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NCERT Solutions Class 12 Pahalwan kee Dholak Faneeshwar Nath Renu Chapter 14 Hindi Aroh पायप तक से हल पाठ के साथ 1: ती के समय ढोल आवाज और के दाँव-पच या तालमेल था? पाठ आए वयामक शद और ढोल आवाज़ आपके मन कै सी वन पैदा करते , उह शद दिजए। उतर ती के समय ढोल आवाज़ और के दाँव-पच सामंजय था। को ढोल येक थाप एक नया दाँव-पच सखाती थी। ढोल और दाँव-पच ननलखत तालमेल था। 1. चट धा, गड़ धा- आजा भड़ जा। 2. चटाक चट धा- उठाकर पटक दे। 3. चट गड़ धा- मत डरना। 4. धाक धना तरकट तना- दाँव काटो,बाहर हो जाओ। 5. धना धना, धक धना- चत करो। ढोल के वयामक शद हमारे मन उसाह के संचार के साथ आनंद का संचार भी करते ह। 2:कहानी के कस-कस मोड़ पर के जीवन या-या परवतन आए? उतर कहानी अनेक मोड़ ऐसे जहाँ पर के जीवन परवतन आते ह। वे ननलखत - 1. बचपन नौ वष आय उसके माता-पता हो गई और उसका पालन-पोषण उसक वधवा सास ने कया। सास पर अयाचार को देखकर बदला लेने के लए वह पहलवानी करने लगा। 2. कशोरावथा उसने यामनगर दंगल चाँद संह नामक पहलवान को हराया तथा राज-पहलवानका दजा हासल कया। उसने काला खाँ जैसे पहलवान को जमीन घा तथा अजेय पहलवान बन गया। 3. वह पंह वष तक राज-दरबार रहा। उसने अपने दोन बेट को भी पहलवानी सखाई। राजा साहब के अचानक वगवास के बाद नए राजा ने उसे दरबार से हटा दया। वह गाँव लौट आया। 4. गाँव आकर उसने गाँव के बाहर अपना अखाड़ा बनाया तथा ामीण वक को ती सखाने लगा। 5. अकमात खा महामार से गाँव हाहाकार मच गया। उसके दोन बेटे भी इस महामार चपेट गए। वह उह कं धे पर लादकर नद बहा आया। 6. के बाद वह दन अके ला रहा और अंत चल बसा। 3:पहलवान ने ऐसा कहा होगा मेरा कोई पहलवान नहं यहंढोल है ’?

NCERT Solutions Class 12 Pahalwan kee Dholak Faneeshwar ...€¦ · गाँव मˇ &नराशा का माहौल। महामार* व सूखे के कारण

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  • NCERT Solutions Class 12 Pahalwan kee Dholak Faneeshwar

    Nath Renu Chapter 14 Hindi Aroh

    पा�यपु�तक से हल �न

    पाठ के साथ

    �न 1: कु�ती के समय ढोल क आवाज और लु�न के दाँव-प�च म� �या तालमेल था? पाठ म� आए �व या!मक श#द और

    ढोल क आवाज़ आपके मन म� कैसी �व&न पैदा करते ह(, उ ह� श#द द*िजए।

    उ�तर – कु�ती के समय ढोल क आवाज़ और लु�न के दाँव-प�च म� अ.तु सामंज0य था। लु�न को ढोल क 1!येक थाप एक

    नया दाँव-प�च 2सखाती थी।

    लु�न क ढोल और दाँव-प�च म� &न4न2ल5खत तालमेल था।

    1. चट धा, 8गड़ धा- आजा 2भड़ जा।

    2. चटाक चट धा- उठाकर पटक दे।

    3. चट 8गड़ धा- मत डरना।

    4. धाक 8धना &तरकट &तना- दाँव काटो,बाहर हो जाओ।

    5. 8धना 8धना, 8धक 8धना- 8चत करो।

    ढोल के �व या!मक श#द हमारे मन म� उ!साह के संचार के साथ आनंद का संचार भी करत ेह(।

    �न 2:कहानी के @कस-@कस मोड़ पर लु�न के जीवन म� �या-�या पAरवतन आए?

    उ�तर –कहानी म� अनेक मोड़ ऐसे ह( जहाँ पर लु�न के जीवन म� पAरवतCन आत ेह(। वे &न4न2ल5खत ह(-

    1. बचपन म� नौ वषC क आयु म� उसके माता-Fपता क म!ृयु हो गई और उसका पालन-पोषण उसक Fवधवा सास ने

    @कया। सास पर हुए अ!याचारJ को देखकर बदला लेने के 2लए वह पहलवानी करने लगा।

    2. @कशोराव0था म� उसने �यामनगर दंगल म� चाँद 2सहं नामक पहलवान को हराया तथा ‘राज-पहलवान’ का दजाC

    हा2सल @कया। उसने ‘काला खाँ’ जैसे 12सK पहलवानJ को जमीन सुंघा द* तथा अजेय पहलवान बन गया।

    3. वह पंMह वषC तक राज-दरबार म� रहा। उसने अपने दोनJ बेटJ को भी पहलवानी 2सखाई। राजा साहब के अचानक

    0वगCवास के बाद नए राजा ने उसे दरबार से हटा Nदया। वह गाँव लौट आया।

    4. गाँव आकर उसने गाँव के बाहर अपना अखाड़ा बनाया तथा Oामीण युवकJ को कु�ती 2सखाने लगा।

    5. अक0मात सूखा व महामार* से गाँव म� हाहाकार मच गया। उसके दोनJ बेटे भी इस महामार* क चपेट म� आ गए।

    वह उ ह� कंधे पर लादकर नद* म� बहा आया।

    6. पुRJ क म!ृयु के बाद वह कुछ Nदन अकेला रहा और अतं म� चल बसा।

    �न 3:लु�न पहलवान ने ऐसा �यJ कहा होगा @क ‘मेरा गुT कोई पहलवान नह*ं यह*ंढोल है’?

  • अथवा

    ‘पहलवान क ढोलक’ पाठ के आधार बताइए @क लु�न 2सहं ढोल को अपना गुT �यJ मानता था?

    उ�तर –वा0तव म�, लुUन पहलवान का कोई गुT नह*ं था। जब पहल* बार वह दंगल देखने गया तो वहाँ ढोल क थाप पर

    दांव-प�च चल रहे थे। पहलवान न ेइन थापJ को �यान से सुना और उसम� अजीब-सी ऊजाC भर गई। उसने चाँद 2सहं को

    ललकारा और उसे 8चत कर Nदया। ढोल क थाप ने उसे दंगल लड़न ेक 1ेरणा द* और वह जीत गया। इसी2लए उसने कहा

    होगा @क उसका गुT कोई पहलवान नह*ं बिWक यह* ढोल है।

    �न 4:गाँव म� महामार* फैलने और अपने बेटJ के देहांत के बावजूद लु�न पहलवान ढोल �यJ बजाता रहा?

    उ�तर –गाँव म� महामार* फैलने और अपने बेटJ के देहांत के बावजूद लु�न पहलवान ढोल बजाता रहा। इसका कारण था-

    गाँव म� &नराशा का माहौल। महामार* व सूखे के कारण चारJ तरफ म!ृय ुका स नाटा था। घर-के-घर खाल* हो गए थे। राYR

    क FवभीFषका म� चारJ तरफ स नाटा होता था। ऐसे म� उस FवभीFषका को पहलवान क ढोलक ह* चनुौती देती रहती थी।

    ढोल क आवाज से &नराश लोगJ के मन म� उमंग जगती थी। उनम� जीवंतता भरती थी। वह लोगJ को बताना चाहता था

    @क अतं तक जोश व उ!साह से लड़ते रहो।

    �न 5:ढोलक क आवाज का पूरे गाँव पर �या असर होता था?

    अथवा

    पहलवान क ढोलक क उठती-8गरती आवाज बीमार* से दम तोड़ रह Oामवा2सयJ म� सजीवनी का सचार कैसे करती है?

    उ!तर द*िजए।

    अथवा

    पहलवान क ढोलक साधनह*न गाँव वालJ के 1&त �या भू2मका &नभाती थी? कैसे?

    उ�तर –ढोलक गाँववालJ के 2लए संजीवनी का काम करती थी। उनके मन म� छाई उदासी को दरू करने म� सहायक थी।

    उनके मन म� िजजीFवषा पैदा हो जाती थी। ढोल क हर थाप से उनके मन म� चतेना आ जाती थी। बूढे, बZच ेजवानJ क

    आँखJ म� अचानक चमक भर जाती थी। 0पंदनह*न और शि�तह*न रगJ म� अचानक Yबजल* क तरह खनू दौड़ने लगता

    था।

    �न 6:महामार* फैलने के बाद गाँव म� सूय[दय और सूयि0त के द�ूय म� �या अतंर होता था?

