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अ�यायअ�यायअ�यायअ�याय----3333
गांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संःथाओ ंका योगदानगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संःथाओ ंका योगदानगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संःथाओ ंका योगदानगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संःथाओ ंका योगदान
3333....1 1 1 1 गांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथितगांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथितगांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथितगांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथित
3333....2 2 2 2 गांधी जी क% भूिमकागांधी जी क% भूिमकागांधी जी क% भूिमकागांधी जी क% भूिमका
3333....3 3 3 3 गांधीजी का भाषानीितगांधीजी का भाषानीितगांधीजी का भाषानीितगांधीजी का भाषानीित
3333....4444. . . . गांधीजी ूे�रत �ह$द� ःवै&.छक संःथाओं का सं&01 इितहासगांधीजी ूे�रत �ह$द� ःवै&.छक संःथाओं का सं&01 इितहासगांधीजी ूे�रत �ह$द� ःवै&.छक संःथाओं का सं&01 इितहासगांधीजी ूे�रत �ह$द� ःवै&.छक संःथाओं का सं&01 इितहास
3.4.1 असम रा3भाषा ूचार सिमित, गुवाहाट�
3.4.2 कना#टक म�हला �ह$द� सेवा सिमित, ब9गलोर
3.4.3 केरल �ह$द� ूचार सभा, ित:वन$तप ुरम ्
3.4.4 गूजरात
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अ�यायअ�यायअ�यायअ�याय----3333
गांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संगांधीजी ूे�रत �हंद� ूचार संःथाओ ंका योगदानःथाओ ंका योगदानःथाओ ंका योगदानःथाओ ंका योगदान
3.13.13.13.1 गांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथित गांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथित गांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथित गांधी प ूव# �ह$द� क% &ःथित ::::
भारत एक बहत
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चलाई। फलःव`प 1857 का संमाम हआ । इस संमाम का सूऽपात एक ह� ु भाषा से
हआ था और वह भाषा �ह$द� थी । य�द छानबीन करने से ऐसे िनदpश िमल सकते ुह9, &जनसे वह पता चल सकता ह,ै उस समय भी �ह$द� का Zयापक एवं
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�ह$द� को अिनवाय# अ�ययन बताया था । पंजाब युिनविस#ट� के र&जःशार
नवीनच$ि राव ने भी पंजाब मY �ह$द� भाषा का ूचार �कया । उ$ह[ने सन ्1867
मY Ôlान ूदाियनीÕ का ूकाशन �ह$द� मY �कया । उनका कहना था �क Ð ÔÔउद# ू
कभी भी हमारे देश के जनसाधारण क% भाषा नह�ं बन सकती, सव#था उसके योvय
तो �ह$द� ह� है ।ÕÕ1
इस ूकार �ह$द�तर ूदेश[ के
121
राजनीितक असहयोग आंदोलन का एक महCवपूण# अंग बन गया । देश मY रा3ीय
122
3.23.23.23.2 गांधीगांधीगांधीगांधीजी क% भूिमका जी क% भूिमका जी क% भूिमका जी क% भूिमका ::::
देश क% ःवतंऽता के साथ &जस ूकार महाCमा गांधीजी का नाम है उसी
ूकार �ह$द� के ूचार के साथ भी अमीट अमरता के साथ गांधीजी का नाम जुड़
गया है । द&0ण आ�ृका के सफलतम सCयामह के बाद ःवदेश लौटते ह� उ$ह[ने
देश क% ःवाधीनता के काय#बम का शंखनाद �कया ।
भारत के राजनैितक जीवन मY ूवेश करने से प ूव# ह� उ$ह[ने देश क% &ःथित
