93

Abhigyan Shakuntal (Sanskrit Classics) (Hindi)

  • Upload
    others

  • View
    8

  • Download
    0

Embed Size (px)

Citation preview

अ भ ान शाक तल

अ भ ान शाक तल(स कत क स नाटक lsquoअ भ ान शाक तलमrsquo का ह द पा तर)

महाक व का लदास

पा तरकारवराज

स करण 2008 copy राजपाल ए ड स ज़ISBN 978-81-7028-773-5ABHIGYAN SHAKUNTALAM (Sanskrit Play) by Kalidas

राजपाल ए ड स ज़ क मीरी गट द ली-110 006Website wwwrajpalpublishingcome-mail mailrajpalpublishingcom

भ मका

का लदास स कत-सा ह य क सबस बड़ क व ह उ ह न तीन का और तीन नाटक लखह उनक य का lsquoरघवशrsquo lsquoकमार स भवrsquo और lsquoमघ तrsquo ह और नाटक lsquoअ भ ानशाक तलrsquo lsquoमाल वका न म rsquo और lsquo व मोवशीयrsquo ह इनक अ त र lsquoऋतसहारrsquo भीका लदास का ही लखा आ माना जाता ह इतना ही नह लगभग पतीस अ य प तक भीका लदास-र चत कही जाती ह य सब रचनाए का लदास-र चत ह अथवा नह यहा इसववाद म न पड़कर हम कवल का लदास क का -सौ दय पर एक पात-भर करन लगह इन तीन नाटक और तीन का को तो अस द ध प स का लदास-र चत ही मानाजाता ह

का लदास का थान और काल

व ान म इस बात पर ही गहरा मतभद ह क यह का लदास कौन थ कहा क रहन वालथ और का लदास नाम का एक ही क व था अथवा इस नाम क कई क व हो चक ह कछव ान न का लदास को उ ज यनी- नवासी माना ह य क उनक रचना म उ ज यनीमहाकाल मालवदश तथा ा आ द क वणन अनक थान पर और व तारपवक ए हपर त सरी ओर हमालय गगा और हमालय क उप यका का वणन भी का लदास नव तार स और रसम न होकर कया ह इसस कछ व ान का वचार ह क य महाक वहमालय क आसपास क रहन वाल थ बगाल क व ान न का लदास को बगाली सकरन का य न कया ह और कछ लोग न उ ह क मीरी बतलाया ह इस वषय म न यक साथ कछ भी कह पाना क ठन ह क का लदास कहा क नवासी थ भारतीय क वय कपर परा क अनसार उ ह न अपन प रचय क लए अपन इतन बड़ सा ह य म कह एक पभी नह लखी का लदास न जन- जन थान का वशष प स वणन कया ह उनकआधार पर कवल इतना अनमान लगाया जा सकता ह क का लदास न उन थान को भली-भा त दखा था इस कार क थान एक नह अनक ह और व एक- सर स काफ र- रह फर भी का लदास का अनराग दो थान क ओर वशष प स ल त होता ह एकउ ज यनी और सर हमालय क उप यका इसस मोट तौर पर इतना अनमान कया जासकता ह क का लदास क जीवन का पया त समय इन दोन थान म तीत आ होगा

और य द हम इस जन त म स य का कछ भी अश मान क का लदास व मा द य कराजसभा क नवर न म स एक थ तो हमार लए यह अनमान करना और सगम हो जाएगाक उनका यौवनकाल उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा म तीत आव मा द य उ ज यनी क नरश कह जात ह य प का लदास क ही भा त व ान ममहाराज व मा द य क वषय म भी उतना ही गहरा मतभद ह क त इस स ब ध मअ व छ प स चली आ रही व म सवत क अ खल भारतीय पर परा हमारा कछमागदशन कर सकती ह प क ऐ तहा सक ववाद त माण क ओर न जाकर इनजन तय क आधार पर यह माना जा सकता ह क का लदास अब स लगभग 2000 वषपव उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा क नवर न म स एक थ

पर त व मा द य क राजसभा म का लदास का होना इस बात का माण नह हक उनका ज म भी उ ज यनी म ही आ था उ चको ट क कलाकार को गण ाहकराजा का आ य ा त करन क लए अपनी ज मभ म को यागकर र- र जाना पड़ताही ह कछ व ान का अनमान ह क मघ त क य का लदास वय ह और उ ह न जोस दश मघ को त बनाकर भजा ह वह उनक अपन घर क ओर ही भजा गया ह मघ तका यह मघ व याचल स चलकर आ कट पवत पर होता आ रवा नद पर प चा ह वहास दशाण दश जहा क राजधानी व दशा थी और वहा स उ ज यनी क व न लखा ह कउ ज यनी य प मघ क माग म न पड़गी फर भी उ ज यनी क त क व का इतना आ हह क उसक लए मघ को थोड़ा-सा माग ल बा करक भी जाना ही चा हए उ ज यनी कावणन मघ त म व तार स ह उ ज यनी स चलकर मघ का माग ग भीरा नद दव ग रपवत चम वती नद दशपर क और कनखल तक प चा ह और वहा स आगअलकापरी चला गया ह यह कनखल इस लए भी वशष प स यान दन यो य ह य कlsquoअ भ ान शाक तलrsquo क सारी कथा इस कनखल स लगभग प ह-बीस मील र मा लनीनद क तीर पर क वा म म घ टत होती ह का लदास न अपन सभी का म गगा औरहमालय का एकसाथ वणन कया ह इसस तीत होता ह क का लदास का हमालय कउन थान क त वशष मोह था जहा हमालय और गगा साथ-साथ ह इस स यहकनखल का दश ही एकमा ऐसा दश ह जहा गगा हमालय मा लनी नद पास ही पासआ जाती ह यह ठ क न य कर पाना क का लदास कस व श नगर या गाव क नवासीथ शायद ब त क ठन हो क त इस कनखल क आसपास क दश क त का लदास कावसा ही म दखाई पड़ता ह जसा क को उन दश क त होता ह जहा उसनअपना बा यकाल बताया होता ह वहा क यक व त रमणीय और स दर तीत होती हका लदास को न कवल यहा क वन-पवत ही च ब क यहा क सह ा शा ल वराहह रण आ द भी उनक का म अपना उ चत थान बनाए ए ह यहा तक क वहा कओस स गीली झरब रय क बर भी उनक अमर रचना म थान पा गए ह

का लदास का गौरव

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

अ भ ान शाक तल(स कत क स नाटक lsquoअ भ ान शाक तलमrsquo का ह द पा तर)

महाक व का लदास

पा तरकारवराज

स करण 2008 copy राजपाल ए ड स ज़ISBN 978-81-7028-773-5ABHIGYAN SHAKUNTALAM (Sanskrit Play) by Kalidas

राजपाल ए ड स ज़ क मीरी गट द ली-110 006Website wwwrajpalpublishingcome-mail mailrajpalpublishingcom

भ मका

का लदास स कत-सा ह य क सबस बड़ क व ह उ ह न तीन का और तीन नाटक लखह उनक य का lsquoरघवशrsquo lsquoकमार स भवrsquo और lsquoमघ तrsquo ह और नाटक lsquoअ भ ानशाक तलrsquo lsquoमाल वका न म rsquo और lsquo व मोवशीयrsquo ह इनक अ त र lsquoऋतसहारrsquo भीका लदास का ही लखा आ माना जाता ह इतना ही नह लगभग पतीस अ य प तक भीका लदास-र चत कही जाती ह य सब रचनाए का लदास-र चत ह अथवा नह यहा इसववाद म न पड़कर हम कवल का लदास क का -सौ दय पर एक पात-भर करन लगह इन तीन नाटक और तीन का को तो अस द ध प स का लदास-र चत ही मानाजाता ह

का लदास का थान और काल

व ान म इस बात पर ही गहरा मतभद ह क यह का लदास कौन थ कहा क रहन वालथ और का लदास नाम का एक ही क व था अथवा इस नाम क कई क व हो चक ह कछव ान न का लदास को उ ज यनी- नवासी माना ह य क उनक रचना म उ ज यनीमहाकाल मालवदश तथा ा आ द क वणन अनक थान पर और व तारपवक ए हपर त सरी ओर हमालय गगा और हमालय क उप यका का वणन भी का लदास नव तार स और रसम न होकर कया ह इसस कछ व ान का वचार ह क य महाक वहमालय क आसपास क रहन वाल थ बगाल क व ान न का लदास को बगाली सकरन का य न कया ह और कछ लोग न उ ह क मीरी बतलाया ह इस वषय म न यक साथ कछ भी कह पाना क ठन ह क का लदास कहा क नवासी थ भारतीय क वय कपर परा क अनसार उ ह न अपन प रचय क लए अपन इतन बड़ सा ह य म कह एक पभी नह लखी का लदास न जन- जन थान का वशष प स वणन कया ह उनकआधार पर कवल इतना अनमान लगाया जा सकता ह क का लदास न उन थान को भली-भा त दखा था इस कार क थान एक नह अनक ह और व एक- सर स काफ र- रह फर भी का लदास का अनराग दो थान क ओर वशष प स ल त होता ह एकउ ज यनी और सर हमालय क उप यका इसस मोट तौर पर इतना अनमान कया जासकता ह क का लदास क जीवन का पया त समय इन दोन थान म तीत आ होगा

और य द हम इस जन त म स य का कछ भी अश मान क का लदास व मा द य कराजसभा क नवर न म स एक थ तो हमार लए यह अनमान करना और सगम हो जाएगाक उनका यौवनकाल उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा म तीत आव मा द य उ ज यनी क नरश कह जात ह य प का लदास क ही भा त व ान ममहाराज व मा द य क वषय म भी उतना ही गहरा मतभद ह क त इस स ब ध मअ व छ प स चली आ रही व म सवत क अ खल भारतीय पर परा हमारा कछमागदशन कर सकती ह प क ऐ तहा सक ववाद त माण क ओर न जाकर इनजन तय क आधार पर यह माना जा सकता ह क का लदास अब स लगभग 2000 वषपव उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा क नवर न म स एक थ

पर त व मा द य क राजसभा म का लदास का होना इस बात का माण नह हक उनका ज म भी उ ज यनी म ही आ था उ चको ट क कलाकार को गण ाहकराजा का आ य ा त करन क लए अपनी ज मभ म को यागकर र- र जाना पड़ताही ह कछ व ान का अनमान ह क मघ त क य का लदास वय ह और उ ह न जोस दश मघ को त बनाकर भजा ह वह उनक अपन घर क ओर ही भजा गया ह मघ तका यह मघ व याचल स चलकर आ कट पवत पर होता आ रवा नद पर प चा ह वहास दशाण दश जहा क राजधानी व दशा थी और वहा स उ ज यनी क व न लखा ह कउ ज यनी य प मघ क माग म न पड़गी फर भी उ ज यनी क त क व का इतना आ हह क उसक लए मघ को थोड़ा-सा माग ल बा करक भी जाना ही चा हए उ ज यनी कावणन मघ त म व तार स ह उ ज यनी स चलकर मघ का माग ग भीरा नद दव ग रपवत चम वती नद दशपर क और कनखल तक प चा ह और वहा स आगअलकापरी चला गया ह यह कनखल इस लए भी वशष प स यान दन यो य ह य कlsquoअ भ ान शाक तलrsquo क सारी कथा इस कनखल स लगभग प ह-बीस मील र मा लनीनद क तीर पर क वा म म घ टत होती ह का लदास न अपन सभी का म गगा औरहमालय का एकसाथ वणन कया ह इसस तीत होता ह क का लदास का हमालय कउन थान क त वशष मोह था जहा हमालय और गगा साथ-साथ ह इस स यहकनखल का दश ही एकमा ऐसा दश ह जहा गगा हमालय मा लनी नद पास ही पासआ जाती ह यह ठ क न य कर पाना क का लदास कस व श नगर या गाव क नवासीथ शायद ब त क ठन हो क त इस कनखल क आसपास क दश क त का लदास कावसा ही म दखाई पड़ता ह जसा क को उन दश क त होता ह जहा उसनअपना बा यकाल बताया होता ह वहा क यक व त रमणीय और स दर तीत होती हका लदास को न कवल यहा क वन-पवत ही च ब क यहा क सह ा शा ल वराहह रण आ द भी उनक का म अपना उ चत थान बनाए ए ह यहा तक क वहा कओस स गीली झरब रय क बर भी उनक अमर रचना म थान पा गए ह

का लदास का गौरव

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

पा तरकारवराज

स करण 2008 copy राजपाल ए ड स ज़ISBN 978-81-7028-773-5ABHIGYAN SHAKUNTALAM (Sanskrit Play) by Kalidas

राजपाल ए ड स ज़ क मीरी गट द ली-110 006Website wwwrajpalpublishingcome-mail mailrajpalpublishingcom

भ मका

का लदास स कत-सा ह य क सबस बड़ क व ह उ ह न तीन का और तीन नाटक लखह उनक य का lsquoरघवशrsquo lsquoकमार स भवrsquo और lsquoमघ तrsquo ह और नाटक lsquoअ भ ानशाक तलrsquo lsquoमाल वका न म rsquo और lsquo व मोवशीयrsquo ह इनक अ त र lsquoऋतसहारrsquo भीका लदास का ही लखा आ माना जाता ह इतना ही नह लगभग पतीस अ य प तक भीका लदास-र चत कही जाती ह य सब रचनाए का लदास-र चत ह अथवा नह यहा इसववाद म न पड़कर हम कवल का लदास क का -सौ दय पर एक पात-भर करन लगह इन तीन नाटक और तीन का को तो अस द ध प स का लदास-र चत ही मानाजाता ह

का लदास का थान और काल

व ान म इस बात पर ही गहरा मतभद ह क यह का लदास कौन थ कहा क रहन वालथ और का लदास नाम का एक ही क व था अथवा इस नाम क कई क व हो चक ह कछव ान न का लदास को उ ज यनी- नवासी माना ह य क उनक रचना म उ ज यनीमहाकाल मालवदश तथा ा आ द क वणन अनक थान पर और व तारपवक ए हपर त सरी ओर हमालय गगा और हमालय क उप यका का वणन भी का लदास नव तार स और रसम न होकर कया ह इसस कछ व ान का वचार ह क य महाक वहमालय क आसपास क रहन वाल थ बगाल क व ान न का लदास को बगाली सकरन का य न कया ह और कछ लोग न उ ह क मीरी बतलाया ह इस वषय म न यक साथ कछ भी कह पाना क ठन ह क का लदास कहा क नवासी थ भारतीय क वय कपर परा क अनसार उ ह न अपन प रचय क लए अपन इतन बड़ सा ह य म कह एक पभी नह लखी का लदास न जन- जन थान का वशष प स वणन कया ह उनकआधार पर कवल इतना अनमान लगाया जा सकता ह क का लदास न उन थान को भली-भा त दखा था इस कार क थान एक नह अनक ह और व एक- सर स काफ र- रह फर भी का लदास का अनराग दो थान क ओर वशष प स ल त होता ह एकउ ज यनी और सर हमालय क उप यका इसस मोट तौर पर इतना अनमान कया जासकता ह क का लदास क जीवन का पया त समय इन दोन थान म तीत आ होगा

और य द हम इस जन त म स य का कछ भी अश मान क का लदास व मा द य कराजसभा क नवर न म स एक थ तो हमार लए यह अनमान करना और सगम हो जाएगाक उनका यौवनकाल उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा म तीत आव मा द य उ ज यनी क नरश कह जात ह य प का लदास क ही भा त व ान ममहाराज व मा द य क वषय म भी उतना ही गहरा मतभद ह क त इस स ब ध मअ व छ प स चली आ रही व म सवत क अ खल भारतीय पर परा हमारा कछमागदशन कर सकती ह प क ऐ तहा सक ववाद त माण क ओर न जाकर इनजन तय क आधार पर यह माना जा सकता ह क का लदास अब स लगभग 2000 वषपव उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा क नवर न म स एक थ

पर त व मा द य क राजसभा म का लदास का होना इस बात का माण नह हक उनका ज म भी उ ज यनी म ही आ था उ चको ट क कलाकार को गण ाहकराजा का आ य ा त करन क लए अपनी ज मभ म को यागकर र- र जाना पड़ताही ह कछ व ान का अनमान ह क मघ त क य का लदास वय ह और उ ह न जोस दश मघ को त बनाकर भजा ह वह उनक अपन घर क ओर ही भजा गया ह मघ तका यह मघ व याचल स चलकर आ कट पवत पर होता आ रवा नद पर प चा ह वहास दशाण दश जहा क राजधानी व दशा थी और वहा स उ ज यनी क व न लखा ह कउ ज यनी य प मघ क माग म न पड़गी फर भी उ ज यनी क त क व का इतना आ हह क उसक लए मघ को थोड़ा-सा माग ल बा करक भी जाना ही चा हए उ ज यनी कावणन मघ त म व तार स ह उ ज यनी स चलकर मघ का माग ग भीरा नद दव ग रपवत चम वती नद दशपर क और कनखल तक प चा ह और वहा स आगअलकापरी चला गया ह यह कनखल इस लए भी वशष प स यान दन यो य ह य कlsquoअ भ ान शाक तलrsquo क सारी कथा इस कनखल स लगभग प ह-बीस मील र मा लनीनद क तीर पर क वा म म घ टत होती ह का लदास न अपन सभी का म गगा औरहमालय का एकसाथ वणन कया ह इसस तीत होता ह क का लदास का हमालय कउन थान क त वशष मोह था जहा हमालय और गगा साथ-साथ ह इस स यहकनखल का दश ही एकमा ऐसा दश ह जहा गगा हमालय मा लनी नद पास ही पासआ जाती ह यह ठ क न य कर पाना क का लदास कस व श नगर या गाव क नवासीथ शायद ब त क ठन हो क त इस कनखल क आसपास क दश क त का लदास कावसा ही म दखाई पड़ता ह जसा क को उन दश क त होता ह जहा उसनअपना बा यकाल बताया होता ह वहा क यक व त रमणीय और स दर तीत होती हका लदास को न कवल यहा क वन-पवत ही च ब क यहा क सह ा शा ल वराहह रण आ द भी उनक का म अपना उ चत थान बनाए ए ह यहा तक क वहा कओस स गीली झरब रय क बर भी उनक अमर रचना म थान पा गए ह

का लदास का गौरव

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

भ मका

का लदास स कत-सा ह य क सबस बड़ क व ह उ ह न तीन का और तीन नाटक लखह उनक य का lsquoरघवशrsquo lsquoकमार स भवrsquo और lsquoमघ तrsquo ह और नाटक lsquoअ भ ानशाक तलrsquo lsquoमाल वका न म rsquo और lsquo व मोवशीयrsquo ह इनक अ त र lsquoऋतसहारrsquo भीका लदास का ही लखा आ माना जाता ह इतना ही नह लगभग पतीस अ य प तक भीका लदास-र चत कही जाती ह य सब रचनाए का लदास-र चत ह अथवा नह यहा इसववाद म न पड़कर हम कवल का लदास क का -सौ दय पर एक पात-भर करन लगह इन तीन नाटक और तीन का को तो अस द ध प स का लदास-र चत ही मानाजाता ह

का लदास का थान और काल

व ान म इस बात पर ही गहरा मतभद ह क यह का लदास कौन थ कहा क रहन वालथ और का लदास नाम का एक ही क व था अथवा इस नाम क कई क व हो चक ह कछव ान न का लदास को उ ज यनी- नवासी माना ह य क उनक रचना म उ ज यनीमहाकाल मालवदश तथा ा आ द क वणन अनक थान पर और व तारपवक ए हपर त सरी ओर हमालय गगा और हमालय क उप यका का वणन भी का लदास नव तार स और रसम न होकर कया ह इसस कछ व ान का वचार ह क य महाक वहमालय क आसपास क रहन वाल थ बगाल क व ान न का लदास को बगाली सकरन का य न कया ह और कछ लोग न उ ह क मीरी बतलाया ह इस वषय म न यक साथ कछ भी कह पाना क ठन ह क का लदास कहा क नवासी थ भारतीय क वय कपर परा क अनसार उ ह न अपन प रचय क लए अपन इतन बड़ सा ह य म कह एक पभी नह लखी का लदास न जन- जन थान का वशष प स वणन कया ह उनकआधार पर कवल इतना अनमान लगाया जा सकता ह क का लदास न उन थान को भली-भा त दखा था इस कार क थान एक नह अनक ह और व एक- सर स काफ र- रह फर भी का लदास का अनराग दो थान क ओर वशष प स ल त होता ह एकउ ज यनी और सर हमालय क उप यका इसस मोट तौर पर इतना अनमान कया जासकता ह क का लदास क जीवन का पया त समय इन दोन थान म तीत आ होगा

और य द हम इस जन त म स य का कछ भी अश मान क का लदास व मा द य कराजसभा क नवर न म स एक थ तो हमार लए यह अनमान करना और सगम हो जाएगाक उनका यौवनकाल उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा म तीत आव मा द य उ ज यनी क नरश कह जात ह य प का लदास क ही भा त व ान ममहाराज व मा द य क वषय म भी उतना ही गहरा मतभद ह क त इस स ब ध मअ व छ प स चली आ रही व म सवत क अ खल भारतीय पर परा हमारा कछमागदशन कर सकती ह प क ऐ तहा सक ववाद त माण क ओर न जाकर इनजन तय क आधार पर यह माना जा सकता ह क का लदास अब स लगभग 2000 वषपव उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा क नवर न म स एक थ

पर त व मा द य क राजसभा म का लदास का होना इस बात का माण नह हक उनका ज म भी उ ज यनी म ही आ था उ चको ट क कलाकार को गण ाहकराजा का आ य ा त करन क लए अपनी ज मभ म को यागकर र- र जाना पड़ताही ह कछ व ान का अनमान ह क मघ त क य का लदास वय ह और उ ह न जोस दश मघ को त बनाकर भजा ह वह उनक अपन घर क ओर ही भजा गया ह मघ तका यह मघ व याचल स चलकर आ कट पवत पर होता आ रवा नद पर प चा ह वहास दशाण दश जहा क राजधानी व दशा थी और वहा स उ ज यनी क व न लखा ह कउ ज यनी य प मघ क माग म न पड़गी फर भी उ ज यनी क त क व का इतना आ हह क उसक लए मघ को थोड़ा-सा माग ल बा करक भी जाना ही चा हए उ ज यनी कावणन मघ त म व तार स ह उ ज यनी स चलकर मघ का माग ग भीरा नद दव ग रपवत चम वती नद दशपर क और कनखल तक प चा ह और वहा स आगअलकापरी चला गया ह यह कनखल इस लए भी वशष प स यान दन यो य ह य कlsquoअ भ ान शाक तलrsquo क सारी कथा इस कनखल स लगभग प ह-बीस मील र मा लनीनद क तीर पर क वा म म घ टत होती ह का लदास न अपन सभी का म गगा औरहमालय का एकसाथ वणन कया ह इसस तीत होता ह क का लदास का हमालय कउन थान क त वशष मोह था जहा हमालय और गगा साथ-साथ ह इस स यहकनखल का दश ही एकमा ऐसा दश ह जहा गगा हमालय मा लनी नद पास ही पासआ जाती ह यह ठ क न य कर पाना क का लदास कस व श नगर या गाव क नवासीथ शायद ब त क ठन हो क त इस कनखल क आसपास क दश क त का लदास कावसा ही म दखाई पड़ता ह जसा क को उन दश क त होता ह जहा उसनअपना बा यकाल बताया होता ह वहा क यक व त रमणीय और स दर तीत होती हका लदास को न कवल यहा क वन-पवत ही च ब क यहा क सह ा शा ल वराहह रण आ द भी उनक का म अपना उ चत थान बनाए ए ह यहा तक क वहा कओस स गीली झरब रय क बर भी उनक अमर रचना म थान पा गए ह

का लदास का गौरव

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

और य द हम इस जन त म स य का कछ भी अश मान क का लदास व मा द य कराजसभा क नवर न म स एक थ तो हमार लए यह अनमान करना और सगम हो जाएगाक उनका यौवनकाल उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा म तीत आव मा द य उ ज यनी क नरश कह जात ह य प का लदास क ही भा त व ान ममहाराज व मा द य क वषय म भी उतना ही गहरा मतभद ह क त इस स ब ध मअ व छ प स चली आ रही व म सवत क अ खल भारतीय पर परा हमारा कछमागदशन कर सकती ह प क ऐ तहा सक ववाद त माण क ओर न जाकर इनजन तय क आधार पर यह माना जा सकता ह क का लदास अब स लगभग 2000 वषपव उ ज यनी क महाराज व मा द य क राजसभा क नवर न म स एक थ

पर त व मा द य क राजसभा म का लदास का होना इस बात का माण नह हक उनका ज म भी उ ज यनी म ही आ था उ चको ट क कलाकार को गण ाहकराजा का आ य ा त करन क लए अपनी ज मभ म को यागकर र- र जाना पड़ताही ह कछ व ान का अनमान ह क मघ त क य का लदास वय ह और उ ह न जोस दश मघ को त बनाकर भजा ह वह उनक अपन घर क ओर ही भजा गया ह मघ तका यह मघ व याचल स चलकर आ कट पवत पर होता आ रवा नद पर प चा ह वहास दशाण दश जहा क राजधानी व दशा थी और वहा स उ ज यनी क व न लखा ह कउ ज यनी य प मघ क माग म न पड़गी फर भी उ ज यनी क त क व का इतना आ हह क उसक लए मघ को थोड़ा-सा माग ल बा करक भी जाना ही चा हए उ ज यनी कावणन मघ त म व तार स ह उ ज यनी स चलकर मघ का माग ग भीरा नद दव ग रपवत चम वती नद दशपर क और कनखल तक प चा ह और वहा स आगअलकापरी चला गया ह यह कनखल इस लए भी वशष प स यान दन यो य ह य कlsquoअ भ ान शाक तलrsquo क सारी कथा इस कनखल स लगभग प ह-बीस मील र मा लनीनद क तीर पर क वा म म घ टत होती ह का लदास न अपन सभी का म गगा औरहमालय का एकसाथ वणन कया ह इसस तीत होता ह क का लदास का हमालय कउन थान क त वशष मोह था जहा हमालय और गगा साथ-साथ ह इस स यहकनखल का दश ही एकमा ऐसा दश ह जहा गगा हमालय मा लनी नद पास ही पासआ जाती ह यह ठ क न य कर पाना क का लदास कस व श नगर या गाव क नवासीथ शायद ब त क ठन हो क त इस कनखल क आसपास क दश क त का लदास कावसा ही म दखाई पड़ता ह जसा क को उन दश क त होता ह जहा उसनअपना बा यकाल बताया होता ह वहा क यक व त रमणीय और स दर तीत होती हका लदास को न कवल यहा क वन-पवत ही च ब क यहा क सह ा शा ल वराहह रण आ द भी उनक का म अपना उ चत थान बनाए ए ह यहा तक क वहा कओस स गीली झरब रय क बर भी उनक अमर रचना म थान पा गए ह

का लदास का गौरव

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

का लदास एक थ या कई इस वषय म भी ल ब ववाद म पड़ना हम अभी नह हजन तय स जस कार यह मालम होता ह क कोई का लदास व मा द य क सभा मथ उसी कार lsquoभोज ब धrsquo म भोज क सभा म भी एक का लदास का उ लख ह कछव ान न तीन का लदास मान ह रखर न भी लखा ह क lsquoल लत शगार क रचना मएक ही का लदास को कोई नह जीत सकता फर तीन का लदास का तो कहना ही या1

का लदास कौन थ और कब ए थ इस ववाद को यह छोड़कर अब हम उनकअमर नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क ओर आत ह का लदास क रचना क शसाउनक परवत क वय न म कठ स क ह एक क व न का लदास क स य को मधरसस भरी ई आ मज रय क समान बताया ह2 एक और क व न लखा ह क lsquoक वय कगणना करत समय का लदास का नाम जब क न का अगली पर रखा गया तो अना मकाक लए उनक समान कसी सर क व का नाम ही न सझा और इस कार अना मकाअगली का अना मका नाम साथक हो गया आज तक भी का लदास क समान और कोईक व नह आrsquo1 एक और आलोचक न लखा ह क lsquoका म नाटक स दर मान जात हनाटक म lsquoअ भ ान शाक तलrsquo सबस ह शाक तल म भी चौथा अक और उस अक मभी चार ोक अनपम ह2

________________

अ भ ान शाक तल

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क शसा कवल भारतीय आलोचक न ही क हो यह बात नह वदशी आलोचक न भी शाक तल का रसपान करक इसक त त क गीत गाए ह जमनक व गट न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अनवाद जमन भाषा म पढ़ा था शाक तल का जोसौ दय मल स कत म ह उस अनवाद म य का य ला पाना अस भव नह तो ःसा यअव य ह हम मालम नह क जो जमन अनवाद गट न पढ़ा था उसम शाक तल का कतनासौ दय आ पाया था फर भी उस पढ़कर गट न शाक तल क जो आलोचना क वहउसक स दय भावकता क सचक ह उसन लखा ldquoय द तम त ण वस त क फल कसग ध और ी मऋत क मधर फल का प रपाक एकसाथ दखना चाहत हो या उस व तका दशन करना चाहत हो जसस अ तःकरण पल कत स मो हत आन दत और त त होजाता ह अथवा तम भ म और वग क झाक एक ही थान म दखना चाहत हो तोlsquoअ भ ान शाक तलrsquo का रसपान करोlsquo3 गट क आलोचना शाक तल का सही म याकनसमझी जा सकती ह क व रवी न भी शाक तल क आलोचना करत ए लखा हldquoशाक तल का आर भ सौ दय स आ ह और उस सौ दय क प रण त मगल म जाकर ईह इस कार क व न म य को अमत स स ब कर दया हrsquo

