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33 International Journal of Advanced Education and Research ISSN: 2455-5746, Impact Factor: RJIF 5.34 www.newresearchjournal.com/education Volume 1; Issue 4; April 2016; Page No. 33-38 नव वैÕणव आÆदोलन और शंकरदेवः एक अÅययन जयÆत कु मार बोरो अिÖसटेÆट ोफे सर, िहÆदी िवभाग, कोकराझार गवमÆट कॉलेज, कोकराझार, असम Lkkjka”k पÆहव (15 ) शताÊदी के अÆत से पहले महापुŁष शंकरदेव जी ने असम म¤ नव वैÕणव धम एवं भि का चार करना ारÌभ िकया शंकरदेव को असम म¤ नव वैÕणव धम के ितķापक माने जाते ह§ नव वैÕणव धम बाĺÁयवाद के िवरोध म¤ ितिया ÖवŁप एक भि आÆदोलन है , िजसे शंकरदेव जी ने तÂकालीन समय के समाज म¤ ÓयाĮ िवसंगितयŌ के िवरोध म¤ जागरण एवं धािमक ŀिĶकोण से चार िकया था शंकरदेव कालीन समय की राजनैितक, सामािजक और धािमक वातावरण काफी असंतोष पूण रहा है। समाज िवखिÁडत तथा बाĺणŌ का वसÖव अिधक था शंकरदेव ने बाĺÁयवादके कठोर िनयमŌ के िवपिरत एक सरल भि माग को चुना िजसे जनसाधारण सरलता पूवक अपना सके उनके ारा चलाये गये इस Óयापक धािमक आÆदोलन को ही नव वैÕणव धम की संा से अिभिहत िकया जाता है यह धम पूववत वैÕणव धम से भािवत तो था परÆतु शंकरदेव जी ने इसम¤ कु छ संÖकार कर आम लोगो के सÌमुख Öतुत कर तथा वैÕणव भि का ार सभी के िलए खोल िदये उनके ारा चलाये गये भि माग म¤ सभी कार के धम एवं सÌदायŌ का समावेश था कबीर के िनगु भि माग म¤ िजस कार सभी लोगो का समान अिधकार था, ठीक वैसे ही शंकरदेव के ारा चलाये गये नव वैÕणव धम भि माग म¤ सभी कार के जाित एवं समुदायŌ का एक समान अिधकार था बाĺÁय् धम की अपेाकृत नव वैÕणव धम ने साधारण लोगŌ को अिधक भािवत िकया उÆहŌने वैÕणव भि को िकसी एक वग िवशेष के चंगुल से िनकालकर जन-जन तक पहुँचाने का यास िकया था यह भि माग भि के म¤ एके ĵरवादकी और गुŁ की मह°ाको Öथािपत करता है नव वैÕणव धम की धान िवशेषता है - ‘एके ĵरवादकी Öथापना करना इस भिमाग को एक शरणनाम धम अथवा ईĵर के ित परम् आÂम-समपण करना का पधर धम भी कहाँ जाता है ew y ”kCn: नव वैÕणव धम , बाĺÁयवाद, िनगु भि आिद izLrkouk भारतीय भि आÆदोलन के दौरान भारत की सामािजक ÓयवÖथा उथल-पुथल की िÖथित म¤ थी राजा का शासन जा के िलए कĶ कर था राजनैितक ŀिĶकोण से राजा और सामÆत दोनŌ िमलकर समाज का शोषण िकया करते थे वह सरी और धािमक ŀिĶकोण से देखे तो धम के नाम पर समाज म¤ अंधिवĵास, वगवाद, जाितभेद सभी कार के असिहÕणुता का वातावरण िवमान था भि आÆदोलन ने िजस कार समाज म¤ ािÆत लाने का यास िकया था उसका भाव आज भी हमारे समाज म¤ िदखता है भारतीय भि आÆदोलन के पिरेàय म¤ कबीरदास और शंकरदेव का िनगु भि माग समाज म¤ ÓयाĮ वग भेद की खाई को िमटाने म¤ काफी महÂवपूण भूिमका का िनवाह िकया कबीर और शकरदेव ने अपने सहज एवं सरल भि माग को अपनाकर समाज म¤ एकता एवं भाईचारे की भावना को Öथािपत करने का अथक यास