का गहरा अ�ययन �कया और लोकमानस एवं उसक% ःवतंऽता पर बल �दया । देश
क% प �र&ःथित के अनुसार काँमेस क% नीित और काय#बम[ मY प �रवत#न हआ और ुकाँमेस का नेतCृव गांधीजी के हाथ[ मY आ गया । वातावरण मY राजनीित पहले से
थी ले�कन जिलयाँवाला बाग हCयाका{ड और असहयोग आंदोलन से &ःथित
123
ःवातंय मY जुट जाते थे और अपने ूाण[ क% आहित देने तCपर रहते थे । महाCमा ुगांधी ने रा3ीय भावना जगाने के िलए, रा3 क% भावना बढ़ाने के िलए रा3 क%
भाषा क% आवँयकता पर जोर �दया और हर जगह उस भाव का ूचार करते रहY ।
उसका ऐसा मानना था �क भाषा सहज, सरल और सुबोध हो वह� देश क% रा3भाषा
हो सकती है और यह ौेय �ह$द� को ह� है । उ$ह[ने जब �ह$द� क% Zयापकता और
उसक% श
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गांधीजी जैसे ःवाधीनता आंदोलन मY एक तूफान मचा सके, वैसे ह� रा3भाषा
के ूचार के 0ेऽ मY उनका ूभाव अभूत था । देश के अनेक राजनीितक नेताओं
ने �ह$द� का ूचार और समथ#न �कया । लोकमा$य ितलक ने िलखा था Ð ÔÔ�ह$द�
भाषा रा3भाषा बन सकती है । रा3भाषा सव#साधारण के िलए ज`र होनी चा�हए ।
मनुंय ~दय एकदसरे से
125
य�द अपनी भाषाओं के िलए ःवािभमान प ैदा नह�ं हआ तो हमारा सारा जीवन ुःवािभमान से ह�न रह जाएगा । उनका यह ढ़
126
तब गांधीजी ने पूरे देश का ॅमण करके देखा �क जो भाषा सरल, सुबोध हो वह�
देश क% रा3भाषा बन सकती है । ऐसी एक माऽ भाषा �ह$द� ह� थी, वे �ह$द� को
ःवराuय का मानद{ड मानते थे, उनक% एक आकां0ा था �क समःत देश क% एक
ह� भाषा हो । जो देश क% सबसे ूचिलत भाषा �ह$द�-�ह$दःतानी है उसे रा3भाषा ुका पद ूा1 हो । उनका कहना था �क �ह$द�-�ह$दःतानी के
127
ह� नह�ं सकता । समाज मY अंमेजी मY चल नह�ं सकता । समाज मY अंमेजी का इस
हद तक फैल जाना नामुम�कन मालुम होता ह9 ।
तीसरा ल0ण अंमेजी मY हो ह� नह�ं सकता, fय[�क भारतवष# के बहजन ुसमाज क% भाषा नह�ं है । चौथा ल0ण भी अंमेजी मY नह�ं है, fय[�क वह सारे रा3
के िलए उतनी आसान नह�ं है ।
पाँचवे ल0ण पर
128
भाषा का
129
यह ःप �कया है Ð ÔÔजब आप भारत क% रा3भाषा अथा#त ् �ह$द� सीख लYगे तो
आपके सामने �ह$द� मY भाषण करने मY मुझे बहत खुशी होगी ।ु ÕÕ1
गाधंीजी क% ूेरणा से सन ्1925 मY काँमेस ने ऐसा ूःताव पा�रत �कया �क
काँमेस क% महासिमित और काय#का�रणी सिमित का कामकाज �ह$द� मY चलाया
जाएगा । इस ूःताव का बहत Zयापक ूभाव पड़ा और �ह$द� आदंोलन को अिधक ुगित ूा1 हई । गाधंीजी क% ूेरणा से अनेक �ह$द� भाषी नेता रा3ीय सभा ुसiमेलन[ मY �ह$द� मY भाषण देने लगे । सन ् 1925 मY अ&खल भारतीय �ह$द�
सiमेलन का अिधवेशन भरतपुर मY िमला । गु`देव ौी र
130
गांधीजी जहाँ �ह$द� का ूसार एवं ूयोग पूरे भारतवष# मY देखना चाहते थे
वहाँ दसर� ओर वे जद से जद अंमेू जी को देश से बाहर का राःता भी �दखाना
चाहते थे। ःकूली िश0ा मY अंमेजी के बढ़ते ूभाव को देखकर उ$ह[ने कहा था �क,
ÔÔअगर मेरे हाथ[ मY तानाशाह� स]ा हो तो म9 आज से ह�
131
आम जनता मY हमारा काम जद ह� आग ेबढ़न ेनह� ंदते े । व े�ह$द� सीखन ेस े
इ$कार करत ेह9।ÕÕ1
गाधंीजी न ेऐस ेनतेाओ ंका अमंजेी बोलना छुड़ाया ल�ेकन उनका राजनीितक
काय# अब भी बहत कुछ अमंजेी मY चल रहा था । दशे क% सiपक# भाषा fया होनी ुचा�हए इस सiब$ध मY गाधंीजी न ेसन ्1931 मY कहा था, ÔÔय�द ःवराuय अमंजेी
