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िहं दी ेमािसक रीनाम हलचल अैल २०१६ भारतीय सांèक ितक कɅ पारामािरबो (अंक १० ) िकèसा मेरा - पायल गंगाराम-पांडे Úयान से नो सब, यह है मेरा िकèसा. “पानी”! नाम तो ना होगा. मɇ िमलता हर जगह, मेरे िबना जीवन सब अध रा. झरने , सम , सागर और निदयɉ मɅ िमलता मɇ . मेरी आवæयकता सबको है . मेरे िबना , पौधे , िखलते नहीं. एक बार जाऊं तो िफर िमलता नहीं. बादलɉ से गरज कर ज़मीन पर िगरता . लेिकन सब को नसीब नहीं . यह बह की बात है िमɇ सब को नसीब नहीं और िजनके नसीब मɅ मɇ , उनको मेरी अहिमयत की खबर नहीं . कहीं åयथ बहता . जानते नहीं ििकतने लोग मेरे िलए तरस कर मर जाते हɇ . झको संभाल कर रखना मानव दोèतɉ. िबना पानी के कै से िजयोगे सोचो तो? लसी मारे आस-पास पाए जाने वाले पौधɉ मɅ सबसे उपयोगी एवं णकारी पौधा है , लसी. एक से तीन ऊँचा यह पौधा अपने णɉ के कारण सबसे उÍच माना जाता है . इसके सात से आठ कार होते हɇ िजनमɅ Įी çणा लसी िजसकी पि×तयाँ बɇगनी रंग की होती हɇ और सरी जाित है Įी लसी िजसकी पि×तयाँ हरी होती हɇ , Įेçठ मानी जाती हɇ . लसी का मह×व हमारे वेद, राण एवं आय वȶद मɅ भी विणत है . घरɉ मɅ लसी का होना , पिव एवं लाभदायक माना जाता रहा है . भारतीय संèक िमɅ लसी जन का एक अलग ही मह×व है यɉिक लसी को माता के Ǿप मɅ देखा जाता रहा है जो पोषण करती है . धािमक माÛयताओं के साथ-साथ लसी के अनेक औषधीय है जैसे ितिदन से लसी के पि×तयɉ को पीस कर उनका सेवन करने से शरीर की रोगितरोधक मता (इàय िनटी पॉवर) बढ़ती है . सद, खाँसी, काम जैसी सामाÛय समèयाओं को लसी के प×तɉ का ितिदन सेवन करने से ; जैसे उसकी चाय या काढ़ा बनाकर पीने से जड़ से िमटा सकते हɇ . æवास और सांस सàबंिधत समèयाओं मɅ और मानिसक तनाव को कम करने के िलए भी लसी एक मह×वप औषिध है . डॉटर िदनेश शमा योगग ǽ आई.सी.सी िपहे ली: समाÜत, पढ़ाई Ǿ !

िहंदी त्रेमािसक सूरीनाम हलचल अप्रैल · िमलता हूँम g. मेरी आवयकता सबको है

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  • िहदंी त्रमेािसक सरूीनाम हलचल अप्रैल २०१६ भारतीय सां कृितक कद्र पारामािरबो (अंक १० )

    िक सा मेरा - पायल गगंाराम-पांड े

    यान से सनुो सब, यह है मेरा िक सा. “पानी”! नाम तो सनुा होगा. म िमलता हँू हर जगह, मेरे िबना जीवन सब अधूरा. झरने, समदु्र, सागर और निदय म िमलता हँू म. मेरी आव यकता सबको है. मेरे िबना फूल, पौधे, िखलते नहीं. एक बार सखू

    जाऊं तो िफर िमलता नहीं. बादल से गरज कर ज़मीन पर िगरता हँू.

    लेिकन सब को नसीब नहीं हँू. यह बहुत दःुख की बात है िक म सब को नसीब नहीं हँू और िजनके नसीब म म हँू, उनको मेरी अहिमयत की खबर नहीं. कहीं यथर् बहता हँू. जानते नहीं िक िकतने लोग मेरे िलए

    तरस कर मर जाते ह. मझुको सभंाल कर रखना मानव दो त . िबना पानी के कैसे िजयोगे सोचो तो?

