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Class 8 question bank 2020-21 HINDI Term 1 Stewart school, Cuttack. PROSE AND POETRY LESSON -1(HANS RAHI USHA) हँस रही उषा मौखिक 1 : झर झर करके या बह चले ? उर 1 : झर झर करके सूयय की करण , पिय के गीत एवं झरन के वर बह चले । 2 : पूवय दिशा की लालमा की तुलना कससे की गई है ? उर 2 : पूवय दिशा की लालमा की तुलना लाल रंग के गुलाब और लाल रंग के कमल से की गई है । 3 : धीरे-धीरे या फै ल चल? उर 3: धीरे-धीरे काश की रेखा फैल चली । 4 : शतिल के शीतल कोष से कौन नकला ? उर 4 : शतिल के शीतल कोष से भँवरा गुंजार ललए ननकला । 5 : कवव ने ककसे पलक की पंखुररयाँ खोलने को कहा है ? उर 5 : कवव ने इस संसार के सोए ह ए नौजवान को अपने पलक की पंखुररयाँ खोलने को कहा है । 6 : कवव ककनसे या समेट लेने के लए कह रहे ह ? उर 6 : कवव संसार के सोए ह ए बालक से सुबह के सूरज के ननकलने पर फैली ह ई शोभा और चमक को अपनी आँख म समेट लेने के लए कह रहे ह। 7 : दिगंत से या बहती आ रही है ? उर 7 : दिगंत से ती गनत से निी बहती आ रही है लिखित 1 : ाची का अरणाभ िनतज कैसा तीत हो रहा है ? उर 1 : ाची का अरणाभ िनतज आकाश ऱपी तालाब म से ननकले रतम गुलाब और रतम कमल के फू ल जैसा तीत हो रहा है । 2 : भरे गुंजार य करने लगे ? उर 2 : जब सुबह के सूरज की करण चार दिशाओं म फै ल गई और उसके फै लने से जब अँधकार लमट गया तब सौ पंखुडय वाले कमल म से ननकल कर हषाया ह आ भँवरा अपना आलस याग कर गुंजार करने लगा यक वह भी इस ाक नतक सुंिरता का कायल हो गया था और अपनी आवा से मानो अपनी खुशी जता रहा था 3 : कवव बच से या करने के ललए कह रहा है ? उर 3 : कवव इस संसार के सोए ह ए बच को अपनी पलक की पंखुडयाँ खोलकर सुबह के सूरज के ननकलने पर फैली ह ई शोभा और चमक को अपनी आँख म समेट लेने को कह रहा है 4 : "हँस रही उषा" से कवव का या तापयय है ?

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Class 8 question bank 2020-21

HINDI Term 1

Stewart school, Cuttack.

PROSE AND POETRY

LESSON -1(HANS RAHI USHA) हस रही उषा मौखिक

परशन 1 : झर झर करक कया बह चल ?

उततर 1 : झर झर करक सयय की ककरण, पकषियो क गीत एव झरनो क सवर बह चल ।

परशन 2 : पवय दिशा की लाललमा की तलना ककसस की गई ह ?

उततर 2 : पवय दिशा की लाललमा की तलना लाल रग क गलाब और लाल रग क कमल स की गई ह ।

परशन 3 : धीर-धीर कया फल चली ?

उततर 3: धीर-धीर परकाश की रखा फल चली ।

परशन 4 : शतिल क शीतल कोषो स कौन ननकला ?

उततर 4 : शतिल क शीतल कोषो स भवरा गजार ललए ननकला ।

परशन 5 : कवव न ककस पलको की पखररया खोलन को कहा ह ?

उततर 5 : कवव न इस ससार क सोए हए नौजवानो को अपन पलको की पखररया खोलन को कहा ह ।

परशन 6 : कवव ककनस कया समट लन क ललए कह रह ह ?

उततर 6 : कवव ससार क सोए हए बालको स सबह क सरज क ननकलन पर फली हई शोभा और चमक को अपनी आखो म समट लन क ललए कह रह ह।

परशन 7 : दिगत स कया बहती आ रही ह ?

उततर 7 : दिगत स तीवर गनत स निी बहती आ रही ह ।

लिखित

परशन 1 : पराची का अरणाभ कषिनतज कसा परतीत हो रहा ह ?

उततर 1 : पराची का अरणाभ कषिनतज आकाश रपी तालाब म स ननकल रककतम गलाब और रककतम कमल क फलो जसा परतीत हो रहा ह ।

परशन 2 : भौर गजार कयो करन लग ?

उततर 2 : जब सबह क सरज की ककरण चारो दिशाओ म फल गई और उसक फलन स जब अधकार लमट गया तब सौ पखडियो वाल कमल म स ननकल कर हषायया हआ भवरा अपना आलस तयाग कर गजार करन लगा कयोकक वह भी इस पराकनतक सिरता का कायल हो गया था और अपनी आवाज स मानो अपनी खशी जता रहा था ।

परशन 3 : कवव बचचो स कया करन क ललए कह रहा ह ?

उततर 3 : कवव इस ससार क सोए हए बचचो को अपनी पलको की पखडिया खोलकर सबह क सरज क ननकलन पर फली हई शोभा और चमक को अपनी आखो म समट लन को कह रहा ह ।

परशन 4 : "हस रही उषा" स कवव का कया तातपयय ह ?

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उततर 4 : इस कववता म कवव भारत भषण अगरवाल न परभात क दशय का बहत सिर वणयन ककया ह। इस समय पवय क कषिनतज पर लाली छा जाती ह कजसस अधकार का लोप होन लगता ह ।कवव को लगता ह कक उषा हस रही ह ।

LESSON -2 ( MANTRA ) मतर

मौखिक

परशन 1 : डॉकटर चडढा कहा जान क ललए तयार हो रह थ ?

उततर 1 : डॉ चडढा गोलफ खलन क ललए मिान म जान क ललए तयार हो रह थ ।

परशन 2 : बढा वयककत डॉकटर क पास कयो आया था ?

उततर 2 : बढा वयककत डॉकटर क पास अपन बट क इलाज क ललए आया था।

परशन 3 : बढ वयककत न डॉकटर साहब स गगिगगिाकर कया कहा ?

उततर 3 : बढ वयककत न डॉकटर साहब स गगिगगिाकर अपन बट की जान बचान क ललए कहा, जो कई दिनो स बीमार चल रहा था ।

परशन 4 : डॉ चडढा न बढ वयककत क बट का इलाज कयो नही ककया ?

उततर 4 : डॉ चडढा न बढ वयककत क बट का इलाज नही ककया कयोकक उस समय वह गोलफ खलन क ललए मिान जा रह थ और उनक पास समय नही था । उनक दहसाब स ऐस उजजि िहाती उनक पास रोज आया करत थ ।

परशन 5 : बढा वयककत िसर डॉकटर क पास कयो नही गया ?

उततर 5 : बढा वयककत चारो तर स ननराश होकर डॉकटर क पास बिी उममीि लकर आया था । उसन उनकी बिी तारी सनी थी परत डॉकटर साहब क चल जान पर वह ननराश हो गया और उसन सोच ललया कक शायि ककसमत म ललखा ही नही । इस वजह स वह िसर डॉकटर क पास नही गया ।

परशन 6 : डॉ चडढा क घर ककस की सालगगरह की पाटी थी ?

उततर 6 : डॉ चडढा क घर उनही क बट कलाश की सालगगरह की पाटी थी।

परशन 7 : मणाललनी न कलाश को कया दिखान की कजि की ?

उततर 7 : मणाललनी न कलाश को उसक पास रख गए सापो को दिखान की कजि की ।

परशन 8 : डॉ चडढा न अपन बट को बचान क ललए कौन-कौन स परयतन ककए ?

उततर 8 : डॉ चडढा न अपन बट को बचान क ललए पहल उसकी उगली काटन की बात की । परत उसक न मानन पर मतर स झािन वाल वयककत को ढढन की बात भी मानी गई ।

परशन 9 : डॉ चडढा क बट को ककसन बचाया ?

उततर 9 : डॉ चडढा क बट को भगत नामक उसी बढ वयककत न बचाया ।

लिखित

परशन 1 : साप दिखान क िौरान कया घटना घटी ?

उततर 1 : साप दिखान क िौरान जस ही कलाश न साप पर स हाथ ढीला ककया , साप न उस डस ललया ।

परशन 2 : डॉकटर साहब बढ वयककत स िमा कयो मागना चाहत थ ?

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उततर 2 : डॉकटर साहब बढ वयककत स िमा मागना चाहत थ कयोकक आज उनह अपन पर ही शमय आ रही थी । एक समय उसी बढ वयककत की उनहोन मिि नही की थी कजसकी वजह स उनका बटा गजर गया था । आज उसी बढ वयककत न डॉकटर साहब क बट की जान बचाई थी ।

LESSON -3 (ANTARRASHTRIYA YOG DIWAS) अतरााषटरीय योग दिवस

मौखिक

परशन 1 : मानव का परकनत स ककस परकार का सबध ह?

उततर 1 : मानव और परकनत का सबध अटट एव अलभनन ह। जनसमिाय परकनत क कजतना ननकट होता ह , उसक ननयमो का पालन करता ह , उतना ही ऊजायवान और सवसथ बना रहता ह। परकनत स िर रहन क परयास म उसकी सख शानत नछन सकती ह और उसका तन मन कलवषत हो सकता ह । इसललए जञानी लोग मनषय को परकनत क साथ परयास जि रहन की सलाह ित ह ।

परशन 2 : हमारा शरीर ककतन तथा कौन-कौन स ततवो स लमलकर बना ह ?