    उ�तर –सूय[दय का द�ूय-महामार* फैलने क वजह गाँव म� सूय[दय होत ेह* लोग काँखते-कंूखते, कराहते अपने घरJ से

    &नकलकर अपने पड़ो2सयJ व आ!मीयJ को ढाँडस देते थे। इस 1कार उनके चहेरे पर चमक बनी रहती थी। वे बच ेहुए लोगJ

    को शोक न करने क बात कहते थे। सूयाC0त का \�य-सूयाC0त होत ेह* सभी लोग अपनी-अपनी झोप^ड़यJ म� घुस जात ेथे।

    उस समय वे चूँ तक नह*ं करत ेथे। उनके बोलने क शि�त भी जाती रहती थी। यहाँ तक @क माताओ ंम� दम तोड़त ेपुR को

  • अ&ंतम बार ‘बेटा!” कहकर पुकारन ेक Nह4मत भी नह*ं होती थी। ऐसे समय म� पहलवान क ढोलक क आवाज राYR क

    FवभीFषका को चनुौती देती रहती थी।

    �न 7:कु�ती या दंगल पहले लोगJ और राजाओ ंका F1य शोक हुआ करता था। पहलवानJ को राजा एव ंलोगJ के _वारा

    Fवशषे स4मान Nदया जाता था-

    (क) ऐसी ि0थ&त अब �यJ नह*ं ह(?

    (ख) इसक जगह अब @कन खेलJ ने ले ल* है?

    (ग) कु�ती को @फर से F1य खेल बनान ेके 2लए �या-�या काय @कए जा सकते ह(?

    उ�तर –(क) अब न तो राजा रहे और न ह* वे पहलवान। वा0तव म� पहलवानी बहुत खच`ला खेल है। @फर इसके 2लए

    अaयास क &नय2मत आव�यकता है। आज कल लोगJ के पास इतना समय नह*ं @क वे Nदन म� 18-20 कसरत कर� @फर

    बदले म� 2मलता भी कुछ नह*ं है। केवल नाम के सहारे पेट नह*ं पल सकता।

    (ख) कु�ती क जगह अब घुड़सवार*, फुटबाल, @bकेट, टे&नस, बॉल*बाल, बेसबॉल आNद खेलJ न ेल* है। इन खेलJ म� पैसा

    और शोहरत दोनJ ह(। @फर खेल से Aरटायर होन ेके बाद भी जीFवका बनी रहती है।

    (ग) कु�ती को यNद @फर से F1य खेल बनाना है तो इसके 2लए राdय और क� M दोनJ सरकारJ को योजना बनानी चाNहए।

    eयायामशालाएँ होनी चाNहए ता@क पहलवान कसरत कर सक� । अ य खेलJ क तरह ह* जीतने वाले पहलवान को अZछf

    खासी रकम इनाम म� द* जानी चाNहए। यNद कोई पहलवान Aरटायर हो जाए या दघुCटना म� उसे चोट लग जाए तो

    जीवनभर उसके 2लए रोट* का 1बंध @कया जाना चाNहए।

    �न 8:अgय 0पhट कर� –

    आकाश से टूटकर यNद कोई भावुक तारा पiृवी पर जाना भी चाहता तो उसक dयो&त और शि�त रा0ते म� ह* शषे हो

    जाती थी। अ य तारे उसक भावुकता अथवा असफलता पर 5खल5खलाकर हँस पड़त ेथे।

    उ�तर –लेखक अमाव0या क रात क FवभीFषका का 8चRण करता है। महामार* के कारण गाँव म� स नाटा है। ऐसी ि0थ&त

    म� कोई भावुक तारा आकाश से टूटकर अपनी रोशनी गाँव वालJ को देना चाहे तो भी उसक चमक व शि�त र*0ते म� ह*

    ख!म हो जाती है। तारे धरती से बहुत दरू ह(। भावुक तारे क असफलता पर अ य तारे 5खल5खलाकर हँसन ेलगत ेह(। दसूरे

    श#दJ म�, ि0थर तारे चमकते हुए लगत ेह( तथा टूटा हुआ तारा समाjत हो जाता है।

    �न 9:पाठ म� अनेक 0थलJ पर 1कृ&त का मानवीकरण @कया गया ह(। पाठ म� से ऐसे अशं च&ुनए और उनका आशय

    0पhट किजए।

    उ�तर –(क) “अधेँर* रात चपुचाप आँसू बहा रह* थी। &न0त#धता 2सस@कयJ और आहJ को बलपूवCक अपने kदय म� ह*

    दबान ेक चhेटा कर रह* थी।”

    गाँव म� छाई मायूसी को देखकर लगता था मानो अधेँर* रात भी रो रह* है। ऐसा लगता था @क खाल* पड़ ेआकाश म� कTण

    कराह� वह अपने मन म� दबा लेना चाहती हो ता@क गाँव का दखु कम हो सके।

  • (ख) “राYR अपने भीषणताओ ंके साथ चलती रह*।”

    य_यFप गाँव का पAरवेश भयानक और उदासी से भरपूर था। अतः रात भी इस मायूसी को समेटे अपनी ग&त से बीतती

    रह*।

    (ग) “राYR क FवभीFषका को 2सफC पहलवान क ढोलक ह* ललकारकर चनुौती देती रहती थी।”

    रात जो बहुत ह* भयानक 1तीत होती थी। अपने 0वाभाFवक शोर से वह सभी को भयभीत कर देती थी। ले@कन पहलवान

    क ढोलक क थाप ने इस भयानकता को चनुौती दे डाल*।

    पाठ के आस-पास

    �न 1:पाठ म� मलेAरया और हैजे से पी^डत गाँव क दयनीय ि0थ&त को 8चYRत @कया गया है। आप ऐसी @कसी अ य

    आपद ि0थ&त क कWपना कर� और 2लख� @क आप ऐसी ि0थ&त का सामना कैसे कर�गे/कर�गी?

    उ�तर –Fपछले NदनJ हमारे 1देश के एक क0बे म� ड�गू का 1कोप फैल गया। हमारे क0बे म� 7-8 हजार लोग रहत ेह(। देखते

    ह* देखते ड�ग ूका कहर पूरे क0बे पर छाने लगा। लोगJ को आनन-फानन म� सरकार* और गैर-सरकार* अ0पताल म� भत`

    कर Nदया गया। शाम होते-होत ेयह ड�ग ूतेरह लोगJ को ल*ल चकुा था िजनम� तीन बZच ेभी थे। ऐसी ि0थ&त से सामना होत े

    ह* हमन ेमर*जJ को तुरंत नजद*क के अ0पताल म� भत` करवाया। घर क साफ़-सफ़ाई के बारे म� 1!येक eयि�त को

    बताया। साथ ह* कुछ 0वयंसेवी सं0थाओं के लोगJ से संपकC @कया। वे कुछ ह* देर म� हमारे गाँव (क0बे) म� आ गए। उ हJने

    जी जान से लोगJ क सेवा क। वे कई NदनJ तक हमारे क0बे म� रहे। इस 1कार हमने ड�ग ूसे जान माल क dयादा g&त

    नह*ं होन ेद*।

    �न 2:ढोलक क थाप मतृ-गाँव म� संजीवनी शि�त मरती रहती थी-कला से जीवन के संबंध को �यान म� रखते हुए चचाC

    क8चए।

    उ�तर –कला का जीवन से 1!यg संबंध है। संगीत व काeय क nेhठता तो जग-12सK है। ये दोनJ &नराश मनJ म� उ!साह

    का संचार करते ह(। युK म� गीत व संगीत से जवानJ म� मर 2मटने का जोश उ!प न हो जाता है। हा0य-eयंoय क कFवताए ँ

    सुनकर phटाचार* &तल2मलाकर रह जाते ह(। इसी तरह प�Nटगं, न!ृय, अ2भनय-ये तभी सफलता व 12सK को 1ाjत करते

    ह( जब वे जीवन से जुड़ते ह(। संगीत पर हजारJ eयि�तयJ को एक साथ झूमते देखा जा सकता है।

    �न 3:चचा कर�- कलाओं का अि0त!व eयव0था का मोहताज नह*ं ह(।

    उ�तर –कला अपने बूत ेपर जीFवत रहती है। कोई इसे 2मटाना चाहे तो भी यह जीFवत रहती है। @फर चाहे इसका qप ह*

    �यJ न बदल जाए। eयव0थाए ँकला को Fवकासशील बना सकती है ले@कन कला उन पर आ8nत Yबलकुल नह*ं। कई बार

    तो कला ह* eयव0था को सुeयवि0थत कर देती है। कला एक अमर और शा�वत स!य है िजसे &नरा8nत नह*ं @कया जा

    सकता।

    भाषा क� बात

    �न 1:हर Fवषय, gेR, पAरवेश आNद के कुछ Fव2शhट श#द होते ह(। पाठ म� कु�ती से जुड़ी श#दावल* का बहुतायत 1योग

    हुआ है। उन श#दJ क सूची बनाइए। साथ हा नीच ेNदए गए gेRJ म� इ0तेमाल होन ेवाले कोई पाँच-पाँच श#द बताइए-