पढ़ ेभारतवािसय[ का ह ैऔर केवल उनके िलए ह ैतो सiपक# भाषा अवँय अमंजेी
होगी । य�द वह करोड़[ भूख ेलोग[, करोड[ िनर0र लोग[, िनर0र, &य[, सताय े
हए अछूत[ के िलए ह ैतो सiपक# भाषा केवल �ह$द� ह� हो सकतीु ह ै।ÕÕ2
दशेZयापी सiपक# जनता का, ःवराuय करोड[ अिश&0त और िनध#न लोग[ के
िलए नतेा और जनता के बीच सबस ेबड़� द�वार अमंजेी Ð गाधंीजी का भाषानीित
का पहला सूऽ ह9 । उनके िलए भाषा समःया कोई शुW भाषा-
132
फूट� �ह$द� सीखी थी । उसी से म9ने �ह$द� सीखी । सiमेलन य�द अ$य भाषा
ूा$त[ मY भी आदमी भेजे तो बहत से लोग �ह$द� सीख जाए ।ु ÕÕ1
�ह$द� क% द�रिता के गीत गाते अमेंजी-ूेमी भारतवासी थकते नह� ं ह ै ।
गाधंीजी ने इन लोग[ को लआय करके कहा Ð अमेंजी से �ह$द� �कतनी ह� पीछे
fय[ न हो, हमY उसका गौरव बढ़ाना ह� पड़ेगा । उ$ह[ने अमेंज[ के सामने, उ.चतम
अमेंज पदािधका�रय[ के सामने �ह$द� एव ंभारतीय भाषाओ ंके गौरव क% र0ा क%
ह।ै
गाधंीजी ने केवल दसर[ को अमेंज पदािधका�रय[ और वाइसरोयू के सामने
�ह$द� बोलने का उपदेश न �दया था; उ$ह[ने साहस से अपने उपदेश का आचरण
भी �कया था । सन ्1931 मY कराचंी मY सयुंk भारत के चेiबस# आफ कामस# के
अिधवेशन मY भी उ$ह[ने देश के
133
भाषा
134
�दसंबर 1916 मY काँमेस का 21वाँ अिधवेशन लखनऊ मY हआ । वे ु चाहते थे
�क सालभर के अंदर लोग �ह$द� सीख के और काँमेस के अिधवेशन मY लोग �ह$द�
बोले । भारत को ःवाधीन हए कई वष# ग ुजर ग ये �फर भी �ह$द� के उCथान के ुिलए कोई जदबाजी नह�ं �दखाई द� । इतना ह� नह�ं कुछ लोग [ ने तो यह आरोप
लग ाया �क उनक% भाषाओं का दमन �कया जा रहा है । उस समय �ह$द� का ूचार
काय# ग ांधीजी क% देख-रेख मY चल रहा था । सबसे अिधक �यान देने के बात तो
यह थी �क उन लोग अंमेजी को अपनी मातभृाषा के िलए कोई खतरा नह� मानते
थे । उ$हY अंमेजी लाद� हई भाषा नह�ं लग ती थी ।ु
देश क% भाषा सiब$धी &ःथित तब भी यह� थी और आज भी यह� है �क
सरकार� नौक�रय[ के उiमीदवार[ के िलए राजभाषा अंमेजी होग ी और आम जनता
क% सiपक# भाषा �ह$द� । ले�कन ग ांधीजी का यह मत था �क Ð ÔÔभारत क%
असली रा3भाषा �ह$द� है, और सरकार� तौर पर उसीको राजभाषा बताना चा�हए।ÕÕ1
ग ांधीजी क% भाषा नीित का चौथा सूऽ है Ð काँमेस क% अपनी राजनीितक
काय#वाह� क% भाषा �ह$द� होनी चा�हए ।
ग ांधीजी ने देश क% रा3ीय संःथा काँमेस के सदःय[ को �ह$द� भा, के बारे
मY आवँयक सूचनाएँ एवं िनयम[ क% जानकार� देते हए सन ु ् 1918 मY कहा �क Ð
ÔÔहमार� रा3ीय संःथाओं मY �ह$द� का ह� Zयवहार होना चा�हए । काँमेस के नेता
और काय#कता# इस �दशा मY बहत कुछ कर सकते है और उ$हY करना चा�हए । म9 ुचाहता हँ �क यह सiमेलन ू (�ह$द� सा�हCय सiमेलन) काँमेस के दसरे अिधवेशन ू
के समय उसके सामने इस आशय का ूःताव रखY ।ÕÕ2
ग ांधीजी ने भारत के अ�ह$द� ूा$त बंग ाल और द&0ण भारत के लोग [ को
संबोिधत करते हए कहा ु Ð ÔÔम9 आशा करता हँ �क बंग ाली और ि
135
इस समय काँमेस क% काय#वाह� अंमेजी मY अिधकतर होती थी । गांधीजी ने
�ह$दःतानी भाषा मY काय#वाह� करने का आमह �कया । गांधीजी ने ु Ôयंग इ&{डयाÕ
मY िलखा है Ð ÔÔद&0ण के लोग[ को �ह$द� ूचार सभा के कारण �ह$द� सीखने क%