उततर 2 : हमारा शरीर पाच ततवो स लमलकर बना ह । व ततव ह- पथवी , जल , अकनन , वाय और आकाश ।

परशन 3 : योग दवारा कौन सी किया िरसत होती ह ?

उततर 3 : योग दवारा अपाचय की किया िरसत होती ह और शवसन किया सतललत होती ह ।

परशन 4 : पाठ म नायाब खजाना ककस कहा गया ह ?

उततर 4 : पाठ म योग को एक नया खजाना कहा गया ह ।

परशन 5 : ववशव भर म परथम अतरायषरीय योग दिवस कब मनाया गया ?

उततर 5 : ववशव भर म परथम अतरायषरीय योग दिवस 21 जन , 2015 को मनाया गया।

परशन 6 : परथम योग दिवस का समारोह कहा आयोकजत ककया गया?

उततर 6 : परथम योग दिवस का समारोह दिलफली म आयोकजत ककया गया ।

परशन 7 : िसर अतरायषरीय योग दिवस का ववषय कया था ?

उततर 7 : िसर अतरायषरीय योग दिवस का ववषय ' ि नशनल इवट ऑ मास योगा डडमोसरशन ' था।

लिखित

परशन 1 : योगगक कियाए ककनह कहा जाता ह तथा यह मनषय को ककस योनय बनाती ह ?

उततर 1 : योग आसनो क समह को योगगक कियाए कहा जाता ह । यह योगगक कियाए हम अपनी शारीररक एव मानलसक िमताओ का भरपर उपयोग करन क योनय बनाती ह ।

परशन 2 : योग स होन वाल फायिो का सिप म वणयन कीकजए ।

उततर 2 : योग स कई फायि ह । योग एक अदभत ववदया ह, कजसस उपापचय की किया िरसत होती ह और शवसन किया सतललत होती ह । हमार शरीर म रोगो स लिन की िमता बढती ह । बिी स बिी बीमारी स लिन क ललए शककत का सचार होता ह। योग को हम जाि भी कह सकत ह । ननयलमत योग करन स जीवन क परनत उतसाह बढता ह और मन म सकारातमक भाव उतपनन होत ह । हमार अिर धयय, आतमववशवास, दढता आदि गण ववकलसत

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होत ह।

परशन 3 : परथम अतरायषरीय योग दिवस क अवसर पर कौन स गगनीज वलफडय ररकॉडय िजय हए ?

उततर 3 : परथम अतरायषरीय योग दिवस क अवसर पर िो गगनीज वलफडय ररकॉडय िजय हए। एक तो िननया की सबस बिी योग कलास यानी 35985 लोगो दवारा एक साथ योगाभयास करना और िसरा 84 िशो क लोगो दवारा एक साथ भाग लन का ररकॉडय ।

परशन 4 : योग कियाओ का अनसरण करन स हम कया लाभ ह ?

उततर 4 : योग कियाओ का अनसरण करन स हम बहत लाभ ह। योग परकनत क ननकट आन और परकनत क अनरप जीवन जीन का सहज सरल मागय ह । परनतदिन आध घट योग करक भी हम शरीर को सवसथ और मन को ऊजायवान रख सकत ह, ननराशा को िर भगा सकत ह तथा आशावान होकर सल जीवन का आनि ल सकत ह । योग ना कवल तन-मन को सवसथ रख सकता ह अवपत आतकवाि , उगरवाि जसी वतयमान ववशव की भयानक समसयाओ क सथाई समाधान म भी सहायक लसदध हो सकता ह ।

LESSON -5 (HIMMAT KARNE WALON KI HAAR NAHIN HOTI) दहममत करन वािो की हार नही होती मौखिक

परशन 1 : ककनकी हार नही होती ?

उततर 1 : दहममत करन वालो की हार नही होती ।

परशन 2 : चीटी क हिय म साहस कौन भरता ह ?

उततर 2 : चीटी क मन का ववशवास उसक हिय म साहस भरता ह ।

परशन 3 : ककसकी मटठी हर बार खाली नही होती ?

उततर 3 : उस गोताखोर की मटदठया कभी खाली नही होती जो समदर म डबककया लगाकर मोती ढढन की कोलशश करता ह । अपन िगन उतसाह की वजह स एक न एक दिन उसकी मटठी जरर भर जाती ह।

परशन 4 : 'मिान छोि भागन' का कया अथय ह ?

उततर 4 : 'मिान छोि भागन' का अथय हार कर भाग जान स ह ।

लिखित

परशन 1 : ननही चीटी की कया ववशषता ह ?

उततर 1 : ननही चीटी की ववशषता यह ह कक वह कभी भी अपना आतमववशवास नही हारती । जब वह िाना लकर चलती ह तो कई बार िीवारो पर स कफसल जाती ह लककन उसक बावजि वह कभी हार ना मानकर उस िीवार पर िोबारा चढन की कोलशश करती ह और अत म सल होती ह ।

परशन 2 : ननही चीटी की महनत कस बकार नही जाती ?

उततर 2 : ननही चीटी की महनत बकार नही जाती कयोकक वह कभी भी अपना आतमववशवास नही हारती । जब वह

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िाना लकर चलती ह तो कई बार िीवारो पर स कफसल जाती ह लककन उसक बावजि वह कभी हार ना मानकर उस िीवार पर िोबारा चढन की कोलशश करती ह और अत म सल होती ह।

परशन 3 : गोताखोर को सागर स मोती ननकालन क ललए कया-कया करना पिता ह ? यहा कवव न उसका उिाहरण कयो दिया ह ?

उततर 3 : गोताखोर को सागर स मोती ननकालन क ललए किी महनत करनी पिती ह। उस कई बार असफलताओ का सामना करना पिता ह परत उसक बावजि वह सफलता पराकतत क ललए बार-बार परयतन करता ह। और अत म उसक हाथ म मोती लग ही जाता ह। कवव न उसका उिाहरण यहा इसललए दिया ह ताकक उसक दवारा ककए गए महनत स हम कछ सीख लमल और हम म उसकी तरह साहस आए ।

परशन 4 : 'चढकर गगरना, गगरकर चढना, न अखरता ह- कवव न यह पककत ककसक ललए ललखी और कयो ?

उततर 4 : 'चढकर गगरना, गगरकर चढना, न अखरता ह- कवव न यह पककत चीदटयो क ललए ललखी ह कयोकक िीवारो पर चढन क बाि बहत बार कफसलन पर भी वह हार नही मानती । अपनी कोलशश जारी रखती ह और अत म ववजय हालसल करती ह ।

परशन 5 : 'कछ ककए बबना ही जय जयकार नही होती'- का अथय सपषट कीकजए ।

उततर 5 : 'कछ ककए बबना ही जय जयकार नही होती' इस पककत का अथय यह ह कक इस ससार म कजतन भी मनषय सल हए ह उनहोन उस सलता को पान क ललए किी महनत की ह । हर कायय की शरआत ननचल सतर स की ह और धीर-धीर उसम सल होत होत उचच सतर पर पहच ह । कहन का तातपयय यह ह कक घर बठ बठ कभी ककसी की जय जयकार नही होती । अतः हम किी महनत करनी चादहए ।

परशन 6 : परसतत कववता का परसग ललखखए ।

उततर 6 : परसतत कववता हमारी दहिी की पाठयपसतक नतन सरल दहिी माला भाग एक स ली गई ह कजसका शीषयक ह 'दहममत करन वालो की हार नही होती' । इसक कवव डॉकटर हररवशराय बचचन जी ह। इस कववता म कवव न समाज को पररणा िन की कोलशश की ह ।

परशन 7 : परसतत कववता क कवव शरी हररवशराय बचचन जी का पररचय िीकजए ।

उततर 7 : दहिी कावय जगत क लोकवपरय कवव डॉकटर हररवश राय बचचन का जनम इलाहाबाि म सन 1907 म हआ था उनहोन परयाग और काशी म लशिा परातत की इसक बाि क बिज ववशवववदयालय स अगरजी सादहतय म डॉकटरट की उपागध परातत की इनहोन कछ समय तक इलाहाबाि ववशवववदयालय म अधयापन कायय ककया इसक बाि व वविश मतरालय भारत सरकार की सवा म दिलफली आ गए इनकी मतय 18 जनवरी 2003 म हई ।उनकी परमख रचनाए ह मधशाला ,मधबाला ,मधकलश ,ननशा-ननमतरण ,एकात सगीत, आकल अतर, परणय पबतरका, कया भल कया याि कर,

नीि का ननमायण कफर, बसर स िर तथा िशदवार स सोपान तक।

LESSON -7 (PAHAADON KISI RANI- MANALI) पहाडो की रानी: मनािी मौखिक

परशन 1 : ककस मागय क िोनो ओर क पराकनतक दशय बहत मनमोहक ह ?

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उततर 1 : कलफल स मनाली जान वाली सिक क िोनो ओर क पराकनतक दशय बहत मनमोहक ह ।

परशन 2 : ककसका शोर चढाई चढ रही बस क इजन को भी मात ि रहा ह ?

उततर 2 : कलफलोल करती वयास निी का शोर चढाई चढ रही बस क इजन को भी मात ि रहा ह ।

परशन 3 : पवयत ककस क समान परतीत हो रहा ह ?