  • • 8च@क!सा

    • यायालय

    • @bकेट

    • या अपनJ पसंद का कांडJ gेतर्

    उ�तर –�च!क�सा "े# के पाँच श&द – डॉ�टर, नसC, ऑपरेशन 8थयेटर, ऑ�सीजन 2सल�डर, बेड, 1ाईवेट qम, वाडC #वाय।

    • !(केट "े# के पाँच श&द – कम�t*, अपंायर, रन आऊट, इन ि0वंग, �ल*न बोWड, वाइड बॉल, नो बॉल।

    • *यायालय "े# के पाँच श&द – अदCल*, रिज0t*, जुमC, का&तल, सुराग, माई लाडC, वकल, �लकC ।

    • कं,यूटर "े# के पाँच श&द – माउस, आऊट सो2सuग, चNैटगं, इंटरनेट, यू.पी.एस, F1टंर, Fवडंोज।

    �न 2:पाठ म� अनेक अशं ऐसे ह( जो भाषा के Fव2शhट 1योगJ क बानगी 10तुत करते है। भाषा का Fव2शhट 1योग न

    केवल भाषाई सजCना!मकता क बढावा देता है बिWक कiय को भी 1भावी बनाता ह(। यNद उन श#दJ, eय�यशंJ के 0थान

    पर @क ह*ं अ य का 1योग @कया जाए तो संभवतः वह अथCगत चम!कार और भाFषक सvदयC उ_घाNटत न हो सके। कुछ

    1योग इस 1कार ह(-

    • @फर बाज क तरह उस पर टुट पडा।

    • राजा साहब क 0नेह-दिूhट ने उसक 12सFK म� चार चाँद लगा Nदया।

    • पहलवान क 0Rी भी दो पहलवानJ क पैदा करके 0वगC 2सधार गई थी।

    इन Fव2शhट भाषा- 1योगJ का 1योग करते हुए एक अनुZछेद 2ल5खए।

    उ�तर –रामपुर म� दंगल हो रहा था। वहाँ ‘शरे का बZचा’ दसूरJ को ललकार रहा था। तभी मान2सहं न ेचनुौती द*। यह

    सुनकर शरे का बZचा उस पर बाज क तरह टूट पड़ा। मान2सहं ने दाँव काटा तथा उसे जमीन सुंघा द*। राजा साहब उसक

    बहादरु* पर 1स न हुए तथा उ हJने उसे दरबार म� रख 2लया। राजा साहब क 0नेह-\िhट ने उसक 12सK म� चार चाँद

    लगा Nदया। मान2सहं ने सारे राdय म� नाम कमाया @कंतु पहलवान क 0Rी दो पहलवानJ को पैदा करके 0वगC 2सधार गई।

    �न 3:जैसे @bकेट क कम�t* क जाती है, वैसे ह* इसम� कु�ती क कम�t* क गई है? आपको दोनJ म� �या समानता और

    अतंर Nदखाई पड़ता है?

    उ�तर –समानता

    1. दोनJ म� 5खला^ड़यJ का पAरचय Nदया जाता है।

    2. दोनJ म� हार-जीत बताई जाती है।

    3. दोनJ म� खेल क ि0थ&त का वणCन @कया जाता है।

    असमानता

    पाठ के आधार पर यह* कहा जा सकता है @क कहानीकार ने @bकेट क तरह ह* कु�ती क भी कम�t* क है। इसी2लए

    1ारं2भक qप से इन दोनJ खेलJ क कम�t* म� कोई अतंर नह*ं Nदखाई पड़ता। @bकेट क तरह ह* कु�ती के खेल म� भी

  • अपंायर qपी रेफर* मैच (कु�ती) को आरंभ करता है। यNद कोई पहलवान qपी @bकेटर पंि�त से बाहर जाता है तो उसे

    फाउल qपी वाईडबॉल क तरह बाहर का इशारा @कया जाता है। @कंतु यNद दोनJ खेलJ के &नयमJ को देख� तो इनम� अतंर

    भी Nदखाई देता है। @bकेट म� वाइडबॉल के अलावा नो बॉल, 0टंपड, �ल*न बोWड आNद होते ह( जब@क कु�ती म� ऐसा नह*ं

    है। @bकेट म� oयारह 5खलाड़ी खेलते ह( जब@क कु�ती म� दो।

    पाठ का /तपादय एव ंसारांश

    /तपादय-पहलवान क� ढोलक’ कहानी eयव0था के बदलने के साथ लोक-कला और इसके कलाकार के अ1ासं8गक हो

    जाने क कहानी है। राजा साहब क जगह नए राजकुमार का आकर जम जाना 2सफ़C eयि�तगत स!ता-पAरवतCन नह*ं,

    बिWक जमीनी पुरानी eयव0था के पूर* तरह उलट जाने और उस पर सaयता के नाम पर एकदम नयी eयव0था के

    आरोFपत हो जाने का 1तीक है। यह ‘भारत’ पर ‘इं^डया’ के छा जाने क सम0या है जो लु�न पहलवान को लोक-कलाकार

    के आसन से उठाकर पैट-भरने के 2लए हाय-तौबा करने वाल* &नर*हता क भू2म पर पटक देती है।

    ऐसी ि0थ&त म� गाँव क गर*बी पहलवानी जैसे शौक को �या पालती? @फर भी, पहलवान जीवट ढोल के बोल म� अपने

    आपको न 2सफ़C िजलाए रखता है, बिWक भूख व महामार* से दम तोड़ रहे गाँव को मौत से लड़ने क ताकत भी 1दान

    करता है। कहानी के अतं म� भूख-महामार* क श�ल म� आए मौत के षwयंR जब अजेय लु�न क भर*-पूर* पहलवानी को

    फटे ढोल क पोल म� बदल देते ह( तो इस कTणा/Rासद* म� लु�न हमारे सामने कई सवाल छोड़ जाता है। वह पोल पुरानी

    eयव0था क है या नई eयव0था क ? �या कला क 1ासं8गक eयव0था क मुखापेgी है अथवा उसका कोई 0वतंR मूWय

    भी है? मनुhयता क साधना और जीवन-सvदयC के 2लए लोक-कलाओं को 1ासं8गक बनाए रखन ेहेतु हमार* �या भू2मका

    हो सकती है? यह पाठ ऐसे कई 1�न छोड़ जाता है।

    सारांश-सदx का मौसम था। गाँव म� मलेAरया व हैजे का 1कोप था। अमाव0या क ठंडी रात म� &न0त#धता थी। आकाश के

    तारे ह* 1काश के yोत थे। 2सयारJ व उWलुओं क डरावनी आवाज से वातावरण क &न0त#धता कभी-कभी भंग हो जाती

    थी। कभी @कसी झोपड़ी से कराहन ेव कै करने क आवाज तथा कभी-कभी बZचJ के रोन ेक आवाज आती थी। कु!त ेजाड़ े

    के कारण राख के ढेर पर पड़ ेरहत ेथे। सायं या राYR को सब 2मलकर रोत ेथे। इस सारे माहौल म� पहलवान क ढोलक

    सं�या से 1ात:काल तक एक ह* ग&त से बजती रहती थी। यह आवाज मतृ-गाँव म� संजीवनी शि�त भरती थी।

    गाँव म� लु�न पहलवान 12सK था। नौ वषC क आयु म� वह अनाथ हो गया था। उसक शाद* हो चकु थी। उसक Fवधवा

    सास ने उसे पाला। वह गाय चराता, ताजा दधू पीता तथा कसरत करता था। गाँव के लोग उसक सास को तंग @कया करत े

    थे। लु�न इनसे बदला लेना चाहता था। कसरत के कारण वह @कशोराव0था म� ह* पहलवान बन गया। एक बार लु�न

    �यामनगर मेला म� ‘दंगल’ देखने गया। पहलवानJ क कु�ती व दाँव-प�च देखकर उसने ‘शरे के बZचे’ को चनुौती दे डाल*।

    ‘शरे के बZच’े का असल* नाम था-चाँद 2सहं। वह पहलवान बादल 2सहं का 2शhय था। तीन Nदन म� उसने पंजाबी व पठान

    पहलवानJ को हरा Nदया था। वह अपनी nेhठता 2सK करने के 2लए बीच-बीच म� दहाड़ता @फरता था। �यामनगर के दंगल

    व 2शकार-F1य वKृ राजा साहब उसे दरबार म� रखन ेक सोच रहे थे @क लु�न ने शरे के बZच ेको चनुौती दे द*।

  • दशCक उसे पागल समझते थे। चाँद 2सहं बाज क तरह लु�न पर टूट पड़ा, परंत ुवह सफ़ाई से आbमण को

    सँभालकर उठ खड़ा हुआ। राजा ने लु�न को समझाया और कु�ती से हटने को कहा, @कंतु लु�न ने लड़न ेक

    इजाजत माँगी। मैनेजर से लेकर 2सपाNहयJ तक ने उसे समझाया, परंतु लु�न ने कहा @क इजाजत न 2मल* तो

    प!थर पर माथा पटककर मर जाएगा। भीड़ म� अधीरता थी। पंजाबी पहलवान लु�न पर गा2लयJ क बौछार कर

