिFया पाच कमिFया पाच ाण मन और बिBद इन सह का समचय

सम शरर ह वह ampलग शरर कहलाता ह

याया--पाच 9ानिFयN क नाम और उनक0 उपR का वणAन पछल tोकN मE हो

चका ह पाच कमिFयN का पाच ाणN का और मन-बिBद का भी 5नoपण पहल कर

Vदया ह य सब Dगनती मE सह होत ह8 इन सब का समचय सम शरर कहलाता

ह यह थल शरर क0 अप3ा सम ह और इिFयN स इसका बा य3 नह

होता इसampलए इस सम कहा जाता ह

ampलग Gकसी परो3 वत का सचक होता ह जस पवAत क पीछ उठता हआ धordf अिfन

का ampलग ह धordf दखकर अिfन का अनमान Gकया जाता ह इसी कार सम शरर

भी ampलग ह इसका अतय3 होता ह इस दख कर अपन कारण शरर क0 सरचना

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 32: Panchadashi

32

का अनमान Gकया जा सकता ह कारण शरर क0 गण धानता जानकर हम अपन

कमA का चयन कर सकत ह8 और अपन आBयािमक साधना भी 5नधाA_रत कर सकत

ह8

ा9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानना9ताampभमानन तजसवतजसवतजसवतजसव पतपतपतपत

VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[VहरयगभAतामीशतयोयA[ सम[तासम[तासम[तासम[ता24

उस (ampलग शरर मE) अampभमान करन स ा9 तजसपन को और ईyर VहरयगभAता

को ा^ होता ह यह उन दोनN क0 य[ता और सम[ता ह

याया--पहल कह चक ह8 Gक मampलन सव क0 उपाDध धारण कर जीव अपन qr

वoप को भल जाता ह वह गणामक कारण शरर मE तादाJय कर ा9

कहलाता ह (दखय tोक 17) ा9 को जब अपनी वासनाओ क भोग क ampलए ईyर

क0 आ9ा स सम शरर ा^ हो जाता ह तो वlaquo उसमE अampभमान रखकर अपन को

कताAndashभो=ा समझता ह इस अवथा मE ा9 तजस कहलाता ह

कारण शरर क अनक ल ह सम शरर ampमलता ह इसampलए यह कायA oप या उसका

प_रणाम ह कायA मE कारण अनयत रहता ह इसampलए सम शरर मE कारण शरर

भी िथत ह परमामा अपनी चतना क साथ आकाश क समान सवA या^ होन क

कारण इन दोनN शररN मE भी वमान रहता ह वह एक कारण शरर मE ा9 और

समत कारण शररN मE एक0कत होकर ईyर कहलाता ह ईyर समत कारण शररN

क0 मampलनता स असग रहकर कवल सवगण क0 उपाDध धारण करता ह और उसक

कारण वह सवA9 और सवA5नयता बना रहता ह

परमामा ह जस एक कारण शरर मE ा9 ह वस एक सम शरर मE या^ होकर

तजस ह वह समत सम शररN मE वभावत या^ होन क कारण VहरयगभA

कहलाता ह स3प मE हम कह सकत ह8 Gक य[ क0 उपाDध स जो ा9 और तजस

ह वह सम[ क0 उपाDध स ईyर और VहरयगभA ह इसस यह सचना ampमलती ह Gक

जीव और ईyर तवत एक ह ह8 उनमE भद नह ह भद मा5यक और उपाDधगत ह

सम[रशसम[रशसम[रशसम[रश सवषासवषासवषासवषा वामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनातवामतादाJयवदनात

तदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोतदभावाRतोSयययय तततत कzयतकzयतकzयतकzयत य[स9याय[स9याय[स9याय[स9या25