उततर 3 : ब य स ढका पवयत सबह की सयय रकशमयो स सोन क समान परतीत हो रहा ह ।

परशन 4 : पवयत स ब य जलफिी ही कयो गल गई ह ?

उततर 4 : सयय की गमी क परभाव स ब य जलफिी ही गल गई ह ।

परशन 5 : धरती का सवगय ककस सथान को कहा जाता ह ?

उततर 5 : धरती का सवगय कशमीर को कहा जाता ह ।

परशन 6 : कलफल म ककन-ककन चीजो का उतपािन ककया जाता ह ?

उततर 6 : कलफल म सब क उतपािन क साथ-साथ अखरोट, बािाम ,नाशपानत तथा ववलभनन परकार की जीवनिानयनी जिी बदटयो का उतपािन ककया जाता ह ।

परशन 7 : कलफल का मखय पययटक सथल ककस माना जाता ह ?

उततर 7 : कलफल का मखय पययटक सथल मनाली को माना जाता ह।

परशन 8 : गाव क सबस ऊपरी भाग म ककसका मदिर ह ? वह कसा ह ?

उततर 8 : गाव क सबस ऊपरी भाग म भगवान मन का छोटा सा, सा-सथरा मदिर ह। वह बहत ही सिर मदिर ह । उस मदिर क अिर मन महाराज की काठ की मनतय क सामन िीप परजवललत होत ह ।

लिखित

परशन 1 : वयास निी अपन ककस नाम को तथा कस साथयक कर रही ह ?

उततर 1 : वयास निी अपन कलफलोललनी नाम को साथयक कर रही ह। जब भी वयास निी छोट बि पतथरो स टकराती , टढी-मढी राह बनाती, अबाध गनत स अपन गतवय की ओर बढती ह तो उसका शोर चढाई पर चढ रही बस क इजन क शोर को भी मात ि िता ह ।

परशन 2 : मनाली तथा महवषय मन क सबध को सिप म बताइए ।

उततर 2 : मनाली महवषय मन की पावन भलम ह । मनाली अथायत 'मन' आलय । मनसमनत महवषय मन दवारा रगचत दहि धमय शासतर का एक परमख गरथ ह । इस गरथ म 12 अधयाय तथा 2500 शलोक ह ।

परशन 3 : ववपाशा निी क बार म आप कया जानत ह ? ललखखए ?

उततर 3 : ववपाशा को दहमालय की नदियो म शरषठतम माना जाता ह । वदिक काल म इसका नाम था ववपाश । वदिक शबिो म ननघट म इस उकजरा कहा गया ह । ऋनवि म आययकीय । गरीक ननवासी इस ववपालशस तथा दहमाचलवालसयो क ललए यह ववयाशा ह । शाकबिक अथय क अनसार ववपाश का मतलब ह बधनरदहत या बधनमकत ; यानी वह निी जो अपना ककनारा सवय बनाती ह । रासत म आई हर रकावट, हर परकार की बाधा को िर करती हई मकत रप स उमगती , ककलकती परवादहत हो , वह ह ववपाशा।

परशन 4 : पवयत स ब य गल जान पर भी उसकी सिरता म कमी कयो नही आई ह ?

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उततर 4 : पवयत स ब य गल जान पर भी उसकी सिरता म कमी नही आई ह कयोकक पवयत तपसया म लीन धयान मनन सनयासी क समान लग रहा ह।

वयाकरण

ननबध लखन ककसी भी तरह की पदठत सामगरी भाव या ववचार को सननयोकजत ढग स अपनी भाषा म परसतत करना ही ननबध ह। ननबध क परारप को तीन भागो म बाटा जा सकता ह। 1.परारभ- ननबध का परारभ आकषयक एव ववषय को सपषट करन वाला होना चादहए जो पाठक का धयान आकवषयत कर सक। आरभ कववता की पककतयो,ककसी दषटात,ववषय स सबगधत ककसी महापरष क कथन या ववषय को सपषट करन वाल वाकय स होना चादहए । आरभ म, कम शबिो म पाठक को ववषय स अवगत करान की िमता होनी चादहए। 2. मधय- इसका सीधा सबध ननबध क ववषय स होता ह। यह ननबध का सबस महतवपणय भाग होता ह। इस भाग म ववषय का ववसतत वणयन होता ह। इस वणयन म दषटात,ववचारको एव सादहतयकारो क शरषठ कथन, ककसी कवव की ववषयानकल कववता की कछ पककतया ,कोई लशिापरि सतर या शलोक की पककत,रामचररतमानस की चौपाइया आदि सकममललत की जा सकती ह। इसम मखय ववषय का ववसतार होन क साथ-साथ ववचार या बात का िमबदध एव तकय सगत वणयन होना चादहए। 3. अनत- ननबध का अत सकषितत, परभावशाली एव सारगलभयत होना चादहए। सपणय ननबध क सबध म लखक का दकषटकोण अत क कछ वाकयो म सपषट होना चादहए। ननबध का अत सपणय ननबध की सफलता का आधार ह।

परीकषा उपयोगी ननबध ििन क कछ ववषय

1. हमारी धरती और बढ रहा नलोबल वालमिग 2. कतयटर एव मोबाइल फोन आज की आवशयकता 3. आधननक यग म कम हो रह परान ससकार 4. बढती गमी की वजह स जल सकट- एक ववकट समसया 5. िश म बढता भरषटाचार 6. आलसय-मनषय का सबस बिा शतर 7."जाको राख साइया मार सक ना कोई " इस उककत क आधार पर एक कहानी ललखखए। 8. घायल वयककत को असपताल पहचान का अनभव अपन शबिो म ललख। 9. वि की आतमकथा ललख। 10.गचतर िखकर आपक मन म जो ववचार आ रह ह उनह वयकत कर अथवा कहानी क रप म ललख।

पतर ििन (अनौपचाररक)

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1. आपकी छोटी बहन पहली बार घर स िर पाशचातय सगीत की लशिा क ललए वविश जा रही ह । वह परशान और िखी ह। उस समझात हए परोतसादहत कीकजए । छातरावास ियालबाग लशिण ससथान। दिनाक 06.06.2020 वपरय वपकी, ससनह आशीवायि । तमहारा पतर परातत हआ।सवयपरथम तमह बहत-बहत बधाई, तमह वविश जान का अवसर परातत हआ ह। तमह परशान या ि:खी होन की आवशयकता नही ह। तमह तो खश होना चादहए कक तम अपन लकषय क पथ पर आग बढ रही हो। कवल 2 वषय क ललए ही तो पररवार स िर जा रही हो। कछ बनन बनन क ललए थोिा तयाग तो करना ही पिता ह। मझ भी पढाई परी कर कछ बनन क ललए छातरावास म रहना पि रहा ह। हम अपन मा-बाप का नाम रोशन करन क ललए कछ दिन का उनस अलगाव सहना ही पिगा। तम खशी-खशी जाओ और अपनी लशिा पणय कर नाम कमाओ तथा हम सबका नाम रोशन करो। हम सबकी खशी इसी म ह कक तम अपन लकषय तक पहचो। माताजी व वपताजी को मरा चरण-सपशय कहना। तमहारा अगरज, अजय

पतर ििन (औपचाररक) (2) आपकी बक पासबक हो गई ह। आप इखणडयन बक क मनजर को आविन- पतर ललखकर पासबक की िसरी परनत जारी करवान का अनरोध कर। सवा म, बक मनजर, इकडडयन बक, आगरा। ववषय: िसरी पास बक जारी करन हत पतर। महोिय, ववनमर ननविन ह कक आपक बक म वपछल िस सालो स मरा खाता ह। मरा खाता िमाक 012345 ह। मरी पासबक खो गई ह। आपस अनरोध ह कक मरी पासबक की िसरी परनत जारी करन का कषट कर। धनयवाि, भविीय तरण कमार 15,सररताववहार, नई दिलफली।