हर तरह क% सु
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उ$ह[ने सुझाव देते हए कहा �कु , ÔÔअ&खल भारतीय अिधवेशन[ मY अमेंजी का
Zयवहार ब$द कराएँ, अ&खल भारतीय ूचारकाय# अमेंजी के मा�यम से ब$द कराएँ।
पा�ट#य[ के अ$दर से अमेंजी के जड़[ को काटना पड़ेग ा । लोकसभा मY अपने
ूितिनिधय[ को �ह$द� और भारतीय भाषाओ ं मY बोलने और अमेंजी छोड़ने पर
मजबूर करना होग ा । ग ाधंीजी क% भाषानीित का पाचंवा सूऽ ह9 Ð भारत का
137
ःवाधीनता ूाि1 के बाद गांधीजी ने िलखा Ð ÔÔ�ह$दःतानी रा3भाषा होगी ुले�कन वह ूा$तीय भाषाओं क% जगह नह�ं लेगी । �ह$दःतानी का उेँयु यह होना
चा�हए �क वह लोग[ को वह एहसास कराये �क वे भारत के अिभ$न अंग है ।
बाहर के लोग हमY गुजराती, बंगाली, मराठ या तिमल कहकर नह�ं जानते है ।
उनके िलए हम सब �ह$दःतानी ह9 । इसिलए हमY
138
गांधीजी ने कुछ िलखा था वह बोलचाल क% भाषा क%
139
3.43.43.43.4 गांधीजी ूे�रत �ह$द� ूचार संःथाओ ंका सं&01 इितहास गांधीजी ूे�रत �ह$द� ूचार संःथाओ ंका सं&01 इितहास गांधीजी ूे�रत �ह$द� ूचार संःथाओ ंका सं&01 इितहास गांधीजी ूे�रत �ह$द� ूचार संःथाओ ंका सं&01 इितहास ::::
�ह$द� भाषा को जन जन तक पहँचानेु , उसे रा3 मY एक राजभाषा, रा3भाषा,
जनभाषा एवं सiपक# भाषा का ःथान �हलाने का ौये महाCमा गांधीजी को ह� जाता
है। द&0ण आृ%का से लौटने के बाद जब से गांधीजी ने भारत के राजनैितक
जीवन मY कदम रखा तब से �ह$द� ूचार का एक नया ह� काय#बम राजक%य
140
ःवीकार करके उसके ूचार मY उCसाह �दखाया तो िश&0त समाज के मन मY �ह$द�
के ूित सiमान बढ़ा ।ÕÕ1
देवदास गाधंी के अथक ूयास एव ंलगन से जनता �ह$द� क% ओर आकृ
हई । शहु र के गणमा$य सuजन �ह$द� सीखने लगे । धीरे धीरे मिास मY �ह$द�
ूचार काय# बढ़ने लगा और उन लोग[ क% सहायता के िलए �ह$द� सा�हCय
सiमेलन क% ओर से, इस �दशा मY अिधक सु$दर काय# करने के उेँय से सCयदेव
पा�रोाजक को भी भेजा । देवदास जी लोग[ को �ह$द� पढ़ाने के िलए उ]र भारत
से मँगवाई गई प ुःतक[ क% सहायता लेते थे । �क$तु द&0ण के लोग[ को अिधक
उपयुk नह� ंथी । अतः ौी सCयदेव जी ने Ô�ह$द� क% पहली पुःतकÕ नाम से एक
�कताब िलखी । इस आदश#पूण# पुःतक से लाख[ लोग[ को �ह$द� भाषा सीखने मY
सहायता िमली ।
ÔÔद&0ण भारत मY अब �ह$द� ूचार का काय#
141
मY अ&खल कना#टक �ह$द� ूचार सiमेलन गांधीजी क% अ�य0ता मY सiप$न हआु ।
इसी अवसर द&0ण के �ह$द� ूचार के काय# को सiमेलन से अलग कर एक ःवतंऽ
संःथा को स¤पने का िनण#य �कया । इस नवसंग�ठत संःता का नाम Ôद&0ण भारत
�ह$द� ूचार सभाÕ रखा गया । इस सभा क% ूथम बठैक ब9गलोर मY हई और ुमहाCमा गांधी उसके आजीवन सय चुने गये ।ÕÕ1
गांधीजी ने द&0ण भारत मY �ह$द� क% नींव रखी जो धीरे धीरे अपने लआय
को ूा1 करने अमसर हो रह� थी । �ह$द� के ूचार का काय# चार[ राuय[ के छोटे
छोटे गाँव[ मY हर घर मY अपनी साख जमाने लगा था और गांधीजी क% मेहनत रंग
लाने लगी थी । आज के प�रूेआय मY देखा जाय तो उ]र भारत क% अप े0ा द&0ण
भारत मY �ह$द� के ूित लोग[ का रवयैा अ.छा जान पड़ता ह9 ।
ÔÔप ू.बाप ूजी क% उप&ःथित से लाभ उठाकर कना#टक के आ�दम �ह$द� ूचारक
प ं. िसWनाथ प ंत क% काय# तCपरता से 1927 मY अ&खल कना#टक �ह$द� ूचारक