िकया यह उनके जीवन दशन का याय है उĥेÔय शंकरदेव ने अपने जीवन काल म¤ सिहÕणुता को िवशेष Łप से महÂव िदया है इसीिलए उनकी महानता का, मानवता का पिरचायक बन चुका है शंकरदेव ने भि के चार म¤ अपने जीवन को उÂसग कर िदया भारत का पूवō°र ांत िविवध भाषा-भाषी एवं िविवध जाित- जनजाितयŌ से िमि®त समुदाय से िनिमत है सभी समुदायŌ की अपनी िवशेषताय¤ है , लेिकन खान-पान से लेकरके रहन-सहन, धम -िवĵास, आचार- Óयवहार, रीित-नीित आिद म¤ काफी असमानताय¤ भी िवमान ह§ इतनी िविवधताओं के बावजूद शंकरदेव ने अपनी ितभा के बल पर असम के िविवध समुदायŌ म¤ आपसी भेद-भाव को िमटा कर नव वैÕणव भि माग के ारा सिहÕणुता के वातावरण को बनाये रखने का यास िकया भि आÆदोलन िजसने समÖत भारत के ांतो को छु आ और सभी ांतो ने अपने अनुŁप उसे ढालने का यास िकया वतमान समाज ÓयवÖथा म¤ भि आÆदोलन के दौरान उÂपÆन िवचारŌ का काफी महÂवपूण योगदान रहा है भारतीय भि आÆदोलन का ÖवŁप अिखल भारतीय रहा ह§ शोध िविध Öतुत लेख की िवषय वÖतु के अÅययन के िलए िवĴेषणात्मक पित को अपनाया गया है तथा यह िवषय समीाÂमकता के साथ तुलनातमक पित की भी मांग रखता है तुलनाÂमक अÅययन के माÅयम से भी शंकरदेव के महÂव को Öथािपत िकया जा सकता है शोध सामाी Öतुत आलेख की शोध सामाी िविवध कार के लेखŌ और सािहÂय के सवण के आधार पर ाĮ िकया गया गया है असमीया सािहÂय के िविवध ÆथŌ म¤ से आलेख को पुरा करने के िलए काफी मĥ िमली है शंकरदेव के ारा िलिखत बरगीतऔर कीतन घोषाको मुख Łप से अÅययन के िलए चयन िकया गया है। िहÆदी सािहÂय के िविवध ंथŌ म¤ से भी आलेख को पूणता तक पहुँचाने के िलए आवÔयक सहायता ली गई है शंकरदेव का सािहिÂयक पिरचय असमीया सािहÂय म¤ शंकरदेव को िविशĶ वैÕणव किव, गीतकार, नाटककार संगीतकार के Łप म¤ पिरगिणत िकया जाता है उनकी कु छ मािणक रचनाय¤ है जैसेः 1. काÓय- (1) हिरचÆ उपायान, (2) Łकिमणी हरण, (3) बिलचलन, (4) अमृत मथन, (5) अजािमल उपायान और (6) कु Łे इन सबकी भाषा असमीया है शंकरदेव की रचनाओं म¤ हमे भाषा की बहुलता देखने को िमलता है 2. भितÂव पर आधािरत Æथ- (1) भिदीप, (2) भि रÂनाकर, (यह एक भि िसाÆत िवषयक Æथ है , इसकी भाषा संÖकृ त है ), (3) िनिम-नविस सÌवाद, (4) अनािदपतन 3. अनुिदत Æथ- (1) भागवत, (2) उ°रकांड रामायण 4. अंिकया नाटक- (1) पÂनी साद, (2) कािलदमन, (3) के िल गोपाल, ( 4) Łकिमणी हरण, (5) पािरजात हरण, और (6) राम िवज इन सब की भाषा

International Journal of Advanced Education and Research ... · PDF fileशंकरदेव नेअपनेजीवन काल म ... के वप म¤ग्रहण

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    International Journal of Advanced Education and Research ISSN: 2455-5746, Impact Factor: RJIF 5.34 www.newresearchjournal.com/education Volume 1; Issue 4; April 2016; Page No. 33-38

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