    रहे थे। दशCक उसे लड़न ेक अनुम&त देना चाहते थे। Fववश होकर राजा साहब ने इजाजत दे द*। बाजे बजने

    लगे। लु�न का ढोल भी बजने लगा था। चाँद ने उसे कसकर दबा 2लया था। वह उसे 8च!त करने क को2शश

    म� था। लु�न के समथCन म� 2सफ़C ढोल क आवाज थी, जब@क चाँद के पg म� राजमत व बहुमत था।

    लु�न क आँख� बाहर &नकल रह* थीं, तभी ढोल क पतल* आवाज सुनाई द*’धाक-8धना, &तरकट-&तना, धाक-

    8धना, &तरकट-&तना।’ इसका अथC था-दाँव काटो, बाहर हो जाओ। लु�न ने दाँव काट* तथा लपक कर चाँद क

    गदCन पकड़ ल*। ढोल ने आवाज द*-चटाक्-चU-धा अथाCत उठाकर पटक दे। लु�न ने दाँव व जोर लगाकर चाँद

    को जमीन पर दे मारा। ढोलक ने ‘8धना-8धना, 8धक-8धना।’ कहा और लु�न ने चाँद 2सहं को चारJ खाने 8च!त

    कर Nदया। ढोलक ने ‘वाह बहादरु!” क �व&न क तथा जनता न ेमाँ दगुाC क, महावीर जी क, राजा क जय-

    जयकार क। लु�न ने सबसे पहले ढोलJ को 1णाम @कया और @फर दौड़कर राजा साहब को गोद म� उठा 2लया।

    राजा साहब ने उसे दरबार म� रख 2लया।

    पंजाबी पहलवानJ क जमायत चाँद 2सहं क आँख� पJछ रह* थी। राजा साहब ने लु�न को पुर0कृत न करके अपने दरबार

    म� सदा के 2लए रख 2लया। राजपं^डत व मैनेजर ने लु�न का Fवरोध @कया @क वह gYRO नह*ं है। राजा साहब ने उनक

    एक न सुनी। कुछ ह* Nदन म� लु�न 2सहं क क&तC दरू-दरू तक फैल गई। उसने सभी नामी पहलवानJ को हराया। उसने

    ‘काला खाँ’ जैसे 12सK पहलवान को भी हरा Nदया। उसके बाद वह दरबार का दशCनीय जीव बन अथाC। लु�न 2सहं मेलJ म�

    घुटने तक लंबा चJगा पहन,े अ0त-eय0त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी क तरह झूमता चलता। हलवाई के आOह पर दो

    सेर रसगुWला खाता तथा मुँह म� आठ-दस पान एक साथ दूँस लेता। वह बZचJ जैसे शौक रखता था। दंगल म� उससे कोई

    लड़ने क Nह4मत नह*ं करता। कोई करता तो उसे राजा साहब इजाजत नह*ं देते थे। इस तरह पंMह वषC बीत गए। उसके दो

    पुR हुए। उसक सास पहले ह* मर चकु थी और प!नी भी दो पहलवान पैदा करके 0वगC 2सधार गई। दोनJ लड़के पहलवान

    थे। दोनJ का भरण-पोषण दरबार से हो रहा था।

    पहलवान हर रोज सुबह उनसे कसरत करवाता। Nदन म� उ ह� सांसाAरक ान भी देता। वह बताता @क उसका गुT ढोल है,

    और कोई नह*ं। अचानक राजा साहब 0वगC 2सधार गए। नए राजकुमार ने Fवलायत से आकर राजकाज अपने हाथ म� ले

    2लया। उसने पहलवानJ क छु�ी कर द*। लु�न ढोलक कंधे से लटकाकर अपने पुRJ के साथ गाँव लौट आया। गाँव वालJ न े

    उसक झोपड़ी बना द* तथा वह गाँव के नौजवानJ व चरवाहJ को कु�ती 2सखाने लगा। खाने-पीन ेका खचC गाँव वालJ क

    तरफ से बँधा हुआ था। गर*बी के कारण धीरे-धीरे @कसानJ व मजदरूJ के बZच े0कूल म� आन ेबंद हो गए। अब वह अपने

    लड़कJ को ह* ढोल बजाकर कु�ती 2सखाता।

  • लड़के Nदनभर मजदरू* करके कमाकर लाते थे। गाँव पर अचानक संकट आ गया। सूखे के कारण अ न क कमी हो गई

    तथा @फर मलेAरया व हैजा फैल गया। घर के घर खाल* हो गए। 1&तNदन दो-तीन लाश� उठने लगीं। लोग एक-दसूरे को

    ढाँढ़स देते तथा शाम होते ह* घरJ म� घुस जाते। लोग चपु रहन ेलगे। ऐसे समय म� केवल पहलवान क ढोलक ह* बजती थी

    जो गाँव के अधमतृ, औष8ध-उपचार-पiय-Fवह*न 1ा5णयJ म� संजीवनी शि�त भरती थी। एक Nदन पहलवान के दोनJ बेटे

    भी चल बसे। पहलवान सार* रात ढोल पीटता रहा। दोनJ पेट के बल पड़ ेहुए थे। उसने लंबी साँस लेकर कहा-दोनJ बहादरु

    8गर पड़।े उस Nदन उसने राजा �यामानंद क द* हुई रेशमी जाँ&घया पहनी और सारे शर*र पर 2म�ी मलकर थोड़ी कसरत

    क @फर दोनJ पुRJ को कंधJ पर लादकर नद* म� बहा आया। इस घटना के बाद गाँव वालJ क Nह4मत टूट गई।

    रात म� @फर पहलवान क ढोलक बजने लगी तो लोगJ क Nह4मत दगुुनी बढ़ गई। चार-पाँच NदनJ के बाद एक रात ढोलक

    क आवाज नह*ं सुनाई पड़ी। सुबह उसके 2शhयJ न ेदेखा @क पहलवान क लाश ‘8चत’ पड़ी है। 2शhयJ ने बताया @क उसके

    गुT ने कहा था @क उसके शर*र को 8चता पर पेट के बल 2लटाया जाए �यJ@क वह कभी ‘8चत’ नह*ं हुआ और 8चता

    सुलगाने के समय ढोल जqर बजा देना ।

    श&दाथ3

    प5ृठ-108

    अमाव�या-चाँद रNहत रात। भयात-भय से पी^ड़त। स नाटा-चjुपी। सााdय-राdय। &न0त#धता-ग&तह*नता। चhेटा-

    को2शश। dयो&त-1काश। शोष होना-ख!म होना। bदन-Fवलाप, रोना। येचक-उWलू। कै-उWट*। टेर-पुकार। कठ-गला।

    बाधा-Tकावट। ताड़ना-भाँपना। घूरा-गंदगी का ढेर। मन मारना-उदास होना, इZछा को समाjत करना। भीषणता-

    भयंकरता। ताल ठोकना-चनुौती देना। ललकारना-लड़ने का &नमंRण देना। सजीवनी-जीवन देने वाल*।

    प5ृठ-110

    अनुसरण करना-पीछे-पीछे चलना। थारोhण-दधुाq पशु के थनJ से &नकला ताजा दधू। @कशोराव0था-10 से 15 वषC क

    आयु। मांसल-िजस पर मांस चढ़ गया हो। दाँव-प�च-तौर-तर*के, तकनीक। Yबजल* उ!य न करना-तेजी से जगा देना।

    चनुौती-ललकार। 8गरोह-समूह। या-पहलवान। टायNटल-पदवी। @कलकार* भरना-खशुी 1कट करने के 2लए गले से

    आवाज� &नकालना। दलुक लगाना-उछल-उछल कर खेलना। @कं8चत-शायद। 0यथf-मुकाबला। खलबल* मचना-हड़कंप

    मचना।

    प5ृठ-111

    गो�त-मांस। दहुाई-Fवनती। अधीर-eयाकुल। जमायत-सभा। बौछार करना-अ!य8धक देना। यg-समथCन। 1&तदवदवी-

    मुकाबला करने वाला। Fववश-मजबूर। हलुआ होना-पूर* तरह कुचला जाना। 8च!त करना-जमीन पर पीठ लगाना, हराना।

    प5ृठ– 112

    सीमा न रहना-बहुत अ8धक होना। जनमत-लोगJ का समथCन। जय-eव&न-जय-जयकार। सन जाना-भर जाना, लथपथ हो

    जाना। गदगद होना-खशु होना। लाज रखना-स4मान बचाना। पुर0कृत-इनाम देना। मुंह Yबचकाना-घणृा भाव eय�त

  • करना। संकु8चत-2सकुड़ा हुआ। क&तC-यश। 0नेह-दिूhट-jयार क नजर। चार चाँद लगाना-शान को अ8धक बढ़ा देना।