    तुलसी ह मारे आस-पास पाए जाने वाले पौध म सबसे उपयोगी एवं गणुकारी पौधा है, तुलसी. एक से तीन फुट ऊँचा यह पौधा अपने गणु के कारण सबसे उ च माना जाता है. इसके सात से आठ प्रकार होते ह िजनम ी कृ णा तुलसी िजसकी पि तयाँ कुछ बगनी रंग की होती ह और दसूरी प्रजाित है ी तुलसी िजसकी पि तयाँ हरी होती ह, े ठ मानी जाती ह. तुलसी का मह व हमारे वेद, पुराण एवं आयुवद म भी विणर्त है. घर म तलुसी का होना शुभ, पिवत्र एवं लाभदायक माना जाता रहा है. भारतीय सं कृित म तुलसी पूजन का एक अलग ही मह व है क्य िक तुलसी को माता के प म देखा जाता रहा है जो पोषण करती है. धािमर्क मा यताओं के साथ-साथ तुलसी के अनेक औषधीय गुण है जसेै प्रितिदन ४ से ६ तुलसी के पि तय को पीस कर उनका सेवन करने से शरीर की रोगप्रितरोधक क्षमता (इ यिुनटी पॉवर) बढ़ती है. सदीर्, खाँसी, जकुाम जसैी सामा य सम याओं को तुलसी के प त का प्रितिदन सेवन करने से; जसेै उसकी चाय या काढ़ा बनाकर पीने से जड़ से िमटा सकते ह. वास और सांस स बंिधत सम याओं म और मानिसक तनाव को कम करने के िलए भी तुलसी एक मह वपूणर् औषिध है. डॉक्टर िदनेश शमार् योगगु आई.सी.सी

    िचत्र पहेली: छुट्टी समात, पढ़ाई शु !

  • नीित कथा -लछमन िवशाल

    एक िदन हमारे शरीर के िजतने अगं ह, एक दसूरे से लड़ने लगे सब से मह वपूणर् कौन है. प्राण मौन हो कर सनु रहा था आपस म सभी ने िन चय कर िलया िक सारे अगं एक एक कर के एक स ताह िलए छुट्टी पर जाएँगे. पहले आँख छुट्टी पर गयी. वापस आयी तो देखा िक शरीर उसी तरह था िसफर् देख नहीं सकता. ऐसे एक-एक कर के सारे अंग छुट्टी पर गए और सभी ने देखा िक शरीर िशिथल हो गया था ऊजार् कम हो गयी थी. अतं म प्राण की बारी आई उसने कहा: “अ छा भाई, अब म छुट्टी पर जाता हँू” .जब प्राण िनकल रहे थे तो सब अगं रो कर कहने लगे: “नहीं प्राण !तुम मत जाओ, तुम चले गए तो हम सब अधूरे ह.” सीख: कभी िकसी को छोटा मत समझो सब अपने अपने थान पर मह वपणूर् ह. न कोई बड़ा है न कोई