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo को जस भी स दखा जाए यह वल ण रचना तीत

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक

होती ह इसक कथाव त पा का च र - च ण नाटक यता स दर कथोपकथन इसकका -सौ दय स भरी उपमाए और थान- थान पर य ई समयो चत स या औरसबस बढ़कर व वध सग क व या मकता इतनी अद भत ह क इन य स दखन परस कत क भी अ य नाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स ट कर नह ल सकत फर अ यभाषा का तो कहना ही या

_________________

मौ लक न होन पर भी मौ लक

का लदास न lsquoअ भ ान शाक तलrsquo क कथाव त मौ लक नह चनी यह कथा महाभारत कआ दपव स ली गई ह य प पराण म भी शक तला क कथा मलती ह और वह महाभारतक अप ा शक तला क कथा क अ धक नकट ह इस कारण व टर नट ज़ न यह माना हक शक तला क कथा प पराण स ली गई ह पर त व ान का कथन ह क प पराण कायह भाग शक तला क रचना क बाद लखा गया और बाद म त तीत होता हमहाभारत क कथा म वासा क शाप का उ लख नह ह महाभारत का य त का लदासक य त स य द ठ क उलटा नह तो भी ब त अ धक भ ह महाभारत क शक तलाभी का लदास क शक तला क भा त सल ज नह ह वह य त को व ा म औरमनका क स ब ध क फल व प ए अपन ज म क कथा अपन मह स ही सनाती हमहाभारत म य त शक तला क प पर म ध होकर शक तला स गा धव ववाह क

ाथना करता ह जस पर शक तला कहती ह क म ववाह इस शत पर कर सकती कराज सहासन मर प को ही मल य त उस समय तो वीकार कर लता ह और बाद मअपनी राजधानी म लौटकर जान-बझकर ल जावश शक तला को हण नह करताका लदास न इस कार अप र कत प म ा त ई कथा को अपनी क पना स अद भत

प म नखार दया ह वासा क शाप क क पना करक उ ह न य त क च र को ऊचाउठाया ह का लदास क शक तला भी आ भजा य सौ दय और क णा क म त ह इसकअ त र का लदास न सारी कथा का नवाह भाव का च ण इ या द जस ढग स कया हवह मौ लक और अपव ह

व या मक सकत

शक तला म का लदास का सबस बड़ा चम कार उसक व या मक सकत म ह इसम क वको वल ण सफलता यह मली ह क उसन कह भी कोई भी व त न योजन नह कहीकोई भी पा कोई भी कथोपकथन कोई भी घटना कोई भी ाक तक य न योजननह ह सभी घटनाए या य आग आन वाली घटना का सकत चम का रक री त सपहल ही द दत ह नाटक क ार भ म ही ी म-वणन करत ए वन-वाय क पाटल क

सग ध स मलकर सग धत हो उठन और छाया म लटत ही न द आन लगन और दवस काअ त रमणीय होन क ारा नाटक क कथाव त क मोट तौर पर सचना द द गई ह जो

मशः पहल शक तला और य त क मलन उसक बाद न द- भाव स शक तला को भलजान और नाटक का अ त सखद होन क सचक ह इसी कार नाटक क ार भक गीत म

मर ारा शरीष क फल को ज़रा-ज़रा-सा चमन स यह सकत मलता ह क य त औरशक तला का मलन अ प थायी होगा जब राजा धनष पर बाण चढ़ाए ह रण क पीछ दौड़जा रह ह तभी कछ तप वी आकर रोकत ह कहत ह ldquoमहाराज यह आ म का ह रण हइस पर तीर न चलानाrsquo यहा ह रण स ह रण क अ त र शक तला क ओर भी सकत हजो ह रण क समान ही भोली-भाली और असहाय ह lsquoकहा तो ह रण का अ य त चचलजीवन और कहा त हार व क समान कठोर बाणrsquo इसस भी शक तला क असहायताऔर सरलता तथा राजा क न रता का मम पश सकत कया गया ह जब य त औरशक तला का म कछ और बढ़न लगता ह तभी नप य स पकार सनाई पड़ती ह कlsquoतप वयो आ म क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओ शकारी राजा य त यहाआया आ हrsquo इसम भी य त क हाथ स शक तला क र ा क ओर सकत कया गया

तीत होता ह पर त यह सकत कसी क भी कान म सनाई नह दया शक तला को कसीन नह बचाया इसस थ त क क णाजनकता और भी अ धक बढ़ जाती ह चौथ अक क

ार भक भाग म क व क श य न भात का वणन करत ए सख और ःख क नर तरसाथ लग रहन का तथा य क वयोग म य क अस ःख का जो उ लख कया हवह य त ारा शक तला का प र याग कए जान क लए पहल स ही प भ म-सी बनादता ह पाचव अक म रानी हसप दका एक गीत गाती ह जसम राजा को उनक मधकर-व क लए उलाहना दया गया ह य त भी यह वीकार करत ह क उ ह न हसप दकास एक ही बार म कया ह इसस क व यह ग भीर सकत दता ह क भल ही शक तला को

य त न वासा क शाप क कारण भलकर छोड़ा पर त एक बार यार करन क बादरा नय क उप ा करना उसक लए कोई नई बात नह थी अ य रा नया भी उसक इसमधकर-व का शकार थ हसप दका क इस गीत क प भ म म शक तला क प र यागक घटना और भी र और कठोर जान पड़ती ह इसी कार क व या मक सकत सका लदास न सातव अक म य त शक तला और उसक प क मलन क लए सखदप भ म तयार कर द ह इ राजा य त को अपव स मान दान करत ह उसक बादहमकट पवत पर जाप त क आ म म प चत ही राजा को अनभव होन लगता ह क जसवह अमत क सरोवर म नान कर रह ह इस कार क सकत क बाद य त औरशक तला का मलन और भी अ धक मनोहर हो उठता ह

का -सौ दय

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म नाटक यता क साथ-साथ का का अश भी यथ मा ा म हइसम शगार म य रस ह और उसक सयोग तथा वयोग दोन ही प का प रपाक स दर

प म आ ह इसक अ त र हा य वीर तथा क ण रस क भी जहा-तहा अ छअ भ ई ह थान- थान पर स दर उपमाए और मनोहा रणी उ ाए न कवलपाठक को चम कत कर दती ह क त अभी भाव क ती ता को बढ़ान म भी सहायकहोती ह सार नाटक म का लदास न अपनी उपमा और उ ा का उपयोग कह भीकवल अलकार- दशन क लए नह कया यक थान पर उनक उपमा या उ ा अथक अ भ को रसपण बनान म सहायक ई ह का लदास अपनी उपमा क लएस कत-सा ह य म स ह शाक तल म भी उनक उपय उपमा चनन क श भली-भा त कट ई शक तला क वषय म एक जगह राजा य त कहत ह क lsquoवह ऐसा फलह जस कसी न सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस पर कसी क नख क खर च नहलगी ऐसा र न ह जसम छद नह कया गया और ऐसा मध ह जसका वाद कसी नचखा नह हrsquo इन उपमा क ारा शक तला क सौ दय क एक अनोखी झलक हमारीआख क सामन आ जाती ह इसी कार पाचव अक म य त शक तला का प र यागकरत ए कहत ह क lsquoह तप वनी या तम वस ही अपन कल को कल कत करना औरमझ प तत करना चाहती हो जस तट को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गरातीही ह अपन जल को भी म लन कर लती हrsquo यहा शक तला क तट को तोड़कर बहन वालीनद स द गई उपमा राजा क मनोभाव को करन म वशष प स सहायक होती हइसी कार जब क व क श य शक तला को साथ लकर य त क पास प चत ह तो

य त क उन तप वय क बीच म शक तला क ऊपर जाकर पड़ती ह वहा शक तलाक सौ दय का व तत वणन न करक क व न उनक मख स कवल इतना कहलवा दया ह कlsquoइन तप वय क बीच म वह घघट वाली स दरी कौन ह जो पील प क बीच म नई क पलक समान दखाई पड़ रही हrsquo इस छोट -सी उपमा न पील प और क पल क स यता क

ारा शक तला क सौ दय का परा ही च ाकन कर दया ह इसी कार सवदमन कोदखकर य त कहत ह क lsquoयह तापी बालक उस अ न क फ लग क भा त तीत होताह जो धधकती आग बनन क लए धन क राह दखता हrsquo इस उपमा स का लदास न नकवल बालक क तज वता कट कर द ब क यह भी प प स स चत कर दया हक यह बालक बड़ा होकर महा तापी च वत स ाट बनगा इस कार क मनोहरउपमा क अनक उदाहरण शाक तल म स दए जा सकत ह य क शाक तल म 180उपमाए य ई ह और उनम स सभी एक स एक बढ़कर ह

यह ठ क ह क उपमा क चनाव म का लदास को वशष कशलता ा त थी और यहभी ठ क ह क उनक -सी स दर उपमाए अ य क वय क रचना म लभ ह फर भीका लदास क सबस बड़ी वशषता उपमा-कौशल नह ह उपमा-कौशल तो उनक का -कौशल का एक सामा य-सा अग ह अपन मनोभाव को करन अथवा कसी रस काप रपाक करन अथवा कसी भाव क ती अनभ त को जगान क का लदास अनक व धयाजानत ह श द का सगो चत चयन अभी भाव क उपय छ द का चनाव और जना-श का योग करक का लदास शक तला क सौ दय-वणन पर उतर ह वहा उ ह न कवल

उपमा और उ ा ारा शक तला का प च ण करक ही स तोष नह कर लया हपहल-पहल तो उ ह न कवल इतना कहलवाया क lsquoय द तपोवन क नवा सय म इतना पह तो समझो क वन-लता न उ ान क लता को मात कर दयाrsquo फर य त क मखस उ ह न कहलवाया क lsquoइतनी स दर क या को आ म क नयम-पालन म लगाना ऐसा हीह जस नील कमल क पखरी स बबल का पड़ काटनाrsquo उसक बाद का लदास कहत हक lsquoशक तला का प ऐसा मनोहर ह क भल ही उसन मोटा व कल व पहना आ हफर भी उसस उसका सौ दय कछ घटा नह ब क बढ़ा ही ह य क स दर को जोभी कछ पहना दया जाए वही उसका आभषण हो जाता हrsquo उसक बाद राजा शक तला कसकमार दह क तलना हरी-भरी फल स लद लता क साथ करत ह जसस उस वल णसौ दय का व प पाठक क आख क सामन च त-सा हो उठता ह इसक बाद उससौ दय क अनभ त को चरम सीमा पर प चान क लए का लदास एक मर को ल आए हजो शक तला क मख को एक स दर खला आ फल समझकर उसका रसपान करन कलए उसक ऊपर मडरान लगता ह इस कार का लदास न शक तला क सौ दय को च तकरन क लए अलकार का सहारा नह लया जतना क जनाश का और यह

जना-श ही का क जान मानी जाती ह

का लदास क सौ दय-धारणा

का लदास न कवल शारी रक सौ दय को ही सब कछ नह माना शारी रक सौ दय थऔर अनाकषक बन जाता ह य द उसक साथ ही साथ मान सक सौ दय भी न हो य दशक तला शारी रक स तो स दर होती पर त वभाव स क टल ई याल या कटभा षणीहोती तो वह का लदास क ना यका न बन पाती का लदास न शरीर-सौ दय को मान सकसौ दय क साथ मलाकर अद भत लाव य-स क ह उनक शक तला तपोवन म रही हइस लए नगर म होन वाल छल- पच स वह अप र चत ह नह उसक मन म लबालब भराह आ म क पौध और बल को बना स च वह वय पानी भी नह पीती आ म क मगउसक साथ खब प र चत ह और उसस वह भाई-ब हन का-सा और यहा तक क प का-सा

म करती ह उसक यवदा और अनसया स खया उसक समान ही सरल और मधरवभाव क ह सर क क को कम करना ही जस इनक जीवन का एकमा काय हसर को ःख दना या सताना आ म क नयम क तकल ह इस सरलता मधरता सवा

और नह क व न शक तला को एक वल ण आ त रक सौ दय दान कया ह जोउसक अनपम बा सौ दय स भी बढ़कर ह

का लदास सग क अनसार कह तो व तत वणन ारा भाव को जा त करत हऔर कह ब त ही स त-सी टकोर दकर उस जना-श स ही कट कर दत ह जसशक तला को दखकर य त कहत ह lsquoअहा आख को चन पड़ गया हrsquo इस एक वा यस ही आख को शीतल कर दन वाल शक तला क मनोहारी प का प आभास पाठकको हो जाता ह इसी कार य त और शक तला का मालाप भी का लदास न स त ही

रखा ह क त भावा भ क स इस स त नह कहा जा सकता जब य ततपोवन स वदा लकर अपनी राजधानी म लौट आए और उ ह न शक तला क कोई खबरनह ली तो उस सग म वरह- था को कट करन क लए ब त कछ लखा जा सकताथा या शक तला क मख स कहलवाया जा सकता था पर त का लदास न इसक लए कछभी उ ोग नह कया कवल वासा क आगमन और शक तला क य त क यान म म नहोन क कारण उनक अवहलना ारा ही शक तला क क णाजनक मनोदशा क झाक दद इसी कार प तगह को जात समय शक तला क था तथा क व और स खय कानह ब त ही स त जना म कट आ ह जब य त क राजसभा म राजा न

शक तला को नरादरपवक याग दया उस समय शक तला क व भ मनोभाव भयल जा अ भमान अननय भ सना और वलाप सभी कछ क व न च त कए ह पर तउनक लए श द ब त ही प र मत य कए गए ह जस शक तला न व ास क साथसरल भाव स अपन-आपको य त को सम पत कर दया था वह ऐस दा ण अपमान कसमय अपनी सल ज मयादा क र ा कस करगी यह एकाएक पाठक क लए क पना करपाना स भव नह होता पर त का लदास न इस प र थ त का नवाह महाक व क कशलताक साथ कया ह इस प र याग क उपरा त क नीरवता और भी अ धक ापक ग भीरऔर भावशा लनी ह इतनी बड़ी घटना हो जान पर भी क व मक रहत ह यवदा औरअनसया-सी नहमयी स खया या करती ह कछ पता नह चलता क वा म क वन-दवलताए भी न हती ह और वय शक तला भी मानो नीरवता क म त-सी बनकर रहजाती ह दय क भावना को जगान क लए ऐसी नीरव न ता का योग हम अ यकह दखाई नह पड़ता

पा और च र - च ण

का लदास न अपन पा क च र - च ण म भी नपणता द शत क ह य नाटक क म यपा शक तला और य त ह क त यवदा अनसया और माध भी नाटक म मह वपणभाग लत ह इनक अ त र शा रव गौतमी धीवर और सचक तथा जानक नाम कसपा हय क च र भी स प म क त प ता क साथ च त ए ह शक तला हमारस मख एक अभागी स दरी क प म कट होती ह उसका ज म महा तापी ऋ ष व ा मतथा अ सरा मनका स आ ह उसका प वल ण ह क त ज मकाल स ही उस माताक गोद स अलग रहना पड़ा अपना बा यकाल तपोवन म बतान क कारण उसम अनकसद गण आ गए ह नह ममता और सवा क भावना उसक रोम-रोम म समा गई य त सगा धव ववाह कर लन क बाद भा य उस पर फर होता ह य त शापवश उस भलजात ह और उसका याग कर दत ह इस अवसर पर उसका एक और प भी दखाईपड़ता ह जसम वह राजा क व ासघातकता क लए उनक उ प म भ सना करती हक त भारतीय पर परा क अनसार वह य त क लए कोई अ हतकामना नह करती औरन इसका कछ तशोध ही चाहती ह नाटक क अ त म हम उसक माशीलता का एक

और नया प दखाई दता ह य त ारा कए गए सार नरादर और तर कार को वहखल दय स मा कर दती ह और जीवन म यह मा ही सम त मगल क मल हप रणाम व प य त शक तला और सवदमन का मगलमय मलन होता ह

य त का च र का लदास को महाभारत स अप र कत प म ा त आमहाभारत क य त का लदास क नायक बनन यो य नह जान-बझकर व ासघात करनवाला ा का पा नह हो सकता इस लए का लदास को वासा क शाप क कथाआ व कत करनी पड़ी इसक प ात य त एक धीरोदा नायक क प म हमार सामनआत ह व तापी और परा मी ह ल लत कला क मम ह वय कशल च कार हऋ ष-म नय क त उनक मन म स मान ह व धमपरायण ह शक तला क अ भलाषाकरन स पहल व यह जान लना चाहत ह क वह अ ववा हता ह या नह और साथ ही यहभी क जा त क स उनक साथ उसका ववाह हो पाना स भव ह या नह इसक बादभी य त क च र म कछ ऐसी बलताए भी ह जो य द मन य म न ह तो वह दवता बनजाए का लदास क य त मन य ह व मयादाप षो म राम क भा त नह ह सौ दय परव फसल जात ह शक तला को लता-कज क आड़ म स दखन म उ ह बराई नह मालमहोती यवदा और अनसया क पछन पर अपना गलत प रचय दना भी उ ह अन चत नहलगता शक तला क म म फसकर व माता क आ ा को टाल जात ह और माध कोराजधानी लौटात समय उसस झठ भी बोलत ह शक तला स गाधव- ववाह करन क बादभी उनम इतना साहस नह ह क व क व क आन तक टक रह उसस पहल ही वह तनापर लौट जात ह यह सब य त क मानवीय बलता का ही प ह राजधानीम आकर व शक तला को भल जात ह य द इसम वासा का शाप कारण न होता तो इसम

य त क ऐसी नीचता स चत होती जसक समथन म कछ भी न कहा जा सकता पर तका लदास न उ ह उस कलक स बचाकर धीर-धीर उनक च र को इतना ऊचा उठाया ह कव भारतीय समाज क अ य धक आदरणीय य म गन जा सकत ह शक तला कोदखकर व म ध अव य ए ह क त हर ी क ओर घरना उनक वभाव म नह ह पाचवअक म क व न उनक मख स कहलवाया ह lsquoपराई- ी क ओर नह दखना चा हएrsquo औरसातव अक म कहलवाया ह क lsquoपराई ी क वषय म पछना-ताछना ठ क नह rsquo शक तलाको वह कवल इस लए याग दत ह य क उ ह स दह ह क वह कसी अ य क प नी हयहा तक क तहारी को भी यह कहना पड़ता ह क lsquoहमार महाराज कतन धमपरायण हनह तो ऐस स दर प को दखकर और कौन ऐसा ह जो पल-भर भी वचार करrsquo छठअक म राजा क कत परायणता च त क गई ह शक तला क वरह म व अ य धकख ह ःख क कारण उ ह न वसतो सव कवा दया ह फर भी व अपन रा य का साराकाय दखत-भालत ह उ ह न ापारी धन म क म य क अवसर पर यह घोषणा करवा दह क lsquo जा म स जस कसी का कोई इ ब ध मर जाए पा पय क अ त र अ यसब लोग अपना वह ब ध य त को ही समझ लrsquo अपनी जा क ःख को अपन ःख ममला लन का उनका यह काय उनक वशाल दयता का सचक ह

इन दो च र क अ त र का लदास न नहशील पता क व और नहमयीरद शनी वहारकशल और मधरभा षणी अनसया और यवदा का भी च ण कया ह

क त य दोन स खया चौथ अक क बाद नाटक क रगमच पर एक बार भी नह आत व षक माध नाटक क ढ़य क अनसार ही डरपोक भोजन य और प रहासशील हद र धीवर और ब कल आज क-स सपा हय का च ण भी स दर बन पड़ा ह

इस नाटक म का लदास न सा ह य-शा क सब नयम का परा पालन कया हब क कभी-कभी तो यह स दह होन लगता ह क सा ह य-शा क नाटक-स ब धी नयमकह इस तथा ऐस ही अ य दो-एक नाटक क आधार पर तो नह बना दए गए

उस काल क सामा जक और राजनी तक दशा

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo स हम का लदास क समय क प र थ तय का ब त कछ आभासमल जाता ह इसम अपन समय क सामा जक राजनी तक तथा धा मक जीवन कव भ दशा क स च च उप थत कए गए ह उस समय राजा तथा अ य सम अनक य स ववाह कया करत थ प ष य क साथ स मानपवक वहार करत थप का न होना बरा माना जाता था प त का प नी पर परा अ धकार होता था उस समयक याए श त होती थ और उनका ववाह बड़ी आय म होता था उ च कल क यासामा य लोग क सामन बना परदा कए नह नकलती थ इसी कारण शक तला भी

य त क राजसभा म घघट नकालकर ही व ई थी य को सामा य पढ़ाई- लखाईक अ त र अ य कला क भी श ा द जाती थी उस समय क लोग शकन-अपशकनका काफ वचार करत थ थान- थान पर तपोवन और आ म होत थ जनक र ा राजाको करनी पड़ती थी इन तपोवन का वातावरण शा त और प व था इन तपोवन म इसबात पर वशष यान रखा जाता था क कसी भी ाणी को सताया न जाए इन तपोवन कनवासी नाग रक लोग स भ कार का जीवन तीत करत थ यह जीवन कठोर औरतप यापण होता था नाग रक लोग रशमी व तथा अ य आभषण धारण करत थ क ततपोवन म व कल व ही पहन जात थ और आभषण का योग नह होता था मालमहोता ह क उस समय वणा म- व था च लत थी व य लोग सम -या ा ाराधनसचय करत थ य राजा रा य क र ा और क दमन म त पर रहत थ ा णलोग य इ या द धा मक क य म लग रहत थ पर परागत वसाय चाह बरा ही य न होफर भी न दनीय नह समझा जाता था राजा अपनी जा का पालन स तान क समानकरत थ लोग गह था म परा करन क बाद वान थी हो जात थ राजा कर क प मअपनी जा स आय का छठा भाग लता था य द कोई नःस तान मर जाए तोउसक स प राजकोष म चली जाती थी राजा लोग भी व हो जान पर प को रा यस पकर वान थी हो जात थ उस समय क प लस-अ धकारी भी आजकल क प लस-अ धका रय क समान ही र तखोर थ और अपराधी या नरपराध का वचार कए बनाअ भय को सतान म आन द लत थ

का लदास म यतया सौ दय मी क व ह उ ह जहा कह भी सौ दय दखाई पड़ा हउसका च ण उ ह न कया ह क त तथा आक त इस कार क सौ दय क वणन मउनक व खब रमी ह का लदास क सभी रचना का म य वषय शगार ह कहा जाताह क शगार क ल लत वणन म का लदास स ट कर कोई भी क व नह ल सकता शगाररस का थायी भाव म या र त होता ह सौ दय और म का लगभग साहचय ही ह सौ दय

म को जगाता ह और म अस दर को भी स दर बना दता ह का लदास न जस सौ दयका अपन क व-न स सा ा कार कया था वह स क अनक प म सव ा त हमानव-सौ दय उसका कवल एक अग ह का लदास न न कवल शाक तल म ब कlsquoकमारस भवrsquo और lsquoरघवशrsquo म भी नारी-सौ दय क उपमा लता और प प स द ह पह क का लदास क स सौ दय जड़ चतन सभी म समान प स ा त था

क त- म

का लदास का क त क त बड़ा गहरा अनराग ह क त क साथ ऐसी गहरी आ मीयताहम अ य थोड़ ही क वय म उपल ध होती ह शाक तल म न कवल ह रण और मोरशक तला क सहचर ह ब क वहा क वन यो ना लता उसक ब हन ह जसका ववाहएक आम क पड़ स कराया गया ह वहा क पौध स उस सग भाइय का-सा नह हका लदास क इस ा तदश lsquoक व-क पनाrsquo क पीछ कछ गहरा स य छपा दखाई पड़ताह साथ रहत-रहत पश-प ी मन य स प र चत हो जात ह व उनस नह करन लगत हऔर ऐस उदाहरण कम नह ह जहा क य प र चत पश-प ी अपन साथ रहन वाल मन यक सख- ख म ह सा बटात दख जात ह

पर त अब यह अस द ध प स मा णत हो चका ह क व और लता म भीवसा ही जीवन ह जसा पश-प य और मन य म य व भी सखी और ःखी होत ह तो

या यह स भव नह ह क दर तक साथ रहन क कारण य जी वत व और लताए भीमानव- ा णय क साथ उसी कार प र चत हो जाए और सख- ःख म सहानभ त जताएजसा पश और प ी करत ह

का लदास न इस एका मकता को भली-भा त अनभव कया था इसी लए उनकवणन म मानव और क त एक- सर स इतन घ न प स गथ ए ह क दोन का सौ दयअलग-अलग कर पाना क ठन ह सभी जगह क त मानव-सौ दय क होड़ करन क लएआ प चती ह नारी-दह को फल स लद चलती- फरती बल क उपमा का लदास को ब त

ची थी इसका उ ह न कई थान पर योग कया ह वन क फल कह तो उनकना यका क अग स होड़ लन लगत ह और फर कह व ही उनक ना यका क शगारक साम ी बनकर उनक शोभा-व करन लगत ह

का लदास क क त मन य क भावना क साथ परी सहानभ त कट करती हजब शक तला का दय क वा म स वदा होत समय शोक स उ छ व सत हो उठा तब वहाक मोर न नाचना ब द कर दया ह र णय न न कवल घास चरनी ही ब द कर द ब क

शोर क मार आधी चबाई घास को भी उगलकर खड़ी रह ग लता स पील प झरनलग जब क व न आ म क व स शक तला को प त क घर जान क अनम त दन कोकहा तो उ र म कोयल न पचम वर म कककर उस जान क अनम त द उसक पाल एह रण न पीछ स आकर उसका आचल पकड़ लया जस जान ही न दना चाहता हो सारlsquoअ भ ान शाक तलrsquo म माधवी लता मर चकवा-चकवी ह रण आम क मज रया औरलताए उतना ही थान घरकर खड़ी ह जतना अ य मानव-पा व ततः शाक तल नाटक कपा क गणना करत समय इनक भी गणना करना उ चत ह जो थान यवदा औरअनसया का ह वन यो ना का उसस कछ कम नह क त क साथ मानव क यहएका मकता का लदास क हाथ म आकर का का अ य त सरस और मम पश आधार बनगई ह

इसक अ त र का लदास न मन य- वभाव और बा क त क य म व चसामज य था पत कया ह एक ओर य त शक तला स अ पकालीन म क बाद उसकाप र याग कर दत ह सरी ओर मर शरीष क कसम को ण-भर चमन क बाद छोड़करकह और उड़ जात ह इसी कार एक ओर य त क वरह म शक तला ख और उदासहो गई ह तो सरी ओर च मा क छप जान पर कम दनी क का त भी म लन हो गई हइस कार मानव-भावना और ाक तक य क पर पर सा य स भी का लदास नभाव क स दर जना क ह

श द- च

का लदास न अनक थान पर बड़ स दर-स च ख च ह उनक श द- च उनक शली कएक और वशषता ह श द- च तत करत ए का लदास का सारा यान इस बात पररहता ह क उन बात का वशष प स वणन कर दया जाए जो स प म अ धक सअ धक प प म व त का प आख क सामन च त कर सक पहल अक म शकारीक तीर स डरकर भागत ए ह रण का वणन द खए lsquoयह ह रण बार-बार गदन मोड़करपीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर चौकड़ी भरन लगता ह तीर लगन क भय सउसक शरीर का पछला आधा भाग मानो अगल आध भाग म धसा-सा जा रहा ह दौड़न कथकान स उसका मह खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनक रा त म गर रह हउसक चाल ऐसी तज़ ह क वह मानो आकाश ही आकाश म उड़ा चला जा रहा हrsquo इसवणन क ारा का लदास न जान बचाकर चौकड़ी भरत ए ह रण का जीता-जागता चहमार सामन ख च दया ह इसी कार क वा म क पास प चत ए राजा जनप र थ तय को दखकर क वा म का अनमान कर लता ह व भी तपोवन क च कसमान ही ह lsquoपड़ क खोखल कोटर म तोत नवास करत ह उनक ारा लाए गए धान कदान खोखल म स गरकर पड़ क जड़ क पास बखर गए ह कह ऋ षय न प थर सइगद क फल तोड़ ह जनस प थर चकन हो गए ह और य चकन प थर जगह-जगहबखर पड़ ह इस दश क ह रण मन य क अथवा रथ क आवाज़ को सनकर भयभीत

होकर भागत नह ह य क व मन य स प र चत तीत होत ह और नद स जल लान करा त पर व कल व क छोर स चन वाल जल- ब क प या बनी दखाई पड़ रहीहrsquo इसी कार जब यवदा न शक तला स कहा क lsquoतझ पर मर दो जल सचन चढ़ ए हउ ह उतारकर जानाrsquo तो य त कहन लग क lsquoयह तो पहल स ही पड़ को स चन क कारणथक दखाई पड़ रही हrsquo अब व को स चन स थक ई स दरी का च द खए lsquoक धज़रा नीच को झक गए ह घड़ा उठान क कारण हथ लया खब लाल हो उठ ह सास तज़ीस चल रही ह जसक कारण तन हलत ए-स द ख रह ह कान पर शगार क लए जोशरीष का फल पहना गया था उसक पख रया मह पर आए ए पसीन क बद क कारणगाल स चपक गई ह जड़ा खल गया ह इसी लए उसन एक हाथ स अपन बाल कोसभाला आ हrsquo कसी भी च कार क लए इस प र ा ता शक तला का च ख चन कलए यह वणन पया त ह इस कार का वणन कवल वही कलाकार कर सकता ह जसनया तो शक तला का च वय बनाया हो अथवा ब त ही प प म अपन मानसच स दखा हो का लदास न अपन नायक य त को च कार क प म तत कया हउसक च कला क स च को द शत करन क लए छठ अक म का लदास न एक ोकदया य त न शक तला का एक च बनाया ह च ब त स दर बना ह च को दखनपर उसक वा त वक होन का म होता ह य त न उसम अनकानक सधार कए ह फरभी उ ह कसी तरह यह स तोष नह हो रहा ह क यह परा हो गया अभी उसम ब त कछबनान को शष ह पछन पर वह बतात ह क lsquoअभी इसम मा लनी नद च त करनी हजसक रती म हस क जोड़ बठ ए ह उस मा लनी नद क दोन ओर हमालय क तराईच त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ाम कर रहा हो एक पड़ बनाना ह जसकऊपर व कल व लटक ए ह और उस व क नीच एक काल ह रण क स ग स अपनीबा आख को खजाती ई एक ह रणी बठ हो इसक साथ ही शक तला क कान म गालतक झलत ए शरीष क फल और छाती पर तन क बीच म शरद ऋत क च मा ककरण क समान सकमार कमलनाल क माला भी च त करनी हrsquo इन वणन स जहापाठक क स मख का लदास अपन नायक क कशल च का रता कट करन म सफल एह वहा आलोचक क म यह बात भी प हो जाती ह क का लदास वय भी नपणच कार थ अ यथा ऐसी स म व तार क बात का वणन करना उनक लए क ठन होजाता इस कार क च मय सग शाक तल म अनक ह और का लदास क अ य रचनाम तो भर ही पड ह

