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कारी का सॊगीत

कारी का ॊगीत - Internet Archive · 2018. 8. 12. · “कारी तुभ जल्द ¡ी फड़े¡ोकय आदभी फनोगे,” भाॉ

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  • कारी का

    सॊगीत

  • कारी का सॊगीत

  • आज से हज़ायों, हज़ायों, हज़ायों सार ऩहरे.

  • एक रड़के ने गुपा भें अऩनी भाॉ को जानवयों के चित्र फनात ेदेखा. रड़के को वे चित्र फहुत सुन्दय रगे. चित्र, हू-फहू जॊगर भें ददखने वारे जानवयों जैसे ददखे.

  • “कारी तुभ जल्द ही फड़ ेहोकय आदभी फनोगे,” भाॉ ने कहा, “फपय तुभ इन जानवयों का शिकाय कयोगे.”

    कारी के पऩता ने उसे एक धनुष ददमा. “कारी, ऩहरे शिकाय के शरए तुभ धनुष का अभ्मास कयो,” उन्होंने कहा.

  • कारी ऩूये ददन धनुष से तीय छोड़ने का अभ्मास कयता यहा.

  • अॊत भें जफ वो आयाभ कयने फैठा तो उसने गरती से धनुष की डोय को एक झटका ददमा. उससे ननकरी आवाज़ कारी को ऩसॊद आई. उसने तनी डोय को दफुाया झटका. झटकने के फाद वो धनुष को अऩने भुॊह के ऩास रामा औय उसने अऩना भुॊह खोरा औय फॊद फकमा. फपय धनुष भें से नए-नमे सुय ननकरने रगे.

    उसके फाद कारी, धनुष से तीय छोड़ने की फात बूर गमा. वो तनी डोय को झटककय सॊगीत ऩैदा कयता यहा. आसभान के शसताये उसका सॊगीत सुनने के शरए ऩास आए.

  • उस यात को धनुष से ननकरे सुयों से कारी को अऩने सऩने भें फड़ी िाॊनत भहसूस हुई.

  • फपय हय ददन कारी, धनुष के अभ्मास के शरए जाता. गुपा से दयू ऩहुॉिने ऩय वो अऩने तीयों को ज़भीन ऩय यख देता. फपय वो धनुष को अऩने भुॊह से रगाकय धनुष की तनी डोय को झटकता. उस भधुय सॊगीत को सुनकय जानवय रुक जात े चिड़ड़मे बी उन्हें सुनकय िहिहाना फॊद कय देतीॊ. सॊगीत सुनने के शरए आसभान के ताये बी ऩास आत.े

  • जफ पऩताजी ने अभ्मास कय फाये भें ऩूछा, तफ कारी ने अऩनी आॉखें फॊद कयके कहा, “अच्छा.”

  • फड़ ेशिकाय वारे ददन कारी ने सूयज को उगत ेदेखा. उसके धनुष की डोय तनी थी औय उसके तीय नुकीरे थे.

  • ताकतवय आदभी सफसे आगे थे. उनके ऩीछे-ऩीछे रड़के फड़ ेउत्साह से बाग यहे थे. वे ऩहाड़ड़मों, घादटमों औय सऩाट भैदान ऩय दौड़.े अॊत भें रीडय को दयू कुछ जानवय ददख.े कारी ने अऩने जीवन भें इतने बीभकाम औय सुन्दय जानवय ऩहरे कबी नहीॊ देखे थे.

  • कारी उन जानवयों को ऩास से देखने के शरए ऩहाड़ी ऩय िढ़ा. उन जानवयों की सुन्दयता को देखकय कारी शिकाय के फाये भें सफकुछ बूर गमा. उसे अऩने ददभाग भें शसपफ धनुष का सॊगीत सुनाई ददमा.

    कारी ने अऩने तीय घास ऩय यख ददए. फपय उसने अऩने धनुष को भुॊह से रगामा औय अऩनी आॉखें फॊद कीॊ.

    उसने सॊगीत फजामा फजामा, औय फजामा.

  • जफ कारी ने अऩनी आॉखें खोरीॊ तफ वे बीभकाम जानवय उसके इतने ऩास खड़ ेथे फक वो उन्हें छू सकता था. जानवय, कारी का सॊगीत सुनने आए थे.

  • कुछ देय फाद सफ शिकायी बी वहाॊ आ ऩहुॊि.े कारी धनुष का सॊगीत फजा यहा था. सफ रोग िुऩ थे. शसपफ धनुष की डोय के चथयकने की आवाज़ आ यही थी.

    शिकारयमों ने बी अऩने हचथमाय ज़भीन ऩय डार ददए.

    “कारी ने अऩने हचथमाय से उन पविारकाम जानवयों को भोदहत फकमा है, उसने उन्हें भाया नहीॊ है.” “कोई जादगूय ही ऐसा कय सकता है.” “कारी ज़रूय कोई जादगूय होगा.”

  • जफ कारी के जाद ूकी खफय उसकी भाॉ तक ऩहुॊिी तफ भाॉ ने शभट्टी के कुछ नए यॊग फनाए. फपय उन्होंने कारी के सॊगीत की कहानी के आधाय ऩय एक चित्र फनामा. उससे कारी फहुत खुि हुआ.

  • कारी जफ फड़ा हुआ तफ रोग उससे सराह रेने आत.े

    कारी, फीभाय रोगों का इराज कयता. वो अऩने ऩुयखों की आत्भाओॊ से फात कयता.

  • हय िाभ, फहुत फूढ़े होने के फावजूद कारी अऩना धनुष रेकय ऩहाड़ी ऩय जाता. वहाॊ वो अऩनी आॉखें फॊद कयके अऩने धनुष के वाद्ममॊत्र ऩय सॊगीत फजाता. तफ आसभान के ताये उसका सॊगीत को सुनने आत.े