ईyर सब क साथ अपन तादाJय क0 एकता का अनभव करन क कारण सम[ ह

Gकत उसस अय (जीव) उसक (सबक साथ तादाJय क) अभाव क कारण य[

स9ा वाला कहलाता ह

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

36

तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 33: Panchadashi

33

याया--सब जीवN क समत सम शररN स तादाJय रखत हए यापक चतय को

अ9ान नह घरता वह सवA9 रहता ह सब जीवN क0 वासनायE उनक कमA और

फलभोग जानत हए भी वह उनमE ampल^ नह होता इसक वपरत जीव को यह 9ान

नह होता Gक वह अपन तािवक oप मE qr ह और सवाAमा होकर समत सम

शररN को काampशत कर रहा ह सम[ और य[ का यह भद ह

इस समझन क ampलए एक h[ात क0 सहायता ल सकत ह8 मान लE Gकसी यापा_रक

सथा का एक माampलक ह उसक कायाAलय मE उसक अधीन कछ एजट कछ ampलपक

एक मनीम और कछ चपरासी काम करत ह8 सबका अपना-अपना काम बटा ह व

अपना काम जानत ह8 और करत ह8 माह परा होन पर माampलक उनक पद और कायA

क अनoप 5नधाA_रत वतन उहE दता ह यक कमAचार अपन साथी कमAचार को

जानता ह और दखता ह Gक व सब उसी क समान अपना काम करत ह8 Gकत उनमE

स यह कोई नह जानता Gक अय कमAचार vया कायA कर रह ह8 Gकतना कायA कर

ampलया ह Gकतना बाक0 ह उहE यह भी 9ात नह Gक मनीम क पास इस समय नगद

पसा Gकतना ह उतन स हम सब लोगN का वतन भगतान हो पायगा या नह कवल

माampलक जानता ह Gक उसका यापार लाभ क0 ओर जा रहा ह या हानी क0 ओर वह

जानता ह Gक उसक कायाAलय क सब कमाAचार अपना vया कायA करत ह8 वह अपन

ाहकN स सीध और अपन एजटN क Qारा सJपकA करता ह इस ampलए वह ाहकN

क0 िथ5त भी पणA oप स जानता ह उतना 9ान उसक एजटN को भी नह ह व

सब अकनवद ह8 कवल माampलक ह कनवद ह

इसी कार ईyर सब जीवN का वामी ह उस समत जीवN क कमA और उनक भोग

का 9ान ह वह समत जगत क0 रचना और वनाश करन म समथA ह वह समत

जीवN म या^ होकर सबक0 मनोदशा जानता ह Gकत उनस असग रहता ह

थलथलथलथल शररशररशररशरर क0क0क0क0 रचनारचनारचनारचना

सम शरर को एक थल शरर क0 भी आवiयकता होती ह िजसमE वास करत हए

जीव जगत क वषयN का भोग करता ह थल शरर क0 रचना पचभतN स होती ह

इसampलए पहल उनक0 उपR का kम बतात ह8

तumlोगायतumlोगायतumlोगायतumlोगाय पनभnotfयपनभnotfयपनभnotfयपनभnotfय भोगायतनभोगायतनभोगायतनभोगायतन जमनजमनजमनजमन

पचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5तपचीकरो5त भगवानभगवानभगवानभगवान यकयकयकयक वयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकमवयदाVदकम 26

पन भगवान जीव क भोग क ampलए भोfय और भोगायतन क0 उपR करन क ampलए

आकाशाVद (सम पच महाभतN ) मE स यक का पचीकरण करत ह

34

याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

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तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

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याया--ईyर को भगवान भी कहत ह8 vयNGक वह ऐyयA धमA यश लमी 9ान और

वराfय - इन छ अप_रमय वभ5तयN स सJपन ह वह जीव क कमाAनसार उसक

सख -दख क0 यवथा करता ह इसक ampलए एक ओर थल भोfय पदाथ क0

आवiयाकता होती ह िजनक ा^ होन स जीव को सख या दख का अनभव हो और

दसर ओर उन भोfय पदाथ क समक3 थल शरर क0 आवiयकता होती ह िजसमE

िथत होकर जीव उन पदाथ को हण कर सक जीव का सम शरर भोग-साधन ह

और उसका थल शरर भोगायतन ह

थल शरर और भोfय-पदाथA थल पच महाभतN स ह 5नampमAत हो सकत ह8 इस

ampलए शरराVद क0 रचना क पवA इन थल पच महाभतN क0 रचना करना आवiयक ह

यह कायA ईyर क0 आ9ा स उसक अधीन स[ -रचना करन वाल माया करती ह

VQधाVQधाVQधाVQधा वधायवधायवधायवधाय चककचककचककचकक चतधाAचतधाAचतधाAचतधाA थमथमथमथम पनपनपनपन