सरल और सरस भाषा

स कत म अ य त सरल मधर और ाजल शली वदभ या पाचाली री त कहलाती हका लदास अपनी वदभ री त क लए स ह उनक भाषा सव सरल प ाथक औरमधर ह व ततः जो वपय उ ह न अपन का क लए चन ह उनम माधय होना वाभा वकही था पर त जसी प रमा जत और सादगणय भाषा का लदास क ह वसी स कत क

क वय म एक क भी नह ह इस भाषा क वशषता यह ह क इसका अथ पढ़न क साथही प हो जाता ह रा वय ल ाथता इ या द दोष इसम नह ह जगह-जगह उ ह नस त चट ल और महावरदार वा य का भी योग कया ह जनस भाषा म जान पड़ गईह जस यवदा शक तला स कहती ह ldquoतमन ठ क जगह म कया भला महानद सागरक अ त र और उतरगी भी कहा आ व क अ त र प स लद माधवी लता कोसभाल भी कौन सकता हrsquo या एक और जगह अनसया न शक तला स कहा ह ldquoशरीरको शा त दन वाली शरद यो ना क चादर ओढ़कर कौन ढापता हrsquo इस कार क योगशक तला म एक नह अनक ह lsquoनवम लका क बल को उबलत पानी स कौन स चताहrsquo lsquoसब लोग अपन सजा तय का ही व ास करत ह तम दोन ही वनवासी हो नrsquolsquoअन ह इसी को कहत ह क सली स उतारा और हाथी पर चढ़ा दयाrsquo इ या द

इसक अ त र का लदास न औ च य क स इस बात का भी यान रखा ह कअपन कथोपकथन क भाषा उ ह न पा क अनकल रखी ह ऋ ष-म नय क मख सउनक अन प ही बात कहलवाई गई ह शक तला क गा धव ववाह क बात म अनम त दत

ए मह ष क व कहत ह lsquoयजमान क आख तो धए स परशान थ फर भी सौभा य सउसक आ त आग म जाकर गरीrsquo इसी कार एक और जगह व कहत ह ldquoबट अ छश य को द गई व ा क भा त तर लए अब मझ कोई शोक नह हrsquo इसी कार राजा औरव षक क कथोपकथन भी उनक अपनी क त तथा प र थ तय क अनकल ह सातवअक म महा मा क यप क आ म म प चकर सारा वातावरण अध-अलौ कक-सा हो उठताह और क यप तथा अ द त क कथोपकथन भी उनक अन प ही रख गए ह

स चपण हा य

lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म स चपण हा य भी काफ मा ा म ह इसम कवल व षक हीहा यजनक बात नह करता ब क अवसर पाकर अ य पा भी वनोद-प रहास करत हजस पहल ही अक म शक तला अनसया स कहती ह lsquo यवदा न मरी अ गया ब तकसकर बाध द ह इस लए उस थोड़ा ढ ला कर दोrsquo इस पर यवदा ताना दती ह lsquoउलाहना मझ या दती हो अपन यौवन को दो जसन त हार उरोज को बड़ा कर दयाहrsquo छठ अक म धीवर कोतवाल और सपा हय का वातालाप भी वनोदपण ह पर तहा य का म य भार प रपाट क अनसार व षक माध क सर ही पड़ा ह माध ारा

तत हा य भी श तथा सयत ह माध का पटपन का लदास न स भवतः कवल ढ़क पालन क लए रखा ह पर त यह पटपन नाटक का कछ रोचक अग नह बन सका

शगार और म

शाक तल म शगार रस धान ह शगार का आधार म ह म क वषय म का लदास ककछ अपनी ही धारणाए ह उनक य धारणाए हम lsquoकमारस भवrsquo lsquoमघ तrsquo तथा उनक अ य

सभी थ म एक ही जसी ा त होती ह का लदास न शारी रक सौ दय को ही म कासव व नह माना कवल सौ दय क आधार पर जस म का ज म होता ह उस व काम यावासना समझत ह उसक त उनक रचना म कह भी आदर द शत नह कया गयासौ दय क वल त द प शखा को दखकर पतग क भा त म ध होकर जब प ष काम कवशीभत हो जाता ह उसका प रणाम का लदास न सभी जगह हा या पद दखाया ह इस

कार का म ण थायी होता ह इस लए का लदास क म ऐसा म मगलकारी नहह ऐस काम को शव क कोपानल म जलकर राख हो जाना पड़ता ह पावती कवल अपन

प स शव को म ध करन गई थी पर त उसम ल जा और अपमान क सवाय कछ हाथ नआया इस लए बाद म उसन तप या ारा अपन प को सफल बनान का य न कया औरउस सफलता भी मली यही बात हम lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी दखाई पड़ती ह कवलसौ दय क वशीभत होकर राजा क मन पर म का उ माद ण थायी रहा दखत-दखतशरद ऋत क मघ क भा त न जान कस ओर वलीन हो गया उसक बाद जब अ य गहरआधार पर म का ज म आ तब उ ह न शक तला को बारा हण कया यहप रचयपवक जान-बझकर एक- सर क दोष क समत जो एक- सर का मपवकअगीकार ह वही का लदास क म मगलमय ह का लदास न म को पवज म कास कार माना ह इस लए शाक तल म एक थान पर उ ह न कहा ह क lsquoस दर य कोदखत ए और मधर श द को सनत ए भी जो का मन एकाएक उदास हो जाता हउसका कारण यही ह क उस पवज म क नह-स ब ध याद आ रह होत हrsquo

lsquo जस म म कोई ब धन नह कोई नयम नह जो म नर-नारी को अक मातमो हत करक सयम ग क भ न ाचीर पर अपनी जयपताका फहराता ह उस म क शको का लदास न वीकार कया ह उ ह न बताया ह क असयत म-स भोग वा मशाप सख डत ऋ षशाप स तहत और दवरोष स भ म हो जाता ह य त और शक तला काब धनहीन रह य मलन चरकाल तक शाप क अ धकार म लीन रहा शक तला कोआ त यधम क पालन का वचार नह रहा वह कवल य त क ही यान म म न रही उससमय शक तला क म का मगलभाव मट गया वासा क शाप और शक तला क

या यान ारा क व न यह थापना क ह क जो उ त म अपन मपा को छोड़करअ य कसी क कछ भी परवाह नह करता उसक व सारा ससार हो जाता ह इसी सवह म थोड़ ही दन म भर हो उठता हrsquo (रवी )

का लदास क अनसार म का उ म और अभी प वही ह जो ससार क सम तकत का पालन करत ए जीवन का एक अग-मा बनकर रह जीवन का सव व न बनजाए जो अ धकार म काश क भा त राह तो दखाता हो क त ऐसा काश न हो जोआख पर ही पड़कर उ ह च धया दता हो उनक मतानसार म क साथकता ववाह म औरववाह क साथकता स तान- जननक पावन ापार म ह स पण lsquoकमारस भवrsquo महाकाइसी कमारज म क भ मका ह कामदव क शर- हार स अधीर होकर जो म- मलन होताह उसम प ज म क उपय प व ता नह ह उसम एक- सर क कामना तो ह पर त

तीसर (प ) क कामना नह ह इसस का लदास न कामदव को भ म करवाकर पावती सतप या कराई ह यही बात lsquoअ भ ान शाक तलrsquo म भी कछ बदल प म दखाई पड़ती ह

का लदास क आदश

का लदास आदश मख क व ह य प उनक रचना म हम शगार का वशद और व ततच ण मलता ह क त वह इस लए क म और शगार क भावना मन य क ती तम औरग भीरतम भावना म स एक ह पर त जस कार मानव-जीवन शगार-मा नह उसी

कार का लदास क का क प रसमा त शगार पर ही नह हो जाती उनक समा तजाकर होती ह वरा य पर हमारी भारतीय स क त म मानव-जीवन को चय गह थवान थ और स यास इन चार भाग म बाटा गया ह बा यकाल भात क समान अ णऔर मधर होता ह यौवन नए काश और उ वल आन द तथा उमग स भरपर होता हअपरा का समय उ णता क स कछ प रपाक और कछ व ाम का समय होता हअ त म स या क ग रक आभा सम त प वी और आकाश को चरम वरा य क रग म रग दतीह का लदास न इसी आदश को जीवन- णाली का आदश माना ह

वन और पवत स म

का लदास म वन और पवत क त एक वल ण मोह दखाई पड़ता ह नगर क वणन सयह कट होता ह क व स प और सम नगर म रह थ क त उनका मन बार-बार वनऔर पवत क ओर दौड़ उठन को अधीर रहता ह लगता ह क उनका बा यकाल वन औरपवत म ही तीत आ था जसस इनका सौ दय उनक दय पर गहरी छाप छोड़ गयायही कारण ह क उनक सभी का म अभी क स हमालय क तराई क वन औरहमालय क पवत शखर पर जाकर होती ह lsquoमघ तrsquo का य अपनी यतमा क पासस दश हमालय क अलकापरी म ही भजता ह उसक सपन क रानी हमालय म हीनवास करती ह lsquoकमारस भवrsquo क तो सारी कथा ही हमालय क रगभ म पर घ टत होतीह य त को अनपम स दरी शक तला जसा र न ा त करन क लए हमालय क तराई मजाना पड़ता ह और lsquoरघवशrsquo क महाराज दलीप को स तान- ा त क इ छा स व श म नक आ म म जाकर तप या करनी पड़ती ह

भौगो लक ान

का लदास क वणन भौगो लक स स य और वाभा वक होत ह जस थान और जसकाल का यह वणन करत ह उसम स यता और औ च य रहता ह उ ह न पव सम कतटवत दश म ताड़ क वन मह पवत पर नागव ली क प और ना रयल क आसव वकरल म मरला नद क नकट कतक क फल का उ लख कया ह भारत क उ र-प मी

सीमा- ा त म अगर क बाग क का मीर दश म कसर और हमालय क दश म भोजप क तरी चीड़ और दवदा क वणन कए गए ह लौ ह य नद क पार काम प दश म अगक व का उ लख ह य सार वणन भौगो लक स यथाथ ह

का लदास शव क उपासक थ अपन सभी थ क ार भ म उ ह न शव क त तक ह फर भी यह आ य क बात जान पड़ती ह क जन शव-पावती को उ ह न अपनlsquoरघवशrsquo म जगत का माता- पता कहा ह उनका ही व तत सयोग-शगार का वणन उ ह नlsquoकमारस भवrsquo म कस कर दया1 एकोऽ प जीयत ह त का लदासो न कन चत

शगार ल लतोद गार का लदास यी कम (राजशखर)2 नगतास न वा क य का लदास य स ष

ी तमधर-सा ास मजरी वव जायत (बाणभ )1 परा कवीना गणना सग क न का ध त का लदासः

अ ा प त य कवरभावादना मका साथवती बभव2 का ष नाटक र य नाटकष शक तला

त ा प चतथ ऽङक त ोक चत यम3 Wouldst thou the Lifersquos young

blossoms and fruits of its declineAnd by which the soul is pleasedenraptured feasted fedndashWouldst thou the Earth and Heavenitself in one sweet name combineI name thee O Shakuntala andall at once is said ndashGoethe (गट)

वास त कसम फल च यगपद ी म य सव च यदय चा य मनसो रसायनमतः स तपण मोहनमएक भतमपवर यमथवा वल कभलोकयो-र य य द वाछ स यसख शाक तल स ताम(उपय अ ज़ी प का स कत पा तर)

कछ प रभाषाए

ना द मगलाचरण को कहत ह यह इ दवता आ द क त त क प म क जातीह जसस ार भ कया आ नाटक न व न परा हो सक

स धार स पण नाटक का नदशक स धार कहलाता हतावना नाटक क म य कथाव त क पहल स धार आता ह और नाटक क

वषय म क को कछ सकत इ या द दता ह इस तावना कहत ह तावना क अ तम स धार रगमच स बाहर चला जाता ह

व क भक पहल हो चक अथवा आग होन वाली कथाव त क जब कसी गौणपा क मख स सचना दलवाई जाती ह तो उस व क भक कहा जाता ह

वशक जहा दो अक क बीच म कवल नीच पा क ारा पहल हो चक अथवाआग होन वाली घटना क सचना दलवाई जाती ह तो वह वशक कहलाता ह

मन ही मन ( वगत) जब कोई बात इस कार बोली जाए जसस यह कट होक पा उस मन ही मन सोच रहा ह तब उस ( वगत) lsquoमन ही मनrsquo कहा जाता ह

चपक स (जना तकम) जब कोई बात कसी अ य पा क कान म चपक सकहन का अ भनय कया जाए

आड़ करक (अपवाय) नट का वह वचन जो नाटक क अ त म मगलकामना कप म कहा जाता ह

lsquoशाक तलrsquo क पा

प ष-पा

य त ह तनापर क राजा

भ सन सनाप त

माध राजा का म व षक

सवदमन भरत य त का प

सोमरात राजपरो हत

रवतक ारपाल

करभक राजा का अनचर

पावतायन कचक बढ़ा नौकर

शा रव शार त

हरीत गौतम आ द क व क श य

कोतवाल य त का सालानगरा य

सचक जानक सपाही

धीवर अ भय म छयारा

मात ल इ का सार थ

क यप दवता क पताजाप त

ी-पा

शक तला क व क पा लता क या

अनसया यवदा शक तला क स खया

गौतमी तप वनी

चत रका परभ तका और

मधक रका राजा क स वकाए

तहारी और यव नकाए दा सया

सानम त अ सरा

अ द त दवमाता

थम अक

lsquoस ललrsquo lsquoअ नrsquo lsquoसमीरrsquo lsquoवसधाrsquo lsquoगगनrsquo lsquoभा करrsquo lsquoच माrsquo और lsquoहोताrsquoआठ जनक ह कट य म तया व वयभ शव त हारी सवदा र ा कर क णाक रख ःख आपदा सारी हर

(lsquoना द rsquo क समा त पर)स धार बस बस ब त आ (नप य क ओर दखकर) य य द नप य क स जा का

काय परा हो चका हो तो ज़रा इधर तो आओ(नट वश करती ह)

नट ली जए यह म आ गई आ ा द जए आपक कस आदश का पालन कयाजाए

स धार य रस और भाव क वशष महाराजा व मा द य क इस सभा म आजबड़-बड़ व ान एक ए ह इस सभा म आज हम लोग का लदास-र चत नवीननाटक lsquoअ भ ान शाक तलrsquo का अ भनय तत करग जाकर उसक लए पाको तयार करो

नट आपन तो इतनी बार इतनी अ छ तरह अ यास करवा रखा ह क अब उसमकसी कार क ट रहन क स भावना नह ह

स धार (म करात ए) ठ क कहती हो पर सच तो यह ह क जब तक अ भनय कोदखकर व ान को स तोष न हो जाए तब तक म अ यास को सफल नहमानता अ भनता को चाह कतना ही य न सखा लो क त उ ह अपनऊपर व ास हो ही नह पाता

नट ( वनयपवक) आपक बात ब कल ठ क ह तो आ ा द जए क अब या कयाजाए

स धार इस समय इस सभा क स मख एक मनोहर मधर गीत स बढ़कर और अ छा कायया हो सकता ह

नट गीत अ छा तो फर यह क हए क कस ऋत का गीत गाया जाएस धार अभी-अभी तो यह ी मऋत ार भ ई ह इन दन इस गम का आन द लया

जा सकता ह आजकल जल म नान करन स आन द आता ह वन क वायपाटल क सौरभ स सग धत हो उठ ह छाया म लटत ही न द आन लगती ह और

दवसा त क स याए ब त ही रमणीय होती ह तो य न इसी ी मऋत का गीतगाओ

नट ठ क ह (गाना ार भ करती ह)सरस क फल बड़ सकमार

चादनी क करण स त त भरी ह जनम सर भ अपारमर आत करन रसपान जतात ज़रा चमकर यार

उ ह स ललनाए अ य त सदय अपना करत शगारस धार य त हारा गीत ब त ही उ म रहा दखो न सारी अ भनयशाला राग क रस म

डबी ई च ल खत-सी हो उठ ह तो अब यह बताओ क इस सभा कमनोरजन क लए कस नाटक का अ भनय कया जाए

नट अभी तो आपन कहा था क lsquoअ भ ान शाक तलrsquo नामक नए नाटक काअ भनय करना ह

स धार यह तमन खब याद दलाया म तो त हार गीत क मठास क आकषण म सबभल ही गया था वस ही ( यान स सनन का अ भनय करक) जस यह महाराज

य त वगवान ह रण क आकषण स खच चल आ रह ह(दोन बाहर चल जात ह)(उसक प ात ह रण का पीछा करत ए धनष-बाण हाथ म लए रथपर बठ ए महाराज य त वश करत ह सार थ रथ हाक रहा ह)

सार थ (एक बार राजा क ओर तथा एक बार ह रण क ओर दखकर) महाराज इसकाल ह रण पर लगाए धनष-बाण तान ए आप ऐस तीत होत ह मानोसा ात शव ही ह रण का पीछा कर रह ह

राजा सत यह ह रण तो हम ब त र ख च लाया अब भी तो यह बार-बार गदनमोड़कर पीछ क ओर रथ को दखन लगता ह और फर तज़ दौड़न लगता ह तीरलगन क भय स इसक शरीर का पछला भाग अगल भाग म समाया-सा जा रहा हदौड़न क थकान स इसका मख खल गया ह और उसम स अधचबी घास क तनकरा त म गरत जा रह ह दखो अपनी ती ग त क कारण इसक पाव धरती को तोज़रा दर को ही छत ह नह तो यह आकाश ही आकाश म उड़ा जा रहा ह (आ यक साथ) अर यह तो हमार पीछा करत-करत भी आख स ओझल आ जा रहाह

सार थ महाराज अब तक भ म ऊबड़-खाबड़ थी इसस रास ख चकर मन घोड़ क चालधीमी कर द थी इसस यह ह रण इतना आग नकल गया अब भ म समतल आगई ह अब यह सरलता स आपक हाथ आ जाएगा

राजा तो अब ज़रा रास ढ ली छोड़ दोसार थ ली जए ढ ली छोड़ द (रथ क वग का अ भनय करत ए) द खए महाराज रास

ढ ली करत ही घोड़ कस कार गदन ल बी कर-करक दौड़न लग ह इनक कान

ऊपर को उठ ए ह और गदन क बाल न क प हो उठ ह और तो और इनकअपन पर स उड़ी धल भी इ ह नह छ पा रही ह इस समय इनक चाल ह रण कचाल स या कम ह

राजा ( स होकर) इसम या स दह ह इस समय तो य सय और इ क घोड़ को भीमात द रह ह दखो न जो व त ण-भर पहल धधली-सी दखाई पड़ती ह वहीअगल ण खब प द खन लगती ह बीच म स कट ई व त भी रथ क वग ककारण समची जड़ी ई-सी दखाई पड़ती ह जो चीज़ व ततः टढ़ ह व भी सीधीद ख रही ह रथ क वग क कारण कोई भी व त इस समय न तो मरी आख स रही रह पाती ह और न ण-भर आख क पास ही रह पाती ह दखो सत अब यहमरा

(कहकर य त धनष पर बाण चढ़ा लत ह)(नप य म)

महाराज महाराज यह आ म का ह रण ह इस मारना नह इस मारना नह सार थ ( यान स सनकर और दखकर) महाराज आपक और आपक बाण क ल य इस

काल ह रण क बीच तप वी लोग आकर खड़ हो गए हराजा (हड़बड़ाकर) तो घोड़ को रोक लो

सार थ ली जए (रथ को रोक लता ह)(दो सा थय क साथ तप वी वश करता ह)

तप वी (हाथ उठाकर) महाराज यह आ म का ह रण ह इस मा रएगा नह इस मग ककोमल शरीर पर यह बाण चलाना उ चत नह ह ई क ढर म कह इस कारआग लगाई जाती ह कहा तो इन ह रण का अ य त चचल जीवन और कहाआपक सनसनात ए व क समान कठोर बाण इस लए महाराज आप इसधनष पर चढ़ाए ए बाण को उतार ली जए आपक श पी ड़त क र ा करनक लए ह नरपराध पर हार करन क लए नह

राजा ली जए यह उतार लया (बाण धनष स उतार लता ह)तप वी आप प वश क भषण ह आपक इसी म शोभा ह जस कार आपका प वश

म ऐसा उ म ज म आ ह उसी कार भगवान कर आपको भी ऐस ही उ मगण वाला च वत प ा त हो

अ य दोन तप वी (हाथ उठाकर) भगवान कर आपको अव य ही च वत प ा तहो

राजा ( वनय-स हत णाम करक) आपका आशीवाद सर माथतप वी महाराज हम लोग स मधाए लान क लए नकल ह यह पास ही मा लनी नद क

तीर पर कलप त क व का आ म दखाई पड़ रहा ह य द आपक कसी अ यकाय म बाधा न हो तो वहा प चकर आ त य वीकार क जए वहा प चकरतप वय क न व न हो रही स दर य - या को दखकर आपको पता चल

जाएगा क धनष-चाप स अ कत आपक भजा कतनी र- र तक जा क र ाकरती ह

राजा या कलप त क व आ म म हतप वी वह तो अ त थय क स कार का काम अपनी क या शक तला को स पकर उसक

तकल ह क शा त क लए आज ही सोमतीथ गए हराजा अ छा म उसी क दशन करन जाता वही मह ष क लौटन पर उनको मरा भ -

भाव जता दगीतप वी ठ क ह तो अब हम चलत ह ( श य -समत चला जाता ह)

राजा सत घोड़ को ज़रा तज़ कर दो चलकर प व तपोवन क दशन स अपन-आपकोप व कर

सार थ अभी ली जए महाराज (रथ क चाल और तज़ करता ह)राजा (चार ओर दखकर) सत दखो यहा तो बना बताए ही पता चल रहा ह क यही

तपोवन का आ म-भाग हसार थ वह कस महाराजराजा य दखत नह क व क नीच तोत क रहन क कोटर क मह स नीच गर ए

धान पड़ ह कह इगद फल को तोड़न स चकन ए प थर बखर पड़ ह यहा कह रण मन य क पास रहन क अ य त ह इसी स रथ क श द को सनकर भी वबना च क पहल क ही भा त नःशक फर रह ह पानी लकर आन क माग परव कल व क छोर स चन वाल जल- ब क रखा बनी दखाई पड़ रही हछोट -छोट ना लय म पानी क धारा बह रही ह जसस व क जड़ धल गई हघी क धए क कारण त क नवप लव का रग ब त बदल गया ह उस ओरउपवन क भ म स दश क अकर नकालकर साफ कर दए गए ह वहा ह रण कछोट-छोट ब च ब त ही न त होकर धीर-धीर फर रह ह

सार थ आप ठ क कह रह हराजा (थोड़ी र और जान पर) तपोवन क नवा सय को मर आन स कह अस वधा न

हो रथ यह रोक लो म नीच उत गासार थ मन रास ख च ली ह अब आप उतर जाइएराजा (उतरकर) सत तपोवन म वनीत वश स ही व होना चा हए लो इ ह तम

सभालकर रख लो (आभषण तथा धनष सार थ को स प दता ह) सत जब तकम आ मवा सय क दशन करक आता तब तक तम घोड़ क पीठ ठडी कर लो

सार थ ठ क ह (राजा बाहर नकल जाता ह)राजा (कछ र चलकर और दखकर) यह आ म का ार आ गया अब इसक अ दर

चला जाए(आ म म वश करक शभ शकन क सचना दता आ)

यह आ म तो शा त थान ह और मरी दा भजा फड़क रही ह इसका यहा या

फल ा त हो सकता ह फर होनहार क रा त तो सभी जगह होत ह(नप य म)

इधर स खयो इधरराजा (कान लगाकर) अर द ण क ओर व क वा टका म कछ बातचीत-सी सनाई

पड़ रही ह उसी ओर जाता (कछ र चलकर और दखकर) अर य तप वी-क याए अपन अन प घड़ लए पौध को पानी दन इधर ही आ रही ह ( यान सदखकर) अहा इनका प तो ब त ही मनोहर ह य द आ म म रहन वाल लोगका ऐसा प ह जो र नवास म भी लभ ह तो समझ लो क वनलता न उ ानक लता को मात द द कछ दर इस छाया म खड़ होकर इनक ती ा करता

(दखता आ खड़ा रहता ह)(पौध को पानी दती ई स खय क साथ शक तला वश करती ह)

शक तला इधर स खयो इधरअनसया री शक तला मझ तो ऐसा लगता ह क पता क व को आ म क व तझस

भी अ धक यार ह तभी तो उ ह न नवम लका क कसम क समान सकमारतझको भी इनक थावल भरन म लगा दया ह

शक तला कवल पताजी क आ ा क ही बात नह ह मझ भी तो इनस सग भाइयजसा यार ह

(व को स चन का अ भनय करती ह)राजा या यही क व क प ी ह मह ष क व न यह ठ क नह कया क इस भी

आ म क काय म लगा दया ह इस नसग स दर शरीर को मह ष क व तप याक यो य बनान क अ भलाषा करक मानो नीलकमल क पखरी स बबल का पड़काटन क को शश कर रह ह अ छा पड़ क आड़ स ही कछ दर इस जी भरकर दख तो ल (दखन लगता ह)

शक तला अनसया इस यवदा न मरा यह व कल व ऐसा कसकर बाध दया ह कहलना-डलना भी म कल हो गया ह ज़रा इस ढ ला तो कर द

अनसया अ छा (ढ ला कर दती ह)यवदा (हसती ई) इसक लए व को उभारन वाल अपन यौवन को उलाहना द मझ

या उलाहना दती हराजा भल ही यह व कल व इसक शरीर क अनकल नह ह फर भी यह इसक

सौ दय को न बढ़ाता हो यह बात नह य क काई लगी होन पर भी कमलस दर होता ह च मा का म लन कलक भी उसक शोभा को बढ़ाता ह यहछरहरी यवती व कल व स और अ धक स दर लग रही ह आक त स दर होतो जो कछ पहना दया जाए वही आभषण बन जाता ह

शक तला (सामन क ओर दखकर) यह आम का व वाय स हलत ए अग लय कसमान प स मझ पास बला-सा रहा ह चल इस भी पानी द आऊ (उसक

ओर चलती ह)यवदा री शक तला ज़रा दो मनट वह खड़ी रह तर पास खड़ होन स यह आम का

व ऐसा स दर लग रहा ह जस इस पर कोई बल लपट ई होशक तला इसी लए तो तरा नाम यवदा ह

राजा यवदा न बात यारी होत ए भी कही सच ह य क इस शक तला क ह ठनवप लव क समान लाल ह दोन बाह कोमल टह नय क समान ह और फलक भा त आकषक यौवन इसक अग-अग म समाया आ ह

अनसया री शक तला तन इस छोट-स आ व क इस वयवरा वध नवम लका कलता का नाम वन यो ना रखा था इस या भल ही गई

शक तला तब तो अपन-आपको भी भल जाऊगी (लता क पास जाकर और दखकर)सखी इस लता और व क यगल का अ छ समय म मल हो गया वन यो नापर नए फल का यौवन खला ह और फल आ जान क कारण आ व भी इससभालन म समथ हो चका ह (उ ह दखती ई खड़ी रहती ह)

यवदा (म कराती ई) अनसया जानती ह शक तला वन यो ना को इतना अ धकय दख रही ह

अनसया मालम नह त बतायवदा जस वन यो ना अपन अन प व स जा मली ह उसी कार म भी अपन

अन प वर ा त कर सक इस लएशक तला यह ज़ र तर मन क बात ह

(कहकर घड़ का पानी उडल दती ह)राजा स भव ह यह कलप त क व क कसी अ य जा त क ी स उ प क या हो

या स दह क आव यकता ही या ह अव य ही इसका ववाह य स होसकता ह य क मरा न कलक मन इस पर म ध हो गया ह स जन को जहाकसी बात म स दह हो वहा उनक अ तःकरण क बात ही अ तम माण होतीह फर भी इसक वषय म सही बात का पता करता

शक तला (हड़बड़ाकर) अर पानी डालन स हड़बड़ाकर उड़ा आ यह भ रा नवम लकाको छोड़कर मर मह पर आ रहा ह (भ र स बचन का य न करती ह)

राजा (अ भलाषा क साथ) ह मर तम कभी उसक बार-बार कापती चचल चतवनवाली का पश करत हो और कभी उसक कान क पास फरत ए धीर-धीरकछ रह यालाप-सा करत ए गनगनात हो उसक हाथ झटकन पर भी तमउसक सरस अधर का पान करत हो व ततः त ह भा यवान हो हम तोवा त वकता क खोज म ही मार गए