    आसमान Nदखाना-हरा देना। टूट पड़ना-हमला करना। लकवा मारना-पंगु होना।

    प5ृठ–113

    दशCनीय-देखने योoय। अ0त-eय0त-Yबखरा हुआ। मतवाला-म0त। चहुल-शरारत। उदर0थ-पेट म� डालकर। हु2लया-

    qपसdजा। अबरख-रंगीन चमकला कागज। वदृ8ध-बढ़ोतर*। देह-शर*र, तन। अजय-िजसे जीता न जा सके। अनायास-

    Yबना 1यास के। 1ताय-शि�त।

    प5ृठ-114

    पानी @फरना-समाjत होना। 2श8थलता-Nढलाई। चपेटाघात-लपेट म� लेकर आघात करना। टैAरबुल-भयानक। हAरबुल-

    महाभयंकर। साफ जवाब 2मलना-इ कार कर देना। चरवाहा-पशु चरान ेवाला। वयात-व 8गरना। अनाविृhट-अकाल,

    सूखा पड़ना। कलरव-मंद और मधरु 0वर। हाहाकार-चीख-पुकार। 1भा-dयो&त, 1काश। दिूhटगोचर होना-Nदखाई देना।

    काँखते-कंूखते-सूखी खाँसी खाँसते हुए। आ!मीय-अपने। ढाँढ़स-तसWल*।

    प5ृठ-115

    FवभीFषका-भयानक दशा। अदधमतृ-अधमरा। यiय-इलाज। संजीवनी शि�त-जीवन देने वाल* शि�त। 0यंदन-

    शि�तशू य-धड़कन क शि�त से रNहत। 0नायु-नस� । सवनाश-सब कुछ नhट करना। अख मूदना-म!ृयु होना। bूर काल-

    कठोर म!ृयु। असहय वेदना-िजस कhट को सहा न जा सके। &न0यद-भावनाह*न, चतेनाह*न। दंग रहना-हैरान रहना।

    Nह4मत टूटना-&नराश होना। सतयत-दखुी। डढ़े हाथ का कलेजा-सहनशील। Nदलेर-बहादरु। Toण-बीमार।

    अथ37हण संबंधी शन्

    /न;न को पढ़कर पूछे गए �न> के उ�तर दAिजए

    1. जाड़ ेका Nदन। अमाव0या क रात-ठंडी और काल*। मलेAरया और हैजे से पी^ड़त गाँव भयात 2शशु क तरह थर-थर

    काँप रहा था। पुरानी और उजड़ी बाँस-फूस क झोप^ड़यJ म� अधंकार और स नाटे का सि4म2लत सााdय! आँधेरा और

    &न0त#धता !

    शन्

    (क) लेखक @कस तरह के मौसम का वणCन कर रहा है?

    (ख) गाँव @कससे पी^ड़त है?

    (ग) गाँव @कसके समान काँप रहा है?

    (घ) ग_यांश के आधार पर गाँव क आ8थCक दशा का 8चRण किजए।

    उ�तर –

  • (क) लेखक सदx के NदनJ का वणCन कर रहा है। अमाव0या क रात है। भयंकर ठंड है तथा चारJ तरफ अधेँरा है।

    (ख) गाँव हैजे व मलेAरया क बीमार* से पी^ड़त है।

    (ग) गाँव मलेAरया व हैजे से पी^ड़त है तथा वह भयभीत 2शशु क तरह थर-थर काँप रहा है।

    (घ) ग_यांश से ात होता है @क गाँव क आ8थCक दशा दयनीय थी। घर के नाम पर टूट*-फूट* झोप^ड़याँ थीं िजनम� खशुी

    का नामो&नशान तक नह*ं था।

    2. अधेँर* रात चपुचाप आँसू बहा रह* थी। &न0त#धता कTण 2सस@कयJ और आहJ को बलपूवCक अपने kदय म� ह* दबाने

    क चhेटा कर रह* थी। आकाश म� तारे चमक रहे थे। पiृवी पर कह*ं 1काश का नाम नह*ं। आकाश से टूटकर यNद कोई

    भावुक तारा पiृवी पर जाना भी चाहता तो उसक dयो&त और शि�त रा0ते म� ह* शषे हो जाती थी। अ य तारे उसक

    भावुकता अथवा असफलता पर 5खल5खलाकर हँस पड़त ेथे।

    शन्

    (क) गाँव म� ऐसा �या हो गया था @क आँधेर* रात चपुचाप असू बहा रह* थी?

    (ख) कहानी म� वातावरण-&नम5ण के 2लए लेखक औधर* रात के 0थान पर चाँदनी रात को चनुता तो �या अंतर आ

    जाता? 0पhट कर�।

    (ग) उ�त ग_यांश के आधार पर लेखक क भाषा-शैल* पर Nटjपणी किजए।

    (घ) ‘&न0त#धता’ @कसे कहते ह(? उस रात क &न0त#धता �या 1य!न कर रह* थी और �यJ?

    उ�तर –

    (क) गाँव म� हैजे व मलेAरया का 1कोप था। इसके कारण घर-घर म� मौत� हो रह* थीं। चारJ ओर मौत का स नाटा था। इसी

    कारण अधेँर* रात चपुचाप आँसू बहा रह* थी।

    (ख) कहानी म� वातावरण &नमाCण के 2लए लेखक चाँदनी रात को चनुता तो भाव म� अतंर आ जाता। चाँदनी रात 1ेम व

    संयोग को अ2भeयि�त 1दान करती है। इससे मनुhय क eयथा एव ंदयनीय दशा का सफल 8चRण न हो पाता।

    (ग) इस ग_यांश म� लेखक ने 8चRा!मक व आलंकाAरक भाषा का 1योग @कया है। रात का मानवीकरण @कया गया है। वह

    मानव क तरह शोक 1कट कर रह* है। 2म8nत श#दावल* है। खड़ी बोल* म� सश�त अ2भeयि�त है।

    (घ) ‘&न0त#धता’ का अथC है-मौन या ग&तह*नता। रात के अधेँरे म� सब कुछ शांत हो जाता है। उस रात क &न0त#धता

    कTण 2सस@कयJ व आहJ को बलपूवCक दबान ेक को2शश कर रह* थी �यJ@क Nदन म� मौत का तांडव रहता था तथा हर

    तरफ चीख-पुकार होती थी।

    3. राYR अपनी भीषणताओ ंके साथ चलती रहती और उसक सार* भीषणता को ताल ठोककर ललकारती रहती थी-2सफC

    पहलवान क ढोलक! सं�या से लेकर 1ात:काल तक एक ह* ग&त से बजती रहती-‘चU-धा, 8गड़-धा, ’ चU-धा, 8गड़ धा!’

    यानी ‘आ जा 2भड़ जा, आ जा, 2भड़ जा!” ’ बीच-बीच म�-‘चटाक्-चU-धा, ‘चटाक्-चU-धा!’ यानी ‘उठाकर पटक दे! उठाकर

  • पटक दे!!’

    यह* आवाज मतृ गाँव म� संजीवनी भरती रहती थी।

    शन्

    (क) राYR क भीषणताए ँकैसी थीं ?

    (ख) पहलवान क ढोलक @कसको ललकारती थी?

    (ग) पहलवान क ढोलक के बजने का �या समय था?

    (घ) ढोलक क कौन – सी आवाज �या असर Nदखाती थी?

    उ�तर –

    (क) लेखक ने राYR क भीषणताओ ंके बारे म� बतात ेहुए कहता है @क जाड़ ेक अमाव0या क रात थी। मलेAरया व हैजे का

    1कोप था। चारJ तरफ &न0त#धता थी।

    (ख) पहलवान क ढोलक राYR क भीषणता को ताल ठोककर ललकारती थी। वह एक ह* ग&त से बजती रहती थी।

    (ग) पहलवान क ढोलक बजने का समय सं�या से 1ात:काल तक का था।

    (घ) ढोलक क आवाज थी-चU-धा, 8गड़-धा यानी आ जा 2भड़ जा। बीच-बीच म� ‘चटाक्-चU-धा’ यानी ‘उठाकर पटक दे!’

    क आवाज आती थी। यह आवाज मतृ गाँव म� जीवन-आशा का संचार करती थी।

    4. लु�न के माता-Fपता उसे नौ वषC क उ म� ह* अनाथ बनाकर चल बसे थे। सौभाoयवश शाद* हो चकु थी, वरना वह भी

    माँ-बाप का अनुसरण करता। Fवधवा सास ने पाल-पोसकर बड़ा @कया। बचपन म� वह गाय चराता, धारोhण दधू पीता और

    कसरत @कया करता था। गाँव के लोग उसक सास को तरह-तरह क तकल*फ़ Nदया करत ेथे; लु�न के 2सर पर कसरत क

    धनु लोगJ से बदला लेने के 2लए ह* सवार हुई थी।

    शन्

    (क) लु�न कौन था? उसका नाम �यJ फैला था?

    (ख) नौ वषC क उ म� Fववाह हो जाना लु\टन का सौभाoय �यJ था?

    (ग) ‘धारोhण दधू’ से �या ता!पयC है? बचपन म� लु\टन और �या- �या काम @कया करता था?

    (घ) कसरत करके पहलवान बनन ेक इZछा उसके मन म� �यJ पैदा हुई थी?