संमेलन का आयोजन �कया गया । &जसमY द&0ण भारत �ह$द� ूचार सभा मिास
को ःवतंऽ स]ा ूा1 हई थी । ु 1928 से कना#टक मY �ह$द� आंदोलन जनआंदोलन
बनता गया । इसमY ौी िन¥टर ौीिनवास क% ूारiभ से ह�
142
कालेज मY वैक&पक
143
जनवर�, 1946 मY जब मिास मY �ह$द� ूचार सभा क% रजत जयतंी मनाई
गई तब महाCमा जी न ेकहा �क म�हलाओ ंमY �ह$द� ूचार हतेु एक म�हला सगंठन
क% द&0ण मY आवँयकता है । इसी बात को लआय मY रखकर ब9गलूर क% कितपय
म�हलाओ ं के rारा ौीमती मु]ूबाई मान े क% अ�य0ता मY कना#टक �ह$द� सवेा
सिमित न े 1952 मY ःथापना क% गई । कवेल म�हलाएँ ह� इस सःंथा क%
पदािधकार� तथा काय#का�रणी को सदःय हो सकती है । द&0ण भारत मY �ह$द�
ूचार करनवेाली वह� एक माऽ सःंथा है । इस सिमित क% पर�0ाएँ कना#टक क े
लगभग 150 क$ेि[ मY चलती है । Ô�ह$द� ूचा�रणीÕ नामक मािसक प
144
कौमुद� नाम क% धीर ःवयंसे
145
ÔÔकेरल मY द&0ण भारत �ह$द� ूचार सभा के अलावा कई �ह$द� सेवी
सःंथाएँ ःथा
146
ूःताव भी पा�रत हआ और इस काय# हेतु कुछ �ह$द� भाषी लोग[ को द&0ण मY ुभेजा जाये । इसक% माँग द&0ण भारतीय ूितिनिधय[ ने क% थी ।
मिास के ौी रामाअ£यर ने गाधंीजी को पऽ िलखकर अनुरोध �कया �क हम
लोग यहाँ पर �ह$द� सीखना चाहते ह9 । आप कृपया उिचत Zय
147
म$ऽी के `प मY चुना गया । इस समय तक �ह$द� का ूचार काय# तिमलनाडु के
ूायः सभी शहर[ कोयiबतूर (ःथानीय ूचारक[ rारा, ित`नेलवेली (नागेओFर
िमौ), कुiभकोणम ्(रामच$ि शाी), म$नारगु�ड (कृितवास) आ�द मY ूारiभ हो
गया था ।
सन ्1930 मY तिमलनाडु �ह$द� ूचार सभा के म$ऽी के `प मY जब रघुवीर
दयाल िमौ क% िनयु
148
संया मY म�हलाओं ने भाग िलया हो और &जसक% सफलता का ौेय ूा1 �कया
हो।ÕÕ1
ÔÔ�ह$द� ूचार आंदोलन मY म�हला संघ[ क% �ह$द� सेवा का उलेख करना
भी संगत होगा। चे$नई &ःथत आंी म�हला संघ ने समाज सुधार क% ूव
149
काकासाहब कालेलकर ने भारत मY �ह$द� ूचार का काय# अपने हाथ[ मY िलया ।
�फर असम के बाबा राघवदास को सन ्1934 मY भेजा गया ।
ÔÔ�ह$द� ूचारकाय# को सुZयव&ःथत `प से चलाने के िलए पहले �कसी
सिमित का गठन नह� ं �कया गया । बाबा राघवदास ने अपने देव�रया &जले के
बरहज आौम से इस पूवाचल का �ह$द� ूचार काय# चलाया था । 1937 ई. मY
अ�ह$द� भाषी को �ह$द� का उ]म lान ूा1 कराने के उेँय से िश
150
ÔÔसन ् 1945 से ह� �ह$द�-�ह$दःतानी का बौ
151
राजभाषा का सiमान ूा1 ह9 । अथा#त यहाँ क%् दो सरकारमा$य राजभाषाएँ ह9 ।
यहाँ लेखक यह कहना चाहता ह ै�क ÔÔय�द रा3भाषा �ह$द� ह ैतो वह माऽ �ह$द�
भाषी ूदेश[ के बल पर नह� ं ह9 अ
152
गुजरात के सामने यह सवाल खड़ा हआ �क जब �ह$दःतानी ूचार क% नीित ु ु
fया होगी ? fया उससे पहले क% तरह दोन[ िल
153
है जो समाज के समाज के सभी वग मY �ह$द� को लोक
154
ÔÔरा3ीयता, रा3ीय एकता व रा3ीय एकाCमकता के संदभ# मY रा3भाषा �ह$द�
का ूचार-ूसार करने क% िनतांत आवँयकता मेहसूस होने लगी जब महाCमा गांधी
rारा द&0ण मY �ह$द� ूचार का अिभयान चलाया गया । द&0ण भारत �ह$द� ूचार
सभा क% ःथापना हई तो महारा3 के लोग[ का �यान उस ओर आक
155
म&णपुर, िमझोरम, आसाम, नागाल9ड, बगंाल और उCकल मY �ह$द� ूचारकाय# के
िलए सिमित ने के$ि खोले ह ै । ूथम
156
होते ह9 । समूचे महारा3 मY �ह$द� को लोक
157
मा�यम बनाया । फलःव`प �ह$द� के अ�ययन क% Zयवःथा क% गई । अkूबर,