शक तला यह मानता ही नह अ छा म उधर जाती (कछ कदम जाकर दखतीई) अर यह तो इधर भी आ रहा ह स खयो यह भ रा मझ तग कर रहा ह

मझ इसस बचाओ

दोन स खया (म कराती ई) हम बचान वाली कौन य त को ही पकार तपोवन कर ा करना राजा का काम ह

राजा ( वगत) अपन आपको कट करन का यह अ छा अवसर ह ( कट प म) डरोमत डरो मत (बीच म ही ककर मन ही मन) इसस तो य पहचान जाएगी क मराजा अ छा इस तरह कहता

शक तला (कछ कदम जाकर फर दखती ई) यह या यहा भी मर पीछ-पीछ आ रहाह

राजा (तज़ी स पास जाकर) आ का दमन करन वाल पौरव य त क प वी परशासन करत ए भोली-भाली म न-क या को यह कौन छड़ रहा ह

(सब राजा को दखकर कछ हड़बड़ा जाती ह)अनसया महोदय कछ वशष अ न नह आ यह हमारी यारी सखी इस भ र स

परशान होकर घबरा गई ह(शक तला क ओर इशारा करती ह)

राजा (शक तला क ओर अ भमख होकर) क हए तप तो ठ क चल रहा ह न(शक तला मह नीचा कए अवाक खड़ी रह जाती ह)

अनसया इस समय तो आप जस अ त थ क आगमन स सब ठ क ही ह री शक तलाक टया म जा और वहा स कछ फल तथा जलपान तो ल आ मह-हाथ धोन कलए पानी यहा ह ही

राजा आप लोग क मधरवाणी स ही काफ आ त य हो गयायवदा तो च लए आप इस घनी छाया वाली स तपण क शीतल वद पर कछ दर

बठकर व ाम कर ली जएराजा आप भी तो इस काम स थक गई ह

अनसया री शक तला हमारा अ त थ क पास रहना ही उ चत ह तो आ यह बठ (सबबठ जाती ह)

शक तला (मन ही मन) यह या आ इ ह दखकर मर मन म तपोवन क अयो य कसामभाव उ प हो रहा ह

राजा (सबको दखकर) आप सबक आय एक-सी और प भी एक जसा ह इससआप लोग क म ता मझ ब त ही स दर लग रही ह

यवदा (चपक स) अनसया यह दखन म चतर और ग भीर ह और इसक बात ब तय ह अव य ही यह कोई भावशाली ह

अनसया (चपक स) मझ भी यह जानन क उ सकता ह अ छा पछती ( कट पस) महोदय आपक मधर बात स उ प व ास क कारण म यह पछना चाहती

क आपन कस राज ष क वश को सशो भत कया ह और कस दश कनवा सय को आप अपन वरह म अधीर कर आए ह इस सकमार शरीर कोआपन कस कारण तपोवन आन का क दया ह

शक तला (मन ही मन) दय अधीर मत हो जो त सोचता ह वह सब यह अनसया पछरही ह

शक तला (मन ही मन) इस समय अपना प रचय द अथवा अपन-आपको छपाए हीरख अ छा इ ह इस कार बताता ( कट प म) भ महाराज य त नमझ धम- वभाग म अ धकारी नय कया ह इसस म यह जानन क लए कआ मवा सय क धम- या म कोई व न-बाधा तो नह यहा तपोवन मआया था

अनसया तब तो आ मवा सय को आपन सनाथ कर दया ह(शक तला शगार ल जा का अनभव करती ह)

दोन स खया (राजा और शक तला क भावभ गमा को दखकर चपक स) री शक तलाअगर आज यहा पता क व होत

शक तला तो या होतास खया अपना जीवन-सव व दकर भी वह इस अ त थ को कताथ करत

शक तला हटो तम न जान या- या सोचकर कह रही हो अब म त हारी बात भी नहसनगी

राजा हम भी आपक सखी क वषय म कछ पछना चाहत हस खया महोदय आपका यह अनरोध कपा क समान ह

राजा यह बात तो सभी जानत ह क महा मा क व आज म चारी ह फर आपकयह सखी उनक प ी कस हो सकती ह

अनसया स नए कौ शक गो म उ प ए व ा म अ य त तज वी राज ष हराजा हा मन सना ह

अनसया बस उ ह को हमारी य सखी का पता सम झए छोड़ दए जान क बादपालन-पोषण करन क कारण पता क व भी इसक पता ह

राजा यह छोड़न क बात या ह म श स सनना चाहता अनसया अ छा तो स नए पहल कसी समय वह राज ष गौतमी नद क तीर पर कठोर

तप या कर रह थ उस समय दव क मन म कछ डर बठ गया उ ह न उनकतप या को भग करन क लए मनका नाम क अ सरा भजी

राजा ठ क ह दवता को सर क समा ध स डर लगता हअनसया उसक बाद भर वस त क समय उसक उ मादक प को दखकर (बीच म ही

ल जा स क जाती ह)राजा ठ क ह आग सब समझ आ गया तो यह अ सरा क क या ह

अनसया और नह तो याराजा यह बात ठ क ह मन य-क या म ऐसा वल ण प कस आ सकता ह

चमचमाती ई व छटा वसधातल स नह उठा करती(शक तला मह नीचा कए खड़ी रहती ह)

राजा (मन ही मन) लो अब मरी अ भलाषा क लए कछ तो राह बनी क त इसकसखी न मज़ाक म जो इसक वर पान क इ छा क बात कही थी उस सनकरमरा मन वधा स बचन हो रहा ह

यवदा (म कराकर शक तला को दखकर राजा क ओर अ भमख होकर) आप फरकछ कहना चाहत ह

(शक तला अगली स यवदा को धमकाती ह)राजा आपन ठ क पहचाना स जन क च र - वण क लोभ स म कछ और भी

पछना चाहता यवदा तो ब त या सोचना तप वय क यहा तो सब कछ न सकोच पछा जा सकता

हराजा म आपक सखी क वषय म यह जानना चाहता क य म न-क या क यो य

इस काम- वरोधी त का पालन कवल ववाह-पयत ही करगी अथवा सदा हीस दर आख वाली ह र णय क साथ यह नवास करगी

यवदा महोदय धम-काय म भी यह पराधीन ह पर त इनक पता का सक प यही हक इ ह कसी अन प वर क हाथ स प दया जाए

राजा (मन ही मन) तब तो यह अ भलाषा पण होनी ब त क ठन नह ह दय अबतम अ भलाषा कर सकत हो अब स दह का नणय हो गया ह जस तम आगसमझकर डर रह थ वह तो र न नकला जस सरलता स पश कया जा सकताह

शक तला ( -सी होकर) अनसया म जा रही अनसया य या बात हशक तला जाकर आया गौतमी स इस अनाप-शनाप बोलन वाली यवदा क शकायत

क गीअनसया सखी व श अ त थ का स कार कए बना उस इस तरह अकला छोड़कर चल

जाना हमार लए उ चत नह ह(शक तला बना कह ही चल पड़ती ह)

रा जा (मन ही मन) अर या जा रही ह (पकड़ना चाहता ह पर अपन-आपकोबलपवक रोककर) म इस म न-क या क पीछ-पीछ चलन लगा था पर फरअचानक श ाचार क कारण ग त क जान स यहा स बना चल भी अब मझऐसा अनभव हो रहा ह जस जाकर फर वापस लौट आया होऊ

यवदा (शक तला को रोककर) री त य नह जा सकतीशक तला (भ ह टढ़ करक) य

यवदा तम पर मर दो व - सचन चढ़ ह तो यहा आ पहल पौध को स चकर उ हउतार द फर जाना (ज़बरद ती उस वापस लाती ह)

राजा भ म तो दखता क य व को स चन स पहल ही ब त अ धक थक गई ह

य क घड़ उठान स इनक बाह क ध पर स ढ ली होकर झल रही ह औरहथ लया ब त लाल हो गई ह मह पर पसीन क बद झलक आई ह जनस कानम लटकाया आ शरीष का फल गाल पर चपक गया ह और जड़ा खल जानक कारण एक हाथ स सभाल ए बाल इधर-उधर बखर गए ह ली जए मइनका ऋण उतार दता (यह कहकर अगठ दना चाहता ह)

(दोन स खया अगठ पर लख नाम क अ र को पढ़कर एक-सरी को दखती ह)

राजा मझ आप और कछ न समझ यह मझ राजा न उपहार म द ह म राजकमचारी न

यवदा तब इस अगठ को इस अगली स अलग करन क आव यकता नह आपक कहदन भर स ही यह ऋण स म हो गई सखी शक तला तझ इन दयाल महोदयन अथवा महाराज न ऋण स म करवा दया ह अब जा

शक तला (मन ही मन) य द अपन पर बस हो तभी तो जाऊगी ( कट प स) त भजनवाली या रोकन वाली कौन होती ह

राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) जस म इस पर अनर वस ही कह यहभी तो मझ पर अनर नह ह यह बात हो सकती ह य क यह भल ही मरीबात का उ र नह दती फर भी जब म बोलता तो यह खब कान दकर सनतीह और भल ही यह मर सामन खड़ी नह होती फर भी इसक घम-घमकरबार-बार मझ पर ही आकर पड़ती ह

(नप य म)अर तप वयो तपोवन क ा णय क र ा क लए तयार हो जाओमगया वहारी राजा य त पास ही आया आ ह घोड़ क खर स उड़ी ई धलस या क ला लमा क समान आ म क उन व पर जनक टह नय पर गीलव कल व टग ए ह ट ी-दल क समान आ-आकर पड़ रही ह और रथ कआवाज़ स डरा आ एक हाथी तप या क व न क समान तपोवन म घसा आरहा ह इसन ज़ोर क चोट स एक व को उखाड़ लया ह और अब वह उसकएक दात म फसा आ ह टट और उलझी ई अनक लता का जाल उसकपर म फसा आ ह और उस दखकर हमार ह रण का झ ड भय स ततर- बतरहो गया ह

(सब कान लगाकर सनत ह और कछ घबरा-स जात ह)राजा (मन ही मन) आह लगता ह हम ढढ़न आए ए स नक तपोवन को र द रह ह

अ छा म उसी ओर चलता स खया महोदय इस तप वी क बात सनकर हम घबराहट हो रही ह अब हम क टया म

जान क अनम त द जएराजा (हड़बड़ाकर) हा-हा आप लोग जाइए हम भी ऐसा य न करत ह जसस

आ मवा सय को क न हो(सब उठ खड़ होत ह)

स खया महोदय हमन आपका कछ भी अ त थ-स कार नह कया इस लए आपस फरदशन दन का अनरोध करत हम ल जा अनभव हो रही ह

राजा यह बात नह ह आपक दशन स ही मरा आ त य हो गया हशक तला (राजा को दखती ई बहाना करक वल ब करती ई स खय क साथ बाहर

नकल जाती ह)राजा मझ अब नगर जान क उ सकता नह रही फर भी चलकर अपन अनचर को

तपोवन स कछ र टका इस शक तला क का ड स म कसी कार अपन-आपको वापस नह लौटा पा रहा मरा शरीर य प आग क ओर जा रहा हजस वाय क वाह क व जान वाल झ ड का रशमी व पीछ क ओर हीलौटता ह

(राजा का थान)

तीय अक

(उदास भाव स सास छोड़कर व षक का वश)व षक (गहरा सास छोड़कर मन ही मन) बस दख लया इस शकारी राजा क म ता

स तो अब परशान हो गया भरी पहरी म भी lsquoयह रहा ह रणrsquo lsquoवह नकलासअरrsquo lsquoवह भागा चीताrsquo कहत ए वन-वन मार-मार फरो आसपास पड़ नह छाह का कह नाम नह पीन को ह पहाड़ी न दय का पानी उसम इतन प सड़ ह क वाद कसला हो गया ह समय पर खान को न मल और जब मलतो वह सलाख पर भन मास क सवा कछ नह घोड़ पर चढ़कर शकार कापीछा करत-करत क ध क ह या तक खन लग जसक मार रात को ढगक न द भी नह आती और उस पर अभी सवरा होता नह क य शतानबह लए चड़ीमार हाक का शोर मचा-मचाकर फर जगा दत ह इतन क मार हीचन नह थी अब ग लड़ क ऊपर यह एक फोड़ा और नकल आया कलहमार पछड़ जान पर महाराज ह रण का पीछा करत-करत तपोवन म जा प चऔर मर भा य स म न क या शक तला को दख आए अब वह नगर क ओरमड़न का नाम भी नह लत आज भी उ ह न उसी क याद म जागत-जागत रातबता द पर क भी तो या अ छा चलता य द वह नान-उपासना आ दस नव हो गए ह तो उनक ही दशन क यह लो हमार य म महाराजतो वय ही इधर आ रह ह धनष हाथ म लए वनफल क मालाए पहन यवन-क याए उ ह घर चल रही ह ठ क ह ऐस खड़ा हो जाता जस मर हाथ-पावटट गए ह शायद इसी तरह कछ व ाम मल जाए

(ड ड का सहारा लकर खड़ा हो जाता ह)(ऊपर बताए ढग स यवन-क या स घर राजा का वश)

राजा भल ही यतमा सलभ नह ह फर भी उसक मनोभाव को दखकर मन को कछसहारा मलता ह भल ही हम दोन का मलन पण न हो फर भी दोन ओर समलन का आ ह होन पर म तो बढ़ता ही ह (म कराकर) अपन य कच व को अपन मनोनकल समझन वाला मी इसी कार धोखा खाता हदखो न वह शक तला जब अपनी न ध मधर चतवन स सरी ओर भी दखतीथी तो मझ यही लगता था क वह मरी ओर दख रही ह वह तो नत ब क भारी

होन क कारण म द ग त स चल रही थी और मझ लगता था क जस वह अपनीग त का वलास मझ दखा रही ह सखी न जब उस रोककर कहा क lsquoमतजाओrsquo तो वह झ लाकर बोली मझ लगता ह क वह भी मझ दखान क लए हीथा अ भलाषी को सब जगह अपन मतलब क ही बात दखाई पड़ती ह

व षक (उसी कार खड़-खड़) म मर हाथ-पाव तो हलत नह इस लए कवल वाणीस ही त हारा जयकार करता

राजा य त हार हाथ-पाव को या हो गयाव षक वय तो आख म उगली डाली और अब पछत हो क आस य आए हराजा म त हारी बात समझा नह

व षक य म बत का पौधा पानी म खड़ा कबड़-सा खल जो कया करता ह वहअपन-आप करता ह या नद क तज़ बहाव क कारण

राजा उसका तो कारण नद का वग ही होता हव षक तो मर क का कारण भी आप ही हराजा वह कस

व षक आप तो सार राज-काज को छोड़कर ऐस बीहड़ दश म बनजार बन फर रह हऔर यहा मरी यह दशा ह क रोज़ वन-पश का पीछा करत-करत मरी ह यक जोड़ तक हल गए ह जसस मर लए हलना-डलना भी क ठन हो गया हअब आप मझ कम स कम एक दन तो व ाम करन क लए छ दन क कपाक जए

राजा (मन ही मन) इसन तो यह बात कही और इधर शक तला का मरण करक मरामन भी शकार स उचट गया ह य क अब उन ह रण क ओर बाण साधकरमझस यह धनष झकाया नह जाता ज ह न यतमा शक तला क पास रहकरउस भोली चतवन स दखना सखलाया ह

व षक (राजा क मख क ओर दखकर) आप तो मन ही मन कछ सोच रह ह म याइतनी दर स वन म रो रहा था

राजा (म करात ए) त हारी ही बात सोच रहा म क बात टाली नह जा सकतीइसस चप रह गया था

व षक जयो महाराज जयो (कहकर जाना चाहता ह)राजा म ठहरो अभी तमस कछ और बात करनी ह

व षक आ ा क जएराजा व ाम तो करोग ही पर त ह एक काम म मरी सहायता करनी होगी ब त म

का काम नह हव षक या ल तोड़न म यह तो ब त ही ब ढ़या बात हराजा फर बताऊगा अर कोई यहा ह

( वश करक)

ारपाल ( णाम करक) आ ा क जए महाराजराजा रवतक ज़रा सनाप त को तो बला लाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह सनाप त क साध फर वश करक) कछ आ ा दनक लए उ सक महाराज इसी ओर मह कए बठ ह उनक समीप पधा रए

सनाप त (राजा को दखकर मन ही मन) शकार म हज़ार दोष ह क त महाराज क लएतो यह गणकारी ही स आ ह तभी तो महाराज क शरीर म पहाड़ी हाथी-सा

च ड बल भरा आ ह इनक शरीर क सामन का भाग नर तर धनष क डोरीख चत रहन क कारण कठोर हो गया ह शरीर म सय क धप को सहन क ऐसीश आ गई ह क पसीना दखाई नह पड़ता ायामशील होन क कारणइनका शरीर कश होन पर भी कश लगता नह ह (पास प चकर) महाराज कजय हो वन म हाका श हो चका ह आप अब तक इस कार य बठ ह

राजा इस मगया न दक माध न मर उ साह पर पानी डाल दया हसनाप त (चपक स) म तम भी खब लगा लो ज़ोर म भी वामी क मन को बदलकर ही

र गा ( कट) आप इस मख को बकन द जए आप वय ही द खए न कशकार स शरीर क चब घट जाती ह पश भयभीत और होन पर कसा

वहार करत ह यह भी पता चल जाता ह चलायमान ल य पर भी य द तीर जालग तो वह धनधा रय क कशलता का माण ह लोग शकार को थ ही

सन कहत ह ऐसा ब ढ़या वनोद का साधन तो मलना क ठन हव षक चल र चल आया ह बड़ा जोश दलान वाला अब महाराज होश म आ गए ह

त वन-वन म भटकता आ अव य कसी नर-ना सका भ क बड ढ रीछ क महम जाकर पड़गा

राजा सनाप त इस समय हम आ म क पास ठहर ए ह इस लए म त हारी बात कासमथन नह कर सकता आज तो भस को जोहड़ क पानी म स ग मार-मारकरआन द स नहान दो मग क झ ड व क छाया म बठ ए जगाली करत रहऔर बनल सअर दलदल म न त होकर नागरमोथ क जड़ को खोदत रहडोरी उतारा आ हमारा यह धनष कछ समय व ाम ही कर

सनाप त जसी आपक इ छाराजा जो लोग वन म हाका करन चल गए ह उ ह वापस बला लो और स नक को कह

दो क व तपोवन म कसी कार क गड़बड़ न कर दखो इन शा त तप वीमहा मा क अ दर जला डालन वाला तज छपा आ ह य उन सयका तम णय क भा त ह जो पश म तो शीतल होती ह क त य द कसी अ य कातज उनक ऊपर पड़न लग तो व आग उलगन लगती ह

सनाप त जो महाराज क आ ाव षक हो गया त हारा उ साह समा त

(सनाप त बाहर जाता ह)

राजा (प रचा रका क ओर दखकर) आप लोग भी इस शकार क वश को उतार दरवतक तम भी अपन काम पर जाओ

सवक लोग जो महाराज क आ ा (बाहर जात ह)व षक च लए सब म खया साफ अब आप व क छाया म बन ए उस स दर

लताकज आसन पर ब ठए म भी ज़रा आराम स बठराजा ठ क ह आग चलो

व षक इधर आइए(दोन कछ र चलकर बठ जात ह)

राजा माध त ह आख मलन का कछ लाभ नह आ य क तमन दखन यो यव त दखी ही नह

व षक य आप मर स मख तो बठ हराजा अपन-आपको हर कोई स दर समझता ह पर त म तो उस आ म क शोभा

शक तला क बात कह रहा व षक (मन ही मन) ठ क ह इ ह मौका ही न गा ( कट म) म लगता ह क

त हारा मन उस म न-क या पर फसल गया हराजा म पौरव का मन न ष व त पर नह फसलता वह म न-क या अ सरा क

स तान ह और उसक छोड़ दन पर क व को ा त ई ह ठ क ऐस ही जस नव-म लका का फल गरकर आक क पौध पर आ अटक

व षक (हसकर) अ य ी-र न क ओर यान न दकर आप जो इस म न-क या परल हो रह ह वह ऐसा ही ह जस पडखजर खा-खाकर जी भर जान पर कोईआदमी इमली खाना चाह

राजा तमन उस दखा नह इसी स यह कह सकव षक जस दखकर आपको भी आ य हो रहा ह वह अव य ही स दर होगीराजा म और या क ऐसा तीत होता ह जस वधाता न पहल उसका च

बनाया और फर उसम ाण डाल दए या फर अपन मन म सार ससार क पक इक क पना करक उस सजीव कर दया वधाता क नमाण-कौशल कोऔर शक तला क मनोहर शरीर को दखत ए मझ तो लगता ह जस उ ह न यहनराला ी-र न रचा ह

व षक य द यह बात ह तो समझो क उसन सब पव तय को मात द द राजा और मर मन म तो रह-रहकर यह बात आती ह क वह ऐसा फल ह जस कसी

न अभी तक सघा नह ह ऐसा नवप लव ह जस कसी न नाखन स कतरा नहह ऐसा नया र न ह जसम अभी छद भी नह कया गया ह ऐसा नया मध हजसका कसी न वाद तक नह चखा ह वह नमल सौ दय व अख ड प य कफल क समान ह न जान वधाता उसक उपभोग क लए कस भा यशाली कोला खड़ा करग

व षक तब तो आप ही अ वल ब उसक र ा कर ऐसा न हो क वह कसी इगद कतल स चकनी घट ई टाट वाल तप वी क हाथ पड़ जाए

राजा वह बचारी तो पराधीन ह और उसक ग यहा ह नह व षक आपक त उसक कसी थीराजा म म न-क याए वभाव स हो सकोचशील होती ह फर भी मर सामन होन

पर उसन आख सरी ओर फर ल और कछ सरा ही बहाना करक हसन लगीइस कार उसन श ाचार क कारण न तो अपन म को कट ही होन दया औरन ग त ही रखा

व षक (हसकर) दखत ही त हारी गोद म नह आ बठ राजा फर एका त म चलत समय उसन शालीनता क साथ भी अपन मनोभाव को

ब त कछ कट कर दया य क वह स दरी कछ ही कदम जाकर बना बातही पर म काटा चभन का बहाना करक खड़ी हो गई और मह फरकर पड़ कशाखा म स अपन ब कल व को छड़ान लगी य प वह व उसम उलझाभी नह था

व षक तब तो साहस बनाए र खए दखता क आपन तपोवन को उपवन ही बनाडाला ह

राजा म कछ तप वी मझ पहचान गए ह अब कोई ऐसा बहाना सोचो जससकसी कार एक बार आ म म जाकर रह सक

व षक आप राजा ह आपको सर बहान क या आव यकता यही क हए कहमारा अनाज का ष ाश लाओ

राजा मख इनस हम सरा ही कर ा त होता ह जसक तलना म ब म य र न काढर भी या य ह दखो चार वण स राजा को जो कर ा त होता ह वहनाशवान ह पर त य तप वी लोग हम अपन अ य तप का ष ाश दान करतह

(नप य म)तब तो काम बन गया

राजा ( यान स सनकर) इनक धीर और शा त वर स तो यह तप वी मालम होत ह( वश करक)

ारपाल महाराज क जय हो दो ऋ षकमार महाराज क दशन क लए ार पर आए हराजा तो उ ह तर त यह ल आओ

ारपाल अभी लाता (बाहर जाता ह ऋ षकमार क साथ वश करक) इधर आइएइधर

(दोन राजा को दखत ह)थम ऋ षकमार अहा इन महाराज का प तज वी होन पर भी कसा व ासो पादक ह

या ऋ षय क समान ही जीवन बतान वाल इन महाराज क लए यह ठ क

ही ह य क य भी म नय क भा त सव हतकारी आ म म नवास कर रहह य भी लोग क र ा करक त दन तप-सचय करत ह और इनजत य महाराज क चारण ारा गाए गए यशगीत वग तक सनाई पड़तह ह तो य भी ऋ ष ही अ तर कवल इतना ह क य राज ष ह

सरा ऋ षकमार गौतम या यही इ क परम म य त हपहला ऋ षकमार हा यही ह

सरा ऋ षकमार ठ क ह तब तो इसम या आ य क बात ह क अकल ही आसमप वी का उपभोग करत ह इनक भजाए ग क ार क अगला क समानब ल ह द य क साथ य होन पर सरागनाए वजय क लए इनक डोरीचढ़ धनष तथा इ क व का ही तो भरोसा रखती ह

दोन ऋ षकमार (पास जाकर) महाराज क जय होराजा (आसन स उठकर) आप दोन को णाम

दोन ऋ षकमार आपका क याण हो (कहकर फल भट करत ह)राजा ( णाम करत ए फल लकर) कछ आ ा क जए

दोन ऋ षकमार आ मवा सय को मालम हो गया ह क आप यहा आए ए ह इस लए वआपस ाथना करत ह

राजा उनक या आ ा हदोन ऋ षकमार मह ष क व क यहा न होन स रा स लोग हमार य म व न डालत ह

इस लए आप सार थ क साथ कछ दन तक हमार आ म को सनाथक जए

राजा यह उनक कपा हव षक (आड़ करक) इनका यह अनरोध तो त हार मनोनकल ही हराजा (म कराकर) रवतक मरी ओर स सार थ स कहो क धनष-बाण और रथ लकर

आएारपाल जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)

दोन ऋ षकमार ( स होकर) आपका यह काय आपक यो य ही ह आपक पवज भीऐसा ही करत रह ह वप म पड़ लोग को अभयदान दना पौरव का धमरहा ह

राजा ( णाम करक) अब आप लोग चल म बस आपक पीछ ही आ रहा दोन ऋ षकमार आपक जय हो (कहकर बाहर नकल जात ह)

राजा माध शक तला को दखन क इ छा हव षक पहल तो ब त थी पर त अब यह रा स वाली बात सनकर र ी-भर भी शष

नह रहीराजा डरत य हो मर पास ही तो रहोग

व षक हा तब तो रा स स बच जाऊगा

( वश करक)ारपाल महाराज आपक वजय-या ा क लए रथ तयार ह और नगर स मात ी का

आदश लकर करभक आया हराजा (आदर क साथ) या माताजी न भजा ह

ारपाल जी हाराजा उस बलाओ

ारपाल जो आ ा (बाहर जाता ह और करभक क साथ फर आता ह) महाराज वहबठ ह पास जाओ

करभक महाराज क जय हो माता ी न आ ा द ह क आज स चौथ दन उनकाउपवास समा त होगा वहा पर चरजीव आप अव य उप थत ह

राजा इधर तप वय का काय ह और उधर बड़ क आ ा दोन म स कसी को भीटाला नह जा सकता अब या कया जाए

व षक शक क तरह बीच म ही लटक र हएराजा सचमच ही म च तत हो उठा य दोन काय अलग-अलग थान क ह इसी स

मरा मन वधा म पड़ गया ह जस सामन पवत आ जान पर वशाल नद कावाह दो भाग म बट जाता ह (कछ दर वचार कर) म त ह भी तो माताजी

प क समान ही मानती ह इस लए तम यहा स लौटकर नगर चल जाओ वहाजाकर माताजी स नवदन कर दना क म तप वय क काय म फसा आ औरमरी ओर स त ह प क सब काय पर कर दना

व षक पर तम यह तो नह समझोग क म रा स स डरकर चला गयाराजा (म कराकर) वाह ऐसा कभी हो सकता ह

व षक राजा क छोट भाई को जस शान स जाना चा हए उसी शान स जाऊगाराजा तपोवन क लोग को कोई क न हो इस लए सब अनचर को त हार साथ ही

वापस भज गाव षक (गव क साथ) वाह तब तो अब म यवराज ही हो गयाराजा (मन ही मन) यह ा ण ह तो मख ही कह ऐसा न हो क यह मर मन क बात

अ तःपर म जाकर रा नय स कह द अ छा इस समझाए दता ( व षक काहाथ पकड़कर कट प स) म ऋ षय का आदर रखन क लए म तपोवन मजा रहा म न-क या स मझ ब कल भी म नह ह दखो कहा तो हम औरकहा मगछौन क साथ बड़ी ई म का lsquoक-खrsquo भी न जानन वाली वहशक तला मरी उस हसी म कही बात को कह तम सच ही न समझ लना

व षक तम या मझ इतना ब समझत हो(सब बाहर नकल जात ह)

ततीय अक

(हाथ म कशा लए ए क व क श य का वश)श य वाह महाराज य त क ताप का या कहना उनक आ म म व होत ही

हमार सब य -कम न व न होन लग ह बाण चढ़ान क तो आव यकता ही नह उनका धनष कार क समान अपनी डोरी क श द स ही सब व न को र कर दताह चल वद पर बछान क लए यह कशा य करन वाल परो हत को द आऊ(कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर) यवदा यह खस का लप औरकमलनाल-समत कमल क प कसक लए ल जा रही हो (सनकर) या कहतीहो ल लग जान क कारण शक तला क दशा बगड़ गई ह उसक शरीर कोशा त दन क लए जा रही हो तब तो ज द जाओ स ख वह शक तला तोकलप त क व का ाण ह म भी अभी जाकर य स बचा प व जल गौतमी कहाथ भजवाता

(बाहर चला जाता ह)( व क भक समा त)( वरह स ाकल राजा का वश)