    हम तोहके का बोली सू रीनाम के मधूर् य किव एवं महान नाटककार वगीर्य ी अमर िसहं रमण जी की पुत्री ीमती लिलता प्रितमा रमण जी के साथ साक्षा कार.   ीमान आम; आज अगर ी अमरिसहं जी हमारे बीच होते तो िकतने वषर् के होते? लिलता; उनका ज म २३ जनवरी १९३२ म हुआ था. अगर हमारे बीच होते तो ८४ वषर् के होते.   ीमान आम: वे सं कृित से बहुत गहरे जड़ु ेहुए थे. पर वह पेशे से क्या थे? लिलता; वे पेशे से दरजी थे.   ीमान आम; इस पेश ेम उनकी क्या ख़ािसयत थी? लिलता; वे िसफर् िह दु तानी सं कृित से जड़ु ेकपड़ ेिसलते थे.जसेै अपने िखलाए नाटक के कलाकार की पोशाक।   ीमान आम; लिलता जी आप के िपताजी वभाव के कैसे यिक्त थे? लिलता; मेरे िपताजी वभाव से बहुत ज़मीनी इंसान थे. उ ह ने अपने जीवन म िसफर् देना/बांटना सीखा था.   ीमान आम; उनके जीवन म िहदंी का क्या थान था? लिलता; वे िह दु तानी सं कृित के िलए ही िजये थे. िहदंी और िह दु तानी सं कृित का प्रचार और प्रसार उनका सबसे बड़ा ल य था. िन वाथर् भाव से इसी काम म लगे हुए थे.   ीमान आम; आप उनकी का य साधना (िहदंी की यात्रा) पर कुछ प्रकाश डािलए. लिलता; मेरे िपताजी ने समय िनकाल कर किवता कभी नहीं िलखी. जसेै-जसेै मन म पे्ररणा जागती थी तैसे-तैसे कागज़ पर उतारते चले जाते थे. घर के चार ओर कागज़ और कलम िमलते रहते थे. किठन समय (बीमारी के अव था) म भी उ ह ने अपनी किवताएँ मझुसे िलखवाई ह.   ीमान आम: उ ह अपनी िलखी हुई सबसे यारी किवता कौन सी लगती थी? लिलता; बहुत किवताएँ ह. पर उ ह सवर्िप्रय थी ‘िहदंी से िह दु तानी’.   ीमान आम; उनके प्रित द्धांजिल अपर्ण करने का एक साधन होता िक उनके वारा िलखी किवताओं को एक पु तक का प िदया जाए. इस िवषय म आप की प्रितिक्रया क्या है? लिलता; यह मेरी भी हािदर्क इ छा है. आजीवन िनशु क भारतीय सं कृित पर उ ह ने अपना प्राण तक योछावर कर िदया. अगर इस िवषय म भारतीय राजदतूावास और भारतीय सां कृितक कद्र कुछ मदद कर, तो सराहनीय होगा. ध यवाद।

    अकं 10                                                                                                                                                                     पृ ठ २ 

    िचत्र म ५ िहदंी के श द खोजो

  • दिक्षण अफ्रीका म मेज पहाड़ (टेबल माउंटेन) - सं या भग्ग ू

    म अपने पिरवार के साथ दिक्षण अफ्रीका के प्रिस टेबल माउंटेन देखने गई. यह पवर्त ५२० िमिलयन साल पहले वालामखुी और िहमनद के बल से बना है यह पहाड़ समदु्र तर से ३०२ मीटर ऊपर है. पहाड़ की चोटी पर जाने के िलए केबल कार एक घंटे म ८०० याित्रय को ले जाती है. िजस का रा ता आिधकािरक तौर पर १९२९ म खोला गया था. १९९७ म, केबल कार को बड़ ेपैमाने पर उ नत बनाया गया था, और नई कार म ६५ यिक्तय को ले जाने की सिुवधा हो गई. चढ़ाई और उतार के दौरान केबल कार ३६० िडग्री के मा यम से घूमती रहती है. इससे यात्री प्रकृित की सु दरता का अनुभव कर सकते ह. कार के नीचे एक पानी का टक है िजसम ४००० लीटर पानी होता है. इस तरह पानी को पहाड़ की चोटी पर ले जाते ह. केबल की लबंाई 1.2 िकलोमीटर है. २०१४ तक लगभग २४ लाख से अिधक आगतुक पयर्टक ने टेबल माउंटेन के इस रोमांच प्रकृित का आनंद िलया है. वहाँ दकुान और अ य रे तरां भी ह जहाँ आप एक शानदार य के साथ भोजन कर सकते ह. वहाँ अनुमािनत २२०० पौध की प्रजाितय सीिमत ह. टेबल माउंटेन ५० िकमी उ तरी छोर म लबें है और ६-१० िकमी चौड़ ेह. नवंबर २०११ म टेबल माउंटेन िव व के ७ चम कार म से एक का था. अपनी खुद की सरुक्षा के िलए जब आप सीटी सनुते ह तो शीषर् टेशन के पास जाना होता है. जब तूफानी हवाएँ पहाड़ की ओर बढ़ती ह खतरे का डर है. वहाँ पर िसफर् २ घंटे क सकते ह. िव व म प्रकृित के ७ अजबू म से ये एक है.