1910 मY पूरे भारत के �ह$द�
158
ूशंसा क% । ःव. बजाज के अ�य0ता मY रा3भाषा �ह$द� के ूचारक[ का एक
सiमेलन हआ । &जसने आ$ी के �ह$द� ूचारक[ ु का पथूदश#न �कया ।
जब द&0ण भारत �ह$द� ूचारसभा का ूा$तवार
159
प�रषद अपने अधीन पाँच पर�0ाओं (रा3भाषा ूाथिमक, बोिधनी, मा�यिमक,
160
शै0&णक काय#बम शै0&णक काय#बम शै0&णक काय#बम शै0&णक काय#बम ::::
सन ् 1948 मY Zयवःथा
161
सिमित के के$ि�य पुःतकालय मुय ह9 । इस पुःतकालय मY �हंद� के अनुवा�दत
पुःतकY भी ह9 ।ÕÕ1
इस ूकार असम मY �ह$द� िश0ण व ूचार-ूसार को Zयापकता देने मY
सिमित का अ
162
(2) �ह$द� ूथमा
(3) �ह$द� म�यमा ।
2. उ.च पर�0ाएँ उ.च पर�0ाएँ उ.च पर�0ाएँ उ.च पर�0ाएँ ::::
(1) �ह$द� उ]मा (एस.एस.एल.सी. �ह$द� ःतर)
(2) �ह$द� भाषा-भूषण (इंटर-�ह$द� ःतर)
(3) �ह$द� भाषा ूवीण (बी.ए. �ह$द� ःतर)
�ह$द� उ]मा, ÔÔये पर�0ाएँ वष# मY दो बार आयो&जत क% जाती है । कना#टक
के सभी &जल[ मY �ह$द� िश0ण हेतु �ह$द�
163
सिमित 1980 से �हंद� ूचार वाणी नामक मािसक प
164
2. �हंद� भाषा सा�हCय पर के$ि�त संगोी, काय#शाला, क
165
166
िमलकर केरल �हंद� ूचार सभा 0ेऽीय और रा3ीय ःतर पर अ�हंद� भाषी 0ेऽ के
�हंद� लेखक[, �हंद� ूचारक[ व �हंद� ूा�यापक[ के िलए काय#शालाओं का आयोजन
कता# है । इसके अित�रk �हंद� पखवाड़ा एवं �हंद� युवाजन श
167
गया। 1939 से �हंद� ूचार का काय#
168
है ।
169
170
मनी
171
1918 मY इंदौर मY �ह$द� सा�हCय सiमलेन क% अ�य0ता करत ेहए गांधीजी ुन े द&0ण भारत मY �ह$द� ूचार क% इस ूकार बहृद योजना ूःतुत क% थी ।
गांधीजी के आ|ान पर सठे हकुमचंद और नरशे यशवंतराय होकर न े दसु -दस
हजार क% धनरािश ूदान क% । इस रािश स े द&0ण भारत द&0ण भारत �ह$द�
ूचार सभा क% ःथापना मY सहायता ूा1 हई । गांधीजी न ेअपन ेप ुऽ दवेदास गांधी ु�हंद� के ूचार-ूसार मY लगाया था ।
ÔÔगांधीजी न ेकाकासाहब काललेकर को 1935 मY द&0ण भारत के �हंद� काय#
का िनर�0ण कर सुधार के उपाय सुझान ेहतेु भजेा । उ$ह[न ेचार[ ूदशे[ का ॅमण
करक ेिसफा�रश क% �क चार[ ूा$त[ मY ूा$तीय काया#लय क% ःथापना होनी चा�हए।
इसके आधार पर 1935 मY सभा का नया सं
172
1922 मY ईरोड़ मY Ô�ह$द� ूचारक
173
Ôरा3ीय �ह$द� अनुसंधान भवनÕ का िनमा#ण �कया गया है । इनमY 20,000 स े
अिधक पुःतकY ह9 ।
ूचारकाय# ूचारकाय# ूचारकाय# ूचारकाय# :::: सभा
174
�हंद�-मलयालम ःवबोिधिनयाँ भी अCयंत उपादेय ह9 । सभा rारा द&0ण भारत के ्
सा�हCय का अनुवाद भी ूकािशत �कया जाता ह ै । अब तक 400 से अिधक
पुःतक[ का ूकाशन हो चुका ह ै।
प
175
का िनमा#ण �कया गया है । सिमित rारा ःथा
176
1935- पुनः पू.बापू के सभापितCव मY �ह$द� सा�हCय सiमेलन के चौवीसवY
अिधवेशन का आयोग ।
1940 - �ह$द�तर 0ेऽ[ मY �ह$द� ूचार के िलए �ह$द�
177
िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# ::::
178
ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# ::::
179
बiबई मY �ह$द� ूचार का काय# Ô�ह$द� ूचार सभा बiबईÕ कर रह� थी ।
सन ्1942 मY वधा# मY �ह$दःतानी ूचार सभा क% ःथापना हई थी । इस सःंथा न ेु ुअपनी पर�0ाओ ंमY नागर� और उद# िल
180
कालेलकर क% अ�य0ता मY 22 मई 1937 को पुणे मY काय#कता#ओ ंराजनीितक व
साःंकृितक नेताओ ं एव ं बु