राजा ( च ता क साथ गहरी सास छोड़कर) म ऋ षय क तपोबल को भली-भा तपहचानता और यह भी मझ मालम ह क वह स दरी शक तला पता कआ ा क बना कछ न करगी फर भी म कसी कार अपन दय को उससवापस नह लौटा पा रहा ( वरह- था का अ भनय करत ए) भगवानकामदव तमन और च मा न व सनीय होकर भी मी-जन को ब त धोखादया ह य क मर जस लोग क लए न तो त हार बाण ही फल क रहत हऔर न ही च मा क करण शीतल रहती ह च मा अपनी हमशीतल करणस आग बरसान लगता ह और तम अपन फल क बाण को व क समान कठोरकर लत हो (उदास भाव स कछ र चलकर) इस समय ऋ ष लोग तो य कमम लग ए ह और उ ह न मझ कछ दर क छ भी द द ह अब कहा चल जहाकछ दर बठकर थकान मटा सक (गहरी सास छोड़कर) या क दशन कअ त र मर लए और थान भी कहा तो चल उसी क खोज क (सय कओर दखकर) ायः इस तज़ धप क पहरी क समय शक तला मा लनी क तीर

लता क कज म रहा करती ह चलो फर वह चलता (कछ र चलकरठ डी वाय क पश का अनभव करता आ) अहा इस जगह तो खब ठ डी हवाचल रही ह यहा क वाय म कमल क सग ध भरी ह और वाय मा लनी नद कतरग क जल-कण स शीतल हो उठ ह मर वरह स तप शरीर को वाय ब त हीसखद लग रही ह (कछ र चलकर और दखकर) शक तला अव य ही इस बतस घर ए लताकज म ह (भ म क ओर दखकर) य क इस कज क ार परसफद रत म नए पद च क प दखाई पड़ रही ह ज़रा पड़ क डा लय सदख तो (थोड़ा चलकर दखता ह स होकर) अहा आख म चन पड़ गई यहमरी अ भलाषा क रानी प थर क शला पर बछ फल क बछौन पर लट

ई ह दोन स खया उसक पास बठ ह अ छा सन तो य एका त म या बातकर रही ह (कज म अ दर क ओर झाकता आ खड़ा रहता ह)

(ऊपर व णत प म स खय क साथ शक तला का वश)स खया ( नह क साथ पखा झलत ए) य शक तला कमल क प क हवा अ छ तो

लग रही ह नशक तला या तम मर ऊपर पखा झल रही हो

(दोन स खया वषाद का अ भनय करती ई एक- सरी क ओरदखती ह)

राजा शक तला ब त ही अ व थ दखाई पड़ती ह (सोचकर) यह इस ल लगी ह याफर जसी मर मन क दशा ह वसी ही दशा इसक भी ह ( म क साथ दखकर)ठ क ह अब इसम स दह नह इसक कलाई म कमलनाल का एक ढ ला-ढालाकगन पड़ा ह यह ठ क ह क ल लगन पर यव तय म इस कार का सौ दय शषनह रहता

यवदा (चपक स) अनसया स ख मर मन म भी यही आशका ह अ छा इसस पछती ( कट प स) स ख तझस एक बात पछती तझ ब त क हो रहा ह

शक तला ( ब तर पर स आधी उठकर बठ जाती ह) या पछना चाहती होअनसया शक तला हम दोन को यह मालम नह क म या होता ह क त प तक म

मय क जसी दशा पढ़ ह इस समय तरी दशा भी वसी ही दखाई पड़ रहीह अब ठ क बता तर क का कारण या ह जब तक वकार का सही कारण

ात न हो तब तक उसका कछ भी तकार नह कया जा सकताराजा अनसया न भी वही बात सोची जो म सोच रहा था तब तो मरा यह वचार

कवल वाथ रत नह थाशक तला (मन ही मन) मरा म अ य त ती ह फर भी म एकाएक इ ह बताऊ कस

यवदा शक तला अनसया ठ क कहती ह अपन रोग क इस तरह उप ा य करतीहो दन दन त हारी दह सखती जाती ह अब बस सौ दय क झलक ही तम परशष बची ह

राजा यवदा क बात सच ह य क इसक कपोल और मख ब कल मरझा गए हक ट और भी अ धक झीण हो गई ह क ध ब त झक गए ह रग पीला पड़ गयाह इस समय म स ाकल इस शक तला को दखकर ःख भी होता ह औरदखन म यह य भी लगती ह इसक दशा उस माधवी लता क समान हजसक प प मी वाय क पश स सख चल ह

शक तला स ख य द तमस न क गी तो और क गी कसस इस समय मर लए त हकछ क उठाना पड़गा

स खया इसी लए तो हम इतना आ ह कर रही ह इ -ब ध म बाट लन स ःख कपीड़ा स हो जाती ह

राजा जब सख- ःख म साथ रहन वाली स खया पछ रही ह तो यह शक तला अपनीमान सक ा ध का कारण अब बताएगी ही य प इसन अपनी ललचाई आखस बार-बार मझ दखा था फर भी इस समय म इसक था का कारण सनन कलए अधीर हो उठा

शक तला स खयो जब स मन तपोवन क र क उन राज ष क दशन कए ह तभी सउनक म म मरी यह दशा हो गई ह

राजा ( स होकर) जो सनना था वह सन लया कामदव न ही वदना जगाई थी औरअब उसी न उस शा त भी कया ह जस अ त च ड गम क दन अपरा मबादल आ जान स ा णय को शा त मल जाती ह

शक तला य द तम दोन को ठ क लग तो ऐसा करो जसस वह राज ष मझ पर दया करअ यथा मर लए तल और जल क अज लया तयार कर लो

राजा इस बात को सनकर तो कोई स दह ही नह रहायवदा (धीर स) अनसया इसका म ब त र तक बढ़ चका ह अब वल ब इसस

सहन नह होगा जसस इसका अनराग ह यह प वश का भषण ह इसक इसम क शसा करना ही उ चत ह

अनसया ठ क कहती होयवदा ( कट प स) स ख त हारा यह अनराग त हार अन प ही ह महानद सागर

क अ त र और मलगी भी कसस प स लद ई माधवी लता को आ कव क सवाय और सभाल भी कौन सकता ह

राजा य द वशाखा न श शकला का अनगमन कर तो इसम आ य या हअनसया पर ऐसा या उपाय कया जाए जसस हमारी सखी क कामना अ वल ब और

गपचप परी हो जाएयवदा गपचप हो यही बात सोचन क ह ज द करना तो सरल ह

अनसया वह कसयवदा उन राज ष को भी इसस म ह यह बात उनक नह भरी को दखकर छपी

नह रहती आजकल रा -जागरण क कारण व कछ बल भी दखाई पड़त ह

राजा सच ह मरी दशा ऐसी ही हो गई ह रात म जब म बाह पर सर रखकर लटता तो दय क स ताप स गम-गम आस आख स बहन लगत ह उन आस ककारण मर इस सोन क कगन म जड़ ए र न का रग मला पड़ गया ह बाहपतली हो जान क कारण यह ककण बार-बार डोरी क आघात- च को छएबना ही नीच को सरक जाता ह और मझ बार-बार इस ऊपर क ओरसरकानापड़ता ह

यवदा (सोचकर) स ख इसक ओर स मप लखो उस प को म दवता क सादक बहान फल म छपाकर उनक हाथ मद आऊगी

अनसया यह उपाय ब त अ छा ह य शक तला या कहती होशक तला मझ या सोचना- वचारना ह

यवदा तो अपनी मनोदशा का वणन करत ए एक स दर-सी क वता तो बना डालोशक तला अ छा सोचती पर त मरा दय इस वचार स काप उठता ह क कह व मरा

तर कार न कर दराजा ( स होकर) अरी भी जसस त ह तर कत होन क आशका हो रही ह वह

तो तमस मलन को अधीर खड़ा ह याचक को ल मी मल या न मल पर तवय ल मी जस चाह वह कस लभ हो सकता ह

स खया तम थ ही अपन गण का अनादर करती हो शरीर को शा त दन वाली शरदऋत क चादनी को कौन कपड़ा ओढ़कर अपन स र रखता ह

शक तला (म कराकर) अ छा म मप लखती (बठ -बठ सोचन लगती ह)राजा अपनी यतमा को अपलक दखन का यह ब त ही अ छा अवसर ह यह इस

समय क वता रचन बठ ह इसक एक भ ह कछ ऊची हो गई ह और कपोलपर रोमाच हो आया ह मर त इसका म कतना प झलक उठा ह

शक तला स ख मन गीत तो सोच लया ह पर त यहा लखन का कोई साधन तो ह हीनह

यवदा यह कमल का प ा कसा तोत क पट क समान सकमार ह इसी पर अपननाखन स लख डालो न

शक तला (कमल क प पर नाखन स लखकर) री अब ज़रा सन लो ठ क बना ह यानह

स खया सनाओ हम सन रही हशक तला (पढ़ती ह)

तड़प म दन-रात न मझको चन एक पल आए रलगी म क आग मझ जो अग-अग झलसाए रतर जी का हाल न जान मझ चाह तड़पाए र

राजा (एकाएक पास प चकर) स दरी कामदव त ह तो कवल तपाता ह पर त मझतो जलाए ही डालता ह दन क कारण च मा क का त जतनी म लन हो

जाती ह उतनी कम दनी क नह होतीस खया ( स होकर) वाह हमन सोचा और आप आ प च आपका वागत ह

(शक तला उठना चाहती ह)राजा लट र हए उठन का क न क जए सज क फल आपक शरीर पर चपक गए

ह और टट ई कमलनाल क सग ध उसम रम गई ह इसस प ह क आपकाशरीर वर स जल रहा ह आपको श ाचार द शत करन क आव यकता नहह

अनसया आप भी इस प थर क शला क एक भाग को सशो भत क जए(राजा बठ जाता ह शक तला लजाई बठ रहती ह)

यवदा आप दोन का एक- सर क त म कट हो ही चका ह फर भी अपनी सखीक त म क कारण मझ बात हरानी पड़ रही ह

राजा भ अव य क हए सोची ई बात य द न कही जाए ता उसका प ा ाप बनारहता ह

यवदा अपन रा य म रहन वाल वप त का ःख राजा को र करना चा हएयह आपका धम ह न

राजा बस इतनी-सी बातयवदा हमारी इस य सखी क आपक कारण भगवान कामदव न यह दशा कर द ह

अब आप ही कपा करक इस जीवन-दान द जएराजा भ यह म दोन ओर स ह आपन मझ पर अन ह कया ह

शक तला ( यवदा क ओर दखकर) सखी अ तःपर क वरह स बचन राज ष स इसकार य आ ह कर रही हो

राजा स दरी तम मर दय म आसन बना चक हो मरा यह दय त हार ही वश म हय द त ह इस पर व ास नह तो तम मझ पर एक और नई चोट कर रही होकामदव क बाण स म पहल ही घायल हो चका

अनसया म सना ह राजा क ब त-सी रा नया होती ह आप ऐसा क जए जससहमारी इस यारी सखी क लए इसक इ -ब ध को ःख न करना पड़

राजा भ ब त कहन स या लाभ अनक रा नय क होत ए भी मर कल कत ा कवल दो स ही होगी एक तो सम -वसना प वी स और सर त हारी इस

सखी सस खया च लए हम स तोष आ

यवदा (बाहर क ओर दखकर) अनसया यह ह रण का ब चा हमारी ओर उदास सदख रहा ह बचारा अपनी मा को ढढ़ता फर रहा ह चलो इस इसक मा समला द

(दोन चल पड़ती ह)शक तला स ख तम मझ अर त छोड़ चल तमम स कोई एक तोआ जाओ

स खया जो सारी प वी का र क ह वह तो त हार पास बठा ह (कहकर चली जातीह)

शक तला यह या चली ही ग राजा घबराओ नह त हारा यह पजारी त हार पास जो बठा ह कहो या कमलप

क पख स त हार ऊपर ठ डी हवा करक थकान मटाऊ या त हार इन कमल कसमान पर को अपनी गोद म रखकर धीर-धीर सहलाऊ जसस त ह सख मल

शक तला आप आदरणीय ह ऐसा करवाकर म अपराध क भा गनी नह बनना चाहती(उठकर जाना चाहती ह)

राजा स दरी अभी दन ढला नह ह और त हारा शरीर भी व थ नह ह इस समयफल क सज को छोड़कर और कमल-प क बनी इस अ गया को छोड़करवर स बल ए इस शरीर स तम धप म कस जाओगी

(कहकर उस बलपवक लौटा लता ह)शक तला पौरव अ श ता मत करो म स ाकल होन पर भी म वाधीन नह

राजा भी तम ग जन स थ डरती हो इस सबको जान-सनकर धम क ातामह ष क व बरा नह मानग दखो पहल भी अनक राज षय क क या काववाह गा धव व ध स हो चका ह और उनक पता न उन क या काअ भन दन ही कया बरा नह माना

शक तला मझ छोड़ दो फर भी म स खय स तो पछ लराजा अ छा छोड़ गा

शक तला कबराजा जब म त हार इस अ त कोमल अधर का अपन यास ह ठ स उसी कार

रसपान कर लगा जस मर सदयता क साथ नए फल का रस लता ह(यह कहकर उसक मख को ऊपर उठाना चाहता ह शक तला महबचान का अ भनय करती ह)

(नप य म)ओ च वाकवध सहचर को वदा दो रा आ प चती ह

शक तला (हड़बड़ाकर) पौरव मरा हाल-चाल पछन क लए अव य गौतमी यहा आ रहीह तम पड़ क पीछ छप जाओ

राजा अ छा ( छपकर बठ जाता ह)(उसक बाद पा हाथ म लए गौतमी और स खय का वश)

स खया आय गौतमी इधर आइए इधरगौतमी (शक तला क पास जाकर) बट त हार शरीर का ताप कछ कम आ क नह शक तला आय अब तो काफ अ तर हगौतमी इस कशा क जल स तरा शरीर ब कल नीरोग हो जाएगा (शक तला क सर पर

पानी छड़ककर) बट अब तो दन ढल गया चलो क टया म ही चलत ह

(सब चल पड़ती ह)शक तला (मन ही मन) दय इतनी सरलता स इ छा परी हो गई पर तम पहल-पहल

अपनी कातरता याग न सक अब बछड़ जान पर इतन पछता य रह हो हस तापहारक लताकज त ह आन द- वहार क लए फर नम ण दए जाती

(शक तला उदास होकर सबक साथ बाहर चली जाती ह)राजा (पहल थान पर आकर गहरी सास छोड़कर) आह मनोकामना क प त म

हज़ार व न होत ह जब वह स दर पलक वाली शक तला अग लय स अपनह ठ को ढककर बार-बार lsquoनह rsquo lsquoनह rsquo कहती जा रही थी और इसी लए और भीअ धक स दर लग रही थी उस समय मन उसक क ध पर रख ए मख को जस-तस ऊपर क ओर तो कया क त चम नह पाया अब कहा जाऊ या कछ दरइसी लताकज म बठता जहा मरी या इतनी दर व ाम करक चली गई ह(चार ओर दखकर) उधर शला क ऊपर उसक शरीर स मसली ई यह फल कसज बछ ह इधर यह कमल क प पर नाखन स लखा आ मरझाया आ

मप पड़ा ह यह उसक हाथ स गरा आ कमलनाल का कगन पड़ा ह मरी जस इन व त पर चपक -सी जा रही ह इस सन बत क कज स भी

एकाएक बाहर नकल पाना मर बस का नह ह(आकाश म)

महाराज अभी सायकाल का य ार भ होत ही य ा न क वद क चार ओरमास खान वाल रा स क र- र तक फली ई स याकाल क मघ क समानभरी डरावनी छायाए च कर काटन लगी ह

राजा घबराओ नह यह म आ प चा(बाहर नकल जाता ह)

चतथ अक

(फल चनन का अ भनय करती ई दोन स खय का वश)अनसया यवदा शक तला को गा धव व ध स ववाह करक अपन अन प प त मल

गया इसस मर दय को बड़ा स तोष आ फर भी यह बात ज़रा सोचन क हयवदा या बात

अनसया यह क आज वह राज ष य क समा त पर ऋ षय स वदा लकर अपन नगरको चल जाएग वहा जाकर अ तःपर म वश करक उ ह यहा क बात याद भीरहती ह या नह

यवदा च ता मत कर इस कार क स दर आक त वाल प ष दोषी नह आ करतपर यह मालम नह क इस सार व ा त को सनकर पता क व या कहग

अनसया मझ तो ऐसा लगता ह क वह इस ठ क ही मानगयवदा वह य

अनसया सबस बड़ी बात यही होती ह क क या गणवान को द जाए य द भा यही इस परा कर द तो माता- पता क अ भलाषा तो अनायास ही पण हो गईसमझो

यवदा (फल क ड लया क ओर दखकर) स ख पजा क लए फल काफ हो गएअनसया आज स ख शक तला को सौभा यदवी क भी तो पजा करनी ह

यवदा ठ क ह ( फर चनन लगती ह)(नप य म)

अनसया ( यान स सनकर) स ख अ त थय क -सी आवाज़ मालम होती हयवदा क टया म शक तला तो ह (मन ही मन) पर त वहा होत ए भी आज उसका

मन वहा नह हअनसया अ छा इतन फल ब त ह (कहकर दोन चल पड़ती ह)

(नप य म)अरी अ त थ का तर कार करन वाली त एका मन स जसक यान म म नहोकर मझ घर आए ए तप वी ऋ ष को भी नह पहचान रही ह वह तझ भलजाएगा और याद दलान पर भी उसी तरह याद नह कर पाएगा जस कोईनशबाज़ नश क दशा म कही ई बात को याद नह कर पाता

यवदा हाय-हाय यह बरा आ अ यमन क शक तला कसी पजनीय क तअपराध कर बठ ह (सामन क ओर दखकर) वह भी कसी ऐस-वस क तनह यह चट हो उठन वाल मह ष वासा शाप दकर तज़ी क साथ दनदनात

ए वापस लौट जा रह ह अ न क सवाय और जला कौन सकता हअनसया जा पर पड़कर इ ह वापस बला ला तब तक म जलपान तयार करती

यवदा अ छा (बाहर नकल जाती ह)अनसया (कछ कदम चलकर ठोकर लगन का अ भनय करती ह) हाय हड़बड़ाकर चली

तो यह ठोकर लगी और मर हाथ स फल क ड लया छट गई (फल चनन काअ भनय करती ह)

( वश करक)यवदा सखी वह तो वभाव स ही टढ़ ह वह कसी क अननय- वनय कहा सनत ह

फर भी मन जस-तस थोड़ा-ब त मना ही लयाअनसया (म कराकर) उनक लए तो इतना भी ब त ह अ छा या बात ई

यवदा जब वह लौटन को तयार ही न ए तो मन कहा भगवन शक तला आपक तपक भाव को नह जानती फर भी वह आपक क या क समान ह उसक इसअपराध को पहला अपराध समझकर ही मा कर द जए

अनसया फर या आयवदा तब वह कहन लग क मरी बात म या नह हो सकती क त पहचान का

आभषण दखा दन पर शाप समा त हो जाएगा यह कहत ए वह अ तधान होगए

अनसया चलो अब तो कछ सहारा ह चलत समय वह राज ष एक अगठ द गए ह जसपर उनका नाम लखा ह उस शक तला को पहनात ए उ ह न कहा था क यहमरी याद रहगी अब उस अगठ क ारा शक तला शाप का तकार करसकगी

यवदा स ख चलो उसक लए सौभा य दवी क पजा तो कर आए (दोन चलती ह)यवदा (सामन क ओर दखकर) अनसया वह दख तो यारी स ख शक तला हाथ क

ऊपर मह रख कसी च ा कत-सी दखाई पड़ रही ह प त क यान म म न इसबचारी को तो अपना ही यान नह ह फर आग तक का तो कहना ही या

अनसया यवदा यह बात बस हम दो तक ही रह शक तला का वभाव ब त सकमारह उस यह बात न बताना ही ठ क ह

यवदा नवम लका को कह उबलत पानी स स चा जाता ह(दोन बाहर नकल जाती ह)( व क भक)(न द स उठकर आए ए श य का वश)

श य या ा स वापस लौटकर आए मह ष क व न मझ समय दखन क लए कहा ह तो

ज़रा बाहर चलकर काश को दख क रा कतनी शष ह (कछ र चलकर औरदखकर) अर यह तो भात हो गया एक ओर च मा अ ताचल क शखर परडब रहा ह और अ णमा को आग कए सय उदयाचल पर आ रहा ह इन दो

काश- प ड क एक ही समय म डबन और उदय होन स लोग को समझ लनाचा हए क सख और ःख तो एक क पीछ लग ही रहत ह अब च मा क छपजान पर वही कम दनी जसक शोभा भलाए नह भलती वसी स दर दखाईनह पड़ती ठ क ह य क वास म चल जान पर अबला को वरह का ःखअस हो उठता ह

( बना परदा गराए वश करक)अनसया य प म म क इन बात को ब त तो नह समझती फर भी उस राजा न

शक तला क साथ ब त बरा कयाश य चलकर ग जी को बतला क हवन का समय हो गया ह (बाहर नकल जाता

ह)अनसया जागकर भी या क गी अपन न य क काय को करन क लए भी मर हाथ-

पर नह हल रह ह अब कामदव खब स हो ल जसन मरी यारी सखी काम ऐस झठ राजा स करा दया या शायद यह वासा क कोप का ही प रणाम

ह नह तो यह बात कह हो सकती थी क वह राज ष ऐसी मधर-मधर बातकहन क बाद इतन समय तक प तक न भज अब यहा स उनक मरण- चक प म द गई उनक अगठ को उसक पास भज पर त सयमशील तप वयस इस वषय म अनरोध कस कया जाए पता क व स सखी शक तला कअपराध क बात तो कह सकती पर त उनस यह कसी कार नह कहसकती क शक तला का य त स ववाह हो गया ह और अब वह गभवती हऐसी दशा म या क कछ सझता नह

( वश करक)यवदा ( स होकर) ज द चल अनसया ज द चल शक तला क वदाई का

आयोजन करना हअनसया हा पर स ख यह बात ई कस

यवदा सन अभी म शक तला क पास यह पछन गई थी क उस रात को न द तो ठ कआई या नह

अनसया फर या आयवदा वहा शक तला ल जा स मह नीचा कए खड़ी थी पता क व न उस छाती स

लगात ए कहा lsquoयजमान क आख धए स बचन होन पर भी सौभा य स आ तआग म ही पड़ी बट अ छ श य को द गई व ा क भा त अब तर लए भीमझ कोई च ता नह ह आज ही तझ ऋ षय क साथ वदा करक तर प त कपास भज दता

अनसया पर पता क व को यह बात बताई कसनयवदा जब व य शाला म व ए तो वहा क वता म यहभ व यवाणी ई

अनसया (च कत होकर) वह यायवदा य शमी म अ न रहती ग त म न क याणकारी

तज को य त क धारण कए क या त हारीअनसया ( यवदा को छाती स लगाकर) स ख सनकर बड़ा आन द आ क त

शक तला आज ही चली जाएगी इसका ःख मझ इस आन द क समय भी होरहा ह

यवदा स ख हम तो जस-तस अपन ःख को बहला लगी वह बचारी तो कसी तरहकनार लग

अनसया ठ क ह तो दख उस आम क शाखा म लटक ए ना रयल क कसोर म मनआज क दन लए ही मौल सरी क माला रख छोड़ी ह त ज़रा इस उतार म भीतब तक शक तला क लए तीथ-म का ब क प तथा अ य मगल-साम ीतयार क

यवदा ठ क ह ज द कर(अनसया बाहर जाती ह यवदा मौल सरी क माला उतारन काअ भनय करती ह)

(नप य म)गौतमी शक तला को ल जान क लए शा रव आ द को कह दोयवदा ( यान स सनकर) अनसया ज द कर ज द उधर ह तनापर जान वाल

ऋ षय क पकार हो रही ह(साम ी हाथ म लए वश करक)

अनसया आओ स ख चल(दोन चलती ह)

यवदा (दखकर) वह दखो शक तला सवर-सवर ही नान करक बठ ई ह उसकपास खड़ी तप व नया चावल क दान लए व तवाचन पढ़ती ई आशीवाद दरही ह चलो उसक पास ही चल (दोन शक तला क पास जाती ह)

(ऊपर बताए अनसार आसन पर बठ शक तला का वश)एक तप वनी (शक तला को ल य करक) बट त ह प त क म का सचक महादवी पद

ा त होसरी तप ननी बट तम वीर माता बनो

तीसरी तप वनी बट त ह अपन प त स आदर ा त हो(आशीवाद दकर गौतमी क अ त र अ य तप व नया बाहरचली जाती ह)

स खया (पास जाकर) स ख त हारा यह नान सौभा यकारी हो

शक तला आओ स खयो त हारा वागत ह यहा इधर बठोस खया (मगल पा लकर पास बठ जाती ह) री तयार हो जा अब तरा मगल शगार

करना हशक तला यह भी बड़ी बात ह अब मझ अपनी स खय क हाथ का शगार भी लभ हो

जाएगा (रोन लगती ह)स खया स ख मगल क अवसर पर रोना उ चत नह

(आस प छकर उसका शगार करन का अ भनय करती ह)यवदा त हार इस मनोहर प का शगार तो आभषण स होना चा हए था आ म म

जटाई गई यह शगार-साम ी तम पर कछ फबी नह (उपहार लए ए दो ऋ षकमार का वश)

ऋ षकमार य आभषण ह इनस इनका शगार क जए(सब दखकर च कत रह जाती ह)

गौतमी बटा नारद यह सब कहा स मलाएक ऋ षकमार यह सब ग जी का भाव हगौतमी या उ ह न अपन तपोबल स इ ह मगाया ह

सरा ऋ षकमार जी नह स नए ग जी न हम आदश दया था क शक तला क लएवन प तय पर स फल ल आओ जब हम वहा गए तो कसी व न तोच मा क समान त रशमी मगल व दान कया और कसी न पर कोरगन क लए उ म ला ारस उगल दया अ य व म स भी वन-दवतान नवप लव क समान अपन हाथ हथली तक बाहर नकालकर यआभषण दान कए

यवदा (शक तला को दखकर) री वनदवता क इस अन ह स तो यही लगता ह कप त क घर जाकर तम राजल मी का उपभोग करोगी

(शक तला लजा जाती ह)पगला ऋ षकमार गौतम आओ चल ग जी नान कर चक ह ग उ ह चलकर वन प तय

क इस सवा का व ा त सना दसरा ऋ षकमार चलो

(दोन बाहर जात ह)स खया हमन आभषण का योग कभी कया नह च म जसा दखा ह उसी क

अनसार त ह आभषण पहनाए दती हशक तला त हारी नपणता को म भली-भा त जानती

(दोन आभषण पहनान का अ भनय करती ह)( नान करक आए ए मह ष क व का वश)

क व आज शक तला जाएगी इस कारण मरा दय ःख स भारी हो रहा ह आस भरआन क कारण गला ध रहा ह च ता क कारण धधली पड़ गई ह जब

म क कारण मझ जस वनवासी को इतनी वकलता हो रही ह तो प ी कवयोग म गह थय को तो न जान कतना क होता होगा (कछ र चलत ह)

स खया री शक तला शगार परा हो गया अब रशमी जोड़ा पहन ल(शक तला उठकर रशमी व पहनती ह)

गौतमी बट यह त हार पता क व आए ह आन द बहाती ई स ही मानो य त हगल लगा रह ह इ ह णाम करो

शक तला (ल जा क साथ) पताजी णामक व बट जसी श म ा यया त क मनचाही रानी थी वसी ही तम भी बनो और उसी

क भा त त ह भी प क समान स ाट प ा त होगौतमी भगवान यह तो आशीवाद या वरदान ही ह

क व बट इधर आओ इस य ा न क द णा कर लो(सब य ा न क द णा करत ह)

क व (म पढ़त ह)अमी व द प रतः ल त ध याः स मद व तः ा तस तीणदभाःअप न त रत ह ग धदताना वा प यः पावय तअब थान करो (बाहर क ओर दखकर) व शा रव आ द कहा ह

( वश करक)श य भगवन हम यह आ गए

क व अपनी ब हन को माग दखाओशा रव इधर आइए इधर

(सब चलत ह)क व ह वन दवता स अ ध त तपोवन क व ो जो शक तला त ह पानी दए बना

वय कभी पानी नह पीती थी शगार य होन पर भी जो म क कारण कभीत हार प नह तोड़ती थी और जब तम पर पहल-पहल फल आत थ तब जोउ सव मनाया करती थी वह आज अपन प त क घर जा रही ह आप सब इसजान क अनम त द

(कोयल क आवाज़ सनाई पड़ती ह उसक ओर यान आककरक)

वनवास क साथी व न इस शक तला को जान क अनम त द द ह तभीउ ह न मधर कोयल क ारा मरी बात का उ र-सा दया ह

(आकाश म)त हार माग म जगह-जगह कमल क बल स हर-भर रमणीय सरोवर ह सय करण क ताप स बचान वाल घन व क छाया हो त हार माग क धलकमल क पराग क समान कोमल हो जाए पवन शा त और अनकल हो त हारामाग इस या ा क लए शभ हो

(सब आ य क साथ सनत ह)गौतमी बट सग-स ब धय क समान म करन वाली तपोवन क वन-द वय न त ह

जान क अनम त द द ह इ ह नम कार कर लोशक तला ( णाम करक आग चलती ई चपक स) री यवदा उनक दशन क उ सकता

तो मझ अव य ह फर भी इस आ म को छोड़कर पर आग बढ़ात ए मझकतना खः हो रहा ह यह म ही जानती

यवदा तपोवन स अलग होत ए कवल त ह ही ःख हो रहा हो यह बात नह त हारइस भावी वयोग क कारण तपोवन क भी त हारी जसी ही दशा हो रही हह र णया ब क चबाए ए ास को उगलकर खड़ी हो गई ह मोर न नाचनाछोड़ दया ह और पील प गराती ई बल आस-स बहा रही ह

शक तला (याद करक) पताजी म अपनी लता ब हन वन- यो ना स वदा ल लक व जानता तरा उसस सगी ब हन-सा म ह वह रही उधर द ण क ओर