    िचत्र पहेली अकं 10                                                                                                                                                                     पृ ठ ३                         

    सोने का राजा(धारावािहक कहानी अकं २) - शमीर्ला रामरतन

    रह तरह की िचिड़याँ चहचहा रही थी. नदी कल कल बह रही थी. उसे लगा िक वहीँ पर बसना है और एक पणर् कुटी बना कर रहने लगा. एक िदन, नदी म नहात ेसमय, उसकी आँख एक चमकीले प थर पर पड़ी. वह ऐसा चमकता था, जसेै सयूर् खुद पानी म से उसे अपनी ओर खीच रहा हो. अरे ये तो सोना है! उसने सोना खोदना शु िकया और बहुत पसैा कमाने लगा. जहाँ सोना सूँघता वहाँ भागा-भागा चला जाता. मशीने खरीदनी शु कर दीं और जगंल पे जगंल कटवाने लगा. दरू-दरू तक उसका नाम फैल गया. लोग कहते थे: दरू जगंल म एक राजा रहता है जो रोज सोने के पानी म नहाता है. उसके पास इतना सोना है िक जो चीज़ छू लेता है वह सोना हो जाता है और सोना िनकालने के िलए, वह पारे का प्रयोग अधंाधु ध करने लगा. जहाँ पारे का प्रयोग होता, वहाँ के गाँव म लोग बीमार और िवकलांग होते थे. पर उसे तो िसफर् सोने की भखू थी. एक अमावस की रात थी, वह थक कर सो रहा था िक अचानक ! .......क्रमशः

  • पुल - सशुीला अंगनू

    प िरवतर्न जीवन का िनयम है. पिरवतर्न कभी नकारा मक होता है और कभी सकारा मक. कॉ मवैन पुल को देख कर मेरे मन म यह िवचार आया िक पहले लोग आपस म अिधक जुड़ ेहुए थे और िमल जलु कर बात िकया करते थे और अब लगता है जसेै लोग एक अधंी दौड़ म भागे चले जा रहे ह. पर बाद म इस पुल ने िवकास की नई पिरभाषा िलखी और नकारा मक को सकारा मक म बदल िदया इसी से पे्रिरत होकर मने यह किवता िलखी. खड़ा है ऐसा ि थर हो के जसेै हट्टा कट्टा नौजवान. अपने आप सोचता वह म हँू एक शाप या हँू म एक वरदान. पहले लोग जब करते थे इंतज़ार करते थे बात चार और करते थे लोग आपस म यार भयैा, भाभी, नाना, नानी बोलते थे राम राम. सनुाते थे अप्रावािसय की बात और िकतने मिु कल से गजुारीं माई बाबा ने अपनी रात. अब होता है न आप्रावािसय और माई बाबा का िज़क्र सबको होती है बस यातायात की िफ़क्र. नहीं, नहीं, म शाप नहीं हँू म तो हँू एक वरदान. रोज़ मझुपर है चलती हज़ार सवािरयाँ लेकर खान और पान. भागते रहते है िदन और रात गािड़याँ लेकर िकतने सामान. मने तो हज़ार लोगो का रहना कर िदया आसान. देश की हर जाग कता का गवाह बनना मेरा मान. हाँ, म तो हँू एक वरदान!

    अकं 10                                                                                                                                                                     पृ ठ ४ 

    आज का यंजन ितरािमस ूसामग्री - लडैी िफंगसर् (िब कुट) - कॉफ़ी - वेपद क्रीम - मा कापूर्ण चीज़ ितरािमस ू बनाने की िविध: पहले आप ि ह ड क्रीम को खूब फट ल, िजससे क्रीम कड़ी हो जाए. कड़ा होने के बाद इसम मा कपूर्न चीस इसम डाल कर िमला ल. आराम से िमलाना तािक क्रीम की हवा उसम से न िनकले इस िम ण को थोड़ ेदेर के िलए िफ्रज म डाल द. कॉफ़ी को गमर् पानी म िमला द. िब कुट को एक-एक कर के कॉफ़ी म थोड़ी देर के िलए डुबो कर एक बेिकंग पैन म अ छे तरीके से रख द. ऐसे एक परत बन जायेगी िब कुट की. इस परत पर क्रीम और मा कापूर्न की िमलावट की एक परत डाल द. िफर से एक परत िब कूट और आिखर म एक परत क्रीम की िमलावट. इसके ऊपर थोडा कोको पाउडर डाल द. अब इस ितरािमस ूको िफ्रज म २-४ घंटे के िलए डाल द. उसके बाद इसका आनंद लीिजये!

