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━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ 09 / 10 / 81 क अयत वाणी पर आधारत योग अन अतम खी बन सदा बधनम त और योगय त िथती का अन भव ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ यागी और तपवी आमा _ कमलासन पर वराजमान ह आमा से रंगबरंगी और शितय करण नकल रह समत संसार फै ल रह है _ सारा संसार जड़, चैतय और जंगम सहत सवव इन और शितय से भरप हो रहा ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ अब अपने फरता वप धारण करती _ म उड़ चलती ह मवतन ओर अपने ाणय बापदादा के पास बापदादा के वशाल आकार शरर के सम फरता एक नहा सा बालक _ बापदादा से शितशाल करण आ रह है पर शित भर रह है तीनो लोक फै ल रह बापदादा झे अपने कं धो पर बठाकर रे मवतन सैर करा रहे है _ फरता देख रह राते आने वाले को चांद सतार उपर इस नया को हषत हो रह _ फर बाबा दल का नकालने मशीनर दखाते सारे संकप बह पट दखाई दे रहे है दल के ... अंतर मन के और छोटे , बड़े दाग भी पट दखाई दे रहे है .. _ देख रह अपनी कमी कमजोर के को... कभी तो मेरे दल कोई आमा आती दखाई दे रह है तो कभी कोई... कभी कह कसी से लगाव काव होने कारण दल से बापदादा नकल जाते ... कह णा नफरत के कारण... कभी पांच तवो से नमत देह अपनी तरफ खंचता... कभी कमियाँ आकषत करती... इस तरह भन भन कार के दखाई दे रहे है मेरे दल ... ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ ➢➢ फरता मेहनत हो रह _ बापदादा अपनी करण से _ अपने वायेशस के मायम से दल के सारे छोटे -बड़े दाग को साफ करते जा रहे है ...

09 / 10 / 81 क अयत वाणी. Avyakt Murli Project/10. Yog...1981/10/09  · 09 / 10 / 81 क अयत व ण पर आध रत य ग अन भ त अतम ख

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    09 / 10 / 81 क� अ�य�त वाणी पर आधा�रत योग अनभु�ूत अ�तमु�खी बन सदा ब�धनम�ुत और योगय�ुत ि�थती का अनभुव ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ 

    ➢➢ म� �यागी और तप�वी आ�मा हँू

    ➳ _ ➳ कमलासन पर �वराजमान हँू

    → मझु आ�मा से रंग�बरंगी गुण� और शि�तय� क� �करण� �नकल रह� हँू

    ■ सम�त संसार म� फैल रह� है

    ➳ _ ➳ सारा संसार

    → जड़, → चतै�य → और जंगम स�हत

    ■ सव��व इन गुण� और शि�तय� से भरपरू हो रहा ह�

    ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    ➢➢ अब म� अपने फ�र�ता �व�प धारण करती हँू

    ➳ _ ➳ म� उड़ चलती हँू

    → स�ूमवतन क� ओर → अपने �ाण��य बापदादा के पास

    ■ बापदादा के �वशाल आकार� शर�र के सम�

    → म� फ�र�ता एक न�हा सा बालक हँू

    ➳ _ ➳ बापदादा से शि�तशाल� �करण� आ रह� है

    → मझु पर शि�त भर रह� है

    → तीनो लोक� म� फैल रह� ह�

    ■ बापदादा मझु ेअपने कंधो पर �बठाकर

    → परेू स�ूमवतन क� सरै करा रहे है

    ➳ _ ➳ म� फ�र�ता देख रह� हँू

    → रा�त ेम� आने वाले �च�� को → चांद �सतार� क� उपर क� इस द�ुनया को ■ ह�ष�त हो रह� हँू ➳ _ ➳ �फर बाबा �दल का �च� �नकालने क� मशीनर� �दखात ेह�

    → सारे संक�प बहुत �प�ट �दखाई दे रहे है…

    ■ �दल के... ■ अतंर मन के

    → और छोटे, बड़ ेदाग भी

    ■ �प�ट �दखाई दे रहे है..   

    ➳ _ ➳ म� देख रह� हँू → अपनी ह� कमी कमजोर� के �च� को... ■ कभी तो मेरे �दल म� कोई आ�मा आती �दखाई दे रह� है तो कभी कोई... ■ कभी कह� �कसी से लगाव झुकाव होने कारण �दल से बापदादा �नकल जात े... ■ कह� घणृा नफरत के कारण... ■ कभी पांच त�वो से �न�म�त देह अपनी तरफ �खचंता... ■ कभी स�ूम कम�ि��याँ आक�ष�त करती... → इस तरह �भ�न �भ�न �कार के �च� �दखाई दे रहे है मेरे �दल म�...

    ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

    ➢➢ म� फ�र�ता मेहनत म�ुत हो रह� हँू

    ➳ _ ➳ बापदादा अपनी �करण� से ➳ _ ➳ अपने वाय�ेश�स के मा�यम से

    → �दल के सारे छोटे-बड़ ेदाग को साफ करत ेजा रहे है...

  • ■ अब �दल साफ हो गया ■ एकदम हलकापन अनभुव हो रहा है... ■ डडे साइले�स क� अनभु�ूत हो रह� है... ■ एक बाप दसूरा न कोई �दल से यह� गीत बज रहा है...

    ➳ _ ➳ अब म� मेहनत म�ुत होगयी

    → म� भी �दलाराम के �दल म� → और �दलाराम भी मेरे �दल म�...

    ■ अब माया चाहे कोई भी �प लेकर आए…

    → चाहे स�ूम �प हो, → चाहे रायल �प हो, → चाहे मोटा �प हो…

    ■ �दलाराम को �दल से हटा नह�ं सकती... → �व�न मा�, → संक�प मा� भी ■ माया आ नह�ं सकती... ■ मनसा म� भी एकदम मेहनत म�ुत अव�था हो चकु� है... ➳ _ ➳ अब म� फ�र�ता बापदादा को ध�यवाद करती हँू� ➳ _ ➳ वापस लौटती हँू → अपने कम��े� म� → अपने सेवा �थान पर... ➳ _ ➳ म� फ�र�ता शर�र म� �वेश करती हँू → मेहनत म�ुत अव�था का अनभुव कर रह� हँू... ■ कोई भी कम� करत ेहुए भी कम� बंधन या कम�ि��याँ अपनी तरफ आक�ष�त नह� कर पा रह�... → मझु ेकमा�तीत अव�था क� अनभु�ूत हो रह� है... → मझु ेब�धनम�ुत अव�था का अनभुव हो रह� है... → इस ब�धनम�ुत अव�था म� �दलाराम को अपने �दल म� समाए हुए... ■ योगय�ुत आ�मा बन गई ■ जीवनम�ुत अव�था पा �लया ━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━ 

     

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    ➳ _ ➳ �फर बाबा �दल का �च� �नकालने क� मशीनर� �दखात ेह�  → सारे संक�प बहुत �प�ट �दखाई दे रहे है...  ■ �दल के...   ■ अतंर मन के    → और छोटे, बडे

    ़ दाग भी  

    ■ �प�ट �दखाई दे रहे है...