Upload
others
View
9
Download
0
Embed Size (px)
Citation preview
णमोकार महामंत्र
प्रकाश छाबडा, यंग जैन स्टडी गु्रप, इन्दौर
9926040137
अर्थ ٭ लोक में सब.......
٭ अरहंतों को नमस्कार हो,
٭ ससद्धों को नमस्कार हो,
٭ आचायों को नमस्कार हो,
٭ उपाध्यायों को नमस्कार हो और
٭ साधुओ ंको नमस्कार हो ।
अरहंत
शरीर
ससहत
भगवान हैं
अरहंत और ससद्ध भगवान है
ससद्ध
शरीर
रसहत
भगवान हैं
आचायथ
मुसनयों के
नेता,
मुसिया,
सचंालक है
आचायथ, उपाध्याय और साधु गुरु है
उपाध्याय
मुसनयों
को पढाने
वाले है
साधु
सामान्य
से सभी
मुसन है
٭ मंसदर जी में प्रसतमा सकसकी है?
٭ बडे कौन हैं? अरहंत या ससद्ध?
٭ सिर अरहंत को पहले नमस्कार क्यों
सकया गया है?
٭ हमें क्या बनना है?
٭ ससद्ध बनने से पहले क्या बनते हैं ?
٭ सकस क्रम से ससद्ध पद प्राप्त होता है ?
प्रश्न?
इस मंत्र की रचना कब हुई
है?
मसहमा
एसो पंच णमोयारो
सव्वपावप्पणासणो ।
मंगलाणं च सव्वेसस ं
पढमं होसह मंगलम ्॥
मंगल सकसे कहते हैं?
٭ मं + गल =
पाप + गलावे = पापों को गलावे
٭ मंग + ल =
सिु + लावे = सिु प्राप्त करावे
परमेष्ठी सकसे कहते हैं?
अ = अरहंत
अ = अशरीरी
आ = आचायथ
उ = उपाध्याय
म = मुसन
अ + अ = आ
आ + आ = आ
आ + उ = ओ
ओ + म ्= ओम ्
ओम ्में भी पंच परमेष्ठी गसभथत हैं
पंच परमेष्ठी को नमस्कार
करने से क्या लाभ है?
सच्चे सिु
की प्रासप्त
होती है
सच्चे सिु की
प्रासप्त कैसे होती है?
٭ इन पााँचों परमेसष्ठयों को पहचान कर
٭ उनके बताए हुए मागथ पर चलकर ।