  • अकं 10                                                                                                                                                                        पृ ठ ५                      

    िरपोटर् ‐ कृ णा ितवारी ८ जनवरी २०१६ को शाम 6:30 बजे आयोिजत िव व िह दी िदवस और प्रवासी भारतीय िदवस के अवसर पर भारतीय सां कृितक कद्र वारा कायर्क्रम "सरूीनाम के िह दु तानी समदुाय म िह दी की भिूमका िवचार गो ठी आयोिजत की गयी िजसके प्रमखु वक्ता थे; ी भोलानाथ नारायण, इंद्रा वलापरसाद, डॉ देव शमर्न, ी सरुजन परोही। ३१ जनवरी २०१५-२०१६ सरूीनाम िहदंी पिरष वारा िहदंी परीक्षाएँ आयोिजत की गयी थीं। सारामाका, िनकेरी, वािनका, कोमवैन, और पारामािरबो से लगभग ४०० छात्र ने प्रथमा से लेकर प्रवेिशका परीक्षा म भाग िलया। इस म से ९७ प्रितशत परीक्षा म उ तीणर् हुए। १३ माचर् को ५१ िहदंी अ यापक को िव यािथर्य के प्रमाण पत्र िदये गए िजसे बाद म िहदंी अ यापको ने अपने गाँव और शहर की पाठशाला म िवतिरत िकया। २६ माचर् २०१६ को सरूीनाम हलचल वारा िजला िनकेरी म िहदंी की एक कायर्शाला रखी गयी. इस कायर्शाला म भाग लेने वाले अ यापक के साथ कृ णा ितवारी ने िहदंी याकरण से जड़ु ेअनेक िवषय पर चचार् की। िवषय थे; वणर्माला और उसका िनयिमत प से उ चारण, सयंकु्त यंजन, अनुनािसक वर ,‘की’ और ‘िक’ म अतंर ,पूणर् भतूकाल म ‘ने’ का प्रभाव, आकारांत सजं्ञा और सवर्नाम आिद. त्रमैािसक पित्रका सरूीनाम हलचल पर भी बात हुई. आशा है िक यह पित्रका िवशेष कर ब च को िहदंी सािह य लेखन की ओर पे्रिरत करेगी. ५ अप्रैल २०१६ को सरूीनाम के िहदंी अ यापक और िव यालय के वारा िहदंी मानदेय प्रदान िकया गया. २०० लोग से ठसाठस भरे सभाकक्ष म महामिहम स यदर कुमार ने अपने अब तक के जीवन काल म सारे प्रवासी देश म सरूीनाम देश को सं कृित और भाषा की ि ट से सव तम सपं न देश बताया। समारोह के िवशेष अितिथ माता गौरी के सं थापक ीमान खुिशयाल ने सरूीनाम म िहदंी भाषा की िशक्षा के इितहास पर प्रकाश डाला. मानदेय िवतरण के दौरान िहदंी िव यािथर्य वारा मुहावरा स देश और कहानी नृ य जसेै कायर्क्रम भी प्र तुत िकये गये. िहदंी अ यािपका वारा सरूीनाम पर िलिखत और गायन अ यापक वारा सगंीतबद्ध गान प्र तुत िकया गया साथ ही नृ य कलाकार ने १०व िव व िहदंी स मलेन के िहदंी गान पर नृ य प्र तुत िकया अतं म भारतीय सां कृितक कद्र के िनदेशक ने ध यवदज्ञापन िदया। कायर्क्रम की उ घोिषकाएँ िहदंी िवभाग की पिरचय और कोवद तर की छात्राएं थीं।