शक तला (पास जाकर बल को छाती स लगाकर) वन- यो ना आम स चपट- चपट हीअपनी इधर-उधर फली ई शाखा-बा स त मझ भी आ लगन कर ल आजम तझस र चली जाऊगी

क व मन तर लए जसा सोच रखा था तझ अपन प य स अपन अन प वसा ही प ता त हो गया यह नवम लका भी इस आ व स लपट गई ह अब मझ न तरी

च ता रही और न इसक आओ इधर रा त पर चलशक तला (स खय स) स खयो इस तम दोन क हाथ स प जाती

स खया और हम कसक हाथ स प जा रही हो (रोन लगती ह)क व अनसया रोओ नह त ह तो उ टा शक तला को धय बधाना चा हए

(सब आग चलत ह)शक तला पताजी क टया क पास यह जो गभवती हरनी फर रही ह जब यह सकशल

ब चा जन तब इस ससवाद को सनान क लए मर पास भी कसी न कसी कोअव य भजना

क व अ छा यह बात भलगा नह शक तला (चाल म बाधा का अ भनय करक) यह मर कपड़ को कौन ख च रहा ह

(घमकर दखती ह)क व बट यह वही ह रण ह जस तमन अपना प बना लया था कशा क काट स

इसक मख म घाव हो जान पर तम उस ठ क करन क लए इगद का तलटपकाया करती थ तमन सामक धान क म या खला- खलाकर इस बड़ाकया ह आज वही त हारी राह रोककर खड़ा ह

शक तला बटा म तरा साथ छोड़कर जान लगी अब त मरा पीछा य करता ह माज म दन क कछ दर बाद ही मर गई थी फर भी त बड़ा हो ही गया अब भी मरपीछ पताजी तरी दख-रख करत रहग जा लौट जा (रोती ई आग चल पड़ती

ह)क व बट धीरज धरो आस को प छ डालो इनक कारण पलक खली होन पर भी

काम नह करती यहा भ म ऊबड़-खाबड़ ह तम बना दख चल रही हो इसीस त ह रह-रहकर ठोकर लग रही ह

शा रव भगवन पहल पानी तक य क साथ जाना चा हए ऐसी था ह यहसरोवर का तट आ गया यहा जो कछ स दश दना हो वह दकर अब आप वापसलौट जाए

क व तो चलो थोड़ी दर इस पीपल क छाया म बठकर व ाम कर ल(सब थोड़ी र चलकर बठ जात ह)

शक तला (चपक स) री उस चकवी का साथी चकवा कमल क प क पीछ छप गया हउस दख न पान क कारण यह चकवी कतनी अधीर होकर च ला रही ह जसकाम पर म चली वह भी परा होता दखाई नह पड़ता

अनसया स ख ऐसी बात मह स मत नकाल यह बचारी चकवी भी अपन य- वरह मवषाद क कारण और भी ल बी जान पड़न वाली रात को जस-तस बता ही लतीह वरह का ःख चाह कतना ही अ धक य न हो क त आशा उस स बनादती ह

क व शा रव मरी ओर स तम महाराज य त स शक तला को सामन करक यहकहना

शा रव क हएक व कहना क हम लोग तप वी ह और त हारा कल ब त ऊचा ह इस शक तला क

त त हार मन म वय ही म उ प आ था इ ब ध न य नपवक स ब धनह कराया इन सब बात को यान म रखत ए तम इस कम स कम अपनी अ यरा नय क समान आदर अव य दना इसस आग जो भी हो वह भा य क बात हउसक वषय म वध क स ब धय का कछ भी कहना उ चत नह

शा रव ठ क ह मन स दश समझ लयाक व बट अब त ह भी कछ समझना ह भल ही हम वन म रहत ह फर भी लोक-

वहार को भली-भा त जानत हशा रव ऐसी या बात ह जो व ान लोग को मालम न हो

क व बट तम यहा स अपन प त क घर जाकर बड़-बढ़ क सवा सौत क साथयारी सह लय का-सा बताव करना य द प त कछ बरा-भला भी कह तो ोध

म आकर उसस लड़ मत पड़ना सवक क साथ दया और उदारता का वहारकरना अपन सौभा य पर कभी ब त घम ड न करना इस कार का वनीतआचरण करन वाली यव तया प त क घर जाकर ग हणी बनती ह और जो इससउ टा चलती ह व घर को उजाड़कर ही रहती ह य गौतमी तम या कहतीहो

गौतमी ब को तो इतना ही उपदश दया जाता ह बट इन वा य को भली-भा तगाठ बाध लो

क व आओ बट मझस और अपनी स खय स गल मल लोशक तला पताजी या यवदा और अनसया यह स वापस लौट जाएगी

क व बट इनका भी तो ववाह होना ह इनका वहा जाना उ चत नह ह त हार साथगौतमी जाएगी

शक तला ( पता क छाती स लगकर) हाय अब म आपक गोद स अलग होकर मलयपवत स उखड़ी च दन-लता क भा त दश म कस जी वत र गी

क व बट इतनी अधीर य होती हो जब तम अपन प त क भर-पर उ म घर मजाकर ग हणी बनोगी त ण स प घर क काम-ध ध म फसी रहोगी औरजस पव दशा सय को ज म दती ह उसी कार प व प को ज म दोगी तबत ह मर वरह का यह शोक अनभव भी न होगा

(शक तला पता क पर छती ह)क व जो कछ म तर लए चाहता वही तरा हो

शक तला (स खय क पास जाकर) तम दोन मझस एकसाथ ही गल मल लोस खया (वसा ही करती ह) स ख य द वह राजा त ह पहचानन म वल ब कर तो

उसको उसक नाम वाली अगठ दखा दनाशक तला त हार इस स दह स तो मरा दल बठ-सा रहा हस खया डर मत म क कारण मन म बरी आशकाए उठा ही करती हशा रव सय चार हाथ बढ़ गया ह अब आप ज द क जए

शक तला (आ म क ओर मह करक) पताजी अब म इस तपोवन क दशन फर कबकर पाऊगी

क व जब तम चरकाल तक प वी क सौत बनकर य त क यहा रह लोगी औरउसक बाद अपन प को एक छ सहासन पर बठा चकोगी तब कट ब काभार उस स पकर अपन प त क साथ फर इस शा त तपोवन म व होओगी

गौतमी बट चलन का समय बीता जा रहा ह पताजी को लौटन द या इसक तो बातकभी समा त ही न ह गी अब आप वापस लौट जाए

क व बट अब तप क काय म वल ब हो रहा हशक तला ( फर पता क गल मलकर) आपका शरीर पहल ही तप या क कारण कश ह

मरी च ता करक आप ब त ःखी न ह क व (गहरी ास छोड़कर) बट तमन मरी क टया क ार पर जो धान बोए थ जब

तक व आख क सामन रहग तब तक मरा शोक कस कार शात हो सकगाजाओ त हारा माग शभ हो

(शक तला और उसक साथ जान वाल लोग बाहर जात ह)स खया (शक तला को दखकर) हाय शक तला वन क पड़ क ओट म ओझल हो गई

क व (गहरी सास छोड़कर) अनसया त हारी सखी चली गई अब रोओ मत आओमर साथ तपोवन चलो

स खया पताजी शक तला क बना तपोवन सनसान-सा मालम हो रहा ह अब उसमकस जाया जाएगा

क व म क कारण ऐसा ही अनभव होता ह ( वचार म म न आग चलत ए) चलोअब शक तला को प त क घर वदा करक कछ तो न तता ई आ खरक या पराया धन ह आज उस उसक प त क घर भजकर मरा मन ऐसा न तहो गया ह मानो कसी क ब म य धरोहर वापस लौटा द हो

(सब बाहर नकल जात ह)

पचम अक

(आसन पर बठ ए राजा और व षक का वश)व षक ( यान स सनकर) म ज़रा सगीतशाला क ओर तो यान दो कसी मधर

सरस गीत क आवाज़ आ रही ह मझ लगता ह क महारानी हसप दका तानछड़ रही ह

राजा ज़रा चप रहो सनन दो(आकाश म गीत सनाई पड़ता ह)

त ह नत नई कली स यार र भ रखली आम क नई मजरी सर भ अपार

इतन स बस त त आ मन उड़ गए पख पसारखल कमल म कया बसरा बौर क सध द बसार

रीझ गए दो पल मडराए चम गए इक बारछोड़ा उपवन प च सरवर जसम कमल हज़ार

राजा कतना मधर गीत हव षक अजी गीत को जान द जए कछ बात का मतलब भी समझ म आयाराजा (म कराकर) मन रानी हसप दका स एक ही बार म कया ह इस गीत म रानी

वसमती स म करन क कारण मझ उलाहना दया गया ह म माध जाकरमरी ओर स रानी हसप दका स कहो क उ ह न मझ अ छा उलाहना दया ह

व षक जो आपक आ ा (उठकर) म जब वह मझ दा सय स पकड़वाकर सर परचपत लगान लगगी तब अ सरा क हाथ म पड़ ए तप वी क भा त मरा छटनाभी क ठन ही हो जाएगा

राजा तम जाओ तो नपणता स यह बात उस कह दनाव षक और उपाय भी या ह (बाहर जाता ह)राजा (मन ही मन) यह आ या इस समय म कसी य क वरह म ःखी

नह फर भी इस गीत को सनकर न जान य मरा मन उदास हो गया ह याशायद जब कोई सखी भी रमणीय य को दखकर और मधर श द कोसनकर उदास हो उठता ह तो उस अनजान म अपन मन म जम ए पव ज म क

म क याद आ रही होती ह

(बचन-सा बठा रहता ह)(कचक का वश)

कचक ओफओह अब मरी यह दशा हो गई मन राजा क अ तःपर म आकर जो बतअकड़ क साथ शान जतान क लए ली थी अब ब त-सा समय बीत जान क बादवही बत लड़खड़ाकर चलत समय मर लए सहार क व त बन गई ह यह ठ क हक महाराज को रा य का सब काय करना ही चा हए फर भी अभी तो वयायासन स उठकर अ दर महल म गए ह अब क व क श य क आगमन का

समाचार सनाकर उनक व ाम म व न डालन का मरा मन नह हो रहा या फरजा पर शासन का यह काम ही ऐसा ह जसम व ाम मल ही नह सकता सय

न जो एक बार रथ म अपन घोड़ जोत ह तो व जत ही ए ह इसी कार वायरात- दन चलता ही रहता ह शषनाग सदा प वी क भार को उठाए ही रहता हराजा का काय भी इसी कार व ामश य ह अ छा चलता अपना कत तोपरा कर (कछ र चलकर और आग दखकर) य महाराज सब जा को अपन-अपन काम म लगाकर इस समय शा त मन स एका त म व ाम कर रह ह जसधप म घमन- फरन स ाकल आ गजराज गजसमह को वन म चरन क लएछोड़कर दन म कसी शीतल थान म व ाम कर रहा हो (पास जाकर) महाराजक जय हो हमालय क तराई क वन म रहन वाल कछ तप वी य क साथमह ष क व का स दश लकर आए ह अब आप जो आ ा द वह कया जाए

राजा (आदर क साथ) या क व क पास स आए हकचक जी हा

राजा तो मरी ओर स जाकर उपा याय सोमरात स कहो क इन आ मवा सय काशा ीय व ध स स कार करक वय वागत कर म भी य शाला म जाकरइनक ती ा करता

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा (उठकर) व वती य शाला चलो

तहारी आइए इधर च लए महाराजराजा (चलता ह रा या धकार का क जतात ए) सब ाणी अपनी अभी व त को

पाकर सखी हो जात ह पर त राजा क इ छा परी होन पर भी ःख ही दतीह राजा बनन क त ा ा त करन क मन य को उ सकता तो ब त होती हक त ा त ए रा य का पालन करन म लश ही होता ह रा य तो अपन हाथम उठाए ए छ क समान ह जस उठान म प र म तो अ धक होता ह और धपस बचाव कम

(नप य म)दो वता लक महाराज क जय हो

पहला वता लक महाराज आप सख का यान न रखत ए सदा क उठात रहत ह या

फर आपका काम ही ऐसा ह य प व अपन सर पर तज़ गम धप कोझलत ह पर त अपनी छाया क आ य म बठ ए लोग को शीतलता ही

दान करत हसरा वता लक महाराज आप कपथ पर चलन वाल को द ड ारा नयम म रखत ह

आप ववाद को शा त करात ह और जा क र ा करत ह स प शालीलोग क सग-स ब धी ब त होत ह पर त सामा य जा क तो एकमाब ध आप ही ह

राजा इनक बात सनकर मरा उदास मन फर ताज़ा हो गया (आग चलता ह)तहारी महाराज यह य शाला ह अभी-अभी साफ क गई ह इस लए चमचमा-सी रही

ह उस ओर य क गौ बधी ई ह (सी ढ़य क ओर सकत करक) इस परच ढ़ए महाराज

राजा (चढ़कर सवक क क ध का सहारा लकर खड़ा रहता ह) व वती मर पास इनऋ षय को भजन म महा मा क व का या उ य हो सकता ह या वहा रा स न ती तप वय क तप म तो बाधा नह डाली या तपोवन म रहन वाल

ा णय को कसी न सताना तो श नह कया या कह मर कसी कम ककारण पड़-पौध का फलना-फलना तो नह क गया तरह-तरह क तक- वतकऔर स दह क कारण मरा मन ब त ही बचन हो रहा ह

तहारी मरा तो यह वचार ह क य ऋ ष आपक स च र क शसा करक आपकोबधाई दन आए ह(शक तला समत ऋ षय का वश आग-आग कचक और परो हत ह)

कचक इधर आइए इधरशा रव शार त यह ठ क ह क राजा य त बड़ ही धमा मा और सदाचारी ह यह भी

ठ क ह क इनक रा य म नीच वण क भी कमागगामी नह ह फर भीनर तर एका त म रहन का अ यास होन क कारण मझ तो भीड़-भाड़ स भराआ यह नगर ऐसा लग रहा ह जस आग स जलता आ मकान हो

शार त नगर म आन पर आपको ऐसा लगता ह तो ठ क ही लगता ह मझ भी यहा कसख म म न रहन वाल लोग को दखकर वसा ही अनभव हो रहा ह जस कोईनहाया आ कसी तल मल ए को दख या कोई प व कसी अप व को या कोई जागा आ कसी सोय ए को या कोईव छ द घमन- फरन वाला कसी बध ए को दख

शक तला (अपशकन जताकर) यह या मरी दा आख फड़क रही हगौतमी बट भगवान भला कर तर प तकल क दवता तझ सखी कर (आग चलती ह)

परो हत (राजा क ओर सकत करक) तप वी महानभावो यह वणा म क र कमहाराज य त पहल स ही आसन यागकर आपक ती ा कर रह ह वहद खए

शा रव परो हत जी भल ही यह बात शसनीय हो फर भी हम इसम कछ नवीनतानह लगती य क फल आन पर व वय झक जात ह जल स भर जान परऊच बादल नीच झक जात ह स प ष ऐ य पाकर वनयशील हो जात ह यहतो परोपकारी लोग का वभाव ही होता ह

तहारी महाराज ऋ ष लोग प-रग स स दखाई पड़त ह लगता ह क इनका कायकछ च ताजनक नह

राजा (शक तला को दखकर) वह इनक बीच म घघट नकाल ए यवती कौन हउसक सौ दय क ज़रा-सी झलक-भर ही दखाई पड़ रही ह वह इन तप वयक बीच म ऐसी लग रही ह मानो पील प म कोई नई क पल हो

तहारी महाराज कतहल तो मझ भी ह क त समझ कछ भी नह आ रहा पर तलगता ऐसा ह क इसका मख अव य ही ब त स दर होगा

राजा चलो जान दो पराई ी क ओर दखना ठ क नह शक तला (छाती पर हाथ रखकर मन ही मन) दय इस कार कापत य हो उनक

मनोभाव को दखकर कछ तो धीरज धरोपरो हत (आग बढ़कर) इन तप वय का यथा व ध स कार म कर चका इनक

उपा याय न कछ स दश भजा ह उस आप सन ली जएराजा म सन रहा

ऋ ष लोग महाराज आपक जय होराजा आप सबको णाम

ऋ ष लोग आपक मनोकामनाए पण ह राजा म नय का तप तो न व न चल रहा ह न

ऋ ष लोग जब तक स जन क र ा क लए आप व मान ह तब तक धम-कम मव न कस पड़ सकता ह सय आकाश म चमकता हो तो अधरा छाए कस

राजा तब तो मरा राजा होना साथक आ अ छा लोक- हतकारी महा मा क व तोकशल स ह

ऋ ष लोग महा मा लोग क कशलता तो अपन ही बस म होती ह उ ह न आपकाकशल-मगल पछा ह और यह कहन को कहा ह

राजा या आदश दया हशा रव कहा ह क आपन जो पार प रक सहम त स मरी क या स ववाह कर लया ह

उसक म आप दोन को मपवक अनम त दता य क एक ओर तो आपहमार प ष म अ ग य ह और सरी ओर शक तला भी धम-कम कअवतार ह आपक यह वर-वध क जोड़ी प और गण म एक जसी ह ब तसमय बाद वधाता न ऐसी जोड़ी रची जसम कोई मीन-मख नकाली ही नहजा सकती अब आप अपनी गभवती धमप नी को गह थ धम क पालन क लए

हण क जए

गौतमी आय म भी कछ कहना चाहती वस तो मर कहन का कछ अवसर नह हय क न तो इसन ही अपन ग जन क कछ परवाह क और न तमन ही इ -

ब ध स कछ पछा जब तम दोन न आपस म ही सब कछ कर लया ह तबतमम स कसी भी एक को या क और या न क

शक तला (मन ही मन) अब वह या कहत हराजा ऐ यह या बखड़ा ह

शक तला (मन ही मन) इनक श द या ह शोल हशा रव यह या आप तो हम लोग क अप ा लोक- वहार म कह अ धक कशल

ह ववा हता ी चाह कतनी ही सती य न हो पर य द वह अपन पता ही कघर रह तो लोग तरह-तरह क बात करत ह इस लए ी क सग-स ब धी तोयही चाहत ह क वह चाह अपन प त को अ छ लग या बरी क त वह रह अपनप त क घर ही

राजा तो या इनका मझस ववाह हो चका हशक तला ( वषाद क साथ मन ही मन) दय जसका त ह भय था वही होकर रहाशा रव आपको अपन कए ए गा धव ववाह पर प ाताप हो रहा ह आप अपन

कत -पालन स वमख हो जाना चाहत ह या हम द र समझकर आप हमारातर कार कर रह ह

राजा इन सब बात का मतलब या हशा रव ायः धन क घम ड म चर लोग म य बराइया आ ही जाती ह

राजा यह तो आपन अ छा लाछन लगायागौतमी बट ज़रा दर को ल जा याग दो म त हारा घघट हटाती जसस त हार वामी

त ह पहचान ल (घघट हटाती ह)राजा (शक तला को दखकर मन ही मन) यह इतना मनोहारी सौ दय इस कार आ

उप थत आ ह पर त म इस समय यह न य नह कर पा रहा क मन इससपहल ववाह कया था या नह इसी लए जस भात म मर तषार स ढक क दक फल का न तो रस ल पाता ह और न उस छोड़कर र ही जा पाता ह उसी

कार म भी न तो स दरी का उपभोग ही कर सकता और न इस एकाएक यागही सकता

( वचार-म न बठा रहता ह)तहारी (मन ही मन) अहा हमार महाराज सचमच ही बड़ धमा मा ह नह तो इतनी

सरलता स ा त ए ऐस मनोहर प को दखकर कौन इतना वचार करता हशा रव महाराज इस तरह मह सीकर य बठ गए

राजा ऋ षयो मन ब त सोचा पर मझ याद नह आता क मन कभी इनकापा ण हण कया हो ल ण स प ह क यह गभवती ह ऐसी दशा म म इ हप नी- प म कस हण कर ल

शक तला (आड़ करक) इ ह तो ववाह क वषय म ही स दह ह और यहा मन आशाक कस-कस ऊच महल बनाए थ

शा रव राजन तमन तो मह ष क व क क या का बलपवक पश कया और उ ह नइस पर भी स तापवक त ह उस क या स ववाह क अनम त द द ऐसउदारचता म न का अपमान न करो तमन तो चोर क तरह उनका धन चरायाऔर उ ह न पकड़ पान पर भी त ह स पा समझकर अपना धन त ह ही स पदया

शार त शा रव अब तम चप हो जाओ शक तला हमन जो कछ कहना था कह दयायह राजा जो कछ कहत ह वह तमन सन लया ह अब इ ह त ह व ासदलाओ

शक तला (आड़ करक) जब थ त यहा तक प च चक ह तो अब उस यार क याददलान स भी या लाभ अब तो मझ कवल अपन भा य को रोना-भर ही शषह ( कट प स) आयप (बीच म ही ककर वगत) पर नह जब इनक मनम ही स दह उ प हो गया ह तब यह स बोधन उ चत नह ( काश म) पौरवआपको यह शोभा नह दता क पहल तो आपन आ म म भोली-भाली मझकोशपथपवक मधर-मधर बात कहकर फसलाया और अब इस कार मरा तर कारकर रह ह

राजा (कान को हाथ स ढकता आ) राम-राम यह या कहती हो तम अपन कलको कल कत करन और मझ धम स प तत करन पर उसी तरह स तली ई होजस कनार को तोड़कर बहन वाली नद तट क व को तो गराती ही ह साथ हीअपन नमल जल को भी मला कर दती ह

शक तला अ छा य द त ह सचमच ही मर वषय म पराई ी होन का स दह ह औरइस लए तम इस कार क बात करन लग हो म त हारा मरण- च दखाकरत हार स दह को मटाए दती

राजा यह बात हमन मानीशक तला (अगली म अगठ क थान को टटोलकर) हाय-हाय यह या आ मरी

अगली म स अगठ कहा गई( वषाद क साथ गौतमी क ओर दखन लगती ह)

गौतमी त श ावतार म शचीतीथ क जल को नम कार करन गई थी वह अगठ अव यवह गरी ह

राजा इसी लए तो कहत ह क य म तर त सझ ब त होती हशक तला इसम तो भा य ही वपरीत हो गया अ छा आपको एक और बात सनाती

राजा अ छा अब सनान क बात श ईशक तला एक दन नवम लका क कज म आपक हाथ म पानी स भरा आ कमल क

प का दोना था

राजा कह च लए म सन रहा शक तला उसी समय वह द घापाग नाम का ह रण का ब चा आ प चा जस मन प

बनाया आ थाआपन दया करत ए कहा क lsquoअ छा पहल यही पानी पी लrsquoऔर आप उस पास बलान लग पर त अप र चत होन क कारण वह आपक पासनह आया उसक बाद उसी पानी को जब मन हाथ म लकर उस पलाया तो वहझट पी गया तब आपन हसकर कहा था lsquoसब लोग अपन सजा तय का हीव ास करत ह तम दोन ही बनवासी हो नrsquo

राजा अपना उ ल सीधा करन वाली य क इस कार क झठ मीठ -मीठ बातस कामी लोग ही आक आ करत ह

गौतमी भगवन ऐसी बात मह स न नकालो यह बचारी तपोवन म ही पलकर बड़ी ईह इस बचारी को छल-छ द का या पता

राजा तप वनी जी या तो बना सखाए ही वभाव स धत होती ह पश-प यतक म यह बात दखाई पड़ती ह फर ब मती य का तो कहना ही याकोयल क ब च जब तक आकाश म उड़न यो य नह हो जात तब तक व उनकापालन सर प य स कराती ह

शक तला ( होकर) नीच तम सबको अपन जसा ही समझत हो धम का आवरणओढ़कर घास-फस स ढक ए कए क समान और को प तत करन का कामत हार सवाय कौन कर सकता ह

राजा (मन ही मन) इसका ोध तो बनावट नह लगता इसस मर मन म स दह उ पहोन लगा ह य क एका त म ए म क व ा त को मर मरण न कर पान पर

ोध क कारण इसक दोन आख खब लाल हो उठ ह और दोन भ ह इस कारटढ़ हो गई ह मानो ग स म आकर कामदव न धनष क दो टकड़ कर दए ह ( कट प स) भ य त क च र को ससार जानता ह फर भी तमस मराववाह आ ह यह मझ याद नह आता

शक तला इसन मझ अ छ कलटा बना दया हाय म प वश का व ास करक ऐस कहाथ य पड़ गई जसक मह म मध और दय म वष भरा आ ह

(व क छोर स मह ढककर रोन लगती ह)शा रव ग जन स बना पछ इस कार क अ ववकपण चचलता क कारण ऐसा ही

क भगतना पड़ता ह इसी लए एका त म म ब त सोच-समझकर करनाचा हए य क अप र चत य म ऐसा म अ त म वर ही बनकर रहता ह

राजा यह भी कोई बात ह क आप लोग इन पर व ास करक सारा दोष मझ पर हीडाल द रह ह

शा रव ( होकर) सनी आपन उलट बात जसन ज म स लकर आज तक छलकरना सीखा नह उसक बात तो झठ मानी जाए और जो लोग सर को धोखादन को व ा समझकर अ यास करत ह उनक बात व सनीय मान ली जाए

राजा अ छा स यवाद त हारी ही बात मानी पर यह तो बताओ क इस ठगन स हमया मल जाएगा

शा रव पाप और याराजा पौरव पाप करना चाहत ह इस कोई नह मान सकता

शार त शा रव वाद- ववाद स या लाभ हमन ग जी क आ ा का पालन कर दयाअब चलो वापस चल (राजा क ओर अ भमख होकर) यह आपक प नी हचाह इस वीकार क जए चाह याग द जए य पर प त को सब कार काअ धकार होता ह गौतमी च लए

(कहकर चल पड़त ह)शक तला इस धत न तो मझ ठगा ही ह अब तम भी मझ छोड़ जात हो (उनक पीछ-

पीछ चलन लगती ह)गौतमी ( ककर) बटा शा रव यह सक ण वलाप करती ई शक तला हमार पीछ-पीछ

चली आ रही ह प त न तो प थर बनकर इसको याग दया अब मरी ब टया करभी या

शा रव (ग स म मड़कर) अब या त वाधीन आ चाहती ह(शक तला डरकर कापन लगती ह)

शा रव शक तला य द राजा जो कछ कहत ह वह सच ह तो तझ कलकल कनी कापता क यहा या काम और य द त अपन-आपको प त ता समझती ह तो तराप त क घर दासी बनकर रहना भी भला त यह रह हम जात ह

राजा तप वी इस बचारी को य धोखा दत हो च मा कमद को ही खलाता ह औरसय कवल कमल को जत य लोग पराई ी क ओर आख उठाकर भी नहदखत

शा रव जब आप अपन अ तःपर म आकर परानी बात को भल ही गए तो आपकोअधम का या डर

राजा (परो हत स)अ छा म आपस ही उ चत-अन चत क बात पछता या तो मरीमरणश धोखा द रही ह या फर यह झठ बोल रही ह अब यह स दह उ प

होन पर मझ ी- याग का दोष सर पर लना उ चत ह अथवा पराई ी कोहण करन का पाप करना

परो हत (सोच- वचारकर) अ छा तो ऐसा क जएराजा आ ा द जए

परो हत प का सव होन तक यह हमार घर म रह आप पछग य तो स नएआपको साध न बताया आ ह क आपका पहला प ही च वती राजा होगाय द इस म न-क या क प म च वत क ल ण ह तो आप इनका अ भन दनकरक इ ह अपन अ तःपर म रख ल और य द ऐसा न हो तो फर इ ह इनक पताक पास वापस भज द जय

राजा जो आप लोग को ठ क लग मझ वीकार हपरो हत बट मर साथ आओशक तला मा वस धरा तम फट जाओ और मझ अपनी गोद म थान दो (रोती ई चल

पड़ती ह और परो हत तथा तप वय क साथ बाहर नकल जाती ह)(शाप क कारण राजा शक तला को याद नह कर पात फर भीउसी क बार म सोचत रहत ह)

(नप य म)गज़ब हो गया गज़ब हो गया

राजा (सनकर) ऐसी या बात ई( वश करक)

परो हत (आ य क साथ) महाराज बड़ी व च बात ईराजा या आ

परो हत महाराज जब क व क श य वापस लौट गए तब वह यवती अपन भा य कोकोसती ई बाह पसारकर रोन लगी

राजा फर या आपरो हत तभी ी का प धारण कए एक यो त आकाश स उतरी और उस लकर

अ सरा तीथ क ओर चली गई(सब व मय दखात ह)

राजा भगवन हमन तो पहल ही उसका प र याग कर दया था अब उसक वषय मथ या सोच- वचार करना अब आप जाइए और व ाम क जए

परो हत (राजा क ओर दखकर) आपक जय हो (कहकर बाहर चला जाता ह)राजा तहारी इस समय मन बचन ह शयनागार क ओर चलो

तहारी इधर आइए महाराज (कहकर चल पड़ता ह)राजा यह ठ क ह क मझ म न-क या क साथ ववाह क याद नह आती और इसी लए

मन याग भी दया ह पर त मन म बड़ी बचनी हो रही ह जसस मझ ऐसाव ास-सा होता ह क शायद उसस मरा ववाह आ ही था

(सब बाहर चल जात ह)

ष म अक

(एक प ष को बाध ए कोतवाल तथा सपा हय का वश)सपाही (पीटकर) य ब चोर बता तझ यह र नज टत राजक य अगठ कहा स मली

इस पर तो महाराज का नाम भी खदा आ हअ भय (डरत ए) दया क जए महाराज मन ऐसा काम कभी नह कयापहला सपाही अ छा तो तझ महाराज न ा ण समझकर यह उपहार म द थी