    उ�तर –

    (क) लु�न वह बालक था िजसके माँ-बाप उस समय मर गए थे जब वह माR नौ बरस का था। उसका पालन-पोषण उसक

    Fवधवा सास ने @कया। उसने चाँद 2सहं जैसे 12सK पहलवान को हराकर राज पहलवान बनन ेका गौरव 1ाjत @कया था।

    इस कारण उसका नाम फैला था।

  • (ख) लु�न का Fववाह नौ वषC क आयु म� हो गया था। लेखक इसे उसका सौभाoय कहता है �यJ@क इस आयु म� उसके माँ-

    बाप गुजर चकेु थे। उसक देखभाल करने वाला कोई नह*ं था। वह भी मौत के आगोश म� समा जाता। Fववाह होन ेके कारण

    उसक Fवधवा सास ने उसे पाला-पोसा।

    (ग) इसका अथC है-धार का गरम दधू। बचपन म� लु�न गाय चराता था तथा कसरत करता था।

    (घ) लु�न क सास को गाँव के लोग तरह-तरह क तकल*फ� देते थे। वह उनसे बदला लेना चाहता था इस2लए कसरत

    करके पहलवान बनन ेक इZछा उसके मन म� पैदा हुई।

    5. एक बार वह ‘दंगल’ देखने �यामनगर मेला गया। पहलवानJ क कु�ती और दाँव-प�च देखकर उससे नह*ं रहा गया।

    जवानी क म0ती और ढोल क ललकारती हुई आवाज ने उसक नसJ म� Yबजल* उ!प न कर द*। उसने Yबना कुछ सोचे-

    समझ ेदंगल म� ‘शरे के बZच’े को चनुौती दे द*। ‘शरे के बZच’े का असल नाम था चाँद 2सहं। वह अपने गुT पहलवान बादल

    2सहं के साथ पंजाब से पहले-पहल �यामनगर मेले म� आया था। सुंदर जवान, अंग-1!यंग से सुंदरता टपक पड़ती थी। तीन

    NदनJ म� ह* पंजाबी और पठान पहलवानJ के 8गरोह के अपनी जोड़ी और उ के सभी पJ को पछाड़कर उसने ‘शरे के बZच’े

    क टायNटल 1ाjत कर ल* थी। इस2लए वह दंगल के मैदान म� ल(गोट लगाकर एक अजीब @कलकार* भरकर छोट* दलुक

    लगाया करता था। देशी नौजवान पहलवान उससे लड़ने क कWपना से भी घबरात ेथे। अपनी टायNटल को स!य 1मा5णत

    करने के 2लए ह* चाँद 2सहं बीच-बीच म� दहाड़ता @फरता था।

    शन्

    (क) 1थम पंि�त म� ‘वह’ कौन है? वह कहाँ गया और उस पर �या 1भाव पडा?

    (ख) ‘Yबजल* उ!प न होना’ का आशय बताइए। इसका कारण �या था?

    (ग) शरे का बZचा कौन था? उसने यह टायटल कैसे 1ाjत @कया?

    (घ) चाँद 2सहं अपने टायNटल को स!य 1मा5णत करने के 2लए �या करता था?

    उ�तर –

    (क) ‘वह’ लु�न पहलवान है। वह �यामनगर मेले म� दंगल देखने गया। वहाँ पहलवानJ क कु�ती व दाँव-प�च देखकर उसम�

    जोश भर गया।

    (ख) ‘Yबजल* उ!प न होना’ का अथC है-1बल जोश उ!प न होना। जवानी क म0ती व ढोल क ललकारती हुई आवाज ने

    लु�न क नसJ म� जोश भर Nदया।

    (ग) ‘शरे का बZचा” पहलवान बादल 2सहं का 2शhय चाँद 2सहं था। वह पंजाब से आया था। उसने तीन Nदन म� ह* पंजाबी व

    पठान पहलवानJ क टोल* म� अपनी जोड़ी व उ के पहलवानJ को हराकर यह टायNटल 1ाjत @कया।

    (घ) चाँद 2सहं दंगल के मैदान म� ल(गोट बाँधकर अजीब @कलकार* भरकर छोट* दलुक लगाया करता था। वह बीच-बीच म�

    दहाड़ता भी था।

  • 6. शांत दशCकJ क भीड़ म� खलबल* मच गई-‘पागल है पागल, मरा-ऐं! मरा-मरा !’’ पर वाह रे बहादरु! लु�न बड़ी सफाई से

    आbमण को सँभालकर &नकलकर उठ खड़ा हुआ और प(तरा Nदखाने लगा। राजा साहब न ेकु�ती बंद करवाकर लु�न को

    अपने पास बुलवाया और समझाया। अतं म�, उसक Nह4मत क 1शंसा करत ेहुए, दस Tपये का नोट देकर कहने लगे-

    ‘जाओ, मेला देखकर घर जाओ!’”

    शन्

    (क) शांत दशCकJ म� खलबल* मचने का �या कारण था?

    (ख) लु�न पर @कसने आbमण @कया? उसने �या 1&त@bया जताई?

    (ग) राजा साहब ने कु�ती बीच म� �यJ Tकवा द*?

    (घ) राजा साहब ने लु�न को �या नसीहत द*?

    उ�तर –

    (क) लु�न न ेमेले के मशहूर पहलवान चाँद 2सहं को चनुौती द* थी। चाँद 2सहं को चनुौती देना तथा उससे कु�ती लड़ना

    हँसी-खेल न था इस2लए शांत दशCकJ क भीड़ म� खलबल* मच गई।

    (ख) लु�न पर चाँद 2सहं ने आbमण @कया। लु�न बड़ी सफ़ाई से आbमण को सँभालकर उठ खड़ा हुआ और प(तरा Nदखाने

    लगा।

    (ग) राजा साहब चाँद 2सहं क कु�ती के बारे म� जानते थे। वह पहले ह* ‘शरे के बZच’े क उपा8ध 1ाjत कर चकुा था। लु�न

    पहल* बार दंगल लड़ा था, इस2लए राजा साहब ने कु�ती बीच म� Tकवा द*।

    (घ) राजा साहब ने लु�न को दस Tपये का नोट Nदया, उसक Nह4मत क 1शंसा क तथा मेला देखकर घर जाने के क

    नसीहत द*।

    7. भीड़ अधीर हो रह* थी। बाजे बंद हो गए थे। पंजाबी पहलवानJ क जमायत bोध से पागल होकर लु�न पर गा2लयJ क

    बौछार कर रह* थी। दशCकJ क मंडल* उ!तेिजत हो रह* थी। कोई-कोई लु�न के पg से 8चWला उठता था-“उसे लड़ने Nदया

    जाए!”

    शन्

    (क) भीड़ क अधीरता का �या कारण था?

    (ख) लु�न पर गा2लयJ क बौछार कौन कर रहा था? �यJ?

    (ग) दशकJ क मंडल* उ!तेिजत �यJ हो रह* थी?

    (घ) लु�न के पg म� एक-दो दशक ह* �यJ 8चWला रहे थे?

    उ�तर –

  • (क) ल2सक इंoलक चीुद थी भी नोक कु�त देना वाहता थी इसाल वाहअर रह* थी।

    (ख) 2शकार-F1य व_ृध राजा साहब पंजाब के पहलवान चाँद 2सहं क या&त से 1भाFवत होकर उसे अपन ेदरबार म� रखन े

    क बात सोच रहे थे। इसी2लए पंजाबी पहलवानJ का वगC लु�न क चाँद 2सहं को द* गई चनुौती क 1&त@bया0वqप लु�न

    पर गा2लयJ क बौछार कर रहा था। लु�न क चनुौती से उनके हाथ से मौका &नकल सकता था इस2लए वे bो8धत होकर

    उसे गा2लयाँ दे रहे थे।

    (ग) दशCकJ क मंडल* इस2लए उ!तेिजत हो रह* थी �यJ@क लु�न नया पहलवान था जब@क चाँद 2सहं 12सK पहलवान

    था। असमान मुकाबले को देखने के 2लए दशCकJ म� उ!सुकता थी।

    (घ) लु�न पहलवानी के gेR म� अपAर8चत नाम था। उसे कोई-कोई ह* जानता था, इस2लए एक-दो लोग ह* उसका

    उ!साहवधCन कर रहे थे।

    8. पंजाबी पहलवानJ क जमायत चाँद 2सहं क आँख� पJछ रह* थी। लु�न को राजा साहब न ेपुर0कृत ह* नह*ं @कया, अपने

    दरबार म� सदा के 2लए रख 2लया। तब से लु�न राज-पहलवान हो गया और राजा साहब उसे लु�न 2सहं कहकर पुकारन े

    लगे। राज-पं^डतJ ने मुँह Fपचकाया-‘हुजूर! जा&त का – – – – – 2सहं – – – – A ” मैनेजर साहब gYRय थे। ‘�ल*न-शeेड’

    चहेरे को संकु8चत करते हुए, अपनी शि�त लगाकर नाक के बाल उखाड़ रहे थे। चटुक से अ!याचार* बाल को रगड़त ेहुए

    बोले-‘हाँ सरकार, यह अ याय है!” राजा साहब ने मुसकुराते हुए 2सफC इतना ह* कहा-‘उसने gYRय का काम @कया है।’ उसी

    Nदन से लु�न 2सहं पहलवान क क&तC दरू-दरू तक फैल गई। पौिhटक भोजन और eयायाम तथा राजा साहब क 0नेह-

    \िhट ने उसक 12सK म� चार चाँद लगा Nदए। कुछ वष म� ह* उसने एक-एक कर सभी नामी पहलवानJ को 2म�ी सुंघाकर

    आसमान Nदखा Nदया।

    शन्

    (क) कौन @कसक आँख� पJछ रहा था और �यJ?