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दिनाक :30-04-2019

अपदित गदयाश

1.ननमनललखखत अपदठत गदयाश को पढकर उसक नीच दिए गए परशनो क उततर अपन शबिो म ललख। अपन आपको हर घिी और हर पल महान बनान का नाम वीरता ह। वीरता क कारनाम तो एक गौण बात ह।असल वीर तो इन कारनामो को अपनी दिनचयाय म ललखत भी नही। िरखत तो जमीन स रस गरहण करन म लगा रहता ह। उस यह खयाल ही नही होता कक मझम ककतन फल या फल लगग और कब लगग? उसका काम तो अपन आप को सतय म रखना ह; सतय को अपन अिर कट कट कर भरना ह और अिर ही अिर बढना ह।उस इस गचता स कया मतलब कक कौन मर फल खाएगा या मन ककतन फल लोगो को दिए? वीरता का ववकास नाना परकार स होता ह। कभी तो उसका ववकास लिन मरन म, खन बहान म तलवार-तोप क सामन जान गवान म होता ह। कभी परम क मिान म उनका झडा गिा होता ह। कभी सादहतय और सगीत स वीरता खखलती ह। कभी जीवन क गढ ततव और सतय की तलाश म बदध जस राजा ववरकत होकर वीर हो जात ह। कभी ककसी आिशय पर और कभी ककसी पर वीरता फहराती-लहराती ह। जब कभी इसका ववकास हआ तभी एक नया कमाल नजर आया, एक नया जमाल पिा हआ, एक नई रौनक ,एक नया रग, एक नई बहार, एक नई परभता ससार म छा गई। वीरता हमशा ननराली और नई होती ह। नयापन भी वीरता का एक खास रग ह। वीरता की कमी नकल नही हो सकती। जस मन की परसननता कभी कोई उधार नही ल सकता। वीरता िश- काल क अनसार ससार म जब कभी परकट हई, तभी एक नया सवरप लकर आई, कजसक िशयन करत ही सब लोग चककत हो गए, कछ बन न पिा और वीरता क आग लसर झका दिया। 1.वीरता ककस कहत ह? उततर- अपन आप को हर समय महान बनान का नाम ही वीरता ह।जो वयककत महान कायय करत ह, व वीर होत ह। 2. वीर लोग अपन कारनामो को कयो नही ललखत ? उततर- कजस परकार एक वि पथवी स जल गरहण करता रहता ह और यह नही िखता कक उस पर ककतन फल या फल लगग,उसी परकार वीर लोग भी होत ह जो फल की गचता ना कर क कमय म ही लग रहत ह। 3. वीरता का ववकास ककस परकार होता ह? उततर- वीरता का ववकास अनक परकार स होता ह। जस लिन- मरन म, खन बहान म, तलवार तोप क सामन पराण िन म,परम क मिान म, सादहतय और सगीत म, जीवन क गढ ततव और सतय की खोज म आदि। 4.वीरता क ववकास का कया पररणाम होता ह? उततर- वीरता क ववकास म अनोख कायय होत ह और एक अपवय सौियय पिा होता ह।नया रग, बहार व परभता ससार म छा जाती ह। वीरता सिव ननराली व नई होती ह। 5.लखक क अनसार वीरता क कया लिण ह? उततर- वीरता की कभी नकल नही हो सकती, जस मन की परसननता कभी कोई उधार नही ल सकता। वीरता सिव एक नए रप म परकट होती ह। वीरता क िशयन करत ही सब लोग आशचयय म पि जात ह और उसक सामन लसर झका ित ह।

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वयावहाररक दहिी वयाकरण

सचना अनसार शबि बिल अथवा वाकय म पररवतयन कर। 1. ननमनललखखत शबिो स भाववाचक सजञा बनाए। आिमी-आिलमयत, इसान-इसाननयत,अनतगथ-अाानतथय, ईशवर- ऐशवयय,चोर-चोरी,मनषय-मनषयता,िास-िासता,कषक-कवष, बढा-बढापा,कारीगर-कारीगरी,परनतननगध-परनतननगधतव,सजजन- सजजनता,वानर-वानरतव, पश-पशता,पडडत-पाडडतय, वयककत- वयककततव, सजन-सौजनय,राषर-राषरीयता,लमतर-लमतरता,शतर-शतरता,सवक सवा,साध-साधतव,लिका-लिकपन,वीर-वीरता,भाई-भाईचारा, लसह-लसहतव,परभ-परभतव,िव-िवतव,नारी-नारीतव,परष- परषतव,बालक-बालकपन,बचचा-बचपन,गचककतसक- गचककतसा,सवामी-सवालमतव 2. ननमनललखखत शबिो क ववलोम रप ललखखए। अनज-अगरज,अनाथ-सनाथ,अधकार-परकाश,अनराग-ववराग, अलभमान-नमरता,अपिा-उपिा,अमावसया-पणयमासी,अलफपाय- िीघायय,आधननक-पराचीन,आगरह-िरागरह,आिान-परिान,आिशय- यथाथय,अपराधी-ननरपराधी,आगामी-ववगत,आलसय सफनतय, आकाश-पाताल,इचछा-अननचछा,इहलोक-परलोक,उगर- शात, उिार-सकीणय,उततम-अनततम,उिातत-अनिातत,उतकषट-ननकषट, उचच-ननमन,उनननत-अवननत,उततरायण -िकषिणायन, उदधत- ववनीत, उपयकत-अनपयकत,इषट-अननषट,उपसगय-परतयय,एकतर- ववकीणय,एिी-चोटी,ऐकचछक-अननवायय 3. ननमनललखखत शबिो क िो िो पयाययवाची शबि ललखखए। 1. अननल -हवा, वाय, पवन 2.अमत -सधा ,सोम, वपयष 3.अकनन- धावक ,आग, अनल 4.अशव- घोिा,हय, घोटक 5.असर -िानव, रािस, ितय 6.अधयापक -गर ,लशिक ,आचायय 7-अधकार -तम, नतलमर ,अधरा 8-अनतगथ- महमान ,आगतक ,अभयागत 9-अनपम- अपवय, अतल ,अनोखा 10-अरडय- वन, जगल, वववपन 11-अहकार -अलभमान, घमड, गवय 12-आभषण -गहना,अलकार, भषण 4.ननमनललखखत अनक शबिो क ललए एक शबि ललख। 1. जो कहा ना जा सक-अकथनीय 2. कजसक पास कछ भी ना हो-अककचन 3. कजसका वणयन न ककया जा सक -अवणयनीय

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4. जो मास खाता हो-मासाहारी 5. कजस शमय ना आती हो-ननलयजज 6. गरहण करन योनय-गराहय 7. पजन करन योनय- पजनीय 8. जो परम का पातर हो-वपरय 9. जो िसरो की भलाई करता हो-परोपकारी 10. शरण म आया हआ- शरणागत 5.ननमनललखखत शबिो क ववशषण रप ललखखए। धमय-धालमयक ,अथय -आगथयक ,समाज-सामाकजक, पररवार- पाररवाररक,नीनत-ननतक, राजनीनत- राजननतक,इनतहास- ऐनतहालसक,दिन-िननक,अक-अककत,ननिा-ननदित,जगल- जगली,शहर-शहरी,पजा-पजनीय,ईषयाय-ईषयायल,ववगध- ववगधपवयक,िकान-िकानिार,तीन-तीसरा, ननिा-ननिक ,पजा- पजक,मतय-मतक,रत-रतीला,सवा -सवक,भागना- भगोिा, घमना-घमककि,लटना-लटरा ,बाहर-बाहरी ,नीच-ननचला,आग अगला,ऊपर-ऊपरी ,वह-वसा,यह-ऐसा, हम-हमारा 6.सचना अनसार वाकय पररवतयन कर। क. वह गनना बहत मीठा ह । (लमठास का परयोग कर) उततर-उस गनन म बहत लमठास ह। ख.अधयापक बचचो को पढाएगा। (वतयमान काल म बिललए) उततर-अधयापक बचचो को पढाता ह। ग.रोगी सो नही पाया। (भाव वाचय म बिललए ) उततर-रोगी स सोया नही गया। घ. इतनी आय होन पर भी वह वववादहत नही ह। (नही हटाइए परत वाकय का अथय ना बिल) उततर-इतनी आय होन पर भी वह अवववादहत ह। ङ. उसकी पतनी अपनी सास स नही बोलती। (ललग बिलकर ललखखए ) उततर-उसका पनत अपन ससर स नही बोलता। च. उस लिकी न आज एक पसतक पढी। (वचन बिललए ) उततर-उन लिककयो न आज अनक पसतक पढी। छ. मन दिलफली जाना ह ।(शदध कीकजए) उततर-मझ दिलफली जाना ह। ज."अध की लकिी" महावर को अपन वाकय म परयोग करो। उततर-शरवण कमार अपन माता वपता की अध की लकिी था। झ. जसी करनी वसी भरनी लोकोककत क आधार पर एक वाकय ललख । उततर-नौकर अपन माललक क घर स ही चोरी करता पकिा गया। माललक न उस घर स बाहर ननकाल दिया। सच ह जसी करनी वसी भरनी।

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Class 8 question bank 2020-21 HINDI Term 2 Stewart school, Cuttack. LESSON -10 ( JALATE CHALO ) जलात चलो मौखिक परशन 1 : कवि यह ा कय जल न की ब त कर रह ह ? उततर 1 : कवि यह ा सनह क दीए जल न की ब त कर रह ह । परशन 2 : मनषय न पहली ब र कौन सी चनौती सिीक र की थी ? उततर 2 : मनषय न पहली ब र ततममर अथ ात अाधक र को दर करन क मलए पहल दीप जल न की चनौती सिीक र की थी । परशन 3 : कौन सी कह नी चली आ रही ह और चलती रहगी ? उततर 3: ददए और तफ न की कह नी चली आ रही ह और चलती रहगी । परशन 4 : इस कवित क मखय भ ि कय ह? उततर 4 : इस कवित क मखय भ ि सपरा विशि म स सि था क स मर जय हट कर , अपन दहत क मलए ककए गए क यो को तय ग कर, दहस , दिष, लोभ, मोह , अनीतत और अर जकत को छोडकर पय र क दीए जल न ह । ललखित परशन 1 : धरती पर वय पत अाधक र को दर करन क मलए कवि हम कय करन क मलए कहत ह? उततर 1 : धरती पर वय पत अाधक र को दर करन क मलए कवि हम पय र स भर हए ददए जल न की ब त कहत ह । कवि क म नन ह कक अगर हम पय र क ददए जल एाग, लोगो स पय र स ब त करग तो इस सस र स अधक र रपी शत न दर हो ज एग । परशन 2 : अाधक र की सररत प र करन क मलए मनषय न कय तय र ककय थ ? उततर 2 : अाधक र की सररत प र करन क मलए मनषय न दीप की न ि तय र की थी जजस तनरतर चल न स एक न एक ददन ततममर क ककन र जरर ममलग । परशन 3 : समय ककस ब त क स कषी ह ? उततर 3 : समय स कषी ह कक जजस तरह मनषय न अाधक र रपी चटट नो पर अनगगनत ददयो को जल य त कक परक श की ककरर च रो तरफ फल ज ए ,परत इन जलत हए ददयो को कई ब र हि ओ न बझ ददय । कहन क त तपया यह ह कक मनषय न अपन जीिन को सध रन क मलए कई कोमशश की ह और इस दौर न उसन तफ नो और विभीवषक ओ को झल लककन सघषा करन क हौसल उसक कभी नही बझ । परशन 4 : परथम ब र जली जो ददए की लौ, िह ककस परक र जलती रही और कवि को लौ स कय आश ह? उततर 4 : परथम ब र जली जो ददए की लौ, िह सोन क सम न चमकती सी जलती रही । कवि को लौ स यह आश ह कक कभी न कभी उस लौ की िजह स इस सस र क अाधक र जरर ममट ज एग । परशन 5 : सपरा कवित क म धयम स कवि न ककस चीज की आश वयकत की ह ? उनक मन म कस विशि स ह ?