याअ भय म बताता आप स नए तो म श ावतार का रहन वाला धीवर

सरा सपाही अब चोर हम या तरी जा त पछ रह हकोतवाल सचक इस श स सब सनान दो बीच म टोको नह सपाही जो आपक आ ा अ छा र सना

अ भय म जाल-काट आ द स मछ लया पकड़कर अपन प रवार का पालन-पोषणकरता

कोतवाल (हसकर) जी वका का साधन तो बड़ा प व चना हअ भय मा लक ऐसा न क हए जस जा त को जो भी काम मला हो वह चाह कतना

भी बरा य न हो फर भी छोड़ा नह जाता वदपाठ ा ण का च कतनाही कोमल य न हो फर भी य म ब ल-पश को मारत ए उस कतना न रबनना ही पड़ता ह

कोतवाल अ छा अ छा फर या आअ भय एक दन मन जब एक रो म छ क टकड़ कए तो उसक पट म यह चमक ल

र नवाली अगठ दखाई पड़ी इस लकर बचन क लए यहा आया और अभीलोग को दखा ही रहा था क आपन मझ पकड़ लया अब आप मझ मार चाहछोड़ पर इस अगठ क मर पास आन का स चा क सा यही ह

कोतवाल जानक इसम कोई स दह नह क यह गोह खान वाला म छयारा ही ह इसकशरीर क ग ध ही बताए द रही ह इसन अगठ मलन का जो व ा त बताया हवह वचारणीय ह अ छा चलो महाराज क पास ही चलत ह

सपाही ठ क ह चल ब जबकतर चल(सब चल पड़त ह)

कोतवाल सचक तम इस ड योढ़ क बाहर ही इस लकर बठो और मरी ती ा करोसावधान रहना कह यह भाग न जाए म इस अगठ को लकर महाराज क पासजाता और इसका हाल सनाकर वह जो भी आ ा द सनकर वापस आता

सपाही आप जाइए और महाराज को स क जए(कोतवाल भीतर जाता ह)

पहला सपाही जानक कोतवाल साहब को बड़ी दर लग गईसरा सपाही भाई राजा क पास अवसर दखकर ही जाया जाता ह

पहला सपाही जानक इसक गल म म य क माला पहनान क लए मर हाथ खजला रहह (अ भय क ओर इशारा करता ह)

अ भय य मझ नरपराध को मारत ह महाराजसरा सपाही वह कोतवाल साहब कागज़ हाथ म लए राजा क आ ा लकर इधर ही

चल आ रह ह अब या तो अब तझ ग नोचग या त क क पट मजाएगा( वश करक)

कोतवाल सचक इस म छयार को छोड़ दो अगठ मलन का व ा त सही हसचक जो आपक आ ा

सरा सपाही यह तो यमराज क घर जाकर वापस लौट आया (अ भय क ब धनखोल दता ह)

अ भय (कोतवाल को णाम करक) मा लक मरा जी वका-साधन कसा रहाकोतवाल महाराज न अगठ क म य जतना यह धन त ह इनाम म दया ह (उस धन दता

ह)धीवर ( णामपवक धन लकर) मा लक यह आपक महरबानी हसचक कपा इसी को कहत ह क सली स उतारकर हाथी क पीठ पर बठा दया हजानक कपा नह पा रतो षक कहो लगता ह क वह अगठ महाराज को ब त अ छ

लगी होगीकोतवाल मझ लगता ह क उसम जड़ ब म य र न स महाराज को वशष म नह ह

पर त इस अगठ को दखकर उ ह कसी य क याद आ गई वस ववभाव स ग भीर ह पर उस समय ण-भर तक उनक आख म उदासी छाई

रहीसचक तब तो आपन महाराज का बड़ा भारी काम बना दया हजानक यह कहो क इस म छयार का काम बना दया

(धीवर क ओर ई या स दखता ह)धीवर महाराज इसम स आधा धन आपक फल-फल क लए हजानक यह तो इनका हक ही हकोतवाल आज स तम हमार य म बन इस म ता क स ता म आज म दरा-पान

होना चा हए चलो म दरालय म ही चलत ह(सब बाहर जात ह)( वशक)( वमान पर चढ़ ई सानमती नाम क अ सरा का वश)

सानमती आज महा मा क नान क समय अ सरा तीथ क नकट रहन क मरी बारीथी वह काम तो परा आ अब चलकर ज़रा राज ष य त क दशा तो दखमनका क सखी होन क नात शक तला मरी भी क या क समान ह मनका न भीकछ दन पहल शक तला क लए कछ न कछ उपाय करन को मझस कहा थापर यह या बात क वस तो सव का समय आ जान पर भी यहा राजमहल मउ सव ार भ आ नह द खता य तो म अपनी द स ही सब कछ जानसकती पर अपनी सखी क अनरोध को भी तो परा करना ह अ छात क रणी व ा स अपन-आपको छपाकर इन दो उ ानपा लका क पासजाकर मालम करती ( वमान स उतरकर खड़ी हो जाती ह)

(आम क नए बौर को दखती ई दासी का वश एक सरी दासीउसक पीछ खड़ी ह)

पहली दासी ह अ ण ह रत और पीत आम क नए बौर तम वस त क जीवन हो तमवस त ऋत म क याण करन वाल हो तम आज पहल-पहल दखाई पड़ हो मत हारी अनक पा चाहती

सरी दासी परभ तका अकली खड़ी-खड़ी या बोल रही हपहली दासी मधक रका आ मजरी को दखकर कोयल उ म हो उठती ह

सरी दासी (ज द स पास आकर) या मधमास आ गयापहली दासी हा मधक रका त हार मद-भर गीत का यह समय आ गया

सरी दासी स ख ज़रा मझ सहारा तो द म उचककर आम का बौर तोड़ती उससकामदव का पजन क गी

पहली दासी सहारा तो गी पर पजा का आधा फल मझ भी तो मलसरी दासी यह तो बन कह भी हो जाएगा य क हम दोन क शरीर चाह दो ह क त

ाण तो एक ही ह (सखी का सहारा लकर आम का बौर तोड़ती ह) अरीभल ही आम का बौर अभी खला नह ह फर भी इसक तोड़त ही सग ध चारओर महक उठ ह आम क बौर म त ह धनष चढ़ाए कामदव को सम पतकरती तम वासी जन क त णी प नय क लए कामदव क छठ बाणबन जाओ (कहकर आम क बौर को फक दती ह)

( बना परदा गराए कचक का वश)कचक यह या अरी मख महाराज न तो वस तो सव ब द करवा दया ह और त यह

आम क बौर तोड़न लगी हदोन दा सया (डरकर) आय न ह हम यह बात मालम न थी

कचक य या तमन यह नह सना क वस त म वक सत होन वाल त न औरउन पर रहन वाल प य न भी महाराज क आदश का पालन कया ह दखोय प आम क मज रय को डाल पर आए इतन दन हो गए फर भी अभी तकउनम पराग नह पड़ा करबक क फल ब त समय पहल खल चकन चा हए थपर व अभी तक कली क ही प म पड़ ह य प श शर ऋत बीत गई ह फरभी को कल क कक उनक क ठ म ही अटक ई ह मझ तो ऐसा लगता ह ककामदव न भी च ककर अपन तणीर म स आध नकल ए बाण को फर वापसतणीर म ही रख लया ह

सानमती इसम या स दह राज ष य त अ य त तापी जो ठहरपहली दासी आय हम नगरपाल म ावस न कछ ही दन पहल तो महारानी क सवा म

भजा ह यहा आत ही हम इस मदवन उ ान क सार-स भाल का काम स पदया गया य क हम नई आई ह इस लए हम यह व ा त मालम न था

कचक अ छा पर अब फर ऐसा काम न करनादा सया आय हम यह जानन क उ सकता ह क महाराज न वस तो सव कस लए

कवा दया ह य द कछ गोपनीय बात न हो तो हम भी बता द जएसानमती मन य तो वभावतः उ सव य होत ह इस रोकन का अव य कोई बड़ा ही

कारण रहा होगाकचक यह बात तो सबको मालम हो चक ह इस सनान म या हा न ह या तमन

शक तला क प र याग क बात नह सनीदा सया नगरपाल म ावस क मख स अगठ मलन तक का व ा त तो हम सन चक ह

कचक तब तो सनान को ब त थोड़ी-सी बात ही शष ह य ही अपनी अगठ कोदखकर महाराज को यह मरण आया क मन सचमच ही एका त म शक तला सववाह कया और उसक प ात ववाह को मरण न करक उसका प र याग करदया तब स ही उनक प ाताप क सीमा नह ह अब उ ह स दर व तए बरी लगनलगी ह अब व पहल क भा त त दन म य स भी नह मलत सारी रातउन द ही पलग पर करवट बदलत बता दत ह जब कभी ब त आ ह करन परअ तःपर क रा नय स बात करन भी लगत ह तब भल स शक तला का नामउनक मख स नकल जाता ह और उसक कारण व बड़ी दर तक ल जत ए रहतह

सानमती यह तो स ता क बात हकचक इसी ती स ताप क कारण उ ह न उ सव रोक दया ह

दा सया ठ क ह इधर आइए महाराजकचक ( यान स सनकर) अर महाराज इधर ही आ रह ह जाओ अपन-अपन काम म

लगोदा सया अ छा (कहकर बाहर नकल जाती ह)

(प ा ाप क उपय वश धारण कए राजा व षक औरतहारी का वश)

कचक (राजा को दखकर) स दर सभी दशा म स दर दखाई पड़त ह इसी समहाराज उदास होत ए भी कतन अ छ लग रह ह य प उ ह न बा भजा मपहन ए एक वण ककण क सवाय और सभी आभषण छोड़ दए ह गम सासक कारण उनका नीच का ह ठ लाल हो उठा ह च ता और रा -जागरण क कारणउनक आख अलसाई ई ह फर भी अपन अद भत तज क कारण कश होत एभी व कश तीत नह होत जस क सान पर चढ़ाया आ ब म य र न छोटा होनपर भी अपनी आभा क कारण बड़ा ही दखाई पड़ता ह

सानमती (राजा को दखकर) शक तला इस राजा स प र य और अपमा नत होकर भीजो इसी क लए तड़पती ह उसका वह तड़पना उ चत ही ह

राजा ( वचारम न धीर-धीर चलत ए) यह मरा दय ऐसा अभागा ह क जब वहमगनयनी यतमा इस य नपवक जगा रही थी तब तो सोता रहा और अबप ाताप का क भगतन क लए जाग उठा ह

सानमती उस बचारी शक तला क क मत ही ऐसी थीव षक (आड़ करक) इन पर फर शक तला का भत चढ़ा कछ समझ म नह आता

क यह ठ क कस ह गकचक (पास जाकर) महाराज क जय हो मदमन को मन घम- फरकर भली-भा त

दख लया ह अब आपक जहा भी इ छा हो वह बठकर व ाम करराजा तहारी मरी ओर स जाकर अमा य आय पशन स कहो क आज म दर स उठा

इस लए यायासन पर बठना मर लए स भव न होगा जा का जो कछ कामव दख वह कागज़ पर लखकर भज द

तहारी जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)राजा पवतायन तम भी जाओ अपना काम करो

कचक जो महाराज क आ ा (बाहर जाता ह)व षक ठ क ह आपन सब म खया उड़ा द अब मदवन म उस ओर चलकर मन

बहलाइए जहा वस त ऋत छा रही ह जसम न अ धक गरमी ह और न हीठ ड

राजा म यह जो कहा जाता ह क वप सदा मौक क ताक म रहती ह वह ठ कही ह य क इधर तो मर मन स म न-क या क म क याद छपाए रखन वालाअ धकार र आ और उधर कामदव न हार क लए उ त होकर अपन धनषपर आ मज रय का बाण चढ़ा लया

व षक अ छा ज़रा ठह रए म अभी इस ड ड स कामदव क होश ठकान कए दता (ड डा उठाकर आम क बौर को तोड़ गराना चाहता ह)

राजा (म कराकर) रहन दो रहन-दो त हारा बल-तज दख लया चलो अब यह

बताओ क कस जगह बठकर यतमा का कछ-कछ अनकरण करन वालीलता को दख-दखकर आख ठ डी क जाए

व षक आप ही न तो दासी चत रका को कहा था क म इस समय माधवी कज मजाकर बठगा उस च फलक को लकर वह आ जाना जस पर क मन अपनहाथ स शक तला का च ख चा ह

राजा हा मनो वनोद क लए वह थान ठ क ह चलो उधर ही चलोव षक आइए इधर आइए

(दोन चलत ह सानमती उनक पीछ-पीछ जाती ह)व षक यह माधवी कज आ गया इसक अ दर एक र न- शला पड़ी ह अपनी अनक

स दर साम य स यह हमारा वागत-सा कर रहा ह च लए इसम अ दरचलकर ब ठए

(दोन कज क अ दर जाकर बठ जात ह)सानमती म भी एक बल पर चढ़कर अपनी lsquoप ीrsquo क च को दखती उसक बाद

जाकर उस बताऊगी क उसक प त उस कतना म करत ह (एक बल परचढ़कर बठ जाती ह)

राजा म अब मझ शक तला का पहला सारा व ा त भली कार याद आ रहा हयह व ा त मन त ह भी तो सनाया था पर त जब मन शक तला का अनादरकया उस समय तम मर पास नह थ उसस पहल भी तमन कभी उसका नामनह लया या मरी ही तरह तम भी तो नह भल गए थ

व षक नह भला तो नह था पर त आपन सब कछ कहकर अ त म यह कह दया थाक यह सब तो कवल प रहास क बात ह इसम स य कछ नह ह मन भी मक माधो क तरह वसा ही समझ लया सच तो यह ह क जो होना होता ह वहहोकर ही रहता ह

सानमती यह बात सच हराजा (सोचत ए) म कसी तरह मझ बचाओ

व षक अर आपको यह या आ ऐसा कहना आपको शोभा नह दता स प षकभी भी अपन क को और क स मख इस कार कट नह करत जससऔर को कछ कहन का अवसर मल पहाड़ तफान म भी अ डग ही रहत ह

राजा म प र याग क समय य शक तला कसी शोक- व ल हो उठ थी उस यादकरक मझस धय नह रखा जाता वह बचारी इधर स तर कत होन पर अपनइ -ब ध क पीछ चलन लगी उसक बाद जब ग क समान ग - श य न उसज़ोर स धमकाकर कहा lsquoवह रहrsquo तो वह खड़ी हो गई और फर बहत एआस स धधली ई अपनी स मझ न र क ओर दखन लगी वह आज भी मझ वषबझ तीर क भा त जला रही ह

सानमती हाय र मन य क वाथपरता इनक ःख को दख-दखकर मझ आन द हो रहा

हव षक भई मझ तो ऐसा लगता ह क उस कोई आकाश-चर दवता उठा ल गया हराजा उस प त ता को अ य कोई छन का साहस ही कस कर सकता ह मन सना ह

क त हारी सखी शक तला क माता मनका ह मरा मन तो यही कहता ह क होन हो मनका क स खया उस उठा ल गई ह

सानमती आ य क बात यह नह ह क वह इ ह याद आ रही ह ब क यह उस भल कसगए थ

व षक य द यह बात ह तो समय आन पर आपका उनस अव य मलन होगाराजा वह कस

व षक य क माता- पता ब त दर तक अपनी क या को प त क वयोग म ःखी नहदख सकत

राजा म वह वापस लौटकर न आन वाला स दर अतीत कोई व था माया थी मरीब का ममा था या मर प य का कोई ऐसा फल था जो उतनी ही दर मसमा त हो गया यह म ठ क कार समझ नह पा रहा मरी सारी आशाएपहाड़ क चोट स गहरी खाई म गरकर चकनाचर हो गई ह

व षक ऐसी बात न क जए यह अगठ फर मल गई यही इस बात क सचक ह कआप दोन का मलन अव य होगा और अचानक होगा

राजा (अगठ को दखकर) हाय यह अगठ भी कसी अभागी ह जो वस लभ थानपर प चकर भी वहा स गर पड़ी ह अगठ प रणाम को दखकर ऐसा लगता हक मरी भा त तर प य भी थोड़-स ही थ तभी त उसक अ ण नख वालीस दर अग लय म प चकर भी वहा स गर पड़ी

सानमती य द कसी अ य क हाथ पड़ जाती तो सचमच ही ःख क बात होतीव षक आपन यह अपन नाम वाली अगठ कस सग म उसक अगली म पहनाई थी

सानमती यह तो म भी सनना चाहती राजा जब म अपन नगर को लौटन लगा तो यतमा शक तला आख म आस भरकर

कहन लगी lsquoआप कतन दन म अब फर मरी सध लगrsquoव षक फरराजा तब मन यह अगठ उसक अगली म पहनात ए कहा था क lsquo य तम इस

अगठ पर लख एक-एक अ र को एक-एक दन म गनती जाना और जब तमइस नाम क अ त तक प चोगी तभी मर अनचर त ह मर अ तःपर म ल जान कलए आ प चगrsquo और म न र उस सबको भल जान क कारण इसक व थाकर ही न सका

सानमती अव ध तो बड़ी अ छ बताई थी पर त भा य न सब उलट-पलट कर दयाव षक तो फर यह अगठ धीवर ारा पकड़ गए रो म छ क पट म कस प च गईराजा शचीतीथ पर पजा करत समय यह त हारी सखी क हाथ स पानी म गर पड़ी

थीव षक ठ क

सानमती इसी लए इस धमभी राजा य त को बचारी शक तला क साथ ए अपनववाह म भी स दह था पर त या ऐस बल म म भी मरण- च कआव यकता होती ह अव य इसका कछ और कारण रहा होगा

राजा अब इस अगठ को उलाहना तो व षक (मन ही मन) अब इ ह न फर पागल क -सी बात श क राजा ह अगठ त उस स दर और कोमल अग लय वाल हाथ को छोड़कर पानी म

य जा डबी थी या फर अचतन व त तो गण को पहचान नह सकती पर तमन या सोच-समझकर यतमा का तर कार कया

व षक (मन ही मन) आज तो लगता ह क भख ही मरना होगाराजा स दरी मन अकारण त ह याग दया था इस प ाताप स मरा दय जल रहा ह

अब कपा करो मझ फर दशन दो( बना परदा गराए च -फलक लए दासी का वश)

चत रका यह वा मनी च म खड़ी ई ह( च -फलक दखाती ह)

व षक ध य म आपन शरीर क व भ अग का ऐसा स दर च ण कया ह कउसम भाव तक झलक उठ ह मरी तो च क उभर ए और दब ए थलपर फसल-सी रही ह

सानमती ध य ह राज ष क च कला ऐसा लगता ह क प ी शक तला ही मर सामनखड़ी ह

राजा इस च म जो-जो व त ठ क न थी वह मन बार-बार सधार कर ठ क क हफर भी अभी तक उसक सौ दय क कवल ज़रा-सी झलक ही इस च म आपाई ह

सानमती इनका यह कथन इनक प ाताप स ग णत म और इनक नर भमानता कअन प ही ह

व षक य जी यहा तो व तीन दखाई पड़ रही ह और सबक सब स दर ह इसम सशक तला कौन-सी ह

सानमती इस ऐस स दर प क ज़रा भी पहचान नह इसक लए तो आख का होना नहोना बराबर ह

राजा तम कस समझत होव षक मझ तो ऐसा लगता ह क य जो सचाई क कारण चकन प वाल आम क पड़

क पास कछ थक ई-सी खड़ी ह जसक अधखल जड़ स फल गर रह ह औरमह पर पसीन क बद झलक रही ह क ध नीच क ओर झक ए ह वहीशक तला ह शष दोन स खया ह

राजा तम समझदार हो इस च म मर म क च भी बन ए ह च क आसपासअग लय म आए पसीन क मल दाग पड़ गए ह और इस पर मर कपोल स एकआस गर पड़ा था जो उड़ ए रग क कारण प दखाई पड़ता ह चत रकाअभी इस च म वनोद का वह थान अधरा ही च त आ ह जाकर रग कब य तो ल आ

चत रका आय माध ज़रा इस च -फलक को तो पक ड़ए म अभी आती राजा लाओ म ही थाम लता ( च -फलक को सभालता ह)

(दासी बाहर जाती ह)राजा (गहरी सास छोड़कर) मरी भी या दशा ह पहल मन सा ात आई ई या को

तो याग दया और अब उसक इस च का इतना आदर कर रहा यह ठ कऐसा ही ह जस माग म बहती ई जल स भरी नद को छोड़ आन क बादमरी चका क पीछ भागन लगा होऊ

व षक (मन ही मन) यह तो नद को छोड़कर मरी चका क पीछ दौड़न लग ह ( कटप स) य जी इस च म अब और या च त करना शष ह

सानमती शायद य उन दश का च ण करना चाहत ह जो मरी सखी को ब त य थराजा सनो अभी इसम मा लनी नद बनानी ह जसक रती म हस क जोड़ बठ ह

इसम हमालय क प व तराई च त करनी ह जसम ह रण का झ ड व ामकर रहा ह एक पड़ का च भी इसम बनाना चाहता जसक शाखा परव कल व झल रह ह और उस व क नीच एक ह रणी अपनी बा आख कोकाल ह रण क स ग स धीर-धीर खजला रही हो

व षक (मन ही मन) मझ तो ऐसा लगता ह क य सार च -फलक को ल बी-ल बीदा ढ़य वाल तप वय क झ ड स भर बना न मानग

राजा म और भी एक बात ह इस च म शक तला क उ चत शगार-साम ी को तोम भल ही गया

व षक वह यासानमती यह शगार-साम ी अव य ही तपोवन और सकमारता दोन क ही अनकल होगी

राजा म अभी तो मन इसका कान म पहना आ वह शरीष का फल भी नहबनाया जसक पख रया गाल तक झल रही ह और न तन-यगल क म य मशरद ऋत क च मा क करण क समान कोमल कमलनाल क माला हीपहनाई ह

व षक य जी यह लाल कमल क पख रय क समान स दर हथली स अपन मह कोढापकर च क ई-सी य खड़ी ह ओह यह फल क रस का चोर भ राइनक मह पर मडरा रहा ह

राजा इस ढ ठ को ज़रा रोकनाव षक आप ही का दमन करन वाल ह यह आपक रोक ही कगा

राजा ठ क ह अर भई कसमलता क य अ त थ यहा उड़-उड़कर य थ कपा रह हो वह दखो त हारी य मरी फल क ऊपर बठ ई त हार बनायास स ाकल होकर भी मधपान नह कर रही त हारी ती ा कर रही ह

सानमती रोका भी कतनी भ ता क साथ हव षक लात क भत बात स कह मानत हराजा य र मर त मरी आ ा नह मानता तो अब सन ल य द त मरी या क

ताज़ नवप लव क समान स दर अधर को जसका क मन भी मो सव म बड़ीसदयता क साथ ही पान कया ह पश करगा तो म तझ कमलकोष क कारागहम डाल गा

व षक ऐस भयकर द ड स तो यह डर चका (हसकर मन ही मन) यह तो जो पागलए सो ए इनक साथ म भी पागल हो गया ( कट प स) अर भई यह तो

च हराजा या सचमच च ह

सानमती मझ भी अब आकर यह पता चला फर च क अनसार ही यानम न रहनवाल राजा का तो कहना ही या

राजा म यह तमन या अनथ कया म तो त मय होकर यतमा का सा ातदशन-सा कर रहा था और तमन याद दलाकर मरी यतमा को च बना दया(आस बहान लगता ह)

सानमती इनका यह वरह पवापर वरोधी होन क कारण व च ही लगता हराजा म इस अ वराम ःख को कस स रात म न द नह आती इसी लए उसस

व म मलना भी अस भव हो गया ह और आख म आए ए आस उसक इसच तक को दखन नह दत

सानमती शक तला क प र याग स हम जो ःख आ था उस तमन मटा दया( वश करक)

चत रका महाराज क जय हो म रग क पटारी लकर आ रही थीराजा तो या आ

चत रका तभी तर लका को साथ लए महारानी वसम त आ उ ह न वह पटारी मझसज़बद ती छ न ली कहन लग क lsquoम वय इस लकर महाराज क पास जा रही

rsquoव षक तर भा य अ छ थ क त बच आई

चत रका महारानी का प ा एक पौध क डाली म उलझ गया था उधर तर लका उसछड़ान लगी और इधर म जान बचाकर भाग आई

राजा म रानी अब आती ही ह गी ब त दन स आदर पात रहन क कारण उनम गवभी कम नह ह तम च को कसी तरह बचाओ

व षक यह क हए क अपनी जान बचाओ ( च -फलक को लकर उठ खड़ा होता ह)

जब आपको अ तःपर क पचड़ स छटकारा मल जाए तो मझ मघ त छदासाद स बलवा ली जएगा (तज़ी स बाहर नकल जाता ह)

सानमती दय सर को द डालन पर भी महाराज पहल कए म का आदर बनाए रखनाचाहत ह पर त अब वह पहला म एकदम ही ठ डा पड़ चका ह

(प हाथ म लए वश करक)तहारी महाराज क जय होराजा तहारी त ह रा त म कह रानी तो दखाई नह पड़ी

तहारी दखाई तो पड़ी थ क त कागज-प हाथ म लए मझ आत दखकर वापसलौट ग

राजा व काय क मह व को खब समझती ह इसी स काय क समय बाधा नह डालनाचाहत

तहारी महाराज अमा य महोदय न कहा ह क आज हसाब- कताब का काम अ धकथा इस लए जा का कवल एक ही मामला म दख पाया वह इस पर लखदया ह महाराज दख ल

राजा लाओ कागज़ इधर दो ( तहारी कागज़ दता ह)राजा (पढ़कर) यह या साम क ापारी सठ धन म क जहाज़ डब जान स म य

हो गई और इस बचार क कोई स तान नह अमा य न लखा ह क उसकासारा धन राजकोष म आ जाना चा हए हाय प हीन होना भी कतन ःख कबात ह तहारी जब उसक पास इतना धन था तो अव य ही उसक प नयाभी कई ह गी पता करो शायद उनम स कोई प नी गभवती हो

तहारी महाराज सना ह क उनक एक प नी साकत क सठ क लड़क ह उसका हालही म पसवन-स कार आ था

राजा तब तो पतक धन पर उस गभ थ शश का अ धकार ह जाओ अमा य को यहीबात कह दो

तहारी जो महाराज क आ ा (चलन लगता ह)राजा ज़रा यहा तो आना

तहारी जी आ गयाराजा स तान ह या नह इसस या यह घोषणा करवा दो क जा म स जस-

जसका जो-जो भी कोई स ब धी न रह पा पय को छोड़कर आज स उनकावह स ब धी य त ह

तहारी यह घोषणा अभी ई जाती ह (बाहर जाकर फर वश करक) महाराज क इसघोषणा स जा को वसा ही आन द आ ह जसा ठ क समय पर ई वषा स होताह

राजा (ल बी और गहरी सास छोड़कर) हाय स तान न होन पर नराधार कल कस प मल प ष क म य क बाद और क पास चली जाती ह मर मरन पर

प वश क ल मी का भी यही हाल होगातहारी भगवान ऐसा दन न लाएराजा हाय मन भी यह या कया जो घर आए सौभा य को ठकरा दया

सानमती वह अव य शक तला को ही याद कर-करक अपन-आपको ध कार रह हराजा मन वश-पर परा को चलान वाली अपनी गभवती प नी का प र याग कर दया

जो समय पर बीज बोई गई भ म क समान भ व य म समहान फल दन वाली थीसानमती अब भी वश-पर परा अटट बनी रहगीचत रका (चपक स तहारी स) इस सठ क व ा त को सन महाराज का ःख गना हो

गया ह इ ह सा वना दन क लए मघ- त छद महल स आय माध को ज दस बला लाओ

तहारी यह ठ क ह (बाहर जाता ह)राजा हाय य त का दया आ प ड पान वाल पतर लोग स दह म पड़ गए ह

उ ह च ता हो गई ह क इस य त क बाद हमार वश म कौन हमारा व दकव ध स तपण करगा इसी लए मझ प हीन ारा दए गए जल स व पहल अपनआस धोत ह और उसस शष बच जल को पीत ह

(म छत हो जाता ह)चत रका (हड़बड़ाहट क साथ दखकर) महाराज धीरज र खए धीरज र खएसानमती हाय-हाय द पक जलता होन पर भी बीच म परदा होन क कारण यह अ धकार-

सा अनभव कर रह ह म अभी इ ह सब कछ बताकर आन दत कए दती परनह यान आया क शक तला को आ ासन दती ई दवमाता अ द त कह रहीथ क lsquoय भाग पान क लए उ सक दवता लोग ही कछ ऐसा उपाय करगजसस त हार प त शी ही आदरपवक त ह हण करrsquo अब यहा दर करना ठ कनह चलकर यह सारा व ा त सनाकर अपनी यारी सखी शक तला को धयबधाऊ (झटक क साथ ऊपर उड़ जाती ह)

(नप य म)हाई ह महाराज हाई ह

राजा (होश म आकर यान स सनकर) अर माध क -सी पकार तीत होती ह यहाकोई ह

( वश करक)तहारी (घबराहट क साथ) महाराज आपक म माध वप म फस गए ह उनक

र ा क जएराजा य उस या आ

तहारी कोई अ य ाणी उ ह पकड़कर ल गया ह और मघ- त छद महल क मडरपर उ ह लटकाए ए ह

राजा (उठकर) अ छा अब मर महल म भी भत- त आन लग या कया जाए

त दन मन य वय ही कहा कतनी भल कर जाता ह इसी का पता नहचलता फर जा म स कौन कस कार का आचरण कर रहा ह यह परीतरह मालम कर पाना तो स भव ही नह

(नप य म)बचाओ म मझ बचाओ

राजा (तज़ी स चलता आ) म डरो मत डरो मत(नप य म)