    (ख) लु�न 2सहं का Fवरोध @कसने @कया और �यJ?

    (ग) लु�न के Fवरोध से त!काल*न समाज क @कस बुराई का पता चलता ह(?

    (घ) लु�नं क कfifतu दरू-दरू तक कैसे फैलfi?

    उ�तर –

    (क) पंजाबी पहलवानJ क जमात चाँद 2सहं क आँख� पJछ रह* थी �यJ@क चाँद 2सहं को लु�न ने हरा Nदया था। इस हार के

    कारण उसे राज-पहलवान का दजाC नह*ं 2मला। फलत: वह दखुी था।

    (ख) लुUटन 2सहं का Fवरोध राज-पं^डतJ और मैनेजर ने @कया। ये दोनJ उZच जा&त के थे तथा लु�न नीच जा&त का था। वे

    gYRय या ाहमण को राज-पहलवान बनाना चाहते थे।

    (ग) लु�न का Fवरोध करने से पता चलता है @क उस समय gेRवाद के साथ-साथ जा&त-1था जोरJ पर थी। &न4न जा&त के

    eयि�त को सरकार* पद व लाभ से दरू रखा जाता था।

  • (घ) लु�न ने चाँद 2सहं जैसे 12सK पहलवान को हरा Nदया। राज-दरबार म� रहकर उसने एक-एक करके सभी नामी

    पहलवानJ को 8चत कर Nदया। इससे उसक 12सK दरू-दरू तक फैल गई।

    9. मेलJ म� वह घुटने तक लंबा चJगा पहन,े अ0त-eय0त पगड़ी बाँधकर मतवाले हाथी क तरह झूमता चलता। दकुानदारJ

    को चहुल करने क सूझती। हलवाई अपनी दकुान पर बुलाता-‘पहलवान काका! ताजा रसगुWला बना है, जरा ना�ता कर

    लो!’ पहलवान बZचJ क-सी 0वाभाFवक हँसी हँसकर कहता-‘अरे तनी-मनी काहे! ले आव डढ़े सेर।’ और बैठ जाता।

    शन्

    (क) मेले म� लु�न 2सहं �या पहनता था?

    (ख) दकुानदार उसके साथ �या करते थे?

    (ग) हलवाई उसे �यJ बुलाता था?

    (घ) हलवाड़ के बुलाने पर लु�न क �या 1&त@bया होती?

    उ�तर –

    (क) मेले म� लु�न 2सहं घुटने तक लंबा चJगा पहनकर अ0त-eय0त पगड़ी बाँधकर म0त हाथी क तरह झूमता चलता था।

    (ख) दकुानदार उसके साथ चहुलबाजी करते थे।

    (ग) हलवाई उसे दकुान पर बुलाता और उसे ताजे रसगWुले का ना�ता करने के 2लए कहता था।

    (घ) हलवाई _वारा ना�त ेका &नमंRण पाकर लु�न बZचJ क तरह खशु होता और थोड़ा नह*ं बिWक डढ़े सेर रसगुWले लेकर

    खान ेबैठ जाता।

    10. दोनJ ह* लड़के राज-दरबार के भावी पहलवान घोFषत हो चकेु थे। अत: दोनJ का भरण-पोषण दरबार से ह* हो रहा था।

    1&तNदन 1ात:काल पहलवान 0वयं ढोलक बजा-बजाकर दोनJ से कसरत करवाता। दोपहर म�, लेटे-लेटे दोनJ को सांसाAरक

    ान क भी 2शgा देता-“समझ!े ढोलक क आवाज पर पूरा �यान देना। हाँ, मेरा गुT कोई पहलवान नह*ं, यह* ढोल है,

    समझ!े ढोल क आवाज के 1ताप से ह* म( पहलवान हुआ। दंगल म� उतरकर सबसे पहले ढोलJ को 1णाम करना, समझे!”

    ऐसी ह* बहुत-सी बात� वह कहा करता। @फर मा2लक को कैसे खशु रखा जाता है, कब कैसा eयवहार करना चाNहए, आNद

    क 2शgा वह &न!य Nदया करता था।

    शन्

    (क) पहलवान के बटJ का भरण-पोषण राज-दरबार से �यJ होता था?

    (ख) पहलवान अपने पुRJ को �या 2शgा Nदया करता था?

    (ग) लु�न @कस अपना गुT मानता था और �यJ?

    (घ) आज गाँवJ म� अखाड़ समाjत हो रहे ह(, इसके �या कारण हो सकते ह(?

  • उ�तर –

    (क) पहलवान के बेटJ का भरण-पोषण राज-दरबार से इस2लए होता था �यJ@क लु�न राज-पहलवान घोFषत हो चकुा थो।

    उसने चाँद पहलवान को हराकर राजा का Nदल जीत 2लया था।

    (ख) पहलवान अपने पुRJ को 2शgा देता था @क ढोल क आवाज पर पूरा �यान देना। दंगल म� उतरकर सबसे पहले ढोल

    को 1णाम करना। इसके अलावा वह मा2लक को खशु रखन ेका उपाय भी बताता था।

    (ग) लु�न अपना गुT ढोल को इस2लए मानता था �यJ@क उसने जो भी धन, 1&तhठा और 12सK पाई थी उसम� ढोल का

    बड़ा योगदान था।

    (घ) आज गाँवJ म� पहलवानJ को आदर स!कार न 2मलना, लोगJ के पास समयाभाव होना, कु�ती को आदर-स4मान न

    देना तथा अखाड़J से अZछf आय का साधन न बन पान ेके कारण गाँवJ से अखाड़े समाjत हो रहे ह(।

    11. @कंतु उसक 2शgा-द*gा, सब @कए-@कराए पर एक Nदन पानी @फर गया। वKृ राजा 0वगC 2सधार गए। नए राजकुमार

    ने Fवलायत से आत ेह* राdय को अपने हाथ म� ले 2लया। राजा साहब के समय 2श8थलता आ गई थी, राजकुमार के आत े

    ह* दरू हो गई। बहुत-से पAरवतCन हुए। उ ह*ं पAरवतCनJ क चपेटाघात म� पड़ा पहलवान भी। दंगल का 0थान घोड़ ेक रेस ने

    2लया। पहलवान तथा दोनJ भावी पहलवानJ का दै&नक भोजन-eयय सुनत ेह* राजकुमार ने कहा-“टैAरबुल!” नए मैनेजर

    साहब न ेकहा ‘ ” पहलवान को साफ जवाब 2मल गया, राज-दरबार म� उसक आव�यकता नह*ं। उसको 8गड़8गड़ान ेका भी

    मौका नह*ं Nदया गया।

    शन्

    (क) पहलवान के @कए-कराए पर पानी �यJ @फरा?

    (ख) स0ता पAरवतCन के �या पAरणाम हुए?

    (ग) पहलवान को राdयाnय �यJ नह*ं 2मला?

    (घ) मैनेजर ने लु�न को कैसे &नकाला2

    उ�तर –

    (क) पुरान ेराजा ने लु�न को राज-पहलवान बनाया था। यहाँ पर लु�न पंMह वषC से अपने लड़कJ को 2शgा-द*gा देकर

    भावी पहलवान बनाना चाहता था, परंतु राजा क म!ृय ुहोत ेह* उसक सार* योजना फेल हो गई। नए राजा ने उसे &नकाल

    Nदया।

    (ख) स!ता-पAरवतCन होत ेह* नए राजकुमार न ेFवलायती ढंग से शासन शुq @कया। उसने पहलवानी क जगह घोड़ ेक रेस

    को बढ़ावा Nदया, 1शास&नक 2श8थलता को दरू @कया और राज-पहलवान को राज-दरबार से हटा Nदया।

    (ग) पहलवान व उसके भावी पहलवानJ का दै&नक भोजन-eयय अ8धक था। दसूरे, नए राजा क T8च दंगल म� नह*ं थी।

    इस2लए पहलवान को राdयाnय नह*ं 2मला।

    (घ) मैनेजर नीच जा&त के लु�न से पहले ह* 8चढ़ते थे। नए राजा को पहलवानJ का शौक नह*ं था। अत: जब उसने

  • पहलवानJ के eयय पर एतराज जताया तो मैनेजर न ेउनक बात का समथCन तथा उनके खचC को ‘हौर*बुल’ बताकर