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उततर 5 : सपरा कवित क म धयम स कवि न हर वयजकत क अदर सनह भ ि जग न की आश वयकत की ह । और उसी सनह क भ ि को पर सस र म फल न की ब त की ह त कक ब हर क अधक र अथ ात दहस , दिष आदद दर हो ज ए । उनक मन म यह विशि स ह कक मनषय इस अाधक र रपी दशमन स जरर जीत प एग । परशन 6 : परसतत कवित क परसग मलखिए? उततर 6 : परसतत कवित हम री दहदी की प ठयपसतक नतन सरल दहदी म ल भ ग दसरी स ली गई ह जजसक कवि 'शरी दि ररक परस द म हशिरी' जी ह। इस कवित म उनहोन पर सम ज को सनह क दीए जल कर अाधक र रपी दहस , दिष ,लोभ, मोह, अनीतत और अर जकत को दर करन क आगरह ककय ह। । LESSON -11 ( GURUDEV RABINDRANATH TAGORE) गरदव रवीनदरनाथ ठाकर मौखिक परशन 1 : रवि न म क ब लक कह ा रहत थ ? उततर 1 : रवि न म क ब लक उततरी कोलक त क गचतपर रोड स लगी दि रक न थ ठ कर की गली म एक ततमजजल महल म रहत थ । । परशन 2 : रिीनरन थ क वपत क न म कय थ ? उनह महवषा कयो कह ज त थ ? उततर 2 : रिीनरन थ क वपत क न म दिरन थ ठ कर थ । सतो जस आच र विच र क क रर उनह महवषा कह ज त थ । परशन 3 : रवि न सकल ज न कयो बद कर ददय ? उततर 3 : रवि न सकल ज न बद कर ददय कयोकक उनह बद कमर की पढ ई सहन नही होती थी । सकल उनह जल क सम न लगत थ । तीन सकल आजम लन क ब द उनहोन अपनी पढ ई छोड दी । परशन 4 : रिीरन थ अपन वपत जी क स थ ककस ककस सथ न की य तर पर गए ? अपनी इस य तर क दौर न उनहोन कौन स पदय न टक मलि ? उततर 4 : रिीरन थ अपन वपत जी क स थ दहम लय की य तर पर गए जजस बीच ि पजशचम बग ल क बोलपर न मक सथ न भी पहाच जह ा महवषा दिरन थ न गचतन मनन क मलए एक आशरम बन य थ जजसक न म थ - श तततनकतन । अपनी इस य तर क दौर न रिीरन थ न र ज पथिीर ज की ऐततह मसक पर जय क ब र म एक पदय न टक मलि । परशन 5 : सतरह िषा की उमर म रिीरन थ को विल यत कयो भज गय ? उततर 5 : सतरह िषा की उमर म रिीरन थ को इस आश स विल यत भज ददय गय कक ि पढ मलिकर बड अफसर य बररसटर बन ज एा। परशन 6 : गीत न टय 'ि लमीकक परततभ ' म ककस विषय क िरान ककय गय ह ? उततर 6 : गीत न टय 'ि लमीकक परततभ ' म र म यर क रचतयत 'महवषा ि लमीकक' क ड क स मह कवि बनन क विषय क िरान ककय गय ह। परशन 7 : रिीरन थ न बचचो क मलए कौन-कौन सी कवित पसतको की रचन की ? उततर 7 : रिीरन थ न बचचो क मलए 'विजषट पड ट पर-टपर', 'मशश', 'मशश भोल न थ' आदद अनक कवित -पसतको की रचन की । इसक स थ ही उनहोन 'र जवषा' न मक एक उपनय स भी मलि ।

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परशन 8 : नोबल परसक र म पर पत परी रकम को कवि न ककन क मो म लग ददय ? उततर 8 : नोबल परसक र म पर पत परी रकम को कवि न श तत तनकतन आशरम क क मो म लग ददय । एक गर मीर सहक री बक भी िोल गय त कक दह ततयो क उपक र हो और उनह ससत बय ज पर ऋर ममल सक । परशन 9 : विशिभ रती विदय लय क आदशा ि कय कय ह ? उततर 9 : विशि भ रती विशिविदय लय क आदशा ि कय "यतर विशिमभितयकनीडम" रि गय ह जजसक अथा ह जह ा स र सस र एक ही घोसल बन ज ए। ललखित परशन 1 : रिीरन थ न अपन घर पर ककन-ककन विषयो की पढ ई की ? उततर 1 : रिीरन थ न अपन घर पर ससकत, इततह स, भगोल, विजञ न, सि सथय- विजञ न, सगीत, गचतरकल और अगरजी आदद विषयो की पढ ई की । परशन 2 : अपनी विदश य तर ओ स कवि क मन म कौन-सी ध रर बनी ? उततर 2 : अपनी विदश य तर ओ स कवि क मन म यह ध रर बनी कक सभी दशो की जनत म ममतरत और परम भ िन क आद न-परद न क बबन सस र म सि श तत की आश करन वयथा ह । LESSON -14 ( MERE MASTER SAAHAB ) मर मासटर साहब मौखिक परशन 1 : वपरमसपल क ककस गर पर कॉलज क विदय थी गिा करत थ ? उततर 1 : वपरमसपल की विदितत और मौमलकत पर उनक कॉलज क विदय थी और अधय पक गिा करत थ। परशन 2 : बचपन म लिक को ककस न म स पक र ज त थ ? उततर 2 : बचपन म लिक को 'विन यक चह ' न म स पक र ज त थ । परशन 3 : म सटर स हब 'भगोल विषय' क अधय पक थ? उततर 3 : म सटर स हब ककस विषय क अधय पक थ। परशन 4 : भगोल की ककष सपत ह म ककतन ददन की होती थी ? उततर 4 : भगोल की ककष सपत ह म तीन ददन की होती थी। परशन 5 : म सटर स हब की आगथाक जसथतत कसी थी ? उततर 5 : म सटर स हब की आगथाक जसथतत अचछी नही थी । ि किल पचचीस रपए लकर अपन भ री पररि र क प लन करत थ । परशन 6 : लिक न एम. ए. की परीकष ककस शररी म उततीरा की थी ? उततर 6 : लिक न एम. ए. की परीकष परथम शररी म उततीरा की थी । परशन 7 : मखय धय पक म सटर स हब की ककष म कयो नही ज त थ ? उततर 7 : म सटर स हब मखय धय पक क गर थ । म सटर स हब जब कभी ककसी जम त को पढ त होत तब मखय धय पक उस जम त म नही ज त थ कयोकक उनक ज न स म सटर स हब को अपन ही पिा मशषय (जो अभी उनही क मखय धय पक थ) क मलए िड होन पडत और मखय धय पक यह नही च हत थ। ललखित