181
शyदकोश, बहृत �हंद� मराठ शyदकोश, बहृद मराठ-�ह$द� शyदकोश इCया�द का
ूकाशन कर सभा ने �हंद� ूचार के 0ेऽ मY उलेखनीय योगदान �दया है । कुछ
प ुःतकY भारत सरकार एवं महारा3 सरकार rारा प ुरःकृत भी हो चुक% है । सभा के
कुछ महवप ूण# ूकाशन काय# है Ð
- ूेमच$द : स
182
है । इस ःपधा# मY
183
िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# ((((पर�0ाएँपर�0ाएँपर�0ाएँपर�0ाएँ) ) ) ) ::::
ÔÔप�रषद के तCवाधान मY ूार&iभक व उ.च पर�0ाएँ होती है । ूार&iभक पर�0ा के
अ$तग#त �ह$द� ूथमा व �ह$द� म�यमा पर�0ाएँ होती है । उ.च पर�0ा के
अ$तग#त �ह$द� ूवेश, �ह$द� उ]मा तथा �ह$द� र का समावेश होता है ।
इन पर�0ाओ ंको भारत सरकार व राuय सरकार ने ःथाई मा$यता ूदान
क% है । प �रषद के rारा जो क$नडतर
184
रह� है । प
185
उेँय रहा और �ह$द� ूचार क% यह संःथा रा3ीय भावनाओं को उबुW करके
संप ूण# भारतीय[ के ~दय मY एकता ःथा
186
ःवतंऽता पूव# �ह$द� भाषा के ूचार ूसार मY सिमित क% ूविृतयाँ और काय# इस
ूकार है Ð
1) रा3भाषा �ह$द� क% िश0ा का ूब$ध करना । 2) उपयु#k पा©यपुःतक[ का िनमा#ण करना ।
3) रा3भाषा क% पर�0ाएँ चलाना ।
4) उपयोगी सािन�य का िनमा#ण करना ।
5) रा3भाषा �ह$द� क% समूिचत िश0ा के िलए मा�यम �ह$द� वाले
187
रह� थी । इसक% ूथम दो पर�0ाएँ काफ% सरल है, &जससे �ह$द�तर भाषी उसमY
आसानी से बैठ सकY प�रचय पर�0ा मैश�क के पर�0ा के �ह$द�
188
�ह$द� के महCव को समझाया और उन सभी ूदेशो के &जतने भी उCसाह� काय#कता#
थे उन सभी का सहयोग ूा1 करने का ूयास �कया । इस ूकार उ$ह[ने �ह$द�
ूचार क% सुढ़ भूिमका तैयार क% ।
अ$य राuय[ मY �ह$द� ूचार का काय# पहले से ह� रा3ीय भावना से ूे�रत
होकर चल रहा था । इसी ूकार ूचार सिमित ने भी अपना काय# ूारiभ �कया ।
इस ूकार सiपूण# भारत वष# मY �हदं� ूचार-ूसार का काय# रा3ीय भावना से
ूे�रत होकर चल रहा था । सबसे महCवपूण# बात यह है �क वधा# मY �ह$द�-सिमित
क% ःथापना हो जाने से सभी ूा$त[ के काय# सुचा` `प से िनयो&जत हए । ूचार ुसिमित क% ःथापना हो जाने के पात ् ÔÔसिमित ने इस बात पर
189
- हम भारतीय अिभयान के मा�यम से युवा पीढ़� मY रा3ीयता क% भावना का संचार
�कया जा रहा है ।
- पूव]र राuय[ के छाऽ[ के िलए वधा# मY रा3भाषा महा
190
पर�0ाओं के के$ि खोलने, वग# चलाने छु&¥टय[ मY िश0को को तैयार करने का काय#
का�ठयावाड रा3भाषा ूचार सिमितÕ का मुय काय# था । इस दौरान कई चढ़ाव-
उतार भी आए।ÕÕ1111
दसरा चरण दसरा चरण दसरा चरण दसरा चरण ूूूू ÐÐÐÐ �ह$दःतानी ूचार सभा के साथ �ह$दःतानी ूचार सभा के साथ �ह$दःतानी ूचार सभा के साथ �ह$दःतानी ूचार सभा के साथ ुुुु ::::
ÔÔरा3भाषा ूचार सिमित के साथ गांधीजी का मतभेद हो गया था । उससे वे
अलग हो गए । 1942 मY गांधीजी, ःव.जमनालाल बजाज और राजे$ि ूसाद के
साथ िमलकर �ह$दःताु नी ूचार सभा क% वधा# मY ःथापना क% । सौरा3 के
काय#कता# रा3भाषा के तौर पर �ह$दःतानीको मानते थे । वह� वजह थी �क ु
काय#कता#ओं ने वधा# सिमित का काम छोड़ �दया और �ह$दःतानी ूचार सभा क% ुपर�0ाओं का काम शु: �कया । काय#कता# उसी लगन, भावना के साथ खुद उद# ू
सीखकर और[ को उद# सीखाने लगे और इस तरह �ह$दःतानी ूचार सभा के काम ू ु
को बढ़ाने लगे ।ÕÕ2222