    पहलवानJ को दरबार से हटवा Nदया।

    12. राYR क FवभीFषका को 2सफC पहलवान क ढोलक ह* ललकारकर चनुौती देती रहती थी। पहलवान सं�या से सुबह

    तक, चाहे िजस खयाल से ढोलक बजाता हो, @कंतु गाँव के अधमतृ, औष8ध-उपचार-पiय-Fवह*न 1ा5णयJ म� वह

    संजीवनी शि�त ह* भरती थी। बूढ़े-बZच-ेजवानJ क शि�तह*न आँखJ के आगे दंगल का \�य नाचन ेलगता था। 0पंदन-

    शि�तशू य 0नायुओं म� भी Yबजल* दौड़ जाती थी। अव�य ह* ढोलक क आवाज म� न तो बुखार हटाने का कोई गुण था

    और न महामार* क सवCनाश शि�त को रोकन ेक शि�त ह*, पर इसम� संदेह नह*ं @क मरत ेहुए 1ा5णयJ को आँख मूंदते

    समय कोई तकल*फ़ नह*ं होती थी, म!ृय ुसे वे डरत ेनह*ं थे।

    शन्

    (क) ग_यांश म� राYR क @कस FवभीFषका क चचाC क गई है? ढोलक उसको @कस 1कार क चनुौती देती थी।

    (ख) @कस 1कार के eयि�तयJ को ढोलक से राहत 2मलती थी? यह राहत कैसी थी?

    (ग) ‘दंगल के \�य’ से लेखक का �या अ2भ1ाय है? यह \�य लोगJ पर @कस तरह का 1भाव डालता था?

    (घ) पहलवान को ढोलक क आवाज कैसे लोगJ म� संजीवनी-शि�त भरती थी?

    उ�तर –

    (क) ग_यांश म� महामार* क FवभीFषका क चचाC क गई है। ढोलक क आवाज मन म� उ!साह पैदा करती थी िजससे

    मनुhय महामार* से &नपटने को तैयार होता था।

    (ख) ढोलक से महामार* के कारण अधमतृ, औष8ध और उपचार Fवह*न लोगJ को राहत 2मलती थी। उसक आवाज

    सुनकर उनके शर*रJ म� दंगल जीतन ेका \�य साकार हो उठता था।

    (ग) लु�न ढोलक क आवाज के बल पर ह* दंगल जीता था। उस \�य को याद करके लोग उ!साह से भर उठते थे। वह उ ह�

    बीमार* से लड़न ेक 1ेरणा देता था।

    (घ) पहलवान को ढोलक क आवाज गाँव के अधमतृ औष8ध-उपचार-पiय-Fवह*न 1ा5णयJ म� संजीवनी शि�त।

    13. उस Nदन पहलवान न ेराजा �यामानंद क द* हुई रेशमी जाँ&घया पहन ल*। सारे शर*र म� 2म�ी मलकर थोड़ी कसरत

    क, @फर दोनJ पुRJ को कंधJ पर लादकर नद* म� बहा आया। लोगJ ने सुना तो दंग रह गए। @कतनJ क Nह4मत टूट गई।

    @कंतु, रात म� @फर पहलवान क ढोलक क आवाज 1&तNदन क भाँ&त सुनाई पड़ी। लोगJ क Nह4मत दगुुनी बढ़ गई।

    संतjत Fपता-माताओं न ेकहा-‘दोनJ पहलवान बेटे मर गए, पर पहलवान क Nह4मत तो देखो, डढ़े हाथ का कलेजा है!”

    चार-पाँच NदनJ के बाद। एक रात को ढोलक क आवाज नह*ं सुनाई पड़ी। ढोलक नह*ं बोल*। पहलवान के कुछ Nदलेर, @कंतु

    Toण 2शhयJ ने 1ात:काल जाकर देखा-पहलवान क लाश ‘8चत’ पड़ी है। आँसू पJछते हुए एक ने कहा-‘गुT जी कहा करते

    थे @क जब म( मर जाऊँ तो 8चता पर मुझे 8चत नह*ं, पेट के बल सुलाना। म( िजंदगी म� कभी ‘8चत ‘नह*ं हुआ। और 8चता

    सुलगाने के समय ढोलक बजा देना।’ वह आगे बोल नह*ं सका।

  • शन्

    (क) पहलवान ने अपने बZचJ का अ&तम स0कार कैसे @कया2

    (ख) लोग पहलवान क @कस बात पर हैरान थे2

    (ग) पहलवान क ढोलक बजनी बद �यJ हो गई?

    (घ) पहलवान क अ&ंतम इZछा �या थी?

    उ�तर –

    (क) बीमार* से पहलवान के दोनJ लड़के चल बसे। उस Nदन उसने राजा �यामानंद क द* हुई रेशमी जाँ&घया पहनी, सारे

    शर*र पर 2म�ी मलकर थोड़ी कसरत क तथा @फर दोनJ पुRJ को कंधJ पर लादकर नद* म� बहा आया।

    (ख) लोग पहलवान क आ!मशि�त देखकर हैरान थे। दोनJ जवान पुRJ क म!ृयु पर भी वह Nह4मत नह*ं हारा था। उसने

    रोज क तरह रात भर ढोलक बजाई। लोगJ ने उसके कलेजे को डढ़े हाथ का बताया। वे उसक Nह4मत क दाद देते थे।

    (ग) एक रात पहलवान के ढोलक क आवाज नह*ं सुनाई द*। 2शhयJ ने सुबह जाकर देखा तो पहलवान क म!ृयु हो चकु

    थी।

    (घ) पहलवान क अ&ंतम इZछा थी @क मरने के बाद उसे 8चता पर पेट के बल 2लटा Nदया जाए �यJ@क वह जीवन म� कभी

    ‘8चत’ नह*ं हुआ। इसके अलावा 8चता सुलगाने के समय ढोलक बजाया जाए।

    अ*य हल �न

    बोधा�मक शन

    �न 1:

    ‘ढोल म� तो जैसे पहलवान क जान बसी थी -‘पहलवान क ढोलक’ पाठ के आधार पर 2सK किजए।

    उ�तर –

    लु�न 2सहं जब जवानी के जोश म� आकर चाँद 2सहं नामक म(जे हुए पहलवान को ललकार बैठा तो सारा जनसमूह, राजा

    और पहलवानJ का समूह आNद क यह धारणा थी @क यह कZचा @कशोर िजसने कु�ती कभी सीखी नह*ं है, पहले दाँव म� ह*

    ढेर हो जाएगा। हालाँ@क लु�न 2सहं क नसJ म� Yबजल* और मन म� जीत का जdबा उबाल खा रहा था। उसे @कसी क

    परवाह न थी। हाँ, ढोल क थाप म� उसे एक-एक दाँव-प�च का मागCदशCन जqर 2मल रहा था। उसी थाप का अनुसरण करत े

    हुए उसने ‘शरे के बZचे’ को खबू धोया, उठा-उठाकर पटका और हरा Nदया। इस जीत म� एकमाR ढोल ह* उसके साथ था।

    अत: जीतकर वह सबसे पहले ढोल के पास दौड़ा और उसे 1णाम @कया।

    �न 2:

    ‘पहलवान क ढोलक’ कहानी के 1ारंभ म� 8चYRत 1कृ&त का 0वqप कहानी क भयावहता क ओर संकेत करता है। इस

    कथन पर Nटjपणी काCिजए।

    उ�तर –

  • कहानी के 1ारंभ म� 1कृ&त का 0वqप कहानी क भयावहता क ओर संकेत करता है। रात के भयावह वणCन म� बताया गया

    है @क चारJ तरफ स नाटा है। 2सयारJ का bदन व उWलू क डरावनी आवाज &न0त#धता को कभी-कभी भंग कर देती थी।

    गाँव क झोप^ड़यJ से कराहन ेऔर कै करने क आवाज सुनाई पड़ती थी। बZचे भी कभी-कभी &नबCल कंठJ से ‘माँ-माँ’

    पुकारकर रो पड़त ेथे। इससे राYR क &न0त#धता म� बाधा नह*ं पड़ती थी।

    �न 3:

    पहलवान लु�न के सुख-चैन भरे NदनJ का वणCन अपने श#दJ म� किजए।

    उ�तर –

    पहलवान लु�न के सुख-चैन के Nदन तब शुq हुए जब उसने चाँद 2सहं को कु�ती म� हराकर अपना नाम रोशन @कया। राजा

    ने उसे दरबार म� रखा। इससे उसक क&तC दरू-दरू तक फैल गई। पौिhटक भोजन व राजा क 0नेह-\िhट 2मलने से उसने

    सभी नामी पहलवानJ को जमीन सुंघा द*। अब वह दशCनीय जीव बन गया। मेलJ म� वह लंबा चJगा पहनकर तथा अ0त-

    eय0त पगड़ी बाँधकर म0त हाथी क तरह चलता था। हलवाई उसे 2मठाई 5खलाते थे।

    �न 4:

    लु�न के राज-पहलवान बन जाने के बाद क Nदन