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परशन 1 : सकल म पढत समय लिक क न म 'विन यक चह ' कयो परमसदध हआ ? उततर 1 : लिक क अनस र श यद सबस पहल उनक गखरत क म सटर जी न उनकी चचलत दिकर उनह 'चह ' न म स बल य थ परत श यद ब द म उनक छोट कद तज च ल और चमकीली आािो क क रर बहत शीघर सकल भर म उनक न म 'विन यक चह ' परमसदध हो गय । परशन 2 : लिक न म सटर स हब को अपन दहत गचतक कयो बत य ? उततर 2 : लिक न म सटर स हब को अपन दहत गचतक बत य कयोकक ि सदि उनह पढन मलिन की ओर विशष धय न रिन क मलए कह करत थ ,स थ ही स थ लिक को कभी ककसी परश नी होन पर म सटर स हब उनकी मदद भी करत थ। परशन 3 : भगोल की ककष म लिक कभी-कभी बरबस कयो रोन लगत थ ? उततर 3 : लिक जब भी पि इटर लकर बोडा क प स ज त थ जजस पि इटर क न म लडको न 'चह की माछ' रि ददय थ , ककष क लडक आाि क इश रो स एक-दसर की ओर दिकर शर रत भर ढग स मसकर न लगत थ । कभी-कभी इन गपत वयजनो स लिक तग आ ज त थ और बरबस रोन लगत थ । परशन 4 : म सटर स हब क घर पहाचकर लिक न कय ककय ? उततर 4 : म सटर स हब क घर पहाचकर लिक न यह दि कक म सटर स हब एक ित क प स क शीशम क एक पड की घनी छ य क नीच बबन कपड बबछ ए सोए हए थ । लिक उनक परो क प स बठकर धीर-धीर उनक पर दब न लग। म सटर स हब ज ग उठ और दित ही दित िह एकदम उठ कर बठ गए । उनहोन लिक को गल स लग मलय और लिक न दि कक म सटर स हब की आािो स आास बह रह थ । LESSON -15 ( GIRIDHAR KI KUNDALIYAN ) गगररधर की क डललयाा मौखिक परशन 1 : कडमलय ा कय होती ह ? इन कडमलयो क रचतयत कौन ह ? उततर 1 : कडमलय ा एक विमशषट परक र की क वय रचन होती ह जजसम छह पजकतय ा होती ह जजनह चरर कह ज त ह । इसम परथम चरर क पहल शबद और अततम चरर क अततम शबद एक सम न होत ह । इन कडमलयो क रचतयत शरी गगररधर कविर य जी ह । परशन 2 : ककनक बबन वयजकत सम ज म समम न क प तर नही होत ? उततर 2 : अचछ गरो क बबन वयजकत सम ज म समम न क प तर नही होत । परशन 3 : कडमलयो क म धयम स कवि कय मसि न च हत ह ? उततर 3 : कडमलयो क म धयम स कभी हम बत न च हत ह कक म नि जीिन अनत क ल क मलए नही अवपत सीममत अिगध क मलए ममल हआ ह । इसमलए जीिन को वयथा की ब तो म नही गि न च दहए । जगत म किल मनषय ही ऐस पर री ह जजस सोच समझ कर क या करन की बदगध दी गई ह, समसत गरो स यकत बन य गय ह । बदगध क परयोग सक र तमक क यो तथ परोपक र हत ककय ज न च दहए । सम ज कलय र हत सदि ततपर रहन च दहए । ललखित परशन 1 : कोयल और कौए क उद हरर ककस सदभा म ददय गय ह ? कय िह स थाक ह?

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उततर 1 : कौए और कोयल क उद हरर दकर कवि न यह बत न च ह ह कक जजस तरह कौए और कोयल क रग एक स होत ह परत कफर भी उनक गर अलग-अलग होत ह । लोग कोयल को तो पसद करत ह पर कौए को कोई पसद नही करत । ठीक उसी परक र मनषय क अदर अगर अचछ गर होग तो लोग उनह पसद करग िरन उनह कोई पसद नही करग । ह ा, यह परी तरह स थाक ह । परशन 2 : परतयक क या सोच विच र कर कयो करन च दहए ? उद हरर दकर समझ इए । उततर 2 : परतयक क या सोच विच र कर करन च दहए कयोकक जो बबन विच र क या करत ह ब द म उस पछत न पडत ह । उद हरर क तौर पर अगर कोई वयजकत अपन क म को लकर ररशित लत ह और ब द म पकड ज त ह तो उस पछत न भी पडत ह और पर जग म उसकी ह ास ई भी होती ह । उस पर यही यजकत ठीक बठती ह कक बबन विच र जो कर सो प छ पछत ए । परशन 3 : धनि न होन पर अमभम न कयो नही करन च दहए ? सपषट कीजजए । उततर 3 : धनि न होन पर भी अमभम न नही करन च दहए कयोकक जजस तरह जल अजसथर होत ह , धन भी उसी तरह अजसथर होत ह । धन को जजतन रिन की कोमशश करो िह कभी नही रहत । अगर धन को लकर मनषय घमड करत ह तो एक न एक ददन िह घमड टट ही ज त ह । परशन 4 : घर म पस बढ ज न पर मनषय को कय करन च दहए और कयो ? उततर 4 : घर म पस बढ ज न पर मनषय को िल हसत स लोगो की मदद करनी च दहए । परोपक ररत क मलए उस धन क इसतम ल करन च दहए । उस धन को सम जसि क क यो म लग न च दहए कयोकक ऐस करन स एक तो बर लोगो की बरी नजर उन पर नही पडती, स थ ही सम ज म उनकी इजजजत बनी रहती ह। परशन 5 : हम ककस तरह क गरो को अपन अदर रिन च दहए और कयो ? उततर 5 : हम अपन अदर सदगरो को रिन च दहए जजनम परोपक ररत , ध ममाक गर , अदहस क भ ि, मतरीपरा वयिह र, द नी इतय दद सम त ह । हम ऐस इसमलए करन च दहए कयोकक ऐस करन स सम ज म हम र म न समम न बढग , स थ ही स थ हम र अनकरर करन ि ल सम ज क बहत लोग स मन आएाग जजसस सम ज क भल ही होग । परशन 6 : परसतत कवित क कवि क पररचय दीजजए ? उततर 6 : परसतत कवित क कवि ' शरी गगररधर कविर य जी ह ' । इनक जनम 18 िी शत बदी म हआ थ । इनक मल न म हररद स भ ट अथि बरहमभटट थ । ऐस अनम न ह कक गगरधर पज ब क रहन ि ल थ, ककत ब द म इल ह ब द क आसप स रहन लग थ । इनहोन अपन समसय क वय कडमलयो म ही रच । इनकी कडमलयो की भ ष अिधी और पज बी ममगशरत ह । इनकी प ाच सौ स अगधक कडमलय ा गगरधर कविर य गरथ िली म सकमलत ह जजनम स अगधक श नीततपरक ह । LESSON -18 ( BHAKTI PADAWALI) भकतत पदावली मौखिक परशन 1 : सरद स क पररचय दीजजए । उततर 1 : सरद स क जनम बश ि शकल 5 सित 1535 को हआ थ । कछ लोग इनह जनम ध और कछ लोग इनह ब द म नतरहीन हए म नत ह । यह शरी कषर लील क अमर ग यक एि भकत कवि ह । इनहोन कषर की

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भजकत म लगभग सि ल ि पदो की रचन की । सरस गर इनकी अमर कतत ह । इसक अततररकत दो रचन एा और ह- स दहतय लहरी और सर स र िली । इनकी मतय सित 1640 म हई । परशन 2 : कबीरद स क पररचय दीजजए । उततर 2 : कबीरद स क जनम विकरम सित 1398 म क शी म हआ थ । यह जल ह क क म करत थ । दहदी क आरमभक कवियो म इनक परमि सथ न ह । इनकी रचन एा तीन भ गो म ब ाटी गई ह - स िी, शबद और रमरी । इनहोन अपनी रचन ओ म ध ममाक आडबर एि ज तत-प ातत क विरोध ककय ह । इनकी मतय विकरम सित 1518 म मगहर म हई थी । परशन 3 : रसि न क पररचय दीजजए । उततर 3 : रसि न क पर न म सयद इबर दहम रसि न थ । इनक जनम विकरम सित 1630 म तथ मतय विकरम सित 1690 म हई । 'परम ि दटक ' तथ 'सज न रसि न' इनकी परमसदध रचन एा ह। इनहोन 'परम ि दटक ' की रचन सित 1671 म की थी। इसम किल 25 दोह तथ सोरठ ह । 'सज न रसि न' म कल 120 छद ह जजनम कछ दोह, सोरठ और शष कवित सिय ह । यह कषर क परम भकत थ और कषर क स तनधय प न क मलए ब र-ब र उस बरज भमम पर जनम लन च हत थ जह ा कषर न लील की थी। परशन 4 : मीर ब ई क पररचय दीजजए । उततर 4 : कषर की भकत कितयतरी मीर ब ई क जनम सित 1560 म हआ थ । इनक विि ह गचततौड क मह र र स ग (सगर म मसह) क बड बट भोजर ज क स थ हआ थ । यह बचपन स ही शरी कषर की भजकत म लीन रहती थी । इनहोन शरीकषर की भजकत म फटकर पदो की रचन की। इनकी मतय सित 1603 म हई । परशन 5 : " बडतौ गजर ज " की कथ कय ह ? उततर 5 : एक ब र गजर ज गडक नदी म प नी पीन क मलए उतर । उसी समय प नी क अदर तछप मगरमचछ ब हर तनकल और उसन गजर ज को पकड मलय । गजर ज और मगरमचछ म घम स न यदध होन लग । गजर ज न अपन आपको बच न की बहत कोमशश की परत िह उसम न क मय ब रह । अत म उसन मन ही मन ईशिर को पक र , तब विषर भगि न उपजसथत हए एि उनहोन गजर ज को मगरमचछ स बच य । परशन 6 : भकत कवियो क ब र म अपन विच र मलि । उततर 6 : दहदी स दहतय क मधय यग म अनक भकत कवियो क जनम हआ। उनहोन अपनी रचन ओ क दि र उस समय की जनत म ईशिर क परतत तनषठ और भजकत की भ िन जग कर उनक मन म अलौककक शजकत क सच र ककय थ । आज भल ही समय बदल गय हो, परत भकत कवियो दि र सम ज म जजस भजकत भ िन क सच र ककय गय थ , उसकी तरग हम आज भी आदोमलत करती ह । ललखित परशन 1 : सब स ासो की स ास म कौन ह? कवि न ऐस कयो कह ह ? उततर 1 : ईशिर ही सब स ासो की स ास म ह। कवि न ऐस इसमलए कह ह कयोकक कवि क अनस र ईशिर ककसी भी मददर ,मजसजद, कल श, ककसी ककरय कमा य जोग बर ग म नही ममलत बजलक ईशिर तो हर जगह मौजद होत ह । जो उनह अपन ददल स पक रत ह ईशिर उनह पर पत हो ज त ह । अथ ात ईशिर हर मनषय की स ासो म बस हए ह।