ववतरववतरववतरववतर VQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापचVQतीयाशयnotजनापच पचपचपचपच तततत27

एक-एक (भत -पदाथA) क दो भाग करक उनमE स पहल एक भाग क चार-चार भाग

करत ह8 (यक क शष आध भाग को) उन दसरN क (आध भाग क चतथA ) अशो क

साथ ampमलान स जो पाच-पाच का ampमण होता ह उस पचीकरण कहत ह8

याया - ईyर सम पच महाभतN को पचीकरण Gkया Qारा थल पचमहाभतN का

oप दता ह यह Gkया व9ा5नक oप स पाच kमN मE सJपन होती ह-

थम Gkया मE तमाा oप सम पचमहाभत अपन शBद oप मE रहत ह8

VQतीय Gkया मE यक क तमाा क दो बराबर भागN मE वभािजत होन क0 वR

होती ह

ततीय Gkया मE व दोनN अश वभ= होकर अलग हो जात ह8

चतथA Gkया मE यक भत क0 आधी तमाा अपन अवकल oप मE रहती ह और

आधी अपन आप को चार अशN मE बाट लती ह इसका यक अश सJपणA तमाा

का आठवा भाग होता ह इस तरह इस अवथा मE (थम अवथा क0) यक

तमाा पाच VहसN मE बट जाती ह--थम आधा भाग और शष चार 18 अश होत

ह8

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पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

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तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

Page 35: Panchadashi

35

पचम Gkया मE यक आधा भाग यN का यN बना रहता ह और अय तमााओ

स ampलय गय चार 18 अशो क साथ ampमल जाता ह

यह Gkया एक आरख क Qार आग Vदखाई गयी ह

इस कार यक थल भत पदाथA मE अपना-अपना आधा भाग और दसरN क आध

का चतथाश अथाAत 18 अश ampमला होता ह

हम पzवी आVद िजन भत-पदाथ को दखत ह8 व यह पचीकत पचमहाभत ह8 इह

स अन व~ भवन आVद भोग पदाथA बनत ह8 और अपना शरर भी उह तवN स

बना ह उनका वणAन अगल tोक मE करत ह8--

तरडततरडततरडततरडत भवनभवनभवनभवन भोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlवभोfयभोगायोumlव

VहरयगभAVहरयगभAVहरयगभAVहरयगभA थलथलथलथलSिमनिमनिमनिमन दहदहदहदह वyानरोवyानरोवyानरोवyानरो भवतभवतभवतभवत 28

उन (पचीकत पच महाभतN ) स अड (qrाड) बनता ह उसमE भवन भोfय पदाथA

और भोगाय क0 उपR होती ह इस थल दह मE िथत VहरयगभA वyानर हो

जाता ह

याया-- यह स[ कायA-कारण 5नयम स 5नampमAत होती ह अपचीकत पचभत कारण

ह8 और पचीकत पचभत उनक कायA अगल चरण मE पचीकत पचभत कारण ह8 और

उनक ampमलन स बना qrाड कायA ह इस qrाड मE अतल वतल सतल रसातल

तलातल महातल और पातल नीच क लोक ह8 और भ भव व मह जन तप और

सय लोक ऊपर क लोक ह8 य चौदह भवन कहलात ह8 इन सब मE अन आVद

भोfय पदाथA और अडज आVद चार कार क शरर-भोगाय उपन होत ह8

समत सम शररN का अampभमानी ईyर VहरयगभA कहलाता ह उसका वणAन पहल

(tोक 24 मE) कर चक ह8 वह VहरयगभA इस qrाड मE या^ होकर और इसका

अampभमानी होकर वyानर क0 स9ा पाता ह qrाड वyानर का थल शरर ह

qrाड oपी शरर मE समत ाणयN क य[ शरर भी सिJमampलत ह8

य[ शरराampभमानी जीव वy कहलाता ह अब उसका 5नjपण करत ह8

तजसातजसातजसातजसा वyतावyतावyतावyता यातायातायातायाता दव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादयदव5तयAshyनरादय