तीसरा चरण तीसरा चरण तीसरा चरण तीसरा चरण ÐÐÐÐ गूजरात
191
चतुथ# चरण वत#मान &ःथित चतुथ# चरण वत#मान &ःथित चतुथ# चरण वत#मान &ःथित चतुथ# चरण वत#मान &ःथित ::::
सौरा3 राuय के कम#चा�रय[ के िलए �ह$द� क% पर�0ाएँ नह�ं थी। सभी
अपनी इ.छा से पर�0ा मY बैठते थे । सौरा3 मY य�द पर�0ा के$ि सीिमत �कए
जाए तो प र�0ाथz क% संया प र भार� असर प ड़ता । इसिलए सौरा3
192
3333....4444....13 13 13 13 �ह$दःतानी ूचार सभा मुंबई �ह$दःतानी ूचार सभा मुंबई �ह$दःतानी ूचार सभा मुंबई �ह$दःतानी ूचार सभा मुंबई ुुुु :::: Ô�ह$दःतानी ूचार सभाु Õ एक संःथा ह� नह�ं एक
193
ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# :::: सभा rारा Ô�ह$दःतानी जबान नामक एक �rभाषी प
194
इसके अित�रk ÔÔ�ह$दःतानी पोकेट शyदकोश सभा क% तरफ से गूजरात ु
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मा$यता ूा1 पर�0ाएँ मा$यता ूा1 पर�0ाएँ मा$यता ूा1 पर�0ाएँ मा$यता ूा1 पर�0ाएँ ::::
�ह$द� उतमा (मै�शक के समक0)
�ह$द� भाषा र (इंटर के समक0)
सा�हCय सुधाकर (बी.ए. केसमक0)
ःनातको]र पर�0ा Ð सा�हCय राकर (एम.ए. समक0)
ूिश0ण पर�0ा : �ह$द� िश0क उपािध पर�0ा
196
पदािधका�रय[, म{डल एव ं सम
197
3333....4444....16 16 16 16 �हंद�
198
सा�हCयालंकार (बी. ए. के समक0)
भारत सरकार एवं
199
ÔÔसन ्1932 मY �ह$द� के ूितकुल वातावरण मY भी सभा क% ःथापना हई । ुिनजाम के साम$ती शासन मY सभा को अनेक क�ठनाईय[ का सामना करना पड़ा ।
उस समय �ह$द� का काम करना रा3िोह समझा जाता था । इस समय के
िनावान काय#कर[ ने ऐसे ूितकूल 1948 के बाद हैदराबाद क% राजनैितक और
साःंकृितक &ःथित मY प�रवत#न आया और उसका ूभाव �ह$द� ूसार-ूचार पर
पड़ा।ÕÕ1
िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# िश0णकाय# ((((पर�0ाएँपर�0ाएँपर�0ाएँपर�0ाएँ) :) :) :) :
�ह$द� ूचार सभा हैदराबाद अपनी सात पर�0ाएँ वष# मY दो बार लेता है ।
इसके 450 के$ि है, &जसमY लगभग 40,000
200
ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# ूकाशन काय# ::::
सभा का �ह$द� ूेस इस समय हैदराबाद नगर के ूमुख ूेस[ मY से एक है ।
इस ूेस मY �हदं� के अित�रk तेलुगु, मराठ और अमेंजी क% भी छपाई होती है ।
इस ूेस क% ःथापना लगातार बढ़ती हई आवँयकताओ ंको �यान मY रखकर क% ुगई है ।
सभा के नए काया#लय मY सन ्1950 से प ुःतक
201
3333....4444....19191919 उड़�सा रा3भाषा प�रषदउड़�सा रा3भाषा प�रषदउड़�सा रा3भाषा प�रषदउड़�सा रा3भाषा प�रषद, , , , पूर� पूर� पूर� पूर� :::: सन 1932 मY पुर� मY ूःथा
202
प�रषद को द�0ा$त समारोह हर साल मनाया जाना है । इस अवसर पर
ूवीण तथा शाी प र�0ाओं मY उ]ीण# प र�0ािथ#य[ को उप ािध-प ऽ
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कुलकुलकुलकुल 81818181
िमजोरम मY जनजाितय[ क% संया काफ% है । इन लोग[ का �ह$द� भाषा स े
कोई सiब$ध नह�ं है । ऐस ेलोग[ क ेबीच वधा# सिमित क ेकाय#0ऽे क ेअ$तग#त
बनी सिमित Ôिमजोरम रा3भाषा ूचार सिमितÕ अपन ेिनावान ूचारक[ क ेबल पर
इस ूदशे क ेलोग[ मY �ह$द� भाषा का ूचार पसार कर रह� है ।
204
ूदान तथा �ह$द� मY मौिलक सजृन ू�बया मY भी सभा क% माग#दश#न के 0ेऽ मY
महCवप ूण# भूिमका रह� है ।ÕÕ1 सभा के काय# का