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परशन 2 : रसि न कय दिन क मलए वय कल ह तथ कयो ? उततर 2 : रसि न शरी कषर को दिन क मलए वय कल ह कयोकक कवि कषर स इतन परम करत ह कक पर जीिन उनक प स ही वयतीत करन च हत ह । इसमलए िह जजस ककसी रप म भी सभि हो सक उसी रप म बरज भमम म रहन च हत ह । इस क रर कवि पश ,पकषी और पह ड क रप म भी रहन क मलए तय र ह त कक उस रप म रहकर ि शरी कषर क स तनधय पर पत कर सक । परशन 3 : मीर ब ई ककस शीश नि रही ह ? उनहोन ककन ककन की पीड हरी ह ? उततर 3 : मीर ब ई शरी कषर क कमल रपी चररो क स मन शीश नि रही ह । मीर ब ई क अनस र हरर ही ऐस ईशिर ह जजनहोन बहत लोगो की मदद की ह । उनहोन रौपदी की ल ज रिी। भकत परहल द की रकष करन क मलए नरमसह अित र ध रर ककय और दहरणयकमशप क िध ककय । उनहोन डबत हए गजर ज की रकष भी की और उनह प नी स ब हर तनक ल इतय दद । परशन 4 : भजग, क ग, शि न, िर और मका ट क कय सिभ ि ह ? सरद स जी इनक म धयम स कय समझ न च हत ह ? उततर 4 : भजग को जजतन भी दध वपल य ज ए, िह अपन विष नही तय गत , बजलक एक न एक ददन उसी वयजकत को डस लत ह । कौि को जजतन भी कपर द ददय ज ए िह उस कभी नही चित । कतत को जजतन भी गग म नहलि दो , िह पवितर नही हो ज त । गध को अगर चदन ,कसर आदद क सगगधत लप भी लग ददय ज ए, तब भी िह सदर नही बन ज त और बदर को जजतन भी आभषर पहन लो, िह उसक म न कभी नही रित । इन सब क म धयम स सरद स जी यही समझ न च हत ह कक जजनकी जसी परकतत ह िह िस ही वयिह र करत ह। इसीमलए उन लोगो पर ककसी भी तरह की अचछी ब तो क असर नही होत । अतः हम अपन आपको उन लोगो स दर कर लन च दहए जजन लोगो क न त ईशिर स नही ह। LESSON -19 ( HIROSHIMA KI AAG) हहरोलिमा की आग मौखिक परशन 1 : दहरोमशम और न ग स की कह ा जसथत ह ? िह ा ककस न बम गगर ए ? उततर 1 : दहरोमशम और न ग स की ज प न म जसथत ह। िह ा अमररक न बम गगर ए । परशन 2 : दहरोमशम म ककतनी नददय ा ह ? उततर 2 : दहरोमशम म स त नददय ा ह। परशन 3 : ज प न क ककन शहरो पर हि ई हमल हो चक थ ? उततर 3 : ज प न क टोकयो , ओस क और नग यो शहरो पर हि ई हमल हो चक थ। परशन 4 : लोग बमब री स बचन क मलए कय पहनत थ ? उततर 4 : लोग बमब री स बचन क मलए ि स परक र क किच और हलमट पहनत थ। परशन 5 : म ई कौन थी ? कह ा रहती थी और िह ककतनी बडी थी ? उततर 5 : म ई एक छोटी सी लडकी थी। िह दहरोमशम म अपन म त वपत क स थ रहती थी । उसकी उमर स त स ल की थी।

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परशन 6 : दहरोमशम पर गगरन ि ल एटम बम क कय न म थ ? यह िह ा कब तथ ककस समय गगर थ ? उततर 6 : दहरोमशम पर गगरन ि ल एटम बम क न म 'मलदटल बॉय' थ । यह िह ा 6 अगसत,1945 को सबह आठ बजकर परह ममनट पर गगर थ । परशन 7 : म ई क वपत को आग स ब हर कौन ल य ? उततर 7 : म ई क वपत को आग स ब हर उसकी म ा लकर आई । परशन 8 : भतो जस कौन लग रह थ ? उततर 8 : बहत स बचच जजनक पर कपड जल गए थ और उनक होठ और आािो की पलक फल गई थी । ि इधर-उधर भटकत और गचलल त हए भतो जस लग रह थ । परशन 9 : म ई को अपन परो क प स जो चीज चलती हई महसस हई , िह कय थी ? उततर 9 : म ई को अपन परो क प स जो चीज चलती हई महसस हई , िह एक गचडडय थी- एक ननही सी अब बील । परशन 10 : न ग स की कह ा ह ? उस पर एटम बम कब गगर य गय ? उततर 10 : न ग स की ज प न म ह। उस पर 9 अगसत, 1945 क ददन एटम बम गगर य गय । परशन 11 : एटम बम कस विसफोटक होत ह ? उततर 11 : एटम बम जस परलयक री विसफोटक दतनय म सबस पहल कभी भी इसतम ल नही ककय गय थ । उसकी तब ही की कषमत एक हज र स ध रर बमो क एक स थ फटन स भी अगधक होती ह । इसस तनकलन ि ली विषली रडडयोधमी ककरर स लो तक लोगो की बीम री और मौत क क रर बनती ह ।

वयाकरण

तनबध लिन ककसी भी तरह की पदठत स मगरी भ ि य विच र को सतनयोजजत ढग स अपनी भ ष म परसतत करन ही तनबध ह। तनबध क पर रप को तीन भ गो म ब ट ज सकत ह। 1.पर रभ- तनबध क पर रभ आकषाक एि विषय को सपषट करन ि ल होन च दहए जो प ठक क धय न आकवषात कर सक। आरभ कवित की पजकतयो,ककसी दषट त,विषय स सबगधत ककसी मह परष क कथन य विषय को सपषट करन ि ल ि कय स होन च दहए । आरभ म, कम शबदो म प ठक को विषय स अिगत कर न की कषमत होनी च दहए। 2. मधय- इसक सीध सबध तनबध क विषय स होत ह। यह तनबध क सबस महतिपरा भ ग होत ह। इस भ ग म विषय क विसतत िरान होत ह। इस िरान म दषट त,विच रको एि स दहतयक रो क शरषठ कथन, ककसी कवि की विषय नकल कवित की कछ पजकतय ,कोई मशकष परद सतर य शलोक की पजकत,र मचररतम नस की चौप इय आदद सजमममलत की ज सकती ह। इसम मखय विषय क विसत र होन क स थ-स थ विच र य ब त क करमबदध एि तका सगत िरान होन च दहए। 3. अनत- तनबध क अत सकषकषपत, परभ िश ली एि स रगमभात होन च दहए। सपरा तनबध क सबध म लिक क

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दजषटकोर अत क कछ ि कयो म सपषट होन च दहए। तनबध क अत सपरा तनबध की सफलत क आध र ह।

परीकषा उपयोगी ननबध लिन क कछ ववषय

1. हम री धरती और बढ रह गलोबल ि ममिग 2. कपयटर एि मोब इल फोन आज की आिशयकत 3. आधतनक यग म कम हो रह पर न ससक र 4. बढती गमी की िजह स जल सकट- एक विकट समसय 5. दश म बढत भरषट च र 6. आलसय-मनषय क सबस बड शतर 7."ज को र ि स इय म र सक न कोई " इस उजकत क आध र पर एक कह नी मलखिए। 8. घ यल वयजकत को असपत ल पहच न क अनभि अपन शबदो म मलि। 9. िकष की आतमकथ मलि। 10.गचतर दिकर आपक मन म जो विच र आ रह ह उनह वयकत कर अथि कह नी क रप म मलि।

पतर लिन (अनौपचाररक) 1. आपकी छोटी बहन पहली ब र घर स दर प शच तय सगीत की मशकष क मलए विदश ज रही ह । िह परश न और दिी ह। उस समझ त हए परोतस दहत कीजजए । छ तर ि स दय लब ग मशकषर ससथ न। ददन क 06.06.2020 वपरय वपकी, ससनह आशीि ाद । तमह र पतर पर पत हआ।सिापरथम तमह बहत-बहत बध ई, तमह विदश ज न क अिसर पर पत हआ ह। तमह परश न य द:िी होन की आिशयकत नही ह। तमह तो िश होन च दहए कक तम अपन लकषय क पथ पर आग बढ रही हो। किल 2 िषा क मलए ही तो पररि र स दर ज रही हो। कछ बनन बनन क मलए थोड तय ग तो करन ही पडत ह। मझ भी पढ ई परी कर कछ बनन क मलए छ तर ि स म रहन पड रह ह। हम अपन म -ब प क न म रोशन करन क मलए कछ ददन क उनस अलग ि सहन ही पडग । तम िशी-िशी ज ओ और अपनी मशकष परा कर न म कम ओ तथ हम सबक न म रोशन करो। हम सबकी िशी इसी म ह कक तम अपन लकषय तक पहचो। म त जी ि वपत जी को मर चरर-सपशा कहन । तमह र अगरज, अजय