तततत परागपरागपरागपराग ददददampशAनampशAनampशAनampशAन यकयकयकयक तवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAतातवबोधवविजAता29

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तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

ःःःःःःःःःः

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तजस (जीव) इस थल शरर मE वyता ा^ करता ह और दव 5तयAक मनय आVद

(उसक भद होत ह8) व सब बVहhA[ होन क कारण यक तवबोध स रVहत ह8

याया--सम शरराampभमानी जीव तजस कहलाता ह उसका वणAन पीछ (tोक 24

मE) हो चका ह वह जीव जब अपन कारण और सम शररN सVहत थल शरर मE

वास करता ह और उसमE तादाJय कर उसी को अपनी सRा समझन क0 भल करता

ह तो उस वyता ा^ होती ह इस अवथा मE वह बा जगत क0 वतओ और

यg=यN स सJपकA कर सकता ह इस कार वy स उसका सJबध होन क

कारण उस वyता ा^ होती ह वह भी वy का एक अग बन जाता ह अतः वह

वy कहलाता ह

थल शरर अनक कार क होत ह8 उन सबका वणAन नह Gकया जा सकता उन

सब शररN क0 उपR चार कार स होती ह अत उहE चार वग मE बाटा जा सकता

व चारN जराजय अडज वदज और उ5umlज ह8 मनय और पश जरायज ह8 vयNGक व

गभA स एक जर नाम क0 झ)ल स ढक हए पदा होत ह8 अड स उपन होन वाल

प3ी सपA मछल आVद अडज ह8 पसीन स उपन होन वाल ज चीलर आVद वदज

और धरती स उपन पड़-पौध उ5umlज ह8 शकराचायA जी न शररN का एक पाचवा

कार भी माना ह व उमा स उपन होन वाल सशोकज कहलात ह8 (छा० उ०

भाय 6-3-1) छादोfय उप5नषZ क0 इस 5त न कवल तीन ह बीज नाम स भद

Gकय ह8--आडज जीवज और उ5umlज जीवज मE जरायज वदज और सशोकज का

अतभाAव समझना चाVहय

ऐस शररधार जीव बVहhA[ वाल होत ह8 इसampलय व बाहर ह दखत ह8 उनका Bयान

अपन शBद आमवoप क0 ओर नह जाता कठोप5नषZ क0 5त (2-1) ऐसा ह

कहती ह--परािचपरािचपरािचपरािच खा5नखा5नखा5नखा5न यतणतयतणतयतणतयतणत वयभवयभवयभवयभ तमापराmacrतमापराmacrतमापराmacrतमापराmacr पiय5तपiय5तपiय5तपiय5त नातरामननातरामननातरामननातरामन वय

कट होन वाल परमyर न समत इिFयN क Qार बाहर क0 ओर जान वाल ह

बनाए ह8 इसampलय जीव इिFयN क Qारा ाय बाहर क0 ह वतओ को दखता ह

आमा नह

शIद पशA oप रस और गध जीव क भोfय पदाथA ह8 व इिFयN स हण Gकय जात

ह8 इन भोगN को हण करन क ampलए इिFया बाहर जाती ह8 और वषयN को हण

कर मन क पास पहचाती ह8 उनक अनकल होन पर मन सखी होता ह और 5तकल

होन पर दखी होता ह बिBद इस अनभव क आधार पर वषयN क0 हयता और

37

उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

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उपादयता का ववक करती ह तथा वाzयकर और सखदायी वषयN को ह हण

करन का आदश इिFयN को दती ह

अववक क कारण बहत स मनय इस बात को नह समझ पात और वषयN मE

आस= होकर उमR क0 भा5त उह मE रमण करत और दख शोकमय नरकN मE

पड़त ह8 व अपन मन-बिBद क काशक अतयाAमी परमामा क0 ओर Bयान ह नह

दत व अपन कमA-जल मE फस जात ह8 उनका वणAन आग tोक मE करत ह8

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