  • संपादक मंडल: मधु रामौतार, शमीर्ला रामरतन, कृ णा ितवारी, पायल गंगाराम पांडये, सुसीला अंगनू (ICC पारामािरबो का िहदंी िव याथीर् मंडल) और िहदंी अ यािपका किवता मालवीय (लेख के िलए संपकर् कर: [email protected])

    ११ अप्रैल २०१६ को भारतीय सां कृितक कद्र के िहदंी िवभाग के िहदंी िव यािथर्य ने बहुआयामी यिक्त व के धनी महान किव माखन लाल चतुवदी की जयंती धूमधाम मनाई। िवशषे अितिथ भारतिवद नारायण गगंाराम पांडये जी और आई सी सी िहदंी अ यािपका ने माखनलाल चतवुदी के जीवन पर प्रकाश डाला और अतं म भारतीय सां कृितक कद्र के िनदेशक ने िहदंी परीक्षा के उ तीणर् छात्र को पु तक प्रदान कीं और उ ह बधाइयाँ दीं. हर सोमवार को दोपहर ११:०० से १३:०० बजे तक िहदंी वातार्लाप और भारतीय यंजन िविध की कक्षा म िहदंी वाचन की कक्षाओं के साथ भारतीय भोजन को पकानेकी िविध की कक्षाएं प्रार भ हुई ह िजसके अ तगर्त अब तक िव यािथर्य को िखचड़ी, मलाई को ते ,िशकंजी पंजाबी मखनी दाल जसेै वािद ट यंजन बनाने िसखािदए गए ह. इस सोमवार को १८ अप्रैल २०१६ िव यािथर्य की माँग पर उ तर प्रदेश के यंजन पूरी आल ूकी पाक िविध िसखाई गई. ९ माचर् २०१६ को सरूीनाम हलचल के सपंादक मडंल ने भारत के राजदतू महामिहम ी स यदर कुमार जी से भट की. सरूीनाम हलचल के अगले अकं से 'राजदतू की

    कलम से' एक नया त भ जोड़ने का िनणर्य िलया गया. १३ माचर् को सरूीनाम िहदंी पिरषद के वारा सरूीनाम म हुई िहदंी परीक्षाओं के प्रमाण पत्र का िवतरण समारोह सरूीनाम िहदंीपिरषद के सभागार म सपं न हुआ। भारत के राजदतू ीमान स यदर कुमार ने सरूीनाम म िहदंी भाषा के बढ़ते क़दम की भिूर भिूर प्रशंसा की. कायर्क्रम का प्रार भ पंिडत पाटनिदन और परीक्षा सिमित के अ यक्ष पंिडत रामयाद ित्रवेणी ,सिचव हारो ड पे्रमसखु, सम वियका सषुमा खेद ूऔर सभापित भोलानाथ नारायण के सबल भाषण से हुआ. १९ माचर् २०१६ की शाम को दिक्षण अमरीका के देश सरूीनाम िहदंी पिरषद का प्रांगण ठसाठस िहदंी पे्रिमय , िहदंीिव यािथर्य और िहदंी अ यापक से भरा हुआ था.२२ युवाओं के समहू "सरूीनाम युवा दल" वारा आयोिजत िहदंी भाषा िमलन प्रितयोिगता म किवता पाठ ,दोहा वाचन, कहानी वाचन और ह त लेखन और चौपाई प्रितयोिगताहुई .अतं म भारत के राजदतू माननीय स यदर कुमार ने युवा दल के सभापित करन जगेसर और रामलीला सं था के अ यक्ष अमरीका अन द्ध के साथ सभी प्रितभािगय और िवजेताओं को पदक, पु तक और प्रमाण पत्र से पुर कृत िकया. राजदतू ने अपने भाषण म िहदंी भाषा के प्रित सरूीनाम युवा म बढ़ती हुई िच और जोश की भिूर भिूर प्रशंसा की.

    अकं 10                                                                                                                                                                     पृ ठ ६

    वगर् पहेली दायीं ओर दी गई वगर् पहेली म से िन न श द छाँिटए छाता जवाब साजन साज ताज जाना जाल समझना िलख बकरी मछली सजनी कुछ