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पतर लिन (औपचाररक) (2) आपकी बक प सबक हो गई ह। आप इखरडयन बक क मनजर को आिदन- पतर मलिकर प सबक की दसरी परतत ज री करि न क अनरोध कर। सि म, बक मनजर, इजणडयन बक, आगर । विषय: दसरी प स बक ज री करन हत पतर। महोदय, विनमर तनिदन ह कक आपक बक म वपछल दस स लो स मर ि त ह। मर ि त करम क 012345 ह। मरी प सबक िो गई ह। आपस अनरोध ह कक मरी प सबक की दसरी परतत ज री करन क कषट कर। धनयि द, भिदीय तरर कम र 15,सररत विह र, नई ददलली। ददन क :30-04-2019

अपहठत गदयाि

1.तनमनमलखित अपदठत गदय श को पढकर उसक नीच ददए गए परशनो क उततर अपन शबदो म मलि। अपन आपको हर घडी और हर पल मह न बन न क न म िीरत ह। िीरत क क रन म तो एक गौर ब त ह।असल िीर तो इन क रन मो को अपनी ददनचय ा म मलित भी नही। दरखत तो जमीन स रस गरहर करन म लग रहत ह। उस यह खय ल ही नही होत कक मझम ककतन फल य फल लगग और कब लगग? उसक क म तो अपन आप को सतय म रिन ह; सतय को अपन अदर कट कट कर भरन ह और अदर ही अदर बढन ह।उस इस गचत स कय मतलब कक कौन मर फल ि एग य मन ककतन फल लोगो को ददए? िीरत क विक स न न परक र स होत ह। कभी तो उसक विक स लडन मरन म, िन बह न म तलि र-तोप क स मन ज न गि न म होत ह। कभी परम क मद न म उनक झड गड होत ह। कभी स दहतय और सगीत स िीरत खिलती ह। कभी जीिन क गढ तति और सतय की तल श म बदध जस र ज विरकत होकर िीर हो ज त ह। कभी ककसी आदशा पर और कभी ककसी पर िीरत फहर ती-लहर ती ह। जब कभी इसक विक स हआ तभी एक नय कम ल नजर आय , एक नय जम ल पद हआ, एक नई रौनक ,एक नय रग, एक नई बह र, एक नई परभत सस र म छ गई। िीरत हमश तनर ली और नई होती ह। नय पन भी िीरत क एक ि स रग ह। िीरत की कमी नकल नही हो सकती। जस मन की परसननत कभी कोई उध र नही ल सकत । िीरत दश- क ल क अनस र सस र

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म जब कभी परकट हई, तभी एक नय सिरप लकर आई, जजसक दशान करत ही सब लोग चककत हो गए, कछ बन न पड और िीरत क आग मसर झक ददय । 1.िीरत ककस कहत ह? उततर- अपन आप को हर समय मह न बन न क न म ही िीरत ह।जो वयजकत मह न क या करत ह, ि िीर होत ह। 2. िीर लोग अपन क रन मो को कयो नही मलित ? उततर- जजस परक र एक िकष पथिी स जल गरहर करत रहत ह और यह नही दित कक उस पर ककतन फल य फल लगग,उसी परक र िीर लोग भी होत ह जो फल की गचत न कर क कमा म ही लग रहत ह। 3. िीरत क विक स ककस परक र होत ह? उततर- िीरत क विक स अनक परक र स होत ह। जस लडन- मरन म, िन बह न म, तलि र तोप क स मन पर र दन म,परम क मद न म, स दहतय और सगीत म, जीिन क गढ तति और सतय की िोज म आदद। 4.िीरत क विक स क कय पररर म होत ह? उततर- िीरत क विक स म अनोि क या होत ह और एक अपिा सौदया पद होत ह।नय रग, बह र ि परभत सस र म छ ज ती ह। िीरत सदि तनर ली ि नई होती ह। 5.लिक क अनस र िीरत क कय लकषर ह? उततर- िीरत की कभी नकल नही हो सकती, जस मन की परसननत कभी कोई उध र नही ल सकत । िीरत सदि एक नए रप म परकट होती ह। िीरत क दशान करत ही सब लोग आशचया म पड ज त ह और उसक स मन मसर झक दत ह।

वयावहाररक हहदी वयाकरण

सचन अनस र शबद बदल अथि ि कय म पररितान कर। 1. तनमनमलखित शबदो स भ िि चक सजञ बन ए। आदमी-आदममयत, इस न-इस तनयत,अततगथ-अ ततथय, ईशिर- ऐशिया,चोर-चोरी,मनषय-मनषयत ,द स-द सत ,कषक-कवष, बढ -बढ प ,क रीगर-क रीगरी,परतततनगध-परतततनगधति,सजजन- सजजनत ,ि नर-ि नरति, पश-पशत ,पडडत-प डडतय, वयजकत- वयजकतति, सजन-सौजनय,र षर-र षरीयत ,ममतर-ममतरत ,शतर-शतरत ,सिक सि ,स ध-स धति,लडक -लडकपन,िीर-िीरत ,भ ई-भ ईच र , मसह-मसहति,परभ-परभति,दि-दिति,न री-न रीति,परष- परषति,ब लक-ब लकपन,बचच -बचपन,गचककतसक- गचककतस ,सि मी-सि ममति 2. तनमनमलखित शबदो क विलोम रप मलखिए। अनज-अगरज,अन थ-सन थ,अधक र-परक श,अनर ग-विर ग, अमभम न-नमरत ,अपकष -उपकष ,अम िसय -पराम सी,अलप य- दीघ ाय,आधतनक-पर चीन,आगरह-दर गरह,आद न-परद न,आदशा- यथ था,अपर धी-तनरपर धी,आग मी-विगत,आलसय सफतता, आक श-प त ल,इचछ -अतनचछ ,इहलोक-परलोक,उगर- श त, उद र-सकीरा,उततम-अनततम,उद तत-अनद तत,उतकषट-तनकषट, उचच-तनमन,उननतत-अिनतत,उततर यर -दकषकषर यन, उदधत- विनीत, उपयकत-अनपयकत,इषट-अतनषट,उपसगा-परतयय,एकतर- विकीरा,एडी-चोटी,ऐजचछक-अतनि या

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3. तनमनमलखित शबदो क दो दो पय ायि ची शबद मलखिए। 1. अतनल -हि , ि य, पिन 2.अमत -सध ,सोम, वपयष 3.अजगन- ध िक ,आग, अनल 4.अशि- घोड ,हय, घोटक 5.असर -द नि, र कषस, दतय 6.अधय पक -गर ,मशकषक ,आच या 7-अधक र -तम, ततममर ,अधर 8-अततगथ- महम न ,आगतक ,अभय गत 9-अनपम- अपिा, अतल ,अनोि 10-अरणय- िन, जगल, विवपन 11-अहक र -अमभम न, घमड, गिा 12-आभषर -गहन ,अलक र, भषर 4.तनमनमलखित अनक शबदो क मलए एक शबद मलि। 1. जो कह न ज सक-अकथनीय 2. जजसक प स कछ भी न हो-अककचन 3. जजसक िरान न ककय ज सक -अिरानीय 4. जो म स ि त हो-म स ह री 5. जजस शमा न आती हो-तनलाजज 6. गरहर करन योगय-गर हय 7. पजन करन योगय- पजनीय 8. जो परम क प तर हो-वपरय 9. जो दसरो की भल ई करत हो-परोपक री 10. शरर म आय हआ- शरर गत 5.तनमनमलखित शबदो क विशषर रप मलखिए। धमा-ध ममाक ,अथा -आगथाक ,सम ज-स म जजक, पररि र- प ररि ररक,नीतत-नततक, र जनीतत- र जनततक,इततह स- ऐततह मसक,ददन-दतनक,अक-अककत,तनद -तनददत,जगल- जगली,शहर-शहरी,पज -पजनीय,ईषय ा-ईषय ाल,विगध- विगधपिाक,दक न-दक नद र,तीन-तीसर , तनद -तनदक ,पज - पजक,मतय-मतक,रत-रतील ,सि -सिक,भ गन - भगोड , घमन -घमककड,लटन -लटर ,ब हर-ब हरी ,नीच-तनचल ,आग अगल ,ऊपर-ऊपरी ,िह-िस ,यह-ऐस , हम-हम र 6.सचन अनस र ि कय पररितान कर। क. िह गनन बहत मीठ ह । (ममठ स क परयोग कर) उततर-उस गनन म बहत ममठ स ह। ि.अधय पक बचचो को पढ एग । (िताम न क ल म बदमलए)

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उततर-अधय पक बचचो को पढ त ह। ग.रोगी सो नही प य । (भ ि ि चय म बदमलए ) उततर-रोगी स सोय नही गय । घ. इतनी आय होन पर भी िह विि दहत नही ह। (नही हट इए परत ि कय क अथा न बदल) उततर-इतनी आय होन पर भी िह अविि दहत ह। ङ. उसकी पतनी अपनी स स स नही बोलती। (मलग बदलकर मलखिए ) उततर-उसक पतत अपन ससर स नही बोलत । च. उस लडकी न आज एक पसतक पढी। (िचन बदमलए ) उततर-उन लडककयो न आज अनक पसतक पढी। छ. मन ददलली ज न ह ।(शदध कीजजए) उततर-मझ ददलली ज न ह। ज."अध की लकडी" मह िर को अपन ि कय म परयोग करो। उततर-शरिर कम र अपन म त वपत की अध की लकडी थ । झ. जसी करनी िसी भरनी लोकोजकत क आध र पर एक ि कय मलि । उततर-नौकर अपन म मलक क घर स ही चोरी करत पकड गय । म मलक न उस घर स ब हर तनक ल ददय । सच ह जसी करनी िसी भरनी।