बचाओ म मझ बचाओ हाय ड कस नह यह न जान कौन मरी गदनमरोड़कर ग क भा त मर तीन टकड़ कए डालता ह

राजा (इधर-उधर दखकर) मरा धनष लाओ(धनष हाथ म लए वश करक)

यवनी वामी यह धनष ह और यह ह त ाण(राजा धनष-बाण ल लता ह)(नप य म)

जस गल का ताज़ा खन पीन क लए चीता पश को मार डालता ह उसी कार मबल बलात ए तझ अभी मार डालता वप त को अभय दन क लएधनष धारण करन वाला य त अब तझ बचा सकता हो तो बचा ल

राजा ( होकर) यह या मझ ही नीचा दखाना चाहता ह ठहर र शवभोजीअभी तझ समा त करता (धनष पर डोरी चढ़ाकर) तहारी सी ढ़य क ओरचलो

तहारी (चार ओर दखकर) यहा तो कोई भी नह ह(नप य म)

हाय-हाय म तो आपको दख रहा और आप मझ नह दख पा रह ब ली कमह म फस चह क तरह अब म तो जीवन क आशा छोड़ बठा

राजा अर त क रणी व ा क अ भमानी मरा अ अब तझ ढढ़ लगा यह म उसबाण को धनष पर चढ़ाता जो वध-यो य तझ तो मार डालगा और र ा-यो य

ा ण क र ा करगा ठ क वस ही जस हस ध को पी लता ह और उसममल जल को छोड़ दता ह

(धनष पर बाण चढ़ाता ह)( व षक को छोड़कर मात ल वश करता ह)

मात ल महाराज इ न रा स को मारन क लए आपको बलाया ह अब चलकर उनपर ही इस धनष का योग क जए म पर तो स प ष क स ता स भरीसौ य ही पड़ा करती ह भयकर बाण नह

राजा (हड़बड़ाकर बाण को धनष स उतारता आ) अर या मात ल ह इ कसार थ आपका वागत ह

( वश करक)व षक जसन मझ य क पश क भा त मारन का य न कया उसी का यह वागत

करक अ भन दन कर रह हमात ल (म करात ए) महाराज अब स नए क इ न मझ आपक पास कस लए भजा

हराजा हा वह तो सनाइए

मात ल कालन म क वश म जय नाम क दानव का समह उ प आ हराजा हा ह मन भी एक बार नारदजी स सना था

मात ल आपक म इ उस जीत नह पा रह इस लए उ ह य म मारन क लए इन आपको याद कया ह रा क जस अ धकार को सय हटान म असमथ रहताह उस च मा र कर दता ह इस समय आपन श तो धारण कए ही ए हतो बस अभी इस इ क रथ पर चढ़कर वजय क लए थान क जए

राजा इ न आदर दान करक मझ पर अन ह कया ह पर त आपन माध कसाथ ऐसा वहार य कया

मात ल वह भी बताए दता मन दखा क आप कसी कारणवश मान सक स ताप सवकल ह इस लए आपको ोध दलान क लए ऐसा कया य क धन कोहला दन पर आग तज़ी स जलन लगती ह छड़ा जान पर नाग फन उठा लता हायः का असली तज भी तभी कट होता ह जब कोई उस उ जत कर

दराजा (माध स चपक स) म इ क आ ा माननी होगी इस लए तम यह सब

बात बतलाकर मरी ओर स अमा य आय पशन स कह दना क जब तक हमारायह धनष सर काम म लगा ह तब तक कवल उनक ब ही जा का पालनकरती रह

व षक जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)मात ल च लए आय मान रथ पर च ढ़ए

(रथ पर चढ़न का अ भनय करता ह)(सब बाहर नकल जात ह)

स तम अक

(आकाश म दौड़त ए रथ पर चढ़ राजा य त और मात ल कावश)

राजा मात ल यह ठ क ह क मन इ का काय परा कर दया फर भी उ ह न जसामरा स कार कया उसक तलना म मरा काय कछ भी नह था

मात ल (म कराकर) आय मान मझ तो ऐसा लगता ह क आप दोन को ही अपन-आपस अस तोष रहा आप इ क स कार क तलना म अपन कए ए उपकारको कम समझत ह और इ आपक परा म स च कत होकर अपन स कार कोत छ समझ रह ह

राजा मात ल यह बात नह वदाई क समय उ ह न मरा जसा स कार कया वह तोक पना स भी पर क व त ह उ ह न मझ सब दवता क स मख आधसहासन पर बठाया उ ह न अपन गल म ह रच दन लगी म दार क एक मालापहनी ई थी जसक ओर जय त बड़ी ललचाई स दख रहा था वह मालाउ ह न उस न द और म करात ए मर गल म पहना द

मात ल ऐसी या व त ह जो दवराज इ आपको न द सक य क द खए इ तोसदा सख म म न रहन वाल ह उनक लए कवल दो न ही वग को दानव सन कटक कया ह एक तो आपक ती ण बाण न और एक बार पहल न सहभगवान क पन नाखन न

राजा यह सब भी इ का ही ताप ह य क अनयायी लोग जो बड़-बड़ काम कोभी परा कर डालत ह वह वा मय क गौरव क कारण ही होता ह य द सहकरण वाल सय न अ ण को अपना सार थ न बनाया होता तो या वह कभीअ धकार का नाश कर सकता था

मात ल आपको यह वनय ही शोभा दती ह (कछ र जाकर) उधर द खए आपकयशोगाथा वग म कसी फल रही ह अ सरा क शगार स जो रग शष रह गएह उनस दवता लोग क पव स ा त ए व पर आपक च र को स दर गीतबनाकर लख रह ह

राजा मात ल उस दन वग क ओर जात ए म रा स स य क लए अधीर थाइस लए वग क माग को भली-भा त न दख सका था इस समय हम कौन-स

वायपथ म चल रह हमात ल यह lsquoप रवहrsquo वाय का माग कहलाता ह इसी माग म आकाश गगा बहती ह और

यह स न क करण वभ होकर सब ओर फलती ह और व ण भगवानन वामनावतार क समय अपना सरा चरण इसी म रखकर इस प व कया था

राजा मात ल इसी स यहा मरा मन अ दर-बाहर सब ओर स स हो उठा ह (रथ कप हय को दखकर) अब हम वाय क उस माग म उतर आए ह जसम मघ चलाकरत ह

मात ल यह आपन कस जानाराजा य क यहा आपका रथ सजल बादल क ऊपर चल रहा ह इसी लए रथ क

धरी जल ब स सील गई ह प हय क अर क बीच म स नकल- नकलकरचातक जहा-तहा उड़ रह ह और रथ क घोड़ रह-रहकर बजली क चमक स रग-स उठत ह

मात ल बस अब कछ ही दर म आप अपन रा य क भ म पर ह गराजा (नीच क ओर दखकर) तज़ी स उतरन क कारण भलोक ब त ही आ यजनक

दखाई पड़ता ह वह उधर प वी पवत क ऊपर उठत ए शखर स नीच कओर उतरती ई-सी द ख रही ह जो व पहल प म छप ए थ अब धीर-धीर उनक शाखाए भी अलग-अलग दखाई पड़न लगी ह र स लक र-सीपतली दखाई पड़न वाली न दया अब खब बड़ी और चौड़ी द खन लगी ह ऐसा

तीत होता ह जस प वी को कसी न नीच स ऊपर क ओर उछाल दया ह औरयह तज़ी स मर पास चली आ रही ह

मात ल आपन ब कल ठ क दखा (आदर क साथ दखत ऐ) अहा प वी कवशालता और स दरता क या कहन

राजा मात ल यह पव सम स लकर प म सम तक फला आ और स या-कालक मघमाला क समान वशाल पवत कौन-सा ह जस पर सनहली धाराए बहरही ह

मात ल आय मान यह हमकट पवत ह यहा क र लोग रहत ह और यहा तप क सशी होती ह वयभ मरी च क प दवता और असर क पता जाप तक यप प नी-समत यह तप या कर रह ह

राजा ऐस सअवसर को तो छोड़ना उ चत नह महा मा क यप क दशन करक हीआग चलग

मात ल आपका वचार उ म ह(उतरन का अ भनय करत ह)

राजा (च कत होकर) आपका रथ कब भ म पर उतरा इसका तो पता ही न चला न तोयह पता चला क आपन कब रास ख च न प हय और धरी म कछ घरघराहट

ई और न कछ धल ही उड़ी पता ही न चला क इसन भतल को पश कब

कयामात ल इ क और आपक रथ म कवल इतना ही तो अ तर ह

राजा मात ल महा मा क यप का आ म कस ओर हमात ल (हाथ स सकत करत ए) वह आ म उस ओर ह जहा वह महा मा क यप पड़

क ठठ क समान थर रहकर सय क ओर लगाए तप कर रह ह उनकशरीर का आधा भाग द मक क बा बय स ढक गया ह उनक छाती पर सापक कच लया पड़ी ई ह उनक गल को परानी बल न फलकर खब ज़ोर सजकड़ लया और उनक जटाए क ध तक फली ई ह जनम च ड़य नघ सल बना लए ह

राजा ऐसा कठोर तप करन वाल महा मा को णाममात ल (रास ख चकर रथ को धीमा करता ह) महाराज यह ली जए हम जाप त

क यप क आ म म आ प च यहा क म दार व को वय दवमाता अ द त नस च-स चकर बड़ा कया ह

राजा यह थान तो वग स भी अ धक आन ददायक ह मझ ऐसा लगता ह क मअमत क सरोवर म नहा रहा होऊ

मात ल (रथ रोककर) आय मान उत रएराजा (उतरकर) और आप

मात ल मन रथ को रोक लया ह म भी उतरता (उतरकर) इधर आइए आय मान(कछ र चलकर) महा मा-ऋ षय क इस तपोभ म क दशन क जए

राजा इस दखकर तो बड़ा आ य होता ह यहा ऋ ष लोग क प-व क वन मबठकर ाणायाम करत ह और सनहल कमल क पराग स सवा सत जल मप य नान करत ह र न क शला पर बठकर समा ध लगात ह औरअ सरा क नकट रहकर अपन मन को वश म रखत ह अ य म न अपनीतप या क ारा जो कछ ा त करना चाहत ह वह सब ा त करक उन दशाम रहत ए भी य म न तप या करत ह

मात ल बड़ क इ छाए बड़ी होती ह (कछ र चलकर और आकाश क ओर दखकर)अर व शाक यजी इस समय महा मा क यप या कर रह ह या कहा द -प ी अ द त न पा त य धम क वषय म कछ कया था उसी क वषय मऋ ष-प नय -समत अ द त को उपदश द रह ह

राजा ( यान स सनकर) तब तो कछ दर ती ा करनी पड़गीमात ल (राजा क ओर दखकर) आप इस अशोक व क तल व ाम क जए तब तक

म अ दर जाकर महा मा क यप को आपक आगमन क सचना दन का अवसरदखता

राजा जो आप उ चत समझ क जए (बठ जाता ह)मात ल आय मान तो म जाता (बाहर नकल जाता ह)

राजा (शभ शकन क सचना दत ए) ह द ण बा तम थ य फड़कत हो यहाकोई अ भलाषा परी होन क आशा नह ह एक बार क याण को ठकरा दन परबाद म ःख ही भगतना पड़ता ह

(नप य म)शरारत मत कर फर त अपन वभाव पर उतर आया न

राजा ( यान स सनकर) यह थान तो कसी कार क शरारत करन का थान नह हफर यह कसक रोकथाम हो रही ह ( जस ओर स श द आया था उस ओरदखकर) अर यह परा मी बालक कौन ह जसक पीछ-पीछ दो तप व नयाबड़ी क ठनाई स आ रही ह और यह बालक सहनी क ब च को मा का ध नपीन दकर गदन क बाल पकड़कर अपन साथ खलन क लए बलपवक ख च रहाह

(दो तप व नय क साथ ऊपर क अनसार बालक का वश)बालक मह खोल र सह तर दात गनगा

पहली तप वनी हमारी अपनी ही स तान जस य पश को य सताता हओह तरा तो साहस दन - दन बढ़ता ही जाता ह ऋ षय न तरा नामसवदमन ठ क ही रखा ह

राजा इस बालक को दखकर मर मन म ऐसा नह य उमड़ रहा ह जस यहमरा अपना ही प हो शायद न स तान होन क कारण ही ब च स मझऐसा यार ह

सरी तप वनी य द त इसक ब च को न छोड़गा तो यह शरनी तझ पर टट पड़गीबालक (म कराकर) अहा बड़ा डरता न म इसस ( सहनी क ओर मह

बचकाता ह)राजा मझ लगता ह क यह बालक बड़ा होकर महा तापी बनगा अभी

यह उस चनगारी क समान ह जो धन मलन पर धधककर च ड आगबन जाती ह

पहली तप वनी बटा इस शर क ब च को छोड़ द तझ सरा खलौना गीबालक कहा ह ला द (हाथ फलाता ह)

राजा यह या इसक हाथ म तो च वत क ल ण भी ह अभी खलौन कलालच स पसारा आ यह हाथ जाल क समान गथी ई उग लय स ऐसास दर लग रहा ह जस कोई खला आ अकला कमल हो जसक लालीउषा क कारण चौगनी हो उठ हो और जसक पख रया अलग-अलगदखाई न पड़ रही ह

सरी तप वनी स ता वह कवल बात स मानन वाला नह त जा मरी क टया मऋ षकमार माक डय का बनाया आ रगीन म का मोर रखा ह इसकलए उस ल आ

पहली तप वनी अ छा (बाहर जाती ह)बालक तब तक म इसस ही खलगा (तप वनी क ओर दखकर हसता ह)

राजा यह नटखट बालक मझ ब त यारा लग रहा ह व लोग ध य ह जनकगोद प क शरीर क धल स म लन ई रहती ह व बालक जब अकारणहसत ए क लय क समान अपन दात क ह क -सी झलक दखात हअपनी तोतली बोली म मीठ -मीठ बात करत ह और बार बार गोद मचढ़ना चाहत ह तो व कतन यार लगत ह

तप वनी अ छा मरी तो बात ही नह सनता (इधर-उधर दखती ह) कोई ऋ षकमारयहा ह (राजा को दखकर) भ आप ही यहा आइए यह बालक खल हीखल म इस सह क ब च को ब त ज़ोर स दबाकर घ ट द रहा ह ज़राइसको छड़ा द जए

राजा (पास आकर म करात ए) य ऋ षकमार तम अपन वाभा वक सयम कोयागकर ऐसा आ म- वरोधी आचरण य कर रह हो जसस इन सख स रहन

वाल ा णय को क होता ह यह ऐसा ही ह जस च दन क व पर काल नागका ब चा लपटा आ हो

तप वनी भ यह ऋ षकमार नह हराजा यह तो इसक आक त और च ाए ही कह रही ह पर त तपोवन म दखकर

मन इस ऋ षकमार समझा (बालक स सह- शश को छड़ात ए बालक कापश करक मन ही मन) यह न जान कसक वश का द प ह जब इसपश करक मझ इतना आन द हो रहा ह तो जसका यह अपना प ह उस

तो न जान कसा सख मलता होगातप वनी (दोन को दखकर) कतनी व च बात हराजा य या आ

तप वनी इस बालक स त हारी आक त इतनी अ धक मलती ह क मझ दखकर आ यहो रहा ह अप र चत होत ए भी इसन त हारा कहना भी मान लया

राजा (बालक को यार करता आ) य द यह ऋ षकमार नह ह तो यह कस वश काह

तप वनी प वश काराजा (मन ही मन म) यह या यह मर ही वश का ह इस बात को मरी और इसक

मलती-जलती आक त बता रही ह पर त प व शय क तो कल-पर परा यहीचली आई ह क पहल व प वी क र ा क लए आन द क साथ वलास भरमहल म रहत ह और व ाव था म अपनी प नी को साथ लकर वन म नवासकरन लगत ह ( कट प म) पर त अपनी श स तो कोई मन य इस थानपर आ नह सकता

तप वनी आप ठ क कहत ह इस ब च क मा अ सरा क क या थी उसन इस यह

महा मा क यप क आ म म ही ज म दया हराजा (मह फरकर) यह एक और आशा बधी ( कट प स) वह कस राज ष क

प नी हतप वनी अपनी धमप नी को याग दन वाल उस राजा का नाम भी लना बरा हराजा (मन ही मन) यह सारी कथा तो मझ पर ही घटती ह अ छा य द इसक मा का

नाम पछ पर नह परायी ी क बार म पछताछ करना ठ क नह ( म का मोर हाथ म लए वश करक)

तप वनी सवदमन शक त लाव य को तो दखबालक (इधर-उधर दखकर) कहा ह मरी मा

दोन तप व नया मा स इस बड़ा यार ह तभी नाम मलता-जलता होन स धोखा खागया

सरी तप वनी बटा इस म क मोर क लाव य को दख मन यह कहा थाराजा (मन ही मन) अ छा तो या इसक मा का नाम शक तला ह पर ससार म

एक नाम क लोग कई होत ह मरी चका क भा त यह नाम भी कह कवलमर ःख को ही न बढ़ाए

बालक मा यह मोर तो बड़ा अ छा ह (कहकर खलौना ल लता ह)पहली तप वनी (घबराहट क साथ दखकर) अर यह या इसक कलाई म र ाकवच

बधा आ था वह द ख नह रहाराजा घबराइए नह यह र ाकवच सह क ब च स ख चातानी करत समय

इसक हाथ स यहा गर पड़ा ह (कहकर उठाकर दना चाहता ह)दोन तप व नया इस छना नह यह या इ ह न तो उठा ही लया (दोन आ य स

छाती पर हाथ रख एक- सर को दखती ह)राजा आपन मझ रोका कस लए था

पहली तप वनी स नए महाराज यह अपरा जता नाम क बट महा मा क यप न इसकजातकम-स कार क समय इसक हाथ म बाधी थी य द यह बट भ म परगर पड़ तो इस इसक माता- पता और वय इसक सवाय और कोई नहउठा सकता

राजा अगर उठा ल तोपहली तप वनी तो यह बट साप बनकर उस डस लती ह

राजा आपन कभी इस तरह इस बट को साप बनकर डसत दखा हदोन तप व नया कई बार

राजा ( स ता क साथ मन ही मन) अब तो मरी कामना परी हो गई अबय स न होऊ (ब च को छाती स लगा लता ह)

सरी तप वनी स ता आओ चल चलकर यह व ा त तप वनी शक तला कोसनाए

(दोन बाहर जाती ह)बालक मझ छोड़ो म मा क पास जाऊगाराजा बटा अब मर साथ ही मा क पास चलना

बालक मर पता तो य त ह तम थोड़ ही होराजा (म कराकर) इसका यह ववाद ही मर व ास को प का कर रहा ह

(एक वणी कए शक तला का वश)शक तला यह तो मन सना क सवदमन क र ाकवच क बट कसी अ य क ारा उठाए

जान पर भी सप न बनी फर भी मझ अपन सौभा य क आशा नह बधती याफर स भव ह जो कछ सानमती न सनाया था उसक अनसार यह स य ही हो

राजा (शक तला को दखकर) अर यह तो शक तला ह यह बचारी मल कपड़ पहनए ह नयम-पालन करत रहन स इसका मह सख-सा गया ह एक ही वणी लए

यह सदाचा रणी मझ न र क वयोग म ल ब वरह त का पालन कर रही हशक तला (प ा ाप क कारण बल और ववण राजा को दखकर) य तो व नह ह फर

कौन ह जो मर र ाकवच पहन प को अपनी गोद म लकर अप व कर रहाह

बालक (मा क पास जाकर) मा य न जान कौन मझ lsquoबटाrsquo कहकर अपनी छाती सलगा रह ह

राजा य त हार साथ मन जो रता क थी उसका इतना तो अ छा ही प रणामआ क अब तम मझ पहचान भी नह पा रही हो

शक तला (मन ही मन) दय धय धरो भा य न ोध छोड़कर आज तझ पर दया क हय वही ह

राजा य आज सौभा य का दन ह क मरी म त पर स अ धकार का परदा हटचका ह और तम आज मर स मख उसी कार खड़ी ई हो जस च हण कप ात रो हणी च मा क पास आ प च

शक तला आयप क जय हो (बोलत-बोलत गला भर आन स बीच म ही क जातीह)

राजा स दरी भल ही गला भर आन क कारण त हारा जयकार अधरा रह गया फरभी मरी वजय तो होती ही गई य क मन आज पाटल क समान सहज अ णअधर वाल त हार मख का जो दशन कर लया

बालक मा यह कौन हशक तला बटा अपन भा य स पछ

राजा (शक तला क पर पर गरकर) स दरी तम अपन दय स प र याग क कारणए ोभ को नकाल दो उस समय न जान मर मन पर कसा अ धकार-सा छा

गया था मन म तमोव बढ़ जान पर शभ व त क त लोग ऐसा ही करबठत ह जस अ ध क सर पर फलमाला रखन पर वह उस साप समझकर र

फक दता हशक तला आप उ ठए उ ठए पछल ज म म मन कोई ऐसा पाप कया था जसका फल

मझ उ ह दन मलना था इसी स दयाल होत ए भी आप उस समय मर तइतन वर हो गए थ

(राजा उठकर खड़ा हो जाता ह)शक तला फर आपको मझ खया क याद कस आई

राजा मन स ःख का काटा तो नकाल ल तब क गा स दरी त हार ह ठ पर आ-आकर गरन वाल जन अ - ब क मन उस दन उप ा कर द थी व आजभी त हारी इन तरछ पलक म अटक ए ह पहल उ ह प छ ल तो मझ कछशा त मल

(शक तला क आस प छता ह)शक तला (नामवाली अगठ क ओर दखकर) आपक वह अगठ तो यह रही

राजा इस अगठ क मलन स ही तो मझ त हारी याद आईशक तला इसन बरा तो यह कया क जब म आपको व ास दलाना चाहती थी उस

समय यह मली ही नह राजा तो अब वस त स मलन क मरण- च क प म लता इस फल को फर धारण

कर लशक तला अब मझ इसका भरोसा नह रहा आप ही पहन रह

(मात ल का वश)मात ल आपको धमप नी स मलन तथा प क मखदशन क बधाई हो

राजा मर मनोरथ अ य त मधर प म पर ए ह मात ल स भवतः इ को यहव ा त मालम न हो

मात ल (म कराकर) भ लोग स कछ भी अगोचर नह ह आइए महा मा क यपआपको दशन दना चाहत ह

राजा शक तला प को सभाल लो त हार साथ ही चलकर उनक दशन क गाशक तला मझ तो आपक साथ ग जी क नकट जात ल जा आती ह

राजा पर त शभ अवसर पर तो साथ जाना ही होता ह आओ चल(सब चलत ह)

(अ द त क साथ आसन पर बठ ए क यप का वश)क यप (राजा को दखकर) अ द त यह प वी क वामी य त ह जो य म त हार प

इ स भी आग रहत ह इनक धनष क कारण व का काय समा त हो गया हऔर अब वह नक मा होकर इ का आभषण मा रह गया ह

अ द त इनका परा म तो इनक आक त स ही झलक रहा हमात ल आय मान य दवता क माता- पता आपको प वत म-भरी स दख रह ह

च लए इनक पास चल

राजा मात ल या य ही ा क एक पीढ़ उपरा त द और मरी च स उ प ए ी-प ष ह ज ह ऋ ष लोग बारह सय क माता- पता बतात ह या इ ह न ही तीनलोक क वामी और य भाग क अ धकारी इ को ज म दया ह और ससार काक याण करन वाल वयभ ा न भी या इ ह क गोद म ज म लया ह

मात ल जी हाराजा (पास जाकर) म इ का आ ाकारी य त आप दोन को णाम करता

क यप बटा चराय हो प वी का पालन करोअ द त श पर वजय ा त करो

शक तला प -समत म शक तला आपक चरण म नम कार करती क यप बट इ क समान त हारा प त ह जय त क समान त हारा प ह त ह इसक

सवाय और या आशीवाद क तम भी इ क प नी शची क समान होओअ द त बट त ह अपन प त का आदर ा त हो त हारा प द घाय और दोन कल क

शोभा बढ़ान वाला हो आओ बठो(सब जाप त क यप क चार ओर बठ जात ह)

क यप (एक-एक क ओर सकत करत ए) यह सौभा य क बात ह क यह शक तलाप त ता ह यह सवदमन स प ह और आप तो वय आप ही ह ऐसा लगताह जस ा धन और धम तीन एक हो गए ह

राजा भगवन पहल इ स ई उसक बाद आपक दशन कए आपक यह कपाअद भत ह य क ससार म पहल फल खलता ह और फर फल लगता हपहल बादल उठत ह फर जल बरसता ह व का नयम यही ह क पहलकारण होता ह फर काय पर त यहा आपक कपा होन स पहल ही स प आप ची

मात ल वधाता क कपा ऐसी ही होती हराजा भगवन मझ यह बात ब त व च लगती ह क मन पहल आपक इस

आ ाका रणी शक तला स गा धव ववाह कया था फर कछ समय प ात जबइनक इ ब ध इ ह लकर आए तब म त-दोष क कारण मन इनका प र यागकर दया और आपक सगो महा मा क व क त अपराध कया पर त बाद मअगठ को दखकर मझ याद आया क मन महा मा क व क क या स सचमचववाह कया था यह तो ऐसा ही आ जस हाथी सामन स जा रहा हो तो उसदखकर मन म यह स दह बना रह क यह हाथी ह या नह और बाद म उसकगज़र जान पर उसक पद च को दखकर यह न य हो क यह हाथी ही था मरमन क कछ ऐसी ही दशा ई

क यप बटा यह मत समझो क तमन अपराध कया ह त हारा भल जाना ठ क हीथा य वह भी सनो

राजा क हए म सन रहा

क यप य ही रोती- बलखती शक तला को अ सरा तीथ स लकर मनका अ द त कपास आई य ही मन यान स जान लया क तमन अपनी इस बचारी धमप नीको वासा क शाप क कारण यागा ह अ य कसी कारण नह और उस शापक समा त अगठ क दखन पर ही होगी

राजा (गहरी सास छोड़कर) चलो कलक स तो छटकारा आशक तला (मन ही मन) यह सौभा य क बात ह क इ ह न मरा प र याग अकारण नह

कया था पर मझ यान नह आता क मझ कभी शाप मला हो या स भव हक जब शाप मला उस समय वरह स अनमनी होन क कारण म उस जान नसक होऊ इसी लए स खय न मझ कहा था क वामी को अगठ दखा दना

क यप बट अब त ह सही बात मालम हो गई इस लए अब इनक त ोध न करनादखो शाप क कारण इनक म त न हो गई थी इस लए इ ह न खपन कसाथ त ह याग दया था पर त अब इनका वह अ ान न हो गया ह और अबइन पर त हारा ही भ व रहगा दपण क ऊपर य द मल जमी हो तो उसम

त ब ब दखाई नह पड़ता पर त उसक व छ हो जान पर त ब ब द खनलगता ह

राजा आपन ब कल ठ क कहाक यप बटा तमन अपन इस शक तला क बट का भी अ भन दन कया या नह इसका

व धपवक जातकम-स कार हमन ही कया हराजा भगवन इसी स तो मरा वश चलगा (बालक का हाथ पकड़ता ह)

क यप यह तम न य जान लो क यह च वत राजा बनगा यहा पर सब ा णय काबलपवक दमन करन क कारण इसका नाम सवदमन ह पर त बाद म अपन

नवार रथ पर चढ़कर सम को पार करक यह स त पा वस धरा को जीतलगा कोई श इसक सामन टक न सकगा तब ससार का भरण-पोषण करनक कारण इसका नाम lsquoभरतrsquo स होगा

राजा जब आपन इसका स कार कया ह तो इस सबक तो हम आशा ही हअ द त भगवन महा मा क व को भी यह सवाद भजवा द जए क उनक क या का

मनोरथ पण हो गया प ी स म करन वाली मनका तो आजकल आपक सवा मयह पर ह

शक तला (मन ही मन) इ ह न ठ क मर मन क बात कह द क यप तप क भाव स महा मा क व को सब कछ मालम हराजा स भवतः इसी स व मर ऊपर ब त नह ह

क यप फर भी हम उनस यह पछना ही चा हए क आपको यह शभ स वाद मालमआ या नह अर कोई यहा ह

( वश करक)श य भगवन म आ ा क जए

क यप गालव अभी आकाश-माग स जाकर मरी ओर स महा मा क व को यह शभस वाद दो क शाप समा त हो जान पर म त लौट आन स य त न प वतीशक तला को हण कर लया ह

श य जो आपक आ ा (बाहर जाता ह)क यप बटा तम भी अपन म इ क रथ पर चढ़कर प -प नी समत अपनी राजधानी

क ओर थान करोराजा जो आपक आ ा

क यप और दखो इ त हार रा य म यथ वषा करता रह और तम य क ारा इका स कार करत रहो इस कार तम दोन सकड़ गण क ऊपर रा य करत एएक- सर क हतकारी काय ारा दोन लोक क क याण म त पर रहो

राजा भगवन यथाश क याण का ही य न क गाक यप बटा और त हारा या य काय इस समय क

राजा इसस अ धक और य या हो सकता ह फर भी य द आप कपा करना चाहतह तो ऐसा क जए क (भरत वा य) राजा लोग जा क हत म लग रह सबजगह वद और क वय क वाणी का आदर हो और पावती समत वयभ शव मझभी ज म-मरण ब धन स म दान कर

(सब बाहर नकल जात ह)

  • आधा शीरषक पषठ
  • शीरषक पषठ
  • कॉपीराईट पज
  • भमिका
  • कछ परिभाषाए
  • lsquoशाकनतलrsquo क पातर
  • परथम अक
  • दवितीय अक
  • ततीय अक
  • चतरथ अक
  • पचम अक
  • षषटम अक
  • सपतम अक